डाक्टर साहब, नमस्ते
मेरी मम्मी बहुत परेशान हैं। मेरी मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में बहुत तेज दर्द रहता है। हाथ व पैरों की उंगलियां भी टेढ़ी हो गयी हैं। जिसके कारण उठने बैठने में बहुत परेशानी होती है । हमने बहुत इलाज करा लिया है लेकिन कहीं से भी कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। कोई डाक्टर कहते हैं कि गांठों में यूरिया जमा है और कोई डाक्टर कहते हैं कि गठिया बाय हैं। मेरी मम्मी पिछले पंद्रह साल से परेशान हैं उन्हें अंग्रेजी दवा बिलकुल सूट नहीं करती हैं । अतः आपसे निवेदन है कि आप मेरी मम्मी को आयुर्वेद की अच्छी भले ही मंहगी हो कोई दवा देने की कृपा करें। जिससे मेरी मम्मी को इस बीमारी से आपके द्वारा जीवनदान मिल सके। आपके इस अहसान से हम सदा आपके ऋणी रहेंगे। आपसे आशा है कि आप इस परेशानी में मेरा साथ जरूर देंगे। अपना फोन नं. बताने की कृपा करें। आपका सदा आभारी रहूंगा।
सतीश कुमार,नोएडा
सतीश जी माताजी के प्रति आपका गहरा प्रेम आजकल के समय में बच्चों में जरा कम ही देखने में आता है। आपकी माताजी की बीमारी पर बहुत सारे चिकित्सक तमाम दवाओं के प्रैक्टिकल कर चुके हैं और रोग जीर्ण हो चुका है किन्तु निराशा की बात नहीं है। आपको धैर्य रखना होगा। जिस प्रकार गंदे कपड़े पर रंग नहीं चढ़ता उसी तरह से बिना शरीर का शोधन करे उत्तम से उत्तम दवा भी अपना असर नहीं दिखा पाती है। आयुर्वेद की भाषा में आपकी माताजी को हुई बीमारी "आमवात" कहलाती है। सर्वप्रथम आपकी माताजी के शरीर का विधिवत शोधन किया जाए तब जाकर ऐसी स्थिति बनेगी कि उन्हें दवाएं असर करेंगी। इस लिये इस क्रम में उन्हें निम्न उपचार दें----
१ . निशोथ + सेंधा नमक + सोंठ बराबर मात्रा में मिला कर एक माशा चूर्ण कांजी(एक खट्टा सा पेय) के साथ दिन में दो बार दें, खाली पेट न दें। इससे उन्हें दस्त होंगे और देह में संचित विषपदार्थ मल के द्वारा निकल जाएंगे। दस्तों से घबराने की आवश्यकता नहीं है किन्तु यदि अधिक हों तो मात्रा कम कर दें।
इस चूर्ण को एक सप्ताह तक लेकर बंद कर दें इसके बाद नीचे लिखी दवा का तीन दिन बाद सेवन कराएं।
२ . एरण्ड तेल दो चम्मच + रास्नासप्तक क्वाथ दो चम्मच मिला कर दिन में दो बार दें । इसे भी खाली पेट न दें और एक सप्ताह तक देने के बाद बंद कर दें जैसे कि ऊपर की दवा बंद करी हैं।
३ . सोंठ १ तोला + गोखरू १ तोला मिला कर ३२ तोला जल में पकाएं और आठ तोला जल यानि कि एक-चौथाई रह जाने के बाद छान कर प्रतिदिन दो बार चार-चार तोला करके पिलाएं । ये रोज ताजा बनाएं। नाश्ते के बाद ही दें यानि खाली पेट दवा नहीं देना है।
४ . चित्रकादि बटी एक-एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से दें।
५ . वातारि गुग्गुलु एक गोली + आमवातारि रस दो गोली + महायोगराज गुग्गुलु दो गोली + वातगजांकुश रस एक गोली को रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दें।
६ . समीर गज केशरी रस एक गोली + अश्वगंधादि गुग्गुलु दो गोली दिन में तीन बार अदरख के रस तथा शहद को मिला कर निगलवाएं।
७ . विषगर्भ तेल से मालिश करवाएं और फिर ऊपर से कपड़ा लपेट दें ताकि हवा न लग पाए।
माताजी को गर्म जल, बाजरा, मूंग, जौ, करेला, परवल, तोरई, लहसुन,प्याज, हींग, सोंठ, गोमूत्र, मूली, एरण्ड का तेल, दूध का सेवन कराएं। गुड़ , अधिक जागना, बासी व गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली,मल-मूत्र के वेग को रोकना, उड़द का सेवन न करें। दवाओं का सेवन कम से कम छह मास से साल भर तक कराएं जल्दबाजी न करें।
मेरा फोन नं. है 09224496555
