शनिवार, फ़रवरी 28, 2009

दर्द के कारण मेरी पत्नी कंधा हिला तक नहीं सकती...

Respected Vaidya Ji,
I have come to know from your website the advises given by you for various deseased.
My wife is suffering from pain in her left hand joint near shoulder from last about 5-6 months.
She is unable to move her hand according to choices.
The doctor has diagonised that her never has got chocked and this problem is due to improper blood circulation. One small gland is also seen at her left side neck. The fingers of legs are also seems to be very much tight and after acupressure/puncture some relieve is felt.
Alopathic Medicine is being taken by her and physiotheraphy/excersies are also being done. To some sort she is feeling releived from pain whenever she takes pain killer.
We shall be highly obliged for suggesting some Aayushvedic medicine which may be easily available in shops.
With kind regards.
Ramashish Thakur
रामाशीष जी, आपने जो लक्षण लिखे हैं उनके आधार पर बताया जा सकता है कि यह सीधे ही वात का विकार है जिसके कारण ये कष्ट है। आप उन्हें बासी भोजन से परहेज कराएं और निम्न उपचार हेतु औषधियां दें-
१ . वैश्वानर चूर्ण ३ ग्राम रात को एक बार भोजन के बाद दें।
२ . शुण्ठी गुग्गुल दो गोली + अश्वगंधा चूर्ण ३ ग्राम दिन में तीन बार गर्म जल से दीजिये।
३ . रास्ना सप्तक काढ़ा दिन में दो बार दो - दो चम्मच पिलाइये।
४ . प्रभावित अंग को कपड़ें में बालू+ सेंधा नमक + निर्गुंडी जिसे मेउड़ी या सम्हालू भी कहते हैं, की पत्तियां भर कर दिन में तीन बार सेंकिये(यदि पत्तियां न मिलें तो सिर्फ़ बालू व सेंधा नमक से ही सेंकिये)।
इस उपचार को तीन माह तक जारी रखिए पहले ही सप्ताह से आश्चर्यजनक परिवर्तन दिखाई देने लगेगा।

गुरुवार, फ़रवरी 26, 2009

खांसी/दमा की समस्या के साथ ही त्वचा पर लाल चकत्ते भी आ जाते हैं

om sai ram,
Thanks for giving us, your support/solution to the problem of my daughter RIDDHI ,iam also facing some problem & already taking the ayurvedic medicins ,but not getting the satifactory results,Iam facing the regular problem of coughing/allergic asthama from last 2 years,irritation in the throat,due to that excessive coughing & breathing problem in the nights ,specially in the winters,then i have to take the Asthalin inhaler,but some times , due to asthama, i always feels the tiring(iam working),if i take any cold thing(like water//drink/curd)then problem starts.earlier i was facing the skin problem after that this allergic asthama develops to me,In summers red-red spots(chakkte type) will start to come on the skin,then i have to take the avil medicin on the regular basis.The list of ayurvedic medicin, iam taking
1.MALL SINDOR 5 GM
2.ABRAK BHASAM 10GM
3.HARTAL GONDHATI BHASAM 10GM
4.RIG BHASAM10GM
5.LOH BHASAM 10GM
6.SITOPILADI CHURANA10GM
ALL ABOVE MIXED & TAKING 1/4 TEA SPOON WITH HONEY 2 TIMES A DAY.
7.KAFESHWARI+CRUX+SEPTILIN(ALL MIXED 2 SPOONS 2TIMES A DAY.pls give me the solution from the asthama & skin problem.thanks for your all time cooperation
om sai ram
Divya uppal
दिव्या बहन, आशा है कि रिद्धी बिटिया को लाभ हो रहा होगा व शीघ्र ही वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। आपकी समस्या को गहराई से देखने पर समझ में आता है कि आपकी समस्या का मूल कारण कुछ अलग है जिसका शमन ही नहीं हो रहा है लक्षणों के उपचार से बीमारी पूरी तरह से जड़ से दूर नहीं होती है। अतः आवश्यक है कि पहले देह में दोषों की स्थिति समझा जाए। आपकी स्थिति के अनुसार मैं आपको जो दवा बता रहा हूं वह अस्थेलिन, सालबूटामोल, स्टेराइड व इन्हेलर आदि का प्रयोग करके तंग आ गये रोगियों पर सफ़ल रहा है और आपको भी अनुकूल आयेगा-
१ . वासा(अडूसा या अडुलसा) की पत्तियों का चूर्ण १० ग्राम + छोटी पिप्पली का चूर्ण २.५ ग्राम + धतूरा(यह विषैला माना जाने वाला एक पौधा है जिसके कांटेदार गेंद जैसे फ़ल भगवान शिव को पूजा में चढ़ाए जाते हैं) की पत्ती का चूर्ण १.२५ ग्राम + तालीस पत्र १.२५ ग्राम इन सभी औषधियों को आप आसानी से आयुर्वेद की कच्ची औषधियां बेचने वालों से सरलता से प्राप्त कर सकते हैं; इन्हें कस कर साथ में मिला कर घोंट लीजिये व इसमें से छोटा चाय वाला पौना(३/४) चम्मच चूर्ण सुबह शाम शहद से लगातार तीन माह तक प्रयोग करें।
इसके बाद अगले तीन माह तक पौना चम्मच मात्रा को दिन भर में खाइये यानि कि पहले की एक खुराक को ही अब दिन में तीन बराबर हिस्सों में बांट कर खाना है, इसके बाद यदि मौसम बदलता है तो बारिश व सर्दी में मात्रा दो गुना करा जा सकता है।
२ . कनकासव + द्राक्षासव दिन में एक बार दोपहर में भोजन के बाद दो चम्मच लीजिये।
बकरी या गाय का दूध, गर्म भोजन, परवल, पपीता, आंवला, मुनक्का, हरी सब्जियां आदि पथ्य हैं लेकिन भारी गरिष्ठ देर से पचने वाला आहार, मांसाहार, बासी भोजन, उड़द की दाल, सरसों का साग, मटर की दाल, दही, खट्टॆ पदार्थ, मछली व अंडे न खाएं यदि खाते हों।

बुधवार, फ़रवरी 25, 2009

वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं......

