Translate
Archive
-
▼
2008
(154)
-
▼
मई
(39)
- मुझे बताया कि स्टमक में घाव हैं,आपरेशन न करवाना पड़...
- हल्का सा बुखार बना रहता है, हर रोज एक नया टैस्ट और...
- मुझे तीन बार गर्भपात हो गया वो भी मात्र दो-ढाई माह...
- My wife has back pain...
- कुछ याद ही नहीं रहता, हर चीज भूल जाता हूं....
- मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और...
- हर आधे-पौने घण्टे में पेशाब करने जाना पड़ता है.....
- डायाफ्राम के नीचे दाहिने हिस्से में कुछ फूला सा मह...
- माताजी को होने वाली ऐंठन की समस्या शीघ्र ही दूर हो...
- हस्तमैथुन छोड़ना चाहता हूं.....
- आंखो के सामने जाल और कीड़े जैसे चित्र बनने का आभास ...
- दोनो अंडकोषों में तीन या चार गुना अंतर है...
- मूत्र के साथ PUS CELLS आ रहे हैं....
- लोग मुझे अजीब सी हिकारत भरी नजरो से देखने लगते हैं
- ऐसे चकत्ते उभर आते हैं जैसे कि चींटी ने काट लिया ह...
- Left Ovarian Tumor, enlarged polycystic right ovar...
- अस्थमा का अटैक आया था अब डेढ़ साल बाद खून की उल्टी ...
- दायें अंडकोष में सूजन और दर्द
- नाक से कभी भी रक्त आने लगता है व लैट्रिन करते समय ...
- बच्चा नींद में दांतो को रगड़ कर अजीब सी किचकिच की आ...
- यह ब्रेन ट्यूमर की समस्या तो नहीं है ????
- skin specialist called it as vitiligo यानि कि त्वच...
- My son is suffering sweating in hand and feet & lo...
- I am suffering from Gilberts syndrome ( hyper bili...
- मुझे खूनी बवासीर है तथा गुदा में एक मस्सा भी है।
- मेरा शरीर बहुत दुबला-पतला है,हीनभावना से ग्रसित हूं।
- मेडिकल सांइस का इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है??...
- मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में ...
- बच्चा बिस्तर में पेशाब कर लेता है...
- गर्भाशय भ्रंश(Prolepse of Uterus)बताया गया है, मैं...
- कब्ज़ियत,बवासीर और गॉल ब्लैडर में १४ मिमी. पथरी है
- My husbend’s penis-foreskin not move a bit back an...
- दांयी किडनी में ४-५ मिमी. की पथरी है
- मेरा गुप्तांग बाहर निकल आता है........
- पक्षाघात(पैरालिसिस) के तीन अलग-अलग केस.....
- ब्लड प्रेशर लो हो जाने की समस्या है....
- SPUR के कारण पैर की एड़ी न कटवाएं....
- गैस बनती रहती है दिनभर डकारें मारता रहता हूं........
- बाईपास सर्जरी न करवानी पड़े,75% ब्लाकेज है.....
-
▼
मई
(39)
लोकप्रिय पोस्ट
-
Hello sir main saudi arabia main job karta hoon meri problem sex se related hai .sir maine do baar sex kiya hai dono bar main 4 sec ke andar...
-
Sir, Main ak 26 varshiy vivahit ladka hoon.meri samasya yeh hai ki 1. mere gupt ang mein thik se tanav nahi aata hai aur jo aata hai to kuc...
-
नमस्कार महोदय उम्र २९ वर्ष वजन ४३ केजी कद १६५सेमि ५'५'' दुबला शरीर, अविवाहित, अध्यनरत महोदय मै बहुत हि दुबला व कमजोर हू. कृपया म...
-
Namaskar Doctor Shahab. Me aapse apni samasya ka samadan chahta ho. sabse pahle me aapko apne bare me batana chahta ho meri aayo 21 year he ...
-
प्रणाम डॉक्टर साहब, सर्वप्रथम तो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी समस्या पर इतनी तत्परता से प्रतिक्रिया दी. आपको मैं थोड़े से विस्ता...
-
डॉ साहब ,आपको सादर नमस्कार . मैंने आपके बहुत सारे ब्लोग्स पढ़े हैं । वहाँ से प्रेरित होकर मई भी आप को मेल कर रहा हू आशा रख...
-
यह सभी वर्गों के पुरुषों के लिये अत्यंत उत्तम स्वास्थ्यवर्धक वटी ( टैबलेट) है जो कि बेहद प्रभावी तथा बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का बेहतरीन मिश्रण ...
कुछ सुझाव
शनिवार, मई 31, 2008
मुझे बताया कि स्टमक में घाव हैं,आपरेशन न करवाना पड़े.....
राज अवस्थी, बरुआसागर
राज भाईसाहब आपको आपरेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी इस लिये भयभीत न हों। यदि आपके आमाशय में घव है तो ये कोई जानलेवा या लाइलाज बीमारी नहीं है बस होता ये है कि आप पेट के असहनीय दर्द से घबरा जाते हैं। अब आप निम्न औषधियों को नियम से लीजिये और चिंतामुक्त हो जाइये साथ ही दर्द से भी मुक्ति मिल जाएगी, इस उपचार से किसी भी कारण हुआ आमाशय घाव या व्रण भर जाएगा और उसके बनने का कार्ण भी समाप्त हो जाएगा। बस ध्यान रखिये कि आपका भोजन कम से कम पंद्रह दिन तक तरल हो ठोस आहार न लें बस पंद्रह दिन की ही तो बात है फिर उसके बाद धीरे-धीरे हल्का भोजन लेना शुरू करियेगा। दूध और घी ले सकते हैं,शहद लीजिये,अण्डे यदि खाते हों तो ले सकते हैं पर एक से ज्यादा नहीं वो भी दूध में घोल कर लें। गर्म दूध न लें हानिकारक है इस लिये ठण्डा किया हुआ दूध लेना हितकर है। बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स हर्गिज़ न लें।
१ . पहले चार दिन तक सुबह-दोपहर-शाम-रात को ये दवा लें -- सर्वांगसुन्दर रस ४ रत्ती + मण्डूर भस्म ४ रत्ती + शुक्ति भस्म ४ रत्ती मिला लें व ये हो गई आपकी एक दिन की खुराक जिसे चार बराबर हिस्सों में करके एक माशा सौंफ़ के चूर्ण+ भुना जीरा का चूर्ण ४ रत्ती के साथ मिला कर आपको शहद के साथ चाटना है। भोजन के बाद कुमार्यासव नं. १ दो चम्मच पियें ।
२ . चार दिन बाद पांचवे दिन से दवा परिवर्तित करिये व ये दवा लेना शुरू करें -- सूतशेखर रस(साधारण) २५० मिग्रा. + कामदुधा रस(साधारण) ५०० मिग्रा. + यशद भस्म १०० मिग्रा. + जहरमोहरा पिष्टी २५० मिग्रा. + आमलकी रसायन ५०० मिग्रा. + शंख भस्म २५० मिग्रा. + मुक्ताशुक्ति पिष्टी २५० मिग्रा. + प्रवाल पंचामृत(मुक्ता युक्त) ५० मिग्रा. ; इस पूरी दवा की एक खुराक करें व इसे सुबह दोपहर शाम को तीन बार शहद के साथ लीजिये और इसके दस मिनट बाद जीरा जल पी लीजिये। जीरा जल बनाने के लिये तीन ग्राम जीरा लेकर बारीक पीसिये और लगभग १०० मिली जल में डाल कर दस मिनट के लिये रख दीजिये तथा फिर पतले कपड़े से छान लीजिये बस हो गया आपका जीरा जल तैयार, अब आप इसका सेवन कर सकते हैं परंतु हर बार ताजा ही बनाएं।
इस औषधि व्यवस्था को दो माह तक प्रयोग और यकीन करिये कि आपकी बीमारी ठीक हो जाएगी अगर प्रतीत हो तो दो माह और इस्तेमाल कर लीजिये लम्बे समय तक भी यदि आप दवाएं लें नुकसान नहीं होगा
शुक्रवार, मई 30, 2008
हल्का सा बुखार बना रहता है, हर रोज एक नया टैस्ट और नई दवा......
शैलेन्द्र सिंह, आगरा
सिंह साहब,आप जीर्ण ज्वर से पीड़ित हैं, आपके आसपास के चिकित्सक दोषों के कोप को समझ ही नहीं पा रहे हैं। मैं आपको जो दवाएं लिख रहा हूं उसे आप नियम से लीजिये और यकीन करिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी। इस तरह हल्का बुखार बहुत लम्बे समय तक बना रहना अत्यंत घातक हो सकता है। निम्न उपचार लीजिये--
१ . स्वर्णबसंतमालती रस १२५ मिग्रा. + प्रवाल भस्म १२५ मिग्रा. + चौंसठ प्रहरी पीपल १२५ मिग्रा. + गिलोय सत्त्व २५० मिग्रा. + सितोपलादि चूर्ण १ ग्राम ; इन सब को मिला कर एक खुराक बनाइये तथा शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन कराइये।
२ . जल में मिश्री मिला कर शर्बत बनाएं और दिन में कई बार प्यास लगने पर सेवन करें।
मांसाहार बंद कर दीजिये,पान कभी-कभी खा लेने में कोई हर्ज़ नहीं है। इस उपचार को लेने के तीन दिन के अंदर ही आपका बुखार गायब हो जाएगा किन्तु दोषों के पूरी तरह से शांत होने के लिये इक्कीस दिन तक लीजिये।
बुधवार, मई 28, 2008
मुझे तीन बार गर्भपात हो गया वो भी मात्र दो-ढाई माह में......
रंजना तिवारी,गाडरवारा
रंजना बहन,कई बार ऐसा होता है कि व्यवसायिक नजरिया रखने वाले लोग चाहे वो चिकित्सक हों या किसी अन्य पेशे में आपको डरा देने में ही अपने धंधे की भलाई समझते हैं। मैं कहता हूं कि जिस वैद्य ने आपको कह दिया कि ये बन्ध्यत्व जैसी समस्या ही है उसे मेरी तरफ से कह दीजिये कि वैद्यकी छोड़ कर बागवानी वगैरह जैसा कोई काम अपना लें जिसमें घास काटने का मौका मिले, ऐसे धूर्तों से सावधान रहना चाहिये; ये शहर गांव हर जगह पाए जाते हैं। आप बिलकुल भी चिन्ता न करें आपकी समस्या कोई बहुत बड़ी नहीं है ये आश्वासन मैं आपको देता हूं आप नीचे बताई गई औषधियों का सेवन नियम पूर्वक कम से कम तीन माह तक करिये और जब गर्भ धारणा हो उसके बाद एक माह तक बंद कर दें व पुनः तीन माह तक जारी रखिये। ईश्वर आपके गर्भस्थ की रक्षा करेंगे-
१ . कामिनी कुलमण्डन रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली को सुबह शाम शहद के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद लीजिये।
२ . अशोकारिष्ट + दशमूलारिष्ट बराबर मात्रा में मिला कर दिन में दो बार बराबर मात्रा में जल मिला कर पीजिये।
३ . पुष्यानुग चूर्ण एक चम्मच श्हद के साथ दिन में दो बार खाएं और अगर संभव हो तो ऊपर से चावल का धोवन पिएं।
४ . फलघृत एक चौथाई चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद लें।
मांसाहार यदि करती हों तो त्याग दीजिये और तेज मिर्च-मसालेवाले आहार से परहेज रखिये शेष तो जितनी सावधानियां आप रखती हैं बहुत हैं।
My wife has back pain...
subhash sharma
सुभाष जी,आपने अपनी पत्नी की समस्या बताई किन्तु स्त्रियों के विषय में यदि इस अवस्था में कोई उपचार बताना है तो आवश्यक हो जाता है कि हर पहलू को बड़ी ही गहराई से समझा जाए। आप स्वयं विचार करिये कि मात्र इतना बता देना क्या काफ़ी है, उनका वजन कितना है और माहवारी वगैरह की कोई समस्या तो नहीं है,मेनोपाज तो नहीं हो रहा है, शुगर की क्या स्थिति है, प्रदर रोग तो नहीं है इत्यादि..... लेकिन फ़िर भी मैं ये मान कर कि आपकी पत्नी को एक सामान्य उपचार बता रहा हूं कि उन्हें ये समस्याएं वात के प्रकोप के कारण हुई होंगी चाहे उसके कोप का कारण कुछ भी क्यों न हो....
१ . रास्नादि गुग्गुलु दो गोली + विषतिन्दुक बटी एक गोली दिन में तीन बार महारास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दीजिये।
वात वर्धक आहार, दिन में सोना, अधिक समय तक रात्रि में जागरण करना तत्काल बंद कर दें। शेष विस्तार से सूचित करें ताकि यदि कोई अन्य व्याधि हो तो उचित निदान करके उसका सही उपचार किया जा सके।
मंगलवार, मई 27, 2008
कुछ याद ही नहीं रहता, हर चीज भूल जाता हूं....
