मंगलवार, दिसंबर 30, 2008

आयुर्वेद में मल्टीविटामिन्स का विकल्प

आदरणीय डाक्टर साहब
प्रणाम
मैं एक एलोपैथी चिकित्सक हूं और आपसे जानना चाहता हूं कि जिस तरह से किसी भी बीमारी के बाद आयी हुई कमजोरी के बाद आधुनिक चिकित्सा में हम लोग मल्टीविटामिन्स और खनिजों के बने कैप्सूल आदि देते हैं ताकि मरीज अशक्त न महसूस करे तो क्या आयुर्वेद में भी इसका कोई विकल्प है?
Dr.Ajay singh,Jhunsi
प्रिय डा.अजय जी, आयुर्वेद में सामान्य अथवा बीमारी के बाद आयी हुई भीषण कमजोरी को दूर करने के लिये जो योग दे कर सैकड़ों बार परीक्षण करा गया है वह आपकी सेवा में प्रस्तुत है--
सितोपलादि चूर्ण १०० ग्राम + आमलकी रसायन ५० ग्राम + शतावरी चूर्ण ५० ग्राम + मुलहठी का चूर्ण ५० ग्राम इस सबको मिला कर इसमें २५० ग्राम शहद मिला लें तो यह चटनी जैसा बन जाएगा अब आप इसे अपने मरीजों को निर्भय हो कर दे सकते हैं। इसे दिन में तीन बार एक-एक चम्मच दूध के साथ दीजिये। आप स्वयं देख लेंगे कि यह योग सिंथेटिक विटामिन्स व खनिजों के कैप्सूल से कहीं लाख गुना बेहतर परिणाम देता है। कम से कम दो माह सेवन कराने से आश्चर्यजनक लाभ होता है।

सोमवार, दिसंबर 29, 2008

पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ

डॉक्टर साहब को चरण स्पर्श,
आपका ब्लॉग देखकर साहब मुझे लगता है कि आप मेरे लिए मसीहा बनकर आए हैं। क्योंकि मैं पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ मेरी परेशानी ही कुछ ऐसी है कि जिसे ना तो किसी को बता सकता मेरी उम्र ३४ साल है और मैं अपनी याददाश्त को लेकर बहुत परेशान हूं मैं हर चीज भूल जाता हूं। कभी कभी सिर भारी रहता है और थकान 24 घंटे थकान रहती है जलन और आखें लाल भी हो जाती हैं। बहुत कोशिश के बाद काम में जी लगता है, बस २४ घंटे लेटे रहने का मन करता है देखने में सेहत ठीक लगती है पर थोड़ा सा काम करते थकावट हो जाती है . कोई भी काम बोझ की तरह पड़ा रहता है ऐसा लगता है किसी ने छाती पर पत्थर रख दिया हो , तात्कालिक याददाश्त बिल्कुल कम है। आजकल यह होने लगा है कि कोई मेरे से बात कर रहा होता है पर मैं अपने ही विचारों में खोया रहता हूं पूछ दे तो दिमाग ब्लैंक हो जाता अचानक ऐसा हो गया कि मूल बात कहीं छूट गयी, बच्चों से ही पूछना होता है कि हम क्या बात कर रहे थे। मेरी शादी १४ साल पहले हुई थी. शादी के बाद तीन दिनों तक मैं पत्नी से सहवास करने में असफल रहा. काफी कोशिशों के बाद चोथे दिन जैसे तैसे मैं पत्नी की साथ सम्भोग करने में सफल रहा. परन्तु तब से लेकर आज तक मैं अपनी पत्नी से संतोषदायक सहवास कभी नही कर पाया. मेरे लिंग में पर्याप्त कठोरता नही आ पाती . कभी शीघ्रपतन हो जाता है. कभी कठोरता आ भी जाती है तो वीर्य स्खलन से पहले लिंग ढीला हो जाता है. बहुत से डाक्टर को दिखाया पर कोई नतीजा नहीं निकला।. एक एम.डी. ने मेरे रोग का नाम CFS (Fibromyalgia) बताया है जिसका कोई कारगर इलाज नहीं होता है एक न्यूरोलाजिस्ट ने इसे (ANEXITY NEUROSIS ) बताया है हरिद्वार के रामदेव जी के आश्रम के एक चिकित्सक ने इसे उन्माद बताया, मैं प्रतिदिन दस सिगरेट पी जाता हूं लेकिन आदत हो गयी है जो छूट नहीं रही है जरूरी प्रीकॉशन(सावधानियां) और परहेज भी बतावें और समुचित मार्गदर्शन दें. मेल कुछ ज्‍यादा ही लंबा हो गया है. इसके लिए क्षमा चाहता हूं.
सधन्यवाद
अनाम
भाईसाहब आपकी सारी समस्या को विस्तार से पढ़ने समझने के बाद मैं जान पा रहा हूं कि आप वाकई बहुत परेशान हैं। सबसे पहले तो मैं आयुर्वेद के उन छद्मचिकित्सकों की भरपूर भर्त्सना करना चाहता हूं जो अपनी बेवकूफ़ी के कारण रोगी के प्राण ले लेते हैं और अंधेरे में तीर चलाते हुए आयुर्वेद को बदनाम करते हैं ,बाबा रामदेव महाराज का नाम बिक रहा है आयुर्वेद की मिट्टी पलीद हो रही है उनके नाम पर।
आपकी समस्या को देखते ही आयुर्वेद कॊ जरा सा भी समझने वाला जान जाएगा कि आपकी समस्या का मूल कारण कफ़ विकार है, मुझे हलका सा आक्रोश है उन मूढ़ चिकित्सकों पर जो आयुर्वेद के त्रिदोष के सिद्धांत को छोड़ कर पेटेंट दवाओं के तीर चलाते रहते हैं। आपकी देह में कफ़ विकार के चलते अवलम्बक कफ़(आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एसिटिल कोलीन?) व साधक पित्त (आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एड्रीनलीन?) दूषित हो चला है। आप निम्न आहार-विहार से परहेज करें--
दिन में सोना, व्यायाम न करना, मीठे, ठंडे व बासी भोजन न करें, केक-पेस्ट्री बिस्किट, चायनीज व्यंजन, बाजारू साफ़्टड्रिंक्स, घी, तैलीय पदार्थ, मछली(सभी जलीय जंतु) न खाएं, सिंघाड़ा, नारियल, कद्दू, लौकी(बेलों पर लगने वाली सब्जियां फलादि), उड़द, लोबिया, जौ, गेंहू, दूध-दही, चावल से बने खाद्य पदार्थ यानि कि आपको कुछ भी ऐसा नहीं खाना-पीना है या आचरण करना है जिससे कि कफ़ कुपित हो।
आप नियमित रूप से कठोर व्यायाम, सूखी मालिश, प्यास व नींद के वेग को रोकना, उपवास करना अपने अभ्यास में लाएं। शहद का अधिकतासे सेवन करिये। किसी आयुर्वेदिक पंचकर्म करने वाले चिकित्सक से मिल कर वमन करिये ।
निम्न औषधि लीजिये-
१. ताम्र भस्म एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम)+ शतपुटी अभ्रक भस्म एक रत्ती + शंख भस्म एक रत्ती मिला कर सुबह दोपहर शाम को एक एक खुराक वासादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ सेवन करें।
२. हरिद्रादि चूर्ण आधा चम्मच दिन में दो बार शहद के साथ चाटिए।
३ . श्रंगाराभ्र रस एक-एक गोली शहद के साथ दिन में तीन बार लीजिये व ऊपर से गर्म फीका दूध दो घूंट पी लीजिये(दो घूंट से ज्यादा न लें)। एक माह के बाद आप इसी औषधि को मलाई के साथ एक माह तक लीजिये और फिर आयुषवेद को सूचित करिये।
कोई भी दवा खाली पेट न लें।

बुधवार, दिसंबर 24, 2008

पत्नी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचा रहता है सैक्स की भी इच्छा नहीं होती है

डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी पत्नी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचा रहता है जिससे उसे बहुत परेशानी होती है। वह इकहरे बदन की है उसका वजन भी काफ़ी कम है। उसकी उम्र अड़तीस साल है। उसको सैक्स की भी इच्छा बिलकुल नहीं होती है। खून में हीमोग्लोबिन भी बहुत कम है। कुछ आयुर्वेदिक दवा बताइये।
अविनाश राजाध्यक्ष,कोच्चि
अविनाश जी,आपने अपनी पत्नी की समस्या को बहुत विस्तार से लिखा है व कई रिपोर्ट्स भेजी हैं उन सब रिपोर्ट्स को देख कर गहराई से समझने के बाद आपकी पत्नी के लिये निम्न दवा लिख रहा हूं।
१ . रससिंदूर १० ग्राम + लौह भस्म १० ग्राम + बंग भस्म १० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + शुद्ध कुचला २० ग्राम + त्रिकटु २० ग्राम + अश्वगंधा २० ग्राम; इन सबको बहुत मजबूत हाथों से कसकर घोंट लीजिए जिससे कि रस सिंदूर की चमक समाप्त हो जाए। अब इस औषधि में से २५० मिलीग्राम की मात्रा की एक खुराक बनाएं। सुबह-शाम शहद के साथ एक-एक मात्रा चटाएं। इससे कुछ ही दिनों में उनकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। इस उपचार को कम से कम चालीस दिन तक अवश्य दीजिये।

सोमवार, दिसंबर 22, 2008

कामशक्तिवर्धक दवाऒ के सेवन से स्वप्नदोष की समस्या होने लगी है

आदरणीय डाक्टर साहब
नमस्ते
मैंने चिकित्सक के सुझाव से कुछ कामशक्तिवर्धक दवाएं लेना शुरू करा क्योंकि मैंने बताया था कि मुझे शुक्राणुओं की गतिशीलता से संबंधित समस्या थी। अब दवाओं के सेवन से मुझे स्वप्नदोष की समस्या होने लगी है। सप्ताह में दो तीन बार मैं इस समस्या से दो-चार हो रहा हूं मेहरबानी करके मेरी सहायता करिये।
अनाम
भाई,आपने जिन भी कामशक्तिवर्धक दवाओं का सेवन करा है उन्हीं का परिणाम है कि आप स्वप्न दोष से परेशान हो रहे हैं क्योंकि धारण क्षमता है नहीं और आप हैं कि वजन उठाए जा रहे हैं आप उन दवाओं को एक सप्ताह तक बंद करें और इस औषधि का सेवन करें फिर उसके बाद पुनः उन दवाओं का सेवन प्रारंभ करें-
१ . त्रिफला चूर्ण १०० ग्राम + हल्दी चूर्ण(बाजारू न ले कर स्वयं खड़ी हल्दी पिसवाएं) १५ ग्राम + धनिया चूर्ण १५ ग्राम + कपूर २ ग्राम इन सबको अच्छी तरह से मिला लें और उसमें इतना शहद मिलाएं कि वह च्यवनप्राश जैसा अवलेह बन जाए। इसमें चांदी के चार वर्क मिला लीजिए और सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध के साथ चाट लिया करें।

शनिवार, दिसंबर 20, 2008

स्तनों में बहुत ढीलापन आ गया है

आदरणीय डाक्टर साहब, मेरी उम्र ३८ साल है, मेरे दो बच्चे हैं। मेरे स्तनों में बहुत ढीलापन आ गया है। इससे मेरा सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है आपसे मैं कुछ आयुर्वेद की औषधि जानना चाहती हूं जिससे कि मैं अपने खोए हुये शारीरिक सौन्दर्य को दोबारा पा सकूं। धन्यवाद
रश्मि अरोरा,सागर(म.प्र.)
रश्मि बहन, स्तनों में ढीलापन आ जाने के कारण आपका शारीरिक सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है मैं आपको जो उपचार बता रहा हूं उससे बहुत सारी अन्य बहनें भी लाभान्वित होंगी
१ . मालिश के लिए तेल बनाने के लिये बनाने के लिये ये तरीका अपनाएं
जायफ़ल ५ ग्राम + कुटकी ३ ग्राम + असगंध १० ग्राम + लज्जालु ४ ग्राम + हल्दी ५ ग्राम + दारुहल्दी ५ ग्राम + चम्पापुष्प २० ग्राम + घी १० ग्राम + तिल तैल २० ग्राम + पानी १००० ग्राम ; इस पूरे मिश्रण को अच्छे तरीके से पका लें ताकि सारा पानी जल जाए और बस तेल ही बचे कुल ७०-८० ग्राम तेल बचेगा इस तेल की दिन में तीन बार हल्के हाथ से मालिश करी जाए.
२ . खाने के लिये इस प्रकार लड्डू बनाएं
त्रिफला ५० ग्राम + त्रिकुट ५० ग्राम + कालाजीरा २५ ग्राम + सफ़ेद जीरा २५ ग्राम + धनिया ५० ग्राम + अजवायन ५० ग्राम + सेंधा नमक २५ ग्राम + काला नमक २५ ग्राम + नागरमोथा ५० ग्राम + कायफल ४० ग्राम + पुष्करमूल ५० ग्राम + काकड़ासिंगी ५० ग्राम + तालीसपत्र ५० ग्राम + तेजपत्र ५० ग्राम + दालचीनी ५० ग्राम + छोटी इलायची २५ ग्राम + केशर २० ग्राम + गुड़ ५०० ग्राम + मेंथी १००० ग्राम;
इस मिश्रण से २०-२५ ग्राम वजन के लड्डू बना लीजिये और प्रतिदिन दो लड्डू सुबह शाम खाकर दूध से लें

शुक्रवार, दिसंबर 19, 2008

मुझे ब्रेन-हैमरेज तक होने की संभावना है........