डाक्टर साहब नमस्ते
मैं आपको अपनी रिपोर्ट्स भेज रहा हूं जिसमें कि मुझे बताया गया है कि वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं और इसका कारण हमारे शहर के डाक्टर ने वीर्य वाहिनी में अवरोध होना बताया है कि वीर्य में शुक्राणु लाने वाली नली में रुकावट है इस कारण से आपके वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं। क्या मेरी बीमारी का कोई इलाज नहीं है?
सुभाष,भदोही
सुभाष जी, जहां तक आपने जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मुझे इस तरह की रिपोर्टस पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। यही तो तरीका है पैथोलाजिस्ट्स और चिकित्सकों के गठजोड़ का मरीजों का खून पीने का।
पुरुषों में अंडकोश एक ग्रन्थि के आकार के होते हैं जो कि लगभग २०- २५ ग्राम के आसपास और ४ x ३ x २.५ सेमी. की होती है। इसके दोनो ओर के स्रोत मूत्र स्रोत में खुलते हैं। यह ग्रन्थि ग्लैन्ड्युलर टिश्यूज़ को घेरे हुए मांस तंतुओं से बनी होती है एवं सूत जैसे तंतुओं से कैप्सूल जैसी रचना को ढंके रहती है। वास्तव में इसी ग्रन्थि के द्वारा मूत्राशय का निम्नद्वार बनता है। इस ग्रन्थि में एक प्रकार का पतला स्राव यानि रस बनता है जो कि सेक्स की भावना आने के समय तत्काल निर्मित होता है जैसे कि जनरेटर में आवश्यकता होने पर बिजली उत्पन्न होने लगती है, ये कार्य हार्मोनल स्तर पर संपन्न होता है। दस-बीस पतली-पतली नलियों से होकर यह यह रस शुक्रमार्ग में (मूत्रमार्ग के धरातल पर) आता हैं, यह रस क्षारीय होता है अम्लत्त्व में शुक्राणु जीवित नहीं रह पाते हैं। जैसा कि आपकी रिपोर्ट में मैंने देखा है कि वीर्य में न केवल अम्लीयता है बल्कि उसमें लाल रक्त कण भी पाये गये हैं इससे साफ़ पता चलता है कि पित्त विकार के कारण आपके साथ ऐसा है कि आप azoospermia नामक रोग से पीड़ित हैं। आप निम्न उपचार लीजिये-
१ . गिलोय सत्त्व १० ग्राम + कबाब(शीतल)चीनी १० ग्राम + सफ़ेद मूसली १० ग्राम + कतीरा गोंद १० ग्राम + शिलाजीत १० ग्राम + प्रवाल पिष्टी १० ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम + भीमसेनी कपूर आधा ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट कर गुलाब जल डाल कर खरल करें फिर एक ग्राम केसर डाल कर दुबारा मजबूत हाथों से घुटाई करके २५० मिग्रा. की गोलियां बना लीजिये। सुबह-शाम एक - एक गोली गिलोय(गुरिच या गुळ्वेल या गुडूची) के रस में बराबर शहद मिला कर लें यदि गिलोय का रस न मिल पाये तो तुलसी के पत्तों के रस व शहद से लीजिये।
२ . महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच उत्तम कोटि के च्यवनप्राश के साथ सुबह लीजिये
३ . अभ्रक भस्म एक रत्ती + स्वर्ण बंग एक रत्ती + लक्ष्मी विलास रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली + नवायस मण्डूर एक रत्ती की एक खुराक बनाएं व दोपहर भोजन के बाद द्राक्षासव व अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
४ . बसंतकुसुमाकर रस एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + पूर्णचंद्र रस एक गोली + स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती + मुक्ताशुक्ति भस्म एक रत्ती + मूसली पाक एक चम्मच को मिला कर हलके गुनगुने मीठे दूध के साथ शाम को लीजिये।
५ . एक चम्मच कोंचा पाक + एक चम्मच च्यवनप्राश को चाट कर ऊपर से करीब दो चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को कम से कम तीन माह तक जारी रखिये। भोजन में मांसाहार व तेज मिर्च मसाले का सेवन एकदम बंद कर दें यदि तम्बाकू अथवा शराब का सेवन करते हों तो परहेज करिये।

सोमवार, फ़रवरी 23, 2009

PROLAPSE OF UTERUS बताया,योनि एकदम शिथिल और ढीली हो गयी है

डाक्टर साहब नमस्ते
मेरी पत्नी को गर्भाशय में तकलीफ़ के कारण हास्पिटल ले जाने पर जांच करा और बताया गया कि सर्जरी कराना पड़ेगा। उनकी बीमारी PROLAPSE OF UTERUS बताया गया है। क्या आपरेशन कराना उचित रहेगा या आयुर्वेद में कोई इलाज है जिससे कि बिना सर्जरी के ठीक हो सकें। उन्हें सफ़ेद पानी(श्वेत प्रदर यानि लिकोरिया) की भी समस्या है। योनि एकदम शिथिल और ढीली हो गयी है उन्हें ऐसा एहसास होता है जैसे कि योनि की अंदरूनी दीवारें एक दूसरे पर फिसल रही हों बड़ी अड़चन हो रही है कभी कभी तेज चुभता हुआ सा दर्द भी होता है।
जयराम दीक्षित,बाड़मेर
जयराम जी बिलकुल परेशान न हों क्योंकि आपने जो रिपोर्ट्स भेजी हैं उनके आधार पर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ऐसी कोई बात नही है कि आपरेशन कराना पड़े। आप अपनी पत्नी को भी आश्वासन दीजिये कि वे बिना सर्जरी के ही स्वस्थ हो जाएंगी। आप निम्न दवा तैयार कर लीजिये-
१ . माजूफल + मुलायम सुपारी + बड़ी इलायची + कचूर + धाय के फूल + तज + छोटी हरड़ + फ़िटकरी + गुलाब के सूखे फूल + सुपारी के सूखे फूल + बड़ी हरड़ का छिलका + गुड़मार ; इन सभी बारह जड़ी-बूटियों को आयुर्वेदिक कच्चा माल बेचने वाले के पास से ले लीजिये सभी को बराबर मात्रा में ले लीजिये यानि कि सभी ५०-५० ग्राम ले लीजिये। इन सबको बारीक पीस लीजिये व साफ़ मलमल के महीन कपड़े में २० ग्राम की मात्रा को एक पोटली की तरह से बांध लीजिये व उसे योनि में इस तरह स्थापित करिए कि पोटली का धागा बाहर लटका रहे ताकि निकालने में सुविधा हो। यह काम अत्यंत हल्के हाथ से करें अन्यथा यदि खरोंच आदि आ गयी तो तकलीफ़ बढ़ सकती है। आपकी पत्नी ये काम स्वयं कर लें तो बेहतर है।
प्रतिदिन स्नान के बाद एक पोटली तीन घंटे के लिए स्थापित करवाइए। इस उपचार को चालीस दिन कम से कम दीजिये और यकीन मानिये कि कोई सर्जरी नहीं करानी पड़ेगी साथ ही अन्य सारी समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी। खट्टी तथा तेज मिर्च-मसालेदार भोजन से परहेज करें।

रविवार, फ़रवरी 22, 2009

भील वैद्य जी की चमत्कारिक दवा जो कि मल्टीपर्पज है......