Hemprakash
हेमप्रकाश भाई,आपकी समस्या परेशान कर देने वाली है लेकिन अब आप बेफ़िक्र हो जाइए, जरा सा वक्त मेडिटेशन के लिये निकालिये और नीचे लिखा उपचार कुछ दिनों में ही आपकी समस्या को हल कर देगा--
१ . स्म्रति सागर रस(साधारण)एक गोली + ब्राह्मी वटी(बुद्धिवर्धक/साधारण) एक गोली दिन में तीन बार सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच दवा से साथ लीजिये।
२ . रोगन बादाम शीरीन की एक-एक बूंद सुबह -शाम दोनो नासिका छिद्र में डाल कर दस मिनट तक सिर पीछे झुका कर लेटे रहिये।
रात्रि जागरण से बचिये, ज्यादा तेज मसालेदार आहार तथा औषधि लेने के समय मांसाहार बंद कर दीजिये।
मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और छह-सात दिन तक रहता है.....
मेरी उम्र तीस साल है तथा मेरे दो बच्चे हैं। मेरी समस्या मैं काफ़ी समय तक तो झेलती सहती रही किन्तु अब मुझे बहुत परेशानी होने लगी है। धीरे-धीरे कमजोरी आती जा रही है, चक्कर आते हैं, अचानक मूर्च्छा भी कभी-कभी आ जाती है, नींद नहीं आती है, कमर और पेट में दर्द बना रहता है, कानों में ऐसा लगता है कि जैसे भॊंपू बज रहा है, मुझे मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और छह-सात दिन तक रहता है जिसमें काफ़ी रक्त आता है, हाथ-पैरों के तलवों में जलन सी भी बनी रहती है; मेरे पति कहते हैं कि इतनी सारी बीमारियों का किसी चिकित्सक के पास इलाज न होगा तुम तो रोगों का खजाना हो अगर कोई डाक्टर चाहे तो तुम्हें रिसर्च के लिये इस्तेमाल कर सकता है। मैं बहुत तंग आ चुकी हूं मेहरबानी करके यदि आयुर्वेद में कोई इलाज हो तो बताइये मैं जीवन भर आपकी आभारी रहूंगी।
ममता गिरी,गया(बिहार)
ममता बहन, सबसे पहले तो मैं आपके पति महोदय से कहना चहता हूं कि बीमारियां तो किसी को भी और कभी भी हो सकती हैं ये हालत उनकी भी हो सकती थी इसलिये इस तरह का व्यवहार अपनी जीवनसंगिनी के साथ सर्वथा अनुचित है। आप बिलकुल निश्चिंत हो जाइये आपको बहुत सारी बीमारियां नहीं बल्कि बीमारी तो एक ही है बाकी सब तो उसके लक्षण मात्र हैं। आप निम्न उपचार दो माह तक लगातार लीजिये और आयुर्वेद का चमत्कार देखिये कि कैसे आपकी बीमारी गायब होती है--
१ . बोलबद्ध रस १० ग्राम + नागकेशर १५ ग्राम + गूलर(उदुम्बर या उम्बर) के पत्तों का रस १०० मिली + अशोक घन बटी २५ ग्राम + गेरु २५ ग्राम + माजूफ़ल २५ ग्राम + मोचरस २५ ग्राम + सफ़ेद राल २५ ग्राम + लोध(लोध्र) १५ ग्राम + लौह भस्म १० ग्राम + मुक्ताशुक्ति भस्म १५ ग्राम + स्फटिक(शुभ्रा) भस्म २५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी २५ ग्राम + जहरमोहरा भस्म २५ ग्राम + सहजन का गोंद २५ ग्राम + गिलोय(गुड़वेळ या गुडुचि) सत्व १५ ग्राम + अश्वगंध ७५ ग्राम + आयापान १५ ग्राम ; इन सभी को भली प्रकार से घोंट कर मिला लें और फिर ५०० मिग्रा. की गोलियां बना लें व दिन में तीन बार अशोकारिष्ट के दो चम्मच के साथ दो-दो गोलियां लीजिये।
२ . शतावरी का चूर्ण एक चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म दूध से लें।
पूर्ण विश्राम करें, पुराना चावल, गेहूं की रोटी, साबुदाना, चौलाई, लौकी, आंवला, सिंघाड़ा, अंगूर, परवल, कद्दू, अनार, बकरी और गाय का दूध पथ्य हैं तथा सरसों का तेल, अधिक मिर्च-मसालेदार आहार, खट्टे पदार्थ, भैंस का दूध, बैंगन, उड़द, बासी आहार आदि ना लें।
सोमवार, मई 26, 2008
हर आधे-पौने घण्टे में पेशाब करने जाना पड़ता है.....
मेरी उम्र ४६ साल है। मुझे पिछले माह से मैंने महसूस करा कि लगभग हर आधे-पौने घण्टे में पेशाब करने जाना पड़ता है। स्थानीय चिकित्सक को दिखाने पर उसने डायबिटीज का टैस्ट करा डाला लेकिन उसमें सब सामान्य है। उसने आशंका जताई कि अंडकोष में सूजन होने पर भी ऐसा होता है लेकिन मुझे तो ऐसी कोई समस्या भी नहीं है। मैं बार बार पेशाब जा-जाकर अब हल्की सी कमजोरी महसूस करने लगा हूं। मेहरबानी करके कोई सटीक उपचार बताएं ताकि इस विचित्र समस्या से छुटकारा मिल सके। अग्रिम धन्यवाद।
महेश गुप्ता,बिजनौर
महेश भाई,आपकी समस्या को आयुर्वेद में बहुमूत्र के नाम से जाना जाता है। साधारण शब्दों में ऐसा कहा जा सकता है कि ये आगे चल कर डायबिटीज का रूप धारण कर सकता है। इसके तमाम कारण हो सकते हैं। लेकिन आप कारणों की गहराई में न जाकर बस इतना करिये कि दिन में सोना बंद कर दीजिये और चावल के आटे की रोटियां फिलहाल जो आपको विशेष पसंद हैं छोड़ दीजिये और निम्न उपचार एक माह तक लें,आपको आराम तो मात्र तीन चार दिन में ही आ जाएगा किंतु फिर भी स्थायी लाभ के लिये एक माह तक लें।
काले तिल भुने हुए आधा किलो + आंवला १५० ग्राम इन दोनो में आवश्यकतानुसार देसी गुड(गन्ने का) मिला कर १५ या २० ग्राम के लड्डू बना लें। सुबह-शाम सेवन करें और इसे खाने के आधे घंटे तक पानी न पियें। बस आपकी समस्या जादू की तरह से गायब हो जाएगी।
रविवार, मई 25, 2008
डायाफ्राम के नीचे दाहिने हिस्से में कुछ फूला सा महसूस होता है.....
मेरी उम्र २७ साल है लगभग नौ दस साल पहले मैं पीलिया से पीड़ित हुआ था। उपचार लेने के बाद पीलिया तो ठीक हो गया लेकिन एक नई समस्या तब से पीछा नहीं छोड़ रही है। मेरे पेट में नाभि के ऊपर डायाफ्राम के नीचे दाहिने हिस्से में कुछ फूला सा महसूस होता है। खाने के बाद लगता है कि खाना वहां पर ही अटक गया है, झुकने या उस स्थान को दबाने पर मुंह में अनपचा भोजन आ जाता है, ऐसा लगता है कि डकार आ जाए तो कदाचित राहत मिल जाएगी किन्तु डकार आती ही नहीं,ये उभरा हिस्सा दबाने पर दर्द नहीं करता है,कब्जियत बनी रहती है, गले में कफ़ रहता है जो कि खखारने पर पारदर्शी से बलगम के रूप में निकल आता है और ये कदाचित मीठा सा प्रतीत होता है बाकी तमाम उपद्रव आपको मैं फोन पर बता चुका हूं। परीक्षा नजदीक है इसलिये जरा त्वरित उपचार बताएं ताकि स्वस्थ होकर परीक्षा दे सकूं। धन्यवाद..
सौरभ,वाराणसी
सौरभ भाई, आपकी समस्या के बारे में समझा कि किस तरह से तमाम व्यवसायिक लोग आपके ऊपर आयुर्वेद से लेकर एलोपैथी के अनेक प्रयोग कर चुके हैं। सच तो ये है कि जब हम अपने ऊपर अनेक परीक्षण करवा चुके होते हैं तब हमारा ध्यान हमारे आसपास मौजूद ईश्वर की दी अनमोल चीजों से हट जाता है। बिना किसी भूमिका के आपको उपचार बता रहा हूं जिसे आपको वर्धमान क्रम में लेना है लेकिन उससे पहले आप पहले पंद्रह दिन सितोपलादि चूर्ण दो-दो ग्राम सुबह शाम शहद के साथ लीजिये फिर उसके बाद आप आधा ग्राम से शुरू ग्वारपाठा(एलोवेरा,घीग्वार) रोज आधा ग्राम बढ़ाते जाइये। इस प्रकार से आप जब रोज दोपहर के भोजन के बाद एलोवेरा का सेवन करें तो इस क्रम में यह मात्रा बढ़ कर दस ग्राम तक आ जाए तो इसके उलटे क्रम में मात्रा घटाना शुरू कर दीजिये और फिर आधा ग्राम पर आने के बाद पंद्रह दिन के लिये बंद कर दीजिये और फिर इसी क्रम में लीजिये ऐसी पूरी प्रक्रिया तीन बार दोहराइये आपकी बीमारी जड़ से गायब हो जाएगी।
माताजी को होने वाली ऐंठन की समस्या शीघ्र ही दूर हो जाएगी...
सतीश जी आपकी माता जी की समस्या को देखा, मैं आपका कष्ट समझ सकता हूं। माताजी को पिछले उपचार के साथ ही निम्न दवाएं दें और आप यकीन मानिये कि मैंने इस छोटी सी दवा की दम पर खाट पर पड़े मरीजों को चला-फिरा ही नहीं बल्ल्कि दौड़ने लायक बना पाया है--
अश्वगंधा का चूर्ण एक छोटा चम्मच + एक छोटा चम्मच खांड(देसी शक्कर) मिला कर गर्म दूध से दें।
माताजी को होने वाली ऐंठन की समस्या शीघ्र ही दूर हो जाएगी। लहसुन और लाल सूखी मिर्च को सरसों के तेल में पका कर मालिश करें तो शीघ्र आराम आयेगा।
शनिवार, मई 24, 2008
हस्तमैथुन छोड़ना चाहता हूं.....
भाईसाहब,आपका मेरे ऊपर तो विश्वास है लेकिन खुद के ऊपर विश्वास क्या बिलकुल समाप्त हो चुका है कि यदि मैंने कहा कि ये करो और ये मत करो तो वो ब्रह्मवाक्य हो जाएगा। सच तो ये है कि आपकी बुरी आदत शरीर से न जुड़ी हो कर मन से जुड़ी है। लेकिन यदि आपकी स्थिति ऐसी है कि आप इतने गहरे अपराधबोध से ग्रस्त हैं तो मैं जरुर आपका साथ दूंगा। आप पहले तो इस बात को सोचना बिलकुल बंद करिये कि आप जो कर रहे हैं वह आपके शरीर के लिये इतना भयंकर है कि आप मौत के मुंह में चले जाएंगे। लीजिये आपकी देह में उपजती झूठी कामचेतना को समाप्त करते हैं और आप निम औषधियों का सेवन करें - -
१ . धनिया पाउडर जो कि सब्जी-भाजी में डाला जाता है जिसे कि तमाम कम्पनियां बना कर पैकेट बंद कर के बेचती हैं, इस धनिया पाउडर को सौ ग्राम लेकर उसमें दस ग्राम कपुर और सौ ग्राम ही मिश्री मिला दीजिये और दिन में तीन बार आधा-आधा चम्मच पानी से सेवन करें।
२ . त्रिबंग भस्म एक रत्ती एक चम्मच मलाई के साथ दिन में दो बार सेवन करें।
पूजा-पाठ तथा व्यायाम पर ध्यान लगाएं, एकांत से बचें,अश्लील चिन्तन व ऐसे घासलेटी साहित्यादि से परहेज करें ये आपके लिये मीठे जहर से कम नहीं हैं। आप अगर मन में पक्का इरादा कर लें तो फिर आपको कोई भी उस ओर नहीं ले जा सकता क्योंकि शरीर आपका है और इसका नुकसान तो आपको ही भुगतना होगा। संगीत आदि में रुचि लीजिये। विवाह के लिए प्रयत्न करिये। ईश्वर आपके साथ है। आप जिस किसी भी व्यक्ति जैसे आपकी माताजी या गुरूजी को आदरणीय मानते हों बस मन में ये भावना रखिये कि वे चौबीसों घंटे आपको देख रहे हैं।
आंखो के सामने जाल और कीड़े जैसे चित्र बनने का आभास होता है...