डाक्टर साहब नमस्ते
मेरा ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ा रहता है नींद भी नहीं आती है बेचैनी बनी रहती है, मेरी उम्र छियालीस साल है और मैं पेशे से वकील हूं। निजी डाक्टर ने जो दवा दी है तो उनका कहना है कि वह दवा आजीवन लेना होगी अन्यथा मेरी स्थिति ऐसी भयानक है कि मुझे ब्रेन-हैमरेज तक होने की संभावना से भी इंकार नहीं करा जा सकता है। मैं आजीवन अंग्रेजी दवा नहीं खाना चाहता हूं अतः मेरी मदद करिये और कोई कारगर आयुर्वेदिक दवा बताएं जिससे कि रोग ही समाप्त हो जाए न कि जिन्दगी भर के लिये व्यसन की तरह से दवा खानी पड़े। धन्यवाद
एड.राजाराम आचार्य,सागर
वकील साहब,आपने अपनी जो रिपोर्ट्स भेजी हैं वो वाकई देख कर मुझे यह आश्चर्य है कि आप अपने आप को इतने समय तक कैसे संतुलित रख पाए किंतु अब इन लक्षणों को आप सरलता से न लें और न ही नजरअंदाज करे। आप अपनी अंग्रेजी दवा का प्रयोग बंद कर दीजिये क्योंकि वह दवा वाकई में उपचार न होकर मात्र एक छलावा है जो कि लक्षण का शमन कर देती है कारण का निवारण नहीं करती हैं। आप निम्न आयुर्वेदिक उपचार लीजिये जिससे आपके दिल और दिमाग दोनो को पुष्टि मिलेगी-
१ . सर्पगन्धामूल का सूक्ष्म चूर्ण ६० ग्राम + खरल करा हुआ रससिंदूर २४ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ४० ग्राम + अकीक पिष्टी ४० ग्राम इन सभी द्रव्यों को एक साथ कस कर खरल करवा लीजिये। सुबह-शाम एक ग्राम की मात्रा औषधि ले कर सारस्वतारिष्ट चार चम्मच में शहद मिला कर लीजिये। दवा खाली पेट न लें।
२ . रस सिंदूर १० ग्राम + जहरमोहरा पिष्टी १० ग्राम + वंशलोचन १० ग्राम + शुद्ध करी गाय के घी में भूंनी हुई भांग १० ग्राम + सर्पगन्धा १० ग्राम + ज्योतिषमती(मालकांगनी) १० ग्राम + बचा १० ग्राम + जटामांसी १० ग्राम + अश्वगंधा १० ग्राम + पीपरामूल १० ग्राम + छोटी इलायची के बीज १० ग्राम ; इन सभी द्रव्यों को मजबूत हाथों से कस कर घोंट लें व २५० मिलीग्राम की मात्रा बना लीजिये।
यह दवा एक मात्रा + रसराज रस एक गोली + एक चम्मच ब्राह्म रसायन को खमीरा गावजबां अम्बरी के साथ सुबह-शाम पहली दवा के आधे घंटे बाद लें।
यकीन मानिये कि न सिर्फ़ यह दवा आपकी ब्लड-प्रेशर की बीमारी को कुछ माह में छूमंतर कर देगी बल्कि आपकी याददाश्त पर भी अनुकूल प्रभाव दर्शाएगी इस लिहाज से यह दवा आपके साथ ही तमाम अन्य पत्रकार,वकील,अध्यापक,विद्यार्थियों के लिए भी समान रूप से लाभदायक है। इस दवा का सेवन तीन माह तक करें।

मंगलवार, दिसंबर 16, 2008

मोटापा कम होने के बाद त्वचा ढीली हो गयी है



How to tighten up loose skin after weight loss.
(वजन कम करने के बाद त्वचा में आया ढीलेपन में कसाव किस तरह से लाया जा सकता है?)
कपिलदेव शर्मा
कपिल जी, शायद आपके द्वारा करा गया प्रश्न बहुत सारे लोगों का सवाल होगा जो कि वजन कम करने के लिये अनर्गल तरीके अपना कर जैसे कि ऐसी औषधियों का सेवन करना जो कि भूख मार देती हैं या फिर खुद ही डायटिंग के नाम पर भूखा रहना। इस विषय में स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आपमें से कई एक का अनुभव होगा कि खाना एकदम कम खाने के बाद भी शरीर स्थूल,थुलथुला सा होता जाता है क्योंकि भोजन का आपके मोटापे से कोई सीधा संबंध नहीं है। आप निम्न उपचार लीजिये-
१ . रजत भस्म आधी रत्ती + सिद्ध चंद्रोदय आधी रत्ती दिन में दो बार सुबह-शाम एक चम्मच शहद व दो चम्मच घी के मिश्रण में मिला कर चाट लीजिये,औषधि खाली पेट न लें।
२ . मकरध्वज बटी एक-एक सुबह शाम मीठे गुनगुने दूध से लीजिये।
इस तरह देह पुनः कसाव में आ जाएगी साथ ही ध्यान रखिए कि सप्ताह में एक बार महानारायण तेल से हलके हाथ से मालिश करवाये।

सोमवार, दिसंबर 15, 2008

मायग्रेन का दर्द है

सर नमस्ते,मेरी उम्र २२ साल है और मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूं। करीब चार माह से मेरे आधे सिर में ऐसा दर्द होता है जो कुछ समय बाद असहनीय सा होने लगता है, महसूस होता है कि सिर के अंदर रोलर चल रहा है। पेन किलर ले लेने पर दर्द बंद हो जाता है लेकिन फिर कुछ समय बाद दो तीन दिन में शुरू हो जाता है। हमारे फ़ैमिली डाक्टर ने बताया कि यह मायग्रेन का दर्द है। वो पेन किलर्स दवाएं ब्रूफ़ेन आदि भी उन्होंने ही दी हैं क्या आयुर्वेद में स्थायी इलाज है?
राघव आचार्य,टीकमगढ़
राघव जी,आपके फैमिली डाक्टर ने सही बताया है कि यह मायग्रेन (migraine) का दर्द है। यदि यह रोग बढ़ जाए तो सबसे पहले इससे आंखे और फिर कान प्रभावित होते हैं। आप निम्न उपचार लीजिये, पेन किलर्स तात्कालिक लाभ देते हैं स्थायी नहीं अतः उन दवाओं को बंद कर दीजिये-
१ . चंद्रकान्त रस २-२ गोली सुबह-शाम शहद से चाट लीजिये और फिर इसके बाद ऊपर से करीब १५ मिली. पथ्यादि काढ़ा पी लीजिये। खाली पेट दवा न लीजिये।
२ . सुबह खाली पेट शौचादि से निपटने के बाद गर्म जलेबी को दही के साथ नाश्ता करिये।
इस उपचार को लगातार एक माह तक कम से कम लीजिये ताकि स्थायी हल प्राप्त हो सके। अनावश्यक रात्रि जागरण न करें, बासी भोजन न करें, बाजारू ड्रिंक्स से परहेज करें साथ ही अधिक मसालेदार आहार न लें।

मंगलवार, दिसंबर 09, 2008

बेटे की याददाश्त बढ़ाने के लिये क्या करें?

डाक्टर साहब नमस्ते, मेरे बेटे की उम्र अठारह साल है और वो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये प्रयास कर रहा है। पिछले महीने से मैं देख रही हूं कि वह बहुत चिड़चिड़ा सा हो गया है उसे अक्सर चक्कर आ जाते हैं, कल मैंने उसे अपने घर में ही मौजूद ब्लडप्रेशर नापने वाले यंत्र से देखा तो उसका ब्लड प्रेशर भी सामान्य से अधिक था। क्या यह प्रतियोगिता के तनाव के कारण है? क्या आप कोई ऐसी दवा बता सकते हैं जिससे कि उसे पढ़ा हुआ याद रह सके और वह शांत रहे?
अनीता शंकर,इलाहाबाद
अनीता बहन, आप ने सही अनुमान लगाया कि बच्चे के दिमाग पर प्रतियोगी परीक्षा का ही दबाव है। यह हाल आजकल लगभग हर बच्चे का है। आप बच्चे को निम्न औषधि योग सेवन कराएं और यकीन मानिये कि उसकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-
१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + गिलोय सत्व १० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १० ग्राम + बच घनसत्व १० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १० ग्राम
इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये। इसके बाद इसकी ५०० मिलीग्राम की मात्रा की पुड़िया बना लीजिये। एक-एक पुड़िया सुबह शाम सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दीजिये। इस दवा से मस्तिष्क का उत्तम पोषण होता है। इसका सेवन लम्बे समय तक भी करवाया जा सकता है अत्यंत उपयोगी औषधि है।



हस्तमैथुन किया उसके कारण मुझे शीघ्रपतन की समस्या हो गयी

नमस्कार सर,
मेरी कुछ महीनों के बाद शादी होने वाली है बचपन से लेकर अब तक जो गलतियां करी यानि कि हस्तमैथुन किया उसके कारण मुझे शीघ्रपतन की समस्या हो गयी है। मात्र दो-तीन सेकेंड में ही वीर्य स्खलन हो जाता है। क्या इसका इलाज संभव है क्योंकि मैंने तमाम इश्तेहार देखे हैं लेकिन ऐसे लोगों से सम्पर्क करने में डर भी लगता है साथ ही सुना है कि ऐसे लोग ब्लैकमेल भी करते हैं। मैंने तो बहुत सारे सैक्सोलाजिस्ट के लेख अखबारों में पढ़े हैं कि हस्तमैथुन से कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मुझे तो अब भयंकर कमजोरी भी लगती है समझ नहीं आता कि क्या सच है? आप मेरी मदद करिए ताकि मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय रहे।
सुनील व बहुत सारे पीड़ित भाई
भाईसाहब आप सभी लोगों से एक निवेदन है कि मेरी बात को जरा गौर से समझिये कि क्या वो माली अक्लमंद है जो कि हजारों फूलों का इत्र खींच कर नाली में बहा दे ठीक वैसी ही बेवकूफ़ी हस्तमैथुन करना है। दुष्ट किस्म के लोग जो हस्तमैथुन की वकालत करते हैं कि इससे कुछ नुकसान नहीं होता मैं उनके लिये बस भगवान से सही बुद्धि की प्रार्थना ही कर सकता हूं भुगतना तो आप लोगों को पड़ रहा है। आप लोग तत्काल इस भयंकर हानिकारक आदत को छोड़ने के लिये प्रयास करिए और निम्न औषधि लीजिये।
१ . धनिया का चूर्ण (जो कि सब्जी तरकारी में मिलाया जाता है हरा धनिया न लें) २५ ग्राम + कपूर ५ ग्राम + मिश्री ५० ग्राम ; इन सबको बारीक घोंट लीजिये और एक टाइट ढक्कन की शीशी में रख लीजिये। सुबह-शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल लें। खाली पेट न लें।
२ . मकरध्वज बटी १ गोली सुबह-दोपहर-शाम शहद मिला कर मीठे करे गये दूध के साथ लीजिये।
पहली दवा का सेवन पंद्रह दिन तक करने के बाद पंद्रह दिन तक बंद कर दें लेकिन दूसरी दवा का सेवन लगातार करिये। कम से कम तीन माह तक यह उपचार लीजिये ताकि पुनः शक्ति हासिल हो सके। कब्जियत न रहने दें इसके लिये यदि जरूरत हो तो आवश्यतानुसार त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।




सोमवार, दिसंबर 08, 2008

पिता जी को प्रोस्टेट ग्लैण्ड कैंसर है


आदरणीय डाक्टर साहब
प्रणाम
मेरे पिता जी को प्रोस्टेट ग्लैण्ड कैंसर बताया गया है और इसलिये आपरेशन करके अंडकोश निकालने का डाक्टरों ने निर्णय लिया है। आपरेशन की तारीख ठीक एक माह बाद तय करी गयी है। उन्हें उठने बैठने में बहुत तकलीफ है, करवट लेने में भयंकर कष्ट होता है। बुखार रहता है, नींद नहीं आती, भूख भी न के बराबर है बहुत ही अधिक बेचैनी है। परिवार में किसी की भी सहमति नहीं बन पा रही है कि बाबूजी का आपरेशन कराया जाए और वो खुद भी आपरेशन के लिये तैयार नहीं हैं। अपनी पत्नी के सुझाव से मैंने तमाम सर्च करके आयुषवेद को ढूंढा और उम्मीद बनती नजर आ रही है। हम सब को आयुर्वेद पर पूरा भरोसा है। बाबा रामदेव के क्लिनिक पर जान पर वहां के डाक्टर ने दबी जबान में आपरेशन की सलाह दे डाली इससे उनके प्रति बहुत निराशा हुई। अल्कलाइन फ़ास्फेट्स 178 तक आ गया है और एसिड फ़ास्फेट्स 30 तक आ गया है। सारी रिपोर्ट्स आपको भेज रहा हूं देख लीजिये और कोई आयुर्वेदिक उपचार सुझाइये। अग्रिम धन्यवाद
द्वारकानाथ सोनी,मथुरा
द्वारकानाथ जी,आप आयुर्वेद के प्रति श्रद्धा रखते हैं इसके लिये आयुषवेद परिवार आपके प्रति आदर का भाव रखता है। किसी एक चिकित्सक के मना करने से सारा आयुर्वेद तो निष्क्रिय नहीं हो जाएगा। आपके बाबूजी की सारी रिपोर्ट्स गहराई से देख समझ ली हैं आप उन्हें निम्न औषधियां दें-
१ . कांचनार गुग्गुल १ गोली + आरोग्यवर्धिनी १ गोली + लाक्षा पंचामृत १ गोली इन सबकी एक मात्रा बनाएं और दिन में दो बार गाय के दूध से दीजिये।
२ . पुनर्नवाष्टक घन २ गोली + रसांजन घन २ गोली को पुनर्नवाष्टक क्वाथ के साथ दिन में दो बार निगलवाएं।
३ . वृहत वात चिंतामणि रस १ गोली + पंचरत्न रस आधा रत्ती(६५ मिलीग्राम) + श्रंगभस्म २ रत्ती + नागार्जुनाभ्र २ रत्ती + प्रवाल पंचामृत २ रत्ती + स्वर्णबंग १ रत्ती इन सबकी एक मात्रा बनाएं; दिन में दो बार शहद के साथ चटाएं।
ध्यान रखिये कि कोई भी दवा खाली पेट न दें। यदि अपेक्षित सुधार महसूस हो तो आपरेशन न करवा कर दोबारा रिपोर्ट्स निकलवाएं।


रविवार, दिसंबर 07, 2008

मेरी सहेली के सौन्दर्य का राज क्या है?