आदरणीय सर
प्रणाम
हमारे यहां साप्ताहिक हाट में एक वैद्य जी अपनी दवाएं लेकर आते हैं उनकी दवाएं कई बार तो बड़ी चमत्कारिक सा प्रभाव दिखाती हैं वो जाति से भील हैं। उनसे अगर दवाओं के बारे में कुछ जानना चाहें तो पैसा लेकर भी बताने को तैयार नहीं होते उनका कहना है कि ये जानकारियां पिता से पुत्र के आगे पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती हैं। वो एक लाल पाउडर लाते हैं जो कि एक मल्टीपर्पज दवा रहती है और मैंने उस दवा से एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों लोगों को लाभान्वित होते देखा है। आपको दवा का नमूना भेज रहा हूं मेहरबानी करके बताएं कि ये क्या है? इसका उपयोग वे अजीर्ण, बदहजमी के कारण पेटदर्द, गैस ट्रबल, अफ़ारा यानि गैस से पेट फूलना, आखों की धुंध, जाली, रतौंधी( नेत्र रोगों में चारगुना काले सुरमें के साथ मिलाकर आंख में लगाने को बताते हैं), सिरदर्द, बेहोशी तथा तेज जुकाम में नसवार की तरह से सूंघने को बताते हैं, दांत दर्द में मंजन की तरह से घिसने को कहते हैं। आखिर ये जादू भरी दवा क्या है आप जनहित में इसे बता सकते हैं तो अवश्य बताएं।
अनुजकांत शर्मा, छत्तीस गढ़
अनुज जी आपने जो दवा का नमूना भेजा है उसे जांचने पर पता चलता है कि उसमें बराबर मात्रा में काली मिर्च , नौसादर(नवसागर) तथा गेरू के सिवाय कुछ नहीं है। आप आश्चर्य न करें कि यह योग देखने में अत्यंत साधारण व सस्ता है किंतु इसके मूल्य पर न जाएं यह वाकई में इन सभी रोगों में अलग -अलग अनुपान के साथ देने से चमत्कारिक लाभ देगा। पेट के विकारों में इसे गर्म जल या सौंफ़ के पानी के साथ दीजिये। मात्रा दो रत्ती रखिये। इसे आप भी घर पर बना कर रख सकते हैं जो कि "किचन-रेमेडी" की तरह से घर में रहे तो अच्छा रहता है।

गुरुवार, फ़रवरी 19, 2009

बार-बार आवाज के साथ गैस पास होती रहती है

आदरणीय सर जी, नमस्ते
मैं एक प्राईवेट कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं मेरी उम्र ४३ साल है। मेरी समस्या बताने में भी मुझे शर्म सी महसूस हो रही है। पेट में पाचन की गड़बड़ी के कारण हमेशा आवाज के साथ गैस पास होती रहती है जिसके कारण सारे आफ़िस के लोग मुझे पीठ पीछे विचित्र नामों से पुकारते हैं। मेरी इमेज का सत्यानाश हो रहा है। योगाभ्यास करने के लिये समय ही नहीं मिल पाता है आप मेहरबानी करके कोई दवा बताएं जिससे कि पेट साफ़ हो जाया करे और गैस न बने। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। धन्यवाद
राकेश पोचा,मुज़फ़्फ़रनगर
राकेश जी आपकी समस्या को मैं पूरी गम्भीरता से ले रहा हूं आप ऐसा न समझें कि मैं आपकी बात को मजाक में ले रहा हूं आपने यही बात समझाने में पत्र काफ़ी लम्बा कर दिया है। मैं सीधे ही आपके उपचार की बात करता हूं क्योंकि आपने अपने भोजन के विषय में जैसा लिखा है कि आप अत्यंत सादा भोजन लेते हैं, लीजिये उपचार प्रस्तुत है -
१ . सेंधा नमक १५० ग्राम + अकरकरा २५ ग्राम + सोंठ २५ ग्राम + पीपर २५ ग्राम + काली मिर्च २५ ग्राम + सफ़ेद जीरा २५ ग्राम + शुद्ध गंधक २५ ग्राम + काला जीरा २५ ग्राम + शुद्ध हींग २.५(ढाई) ग्राम + रस सिंदूर ६ ग्राम + टाटरी ५० ग्राम; इन सबको कस कर घोंट कर मिला लें व कड़ाही में डाल कर पकाएं व नींबू का इतना रस डालें कि सारी दवा भीग जाए बस जब पाक जैसा हो जाए तो उतार लीजिये और जंगली बेर के बराबर यानि लगभग ५०० मिग्रा. की गोलियां बांध लें। ये एक - एक गोली आप हर चार घंटे के अन्तर पर गर्म जल से लीजिये दिन में कुल चार बार। खाली पेट दवा नहीं लेना है ये ध्यान रखें। चाय या काफ़ी का सेवन कम से कम करें। ये औषधि अनेक उदर रोगों में मात्र अनुपान भेद से प्रयोग करी जाती है यानि गर्म जल के स्थान पर यदि सिरके(विनेगर) से दें तो पेट में होने वाले वायुगोले पर बहुत अच्छा परिणाम देती है, विशूचिका(पेचिश) में आप इस दवा को पोदीने के अर्क से दे सकते हैं यानि गोली एक काम अनेक।

