प्रणाम डॉक्टर साहब, सर्वप्रथम तो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी समस्या पर इतनी तत्परता से प्रतिक्रिया दी. आपको मैं थोड़े से विस्तार से पूरी बात बता देता हूं. सबसे पहले तो मेरी उम्र 24 वर्ष है और मैं अविवाहित हूं. सन् 2005 मार्च महीने में मैं जिम जाया करता था कसरत करने के लिए तभी से एक दिन मेरे दायें अंडकोष में सूजन और दर्द शुरू हुआ. मतलब तब मेरी उम्र 21 होगी. हफ्ते भर मैंने कोई उपचार नहीं लिया और दर्द असहनीय होता गया. जहां तक चोट लगने की बात है ऐसा कुछ नहीं हुआ था. मैं सुबह जिम जाने से पहले बहुत सारा पानी पीता था फ्रेश होने के लिए और जिम के दौरान पेशाब का प्रेशर बनने और उसे रोके रखना भी कारण हो सकता है. हालांकि कारण क्या है मैं स्पष्ट रूप से नहीं कह सकता. खैर एक-दो हफ्ते बाद मैं एक फिजीशियन और उसके बाद सर्जन के यहां गया. दोनों ने कहा कि कुछ नहीं है और दवाएं देकर टरका दिया. कोई लाभ नहीं. मैं मुरैना मध्यप्रदेश में रहता हूं उसके बाद ग्वालियर के सर्जन को दिखाया उन्होंने अल्ट्रासाउंड कराया. जिसमें दायें अंडकोष का आकार बढ़ा होने के अलावा कोई समस्या नहीं थी. सब नॉर्मल था. उन्होंने भी दवाएं देकर टरकाया. कुछ खास फायदा नहीं. उसके बाद काफी महीनों तक वहीं के एक आयुर्वेदाचार्य से उपचार लेता रहा. बहुत लाभ हुआ. दर्द लगभग खतम सा हो गया. सूजन भी कुछ खास नहीं दिखी. फिर 2006 में मेरे बायी तरफ के लोअर अब्डोमेन में दर्द रहने लगा. दरअसल उनकी सलाह पर मैंने लंगोट पहनना शुरू किया था और एक मौके पर मैंने कमर पर लंगोट बहुत ही ज्यादा कस लिया था. उस दिन के बाद मेरे बायीं लोअर अब्डोमेन में दर्द रहने लगा. मामूली बहुत ज्यादा नहीं. बस टाइट पैंट पहनने या बेल्ट लगाने पर वो बढ़ जाता है और शरीर के पूरी बायें हिस्से में होने लगता है मतलब बायें तलवे से लेकर और ऊपर सिर तक हाथ तक. मैंने उन्हें बताया तो वे टहलाते रहे. सो मैंने उनके यहां जाना बंद कर दिया. एक सर्जन के यहां गया तो उन्होंने अल्ट्रासाउंड कराकर सब कुछ नॉर्मल बताकर कह दिया कि यह सब तो तुम्हारा वहम है. उसके बाद 6 महीने तक कोई दवा नहीं ली और काफी डिप्रेशन में चला गया. फिर 2007 की शुरूआत में मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के एक जूनियर डॉक्टर मित्र के कहने पर कुछ सर्जन और फिजीशियन को दिखाया और उन्होंने कहा तुम्हें कोई बीमारी ही नहीं है. बस अंडकोष का आकार थोड़ा बड़ा है तो कभी कभार कुछ लोगों का होता ही है. उसके बाद काफी समय तक कोई दवा नहीं. फिर एक होम्योपैथी के चिकित्सक को दिखाया. तब से अब तक उनकी दवाएं ले रहा था. 15 दिन पहले तक. पर आठ महीने दवा लेने के बावजूद फर्क तो दिखा पर अपेक्षित फर्क नहीं दिखा ऊपर से चिकित्सक महोदय का कहना था कि मैं कह नहीं सकता कि इलाज कब तक चलेगा. मतलब इलाज सालों भी चल सकता है उनके अनुसार. होम्योपैथी लेने से पहले मैं न तो मोटरसायकल, स्कूटर में किक मार सकता था क्योंकि इससे असहनीय दर्द होता था. ना वजन उठा सकता था, दौड़ने से भी बेहद कष्ट होता था, थोड़ा भी पेशाब रोकने से दर्द शुरू हो जाता था, सर्दियों के दौरान तकलीफ बढ़ जाती थी अंडकोष की. मतलब ठंडे पानी को छू लेने या शौच के लिए जाने के बाद अंडकोष में असहनीय दर्द होता था. डिस्चार्ज के बाद भी दर्द होता था. हालांकि अब इतने समय होम्योपैथी लेने के बाद इन सब कार्यों को करने के बावजूद दर्द उतना भयंकर नहीं होता. उन चिकित्सक ने मुझे सब कुछ करने की छूट दे रखी थी चो बाइक चलाओ चाहे वजन उठाओ, चाहे masturbation करो. हालांकि अभी मैं यदि masturbation करूं तो स्थिति ये है कि उसके बाद दर्द शुरू हो जाता है और कुछ दिन तक होता रहता है. इस बार होम्योपैथी लेने के कारण सर्दियों में भी काफी कम तकलीफ हुई. मोटरसायकल चलाऊं तो दर्द होता है. पर मैं होम्योपैथ की अत्यधिक धीमी गति से उपचार से परेशान हो गया था और यह बहुत महंगा भी था. फिलहाल मेरे दायें अंडकोष में दर्द, सूजन दोनों है. दर्द ना तो असहनीय है ना ही बहुत कम है. दर्द पूरे दाहिने पैर में होता है और भारीपन महसूस होता है. दर्द जब कम रहता है तो केवल अंडकोष तक ही होता है टांग में नहीं महसूस होता. और बायें लोअर अब्डोमेन की समस्या यथावत है. हालांकि