सर नमस्ते,मैं आपसे बड़ा अजीब सा सवाल करने जा रहीं हूं प्लीज हंसियेगा मत। मेरी उम्र उन्नीस साल है, मेरी एक सहेली है मै उसे बचपन से चिढ़ाती आयी हूं। वो एकदम सूखी मरियल काली सी, चूसे हुए आम जैसी लगती थी गाल पिचके हुए और होंठॊ पर पपड़िया उखड़ती हुई लेकिन मैं देख रही हूं कि पिछले दो माह से अचानक उसने पता नहीं कौन सी आयुर्वेदिक दवा खाना शुरू करी है उस पर बहार सी आ गई है, होंठ गुलाबी हो चले हैं बदन में भराव सा आ गया है और रंग सांवला होने के बाद भी बहुत सुंदर लगने लगी है बल्कि रंग भी काफ़ी साफ हो गया है। मैंने उससे लाख पूछा लेकिन वह दुष्ट बताती ही नहीं है क्या आप बता सकते हैं कि हमेशा बीमार सी लगने वाली मेरी सहेली अचानक फूल की तरह कैसे खिल उठी है? उसके सौन्दर्य का रहस्य क्या हो सकता है?
संजना परमार,ग्वालियर
संजना जी,पहली बात तो ये कि यदि आप अपनी ही सहेली से ईर्ष्या करेंगी तो आप स्वस्थ नहीं रह पाएंगी मन ही मन कुढ़ती रहेंगी। खुशमिजाज बनी रहिये और अपनी सहेली से प्यार करिये आखिरकार वो आपकी सहेली ही तो है। मैं ये तो नहीं जानता कि वो कौन सी आयुर्वेदिक औषधि ले रही है लेकिन लीजिये मैं आपको एक औषधि योग बता रहा हूं जिसका प्रभाव ठीक वैसा ही रहेगा। -
१ . रजत सिंदूर २.५ ग्राम + चांदी भस्म २.५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म २.५ ग्राम + शतपुटी लौह भस्म २.५ + स्वर्ण माक्षिक भस्म ५ ग्राम + प्रवाल भस्म १० ग्राम इन सबको मिला कर इस मिश्रण में शतावर का चूर्ण २५ ग्राम मिला कर एक बार फिर घॊंट लीजिये। कुल पचास ग्राम औषधि की १०० बराबर वजन की पुड़िया बना लीजिये और सुबह-शाम एक पुड़िया शहद के साथ मिला कर चाट लीजिये बस सौन्दर्य की उसी बहार का आनन्द आप भी महसूस करेंगी।
२ . भोजन के बाद दिन में दो बार अशोकारिष्ट दो चम्मच का सेवन करिये।
खट्टी और तली हुई चीजें मत खाइये और फिर देखिये आपका शरीर भी सुगठित और सेहतमंद हो जाएगा। यह योग एक उत्तम कोटि का रक्तवर्धक व रक्तशोधक है, आपके भी होंठ गुलाबी और गाल भरे दिखने लगेंगे।


शनिवार, दिसंबर 06, 2008

सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस हुआ है


आदरणीय डा.साहब,नमस्ते
मैं पिछले कुछ महीनों से गर्दन के पीछे के हिस्से में दर्द व अकड़न महसूस करती हूं। यदि गरदन हिलाने का या घुमाने का प्रयास करती हूं तो दर्द ज्यादा हो जाता है। आपको रिपोर्ट्स भेज रही हूं। बताया गया है कि मुझे सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस हुआ है जबकि एक वैद्य ने मुझे मुख अलग ही नाम बताया था बीमारी का "मनियास्तम्भ" या ऐसा ही कुछ; किंतु मेरे पति ने उनसे इलाज नहीं करवाया कि बिना किसी परीक्षण के क्या ये शक्ल देख कर बीमारी बताएगा,मेरे पति आधुनिक विचारों के हैं। सर्दी के मौसम के कारण शायद ज्यादा तकलीफ़ है। डाक्टर कहते हैं कि गले में पट्टा(कालर) बांधना पड़ेगा। मैं मर जाउंगी लेकिन पट्टा न बंधवाऊंगी। मेरी सहायता करें ताकि आयुर्वेदिक दवा से बीमारी जड़ से समाप्त हो जाए।
अलका रोहिल्ला,आगरा
अलका बहन,आपकी बीमारी को जिस वैद्य ने बताया था वह बिल्कुल सही है उसे आयुर्वेद में "मन्यास्तम्भ" और आधुनिक चिकित्सा में सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस ही कहते हैं,आधुनिकता में आकर अपनी पारंपरिक चिकित्सा का अनादर करना सही नहीं है। लीजिये मैं भी आपको वैसा ही इलाज बता रहा हूं जैसा कि शायद वो वैद्य जी बताते।
१ . धतूरे के बीज १२ ग्राम + रेवंदचीनी ८ ग्राम + सोंठ ७ ग्राम + गर्म तवे पर फ़ुलाई हुई सफ़ेद फिटकरी ६ ग्राम + इसी तरह फ़ुलाया हुआ सुहागा ६ ग्राम + बबूल का गोंद ६ ग्राम इन सब औषधियों को बारीक पीस लें और धतूरे के पत्तों के रस से गीला करके उड़द के दाने के (१२५ मिलीग्राम) बराबर गोलियां बना लीजिए। इस गोली को दिन में केवल एक बार गर्म जल से लीजिये दोपहर का भोजन करने के बाद ही लें काली पेट दवा हरगिज न लें।
वातगजांकुश रस १ गोली दिन में दो बार सुबह-शाम दशमूल क्वाथ के दो चम्मच के साथ लें।
३. आभादि गुग्गुलु १ गोली दिन में दो बार सुबह-शाम रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ लें।
४. महामाष तेल की तीन-तीन बूंदे दोनो कानों व नाक में सुबह-शाम डालिये।
तीखे भोजन से सख्त परहेज करिये। आपकी समस्या मात्र एक माह में किधर गायब हो जाएगी आपको आश्चर्य होगा और पहले ही दिन से लाभ प्रतीत होन लगेगा।


शुक्रवार, दिसंबर 05, 2008

इच्छा होते हुए भी लैंगिक उत्थान ही नहीं होता है क्या ये नपुंसकता है?

आदरणीय डाक्टर जी नमस्ते
मेरी उम्र पैंतालीस साल है। नौकरीपेशा आदमी हूं। पिछले छह माह से मैंने पाया है कि मन में इच्छा होते हुए भी शरीर साथ नहीं देता यानि कि लैंगिक उत्थान ही नहीं होता है। जबकि सब कुछ सामान्य है लेकिन ये धीरे-धीरे उत्तेजना का स्तर कम होता चला गया और अब अंग में उत्तेजना ही नहीं होती तो सहवास तो संभव ही नहीं है। वियाग्रा जैसी दवाएं तो बहुत मंहगी हैं साथ ही अब उनके दुष्परिणाम भी पता चलने लगे हैं। मुझे अक्सर कफ़ की शिकायत रहती है। सारा शरीर शिथिल होता जा रहा है। कुछ उपाय बताइये। मैं कोई नशा नहीं करता हूं। घरेलू जीवन नीरस हो चला है स्त्रियोचित लज्जा के कारण पत्नी कुछ कहती नहीं पर उसे भी तो इच्छा होती होगी। मेरी मदद करिये।
अनाम
भाईसाहब,मैं आप की समस्या समझ रहा हूं। आपने काफ़ी विस्तार से पत्र लिखा है। उसका कुछ अंश ही प्रकाशित किया जा रहा है। पुरुषांग में उत्साह की कमी या एकदम न होना आपकी समस्या है। आप निम्न औषधि दो माह तक सर्दियों में ले लीजिये-
१ . मल्ल सिंदूर ५ ग्राम + अतुलशक्तिदाता योग ५ ग्राम + शुद्ध कुचला का चूर्ण ५ ग्राम + शुद्ध विषबीज ५ ग्राम + असली अकरकरा ५ ग्राम + जायफ़ल ५ ग्राम + जावित्री ५ ग्राम + लौंग ५ ग्राम + शुद्ध शिलाजीत २० ग्राम + त्रिबंग भस्म २० ग्राम + शुद्ध कौंच के बीज २० ग्राम; इन सभी दवाओं को मजबूत हाथों से कम से कम दो घंटे तक इतना घोंटियेकि मल्ल सिंदूर की सारी चमक समाप्त हो जाए। इसके बाद इसमें देसी पान के पत्तों का रस २५ मिली. + धतूरे के फूलों का रस २५ मिली. + सेमल मूसली का काढ़ा २५ मिली मिला कर एक बार फिर से कस कर रगड़िये और हल्का सा सूखने लगे तो २५० मिलीग्राम की गोलियां बना कर छाया में सुखा लीजिये। सुबह - शाम एक एक गोली गर्म दूध में शहद मिला कर लीजिये। ध्यान रखिये कि इस दौरान जब आप दवा का सेवन कर रहे हैं दूध, घी, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पेड़ा, बादाम, पिस्ता, ताजे फल, केला आदि का खूब सेवन करिये क्योंकि यह एक बहुत तीव्र प्रभाव वाली औषधि है। यदि खाने में लापरवाही करी तो हानि होगी।
२ . कब्जियत न रहे और पेट सही साफ बना रहे इसके लिये बादाम का एक चम्मच तेल रात को सोते समय मीठे दूध में मिला कर लीजिये।
आपकी कफ़ की समस्या भी एकदम समाप्त हो जाएगी।
एक विशेष बात कि पैंतीस साल से कम उम्र के लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिये साथ ही यदि ब्लड प्रेशर अधिक रहता हो या पित्त की शिकायत रहती हो तब भी इसका सेवन न करें।

मेरा भी वैवाहिक जीवन बर्बाद है शीघ्रपतन के कारण....

आदरणीय सर नमस्ते
पिछली पोस्ट पढ़ कर साहस कर रहा हूं वरना सोचता था कि शायद आप उत्तर नहीं देंगे। मुझे उत्तेजना होती और इन्द्री में कड़ापन भी होता है लेकिन परेशानी ये है कि दो या दीन स्ट्रोक्स में ही वीर्य निकल जाता है। मैं एक नामचीन न्यूजपेपर में सलाह देने वाले सैक्सोलाजिस्ट के पास से तीन महीने से दवाएं ले रहा हूं जो कि बहुत मंहगी हैं लेकिन कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा बल्कि वीर्य निकलने के बाद बहुत कमजोरी सी महसूस होने लगी है। कभी-कभी आंखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है। मैं खाने पीने में कोई कसर नहीं रखता पौष्टिक आहार लेता हूं। कोई नशा नहीं करता हूं।
अनाम
भाईसाहब,मैं आप की समस्या को समझ रहा हूं इसलिये अधिक विस्तार में न जाकर सीधे आपकी समस्या के लिये दवा सुझा रहा हूं-
१ . चन्द्रोदय १० ग्राम + बंग भस्म १० ग्राम + असली केसर १० ग्राम + जायफ़ल १० ग्राम + असली अकरकरा १० ग्राम + जावित्री १० ग्राम + लौंग का चूर्ण १० ग्राम + दालचीनी १० ग्राम + खुरासानी अजवायन १० ग्राम + गाय के घी में भून कर शुद्ध करी हुई भांग १०० ग्राम; इन सबको खूब घुटाई करें जब तक कि चंद्रोदय की चमक समाप्त न हो जाए फिर इस मिश्रण में धतूरे के ताजे फूलों की पंखड़ियां २० ग्राम मिला कर घॊंट कर २५० मिलीग्राम वजन की गोलियां बना लें। सहवास से ढाई-तीन घंटे पहले एक गोली शहद से मीठे करे दूध के साथ लीजिये। ध्यान रहे कि दवा खाली पेट न लें और साथ ही अत्यंत पौष्टिक आहार लें।
२ . कब्जियत न रहे और पेट सही साफ बना रहे इसके लिये बादाम का एक चम्मच तेल रात को सोते समय मीठे दूध में मिला कर लीजिये।

गुरुवार, दिसंबर 04, 2008

दांतो में हमेशा टीस मारता हुआ दर्द होता रहता है,पायरिया है

डाक्टर साहब नमस्ते
मेरे दांतो में हमेशा टीस मारता हुआ दर्द होता रहता है,मसूढ़ों से मवाद(pus) और खून आता है, मसूढ़े एकदम पिलपिले से हो गये हैं, मुंह से बदबू भी बहुत आती है। लोग कहते हैं कि पायरिया हो गया है। मैंने नीम की दातुन करने की कोशिश करी तो ज्यादा खून आने लगा तब मैंने घबरा कर दातुन करना छोड़ दिया। आयुर्वेदिक इलाज बताइये। धन्यवाद
रंजन निगम,कानपुर
रंजन जी,बेफिक्र हो जाइये और धैर्य से इस दवा का सेवन करें। जब तक सही स्थिति न हो जाए नीम की दातुन आपको नुक्सान ही करेगी और मसूढ़े छील देगी जिससे अधिक खून आएगा ।
१ . गंधक रसायन ५ ग्राम + आरोग्यवर्धिनी बटी ५ ग्राम + कसीस भस्म ५ ग्राम + शुभ्रा(फिटकरी) भस्म ५ ग्राम + सोना गेरू १० ग्राम + त्रिफला चूर्ण २० ग्राम; इन सबको घोंट करके मिला लीजिये। इस पूरी दवा की बराबर वजन की कुल इक्कीस पुड़िया बना लीजिये। सुबह - दोपहर - शाम को एक-एक पुड़िया एक कप पानी में घोल कर मुंह में भर कर जितनी देर रख सकें रखिये फिर उसे निगल लीजिये। मात्र सात दिनों में ही आपकी सारी समस्या छूमंतर हो जाएगी।

लिंग में उत्तेजना नहीं वैवाहिक जीवन सत्यानाश हो रहा है।

सर, ऐसी परिस्थिति में हूं कि रहा भी नहीं जा रहा है और कहा भी नहीं जा रहा है। बहुत हिम्मत जुटा कर लिख रहा हूं मेरी नयी-नयी शादी हुई है लेकिन मैंने ये पाया कि मेरे लिंग में पर्याप्त कठोरता नहीं आती कि मैं सफल सहवास कर सकूं। इस प्रश्न को अश्लील मान कर ऐसा न हो कि आप उत्तर न दें। अगर किसी सैक्सोलाजिस्ट के पास जाता हूं तो ये लोग किसी ब्लैकमेलर से कम नहीं होते। मेहरबानी करके यदि दवा सुझाएं तो उसकी कीमत का भी ध्यान रखें कि ज्यादा कीमती न हो। मुझे कोई और बीमारी नहीं है और न ही कोई व्यसन है मैं शराब आदि नहीं पीता हूं न ही मांसाहारी हूं।
अनाम
भाई,आपकी समस्या गम्भीर है न कि अश्लील इसलिये उत्तर देना आवश्यक है। सांसारिक संबंधों के वैवाहिक जीवन का निर्वाह करने की आधार ऊर्जा काम ही है। आप निराश न हों इन दवाओं का लगातार कम से कम एक माह तक तो सेवन करें ही। मात्र पहले ही दिन से आपको प्रभाव दिखने लगेगा-
१. सिद्ध मकरध्वज ५ ग्राम + वैक्रान्त भस्म ५ ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १० ग्राम + अश्वगंधा का चूर्ण ४० ग्राम; इस पूरी साठ ग्राम औषधि में पहले मकरध्वज और भस्मों को बहुत कस कर घोंट लीजिये ताकि उनकी चमक समाप्त हो जाए फिर अश्वगंधा मिला कर घुटाई करें। इस मिश्रण की कुल चालीस बराबर खुराकें बना लीजिये। हलके गर्म दूध में शहद मिला कर एक-एक पुड़िया सुबह शाम लीजिये। जब दवा की पुड़िया मुंह में डालें तब थोड़ी सी मिश्री मुंह में रख लें ताकि दवा आसानी से घुल कर अंदर चली जाए मुंह में चिपके नहीं।
२ . कब्जियत न रहे इस लिये रात में सोने से एक घंटे पहले दो चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल में घोल कर सेवन करें।