भयंकर पेटदर्द का तत्काल उपचार

आदरणीय गुरूजी
चरणस्पर्श

मैं आयुर्वेद का एक चिकित्सक हूं मैंने पिछले वर्ष ही B.A.M.S. करा है और अब प्रैक्टिस कर रहा हूं। मेरी समस्या है कि हमारा जो भी सिलेबस रहता है वह मिश्रित रहता है यानि कि एलोपैथी भी पढ़ायी जाती है जिस कारण विद्यार्थियों में पशोपेश की स्थिति रहती है कि आयुर्वेदिक दवाएं प्रयोग करें या एलोपैथिक? एलोपैथिक दवाओं की पैकिंग व नाम आदि से मरीज प्रभावित रहते हैं और प्रैक्टिस थोड़ी ठीक रहती है। पेट दर्द की के कई मरीज मेरे पास आए जिन्हें देख कर सचमुच मैं अन्दर से डर गया था उनमें से कई तो दर्द से मछली की तरह से तड़पते देखे हैं ऐसे में एण्टी स्पास्मोडिक इंजेक्शन के अलावा दिमाग में कुछ नहीं आता है। आप बताएं कि क्या करना उचित रहेगा यदि मैं सिर्फ़ आयुर्वेदिक दवा ही देना चाहूं?
नाम प्रकाशित न करें
प्रिय भाई पहली बात तो गुरू पद बहुत बड़ा है जिसके योग्य मैं हरगिज नहीं हूं इसलिये ये संबोधन वापस ले लीजिये। दूसरी बात कि खुशी है कि आप आयुर्वेद पर ही टिके रहने की इच्छा प्रबलता से रखते हैं। आप इसलिए साधुवाद के पात्र हैं कि आप अपने मरीजों के स्वास्थ्य के साथ मात्र अपने फ़ायदे के लिये खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं। आप ऐसी स्थिति में निम्न योग दिया करिये बाद में व्यक्ति देश व काल के अनुसार औषधि का निर्धारण करें ये मात्र आशुकारी चिकित्सा के तौर पर ही प्रयोग करें-
१ . शूलवज्रिणी वटी १ गोली + महाशूलहर रस १ गोली शहद से चटा दीजिये और ऊपर से कनकासव+अहिफ़ेनासव दो चम्मच पिला दीजिये यदि अहिफ़ेनासव न मिले तो कनकासव ही दे दीजिये; इस प्रयोग से आपके देखते ही देखते पेट में होने वाला ऐंठन और शूल जैसा दर्द मिनटों में समाप्त होने लगेगा और रोता छट्पटाता आया रोगी कुछ देर में हंसता हुआ आपको धन्यवाद दे कर जाएगा।

बुधवार, फ़रवरी 18, 2009

पाइल्स यानि बवासीर के बहुत रोगी आते हैं

आदरणीय सर, नमस्ते
मैं जिस जगह योग सिखाता हूं मेरे देखने में पाइल्स यानि बवासीर के बहुत रोगी आते हैं जिनमें कुछ को खून आता है कुछ को बादी बवासीर होती है। मरीज योगाभ्यास करने के साथ चाहते हैं कि कोई दवा भी दे दी जाए ताकि खून आना बंद हो जाए और जो कैंची से काटने जैसा दर्द होता है वह बंद हो जाए तब तो योगाभ्यास करें। लेकिन मैं तो आयुर्वेद का जानकार नहीं हूं तो आप बताएं कि क्या करना सही रहेगा। क्या कोई ऐसी दवा है जिसे मैं बना कर रख लूं और किसी भी व्यक्ति को दे सकूं यानि कि किसी को नुकसान न करे? सुझाव दीजिये। धन्यवाद
अंशुमान श्रीमाली,मैक्सिको
अंशुमान जी पहले तो हमारी शुभकामनाएं स्वीकारिये के आप योग का प्रचार विदेश में कर रहे हैं और हमारे पश्चिमी भाई बहनों को भी इस जीवन शैली से लाभान्वित करने में समय दे रहे हैं। आप साधुवाद के पात्र हैं। आपका कहना बिलकुल सही है यदि कोई बवासीर जैसी बीमारी से पीड़ित होता है तो उसे चलना उठना बैठना सभी कष्ट देता है वह योगाभ्यास में ध्यान न दे पाएगा अतः सर्वप्रथम उसे औषधि दे कर इस योग्य करा जाए कि वह आराम से अभ्यास के लिये प्रस्तुत तो हो सके। लीजिये आपके लिये अत्यंत उपयोगी योग प्रस्तुत है जो बना कर रख लीजिये लेकिन निःशुल्क अथवा न्यूनतम मूल्य पर वितरित करें ताकि योग के साथ साथ ही आयुर्वेद की भी पताका आप लहरा सकें। आप निम्न औषधियां बना लीजिये-
१ . शुद्ध रसौत(मुसब्बर) + नागकेशर + कलमी शोरा + निशोथ + शुद्ध गेरू ; इन सबको बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लीजिये। इस मिश्रण में गेंदे(मराठी में इसे झेंडू कहते हैं) के फूलों का रस ऊपर तक डाल दें, सूख जाने पर फिर से डाल दें इस प्रकार गेंदे के फूलों के रस को सात बार डाल कर सुखाइये। यह रस डाल कर सुखाना आयुर्वेद की भाषा में "भावना देना" कहलाता है। इसी प्रकार से मूली के रस की सात भावनाएं दीजिये। यह काम थोड़ा सा श्रम लेता है लेकिन जादू सा असर दिखाने वाली औषधि तैयार हो जाती है। दो रत्ती यानि कि २५० मिग्रा. वजन की गोलियां बना लीजिये व छाया में सुखा लीजिये। दिन में दो बार दो-दो गोली पानी से दीजिए। खाली पेट न दें।
२ . यदि अत्यधिक रक्त का फ़व्वारा सा छूट रहा हो तो इस योग को बना कर प्रयोग करें हानिरहित योग है इसलिये निर्भय हो कर प्रयोग करिये कोई नुकसान न होगा। सामान्य रक्त आने पर तो ऊपर बताया योग ही बहुत कारगर है उसे कम न समझियेगा। पीपल की लाख + कहरवा पिष्टी + अकीक पिष्टी + रसौत(मुसब्बर) प्रत्येक पचास ग्राम और शंखजीरा का चूर्ण दो सौ ग्राम लेकर कस कर साथ में घोंट लीजिये इस मिश्रण को दोपहर में व शाम में एक चम्मच(चायवाला) पानी के साथ दीजिये और चमत्कार देखिये लोग आयुर्वेद का गुणगान करते नहीं थकेंगे।
बाकी पथ्य परहेज आदि तो आप स्वयं जानते ही होंगे।