मनोज भाई,आपकी आंखों की समस्या को चिकित्सक ने ऐसे कैसे कह दिया कि कुछ नहीं है। ये एक भयंकर लापरवाही की निशानी है। आप की समस्या को आपसे निवेदन है कि जरा विस्तार से बताइये ताकि समझा जा सके कि वास्तव में आपको भ्रम हो रहा है या नजरों में दोष उत्पन्न हो रहा है क्योंकि जितना कम्प्यूटर के सामने आप बैठते हैं उससे कहीं बहुत ज्यादा तो बहुत से लोग बैठते हैं किन्तु ऐसे कीड़े आदि का अहसास होना नहीं होता लेकिन आपकी इस समस्या पर तत्काल ही अवरोध लगाने के लिये आप निम्न औषधि का प्रयोग करें--
१ . षड्बिन्दु तेल दोनो नासिका छिद्रों में तीन-तीन बूंद तथा तीन-तीन बूंद दोनो कानो में डालिये और दवा डालने के बाद कम से कम आधा घंटा विश्राम करिये।
इस उपचार को लगातार जारी रखिये और विश्वास रखिये कि आपकी समस्या थम जाएगी और आगे मुझे जरा स्पष्ट करके सूचित करें ताकि आपको अविलंब ही उपचार सुझाया जा सके। धन्यवाद
दोनो अंडकोषों में तीन या चार गुना अंतर है...
manoj kumar
मनोज भाई,आपकी समस्या पुरानी है किन्तु निराश न हों। जैसा कि आपने बताया कि आप चंद्रप्रभा वटी और वृद्धिबाधिका बटी ले लेने से आपको आराम आ जाता है किन्तु उसी अवस्था में रह जाता है। दोनो अंडकोषों में तीन या चार गुना अंतर परेशानी पैदा करता है स्वाभाविक सी बात है कि यदि दर्द न भी हो तब भी ये एक परेशानी वाली बात है। आप के लिये जो उपचार लिख रहा हूं वह आप नियमित रूप से न्यूनतम छह माह तक लें और विश्वास रखिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी--
१ . वृद्धिबाधिका बटी एक गोली + वृद्धिहर रस एक गोली सुबह शाम शहद के साथ लीजिये।
२ . छोटी हरड़ को एक दिन गोमूत्र में भिगो कर रखिये बाद में सुखा कर एरण्ड(रेंडी) के तेल में भून लीजिये व पीस कर चूर्ण बना कर चौथाई भाग सेंधा नमक मिला लीजिये। इस योग को पांच ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म जल से लीजिये।
३ . रात को सोते समय १०० ग्राम ताजे इमली के पत्ते लेकर किसी मिट्टी के बर्तन में रखें और इसमें इतना गोमूत्र डालें कि सारी पत्तियां डूब जाएं। फिर इसे आग पर पकाएं जब गोमूत्र कम हो जाएफिर उतना ही गोमूत्र डालें व पकाएं ऐसा चार बार करें। ध्यान दीजिये कि यदि अंडकोष कद्दू की तरह से भी भारी हों तो इस योग से समस्या समाप्त हो जाती है ऐसी स्थिति में बर्तन से उठती भाप से सेंक लीजिये। जब योग पूरा हो जाए तो उसे हलका सा गर्म ही अंडकोष पर बांधें। इस योग में कदाचित आप को अड़चन हो सकती है किन्तु यदि आप आपरेशन से बचना चाहते हैं तो ये बेहतरीन उपाय है।
मूत्र के साथ PUS CELLS आ रहे हैं....
ओमप्रकाश उपाध्ये,संगमनेर
ओमप्रकाश जी, आपकी समस्या देखने पर लगता है कि आप एंण्टीबायोटिक दवाओं का पूर्व में कोई बुरा अनुभव रखते हैं। इस कारण एंण्टीबायोटिक दवाओं से बचना चाहते हैं। ठीक है आपके अनुसार आपको आयुर्वेदिक औषधि बता रहा हूं जो कि न सिर्फ़ आपकी तकलीफ़ को समाप्त करेगी अपितु मूत्र से पस-सेल्स आने के कारण का भी निर्मूलन करेगी--
१ . कबाब चीनी + रेवन्दचीनी + मुलहठी + सफेद जीरा + कलमी शोरा ये सब अलग-अलग दस-दस ग्राम तथा इस में पिसी हुई मिश्री ३० ग्राम मिला लीजिये। इस पूरे मिश्रण को कस कर मिला लीजिये और पांच ग्राम की मात्रा का सेवन गाय के कच्चे दूध की लस्सी साथ सुबह खाली पेट सेवन कराएं। आपकी समस्या आश्चर्यजनक रूप से सप्ताह भर में निर्मूल हो जाएगी लेकिन सावधानी के तौर पर न्यूनतम पंद्रह दिन दवा लीजिये।
शुक्रवार, मई 23, 2008
लोग मुझे अजीब सी हिकारत भरी नजरो से देखने लगते हैं
Thanks and Regards
Punit Omar, Pune
Email: pomar@techmahindra.com
पुनीत जी, आपकी समस्या को देखा और समझा। आप यकीन करिये कि आप किसी गम्भीर समस्या से तो हरगिज़ ग्रस्त नहीं हैं बस आपको अब तक दुर्भाग्यवश सही उपचार और सलाह नहीं मिले। आपकी समस्या त्वचान्तर्गत पित्त से संबद्ध है। इस तरह से होने वाले लक्षणों का कारण पित्त का कोप ही होता है। आप एलर्जी वगैरह के भ्रम में अगर पड़ गये तो सारी जिंदगी उसी में उलझे रहेंगे। आपकी समस्या कोई ऐसी नहीं है कि जो अन्य किसी को संक्रमित कर सके ,क्या आप एकदम ही जाहिल किस्म के लोगों की संगति में हैं? जो लोग आप से कतराते हैं उन्हें आप खुद ही छोड़ दीजिये क्योंकि ऐसे लोग जो आपका मुसीबत में साथ छोड़ दें उनसे दूर हो जाना ही हितकर होता है। लीजिये आपकी समस्या का समाधान प्रस्तुत है --
१ . सूतशेखर रस एक गोली + कामदुधा रस एक गोली दिन में दो बार भोजन करने के बाद शीतल जल से लीजिये।
२ . गिलोय सत्त्व दस ग्राम + प्रवाल पिष्टी दस ग्राम मिला लीजिये और इस मिश्रण में से २५० मिग्रा. औषधि दिन में दो बार खस के शर्बत या शर्बत रूह अफ़जाह(डाबर) के साथ लीजिये।
इस उपचार को दो माह तक लीजिये और आप अपने भोजन में मिर्च-मसाले का प्रयोग बंद कर दीजिये यही चीजें आपको नुकसान कर रही हैं। चायनीज व्यंजनों और बाजारू सौफ़्ट ड्रिंक्स से भी सख्त परहेज रखिये वरना दवा करने का कोई लाभ न होगा और बीमारी फिर लौट आयेगी। मांसाहार जब तक औषधि सेवन करें बंद कर दीजिये, सिगरेट आदि धूम्रपान से भी बचें।
गुरुवार, मई 22, 2008
ऐसे चकत्ते उभर आते हैं जैसे कि चींटी ने काट लिया हो....
मोहर सिंह,दादरी
सिंह साहब,आपकी समस्या को देखा और अच्छी तरह से समझा। आपको स्पष्ट करना था कि शीतपित्त नामक बीमारी का सर्दी के मौसम से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि ये शरीर में खान-पान या विहार की गड़बड़ी के कारण धातुतिक्ति(HISTAMINE) नामक तत्त्व उत्पंन हो जाता है जिसके कारण त्वचा पर इस तरह के खुजली और जलन लिये चकत्ते उत्पंन हो जाते हैं लीजिये आपके लिये उपचार प्रस्तुत है-
१ . सर्पगन्धा का बारीक कपड़े से छना हुआ चूर्ण ५ ग्राम + मुक्ताशुक्ति भस्म ५ ग्राम इन दोनो को मिला कर घोंट लीजिये एवं एकसार हो जाने पर २५० मिग्रा. की मात्रा दिन में तीन बार जल से दीजिये।
२ . हरिद्राखण्ड नामक औषधि एक चम्मच दिन में दो बार चटाइये और जल पिला दीजिये।
आप यकीन मानिये एक सप्ताह तक दवा सेवन कर लेने के बाद आपको इस बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा और फिर शायद ही कभी जीवन में दुबारा हो।
मंगलवार, मई 20, 2008
Left Ovarian Tumor, enlarged polycystic right ovary and.......
आत्मन बंधु वर्मा जी, सर्वप्रथम तो आपका धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने मुझे इस योग्य माना कि सलाह ले सकें। किन्तु एक बात का क्षोभ भी मन में होता है कि आयुर्वेद और हिन्दी को अभी भी आप जैसे विद्वान लोग दोयम दर्जे का मानते हैं किन्तु जब एलोपैथी से मन भर जाता है या व्यर्थ धन व्यय करके भी लाभ नहीं होता तब लोग हार कर आयुर्वेद या होम्योपैथी की शरण में आते हैं। बात बस इतनी है कि जो लोग व्यवसायिक बुद्धि रखते हैं चाहे वो एलोपैथ हों या आयुर्वेद अथवा किसी अन्य चिकित्सा पद्धति से उपचार करने वाले, आप जैसे दुखी और परेशान लोग उनके लिये मात्र ग्राहक से अधिक कुछ नहीं होते उन्हें आपका दर्द अपने लाभ का केन्द्र नजर आता है। मैं आपके सामने आयुर्वेद की महिमा का बखान करके कुछ सिद्ध नहीं करना चाहता लेकिन इतना स्पष्ट करना चाहता हूं कि आधुनिक तरीकों से आयुर्वेद को समझ पाना बचकाना प्रयास है। संभव है कि आपको इस बात का बुरा लग रहा हो कि उपचार के स्थान पर उपदेश दे रहा हूं। लीजिये आपकी पत्नी की समस्या का हल प्रस्तुत है।
१ . सर्वेश्वर पर्पटी ६ ग्राम + शुद्ध बर्किया हरताल ६ ग्राम + स्वर्ण भस्म ६ ग्राम + अभ्रक भस्म(सहस्त्रपुटी) ६ ग्राम + मुक्ता पिष्टी ६ ग्राम + हीरा भस्म २५० मिली ग्राम + पन्ना पिष्टी ३ ग्राम + गिलोय सत्व ६० ग्राम इन सभी औषधियों को भली प्रकासे से घोंट लीजिये व सहजन(Drumstick) की छाल के रस को इसमें मिला कर २५० मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इस गोली को एक-एक गोली दिन में दो बार शहद के साथ दें व ऊपर से तीन चम्मच सहजन की छाल का रस पिला दिया करें।
२ . रस माणिक्य १२० मिग्रा. + आरोग्यवर्धिनी बटी १२० मिग्रा + पंचामृत रस १२० मिग्रा मिला कर शहद के साथ दिन में दो बार दें।
३. पंचतिक्त घृत गुग्गुलु दो दो गोली दिन में तीन बार गर्म दूध से दें।
४ . विषतिन्दुक बटी दो गोली + रस पर्पटी ५०० मिग्रा. + सोंठ ५०० मिग्रा. + कालीमिर्च ५०० मिग्रा. + मीठा विष(इसे बछनाग या वत्सनाभ नाम से भी जाना जाता है)५०० मिग्रा. + अजवाइन ५०० मिग्रा. + छोटी(लेंडी) पीपर ५०० मिग्रा. बारीक पीस कर पोस्त डोडा के काढे को मिला कर २५० मिग्रा. की गोलियां बना लें व एक-एक गोली दिन में दो बार गुनगुने जल से दें।
इस उपचार को छह माह तक जारी रखिये व अपने संतुष्टि व लाभ की पुष्टि के लिये पुनः टैस्ट करवा लें। ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी पत्नी शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो जाएं। खट्टे व चटपटे आहार से परहेज़ कराएं।
अस्थमा का अटैक आया था अब डेढ़ साल बाद खून की उल्टी हुई है...
mera dost ko aj se kareeb 5 sall pahle achanak asthama ka attk aya ta doctor ne kha ki tumko ellegry ho gai hi magar kabi kabi saas lene me dickat hoti thi lakin uske 1.5 sal bad achanak ak din usko khon ki palti suru ho gai doctor ne kha ki uska ek walw kharab ho gya hi laki usne apration nai karaya magar vo aj bhi sahi hi kawal usko mausam badale per hi dikkat hoti hi aur body me improve ment nai ho raha hi wah apration nai karana chahta hi so please ko ayurvadic tarika batay jisse me usko bata saku thank u krapya kar ke mujhi ese mail i.d. per nivard mail kar de.