बुधवार, दिसंबर 03, 2008

मेरा दोस्त पागल हो गया है उसे बचा लीजिये

सर,मैंने सर्च इंजनों से तलाश कर-करके आयुषवेद का पता निकाला और मुझे उम्मीद है कि समस्या का समुचित हल मिल जाएगा। मैं अपने बचपन के दोस्त के घर लगभग बारह साल बाद उस जगह पोस्टिंग पर आया तो देखा कि मेरा दोस्त पागलों जैसी हालत में है। उसके माता-पिता ने बताया कि उसकी नवविवाहिता पत्नी के साथ किन्ही अपराधियों ने बलात्कार करा व उसकी हत्या कर दी। उस घटना के बाद मेरे मित्र ने अठारह दिन तक शोक की हालत में खाना नहीं खाया और फिर उसके बाद से आज तक कई साल से यही हाल है कि वह अकेले बैठ कर चिल्लाता रोता और गालियां देता रहता है। नींद न के बराबर है। मेरे सुंदर से दोस्त की हालत पर मुझे रोना आ गया, उसकी त्वचा एकदम रूखी सी झुर्रीदार हो गयी है रंग सांवला हो गया है एकदम दुबला हो गया है। मुझे लगता है कि यदि कुछ समय यही हाल रहा तो मेरा दोस्त मर जाएगा। सरकारी अस्पताल से उपचार कराया लेकिन कोई लाभ न हुआ बल्कि उन दवाओं से भूख एकदम मर गयी है अब तो बड़ा आग्रह करके खिलाना पड़ता है। मुझे पहचान कर उसने सारी कहानी बड़े आक्रोश में बतायी रह-रह कार दांत पीसता है। मेहरबानी करें कोई उपचार बताएं मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जाती।
अंजन श्रीवास्तव,बलराम पुर
अंजन जी,आयुषवेद परिवार को आपके मित्र की दुखद परिस्थितियों के चलते उससे सहानुभूति है। विश्वास रखिये कि आपके मित्र की हालत सुधर जाएगी और वह सामान्य जीवन जी सकेगा। घटना के बाद जो शोक उपजा और उस हालत में इतने दिनों तक उपवास ने देह में वात को कुपित कर दिया जिसका दुष्परिणाम सामने है। आप उन्हें प्यार से मना कर निम्न दवाएं दें-
१ . उन्माद गजकेशरी रस एक-एक गोली सुबह-दोपहर-शाम एक चम्मच गाय के घी तथा दो चम्मच शहद के साथ मिला कर चटा दें।
२. सुबह-दोपहर-शाम इस दवा को देने के आधे घंटे बाद महारास्नादि काढ़े के दो-दो चम्मच पिलाइये।
इस उपचार को न्यूनतम छह माह तक दें वैसे तो सप्ताह भर में ही सुधार दिखने लगेगा। एक माह बाद पुनः सम्पर्क करिये ताकि आगे के सुधार के अनुसार उपचार बताया जा सके।

मेनोपाज़(menopause) की स्थिति से गुजर रही हूं

डियर डाक्टर रूपेश
मैं इस समय मेनोपाज़(menopause) की स्थिति से गुजर रही हूं। मासिक धर्म अनियमित हो चला है और धीरे-धीरे करके कुछ समय में बंद हो जाएगा। मैं मानसिक तौर पर तो जरा भी डिस्टर्ब नहीं हूं पर कमर, घुटनों में बहुत तेज़ दर्द होता रहता है मैं एलोपैथी की दवाएं नहीं खाना चाहती हूं। मैं इकहरे शरीर की हूं। कुछ कमजोरी भी प्रतीत होती है। क्या इस उमर में कुछ वजन बढ़ाया जा सकता है? आयुर्वेद से कुछ बताइये।
रजनी चंद्रा,बिजनौर
रजनी बहन,आप परेशान न हों, आपको ऐलोपैथी की दवाएं नहीं खाना पडे़गी। आप इस योग को लीजिये-
अश्वगंधा चूर्ण १०० ग्राम + मेथीदाना पीसा हुआ १०० ग्राम + सोंठ २५ ग्राम + विधारा चूर्ण १०० ग्राम ; इन सबको बारीक करके शीशी में भर कर रख लें और सुबह नाश्ते के बाद व शाम को चाय के बाद एक चम्मच इस मिश्रण को हलके गर्म पानी से लीजिये। यकीन मानिये कि यदि आप इसका सेवन तीन माह तक कर लेती हैं तो आपके रजोसमाप्ति से संबंधित परेशानियां से खत्म हो ही जाएंगी साथ ही जो दर्द है वह गायब हो जाएगा और आपका वजन भी बढ़ेगा। यह अत्यंत लाभदायक योग है आप अपने जैसी अन्य महिलाओं को भी इसका लाभ लेने के लिये सुझा सकती हैं।

गर्भाशय की दुर्बलता के कारण गर्भ धारण नहीं हो रहा,prolapse of uterus है

डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी पत्नी को गर्भाशय की दुर्बलता के कारण गर्भ धारण नहीं हो रहा है। लेडी डाक्टर ने उसे prolapse of uterus नामक बीमारी बताई है और कहा है कि आपरेशन करवाना पडेगा। योनि एकदम ढीली है मेरी पत्नी ने बताया कि ऐसा महसूस होता है कि योनि की अंदरूनी दोनो दीवारें एक दूसरे पर फिसल रही हों। तेज चुभन जैसा दर्द होता है जो कि सीढी चढ़ने-उतरने पर ज्यादा हो जाता है। सफेद पानी(लिकोरिया) की भी शिकायत है। मैं आपरेशन नहीं करवा सकता पैसे की समस्या है पत्नी की हालत दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है। कुछ उपाय बताइए ताकि आपरेशन न करवाना पड़े। धन्यवाद
अनाम
भाईसाहब,पहली बात तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि आपरेशन की कोई जरूरत नहीं है आप उसकी चिंता बिलकुल न करें। इन दवाओं को प्रयोग बताई जा रही विधि से करवाएं, सब ठीक हो जाएगा।
माजूफल + मुलायम सुपारी + सुपारी के फूल + बड़ी इलायची + कचूर + धाय के फूल + तज + छोटी हरड़ + फिटकरी + गुलाब के फूल + बड़ी हरड़ का बक्कल + गुड़मार; इन सभी चीजों को बराबर वजन से लेकर (अनुमानतः २५ ग्राम प्रत्येक लीजिये) बारीक चूर्ण कर लें , सभी फूल सूखे लें वरना पीसने में दिक्कत होगी। इस मिश्रित चूर्ण में से २० ग्राम लेकर स्वच्छ मलमल के कपड़े में बांध कर इतनी बड़ी पोटली जैसी बनाएं कि उसे योनि के मार्ग से गर्भाशय के मुख पर रखा जा सके। पोटलॊ पर बांधा हुआ धागा योनि से बाहर रखें ताकि निकालने में कोई परेशानी न हो। ये पोटली ऐसे समय पर रखें कि कम से कम तीन घंटे तो वह अंदर रह सके। प्रत्येक बार नया कपड़ा प्रयोग करें। इस उपचार को कम से कम एक माह तक दीजिये इस दौरान सीढी पर चढ़ना-उतरना और सहवास से बचाव करें। आश्चर्यजनक परिणाम सामने आयेंगे, किसी अन्य औषधि की कोई आवश्यकता नहीं है। मिर्च-मसालेदार भोजन से परहेज करें।

मल से खून और पस(मवाद) आता है,बीमारी का नाम ulcerative colitis है।

सर नमस्ते
मेरी उम्र ४६ साल है। मुझे आंतो में जख्म हैं जिसके कारण मल से खून और पस(मवाद) आता है और बहुत दर्द होता है पहले मुझे पेट में जलन रहा करती थी लेकिन अब जलन के साथ में भयंकर दर्द भी रहता है। कुछ लोगों ने बताया कि इसे ग्रहणी रोग कहते हैं। हास्पिटल में मुझे बीमारी का नाम ulcerative colitis (अल्सरेटिव कोलायटिस) बताया है। तकलीफ़ करीब दो माह से है उर दवाएं खाते रहने के बाद भी रत्ती भर अंतर महसूस नहीं होते दिख रहा है। क्या मैं जीवित बचूंगा? क्या आयुर्वेद में इसका इलाज है?
जयेश हडकर,ठाणे(महाराष्ट्र)
जयेश जी, जैसा कि आपने अपनी मल,रक्त व मूत्र की रिपोर्ट की स्कैन करी हुई प्रति भेजी है। देख कर मैं आपके रोग की गम्भीरता व आपकी तकलीफ़ को समझ रहा हूं। यदि आयु शेष है तो फिर दवाएं अवश्य असर करती हैं पर आप हौसला रखें और निम्न दवाएं लीजिये -
कुटज छाल का चूर्ण(यदि घनसत्व मिले तो दवा तेजी से असर करती है) ४ ग्राम(घनसत्त्व २ ग्राम) + शुद्ध वंशलोचन १ ग्राम + लौह भस्म १ ग्राम + शीतल(कबाब)चीनी १ ग्राम + छोटी इलायची १ ग्राम इन सब को बारीक पीस कर रखें
इसमें से एक ग्राम दवा की मात्रा मट्ठे या जल के साथ दिन में दो बार सुबह शाम दें यदि हो सके तो तुलसी के पत्ते के काढ़े को दिन में दो बार दो-दो चम्मच पिलाएं।
आप यह दवा तीन माह तक लगातार लें इस औषधि से आपको पहले ही दिन से आराम महसूस होने लगेगा।

सोमवार, दिसंबर 01, 2008

हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन व तेज चुभने जैसा दर्द …….

सर नमस्कार
मेरी माता जी की उम्र ५२ साल है उन्हें हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन व तेज चुभने जैसा दर्द होता रहता है। इस बीमारी के कारण उन्हें चलने तक में बहुत दिक्कत होती है। ये बीमारी लगभग सात-आठ साल से उन्हें परेशान कर रही है। कोई आयुर्वेदिक इलाज बताइये
समीर पंडा,भुवनेश्वर
समीर जी, आपने अपनी माता जी की तमाम रिपोर्ट्स भेजी हैं उन्हें देख कर बीमारी को अच्छे तरीके से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर हूं कि आप उन्हें निम्न दवाएं दीजिये-
१ . कैशोर गुग्गुलु २ गोली + पुनर्नवा गुग्गुलु २ गोली + गोक्षुरादि गुग्गुलु २ गोली ; इन सब गोलियों को पीस लें व ऐसी एक खुराक बनाएं। इस तरह की मिश्रित दवा की खुराक को दिन में तीन बार शहद के साथ चटाइये। माताजी को यह दवा कम से कम तीन माह तक लेना होगा।

रविवार, नवंबर 30, 2008

छह-सात साल से जुका़म है साइनुसायटिस नामक बीमारी बताई है

आदरणीय डा.साहब
नमस्ते
मुझे लगभग छह सात सालों से हमेशा जुका़म बना रहता है, नाक बहती रहती है, ऐसा लगता है कि अंदर कुछ फंसा हुआ है, अक्सर खांसी भी आती है और कम मात्रा में बलगम भी छूटता है। सिर हमेशा भारी बना रहता है। जब पढ़ने के लिये सिर नीचे को झुकाता हूं तो लगता है कि अंदर कुछ भरा है जो बाहर आना चाहता है लेकिन ऐसा होता नहीं। मैं बौत परेशान हूं मेरी मदद करिये सुना है कि आयुर्वेद में मौत के अलावा हर बीमारी का इलाज है।
संतराम कोरी,झांसी
संतराम जी आपने बिलकुल सही सुना है। ठंडी चीजों का सेवन बिलकुल बंद करके इन दवाओं को लीजिये-
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + त्रिभुवन कीर्ति रस एक गोली + लक्ष्मी विलास रस(नारदीय)एक गोली + श्रंग भस्म दो रत्ती(यानि २५० मिग्रा.) + रस सिंदूर एक रत्ती + गोदन्ती भस्म दो रत्ती : इन सभी को मिला कर एक खुराक बना लीजिये व दिन में शहद के साथ मिला कर तीन बार सुबह-दोपहर-शाम चाटिये।
२ . षड्बिन्दु तेल की छह बूंदें नाक के दोनो छेदों में डालिये सुबह - शाम।
३ . हरिद्रा खण्ड आधा चम्मच दिन में दो बार सेवन करें। ऊपर से गुनगुना गर्म जल पी लीजिये।
इस औषध को तीन माह तक लीजिये फिर जीवन भर कभी आपको इस तरह की समस्या न होगी।

शनिवार, नवंबर 29, 2008

ये "घनसत्व" क्या हैं?

आदरणीय सर
नमस्ते
आपने पिछले एक सवाल के उत्तर में जो कि बालों के झड़ने की समस्या के बारे में था बताया है कि कुछ जड़ी-बूटियों के घनसत्व लेना हैं। मैने अपने शहर के आयुर्वेदिक दवाओं के विक्रेताओं से बात करी तो उन्हॊने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है वो कुछ अलग ही दवाएं बेचने की कोशिश करते हैं। आप बताइये कि ये "घनसत्व" क्या हैं? क्या इन्हें घर पर बनाया जाता है या अगर कहीं से खरीद सकते हैं तो दुकान का पता दीजिये। धन्यवाद
अजेय वाचस्पति,प्रतापगढ़(यू.पी.)
अजेय जी घनसत्व का अर्थ है उस वनस्पति के सत्व को निकाल कर उसे गाढ़ा करते-करते सुखा कर चूर्ण रूप में बना लेना। असल में कई बार नाजुक तबियत के आधुनिक लोग आयुर्वेद में बताए गये चूर्ण आदि की ज्यादा मात्रा जैसे एक चम्मच लेना पसंद नहीं करते अतः ऐसे लोगों के लिये घनसत्व एक बेहतर विकल्प होते हैं जो चूर्ण के स्थान पर लिये जा सकते हैं। एक चम्मच चूर्ण के स्थान पर एक चुटकी घनसत्व लेने से भी वही प्रभाव मिल जाता है क्योंकि ये उस वनस्पति के सत्व रूप में होता है। ये अत्यधिक "पोटेन्टाइज्ड" होते हैं। कुछ बड़ी कम्पनियां इन घनसत्वों को कैप्सूल के रूप में बना कर भारी मुनाफ़ा कमा कर मरीजो की जेबें काट रही हैं, आप साधारणतया इन्हें घर पर नहीं बना सकते जैसे कोई आपसे कहें कि चाय को इतना उबालिये कि वह चूर्ण रूप में आपको मिल जाए तो वह चाय का घनसत्व होगा इसलिये ये एक श्रमसाध्य कठिन कार्य है जिसके लिये अनुभवी लोगों की जरूरत होती है। आयुषवेद परिवार ने अपने आत्मीयजनों की इस समस्या को दूर करने के लिये आपके आवश्यकता के लिये वनस्पतियों के घनसत्व बनाने की व्यवस्था भी जुटा ली है अतः यदि आप किन्हीं घनसत्वों को चाहें तो आयुषवेद परिवार उन्हें अपनी देखरेख में आपके लिये बनवा देगा।

बुधवार, नवंबर 26, 2008

जांच करवाने पर मुझे दिल का मरीज बताया गया.....