कान की जड़ में सूजन और दर्द रहने लगा है

जनाब डाक्टर साहब
आदाब
लंतरानी नामक उर्दू के ब्लाग पर से आपके ब्लाग पर आया तो बड़ा अच्छा लगा कि आप लोगों की सेवा का काम नेकी समझ कर किये जा रहे हैं। मेरी बेटी की उम्र आठ साल है उसको करीब एक हफ़्ते से दोनो कानों के नीचे यानि कि कान की जड़ में सूजन और दर्द रहने लगा है यहां के डाक्टर ने कुछ अजीब सी बीमारी का नाम बताया और वे कहते हैं कि आपरेशन करना होगा। क्या आयुर्वेद या यूनानी का कोई उपाय है जिससे कि आपरेशन के बिना बच्ची की तकलीफ़ खत्म हो जाए।
मौलाना अज़हर हुसैन कारी, लखनऊ
कारी साहब लंतरानी उर्दू ब्लाग से आप यहां तशरीफ़ लाये और हमें इस क़ाबिल समझा कि हम आपकी बच्ची के लिये कुछ सलाह दे सकें इसके लिये दिल से शुक्रिया। मैं आपकी बच्ची की समस्या को समझ रहा हूं इसे आयुर्वेद में कर्णमूल शोथ कहते हैं। बीमारी के विवरण की गहराई में न जाकर सीधे उपचार पर आता हूं। यूनानी के बारे में तो विशेष जानकारी नहीं रखता हूं अतः आयुर्वेद का निम्न उपचार बच्ची को दें-
१ . साधारण कत्था १० ग्राम + गूगल १० ग्राम + मैनफ़ल १० ग्राम + रेवतचीनी १० ग्राम इन चारों औषधियों को हल्का सा पानी छिड़क कर सिल पर एकदम बारीक पीस लीजिये जब यह लेई की तरह से हो जाए तो इसे कड़ाही में गर्म कर लीजिये। यह सचमुच लेई की तरह हो जाएगी इस मिश्रण को सूजे स्थान के आकार का कपड़ा लेकर उस पर लगा कर उस अंग पर चिपका दें व पानी से बचाएं। यह उपचार अनेक रोगियों पर परीक्षा करा हुआ अत्यंत सफल योग है। मात्र दो या चार दिन में ही आराम हो जाएगा।
२ . आरोग्यवर्धिनी एक गोली सुबह शाम दिन में दो बार पानी से एक सप्ताह तक दीजिये। खाली पेट न दें।
खट्टी व मिर्च-मसालेदार चीजों से परहेज कराएं। बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स आदि न पीने दें।

शनिवार, फ़रवरी 14, 2009

बेटी को होम्योपैथ ने atopic dermatitis बताया है,अस्थमा बुरी स्थिति में है

Respected sir,
namaskar
I am the regular reader of your blog,thanks for the valueble information given to us,My daughter is 5 yrs old & suffering from the atopic dermatitis as per the homeopathic docter,earlier we had tried the alopathic medicine,but no satisfactory results came out,after that we started the homeopathic course from last 1.5 year,but now she develops the asthma related problems,we have to do the nebulisors & some times prednisolone like steroids also,our doctor told us that ,skin & chest problems are parallel to each other,if we supress the asthma related problems then skin problems comes,now she becomes is very sensitive to dust & allerges,weather change,in dec i had give her the kafeswari & crux,she shown some results ,then we had consulted with our vaid jee,he had given some ayudvedic medicin& also told us this is some hot medicins,so give her in small qty for the asthama related problem,after taking only 2 doses she was fine,but skin becomes too much itching & rashes,she was conitiously itching the skin ,then again he told us to apply the kele ka tail & jattdii oil mixed with the coconut oil,but no result came,now her skin & asthama is in poor condition,we have to use the nebuliseres also on the regular basis,she is having too much problem(itching problem) in the nights alsoour homeopathic doctor says first he will cure her chest problems then skin,pls help us
॥ ॐ सांई राम ॥... ॥ अनंत कोटी ब्रम्हांड नायक राजाधिराज योगीराज परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय ॥... ॥ ॐ सांई राम ॥
warm regards

Gitesh uppal
भाईसाहब मैं मानता हूं कि होम्योपैथी हो या कोई सी भी चिकित्सा प्रणाली जब तक वह शरीर की रचना के विषय में एनाटामी की आधुनिकता को लेकर उलझी रहेगी वह चिकित्सा में दिग्भ्रमित ही रहेगी। इसका कारण आपको बता दूं कि आधुनिक फिजिक्स व केमिस्ट्री जैसे विषय अभी तक होम्योपैथी के सिद्धांतों को लेकर अटकलें लगाते रहते हैं क्योंकि 12X की पोटेन्सी के बाद तो जिस मूल दवा को लेकर वह दवा आपके सामने अधिक पोटेन्सी पर लायी गयी है उसके तो अणु माइक्रोस्कोप से देखने पर दिखते ही नहीं है फिर दवा उच्च शक्ति पर कैसे जाती रहती है ये तो एक ऊर्जा सिद्धांत है जो भौतिकी नहीं जान सकती तो फिर आयुर्वेद का त्रिदोष सिद्धांत कैसे समझ सकते हैं। आप बच्ची को निम्न दवाएं दीजिये और देखिये कि बेटी कैसे स्वस्थ होकर सबको आश्चर्य में डाल देगी-
१. आयुर्वेद में इसे हरिद्रा क्षीरपाक रसायन कहते हैं मैं आपको इसको बनाने का तरीका बताता हूं। अच्छी साफ़ हल्दी की गांठों को थोड़ा सा कूट लें फिर गाय के घी में भून लीजिये इस भुनी हुई हल्दी को बारीक पीस लीजिये।
गाय का सौ ग्राम दूध ले लीजिये और गर्म करें, गर्म होने पर उसमें सवा ग्राम(यानि अंदाज से लगभग तीन चुटकी भर) ऊपर बताई गई हल्दी के चूर्ण को मिला दीजिये। इसी में दस ग्राम गुड़ डाल दीजिये व पकने दीजिये उबाल आने पर बिना छाने हल्का गर्म ही बच्ची को पिलाइये।
इसी के साथ एक चौथाई चाय का चम्मच हरिद्रा खण्ड(यह आयुर्वेद की एक बनी हुई औषधि है जो आपको आयुर्वेद के औषधि विक्रेता के पास मिल जाएगी यह एक किस्म का च्यवनप्राश जैसा पाक या अवलेह होता है) + आधी गोली श्वांस कुठार रस भी बच्ची को निगलवा दीजिये। यह खुराक दिन में दो बार दीजिये, खाली पेट न दें।
२ . त्वचा पर लगाने के लिये आप यह मिश्रण तैयार बना लीजिये- नीम का तेल ५० मिली. + करंज का तेल ५० मिली. + कपूर १० ग्राम + पिपरमिंट १० ग्राम(इसे मेन्थाल भी कहते हैं। इसे मिश्रण को दिन में तीन बार प्रभावित अंग पर लगाइये।
इस उपचार को तीन माह तक जारी रखें लेकिन एक माह देने के बाद द्स दिन के लिये बंद कर दें व पुनः शुरू करें, इस प्रकार तीन माह करें।

मंगलवार, फ़रवरी 10, 2009

माताजी को गहरी नींद न हो पाने से बड़ी परेशानी है...