thank u
vikash
विकास जी,आपके मित्र की समस्या को समझने का प्रयत्न किया और इस नतीजे पर आया हूं कि उनको कॊई विशेष चिन्ता की बात नहीं है। व्यवसायिक चिकित्सकों द्वारा "हार्ट वाल्व" खराब कह दिया जाना अक्सर उनके धंधे का टोटका होता है ताकि इसी बहाने से आपके हजारों रुपए के टैस्ट कराए जा सकें क्योंकि उनका पैथोलाजिस्ट से भी कमीशन रहता है। आप बेफ़िक्र हो कर अपने मित्र को निम्न औषधियां दें और यकीन रखिये कि आपका मित्र शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएगा---
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + श्वांसकुठार रस एक गोली वासारिष्ट के दो ढक्कन के साथ सुबह-शाम दीजिये, दवा खाली पेट न दें कुछ नाश्ता या भोजन के बाद ही दें।
२ .शुद्ध शिलाजीत आधा ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ दीजिये।
३ . अर्जुनारिष्ट दो ढक्कन दिन में दो बार बराबर जल के साथ दीजिये।
ये उपचार दो माह तक दीजिये। मांसाहार दो माह के लिये बंद कर दें। अंडे भी न खाएं तो हितकर होगा।
दायें अंडकोष में सूजन और दर्द
अनिल भाई,आपकी समस्या को गौर से देखा विस्तार से लिखा इसके लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूं। आपकी समस्या कोई बहुत बड़ी या लाइलाज तो है नहीं बस होता यह है कि अनियमित दिनचर्या और आचरण के कारण रुग्ण्ता उपजती है। आपको एक बात बहुत ही स्पष्टता से बता देना चाहता हूं कि चाहे आपने कितने भी तथ्यों और तर्कों से अपने आपको हस्थमैथुन के पक्ष में समझा रखा हो और मन को ये बता-जता कर कि ये तो एक सहज साधारण क्रिया है किन्तु आपके लिये ये बेहद हानिकारक है। शेष निर्णय आपको लेना है। आप उस इत्र का व्यवसाय करने वाले को क्या कहेंगे जो कि लाखों फूलों का इत्र खींच कर नाली में बहा दे? मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं क्योंकि सबके पास तर्क हैं पक्ष और विपक्ष में। जैसी इस समय आपकी स्थिति है ये ठीक वैसी ही है जैसा कि घायल घोड़ा हो और आप उसे चाबुक मार मार कर दौड़ाएं, आप हस्थमैथुन से उस समय तो अपनी कामेच्छा पूर्ण कर लेते हैं लेकिन भविष्य के बारे में क्या फिर जीवन भर डाक्टरों के भरोसे ही रहने का इरादा बनाया हुआ है। इससे अधिक समझाना व्यर्थ है आप अपना भला बुरा स्वयं समझते हैं। इन औषधियों को न्यूनतम चार माह तक नियमित सेवन करें आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी---
१ . वृद्धिबाधिका बटी दो -दो गोली + शूल वर्जिणी बटी एक गोली दिन में दो बार नाश्ते और रात्रि के भोजन के बाद जल से लीजिये।
२ . गोक्षुरादि गुग्गुलु दो गोली + लोकनाथ रस एक गोली + त्रिबंग भस्म २५० मिग्रा. + शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा. + पुनर्नवा मण्डूर २५० मिग्रा. इन सबको इसी अनुपात में मिला कर एक खुराक बनाएं। इस खुराक को दिन में तीन बार हलके गर्म जल से लीजिये।
३ . शोथहर गुटिका को पत्थर पर दिन एक बार घिस कर लेप करे और लंगोट को कस न बांधें। रात्रि को सोते समय महानारायण तेल लगा कर सोएं व यदि संभव हो तो हल्का सा सेंक लिया करें इससे शीघ्र लाभ होगा किन्तु ध्यान रहे कि सेंक हलकी आंच की हो तेज आंच आपको भयंकर हानि पहुंचाएगी।
तेज़ मिर्च-मसालेदार भोजन तथा खट्टे पदार्थों से परहेज़ करना हितकर है। आप शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो जाएं व सुखपूर्वक विवाहित जीवन के दायित्त्वों का निर्वाह करें ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।
सोमवार, मई 19, 2008
नाक से कभी भी रक्त आने लगता है व लैट्रिन करते समय भी खून दिखा...
जय सिंह राजपूत,ओरछा
जयसिंह जी, आप इस बात से परेशान न हों आपको हुई बीमारी वाकई कोई गम्भीर बीमारी नहीं है पर गम्भीरता तब बढ़ सकती थी जब आप इसे अनदेखा कर देते। आपकी बीमारी को आयुर्वेद की भाषा में "रक्तपित्त" कहते हैं। आप अपने भोजन में सुधार करिये और मांसाहार बंद कर के शाकाहार अपनाइये वरना उपचार व्यर्थ हो जाएगा। मिर्च-मसालेदार भोजन से सख्त परहेज़ रखें। निम्न उपचार लीजिये--
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + प्रवाल पिष्टी २ रत्ती + रक्तपित्तांतक रस २ रत्ती + शुभ्रा भस्म २ रत्ती; इन सब को मिला कर एक खुराक बनाएं और दिन में तीन बार शहद और मिश्री के मिश्रण के संग सेवन करें।
२ . खस का शर्बत लाकर रखिये और दिन में जब ज्यादा प्यास लगे तो आधा-आधा गिलास इस शर्बत को हल्का-हल्का घूंट भर कर पीजिये।
३ . कामदुधा रस एक गोली दिन में दो बार वासारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
इस उपचार को एक माह तक जारी रखिये। आप पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे घबराइये मत।
रविवार, मई 18, 2008
बच्चा नींद में दांतो को रगड़ कर अजीब सी किचकिच की आवाज निकालता रहता है
सलोनी रंगनायकी,इलाहाबाद
सलोनी बहन, आपके पति का अनुमान सही है। आपका बच्चा पेट के कीड़ो के कारण ही दांतो को किटकिटाता है और साथ ही मलद्वार को खुजाना भी क्रिमिरोग का ही एक बड़ा लक्षण है। आप परेशान न हों ये कोई गम्भीर बीमारी नहीं है। बच्चे को मधुर आहार जब तक दवा दें बंद करना ही बेहतर रहेगा। बच्चे को निम्न दवाएं दें--
१ . क्रिमिकुठार रस १ गोली दिन में दो बार धतूरे के पत्तों के दो बूंद रस के साथ दो चाय के चम्मच शहद मिला कर दें। याद रखिये धतूरा यदि अधिक मात्रा में पेट में चला जाए तो विषाक्तता के लक्षण दिखाता है अतः इसमें मात्रा का विशेष ध्यान रखिये कि यदि बच्चा पांच साल से नीचे है तो उसे धतूरे के रस के साथ न दे कर बस मात्र शहद से ही दें और पांच से आठ साल तक के बच्चों को एक बूंद रस तथा आठ साल से चौदह साल तक के बच्चों को दो बूंद रस दें। ये दवा मात्र तीन दिन ही देना है फिर बंद कर दीजिये।
२ . पहली दवा देने के तीन दिन के बाद रात को सोते समय एक चम्मच पंचसकार चूर्ण गर्म जल से दें।
३ . विडंगादि चूर्ण एक एक चम्मच दिन में एक बार दोपहर में भोजन के पहले गर्म जल से सेवन करायें।
४ . क्रिमिघातिनी गुटिका एक-एक गोली सुबह-शाम पानी से दिया करें। इस दवा को एक सप्ताह तक दें और फिर बंद कर दें।
बच्चे की भोजन की स्वच्छता आदि पर ध्यान दीजिये बस आपका बच्चा पंद्रह दिनो में सामान्य हो जाएगा।
शनिवार, मई 17, 2008
यह ब्रेन ट्यूमर की समस्या तो नहीं है ????
प्रिया,नोएडा
प्रिया बहन, आपने ज्यादा बात अपने दर्द के बारे में नहीं बता पायी है कि किस समय बढ़्ता है या किस समय अपने आप कम हो जाता है अथवा क्या इस दर्द के साथ आपको उल्टी जैसा भी महसूस होता है, मासिक धर्म सामान्य है अथवा नहीं, क्या पूर्वकाल में भीषण जुकाम सर्दी हुई थी। आपको क्या किसी ने ब्रेन ट्यूमर के बारे में कहा है या ये मात्र आपका ही विचार है? क्या किसी कारणवश विशेष चिन्ता है या मानसिक श्रम करना पड़ता है या रात्रि जागरण करना पड़ता है? कितने समय से इस तरह का दर्द हो रहा है? कील ठोंकने जैसा दर्द होता है या कुछ विशेष अनुभूति होती है? आप परेशान न हों फिलहाल तो मुझे ऐसा नहीं प्रतीत हो रहा कि आपको ब्रेन ट्यूमर जैसी कोई समस्या है ये महज आपका भ्रम है, मेरे अनुसार आप "अर्धावभेदक" नामक शिरोरोग से पीड़ित हैं। आप निम्न उपचार लीजिये और दिन में सोना सर्वथा बंद कर दें तथा अत्यधिक पति संसर्ग से भी बचें --
१ . त्रिफला चूर्ण ३० ग्राम + चिरायता १० ग्राम + हल्दी १० ग्राम + नीम की छाल १० ग्राम + गिलोय(गुडूची या गुरिच) १० ग्राम लेकर गुड़ मिला कर काढ़ा बनाएं यानि चाय की तरह से पका लें और सुबह शाम इसका हलके गर्म-गर्म ही आधा कप सेवन करें।
२ . गूलर(ऊमर या उम्बर) के फलों को पीस कर सिर पर मोटा सा लेप दिन में कई बार करा करें
३ . महालक्ष्मीविलास रस एक-एक गोली सुबह शाम दूध के साथ दीजिये। खाली पेट न दें।
४ . गोदन्ती भस्म २५० मिग्रा. + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा. + छोटी इलायची के पीसे हुए बीज १२५ मिग्रा मिला कर एक मात्रा बनाएं तथा इस दवा को सुबह ही सूरज निकलने से पहले ही ६० ग्राम दही के साथ खा लें था ऐसा रोज सुबह तीन दिन तक लगातार करें फिर बंद कर दें।
५ . षड्बिन्दु तेल की छ्ह बूंदे दोनो नासिका छिद्रों में तथा कानों में तीन-तीन बूंदे सुबह शाम डाला करें।
इस उपचार को दो माह तक जारी रखें। मांसाहार त्याग दें। अवश्य लाभ होगा चिन्ता न करें।
skin specialist called it as vitiligo यानि कि त्वचा पर सफेद दाग.....
sir,my son is 6 yr old .for the last 4 months white round circles/patch/spot are found on his face,body.his lip has changed towhite.consulted skin specialist,called it as vitiligo,not much benefitis recd. few more spots are developing.please give the proper remedy.iam very much worried.
Beena Tompe
बीना बहन, आपके बच्चे की समस्या को गहराई से समझा और आपको भी बताना चाहता हूं जो कि आपके चिकित्सक ने बताया है कि इस बीमारी का नाम अमुक है। यह मात्र एक त्वचा रोग है जो कि पीड़ादायक तो नहीं होता किन्तु सोन्दर्यनाशक अवश्य होता है। इसलिये माता पिता तथा स्वयं रोगी भी अत्यंत चिंतित रहते हैं। Vitiligo नाम से बताई गयी बीमारी में त्वचा के पिगमेंट यानि रंगत देने वाली कोशिकाओं का नाश होने लगता है और इससे चेहरा,नासिका, गुप्तांग, नेत्रगोलक का अंदरूनी भाग तथा बाल प्रभावित हो सकते हैं। आपके बच्चे को होने वाली समस्या के अनेक कारण हो सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि ये बीमारी कोई असाध्य रोग हो, इसलिये आप चिन्ता न करते हुए धैर्य रखें बच्चा ठीक हो जाएगा। इस रोग के निवारण के लिए सर्वप्रथम रोगी का पेट साफ कराना तथा शोधन करना अनिवार्य होता है वरना कोई भी उपचार उचित लाभ नहीं देता है। अतः बच्चे को प्रारंभ में दस्त कराने की दवा बताउंगा इससे जुलाब होने पर आप घबराएं नहीं ये बस उपचार का हिस्सा है।
१ . इच्छाभेदी रस की आधी गोली रात को पानी दें लेकिन उससे पहले दिन में मूंग की दाल की खिचड़ी गाय का घी मिला कर खिलाएं। तीन दिन तक।
२ . गंधक रसायन २५० मिग्रा. + स्वर्णमाक्षिक भस्म १२५ मिग्रा. + गिलोय सत्व २५० मिग्रा. मिला कर शहद के साथ दो बार दीजिये। सुबह नाश्ते के बाद।
३ . आरोग्यवर्धिनी बटी दो गोली + तालकेश्वर रस एक गोली + प्रवाल पिष्टी १२५ मिग्रा. + रस माणिक्य बारीक घोंटा हुआ १२५ मिग्रा + बाकुची चूर्ण एक ग्राम + एक ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला कर एक खुराक बनाएं तथा मंजिष्ठादि कषाय + खदिरारिष्ट के दो ढक्कन दवा से साथ में मिला कर पेस्ट जैसा बना लें व दिन में दो बार भोजन के बाद दें।
४ . सोने से आधे घंटे पहले महातिक्त घृत + सोमराजी घृत समान मात्रा में मिला कर एक चम्मच दूध के साथ दें।
५ . दिन में तीन बार चालमोगरा तेल + पंचतिक्त घृत + नीम का तेल + बाकुची का तेल बराबर मात्रा में मिला कर लगाएं।
एक बात का ध्यान रखिये कि यह एक जिद्दी किस्म का रोग है इसलिये अधीरता से लाभ नहीं होता है, न्यूनतम एक से दो साल तक औषधियां देना लाभप्रद होगा। तीखे भोजन से परहेज कराएं तथा चायनीज व्यंजन आदि बंद कर दें।
My son is suffering sweating in hand and feet & low weight ( under weight).
please advice me diet also.
reply in hindi
Thanks with regards,
नोएडा पावर,उत्तर प्रदेश
भाईसाहब, आपके बच्चे की समस्या को ध्यान से देखा। आपको बताना चाहता हूं कि हमारे डा.रूपेश श्रीवास्तव आपको मात्र आयुर्वेद का उपाय बताते हैं, होम्योपैथी उनका क्षेत्र नहीं है। आपने एक बात लिखा है कि बच्चे को पीडियाट्रिशियन ने देखा और नार्मल बताया है। क्या आपको उसकी बात पर विश्वास नहीं हो पा रहा है? एक बात स्पष्ट करना चाहता था कि हर व्यक्ति को उसका बच्चा कमजोर ही दिखता है, शरीर की काठी यदि दुबली पतली है तो ये बात चिन्ता का विषय तो हरगिज़ नहीं होना चाहिये बशर्ते कोई बीमारी या असामान्य लक्षण न दिखाई दे। यदि आपके बच्चे को पसीना आने की समस्या अधिक है व आपको वजन कम प्रतीत होता है तो सर्वप्रथम देख लीजिये कि आप उसे जो कुछ भी पौष्टिक से पौष्टिक पदार्थ खाने को दे रहे हैं चाहे वह केला और दूध हो या अन्य कुछ भी वह उसे पच रहा है या नहीं। लीजिये आपके कहे अनुसार समाधान प्रस्तुत है...
१ . आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली दोपहर भोजन के बाद पुनर्नवारिष्ट के एक चम्मच से साथ निगलवाएं।
२ . स्नान करने के लिये साबुन के स्थान पर मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करवाएं।
३ . अश्वगंधादि चूर्ण आधा चम्मच अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार दें।
४ . अग्नितुण्डी बटी दिन में दो बार एक गोली गर्म जल से दें।
बच्चे की सारी समस्याएं समाप्त हो जाने के बाद भी आप उसे अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच दिन में दो बार सामान्य पुष्टिकारक पेय के तौर पर दे सकते हैं। भोजन में तेज मिर्च मसालेदार भोजन न दें, बाजारू खाद्य पदार्थों का परहेज़ कराएं तथा बाजार में बिकने वाले साफ़्टड्रिन्क व चाकलेट विशेष तौर पर न दें बाकी सामान्य आहार दीजिए।
शुक्रवार, मई 16, 2008
I am suffering from Gilberts syndrome ( hyper bilirubinemia) and LEFT VENTRICULAR HYPERTROPHY
my age is 33 y, male, weight 67 kg, hight 175 cm. I am suffering from gilberts syndrome ( hyper bilirubinemia) which is constant 2.4 mg from last 5 years. colour of urine, skin , eye is light yellow. i am feeling some pain and swelling at right side of liver portion AND I AM TAKING NORMAL DITE. Gastroentrologist doctor said you are ok but i request you, pl advise me for some medicine.
After ECG test doctor said you are suffering from LEFT VENTRICULAR HYPERTROPHY , my BP was 140/90 always from long time 5 years approx but this time i am taking Cardiopril 2.5 mg cap. one cap daily then my BP is normal. when stop cardiopril , I feel weakness, headache, pain left side solder, angryness, darkness fron of my eye ever time when passing urine and also feel chakkar at that time and problem in breathing after some hard work.
this time I am taking cardiopril but i want to stop alopathic medicine.
ERYTHROCYTE
5.7
4.5-5.5 ML/C.MM
MCH ( MEAN CORPUSCULAR HAEMOGLOBIN
26.3
27-32 PG
TLC
4200
4000-11000/ C.MM
LYMPHOCYTES
42
20-40 %
PLATELET
173000
150000 - 400000/CMM
MPV ( MEAN PLATELET VOLUME)
11
6.5 - 10.5 fl
PDW ( PLATELET DISTRIBUTION WIDTH)
14
6 - 11 fl
SUGAR FASTING
102
70- 105 MG%
SUGAR PP
130
90-160 MG %
SERUM BILIRUBIN TOTAL
2.11
DIRECT
0.48
INDIRECT
1.63
SGPT
39
-- Thanking you,M.gupta
गुप्ता साहब,आपने जिस तरह से अपनी बीमारी को बताया है उससे साफ पता चल रहा है कि आपके ऊपर एलोपैथी के तमामोतमाम प्रयोग करे जाते रहे हैं और आप पैथोलाजिस्ट्स और एलोपैथी के व्यवसायिक डाक्टरों के चंगुल में बुरी तरह से फंसे रहे हैं। आपके शरीर को इन लोगों ने दवाओं की प्रयोगशाला या ऐसा कहें कि गोदाम बना डाला है और आपकी मानसिक दशा ऐसी कर दी है कि कुछ भी हो तो आप विशेषज्ञ के पास भागते हैं। सच तो ये है कि आज जब मैंने चिकित्सा शास्त्र को इतना जान लिया है तो सीना ठोंक कर कह सकता हूं कि दवाएं तो मात्र आपके शरीर में आरोग्य के लिये दस प्रतिशत कार्य करती हैं बाकी कार्य आपका शरीर स्वयं करता है। अब मेहरबानी करके जो बता रहा हूं उन दवाओं को विश्वासपूर्वक लें और हर माह यकीन के लिये टैस्ट कराना बंद कर दें, देह में आरोग्य आप स्वयं महसूस कर सकते हैं उसके लिये किसी परीक्षण की जरूरत नहीं होती है।
मुझे आपको परहेज बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अनुमान लगा सकता हूं कि आपकी क्या हालत बना रखी है डाक्टरों ने मिलकर। अब जो औषधियां बता रहा हूं उन्हें नियम से लेना प्रारंभ करिये यकीन मानिये कि आप कुछ दिनों में खुद ही कह सकेंगे कि मैं स्वस्थ महसूस कर रहा हूं।
१ . कागजी नींबू का रस छह ग्राम + शहद छह ग्राम + छोटी पीपर का चूर्ण ५०० मिग्रा. + काली मिर्च का चूर्ण ५०० मिग्रा + सोंठ का चूर्ण ५०० मिग्रा ; इन सबको मिला कर दिन में तीन बार सेवन करें। खाली पेट न लें ,भोजन के आधे घंटे बाद ले सकते हैं।
२ . नवायस लौह दो गोली(५०० मिग्रा) + पुनर्नवा मंडूर ५०० मिग्रा + शंख भस्म २५० मिग्रा + आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली को एक साथ लेकर दो चम्मच पुनर्नवासव+ दो चम्मच कुमार्यासव मिला कर दिन में दो बार लें।
३ . भुनी हुई कुटकी का चूर्ण ५०० मिग्रा + ५०० मिग्रा मिश्री को गुनगुने जल से दिन में दो बार लें।
४ . हृदयार्णव रस एक गोली + प्रभाकर बटी एक गोली अर्जुनारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार लें।
५ . शुद्ध शिलाजीत आधा ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को लगातार तीन माह तक जारी रखिये और मुझे सूचित करिए। मात्र पंद्रह दिनों में ही आप अनुकूल परिवर्तन का अनुभव करने लगेंगे। cardiopril को पहले एक-एक दिन के अंतर पर खाएं फिर एक सप्ताह बाद दो-दो दिन के अंतर पर और इसी प्रकार तीसरे सप्ताह तीन दिन के अंतर पर और चौथे सप्ताह चार दिन के अंतर पर फिर बंद कर दें।
मुझे खूनी बवासीर है तथा गुदा में एक मस्सा भी है।
डाक्टर साहब नमस्ते,मेरी आयु २८ वर्ष है। डा.साहब जी मेरी परेशानी यह है कि मुझे खूनी बवासीर है तथा गुदा में एक मस्सा भी है। पेट में ज्यादातर कब्ज रहती है और मेरा पेट भी भारी होता जा रहा है। जब कब्ज हो जाती है तो पाखाना के समय काफी खून जाता है। अतः आपसे निवेदन है कि कोई अच्छी सी दवाई देने की कृपा करें। जिससे कि मुझे इस रोग से मुक्ति मिल जाए। मैं आपका सदा आभारी रहूंगा।
विपिन, उत्तर प्रदेश
विपिन भाई, मैं आपकी तकलीफ़ को भली प्रकार से समझ रहा हूं कि आप कितनी तकलीफ़ से गुजर रहे हैं। सच तो ये है कि आपकी मुख्य समस्या खूनी बवासीर न हो कर कब्जियत है और इसी के कारण आपको खूनी बवासीर हुई है। अब बेफिक्र हो जाइए क्योंकि अब न तो कब्ज की समस्या रहेगी और न ही बवासीर रहने वाली है; दर्द, मस्सा, खून जादू की तरह से गायब हो जाएगा बस आप इन दवाओं को नियम से लीजिये और दवा के सेवन के दौरान मिर्च-मसालेदार आहार, मांसाहार बंद कर दें व बाजारू भोजन से परहेज करें।
१ . रात्रि भोजन के बाद में एक चम्मच गंधर्व हरीतकी चूर्ण को गर्म जल से लें। ये नित्य प्रति पंद्रह दिन तक लें।
२ . सोलहवें दिन से इस दवा से स्थान पर इसी प्रकार से इतनी ही मात्रा में त्रिफ़ला चूर्ण लेना प्रारंभ करें और ऊपर बताई दवा बंद कर दें।
३ . इन्ही दवाओं के साथ ही दिन में तीन बार अर्शकुठार रस एक गोली + अर्शोघ्नी बटी एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लें।
४. नीम के तेल १०० मिली+ १० ग्राम पिपरमिंट + २० ग्राम कपूर मिला कर रख लें मिश्रित होने के बाद दो भाग कर लें एक भाग से एक-एक बूंद बताशे में भर कर दिन में तीन बार जल से लें तथा दूसरा भाग मल त्याग करने के बाद गुदा के प्रभावित स्थान पर लगाएं यदि कदाचित जलन हो तो उसे एक दो दिन सहन कर लीजिये फिर जलन न होगी।
५ . शुभ्रा भस्म आधा-आधा ग्राम दिन में तीन बार ठंडे दूध से लें ।
६. मेदोहर गुग्गुलु दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लें।
मेरा शरीर बहुत दुबला-पतला है,हीनभावना से ग्रसित हूं।
अतः आपसे नम्र निवेदन है कि आप जल्दी से जल्दी मेरा उपचार भेजने की कृपा करें। धन्यवाद
जयलता, ग्रेटर नोएडा(गौतम बुद्ध नगर)
जयलता बहन, मैंने आपकी समस्या को देखा किन्तु कुछ बातें यदि स्पष्ट हो जातीं तो मुझे आसानी होती जैसे कि क्या आप विवाहित हैं या अविवाहित? आप क्या करती हैं कुछ नौकरी या अध्ययन आदि? लिकोरिया की समस्या कितने समय से है? लिकोरिया में आने वाला स्राव किस तरह का है श्वेत या लाल,पतला स्राव है या गाढ़ा? शाकाहारी हैं या मांसाहारी? लेकिन कोई बात नहीं यदि आप इन बातों को बताने से रह भी गयी हैं तब भी आयुर्वेद के महासागर से आपके लिये औषधिरत्न लेकर आपको स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकता है। आप निम्न दवाएं नियमित रूप से लीजिये और तनिक भी चिन्ता न करिये बीमारिया यदि आती हैं तो ये बस आपके साथ हुई कुछ दैहिक या मानसिक अनियमितता का परिणाम होती हैं इनसे निराश न होकर बल्कि सुधार करके मुक्त हो जाना उचित है। आप यदि कोई कार्य कर लेती हैं तो उस पर पश्चाताप मत करिये। जिन बातों पर गुस्सा आया था उन पर विचार करिये कि हो सकता है आपका गुस्सा करना उचित रहा हो। इन औषधियों को कम से कम दो माह तक लीजिये और फिर हुए बदलाव मुझे सूचित अवश्य करें दवा के सेवन के दौरान मिर्च-मसालेदार आहार, मांसाहार बंद कर दें व बाजारू भोजन से परहेज करें।
१ . प्रदर हर लौह १ गोली + प्रदरान्तक रस १ गोली सुबह शाम दूध में शहद मिला कर लें।
२ . अशोकारिष्ट दो चम्मच दिन में दो बार भोजन करने के बाद लीजिये।
३ . अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार एक-एक चम्मच अश्वगंधादि चूर्ण भोजन के बाद लीजिये।
४ . सप्ताह में एक बार रात में खाने के बाद त्रिफला चूर्ण दो चम्मच गर्म जल से लीजिये ताकि कब्जियत न रहे और पेट साफ होता रहे।
इस प्रकार आप इस उपचार को दो माह लें और यदि आवश्यकता लगे तो आगे भी जारी रखिये कोई नुकसान नहीं होगा। आपकी चेहरे की झाईयां कहां गायब हो गयी लोगों को आश्चर्य होगा। विश्वास रखते हुये औषधि नियम से सेवन करें।
गुरुवार, मई 15, 2008
मेडिकल सांइस का इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है??????