बहुत से लोगों ने इसे नर्वस सिस्टम की समस्या बताया. पर वहां दर्द नहीं है वो तो कभी कभार तंग पैंट पहनने या गलती से दौड़ने पर होता है. वहां भी ऐसा है कि दर्द यदि ज्यादा हुआ तो शरीर के पूरे बायें हिस्से में होता है सिर तक. हालांकि दर्द ज्यादा, या फिर होता ही नहीं है. समस्या तो मुख्यतया अंडकोष की ही है. पिछले महीने अप्रैल में जो अल्ट्रासाउंड कराया उसकी रिपोर्ट ये है- बाकी सब तो नॉर्मल है. both testis shows normal echo pattern.Rt testis is larger in size measRt testis 37*20mm Lt testis 27*14mmRt testis shows increased vascul;arity on color flow.ये तो रही रिपोर्ट हालांकि जब रिपोर्ट कराई थी उसके बाद अब लगता है कि थोड़ी सूजन ज्यादा है क्योंकि हर समय दौड़-भाग करने, बाइक चलाने और अनियमित दिनचर्या के कारण हो सकता है. अब मैंने स्वामी रामदेव का प्राणायाम शुरू किया है उसको करने के बाद दर्द में राहत महसूस करता हूं. हालांकि ग्वालियर में हफ्तेभर पहले स्वामी रामदेव के पतंजलि योग चिकित्सालय भी गया था पर उन्होंने कहा कि आप तो बिल्कुल ठीक हैं. डॉक्टसाहब अब आपसे विनती है कि मेरी समस्या को दृष्टिगत रखते हुए समुचित उपचार बतायें. क्या इस समस्या का समाधान संभव है और यदि हां तो ये कितना समय लेगा. चूंकि मेरा विवाह भी आगामी साल-छ: महीनों में हो सकता है. जरूरी प्रीकॉशन(सावधानियां) और परहेज भी बतावें और समुचित मार्गदर्शन दें. मेल कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है. इसके लिए क्षमा चाहता हूं. आभार, अनिल,मध्यप्रदेश
अनिल भाई,आपकी समस्या को गौर से देखा विस्तार से लिखा इसके लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूं। आपकी समस्या कोई बहुत बड़ी या लाइलाज तो है नहीं बस होता यह है कि अनियमित दिनचर्या और आचरण के कारण रुग्ण्ता उपजती है। आपको एक बात बहुत ही स्पष्टता से बता देना चाहता हूं कि चाहे आपने कितने भी तथ्यों और तर्कों से अपने आपको हस्थमैथुन के पक्ष में समझा रखा हो और मन को ये बता-जता कर कि ये तो एक सहज साधारण क्रिया है किन्तु आपके लिये ये बेहद हानिकारक है। शेष निर्णय आपको लेना है। आप उस इत्र का व्यवसाय करने वाले को क्या कहेंगे जो कि लाखों फूलों का इत्र खींच कर नाली में बहा दे? मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं क्योंकि सबके पास तर्क हैं पक्ष और विपक्ष में। जैसी इस समय आपकी स्थिति है ये ठीक वैसी ही है जैसा कि घायल घोड़ा हो और आप उसे चाबुक मार मार कर दौड़ाएं, आप हस्थमैथुन से उस समय तो अपनी कामेच्छा पूर्ण कर लेते हैं लेकिन भविष्य के बारे में क्या फिर जीवन भर डाक्टरों के भरोसे ही रहने का इरादा बनाया हुआ है। इससे अधिक समझाना व्यर्थ है आप अपना भला बुरा स्वयं समझते हैं। इन औषधियों को न्यूनतम चार माह तक नियमित सेवन करें आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी---
१ . वृद्धिबाधिका बटी दो -दो गोली + शूल वर्जिणी बटी एक गोली दिन में दो बार नाश्ते और रात्रि के भोजन के बाद जल से लीजिये।
२ . गोक्षुरादि गुग्गुलु दो गोली + लोकनाथ रस एक गोली + त्रिबंग भस्म २५० मिग्रा. + शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा. + पुनर्नवा मण्डूर २५० मिग्रा. इन सबको इसी अनुपात में मिला कर एक खुराक बनाएं। इस खुराक को दिन में तीन बार हलके गर्म जल से लीजिये।
३ . शोथहर गुटिका को पत्थर पर दिन एक बार घिस कर लेप करे और लंगोट को कस न बांधें। रात्रि को सोते समय महानारायण तेल लगा कर सोएं व यदि संभव हो तो हल्का सा सेंक लिया करें इससे शीघ्र लाभ होगा किन्तु ध्यान रहे कि सेंक हलकी आंच की हो तेज आंच आपको भयंकर हानि पहुंचाएगी।
तेज़ मिर्च-मसालेदार भोजन तथा खट्टे पदार्थों से परहेज़ करना हितकर है। आप शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो जाएं व सुखपूर्वक विवाहित जीवन के दायित्त्वों का निर्वाह करें ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।
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मंगलवार, मई 20, 2008
दायें अंडकोष में सूजन और दर्द
Published :
5/20/2008 10:03:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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