My mother has habit of deep thinking, so she failed to get sound sleep in the night. So she feels uneasiness whole day. Sometimes she could not sleep entire night. Please help if any medicine is available.
kapildev sharma
कपिल देव जी,आपकी माताजी की उम्र के बारे में आपने कोई जानकारी नहीं दी है साथ ही आपने यह नहीं लिखा है कि क्या उन्हें ब्लडप्रेशर आदि की कोई समस्या तो नहीं है लेकिन मैं आपकी माताजी के रोग को आपके द्वारा बताये गये लक्षणों के आधार पर समझ कर जो उपचार बता रहा हूं उसे इक्कीस दिन तक दीजिये-
१ . ब्राह्मी बटी(साधारण) एक गोली + सर्पगंधा घन वटी एक गोली + अकीक पिष्टी एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम) इनकी एक खुराक बनाएं व इसे दिन में तीन बार सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दीजिये।
२ . ब्राह्म रसायन आधा चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ दीजिये।
कब्जियत न होने दीजिये यदि हो तो उसके लिये त्रिफ़ला चूर्ण आवश्यकता दें।

सोमवार, फ़रवरी 09, 2009

सिर में सेक्स के बाद भयंकर दर्द होता है

आदरणीय वैद्य जी चरण स्पर्श
मेरी समस्या कई डाक्टरों को दिखाने पर भी खत्म नहीं हो रही है जितने डाक्टरों को दिखाया सब अलग-अलग सलाह और दवाएं दे कर मेरे ऊपर प्रेक्टिकल सा कर रहे हैं। मुझे अपने वैवाहिक जीवन के निर्वाह में कोई प्राब्लम नही है सब एक सामान्य संतुष्टि के स्तर पर है लेकिन मैं जब भी सेक्स कर चुकता हूं तब मेरे सिर में सम्भोग के बाद भयंकर दर्द होता है, कई बार तो पूरा शरीर थरथराने लगता है ऐसा लगता है कि मैं गिर पड़ूंगा, उठने-बैठने तक में कमजोरी महसूस होती है। जबकि मैं शारीरिक तौर पर एक बलिष्ठ व्यक्ति हूं और काफ़ी मेहनत का काम करने के साथ नियमित जिम्नेशियम में कसरत भी करता हूं। मुझे ये सारी परेशानियां सम्भोग के तुरंत बाद ही होती हैं फिर कुछ देर आराम करने के बाद में जब चाय या काफ़ी आदि पी लेता हूं तब धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगता है। ऐसा लगता है कि कोई मस्तिष्क को मुट्ठी में लेकर भींच रहा हो। कुछ लोगों ने झाड़फूंक कराने की सलाह दी है लेकिन मैं इन बातों पर यकीन नहीं करता। आप मेरी मदद करिये मुझे आयुर्वेद पर पूरा विश्वास है।
जैनेन्द्र माड़ा,अजमेर
जैनेन्द्र भाई, समस्या तो वाकई परेशान कर देने वाली है लेकिन गम्भीर नहीं है आप चिंतित न हों। आप निम्न औषधियां लीजिये-
१ . कूंजा मिश्री २० ग्राम रात में १२५ ग्राम पानी में डाल कर ढक कर रख दीजिये। सुबह सूरज उगने से पहले ही निराहार यानि खाली पेट उसे अच्छी तरह से हिला कर धोकर कर पी जाइये। यह प्रयोग तीन दिन तक करिये।
२ . शतावर्यादि चूर्ण एक चम्मच को २५० ग्राम गाय के दूध में मिलाइये और तीन छुहारे डाल कर उबाल लीजिये, दूध आधा रह जाने पर सब मसल कर हल्का सा गरम ही पी लीजिये। इस उपचार को कम से कम चालीस दिन तक लीजिये यदि अधिक लिया तो कोई हानि नहीं होगी बल्कि लाभ ही होगा और बल बढे़गा।

शनिवार, फ़रवरी 07, 2009

कमर से नीचे पैर तक लगभग सात साल से भयंकर दर्द रहता है

सर नमस्ते मेरी पत्नी की उम्र उनन्चास साल है। उसे कमर से नीचे पैर तक लगभग सात साल से भयंकर दर्द रहता है। इतना दर्द रहता है कि दोनो पैर दर्द से टेढ़े से हो गये हैं। बिना किसी का सहारा लिए वह मलमूत्र त्याग तक नहीं कर पाती क्योंकि उठने-बैठने में बहुत दिक्कत है। डाक्टरी जांच कराने पर बताया गया है कि न्य़ुरोलोजिकल प्राब्लम है और आपरेशन कराए बिना समस्या खत्म नहीं होगी। क्या आयुर्वेद में कोई उपचार है? अगर कुछ मदद करें तो बड़ी मेहरबानी होगी।
नारायण दास साहू,अजनी
नारायण दास जी, आपने जो रिपोर्ट्स मुझे भेजी हैं उन्हें मैने उन्हें देखा और इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि यह समस्या आयुर्वेद के अनुसार आमवात की भीषण समस्या है लेकिन आपको एकदम सीधी सलाह है कि आपरेशन कराने की जरूरत नहीं है। आप निम्न औषधियां अपनी पत्नी को नियमित रूप से दें-
१ . वातारि वटी एक गोली + आमवातारि रस एक गोली को दिन में तीन बार सुबह-दोपहर-शाम प्रसारिणी आसव के चार चम्मच से निगलवाइये।
२ . महाप्रसारिणी तेल + विषगर्भ तेल मिला कर दिन में तीन बार मालिश करवाइये। रात में इस तेल में कपड़ा भिगो कर पैर पर पट्टी लपेट दीजिये।
३. एक माह बाद वातारि वटी के स्थान पर असगंध चूर्ण एक ग्राम + विषतिंदुक वटी एक गोली + सोंठ आधा ग्राम का मिश्रण बना कर दवा की खुराक तैयार करें और इस खुराक को छह-छह घंटे पर दिन में तीन बार प्रसारिणी आसव से दीजिये। यह उपचार तीन माह तक जारी रखिये और विश्वास रखिये कि उन्हें शत-प्रतिशत आराम आ जाएगा।
बासी भोजन और वातकारक पदार्थ न खाएं पियें।

