manoj kumar
मनोज भाई,आपकी समस्या पुरानी है किन्तु निराश न हों। जैसा कि आपने बताया कि आप चंद्रप्रभा वटी और वृद्धिबाधिका बटी ले लेने से आपको आराम आ जाता है किन्तु उसी अवस्था में रह जाता है। दोनो अंडकोषों में तीन या चार गुना अंतर परेशानी पैदा करता है स्वाभाविक सी बात है कि यदि दर्द न भी हो तब भी ये एक परेशानी वाली बात है। आप के लिये जो उपचार लिख रहा हूं वह आप नियमित रूप से न्यूनतम छह माह तक लें और विश्वास रखिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी--
१ . वृद्धिबाधिका बटी एक गोली + वृद्धिहर रस एक गोली सुबह शाम शहद के साथ लीजिये।
२ . छोटी हरड़ को एक दिन गोमूत्र में भिगो कर रखिये बाद में सुखा कर एरण्ड(रेंडी) के तेल में भून लीजिये व पीस कर चूर्ण बना कर चौथाई भाग सेंधा नमक मिला लीजिये। इस योग को पांच ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म जल से लीजिये।
३ . रात को सोते समय १०० ग्राम ताजे इमली के पत्ते लेकर किसी मिट्टी के बर्तन में रखें और इसमें इतना गोमूत्र डालें कि सारी पत्तियां डूब जाएं। फिर इसे आग पर पकाएं जब गोमूत्र कम हो जाएफिर उतना ही गोमूत्र डालें व पकाएं ऐसा चार बार करें। ध्यान दीजिये कि यदि अंडकोष कद्दू की तरह से भी भारी हों तो इस योग से समस्या समाप्त हो जाती है ऐसी स्थिति में बर्तन से उठती भाप से सेंक लीजिये। जब योग पूरा हो जाए तो उसे हलका सा गर्म ही अंडकोष पर बांधें। इस योग में कदाचित आप को अड़चन हो सकती है किन्तु यदि आप आपरेशन से बचना चाहते हैं तो ये बेहतरीन उपाय है।
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