सुभाष शर्मा
सुभाष जी,मुझे आश्चर्य है कि आपका E.C.G. हार्ट में शत-प्रतिशत ब्लाकेज बता रहा है लेकिन आप न सिर्फ जीवित हैं बल्कि स्वयं मुझसे सलाह मांग कर इलाज भी चाहते हैं। आप क्या इस मेडिकल सांइस के धोखे को अब तक समझ नहीं पाए कि यदि आपका शत-प्रतिशत ब्लाकेज है तो आप कितनी देर तक जीवित रह सकते हैं। दरअसल होता ये है कि व्यवसायिक चिकित्सा से जुड़े लोगों के घर का चूल्हा तो आपके ही धन से जलता है, जीवन में धन से पूरी करी जाने वाली सारी जरूरतें आप ही अपने पैसे से पूरी करते हैं। एक बात ये लोग समझते हैं कि यदि मरीज को डराया नहीं जाए तो उससे पैसा आसानी से निकाला नहीं जा सकता। इसलिये यदि ब्लाकेज है और आपको तकलीफ़ है तो शत-प्रतिशत ब्लाकेज बता देने में हर्ज़ ही क्या है मरीज सुनते ही डर जाएगा फिर उसे बाईपास सर्जरी के लिए राजी कर लिया जाएगा, ऐसे में आप कर्ज़ लें या चोरी करें उन्हें इस बात से कोई लेना-देना नहीं होता। जैसे किराने की दुकान पर विक्रेता तराजू में हेराफेरी करके कम सामान तौल कर आपसे ज्यादा पैसा ले लेता है ठीक वैसी ही सोच इन व्यवसायिक चिकित्सकों की होती है। ये भी पैथोलाजिकल टैस्ट्स में हेराफेरी करवा के मनमाने रिजल्ट्स निकलवा लेते हैं क्योंकि पैथोलाजिस्ट, कैमिस्ट और डाक्टर सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे तो हैं। आप बिलकुल मत डरिये और नीचे लिखे उपचार को नियम से एक साल तक लीजिये और स्वस्थ होने के बाद जिस चिकित्सक नें आपको ऐसा बताया है उसे दिखाइये ----
१ . अर्जुन की छाल का जवकुट यानि मोटा-मोटा चूर्ण ३ ग्राम व २५ ग्राम मिश्री लेकर २५० ग्राम दूध में उबालें और इसी दूध का प्रतिदिन प्रातः व सांयकाल सेवन करें।२ . अर्जुनारिष्ट + अश्वगंधारिष्ट दोनो को मिला कर दो चम्मच बराबर जल मिला कर दिन में दो बार भोजन के बाद लें।३ . अकीक पिष्टी १०० मिग्रा. + मुक्तापिष्टी १२५ मिग्रा. + जहरमोहरा पिष्टी २०० मिग्रा + अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण २५० मिग्रा. + प्रभाकर बटी २५० मिग्रा की एक गोली + सितोपलादि चूर्ण एक ग्राम ; इन सबको मिला कर कुल मात्रा की तीन बराबर पुड़िया बनाएं व दिन में तीन बार शहद के साथ सेवन कराएं, दवा को इसी अनुपात में बना कर रख लें व नियमित रूप से न्यूनतम छह माह सेवन कराएं यदि अधिक दिन भी सेवन कराया तो कोई नुकसान नहीं होगा। ये एकदम निरापद एवं हानिरहित उपचार हैं।
मंगलवार, मई 13, 2008
मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में बहुत तेज दर्द रहता है।
मेरी मम्मी बहुत परेशान हैं। मेरी मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में बहुत तेज दर्द रहता है। हाथ व पैरों की उंगलियां भी टेढ़ी हो गयी हैं। जिसके कारण उठने बैठने में बहुत परेशानी होती है । हमने बहुत इलाज करा लिया है लेकिन कहीं से भी कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। कोई डाक्टर कहते हैं कि गांठों में यूरिया जमा है और कोई डाक्टर कहते हैं कि गठिया बाय हैं। मेरी मम्मी पिछले पंद्रह साल से परेशान हैं उन्हें अंग्रेजी दवा बिलकुल सूट नहीं करती हैं । अतः आपसे निवेदन है कि आप मेरी मम्मी को आयुर्वेद की अच्छी भले ही मंहगी हो कोई दवा देने की कृपा करें। जिससे मेरी मम्मी को इस बीमारी से आपके द्वारा जीवनदान मिल सके। आपके इस अहसान से हम सदा आपके ऋणी रहेंगे। आपसे आशा है कि आप इस परेशानी में मेरा साथ जरूर देंगे। अपना फोन नं. बताने की कृपा करें। आपका सदा आभारी रहूंगा।
सतीश कुमार,नोएडा
सतीश जी माताजी के प्रति आपका गहरा प्रेम आजकल के समय में बच्चों में जरा कम ही देखने में आता है। आपकी माताजी की बीमारी पर बहुत सारे चिकित्सक तमाम दवाओं के प्रैक्टिकल कर चुके हैं और रोग जीर्ण हो चुका है किन्तु निराशा की बात नहीं है। आपको धैर्य रखना होगा। जिस प्रकार गंदे कपड़े पर रंग नहीं चढ़ता उसी तरह से बिना शरीर का शोधन करे उत्तम से उत्तम दवा भी अपना असर नहीं दिखा पाती है। आयुर्वेद की भाषा में आपकी माताजी को हुई बीमारी "आमवात" कहलाती है। सर्वप्रथम आपकी माताजी के शरीर का विधिवत शोधन किया जाए तब जाकर ऐसी स्थिति बनेगी कि उन्हें दवाएं असर करेंगी। इस लिये इस क्रम में उन्हें निम्न उपचार दें----
१ . निशोथ + सेंधा नमक + सोंठ बराबर मात्रा में मिला कर एक माशा चूर्ण कांजी(एक खट्टा सा पेय) के साथ दिन में दो बार दें, खाली पेट न दें। इससे उन्हें दस्त होंगे और देह में संचित विषपदार्थ मल के द्वारा निकल जाएंगे। दस्तों से घबराने की आवश्यकता नहीं है किन्तु यदि अधिक हों तो मात्रा कम कर दें।
इस चूर्ण को एक सप्ताह तक लेकर बंद कर दें इसके बाद नीचे लिखी दवा का तीन दिन बाद सेवन कराएं।
२ . एरण्ड तेल दो चम्मच + रास्नासप्तक क्वाथ दो चम्मच मिला कर दिन में दो बार दें । इसे भी खाली पेट न दें और एक सप्ताह तक देने के बाद बंद कर दें जैसे कि ऊपर की दवा बंद करी हैं।
३ . सोंठ १ तोला + गोखरू १ तोला मिला कर ३२ तोला जल में पकाएं और आठ तोला जल यानि कि एक-चौथाई रह जाने के बाद छान कर प्रतिदिन दो बार चार-चार तोला करके पिलाएं । ये रोज ताजा बनाएं। नाश्ते के बाद ही दें यानि खाली पेट दवा नहीं देना है।
४ . चित्रकादि बटी एक-एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से दें।
५ . वातारि गुग्गुलु एक गोली + आमवातारि रस दो गोली + महायोगराज गुग्गुलु दो गोली + वातगजांकुश रस एक गोली को रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दें।
६ . समीर गज केशरी रस एक गोली + अश्वगंधादि गुग्गुलु दो गोली दिन में तीन बार अदरख के रस तथा शहद को मिला कर निगलवाएं।
७ . विषगर्भ तेल से मालिश करवाएं और फिर ऊपर से कपड़ा लपेट दें ताकि हवा न लग पाए।
माताजी को गर्म जल, बाजरा, मूंग, जौ, करेला, परवल, तोरई, लहसुन,प्याज, हींग, सोंठ, गोमूत्र, मूली, एरण्ड का तेल, दूध का सेवन कराएं। गुड़ , अधिक जागना, बासी व गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली,मल-मूत्र के वेग को रोकना, उड़द का सेवन न करें। दवाओं का सेवन कम से कम छह मास से साल भर तक कराएं जल्दबाजी न करें।
मेरा फोन नं. है 09224496555
सोमवार, मई 12, 2008
बच्चा बिस्तर में पेशाब कर लेता है...
मेरे बच्चे की उम्र छह साल है। वो पूरी तरह से स्वस्थ है किन्तु समस्या ये है कि वह सोने पर बिस्तर में पेशाब कर लेता है, जबकि उसे रात को सोने से पहले पेशाब करवा कर सुलाती हूं। कई चिकित्सकों ने दवाएं दी है किन्तु बाद में वे ये ही कह कर दिलासा दे देते हैं कि बड़े होने पर ये समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। क्या वाकई कोई उपचार नहीं है और मुझे उसके कितने बड़े होने तक इंतजार करना होगा? यदि आयुर्वेद में कोई तरीका हो तो बताइये।
रचना भागवत,झांसी
रचना बहन,आपके बच्चे की समस्या कोई नयी समस्या नहीं है अक्सर बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं। इसे आयुर्वेद में कौमारचर्या के अंतर्गत एक रोग "शैय्यामूत्र" स्वीकारा गया है। ये सत्य है कि उम्र बढ़ने पर ये समस्या खत्म हो जाती है किन्तु कभी-कभी ये बच्चों में पंद्रह वर्ष तक देखा गया है। इसलिये आप प्रतीक्षा किये बिना धैर्यपूर्वक निम्न दवा को बना कर उसे सेवन कराएं और चमत्कार देखिये कि कैसे शीघ्र ही आपका बच्चा इस परेशानी से निकल आता है --
गूलर के पेड़ की भीतरी छाल ५० ग्राम + पीपल की छाल ५० ग्राम + अर्जुन की छाल ५० ग्राम + सोंठ ५० ग्राम + राई(मोहरी या काली सरसों) २५ ग्राम + काले तिल १०० ग्राम ; इन सबको मिला कर भली प्रकार से महीन कर लें। यदि संभव हो तो इसमें शिलाजीत ५० ग्राम मिला कर दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें। इससे बच्चे को दवा लेने में आसानी होगी साथ ही आपका बच्चा एकदम स्वस्थ और पुष्ट बना रहेगा।
रविवार, मई 11, 2008
गर्भाशय भ्रंश(Prolepse of Uterus)बताया गया है, मैं सर्जरी नहीं चाहती...
मुझे टैस्ट करने के बाद गर्भाशय भ्रंश यानि Prolepse of Uterus बताया गया है और कहा गया है कि इस बीमारी का सर्जरी के अलावा कोई उपचार नहीं है। मुझे सर्जरी कराने में डर लग रहा है और साथ ही ये बहुत मंहगा उपचार है। इसलिये आपसे निवेदन है कि आयुर्वेद का कोई उपाय बताएं ताकि सर्जरी न करानी पड़े और मैं सहज ही गर्भ धारण कर सकूं। बड़ी मेहरबानी होगी मैं जो धन सर्जरी में खर्च होने जा रहा है उसका आधा तो खुशी से दे सकती हूं।
प्रार्थना मेहता,झालावाड़
प्रार्थना बहन, आप बिलकुल चिंतामुक्त हो जाइए आपको सर्जरी कराने की आवश्यकता हरगिज़ न्हीं होगी बस मुझे थोड़ा सा समय उपचार के लिये दे दीजिये; रही बात कि आप मुझे धन देना चाहती हैं तो स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये सेवाकार्य है मैं किसी प्रकार का शुल्क नहीं स्वीकारता, हां यदि आप मां बनने के बाद अपने बच्चे के नाम से मेरे इस सेवा अभियान को जारी रखने के लिये कुछ दान करना चहें तो उसे सहर्ष स्वीकार सकता हूं,अग्रिम धन्यवाद। अब आपके लिये जो औषधि लिख रहा हूं उसके सारे घटक आपको आयुर्वेदिक दवाओं का कच्चा माल बेंचने वाले पंसारियों के पास से आराम से प्राप्त हो जाएगा----
१ . माजूफल + मुलायम सुपारी + बड़ी इलायची + कचूर + धाय के फूल + तज + छोटी हरड़ + फिटकरी + गुलाब के फूल + सुपारी का फूल + बड़ी हरड़ का बक्कल + गुड़मार ; इन सभी बारह वस्तुओं को पचास-पचास ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। एक साफ धोए हुए पतले मलमल के कपड़े में इस मिश्रित चूर्ण की २५ ग्राम मात्रा लेकर पतले डोरे से बांध कर योनि में स्थापित करें तथा तीन घन्टे बाद निकाल लें। इस प्रकार आप तीन माह तक करें और पति संसर्ग से परहेज करें। यकीन मानिये कि आपकी समस्या कहां गायब हो गयी ये चिकित्सकों को भी आश्चर्य लगेगा।
२ . सुपारी पाक एक-एक चम्मच सुबह शाम सेवन करें।
३ . अशोकारिष्ट दो-दो चम्मच दिन में तीन बार बराबर जल मिला कर लिया करें।
तैलीय,मिर्च-मसालेदार आहार से बचें। कोई वजन उठाने का कार्य भी न किया करें। प्राणायाम करना चाहें तो किसी योग्य आचार्य से सीख कर ही करें।
शनिवार, मई 10, 2008
कब्ज़ियत,बवासीर और गॉल ब्लैडर में १४ मिमी. पथरी है
अमित कुमार
अमित जी,आपने ये नहीं बताया कि आपको बवासीर में रक्त आता है या नहीं मस्से बाहर हैं अथवा नहीं किन्तु मैं आपको ऐसा उपचार बताता हूं जो कि हर परिस्थिति में कारगर रहेगा। आप पहले दो दिन आधा-आधा दिन का उपवास रखें यानि कि बस रात्रि में भोजन करें व दोपहर में फलों का रस अथवा नींबू पानी पीकर रहें। दो दिन बाद आप निम्न उपचार लेना प्रारम्भ करें..