अंडकोश से जुड़ी हुई नस मोटी व सूजी हुई है

Namaskar Doctor Shahab. Me aapse apni samasya ka samadan chahta ho. sabse pahle me aapko apne bare me batana chahta ho meri aayo 21 year he aur me unmarried ho. meri samsya is prakar he ki mera left andkosh badha huya he jab me use hath se pakar kar dekhta ho tab muje usme moti nas lagti he aur goli badi huyi lagti he pata nahi wo sujan he ya kuch aur, isme dard bhi rahta he yah bhimaari meri lagbag 3 ya 4 saal purani he aur me isme kai desi ilaz le chuka ho mene is par arandi ke patte, kesu ke fool, aur vridivatika vati+do tarah ke tel ka proyog kar chuka ho par koi kash labh nahi hoya, kabhi yah problem jayda ho jaati he to kabhi dard bhi nahi rahta, yah problem jayda bede rahne, bike chalane se jayda hoti he. Please send me the solution for this problem kyoki me is problem ko apni bhivi ke samne nahi jhelna chahta ho. me badi umeed se aapko yah problem bata raha ho please help me.
A. saifi
सैफ़ी जी,आपकी समस्या समझा है जैसा कि आपने लिखा है कि अंडकोश से जुड़ी हुई नस मोटी व सूजी हुई सी प्रतीत होती है वह ज्यादा कुछ नहीं बल्कि किसी हल्के आघात या चोट का परिणाम है जो शायद सायकिल चलाने से या हस्तमैथुन की गलती का नतीजा है(इस बात का बुरा न मानियेगा क्योंकि ये भी एक कारण होता है इस तरह की समस्या का)। आप निम्न उपचार लीजिये-
१ . नित्यानंद रस एक गोली + कांचनार गुग्गुल एक गोली + वृद्धिबाधिका वटी एक गोली दिन में तीन बार अभयारिष्ट के एक चम्मच में बराबर पानी मिला कर लें। यह औषधियां आप कम से कम चालीस दिन तक लीजिये।
२ . त्रिफला चूर्ण + त्रिकुटा चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर एक चम्मच चूर्ण को दो कप पानी में उबाल कर आधा होने पर काढ़ा छान लीजिये व उसमें यवक्षार(जवाखार)+ सेंधानमक मिला कर दिन में दो बार पीजिए। खाली पेट न लें।
गेंहू, पुराना चावल,ज्वार, ताजा मट्ठा,गाय का दूध,हरे शाक जैसे पाचक पदार्थ लीजिये और सायकिल की सवारी,अधिक परिश्रम, मैथुन, दही, उड़द, मिठाई, बासी भोजन से परहेज करिये।

शुक्रवार, फ़रवरी 06, 2009

पंद्रह दिन पहले paralysis हो गया

आदरणीय सर
चरणस्पर्श
मेरे चाचाजी जिनकी उम्र पैंतालीस साल है पंद्रह दिन पहले paralysis हो गया है और उनके शरीर का दांया भाग लगभग निष्क्रिय सा हो गया है। आपसे प्रार्थना है कि तत्काल उपचार बतायें ताकि बीमारी पुरानी होने से पहले ही स्वस्थ होने की प्रक्रिया शुरू हो जाए। धन्यवाद
नितिन चंद्रवंशी,आगरा
नितिन जी, आप निराश और परेशान बिलकुल न हों आयुर्वेद में पक्षाघात का सटीक उपचार है। मैंने आपकी भेजी हुई तमाम रिपोर्ट्स को देखा है। आप अपने चाचाजी को निम्न औषधियां दें-
१ . मल्ल सिंदूर २ ग्राम + हरताल भस्म ३ ग्राम + विषतिंदुक वटी ५ ग्राम + एकांगवीर रस २० ग्राम + जंगली कबूतर की सूखी हुई बीट २० ग्राम + जायफ़ल ५ ग्राम (इस योग में कबूतर की बीट एक महत्त्वपूर्ण घटक है अतः उसे न निकालें अन्यथा लाभ पर्याप्त न होगा। ये आपको प्रयास करने पर मिल ही जाएगी कोई दुर्लभ पदार्थ नहीं है) इन सभी को लेकर पान के पत्ते के रस के साथ घोंटिये जब रस सूख जाए तब फिर उतना रस डालिये कि सारी दवाएं भीग जाएं, इसी तरह कुल तीन बार पान के पत्ते के रस को इस दवा में घोंट कर सुखा दीजिये और उड़द के दाने के समान गोलियां बना लीजिये। इस पूरे कार्य में आपको मुश्किल से एक दिन ही लगेगा बस आलस्य न करें। इस गोली को दो-दो गोली दिन में तीन बार महारास्नादि काढ़े के साथ दीजिये।
२ . कब्जियत के निवारण के लिये रात्रि भोजन के बाद दो चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने जल से दीजिए।
३ . सर्पगंधा घन वटी एक गोली दिन में एक बार भोजन के बाद दीजिये।
४ . प्रभावित अंगों पर दिन में दो बार महामाषादि तेल की हल्के हाथ से मालिश करिये।

मंगलवार, फ़रवरी 03, 2009

हमेशा जुकाम रहने के कारण उपहास का पात्र बन गया हूं।

आदरणीय वैद्यजी सादर प्रणाम
मुझे करीब पिछले डेढ़ साल से लगातार जुकाम बनी रहती है मेरी उम्र ३३ साल है। मैं एक स्कूल मे टीचर हूं लेकिन हमेशा जुकाम रहने के कारण उपहास का पात्र बन गया हूं। कोई सटीक उपचार बताइये। मुझे आयुर्वेद पर पूरा विश्वास है।
जयराज मिश्र,बबेरू
जयराज जी, आयुर्वेद पर विश्वास प्रदर्शित करने के लिए धन्यवाद स्वीकार करिये। मैंने आपकी भेजी हुई रिपोर्ट्स को देखा है आप परेशान न होइये। निम्न उपचार लगातार चालीस दिन तक लीजिये और ध्यान रहे कि फ़्रिज का पानी या बाजारू ठंडे पेय न पियें और कफ़वर्धक पदार्थों से सख्त परहेज करें-
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + त्रिभुवन कीर्ति रस १२५ मिग्रा. + लक्ष्मीविलास रस नारदीय १२५ मिग्रा. + श्रंग भस्म २५० मिग्रा. + रस सिंदूर १०० मिग्रा. + गोदन्ती भस्म २५० मिग्रा. को लेकर एक मात्रा बनाएं; इस मिश्रण की तीन खुराक दिन में शहद के साथ सेवन करें।
२ . हरिद्राखण्ड आधा चम्मच + चित्रक हरीतकी आधा चम्मच दिन में दो बार सेवन करें और ऊपर से हलका सा गर्म जल पियें।
आपको मात्र दो तीन दिन में ही आराम आने लगेगा।