डाक्टर साहब, नमस्ते
मेरी उम्र ४२ साल है। मुझे बहुत घबराहट होती है। चक्कर आते रहते हैं। दिल बहुत तेजी से धड़कता रहता है। भूख एकदम कम लगती है। आंखों में कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि गर्म धुंआ सा निकल रहा है। जांच करवाने पर मुझे दिल का मरीज बताया गया है। कोई आयुर्वेदिक उपचार बतायें। धन्यवाद
विनम्र के.जैन,राठ
विनम्र जी आप चिंतित न हों जल्द ही आप अपने आपको स्वस्थ महसूस करेंगे बस ये दवा की कुछ खुराक लेने भर की देर है। आप इस दवा को इस तरह से बनाकर लें..
१ . अर्जुन की छाल का चूर्ण ६० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + अकीक पिष्टी १० ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी १० ग्राम + शुद्ध सूखा शिलाजीत १० ग्राम + जहरमोहरा खताई पिष्टी १० ग्राम + लोह भस्म १० ग्राम इन सब को मिला कर कस कर घोंट लीजिये और ५०० मिलीग्राम की पुड़ियां बना लें जो कि आपके लिये एक खुराक होगी। इस दवा को एक-एक पुड़िया दिन में तीन बार अर्जुनारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये। दवा खाली पेट न लें।
२ . अर्जुन घृत एक-चौथाई चाय का चम्मच दिन में दो बार सुबह-शाम लीजिये।
आप मात्र दो माह लगातार औषधियां ले लीजिये आजीवन आपको दिल की कोई तकलीफ़ उम्मीद है कि होगी ही नहीं।

बेटे को मुंबई में आने पर छींक-सर्दी-ज़ुकाम चालू हो जाता है

sir mera ladka 17 sal ka hai use lagbhag 3 sal pahle garmi me chink aur jukam chalu hua thi tab maine kuch dactaro ko bataya tha dr. davai deta tha thik ho jata tha lekin 1 ya 2 din ke bad vapis chalu ho jata tha fir garmi jaise khatam hui chink aur jukam bina davai ke thik ho gaye fir dusare sal vapis garmi aate hi vapis chalu jo abhi tak thik nahi hua sal bhar pahle mai faimily ke sath kashmir gaya tha thandi me ham log sara din barf par khelte the vo time mai ladke ko bilkul chink ya jukam nahi hua fir 5 - 6 mahine pahale mai rajasthan gaya tha 15 din ruka tha use bilkul jukam nahi hua fir jaise mumbai aaya to chalu . matlab ladka mumbai se bahar koi bhi sijan me rahata hai chahe sardi garmi barish ya barf girti ho use jukam bilkul nahi ya nahi ke barabar rahta hai par jaise mumbai aaya ki vapis jukam chalu . abhi use chik to nahi ke barabar aa rahi hai par jukam sara din aur rat ko bhi rahata hai kabhi kabhi to rat ko jagkar bhi rumal lekar nak se chu chu karta hai maine 1 sal pahale elarji ke dr. ko dikhaya tha usane sab test karvaye the to bataya tha ki ladke ko jami hui mitti jise parpadi kahte hai aur pollution ke elargi hai so ladke ka room jaha sota hai roj pura dhone ka, daily chadar aur bistar dhone ka, room me roj davai chantane ka, room me 1 bhi kakroch ya machchar nahi hona chahiye, udad dal nahi khane ka,baki keval ghar ka khana khane ka, bahar se nimn chij bhi nahi khane ka jaise juce, sandvich, khana matlab bahar ka kuch bhi khana nahi khane ka aur usne kaha ki mai 3 sal ka couse deta hu usase thik ho jayega varna dhire-dhire ladke ko shvas ki problem ho sakti hai fir uske kahane par mai vo davai dehli se aashtreliyan company dvara taiyar karvai jo alag alag color me thi week me 3 bar jibh ke niche 1 bund dalne ko kaha tha maine 1 sal vo dr.se ilaj karvaya par koi fayda nahi hua please bataye kya karana chahiye kyoki ladka ghar me hi rahta hai bahar bhi nahi jata college bhi bahut kam jata hai puchane par bataya ki papa sabke samne nak se aavaj hone par mere ko bahut kharab lagata hai so mai college nahi jaunga . please aap pura read kare aur advise de kya karna chahiye from surendra daga mumbai
आत्मन भाई सुरेन्द्र जी
आपके बच्चे की समस्या को पूरी गम्भीरता से समझा है। मैं मानता हूं कि ये समस्या इतनी गहरी नहीं है जितनी कि परिस्थितियों के कारण आपको प्रतीत हो रही है उसका कारण है कि आप "स्पेश्लिस्ट डाक्टर्स" के चंगुल में फंस गये। वैसे मैंने ये देखा है कि मुंबई के लोगों की जीवन शैली ऐसी है कि वे कुछ भी होने पर पहले फैमिली डाक्टर फिर उससे न सम्हलने पर स्पेश्लिस्ट के पास भागते हैं और जिंदगी भर के लिये उनके ग्राहक बन जाते हैं। आप परेशान न हों। आपके बेटे को मुंबई के आर्द्र(humid) वातावरण के कारण कफ़ विकार हो जाता है आप इन औषधियों को उसे लगभग तीन माह तक दीजिए ताकि उसके शरीर में इस विकार के प्रति प्रतिरोध बन सके कि यदि स्थान और वातावरण बदले तो भी उसके स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े.......
१ . शुद्ध वत्सनाभ १ ग्राम + समीरपन्नग रस २ ग्राम + वज्राभ्रक भस्म शतपुटी ३ ग्राम + टंकण भस्म ४ ग्राम + श्रंग भस्म ५ ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी १० ग्राम; इन सब को मिला कर इसमें आगे लिखी औषधियों का रस या काढ़ा डाल कर सुखा लें
....... सोमलता, स्वर्णक्षीरी, आक(मदार) के पत्तों का रस
इस औषधि की २५० मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लें व सुबह शाम एक-एक गोली हलके गर्म फीके दूध से दीजिये।
यह दवा यदि आप तैयार न कर सकें किसी वैद्य से तैयार करवा लें अन्यथा आयुषवेद परिवार को aayushved@gmail.com पर सूचित करें क्योंकि आपके बेटे का कैरियर शर्मिंदगी के कारण कालेज न जा पाने से खराब हो सकता है, इस बात का अवश्य ध्यान दें। आयुषवेद दल एक सेवाभावी लोगों का परिवार है जो न मिल पाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों को अत्यंत शुद्धता व शास्त्रोक्त पद्धति से बना कर मात्र उत्पादन मूल्य पर स्पीड पोस्ट से उनके घर पर उपलब्ध करा देता है। बाजारू औषधियों जो यदि मूल्यवान हैं तो शुद्ध होंगी इस बात का भरोसा कर पाना बहुत मुश्किल होता है। यदि आपको ये औषधियां नहीं मिलती हैं या अधिक मंहगी प्रतीत होती हैं तो हमें अवश्य बताइये। इस उपचार के बाद आपका बेटा जो चाहे खा सकता है क्योंकि शरीर में रोग के प्रति प्रतिकार शक्ति विकसित हो चुकी होगी, जिंदगी भर किसी परहेज की आवश्यकता नहीं होगी कि ये खाओ ये मत खाओ वैसे स्वस्थ रहना है तो जुबान पर नियंत्रण आवश्यक है।



रविवार, नवंबर 23, 2008

क्या लेना ठीक है वसंत कुसुमाकर या मकरध्वज वटी?

सुभ प्रभात, बसंत कुसुमाकर व नव्रत्न क्ल्प के बारे मे लिखा दुबारा धन्यवाद, कृपया सलाह दे मै 47 का हू, मेरा touring job हैं, इसलिऐ पेट खराब रहता है, परेज नहि रह पाता है मुझे बसंत व मकरध्वज vati मे से क्या लेना चाहीये, ओर कैसे ? कृप्या बताये. नमस्कार
vishnu k. gupta ( vishnukgupta@webdunia.com)

विष्णु जी, वसंत कुसुमाकर रस व मकरध्वज वटी में से यदि आपके कार्य व दिनचर्या के अनुरूप लेना चाहें तो आपके लिये मकरध्वज वटी ही श्रेष्ठ है क्योंकि जब आप किसी ऐसे कार्य पर होते हैं कि आपको change of water तथा change of climate का लगातार सामना करना पड़ता है साथ ही यात्रा करने के कारण सोने जागने का समय आदि भी अनियमित हो जाता है तो ऐसे में मकध्वज वटी आपके शरीर में इन परिवर्तनों तथा विषमताओं के प्रति एक प्रतिरोध उपजा देती है कि आप इनसे संबद्ध विकारों से पीड़ित नहीं होते साथ ही आपका पाचन व स्वास्थ्य सबल बना रहता है। यह स्वर्ण, पारे व अभ्रक की शक्ति का मिश्रित एक अति उपयोगी प्रभावी योग है। इसकी एक माह की खुराक का उत्पादन मूल्य १४०० रु. पड़ता है। यदि आप इसे उपयोग के लिये मंगवाना चाहें तो इस मूल्य में डाकखर्च जोड़ कर जो रकम बने उसका आधा हमें भेज दें जैसे ही उक्त राशि आयुषवेद को प्राप्त होगी आपकी औषधि आपको वी.पी.पी. से तत्काल भेज दी जाएगी। चूंकि आयुषवेद व्यवसायिक संगठन न होकर एक सेवाभावी संगठन है जो कि आपको मात्र उत्पादन मूल्य पर दवाएं उपलब्ध बना कर भेजता है। इसलिये आयुषवेद दल के इस कार्य में सहयोग करें। एक विशेष बात और ध्यान मे रखिये कि आयुषवेद दल आपको जिस मूल्य पर दवा आपके घर पर भेज देता है वह बाजार में मिलने वाली मात्र प्रचार से प्रसिद्ध हुई दवाओं से लगभग आधा ही पड़ता है जिसमें कि आयुषवेद की शुद्धता व विश्वसनीयता का भरोसा भी शामिल रहता है।

शनिवार, नवंबर 22, 2008

दांयी किडनी में 5मिमी. व 6मिमी. आकार के स्टोन(पथरी)

सर नमस्ते,मेरी दांयी किडनी में 5मिमी. व 6मिमी.आकार के स्टोन(पथरी) है। कोई अच्छा इलाज बताएं या दवा भेजने की कृपा करें।
धन्यवाद
मोहन,दादरी(गौतमबुद्ध नगर)
मोहन जी, आप परेशान न हों बस इन दवाओं को दो माह तक सेवन कर के पुनः जांच एक्स रे या अन्य विधि से करवा लें पथरी जादू की तरह से घुल कर गायब हो जाएंगी। यदि आयुषवेद से औषधि मंगवाना चाहें तो हमें e-mail कर दीजिये। आयुषवेद दल द्वारा बनायी दवाएं बाजारू दवाओं से अधिक विश्वसनीय, शुद्ध व मूल्य में अपेक्षाकृत कम ही होती है।
१ . हजरुल यहूद भस्म एक रत्ती + कलमी शोरा एक रत्ती + जवाखार एक रत्ती + मूत्र कृच्छान्तक रस एक गोली + गोक्षुरादि गुग्गुल एक गोली + श्वेत पर्पटी एक रत्ती इन दवाओं की एक मात्रा बना लें और सुबह शाम ठंडे पानी से सेवन करें।
पथ्य पूर्वक रहें तो पथरी दोबारा बनेगी ही नहीं अन्यथा दोबारा बन जाती है। घिया लौकी, तोरई, टिण्डा, कद्दू, मूली, मूंग की दाल, अरहर तथा कुल्थी की दाल, दूध, संतरा, पपीता, अनार, तरबूज का अधिक सेवन दवा लेने के समय हितकर रहता है।

बुखार की भयंकर स्थिति बार-बार आ जाती है

मेरी पत्नी को इन समस्याओं के चलते मैंने अस्पताल में दिखाया वहां एडमिट भी रखा गया पर जब कुछ दिन बाद घर आयी तो फिर सब वैसा ही होने लगा है। उपाय बताएं -
मुख्य लक्षण
(1) बुखार-107/105 (2) पेट में जलन के साथ दांयी तरफ़ दर्द (3) सिर व आंख में दर्द (4) हड्डियों में दर्द (5)उल्टी आती है (6) मासिक धर्म की गड़बड़ी
BLOOD REPORT
NE EPI CELL--2/3
FC--5700
HB--9.5
ESR--18
PCV--31
PLATELET COUNT--19
P-68 L-30 E-2
HIV--NEG.
MP--NEG.
FBS--93
URER--20
CRERT--0.9
SR BILL--1.3
SUPT--18
SUOT--30

दी गई दवाएं
(A)--CHOLOROQUINE PHOSPHATE 250mg
(B)--PROCHLORPERAZINE MALEATE I.P. 5mg
(C)RANITIDINE
(D)--PHENIRAMINE MALEATE I.P.25mg
(E)--ANEMIDOX( capsule of vitamins with iron)
(F)--MALA--N