मेरी मम्मी बहुत परेशान हैं। मेरी मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में बहुत तेज दर्द रहता है। हाथ व पैरों की उंगलियां भी टेढ़ी हो गयी हैं। जिसके कारण उठने बैठने में बहुत परेशानी होती है । हमने बहुत इलाज करा लिया है लेकिन कहीं से भी कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। कोई डाक्टर कहते हैं कि गांठों में यूरिया जमा है और कोई डाक्टर कहते हैं कि गठिया बाय हैं। मेरी मम्मी पिछले पंद्रह साल से परेशान हैं उन्हें अंग्रेजी दवा बिलकुल सूट नहीं करती हैं । अतः आपसे निवेदन है कि आप मेरी मम्मी को आयुर्वेद की अच्छी भले ही मंहगी हो कोई दवा देने की कृपा करें। जिससे मेरी मम्मी को इस बीमारी से आपके द्वारा जीवनदान मिल सके। आपके इस अहसान से हम सदा आपके ऋणी रहेंगे। आपसे आशा है कि आप इस परेशानी में मेरा साथ जरूर देंगे। अपना फोन नं. बताने की कृपा करें। आपका सदा आभारी रहूंगा।
सतीश कुमार,नोएडा
सतीश जी माताजी के प्रति आपका गहरा प्रेम आजकल के समय में बच्चों में जरा कम ही देखने में आता है। आपकी माताजी की बीमारी पर बहुत सारे चिकित्सक तमाम दवाओं के प्रैक्टिकल कर चुके हैं और रोग जीर्ण हो चुका है किन्तु निराशा की बात नहीं है। आपको धैर्य रखना होगा। जिस प्रकार गंदे कपड़े पर रंग नहीं चढ़ता उसी तरह से बिना शरीर का शोधन करे उत्तम से उत्तम दवा भी अपना असर नहीं दिखा पाती है। आयुर्वेद की भाषा में आपकी माताजी को हुई बीमारी "आमवात" कहलाती है। सर्वप्रथम आपकी माताजी के शरीर का विधिवत शोधन किया जाए तब जाकर ऐसी स्थिति बनेगी कि उन्हें दवाएं असर करेंगी। इस लिये इस क्रम में उन्हें निम्न उपचार दें----
१ . निशोथ + सेंधा नमक + सोंठ बराबर मात्रा में मिला कर एक माशा चूर्ण कांजी(एक खट्टा सा पेय) के साथ दिन में दो बार दें, खाली पेट न दें। इससे उन्हें दस्त होंगे और देह में संचित विषपदार्थ मल के द्वारा निकल जाएंगे। दस्तों से घबराने की आवश्यकता नहीं है किन्तु यदि अधिक हों तो मात्रा कम कर दें।
इस चूर्ण को एक सप्ताह तक लेकर बंद कर दें इसके बाद नीचे लिखी दवा का तीन दिन बाद सेवन कराएं।
२ . एरण्ड तेल दो चम्मच + रास्नासप्तक क्वाथ दो चम्मच मिला कर दिन में दो बार दें । इसे भी खाली पेट न दें और एक सप्ताह तक देने के बाद बंद कर दें जैसे कि ऊपर की दवा बंद करी हैं।
३ . सोंठ १ तोला + गोखरू १ तोला मिला कर ३२ तोला जल में पकाएं और आठ तोला जल यानि कि एक-चौथाई रह जाने के बाद छान कर प्रतिदिन दो बार चार-चार तोला करके पिलाएं । ये रोज ताजा बनाएं। नाश्ते के बाद ही दें यानि खाली पेट दवा नहीं देना है।
४ . चित्रकादि बटी एक-एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से दें।
५ . वातारि गुग्गुलु एक गोली + आमवातारि रस दो गोली + महायोगराज गुग्गुलु दो गोली + वातगजांकुश रस एक गोली को रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दें।
६ . समीर गज केशरी रस एक गोली + अश्वगंधादि गुग्गुलु दो गोली दिन में तीन बार अदरख के रस तथा शहद को मिला कर निगलवाएं।
७ . विषगर्भ तेल से मालिश करवाएं और फिर ऊपर से कपड़ा लपेट दें ताकि हवा न लग पाए।
माताजी को गर्म जल, बाजरा, मूंग, जौ, करेला, परवल, तोरई, लहसुन,प्याज, हींग, सोंठ, गोमूत्र, मूली, एरण्ड का तेल, दूध का सेवन कराएं। गुड़ , अधिक जागना, बासी व गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली,मल-मूत्र के वेग को रोकना, उड़द का सेवन न करें। दवाओं का सेवन कम से कम छह मास से साल भर तक कराएं जल्दबाजी न करें।
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