आठ साल के बेटे को लगभग एक साल से अस्थमा

आदरणीय सर,नमस्ते
मेरे आठ साल के बेटे को लगभग एक साल से अस्थमा जैसी समस्या हो गयी है ,सांस फूलने लगती है। घबराहट के कारण बच्चा एकदम व्याकुल हो जाता है। उसकी पढ़ाई का सत्यानाश हो रहा है। यदि जरा सा भी खेल कूद कर लेता है तो बुरी तरह से सांस चलने लगती है इसलिये घर पर ही रहता है। हमारे शहर में डाक्टर के पास गये तो उसने तो साफ़ कह दिया कि यह बीमारी जीवन भर ठीक ही नहीं होती जब तक जिंदगी है दवाएं लेनी पड़ेंगी। मुझे यह सुन कर बड़ी निराशा हुई है लेकिन मेरे मित्र ने बताया कि आयुर्वेद में अस्थमा का उपचार है। हमारी सहायता करिये।
पीयूष नागर,झांसी
पीयूष भाईसाहब,पहली बात तो ये कि आप जिस भी चिकित्सक के पास गये होंगे उसने अपनी चिकित्सा प्रणाली के अंतर्गत उसे जो जानकारियां है उसके आधार पर आपको जीवन भर दवाएं लेने की बात कह दी। आयुर्वेद के अनुसार कफ़-वातादि दोषों की स्थिति के अनुसार अभी यह समस्या कष्टसाध्य हो सकती है किंतु असाध्य नहीं। असल में अपने देश में आयुर्वेद का स्वरूप ही बिगड़ गया है आयुर्वेद जैसी "यूनिफ़ाइड साइंस" को मात्र चटनी चूरन वाले झोलाछाप चिकित्सकों की पद्धति समझा कर प्रस्तुत करा गया है और ऐलोपैथी यानि कि बस मौत को छोड़ कर हर बीमारी का इलाज है। आप खुद ही विचार करिये कि क्या आप खुद जब तमाम जगहों से परेशान हो गये तब आयुर्वेद के पास आए न? होता यही है कि सही राज्याश्रय न होने की दशा में अच्छे से अच्छा विचार धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है। आप परेशान न हों बच्चे को आजीवन दवाएं लेने की आवश्यकता हरगिज नहीं है। आप बच्चे को निम्न उपचार दीजिये-
१ . श्वासचिंतामणि रस ६० मिलीग्राम + रस सिंदूर ६० मिलीग्राम + छोटी(लेंडी) पीपर का चूर्ण २५० मिलीग्राम + बहेड़े की गुठली के अंदर की मींगी २५० मिलीग्राम; इन सबको मिला कर एक मात्रा बनाएं व सुबह शाम शहद के साथ चटाएं।
२ . लवणभास्कर चूर्ण २ ग्राम + कपर्द भस्म २५० मिलीग्राम दोनो समय भोजन के आधे घंटे बाद जल से दीजिये।
३ . द्राक्षासव दो चम्मच(छोटा, चाय वाला) + कनकासव एक चम्मच (छोटा, चाय वाला) छह चम्मच जल में मिला कर भोजन के पंद्रह मिनट बाद दोनो समय दीजिये।
४ . गाय के घी में सेंधा नमक बारीक पीस कर मिला दीजिये तथा दिन में दो-तीन बार हलके हाथ से छाती व पसलियों पर मालिश करके सिकाई कर दें।
सुपाच्य भोजन दीजिये। रात का खाना सोने से दो घंटे पहले दीजिये।। प्रातःकाल नाश्ते में फलों का रस, ताजे मौसमी फल, अंकुरित चने, गेंहू की रोटी व सब्जी दे सकते हैं। सूप, सलाद, हरी पत्तेदार सब्जियां दी जा सकती हैं। मिर्च-मसाला, अचार, चटनी, तली हुई चीजें, आइसक्रीम, मिठाई, फ़्रीज का पानी, ठण्डे बाजारू पेय जैसे कफ़वर्धक पदार्थों से सख्त परहेज कराएं।
एक माह के बाद श्वासचिंतामणि रस तथा कनकासव बंद कर दीजिये तथा सारी दवाएं तीन माह तक ऐसे ही जारी रखिये। सुबह नाश्ते के बाद च्यवनप्राश एक चम्मच देना शुरू करियेगा।

सोमवार, फ़रवरी 02, 2009

Motor Neuron Disease का ऐलोपैथी में कोई इलाज नहीं है

Dear Doctor,
I am Chandrasekar - male aged 54 years.
I have been suffering from mild lower back pain for nearly 10 years.
From Feb 2008, my right foot became stiffer and stiffer day by day and finally could not move. ( Foot Drop condition.)
Slowly I started walking with a limping movement.
The muscles on my legs started to twitch ( fasiculations )
Gardually the muscles of my thighs and buttock started to reduce ( muscle wasting)
MRI of Brain and Spine confirmed no problems.
In November 2008 after conducting Electro Myography Test the Doctor confirmed the condition as Motor Neuron Disease.
I understand that there are no medicines in Allopathy to cure Motor Neuron Disease.
At present I am not able to walk without a stick and some support.
I feel very weak in both my legs and cannot stand or walk normally.
Please help.
Yours sincerely
A D Chandrasekar
H 6 / 3, First Main Road
Tiruvalluvar Nagar
Tiruvanmiyur
Chennai - 600 041
चंद्रशेखर जी आपकी समस्या के बारे में यही कहा जाता है कि इस बीमारी का कोई उपचार ही नहीं है किंतु ऐसा बिलकुल नहीं है, आयुर्वेद में किसी बीमारी के नाम से नहीं बल्कि उस बीमारी के मूल कारणों यानि कि दोषों में आए असंतुलन के आधार पर जान कर किया जाता है। दुर्भाग्यवश अब तक हमारे बीच इलैक्ट्रोत्रिदोषग्राम नामक यंत्र सहज रूप में नहीं आ सका है कि जिससे आपके शरीर के दोषों का कागजी दस्तावेज आपके सामने प्रस्तुत करा जा सके। आप निम उपचार शुरू करें-
१. गंधर्व हरीतकी रात को सोने से पहले भोजन के आधा घंटे बाद एक चम्मच हल्के गुनगुने जल से लीजिये।
२ . कफ़कुठार रस एक गोली + महावातविध्वंसन रस एक गोली+ विषतिंदुक वटी एक गोली की एक मात्रा दिन में तीन बार महारास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ लीजिये।
३ . शिलाजित्वादि वटी एक एक गोली दिन में तीन बार अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये
इस उपचार को चालीस दिन तक लगातार लीजिये व उसके बाद आए परिवर्तनों की सूचना दीजिये ताकि आगे उपचार को उस अनुसार जारी रखा जा सके।