सौरभ अस्थाना,मुंबई
प्रिय सौरभ, आपने जो रिपोर्ट साथ में भेजी है व टेलीफोन पर बात करी है उस आधार पर बहू को निम्न उपचार दें औषधियां लिख रहा हूं, यह वात पैत्तिक विकार की उपस्थिति है -
१ . सर्वज्वर हर लौह ( यह सामान्य व स्वर्णमिश्रित दो प्रकार का आता है किंतु स्वर्ण मिश्रित योग मंहगे होते है व आपातकालीन स्थिति में प्रयोग करे जाते हैं अतः अभी सामान्य ही योग लें) एक गोली + गिलोय सत्त्व दो रत्ती(२५० मिग्रा.) को अमृतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दें।
२ . मकरध्वज बटी एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद मिश्री मिले दूध के साथ दें ताकि रोग के कारण आयी व विटामिनों की कमी से आयी कमजोरी दूर हो जाए।

मकरध्वज बटी के विशिष्ट उपयोग व गुणधर्म



बहुत सारे पाठकों के पत्र इस विषय में आए कि इस महौषधि के बारे में विस्तार से बताया जाए। अतः इस पर जो जानकारियां पहले दी जा चुकी हैं उनसे आगे बढ़ते हैं।
विभिन्न पुरुष व स्त्री रोगों पर :
अ . सामान्य कमजोरी व ठंड के मौसम में शक्ति संचय करने के लिये
ब . सर्दी, खांसी, जुकाम की अवस्था में
स . मधुमेह(डायबिटीज) के कारण आयी कमजोरी में
द . कैल्शियम व विभिन्न विटामिनों की कमी की अवस्था में
च . रक्त की कमी के कारण आयी कमजोरी में
छ . स्मरण शक्ति की कमी(अत्यधिक वीर्यनाश के कारण) की अवस्था में
मात्र पुरुष रोगों पर :
अ . स्वप्नदोष की अवस्था में
ब . प्रमेह की अवस्था में
स . शीघ्रपतन की अवस्था में
द . हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता की अवस्था में
च . स्तम्भन(रुकावट) की कमी की अवस्था में
छ . धातुस्राव की अवस्था में
मात्र स्त्री रोगों पर :
अ . प्रदर(लिकोरिया) के कारण आयी भीषण कमजोरी की अवस्था में
ब . कामशीतलता(सेक्स में दिलचस्पी न होना) की अवस्था में
स . कमर दर्द की अवस्था में

बुढ़ापे के रोगों पर :
अ . बुढ़ापे के कारण आयी शारीरिक कमजोरी की अवस्था में
ब . बढ़ती उम्र के कारण आयी सेक्स दुर्बलता की अवस्था में
स . सेक्स की इच्छा होने पर भी लिंग में कड़ापन न आने की अवस्था में
द . भूख न लगना, अनियमित पाचन की अवस्था में
च . बुढ़ापे के कारण आयी याददाश्त की कमजोरी की अवस्था में
इस महौषधि को अनेक रोगों की स्थितियों में अलग-अलग अनुपानों यानि दूध, शहद, मक्खन, घी अथवा अन्य औषधियों के साथ लेने से बहुत ही विशेष प्रभाव देखने में आते हैं जिसका निर्णय वैद्य द्वारा दी सलाह से ही करना चाहिये।

गुरुवार, नवंबर 20, 2008

गंजापन व अवांछित बालों की समस्या

आदरणीय डाक्टर साहिब
नमस्ते
आशा करता हूँ कि आप प्रभु कृपा से सकुशल होंगे । आगे समाचार है कि आपके द्वारा भेजी गई दवा मुझे कल (19-11-2008) मिल गई है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद । मैंने अपने दोस्त के बारे में आपसे पूछा था । परन्तु आपने अभी प्रकाशित नहीं किया (एक मेरे दोस्त जिसकी उम्र लगभग 36 वर्ष है उनको गंजेपन की शिकायत है और उनके बालों में बहुत सिकरी है और ऐसे चमकती है जैसे कि सफेद पाऊडर लगा हो बाल भी बहुत झड़ गये हैं वह किया करें जिससे उनकी सिकरी चली जाये और नये बालों से सिर का गंजापन खत्म हो जाये । एक बात और मेरी पत्नी वैक्सिंग कर के बालो को हटाती है क्या कोई आयुर्वेदिक इलाज है?

नवीन गुप्ता, मोहाली
आत्मन नवीन जी
प्रणाम
ईश्वर की दया से हम सब कुशलता से हैं। आपके मित्र के बारे में समस्या का हल प्रकाशित न कर पाने के लिये क्षमा चाहता हूं। सिकरी(रूसी) अथवा डैन्ड्रफ़ के कारण बालों का झड़ना आजकल एक आम समस्या बन गयी है जाहिर है कि वे तमाम उपचार ले भी चुके होंगे। उनके लिये समाधन लिख रहा हूं।
१. आंवला घनसत्व + हरड़ घनसत्व + मुलैहठी घनसत्व + भृंगराज घनसत्व २०-२० ग्राम ले कर इस मिश्रण में २० ग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला कर इसकी एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये(इस दवा को बीज निकाले हुए खाली मुनक्के या खाली कैप्सूल में भर कर लिया जा सकता है)
२. भृंगराज + आंवला + मिश्री + साबुत काले तिल २५-२५ ग्राम मिला कर रख लें व इस योग को भी एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये।
३. बालों में तेल इस समय लगाने का कोई उपयोग नहीं होता बल्कि समस्या उलझती ही जाती है अतः रात में (अथवा यदि शिफ़्ट ड्यूटी करते हों तो जब सोने का समय हो) बालों की जड़ों में उंगली के पोरों से हल्के तरीके से पंचतिक्त घृत लगायें(इतना अधिक नहीं कि चूने-टपकने लगे)और सुबह मुल्तानी मिट्टी या एलोवेरा शैम्पू से धो लें।
इस उपचार को नियमित रूप से न्यूनतम छह माह तक करा जाए तब आप देखेंगे कि नए काले छोटे-छोटे बाल खल्वाट त्वचा पर उग रहे हैं। चूंकि यह एक जिद्दी रोग है अतः बिना हताश हुए इलाज करना पड़ता है, यदि हम औषधियों से यह अपेक्षा रखें कि जो बाल कई बरसों में गिर गये हैं वे दवा लेते ही चमत्कारिक रूप से पुनः उग आएंगे तो यह बचपना ही होगा। घैर्य रखना ही इस उपचार का सबसे बड़ा धनात्मक पक्ष है।
शेष आपने बहन जी के बारे में लिखा है कि वे अवांछित बालों को वैक्सिंग से हटाती हैं तो इसका उपचार आप पेज के दांयी तरफ दिये लेबलों में "अवांछित बाल" पर क्लिक करके देख सकते हैं। एक बार वैक्सिंग करने के बाद यदि ये उपचार ले लिये जाए तो तीन-चार बार ऐसा कर लेने पर वहां के बाल स्थायी रूप से उगना ही खत्म हो जाते हैं। यदि कोई समस्या विशेष हो तो अवश्य सूचित करें।


मंगलवार, नवंबर 18, 2008

वसंतकुसुमाकर रस व नवरत्न कल्पामृत रस

we want information for 'BASANT KUSUMAKER and NAVRATNA KALPAMIRUT'
pl. send me what is the use,benefit in HINDI
thanks in advance
vishnu k. gupta

Vishnuk Gupta
वसंतकुसुमाकर रस : - यह रस दिल को बल देने वाला, बलवर्धक, उत्तेजक,बाजीकरण,रसायन,मांसधातु बढ़ाने वाला है। स्त्री-पुरुष के जननएन्द्रिय सम्बन्धी विकारों पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। मधुमेह, बहुमूत्र और हर तरह के प्रमेह, नामर्दी, सोमरोग,श्वेतप्रदर,योनि तथा गर्भाशय की खराबी, वीर्य का पतला होना, शुक्राणु संबंधी विकार, वीर्य संबंधी सभी शिकायतों को जल्दी दूर कर शरीर में नयी स्फूर्ति पैदा करता है। वीर्य की कमी से होने वाले क्षयरोग की यह बहुत उत्तम दवा है। दिल और फेफड़ों को इससे बल मिलता है। दिल की कमजोरी, शूल तथा मस्तिष्क की कमजोरी, भ्रम,याददाश्त की कमी, नींद न आना आदि विकारों को यह रस तत्काल दूर करता है। पुराने रक्तपित्त,कफ़ खांसी, श्वास,संग्रहणी,क्षय, रक्तप्रदर,श्वेतप्रदर,रक्त की कमी, बुढ़ापे के विकार तथा रोग छूटने के बाद आयी कमजोरी में इस रस का प्रयोग बहुत मुफ़ीद है। मधुमेह की यह प्रसिद्ध औषधि है। छोटी आयु में हस्तमैथुन,गुदामैथुन आदि से यदि वीर्यनाश करा हो या अधिक स्त्री प्रसंग से वीर्य पतला हो चला हो तो ऐसे में स्त्री विषयक चिंतन मात्र से ही वीर्यपात हो जाता है ,इस स्थिति में यह रस जादू की तरह से असर दिखाता है। इसके सेवन से वीर्य वाहिनी शिरा में वीर्य धारण करने की क्षमता बढ़ती है। पुराने नकसीर(नाक से रक्त आना) में यह बहुत प्रभावी तरीके से असर दिखाता है। जिस स्त्री को अधिक मात्रा रजःस्राव और अधिक दिन तक होता है उसके लिये भी यह औषधि अत्यंत उपयोगी है। ऐसी स्त्रियों को यदि जरा सा भी कट-छिल जाए तो रक्त का प्रवाह बंद होने में दिक्कत होती है। बुढ़ापे जब सारी इन्द्रियां शिथिल हो जाती हैं और सबसे ज्यादा शरीर के अन्दरूनी अवयव में ढीलापन आ जाता है,आंते कार्य करने में शिथिलता दर्शाने लगती हैं तब पाचन ठीक तरीके से नहीं हो पाता है। इस स्थिति का प्रभाव दिल एवं फेफड़ॊ पर विशेषतः पड़ता है। इन्द्रियों की शक्ति बढ़ाने के लिये,रस-रक्तादि धातुओं को बढ़ाने ,दिल,फेफड़ो व मस्तिष्क को सबल बनाने,शारीरिक कान्ति बढ़ाने,शुक्र व ओज को बढ़ाकर स्वास्थ्य को स्थिरता प्रदान करने के लिये यह परम उत्तम रसायन है। इस रस का लेने के तरीके में भेद से अनेक प्रकार से उपयोग करा जाता है।
नवरत्न कल्पामृत रस: - यह रस एक उत्तम रसायन महौषधि है। इसका एक वर्ष तक कल्प के रूप में भी प्रयोग करा जाता है। यह रस वातहर, वातानुलोमक,पित्तशामक,विषनाशक,रक्तप्रसादक,मस्तिष्क पुष्टिकर व दिल को बल देने वाला है। यह रस-रक्तादि धातुओं को पुष्ट व सबल करता है। ओज की बढ़ोत्तरी करता है। मुखमंडल की कान्ति बढ़ाता है। बवासीर, प्रमेह, मधुमेह, क्षय, जीर्णज्वर, श्वास-कास, मूत्राघात, मूत्र में मवाद(पूय) आना, जीर्णवात रोग, आमवात, उदावर्त, गैस बनना, अंदरूनी घाव, अर्बुद(कैंसर), कण्ठमाला, मदात्यय, दिल के रोग, विसूचिकादि की जीर्णावस्था में शक्ति प्रदान करने के लिये व विजातीय धातुकणों को बाहर निकालने के लिये यह मुख्य औषधि माना जाता है। यह समस्त इन्द्रियों, शारीरिक अवयवों, नाड़ियों मे भीतर मल, आम, मेद, विष, कीटाणु या अन्यान्य विजातीय द्रव्यों के संचय को रोक कर उन्हें बाहर निकाल देता है। चयापचय(मेटाबालिक) क्रिया को नियमित कर देता है। वात नाड़ियों, दिल, मस्तिष्क, किडनी एवं लीवर आदि इन्द्रियों को बहुत सबल बना देता है। तन्द्रा, आलस्य, शान्त नींद न आना, किसी कार्य में मन न लगना, मष्तिष्क में घड़ी के समान ठक-ठक सा महसूस होना, चक्कर आना, थोड़े से परिश्रम से बहुत थकान आ जाना जैसी स्थितियों में यह रस बहुत प्रभावी है। यह रस जीर्णवात रोग, आमवात, सन्धिवात, जीर्णसुजाक, फिरंगरोग, कण्ठमाला, अन्तर्विद्रधि अदि रोगों में बेहद प्रभावशाली है। यह सप्त धातुपोषक व वर्धक है। विभिन्न रोगों से जर्जर हो जाने वाले रोगियों पर जब मैंने इसका प्रभाव देखा तो वह चमत्कारिक था एकदम दुबले व बलहीन हुए मरीज पुनः भले चंगे होकर जीवन यापन करने लगे किन्तु यह एक अत्यंत मंहगी औषधि है क्योंकि इसमें माणिक्य, नीलम, पन्ना, पुखराज, वैदूर्य, गोमेद, मोती जैसे कीमती द्रव्यों की पिष्टियां मिलायी जाती हैं साथ ही स्वर्ण भस्म तथा शिलाजीत का भी समावेश होता है अतः बेहद आवश्यक है कि यह किसी विश्वस्नीय स्थान या व्यक्ति से ही लिया जाए अन्यथा नकली मिल जाने पर लाभ नहीं होता व व्यर्थ ही आयुर्वेद का नाम बदनाम होता है।

