बुधवार, फ़रवरी 25, 2009

वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं......

डाक्टर साहब नमस्ते
मैं आपको अपनी रिपोर्ट्स भेज रहा हूं जिसमें कि मुझे बताया गया है कि वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं और इसका कारण हमारे शहर के डाक्टर ने वीर्य वाहिनी में अवरोध होना बताया है कि वीर्य में शुक्राणु लाने वाली नली में रुकावट है इस कारण से आपके वीर्य में शुक्राणु हैं ही नहीं। क्या मेरी बीमारी का कोई इलाज नहीं है?
सुभाष,भदोही
सुभाष जी, जहां तक आपने जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मुझे इस तरह की रिपोर्टस पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। यही तो तरीका है पैथोलाजिस्ट्स और चिकित्सकों के गठजोड़ का मरीजों का खून पीने का।
पुरुषों में अंडकोश एक ग्रन्थि के आकार के होते हैं जो कि लगभग २०- २५ ग्राम के आसपास और ४ x ३ x २.५ सेमी. की होती है। इसके दोनो ओर के स्रोत मूत्र स्रोत में खुलते हैं। यह ग्रन्थि ग्लैन्ड्युलर टिश्यूज़ को घेरे हुए मांस तंतुओं से बनी होती है एवं सूत जैसे तंतुओं से कैप्सूल जैसी रचना को ढंके रहती है। वास्तव में इसी ग्रन्थि के द्वारा मूत्राशय का निम्नद्वार बनता है। इस ग्रन्थि में एक प्रकार का पतला स्राव यानि रस बनता है जो कि सेक्स की भावना आने के समय तत्काल निर्मित होता है जैसे कि जनरेटर में आवश्यकता होने पर बिजली उत्पन्न होने लगती है, ये कार्य हार्मोनल स्तर पर संपन्न होता है। दस-बीस पतली-पतली नलियों से होकर यह यह रस शुक्रमार्ग में (मूत्रमार्ग के धरातल पर) आता हैं, यह रस क्षारीय होता है अम्लत्त्व में शुक्राणु जीवित नहीं रह पाते हैं। जैसा कि आपकी रिपोर्ट में मैंने देखा है कि वीर्य में न केवल अम्लीयता है बल्कि उसमें लाल रक्त कण भी पाये गये हैं इससे साफ़ पता चलता है कि पित्त विकार के कारण आपके साथ ऐसा है कि आप azoospermia नामक रोग से पीड़ित हैं। आप निम्न उपचार लीजिये-
१ . गिलोय सत्त्व १० ग्राम + कबाब(शीतल)चीनी १० ग्राम + सफ़ेद मूसली १० ग्राम + कतीरा गोंद १० ग्राम + शिलाजीत १० ग्राम + प्रवाल पिष्टी १० ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम + भीमसेनी कपूर आधा ग्राम ; इन सबको कस कर घोंट कर गुलाब जल डाल कर खरल करें फिर एक ग्राम केसर डाल कर दुबारा मजबूत हाथों से घुटाई करके २५० मिग्रा. की गोलियां बना लीजिये। सुबह-शाम एक - एक गोली गिलोय(गुरिच या गुळ्वेल या गुडूची) के रस में बराबर शहद मिला कर लें यदि गिलोय का रस न मिल पाये तो तुलसी के पत्तों के रस व शहद से लीजिये।
२ . महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच उत्तम कोटि के च्यवनप्राश के साथ सुबह लीजिये
३ . अभ्रक भस्म एक रत्ती + स्वर्ण बंग एक रत्ती + लक्ष्मी विलास रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली + नवायस मण्डूर एक रत्ती की एक खुराक बनाएं व दोपहर भोजन के बाद द्राक्षासव व अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
४ . बसंतकुसुमाकर रस एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + पूर्णचंद्र रस एक गोली + स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती + मुक्ताशुक्ति भस्म एक रत्ती + मूसली पाक एक चम्मच को मिला कर हलके गुनगुने मीठे दूध के साथ शाम को लीजिये।
५ . एक चम्मच कोंचा पाक + एक चम्मच च्यवनप्राश को चाट कर ऊपर से करीब दो चम्मच ईसबगोल की भूसी दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को कम से कम तीन माह तक जारी रखिये। भोजन में मांसाहार व तेज मिर्च मसाले का सेवन एकदम बंद कर दें यदि तम्बाकू अथवा शराब का सेवन करते हों तो परहेज करिये।

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