१ . गंधर्व हरीतकी एक चम्मच गुनगुने पानी में घोल कर रात्रि भोजन के आधे घंटे बाद लें। इस दवा को यदि आज लिया है तो बीच में एक दिन छ्ड़ दें व अगले दिन लें यानि कि एक दिन का अवकाश देकर दवा पंद्रह दिन तक लें।
२ . नीम का तेल १०० मिली. ले लीजिये व उसमें २० ग्राम कपूर(जो हिन्दू लोग पूजा आदि में प्रयोग करते हैं) तथा १० ग्राम पिपरमिन्ट(जिसे पान में ठन्डक के लिये बहुत थोडी सी मात्रा में डाला जाता है); इस मिश्रण को एक कांच की शीशी में भर कर टाइट ढक्कन लगा कर धूप में एक दिन के लिये रख दीजिये और फिर इस दवा के दो बराबर भाग कर अलग-अलग शीशियों में भर लीजिये एक भाग को मलहम की तरह लगाने के लिये प्रयोग कीजिये और दूसरे भाग में से एक-एक बूंद दवा दिन में तीन बार एक चम्मच शक्कर में मिला कर खा लीजिये और ऊपर से पानी पी लीजिये।
३ . गोक्षुरादि गुग्गुलु २ गोली + लघु सूतशेखर रस २ गोली सुबह शाम जल के साथ एक माह तक सेवन करिये।
आपकी तीनो समस्याएं- कब्जियत, बवासीर और गॉल ब्लैडर स्टोन सब समाप्त हो जाएंगे। खाने में ध्यान रखिये कि पत्तेदार साग सेवन न करें साथ ही मिर्च-मसालेदार तैलीय भोजन से परहेज करें। जल अधिक पिया करें।
My husbend’s penis-foreskin not move a bit back and he is diabetic.......
thanks.
trisha_ash2001@yahoo.com
Dear sister Trisha, I think the term you are using "yeast" is for 'SMIGMA' .First of all he is a diabetic, it must be undercontrol and the next problem is foreskin of his organ is not moving back during intercourse; this is called "निरुद्ध प्रकश" in ayurved and a minor surgery like circumcision will solve this problem. This is not a big problem, please give him following medicines ----
1 . Aarogyavardhini bati (आरोग्यवर्धिनी बटी) three times a day after meals with luke warm water.
2 . Taalsindoor(ताल सिन्दूर) 5 graam + Gandhak rasaayan(गंधक रसायन) 15 graam + ras maanikya(रस माणिक्य) 10 gram ; make 60 equal doses of this mixture and give him with 2 tea spoonful of equal mixture of Saarivaadyaarishta + Mahamanjishthaadi kadha, two times a day after meals.
3. Basant kusumaakar ras one tab two times a day with water.
4 . Tribang bhasma 20 gram + powder of GUDMAAR LEAF 60 gram + powder of dried NEEM LEAF 60 gram + dried Shilajit 120 gram ; pond this mixture properly and make tabs of appx.500 Mg. take two tabs four times a day with two tea spoonful Aloe-Aamla juice.
These medicines must be taken at least for two months, avoid non-veg, oily and spicy foods.
शुक्रवार, मई 09, 2008
दांयी किडनी में ४-५ मिमी. की पथरी है
सतीश कुमार जी
सतीश भाई,पहले तो माफ़ी चाहता हूं कि आपको भाषा की समस्या में उलझा दिया लेकिन मेरी भी मजबूरी आप समझ सकते हैं कि मेरे पास समय का सर्वथा अभाव रहता है काम इतना अधिक हो जाता है। अब आपकी दवा आपको बताता हूं
१ . कलमी शोरा(ये आपको पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाने वाली चीज है जो देखने में दानेदार बारीक नमक जैसी दिखती है और स्वाद में नमकीन और ठंडी सी महसूस होती है)आधा- आधा ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेकर पुनर्नवादि कषाय के दो चम्मच के साथ ले लीजिये।
२ . यदि कलमी शोरा न मिले तो हजरुल यहूद भस्म को इसी तरह से सेवन करें, ये आपको आयुर्वेदिक दवा विक्रेता के पास से मिल जाएगी।
३ . एक वनस्पति जिसे लोग अजूबा,पानफुटी,पत्थर फोड़ी,दर्दमार या पर्णबीज नाम से जानते हैं अगर मिल जाती है तो उसके दो पत्ते पानी में उबाल कर सुबह शाम पीजिये आपकी पथरी कब घुल कर निकल गयी आपको पता ही नहीं चलेगा। इस पौधे के पत्तों में से किनारे से छोटे-छोटे नये पौधे निकल आते हैं इसे बगीचों में शोभा के लिये लगाया जाता है।
वैसे तो पहली दवा ही जादू कर देती है। मांस, मछली, अंडा, मिर्च-मसालेदार आहार से परहेज रखें, पानी ज्यादा पियें और हल्का भोजन किया करें,समय हो तो सुबह-शाम घूमा टहला करें। शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगें।
गुरुवार, मई 08, 2008
मेरा गुप्तांग बाहर निकल आता है........
डॉक्टर साहब, मैं बहुत दिनो तक इस समस्या को सहन करती रही कि मैं तो एक अकेली स्त्री हूं और पति का स्वर्गवास हुए चार वर्ष बीत चुके हैं और बच्चे बड़े हैं मेरी उम्र तैंतालीस साल है। मेरा गुप्तांग बाहर निकल आता है, गायनेकोलाजिस्ट को दिखाने पर उसने बताया कि ये एक प्रकार का योनि का पक्षाघात है। एलोपैथी में इसका कोई उपचार है भी नहीं और साथ ही मैं भी ये सोचती रही कि मुझे अब क्यों इस विषय में सोच कर परेशान होना चाहिये किन्तु अंग बाहर निकल आने से बड़ी तकलीफ़ होती है। कोई उपाय बताइये जो ज्यादा मंहगा न हो।
जयंती सलुजा,आगरा
जयंती बहन, आप परेशान न हों, सत्य है कि एलोपैथी में इस समस्या का कोई उपचार नहीं है। मैं आपकी समस्या को भली प्रकार समझ रहा हूं ये वाकई में एक प्रकार का पक्षाघात ही है। आपको एकदम सस्ता उपचार बता रहा हूं लेकिन मूल्य में सस्ता होने के बावजूद ये योग सोने से तौला जाने वाला है।
१ . काले तिल २० ग्राम + शोधित गंधक ४० ग्राम दोनो को बारीक पीस कर मिला लें और आवश्यकतानुसार शहद मिला कर चटनी जैसा अवलेह बना लें तथा एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार सेवन करें(नाश्ते और रात्रि को भोजन के बाद) ।
२ . भूनी हुई फिटकरी ६० ग्राम + माजुफल १२० ग्राम + पोस्तडोडा १० ग्राम(यदि मिल सके तो इसके स्थान पर दो ग्राम अफीम ले सकते हैं किन्तु ये कई स्थानो पर कानूनी अड़चन दे सकता है इसलिये न लेना ही बेहतर रहेगा) । मजबूत हाथों से इस मिश्रण को एकदम बारीक पीस लें। मासिक धर्म होने के बाद उक्त चूर्ण की दो ग्राम की मात्रा को एक मलमल के साफ कपड़े में पोटली बना कर नित्य स्नान करने के बाद योनि में एक सप्ताह तक रोज रखा करें तथा संध्या को पोटली निकाल दिया करें फिर एक सप्ताह के लिये इस उपचार को रोक कर पुनः इसी प्रकार करें यानि कि एक सप्ताह तक उपचार लें व एक सप्ताह बंद रखें इसी प्रकार तीन माह त्क जारी रखें। आप विश्वास रखिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी और जीवन भर फिर कभी न होगी।
३ . कब्जियत न रहे इस लिये त्रिफला चूर्ण सेवन कर लिया करें जरूरत होने पर।
मंगलवार, मई 06, 2008
पक्षाघात(पैरालिसिस) के तीन अलग-अलग केस.....
रजनी तिवारी,जयपुर
रजनी बहन,आपके पापा के संबंध में आपने जो जानकारी भेजी है वह अत्यंत संक्षिप्त है फिर भी जो औषधियां चल रही हैं यदि उनसे पर्याप्त लाभ दिखायी दे रहा है तो बस उन दवाओं के सेवन के बाद एक घंटे के अंतर पर वृहत वात चिंतामणि रस एक-एक रत्ती(१२५ मिग्रा.) दिन में दो बार शहद के साथ कम से कम पंद्रह दिन तक लगातार दीजिये, चमत्कारिक लाभ दिखाई देगा।
इसी तरह की समस्या भेजी है संगमनेर से निर्मल ने जो कहते हैं कि उनकॆ पिता जी को पक्षाघात(पैरालिसिस) हो गया एक माह पहले हुआ था किन्तु उसका कारण लो ब्लड प्रेशर बताया गया था तो क्या यही दवा देना उचित होगा या फिर कोई अलग उपचार देना होगा। पिताजी को अब एलोपैथी की कोई दवा नहीं दी जा रही है।
निर्मल, संगमनेर
निर्मल जी, आप अपने पिताजी को ऊपर बताई दवा न देकर वातकुलान्तक रस एक-एक रत्ती(१२५ मिग्रा.) को दिन में दो बार शहद के साथ कम से कम एक माह तक लगातार दीजिये, स्थायी लाभ दिखाई होगा।
अजय चंदेल,आगरा से लिखते हैं कि इनके मामा जी को भी हाई ब्लड प्रेशर के कारण पक्षाघात(पैरालिसिस) हो गया ,बीस दिन हुए लेकिन उन्हें मधुमेह(डायबिटीज) भी है तो क्या दवा में फेर बदल करना होगा या यही दवा दूं?
अजय जी,आप ऊपर बताई गयी दवा के साथ में दिन में दो बार साथ में त्रिबंग भस्म एक-एक रत्ती(१२५ मिग्रा.) दिन में दो दीजिये बाकी जो पथ्य मधुमेही को कराए जाते हैं वे जारी रखें। औषधियां कम से कम तीन माह तक लगातार दीजिये, स्थायी लाभ दिखाई होगा।
सोमवार, मई 05, 2008
ब्लड प्रेशर लो हो जाने की समस्या है....
समीना पठान,अजमेर
समीना बहन, आपने जो विवरण दिया है उसके आधार पर मैं बताना चाहता हूं कि आप अपनी भाभी जी को चिंता मुक्त रखें और घर का माहौल खुशनुमा बनाए रखने का यत्न किया करें। पुष्टिकारक आहार लेने की सलाह दीजिये कि खाने-पीने पर विशेष ध्यान दें। रही बात घातक होने की तो बस इतना ही कहना सही सलाह रहेगी कि हां ये अत्यंत घातक हो सकता है इसलिये लापरवाही तो हरगिज़ न करें। ये औषधियां नियम पूर्वक दें----
१ . नवजीवन रस एक -एक गोली सुबह शाम दुग्ध के साथ दें।
२ . प्रभाकर वटी एक -एक गोली सुबह शाम शहद के साथ दें।
३ . मुक्ता पंचामृत दो-दो रत्ती की मात्रा दिन में दो बार शहद के साथ दें।
आहार-विहार की ओर उचित ध्यान दें,सुपाच्य,पौष्टिक भोजन दें, नमक का पर्याप्त प्रयोग करें,छुहारा, किशमिश, बादाम को दूध में उबाल कर दिया करें। यदि कोई मानसिक परेशानी हो तो उसे दूर करने का प्रयास करें। इस प्रकार चालीस दिन तक उपचार लें तो स्थायी लाभ मिलेगा।
SPUR के कारण पैर की एड़ी न कटवाएं....
जयेन्द्र शुक्ल,मथुरा
जयेन्द्र जी, आपकी तकलीफ मैं समझ रहा हूं। एलोपैथी की मजबूरी है कि वो वही बता सकती है जो कि उसकी सीमा के अंदर आता है। आपको न तो एड़ी में टीका लगवाने की जरूरत है और न ही आपरेशन करवा के एड़ी कटवाने की आवश्यकता है। आप निम्न दवाएं नियम से दो माह तक लीजिये--
१ . सिहनाद गुग्गुल दो-दो गोली महारास्नादि क्वाथ के दो ढक्कन के साथ दिन में दो बार सुबह शाम लीजिये (दवा खाली पेट न लें और जो विशेष ध्यान देने वाली बात है वो ये कि सिंहनाद गुग्गुलु खरीदते समय उसकी पैकिंग के ऊपर देख लें वहां ग्रन्थाधिकार लिखा रहता है और आपको भैषज्य रत्नावली के आधार पर बनी औषधि लेना है यह संक्षिप्त में भै.र. लिखा रहता है)।
२ . रात्रि को भोजन के बाद एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल से लीजिये ताकि कब्जियत न रहे।
बाजारू साफ़्टड्रिंक्स का सेवन न करें, वात करने वाला आहार न लें।
रविवार, मई 04, 2008
गैस बनती रहती है दिनभर डकारें मारता रहता हूं........