बुधवार, नवंबर 12, 2008

बिजली जैसी ताकत प्रदान करने वाला महाशक्तिशाली योग



यह सभी वर्गों के पुरुषों के लिये अत्यंत उत्तम स्वास्थ्यवर्धक वटी ( टैबलेट) है जो कि बेहद प्रभावी तथा बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का बेहतरीन मिश्रण करके बनाई गयी है। इसमें शुद्ध शिलाजीत, मकरध्वज, बंग भस्म, अभ्रक भस्म २०० पुटी, जायफल, लवंग, कर्पूर, इलायची, अश्वगंधा, शुद्ध व उच्च कोटि के काश्मीरी केसर(ज़ाफ़रान) का योग दुर्लभ व बिजली जैसी ताकत प्रदान करने वाला महाशक्तिशाली योग है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को जिन चमत्कारिक औषधियों के कारण संसार भर में जाना व सम्मान करा जाता है उनमें से शिलाजीत तथा मकरध्वज प्रमुख हैं। इन्हीं अनुपम रसायनों के मिश्रण से इस महौषधि को तैयार करा गया है। इनके अतिरिक्त जिन औषधियों का व्यवहार इसमें करा गया है वे भी अत्यंत प्रभावशाली व असरकारक हैं। इस योग के प्रभाव से वीर्य संबंधी सारे विकारों एवं रोगों में आश्चर्यजनक लाभ होता है। ये जादुई असर समेटे गोलियां भोजन को पचाकर रस आदि शरीर की सप्त धातुओं को क्रमशः सुधारती हुई देह की अंतिम धातु "वीर्य" का शुद्ध स्थिति में निर्माण करती हैं जिससे कि शरीर में नवजीवन व स्फूर्ति का संचार होता है। जो व्यक्ति शिलाजीत और मकरध्वज के गुणों के बारे में जानते हैं वे इस औषधि के प्रभाव के बारे में जरा भी संदेह नहीं कर सकते हैं। ये अनुपान भेद(दवा लेने के तरीके से यानि दूध, शहद, पानी, मलाई, मक्खन आदि) से अनेक रोगों को तत्काल दूर करने में सहायक हैं। प्रमेह के साथ होने वाली खांसी, सर्दी, जुकाम, कमर दर्द, भूख की एकदम कमी, स्मरण शक्ति यानि याददाश्त की कमी जैसी व्याधियां इस महौषधि के सेवन से दूर हो जाती हैं। इसके सेवन से शरीर पुष्ट हो जाता है साथ ही भूख लगने लगती है व पाचन सही तरीके से होने लगता है। इस प्रकार जो व्यक्ति अनेक औषधियां लगातार सेवन कर करके दवाओं का गोदाम बन गये हैं वे सभी बाजारू दवाएं छोड़ कर यदि मात्र इसी दवा का सर्दियों से मौसम में नियमित रूप से सेवन कर लें तो किसी दूसरी दवा की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। चढ़ती जवानी में जब शरीर में हारमोनल परिवर्तन होते हैं यानि कि बचपन से जवानी में इन्सान कदम रखता है तो जब शरीर में वीर्य का प्रत्यक्ष प्रादुर्भाव होता है तो मानव देह में वह ताकत है जो कि शरीर में एक नए निर्माण की क्षमता पैदा करती है तो उसे सम्हाल पाना एक कठिन कार्य होता है जो कि सभी के वश में नहीं होता इसी कारण यह महाशक्ति हस्तमैथुन आदि के द्वारा देह से बाहर निकल जाती है। जब पारिवारिक जीवन को सही ढंग से चलाने के लिये उस वीर्य रूपी महाशक्ति की आवश्यकता पड़ती है तब तक खजाना खाली हो चुका होता है यानि जवानी आते-आते ही अच्छे-खासे जवान के चेहरे की रौनक और चमक गायब हो जाती है, संभोग के समय वीर्य संबंधी परेशानियां मुंह फाड़ कर सुरसा की भांति खड़ी हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन का सत्यानाश हो जाता है। उम्र बढ़ने पर देह में निर्बलता का आना एक सहज सी प्रक्रिया है जो कि मेटाबालिक क्रियाओं के फलस्वरूप होता है और रोग प्रतिरोध क्षमता कम होने लगती है किन्तु यह महौषधि उस लुप्त होती शक्ति को पुनः उत्तेजित कर मनुष्य को सबल और निरोगी बनाए रखती है।
इस महौषधि को अनेक समस्याओं में प्रयोग करा जा सकता है जैसे कि स्वप्न दोष(Night fall)या रात्रि में सोते समय अपने आप ही अंडकोश के स्राव का निकल जाने पर इसे सुबह-शाम दो गोली गुनगुने गर्म दूध में मिश्री(खड़ी साखर) मिला कर लेने से कुछ समय में यह रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। शीघ्रपतन(Premature ejaculation) यानि संभोग काल में बहुत जल्दी ही बिना संतुष्टि हुए वीर्य का निकल जाने पर इस महौषधि की दो गोली को रूमी मस्तंगी एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम) + छह रत्ती सफेद मूसली के साथ गुठली निकाले छुहारे के बीच रख कर चबा लें और ऊपर से मिश्री मिला गुनगुना गर्म दूध पिएं तो मात्र कुछ ही समय में चमत्कार हो जाता है और निर्बल सा महसूस करने वाला रोगी बलिष्ठ बन जाता है।
इसी प्रकार इस महान औषधि को अपने वैद्यजी या डाक्टर की सलाह से तमाम रोगों में प्रयोग करके एक नया ऊर्जा से भरा जीवन जी सकते हैं। यदि स्वस्थ व्यक्ति भी एक-एक गोली दूध के साथ रोजाना ले तो एक अत्युत्तम सर्वश्रेष्ठ अनुपम टानिक की तरह से यह औषधि कार्य करती है।

गुरुवार, नवंबर 06, 2008

पथरी के दो केस

आदरणीय डाक्टर साहब,
नमस्ते
मैं आपसे आज पथरी के दो रोगीयों के बारे में इलाज जानना चाहता हूँ एक तो मेरे मामा जी है जिनकी उम्र लगभग 40 वर्ष है उन्हे गुर्दे में पथरी रहती है वह तीन- चार बार पथरी के लिए आप्रेशन करवा चूके हैं परन्तु उनको अब फिर पथरी हो गई है ऐसे ही मेरी बहन की बेटी हैं (भांजी) इसकी उम्र 10 वर्ष के लगभग है उसे बलैडर में पथरी हो गई । तो उसके लिए ईलाज क्या करें । धन्यवाद सहित ।
आपका आभारी
नवीन गुप्ता, मोहाली
प्रिय नवीन भाईसाहब
पहले आपके मामाजी के बारे में लिखता हूं। जैसा कि आपने बताया कि वे तीन-चार बार शल्य चिकित्सा करवा चुके हैं किंतु फिर से पथरी हो जाती है। ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि जाना जाए कि मूल कारण क्या है, संभव है कि उनके खानपान की आदतें ऐसी हों जो कि बार-बार पथरी बन जाती है अथवा गुर्दे ही इस स्थिति में हों कि सम्यक कार्य न कर पा रहे हों। जो दवाएं लिख रहा हूं उन्हें लगातार छह माह तक सेवन कराइये।
१ . बहुत तेज दर्द होने पर ही ये दवाएं दीजिये किंतु घर पर अवश्य रखिये क्योंकि कब तेज दर्द होने लगेगा ये तो पता नहीं रहता है। शूलवज्रिणी वटी १ गोली + महाशूलहर रस १ गोली शहद से चटा दें और उसके ऊपर से तुरंत ही पच्चीस बूंद अहिफेनासव बराबर हल्के गर्म पानी में मिला कर पिला दें, दर्द में जल्दी ही राहत मिलेगी।
२ .हजरुलयहूद भस्म १० ग्राम + शुभ्रा भस्म १० ग्राम + जवाखार १० ग्राम + सुहागा १० ग्राम + कलमी शोरा १० ग्राम +नवसादर १० ग्राम + सफ़ेद जीरा १० ग्राम + बड़ी इलायची के बीज १० ग्राम + कबाब चीनी १० ग्राम इन सभी दवाओं को एकत्र कर बहुत कस कर घॊंट लीजिये और फिर इस मिश्रण में से दो ग्राम की मात्रा लेकर सुबह- शाम गोक्षुरादि क्वाथ के दो चम्मच से सेवन करें।
इन दवाओं के सेवन से उनकी समस्या हमेशा के लिये समाप्त हो जाएगी।
अब आपकी भांजी के बारे में बताता हूं।
बहुत तेज दर्द होने की स्थिति में उसे ये दवा दें।
१ . शूलवज्रिणी वटी आधी गोली + महाशूलहर रस आधी गोली + वृक्कशूलान्तक रस आधी गोली तीनों को मिला कर एक खुराक बनाएं व शहद से चटा दें और उसके ऊपर से तुरंत ही पंद्रह बूंद अहिफेनासव बराबर हल्के गर्म पानी में मिला कर पिला दें।
२ . बच्ची को सुबह नाश्ता तथा दोपहर का भोजन करा दें, इसके बाद उसे कुछ खाने को न दें बस प्यास लगने पर पानी दे सकते हैं। रात में सात बजे के आस पास उसे चार छोटे चम्मच शुद्ध जैतून का तेल पिलाएं फिर पंद्रह मिनट बाद एक चम्मच नींबू का रस पिलाएं। इसी तरह से बारी बारी से चार छोटे चम्मच शुद्ध जैतून का तेल पिलाएं फिर पंद्रह मिनट बाद एक चम्मच नींबू का रस पिलाएं जब लगभग सौ मिलीलीटर तक तेल पी ले तो बंद कर दें(कई बार रोगी ५० मिली. ही पी पाता है और उल्टी करने लगता है इस बात से परेशान न हों)। यही क्रम आप लगभग सात दिन तक चलाएं।
३ . कुटकी चार ग्राम + शंख भस्म १ ग्राम + मंडूर भस्म १ ग्राम में २० मिली गोमूत्र + २० मिली पुनर्नवासव + २० मिली मकोय का रस मिलाएं और कस कर घॊंट लें ताकि सूख कर गोली बनने लायक हो जाए इस की १२५ मिग्रा. की गोलियां बना कर धूप में सुखा लीजिये व एक एक गोली पानी के साथ सुबह नाश्ते के बाद रोज दीजिये।
यह उपचार मात्र पंद्रह दिन कर लेने से गाल-ब्लेडर की पथरी से मुक्ति मिल जाएगी। यदि पथरी यूरिन-ब्लैडर में है तो मामा जी को बतायी दवाएं बच्ची की उम्र के अनुसार आधी मात्रा में दीजिये। एक माह बाद एक्स-रे परीक्षण या सोनोग्राफ़ी करवा कर देख लीजिये, शत-प्रतिशत आराम आ जाएगा। यह दवाएं हजारों रोगियों को लाभ दे चुकी हैं अनुभूत हैं।


सोमवार, नवंबर 03, 2008

मेरी नाक से भयंकर दुर्गंध आती है

डाक्टर साहब,नमस्ते
मेरी उम्र बीस साल है। मैं एक छात्र हूं। पिछले तीन माह से मुझे नाक के दोनो तरफ़ अंदर कुछ रेंगता सा प्रतीत होता था। मैंने E.N.T. चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने बताया कि दर्द और ऐसे एहसास का कारण मेरी विचित्र बीमारी है। मुझे बताया गया कि मुझे पीनस नामक रोग है। मेरी नाक से भयंकर दुर्गंध आती है। मुझे बताया गया कि अंदर शायद कीड़े भी हैं इसलिये आपरेशन करना पड़ेगा। मेहरबानी करके कोई आयुर्वेदिक इलाज बताइये।
जैनेन्द्र सनोई,ओरछा
जैनेन्द्र जी, आपकी बीमारी से होने वाली परेशानी को हम समझते हैं। आप निम्न उपचार लीजिये और ईश्वर की दया से आप जल्दी ही स्वस्थ हो जाएंगे।
१ . आरोग्यवर्धिनी बटी १ टैबलेट सुबह-शाम जल से लें।
२ . कपूर और शुद्ध तारपीन का तेल बराबर मात्रा में लेकर एक कांच की शीशी में भर कर कस कर ढक्कन लगा दें और तेज धूप में इस शीशी को दो घंटे रख दें तो सारा कपूर तेल में मिश्रित हो जाएगा। आब इस दवा की चार-चार बूंदें दोनो नाक के छिद्रों में सुबह-शाम डालें।
पूरा विश्वास है कि मात्र चार या पांच दिन में आपको आराम हो जाएगा। पूर्ण लाभ के लिये कम से कम पंद्रह दिन तक अवश्य दवा लें।

गुरुवार, अक्तूबर 30, 2008

तेरह साल की बेटी के चेहरे व शरीर पर बाल हैं

sir namaskar, meri 13 sal ki beti ke chehre par or sharir par kaphi bal hai .mere nahi hai ,sir kya ye htaye ja sakte hai ,bachchi badi ho rahi hai or wax karne ke liye pareshan karti hai,sir koi aayurvaidik nuskha ho to btane ki kripa kare.
अनाम
एक बात आपने स्पष्ट नहीं करी कि क्या बेटी को मासिक धर्म शुरू हो चुका है अथवा नहीं? वैक्सिंग पूरे शरीर पर तो करना बहुत कष्टकारी है। आपकी बेटी की ये समस्या कदाचित हार्मोनल असंतुलन के कारण हो सकती है। जिसका कारण मेरे शोध के अनुसार देह में वात की गड़बड़ी होती है अतः आप बच्ची का हार्मोनल स्तर जांच करवा लें। निम्न औषधि उपचार दें-
१ . मिट्टी के तेल(केरोसिन या धासलेट) ५० मिली. + १० ग्राम कपूर + ५ ग्राम हरताल भस्म मिला कर जिन अंगों पर अधिक बालों का घनापन प्रतीत होता हो वहां रात्रि में सोने से पहले इस मिश्रण से मालिश करें। दो माह में स्वतः ही बाल गिरने लगेंगे और नए बाल न उगेंगे।
२ . गन्धर्व हरीतकी आधा चम्मच + आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली रात को भोजन के आधा घंटे बाद गुनगुने गर्म जल से दीजिए।

आंखों में जलन,शरीर में टूटन होती है


Respected Sir,Mera naam yasif hai, mai security guard ki job karta hoon.Meri Problem ye hai ki mera sir hamesha bhari-2 rahata hai aur aankhon me jalan rahati hai.Kabhi-2 Kabj ki bhi problem Rahati hai.Khana khane ke 30-40 minute bad Aankho me jalan hone lagti hai. Sara sareer toota-toota rahta hai. Esa lagta hai jase bukhar ho gaya ho.Gas ki bhi problem bani Rahati hai.Please meri problem ka hal karen.
yasif ali
यासिफ़ जी,आपकी समस्या भोजन के पाचन के समय उत्पन्न होने वाले पित्त से संबंधित है। चूंकि आप सिक्योरिटी सर्विस में हैं तो जाहिर है कि रात्रि जागरण भी होता होगा। आप अपनी नौकरी तो बदल नहीं सकते इसलिये बेहतर है कि आप निम्न दवाएं लें।
कामदुधा रस एक गोली + सूतशेखर रस एक गोली + गिलोय सत्व एक रत्ती की एक खुराक बना लें और सुबह - शाम एक एक खुराक ठंडे पानी के साथ लिया करें।
साथ ही यदि रात्रि पाली ड्यूटी करते हैं तो दिन में पर्याप्त विश्राम करें अन्यथा समस्या की जड़ मौजूद रहेगी। आप इस दवा का सेवन कम से कम दो माह करें और ध्यान दें कि मांसाहार का सेवन न करें साथ ही शराब-तम्बाखू आदि का सेवन न करें।

