मंगलवार, मई 27, 2008

मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और छह-सात दिन तक रहता है.....

डाक्टर साहब, नमस्कार
मेरी उम्र तीस साल है तथा मेरे दो बच्चे हैं। मेरी समस्या मैं काफ़ी समय तक तो झेलती सहती रही किन्तु अब मुझे बहुत परेशानी होने लगी है। धीरे-धीरे कमजोरी आती जा रही है, चक्कर आते हैं, अचानक मूर्च्छा भी कभी-कभी आ जाती है, नींद नहीं आती है, कमर और पेट में दर्द बना रहता है, कानों में ऐसा लगता है कि जैसे भॊंपू बज रहा है, मुझे मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और छह-सात दिन तक रहता है जिसमें काफ़ी रक्त आता है, हाथ-पैरों के तलवों में जलन सी भी बनी रहती है; मेरे पति कहते हैं कि इतनी सारी बीमारियों का किसी चिकित्सक के पास इलाज न होगा तुम तो रोगों का खजाना हो अगर कोई डाक्टर चाहे तो तुम्हें रिसर्च के लिये इस्तेमाल कर सकता है। मैं बहुत तंग आ चुकी हूं मेहरबानी करके यदि आयुर्वेद में कोई इलाज हो तो बताइये मैं जीवन भर आपकी आभारी रहूंगी।
ममता गिरी,गया(बिहार)
ममता बहन, सबसे पहले तो मैं आपके पति महोदय से कहना चहता हूं कि बीमारियां तो किसी को भी और कभी भी हो सकती हैं ये हालत उनकी भी हो सकती थी इसलिये इस तरह का व्यवहार अपनी जीवनसंगिनी के साथ सर्वथा अनुचित है। आप बिलकुल निश्चिंत हो जाइये आपको बहुत सारी बीमारियां नहीं बल्कि बीमारी तो एक ही है बाकी सब तो उसके लक्षण मात्र हैं। आप निम्न उपचार दो माह तक लगातार लीजिये और आयुर्वेद का चमत्कार देखिये कि कैसे आपकी बीमारी गायब होती है--
१ . बोलबद्ध रस १० ग्राम + नागकेशर १५ ग्राम + गूलर(उदुम्बर या उम्बर) के पत्तों का रस १०० मिली + अशोक घन बटी २५ ग्राम + गेरु २५ ग्राम + माजूफ़ल २५ ग्राम + मोचरस २५ ग्राम + सफ़ेद राल २५ ग्राम + लोध(लोध्र) १५ ग्राम + लौह भस्म १० ग्राम + मुक्ताशुक्ति भस्म १५ ग्राम + स्फटिक(शुभ्रा) भस्म २५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी २५ ग्राम + जहरमोहरा भस्म २५ ग्राम + सहजन का गोंद २५ ग्राम + गिलोय(गुड़वेळ या गुडुचि) सत्व १५ ग्राम + अश्वगंध ७५ ग्राम + आयापान १५ ग्राम ; इन सभी को भली प्रकार से घोंट कर मिला लें और फिर ५०० मिग्रा. की गोलियां बना लें व दिन में तीन बार अशोकारिष्ट के दो चम्मच के साथ दो-दो गोलियां लीजिये।
२ . शतावरी का चूर्ण एक चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म दूध से लें।
पूर्ण विश्राम करें, पुराना चावल, गेहूं की रोटी, साबुदाना, चौलाई, लौकी, आंवला, सिंघाड़ा, अंगूर, परवल, कद्दू, अनार, बकरी और गाय का दूध पथ्य हैं तथा सरसों का तेल, अधिक मिर्च-मसालेदार आहार, खट्टे पदार्थ, भैंस का दूध, बैंगन, उड़द, बासी आहार आदि ना लें।

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