चोंथमल साजनानी,रींवा(म.प्र.)
साजनानी साहब आपकी मजबूरी मैं भली प्रकार से समझ रहा हूं। अगर मैं आपको कुछ ऐसी सलाह दूं जो आप पालन ही न कर सकें तो उसका कोई उपयोग न होगा। आप अपने सोने और जागने के समय में एक घन्टे का बदलाव करिये। रात में अधिक से अधिक साढ़े दस बजे तक सो जाइए और रात्रि भोजन के बाद कम से कम पंद्रह मिनट तक थोड़ा टहलिए फिर सोने जाइए और सुबह साढ़े सात के स्थान पर सात बजे उठिए और सुबह भी नित्य कर्म से फारिग होने के बाद थोड़ा हल्का सा व्यायाम करिये क्योंकि आपकी दिनचर्या में शारीरिक श्रम का स्थान ही नहीं है। निम्न औषधि का सेवन नियमित रूप से करिये कुछ दिनो में आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी किन्तु दवा को कम से कम एक मास तक खाएं----
योग : -- सेंधा नमक १५० ग्राम + अकरकरा २५ ग्राम + सोंठ २५ ग्राम + छोटी पीपर २५ ग्राम + काली मिर्च २५ ग्राम + सफेद जीरा २५ ग्राम + शोधित गंधक २५ ग्राम + काला जीरा २५ ग्राम + शुद्ध हींग ढाई ग्राम + रस सिन्दूर छह ग्राम + नींबू का सत्व(टाटरी) सौ ग्राम; इन सब पदार्थों को लेकर मजबूत हाथों से घुटाई करा के मिश्रित कर लें। इस में से दो चुटकी भर मात्रा दिन में चार बार सेवन करें और पानी दस मिनट बाद ही पिएं। आपकी गैस की समस्या समाप्त होने के साथ ही आप स्फूर्ति भी महसूस किया करेंगें ।
शुक्रवार, मई 02, 2008
बाईपास सर्जरी न करवानी पड़े,75% ब्लाकेज है.....
सोनालिका सिंह,मथुरा
सोनालिका बहन, आप बिलकुल बेफिक्र हो जाइये क्योंकि आयुर्वेद में आपके पति की समस्या का कारगर हल मौजूद है। उन्हें बाईपास सर्जरी जैसा मंहगा और जोखिम भरा उपाय करने की आवश्यकता नहीं है। मैंने आपके द्वारा भेजी एंजियोग्राफी की रिपोर्ट देख ली है। अब ध्यान दें कि वे अनावश्यक चिन्ता न करें,उन्हें उपवास आदि करने से रोक दें, मांसाहार न करें(अंडे भी नहीं), शराब सेवन और धूम्रपान करते हों तो तत्काल ही बन्द करें, आहार-विहार का समय सुनिश्चित करें, न्यूनतम परिश्रम करें, एकदम हल्का व्यायाम करें, नमक और शक्कर का प्रयोग बन्द कर देना ही हितकर है, दही तथा लहसुन का भरपूर सेवन करें, रात्रि को तांबे के लोटे में पानी भर कर रख दें व सुबह निहारे मुंह उठते ही उस पानी को पी लें ताकि कब्ज न रहे, सुबह नाश्ते में अंकुरित चने व किशमिश मिला कर खूब चबा कर खाएं, तैलीय भोजन न करें ये बेहद नुकसानदेह सिद्ध होगा। निम्न दवाओं को नियम पूर्वक सेवन कराएं और देखिये कि आयुर्वेद क्या चमत्कार करता है ७५% क्या अगर ८०% भी ब्लाकेज हो तो कैसे बिना आपरेशन के ठीक करता है.......
१ . अर्जुन की छाल का जवकुट यानि मोटा-मोटा चूर्ण ३ ग्राम व २५ ग्राम मिश्री लेकर २५० ग्राम दूध में उबालें और इसी दूध का प्रतिदिन प्रातः व सांयकाल सेवन करें।
२ . अर्जुनारिष्ट + अश्वगंधारिष्ट दोनो को मिला कर दो चम्मच बराबर जल मिला कर दिन में दो बार भोजन के बाद लें।
३ . अकीक पिष्टी १०० मिग्रा. + मुक्तापिष्टी १२५ मिग्रा. + जहरमोहरा पिष्टी २०० मिग्रा + अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण २५० मिग्रा. + प्रभाकर बटी २५० मिग्रा की एक गोली + सितोपलादि चूर्ण एक ग्राम ; इन सबको मिला कर कुल मात्रा की तीन बराबर पुड़िया बनाएं व दिन में तीन बार शहद के साथ सेवन कराएं, दवा को इसी अनुपात में बना कर रख लें व नियमित रूप से न्यूनतम तीन माह सेवन कराएं यदि अधिक दिन भी सेवन कराया तो कोई नुकसान नहीं होगा। ये एकदम निरापद एवं हानिरहित उपचार हैं।
Read in English
आप इन औषधियों को मात्र उत्पादन मूल्य पर हमसे मंगवा सकते हैं
अग्निकुमार रस
अर्शोघ्नी बटी
आनंद भैरव रस
अजीर्ण कंटक रस
अर्शकुठार रस
आमवातेश्वर रस
आमवातारि रस
अश्वकंचुकी(घोड़ाचोली)रस
अग्नितुंडी बटी
अमरसुंदरी बटी
आरोग्यवर्धिनी
बटी
आमलकी रसायन
इच्छाभेदी रस
उपदंश कुठार रस
उन्माद गजकेशरी
रस
एकांगवीर रस
एलादि वटी
कनकसुंदर रस
कफ़कुठार रस
कुष्ठकुठार रस
कफ़केतु रस
कुमारकल्याण रस
कामदुधा रस
कृव्यादि रस
कफ़कर्तरी रस
कल्पतरू रस
कामधेनु रस
कृमिकुठार रस
कृमिमुग्दर रस
कफ़चिंतामणि रस
कांकायन बटी
कन्यालोहादि बटी
खैरसार बटी
खदिरादि बटी
गंधक बटी
गंधक रसायन
गर्भपाल रस
गुड़मार बटी
गुल्मकुठार रस
ग्रहणीकपाट रस
ग्रहणी गजेन्द्र
रस
चंद्रप्रभा बटी
चतुर्भुज रस
चंद्रामृत रस
चंदनादि बटी
चंद्रान्शु रस
चतुर्मुख रस
चित्रकादि बटी
चिंतामणि
चतुर्मुख रस
चंद्रकला रस
चिंतामणि रस
चौंसठ प्रहरी
पीपल
जवाहरमोहरा
दंतोद्भेदगदान्तक
रस
हिंगुलेश्वर रस
हृदयार्णव रस
हिंग्वादि बटी,
ज्वरांकुश रस
जयमंगल रस
लघुमालिनी बसंत
रस
लहशुनादि बटी
लवंगादि बटी
लक्ष्मीनारायण रस
लक्ष्मीविलास रस
लक्ष्मीनारायण
रस(नारदीय)
लाई रस
लीलाविलास रस
लोकनाथ रस
मधुमेहनाशिनी बटी
महाज्वरांकुश रस
महाशंख बटी
महामृत्युंजय रस
महावात विध्वंसन
रस
महालक्ष्मी विलास
रस
मकरध्वज बटी
मन्मथाभ्र रस
मूत्रकृच्छान्तक
रस
मरिच्यादि बटी
मृत्युन्जय रस
नृपतिवल्लभ रस
नागार्जुनाभ्र रस
नष्टपुष्पान्तक
रस
नित्यानंद रस
पीयूषवल्ली रस
पूर्ण चंद्र रस
प्रदररिपु रस,
प्रवाल पंचाम्रत
रस
प्रतापलंकेश्वर
रस
प्रमेहगज केशरी
रस
पुष्पधन्वा रस
प्रदरारि रस
प्रदरान्तक रस
रसपीपरी रस
रसराज रस
रामबाण रस
रजःप्रवर्तिनी
बटी,
रसादि रस
रक्तपित्तान्तक
रस
संजीवनी बटी
संशमनी बटी
समीरपन्नग रस
सारिवादि बटी
सर्पगंधाघन बटी
सूतशेखर रस
श्रंगाराभ्र रस
स्मृतिसागर रस
सिद्धप्राणेश्वर
रस
सोमनाथ रस
शिलाजीत बटी,
शिलाजित्वादि बटी
शिलासिंदूर बटी,
शिरःशूलादिवज्र
रस
शिरोवज्र रस
शूलवज्रिणी बटी
शंख बटी
शंकर बटी
शूलगजकेशरी रस
श्वास कुठार रस,
श्वासकास
चिंतामणि रस
शीतांशु रस
शुक्रमात्रिका
बटी
त्रिभुवन कीर्ति
रस
त्रिमूर्ति रस,
त्रैलोक्य
चिंतामणि रस
तारकेश्वर रस
बोलबद्ध रस
ब्राह्मी बटी
वात गजांकुश रस
वातकुलान्तक रस
बसंत कुसुमाकर रस
वृहत वातगजांकुश
रस
वृहत बंगेश्वर रस
विरेचन बटी
वृहत वातचिंतामणि
रस
वृहत
गर्भचिंतामणि रस
वीर्यशोधन बटी
वृद्धिबाधिका बटी
व्योषादि बटी
विषतिंदुक बटी
व्याधिहरण रसायन,
वृहत कामचूड़ामणि
रस
योगेन्द्र रस
अभ्रक भस्म
(साधारण,शतपुटी,सहस्त्रपुटी)
अकीक पिष्टी/भस्म
हजरुलयहूद
भस्म/पिष्टी
गोदन्ती भस्म
जहरमोहरा खताई
भस्म/पिष्टी,
कुक्कुटाण्डत्वक
भस्म
कहरवा पिष्टी
कान्तसार लौह
भस्म
कपर्द(वराटिका)भस्म
कासीस भस्म
लौह भस्में
(तीन
प्रकार)
मण्डूर भस्म
श्रंग भस्म
मुक्ताशुक्ति
भस्म/पिष्टी,
नाग भस्म
प्रवाल
पिष्टी/भस्म
शंख भस्म
शुभ्रा(स्फटिका)
भस्म
स्वर्णमाक्षिक
भस्म
ताम्र भस्म
टंकण भस्म
त्रिबंग भस्म
बंग भस्म
यशद भस्म
कासीस गोदन्ती
भस्म
संगेजराहत भस्म
संगेयेशव
भस्म/पिष्टी
गोमेदमणि
भस्म/पिष्टी
माणिक्य
भस्म/पिष्टी
मुक्ता(मोती)भस्म/पिष्टी
नीलम भस्म/पिष्टी
पुखराज
भस्म/पिष्टी
चांदी(रजत)भस्म
पन्ना(तार्क्ष्य)भस्म/पिष्टी
लाजावर्त
भस्म/पिष्टी
अम्लपित्तान्तक
लौह
चंदनादि लौह
(ज्वर
व प्रमेह)
ताप्यादि लौह
(रजत/बिना
रजत)
धात्री लौह
नवायस लौह
प्रदरारि लौह
प्रदरान्तक लौह
पुनर्नवादि
मण्डूर
विषमज्वरान्तक
लौह
सर्वज्वरहर लौह
सप्तामृत लौह
शिलाजित्वादि लौह
यक्रदप्लीहारि
लौह
रक्तपित्तान्तक
लौह
शोथारि लौह
मेदोहर विडंगादि
लौह
अमृतादि गुग्गुल
आभा गुग्गुल
कांचनार गुग्गुल
कैशोर गुग्गुल,
गोक्षुरादि
गुग्गुल
पुनर्नवादि
गुग्गुल
लाक्षादि गुग्गुल
पंचतिक्तघृत
गुग्गुल
रास्नादि गुग्गुल
सप्तविंशतिको
गुग्गुल
सिंहनाद गुग्गुल,
त्रयोदशांग
गुग्गुल
त्रिफला गुग्गुल
योगराज गुग्गुल
महायोगराज
गुग्गुल
वातारि गुग्गुल,
मेदोहर(नवक)
गुग्गुल
अभ्रक पर्पटी
स्वर्ण पर्पटी
बोल पर्पटी
लौह पर्पटी
प्राणदा पर्पटी
ताम्र पर्पटी
पंचामृत पर्पटी
विजय पर्पटी
रस पर्पटी
शीतल पर्पटी
श्वेत पर्पटी
मकरध्वज
चंद्रोदय
मल्ल सिंदूर
मल्ल चंद्रोदय
रस सिंदूर
शिला सिंदूर
स्वर्णबंग
ताल सिंदूर
रसमाणिक्य,
शिलाजीत(गीला/सूखा)
स्वर्णबंग क्षार