सोमवार, अक्तूबर 27, 2008

पटाखों के धुंए से भयंकर परेशानी होती है



डा.साहब प्रणाम,मेरी बेटी १३ साल की है और जब भी दीवाली का त्योहार आता है तो सारी दुनिया खुश होती है लेकिन जब भी दीवाली का त्योहार आता है मेरी इकलौती बेटी को बहुत कष्ट हो जाता है। उसे पटाखों के धुंए से भयंकर परेशानी होती है, उसे दमा जैसा दौरा पड़ने लगता है और खांसी आती है, नाक बहने लगती है, पसलियों में दर्द और बुखार हो जाता है यानि कि हर बार दीवाली के अगले दिन ही हमें अस्पताल भागना पड़ता है जिस कारण हमारे लिये ये त्योहार बुरे सपने जैसा लगता है। यदि हम किसी को पटाखे चलाने से रोकूं तो लोग कहेंगे कि मैं परंपराओं का विरोध कर रहा हूं हमारा दुःख कोई नहीं समझता है। मेहरबानी करके आप हमारी मदद करें और हमारी बेटी को इस परेशानी से मुक्त कराएं।
संजय जागीरदार,दमण
संजय जी, मैं आपकी परेशानी को समझ रहा हूं । लोग परंपराओं के नाम पर आजकल त्योहारों पर जो कुछ भी करते हैं वह भले ही आपके लिये कष्टप्रद है किंतु आप किस किस को समझाएंगे, मेरी भी यही पीड़ा है। खैर आप अब चिन्ता न करें आप अपनी बेटी के लिये निम्न दवाएं ले आइये अस्पताल जाने की स्थिति हरगिज न आयेगी और यदि आपने छह माद लगातार दवाएं दी तो अगली दीवाली पर आपको परेशानी न होगी।
१ . दशमूल का क्वाथ सुबह - शाम एक-एक चम्मच दें।
२ . दो चुटकी हरड़ का चूर्ण चटा कर ऊपर से अगस्त्य हरीतकी अवलेह एक-एक चम्मच चटाइये।
३ . आधा ग्राम समशर्कर चूर्ण सुबह-शाम चाटने को दें।
इन दवाओं को आज ही ले आइये ताकि बच्ची को तकलीफ़ न हो और दीवाली का पर्व सुख से बीते।


शुक्रवार, अक्तूबर 24, 2008

दिल की धड़कन बढ़ी रहती है बी.पी. के कारण.....

sir mujhe dilke jor jor se dhadkne ki sikayat pichle 8 salo se hai.mai 34 ki hu mera wajan 67 kg hai mera bp 130/90 rahta haior dil ki dhadkan kabhi 90 to kabhi 120 30 ki raftar se chalne lagti hai jisse badi bechaini hoti hai,mai BP ki dwa le rahi hu kuch mahino se koi fayada nahi hai.kabhi bhi suru ho jati hai dhadkan.doc ne eco me paya ki dil ki ek nali fail gayi hai jisse jyada blood body me jane ye ho rha hai...pls sir aap meri shayta kare
अनाम बहन
बहन जी आप परेशान न हों बी.पी. की दवा को बंद कर दीजिये और निम्न उपचार लगभग छह माह तक लगातार यदि ले लेती हैं तो आप यकीन मानिये कि आपको जीवन भर इस तरह की कोई समस्या न होगी।
१ . अर्जुन घन बटी एक गोली + अकीक पिष्टी एक रत्ती(१२५ मि.ग्रा.) + जहरमोहरा खताई भस्म एक रत्ती + मुक्ता पिष्टी आधी रत्ती मिला कर एक खुराक बनाएं और दिन में तीन बार अर्जुनारिष्ट के एक चम्मच के साथ सेवन करें।
२. सुबह नाश्ते में संभव हो तो एक या आधा मुट्ठी भीगे चने कच्चे ही चबा कर खाएं।

शनिवार, अक्तूबर 18, 2008

जोड़ जकड़ जाते हैं

सर नमस्ते, मेरी भाभी जी की उम्र ४५ साल है उनके टखनों,घुटनों नितंबों के जोड़ॊ में भयंकर दर्द होता है कभी अभी वो बताती हैं कि ऐसा दर्द होता है जैसे बिच्छू ने काट लिया है। रात में नींद नही आती है बल्कि दिन में सो लेती हैं यदि रात में नींद आ गयी तो सुबह जोड़ जकड़ जाते हैं। E.S.R इस समय 60mm/H. है। कलाई और घुटनों में सूजन भी है। एक वैद्य ने आमवात बताया था पर हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया आप मदद करें। कभी तो बुखार भी आ जाता है।
अजय कश्यप,रांची

भाईसाहब, जो लक्षण आपने बताये हैं और जो रिपोर्ट मुझे भेजी है उसके अनुसार यह आमवात ही है। आप उन्हें निम्न उपचार लेने को कहें।
१ . एकांगवीर रस आधी गोली + आमवातारि रस आधी गोली + विषतिंदुक बटी एक गोली ; इन सबकी एक खुराक करें व रास्नादि काढ़े के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।
२ . हरड़ का ५ ग्राम चूर्ण एरण्ड के तेल के एक चम्मच में मिला कर सुबह शाम सेवन करें व ऊपर से गर्म जल पियें।
दवाएं खाली पेट न लें।

शुक्रवार, सितंबर 26, 2008

बिस्तर पर सोते में पेशाब हो जाता है......

सर, मेरे एक मित्र की उम्र १८ साल है और वह रात को सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर लेता है।
मयंक पोरवाल

मयंक जी, आपके मित्र की समस्या के निवारण के लिये पहले तो उन्हें सुझाव दीजिये कि वे रात को भोजन के बाद जब सोने के लिये बिस्तर पर जाएं उससे पहले पेशाब कर के ही सोएं। दूसरी बात कि ध्यान रखें कि सोने से कम से कम एक घंटे पहले भोजन करें व सोने से पहले पानी या दूध न पिएं। उन्हें निम्न उपचार लेने को कहें -
१ . मिश्री ४० ग्राम + मुलहठी ३० ग्राम + काली मिर्च २० ग्राम इन सबको बारीक पीस लें तथा ४ ग्राम दवा को गाय के घी में मिला कर दिन में दो बार चटाएं।
२ . सूखे आंवले तथा काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसें और ३ ग्राम मात्रा में दवा शहद के साथ मिला कर दिन में दो बार चटाएं। इन दोनो दवाओं के सेवन के बीच आधे घंटे का अंतर रखें। आहार में अंगूर ,अनार,जामुन,छुहारे, गूलर, तिल और चने का अधिक सेवन करें। जल्द ही आराम आएगा।

मंगलवार, सितंबर 09, 2008

पेट में गैस बहुत बनती है

मेरा नाम योगेश है और मेरी उम्र 26 वर्ष है!
मै आपको ये बताना चाहता हूँ कि मुझे काफी समय से कब्ज की समस्या तो रहती है लेकिन मेरी मुख्य समस्या यह है की मेरे पेट में गैस बहुत बनती है! रोज दोपहर के बाद मेरे पेट में गैस जमा हो जाती है जिसे मुझे मलद्वार से हवा के रूप में निकालना पड़ता है! मै इस समस्या से बहुत परेशान हो गया हूँ! कृपया मुझे कोई बेहतर इलाज बताये! और मुझे बवासीर की भी समस्या है ,लेकिन आप मुझे कृपया ये गैस दूर करने का इलाज बताये!
धन्यवाद!

योगेश जी, आपकी मुख्य समस्या गैस बनना नही बल्कि कब्जियत है जिसके लक्षण के रूप में अपानवायु निकलती रहती है। आप पहली बात तो नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा शारीरिक श्रम और हल्का सा व्यायाम जोडि़ये यदि ये सब न हों तो और निम्न औषधियां लीजिये-
१. हिंग्वाष्टक चूर्ण एक चम्मच + भुना हुआ जीरा(पीसा हुआ) दो ग्राम दिन में भोजन के पंद्रह मिनट बाद हल्के गर्म जल से लीजिये और एकदम ठूंस कर भोजन न करें व भोजन के बीच में पानी न पीकर भोजन करने के पांच मिनट बाद थोड़ा रुक कर पानी पियें।
२. रात को सोने से पहले गंधर्व हरीतकी एक चम्मच हलके गर्म जल से लीजिये।
आपकी गैस,बवासीर,कब्जियत सभी समस्याएं समाप्त होने लगेंगी यदि आप इस प्रयोग को एक माह तक नियमित लें।

सोमवार, सितंबर 01, 2008

बच्चा मंदबुद्धि है और दवाएं मंहगी हैं


प्रिय डाक्टर साहिब,
नमस्कार ।
मैंने आप से पहले पत्र के माध्यम से अपनी बिमारी के बारे में जानकारी ली थी और आपने जो दवा जैसे लेने को कहा मैंने वैसे उसे लेना शुरू कर दिया । लगभग मुझे वह दवा लेते हुए डेढ महीना हो चला है । यह दवा बहुत मंहगी पड़ रही है परन्तु इससे मुझे फायदा तो हुआ है कृपया मैं आपसे इससे कोई सस्ता विकल्प जानना चाहता हूँ । और मैं अपने एक परिचित के बेटे की बिमारी के बारे में जानकारी लेना चाहता हूँ वह जन्म से थोड़ा सा मंदबुद्धि है उसकी उम्र 5 वर्ष से ऊपर है । वह स्कूल में नर्सरी स्टैंर्ड में पढ़ता है । और साफ नहीं बोल पाता है । कृपया आप इसके बारे में बतायें कि हम कौन सा इलाज करें ।
धन्यवाद सहित ।
आपका आभारी
नवीन कुमार गुप्ता
The doctors called this diseases "MYELITIES".
Dear Sir,My name is Naveen Gupta and I live in Kharar (Punjab) Near Chandigarh, I read your website Aayushved.On Oct. 28, 2007 , suddenly I felt pain in my back(spinal cord i.e. lumber area). then after few hours , the full area below stomach(i.e. both legs, urine and stool passing) stopped working means legs were not taking the weight and I was enable to move and urine and stools passing was not in control. Then I got the allopathic treatment from Chandigarh( Neuron Surgeon). The doctors called this diseases "MYELITIES". At that time only, I came to know that I am diabetic patient also. Earlier I was completely on wheel chair, Then I have taken some ayurvedic medicines(Vatchintamani Ras, Yoginder Ras with Honey and two time Massage with Dabur Lal Tail mixed with Ajvain, Affim, Mushak Kapur) due to which I started walking with the help of Stick. No doubt, There is a great improvement but, still I cannot walk properly like a normal man. There is a major problem in my left leg ( I feel as if there is a strain and sprain in left thigh).
Please tell me the best treatment for my problem.ThanksNaveen Kumar GuptaH.No 3323, W.No-9,Kharar(Punjab)-140301Naveenkhoney@hotmail.comAkshitnaveen@yahoo.co.inMobile 9888169656

नवीन जी आपकी समस्या को समझा और इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि अब आपको योगेन्द्र रस का सेवन बंद कर देना चाहिये तथा वृहत वात चिन्तामणि रस एक-एक गोली दिन में तीन बार दूध के साथ लें। महानारायण तेल की पांच मिली तेल का दिन में एक बार (बस्ति)एनिमा लें,यह काम करने के लिये आप नित्य कर्म से फारिग हो कर नाश्ता करने के बाद एक 10 ML वाली डिस्पोजेबल सिरिंज ले लीजिये व उसमें निडिल न लगाएं तथा ५ मिली तेल को गुदा मार्ग से अंदर ले लीजिये।


नवीन जी आपने लिखा है कि दवा का सस्ता विकल्प बता दूं, इस बारे में कहना चाहता हूं कि आयुषवेद की तरफ से अनेकों रोगियों के ऐसा बताने पर कि दवाएं बाजार से मंहगी पड़ती हैं यह निवेदन करा गया कि आयुषवेद ही दवाएं उपलब्ध कराए। इसलिये सूचित करना है कि सेवाभावी आयुषवेद दल ने स्वयं ही दवाएं बना कर मात्र लागत मूल्य व पोस्टेज पर मरीजों को भेजने का प्रबंध ईश्वर की दया से अब कर लिया है इसलिये मेहरबानी करके सूचित करें कि आप दवा किस मूल्य से खरीद रहे हैं आशा है कि वह लागत मूल्य से कहीं बहुत ज्यादा होती है। दवा मंगाने हेतु आप अपना पोस्टल एड्रेस व मोबाइल नंबर(यदि हो तो) देना न भूलें। याद रखिये कि यह कोई व्यवसाय नहीं मात्र रोगियों की सेवा हेतु चलाया गया उपक्रम है अतः फायदा-नुकसान जैसे विषय से दूर रखा गया है। दूसरी बात कि आपने बच्चे के बारे में लिखा है कि वह मंदबुद्धि है तो क्या कोई परीक्षण कराया है या बस अनुभव मात्र से बता रहे हैं? बच्चे को अष्टमंगलघृत आधा चम्मच गाय के दूध के साथ सुबह-शाम दीजिये तथा सुबह-दोपहर-शाम को एक-एक गोली ब्राह्मी बटी सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दीजिये,खाली पेट न दें।

मंगलवार, अगस्त 19, 2008

चेहरे पर दाग हैं जो मेकअप से छिप जाते हैं

Dear Doctor,

I got your e-mail from aayushdev blog. Pl give some suggestion/ cure for following dieses

My wife Sadia, Age: 26 Housewife, we have one baby daughter (02 years)

Actually since childhood she have some dark marks on her face, mainly on checks & foreheads (no convex or concave, no hard skin, simple size) which are not expending and not compressing also

After face make up those are looks very less but after washing same appears again, in the sunlight those are more prominent

Pl suggest some medicines

Regards
Haseen Khan
Nashik Maharastra

खान साहब,आपको बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ी इसके लिये माफ़ करें। आपकी पत्नी की समस्या को देखने और समझने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि यह आयुर्वेद के अंतर्गत कहे गये क्षुद्ररोगाधिकार में से नीलिका नामक रोग है। अतः आप बताये गये उपचार को बहनजी को तीन-चार माह तक लगातार प्रयोग करायें।
१. समूची हल्दी की गांठ को आक के तीन या चार बूंद दूध को पत्थर पर डाल कर जैसे हिन्दू लोग तिलक लगाने के लिये चंदन घिसते हैं वैसे ही घिसें और प्रभावित स्थान पर यह लेप पतला सा रात में लगा लें व सुबह उबटन की तरह से रगड़ कर उतार दें। यदि त्वचा में जरा सी भी जलन का एहसास हो तो सुबह उस स्थान पर एलोवेरा का गूदा और कपूर मिला कर लगाएं। आक उस पेड़ को कहते हैं जिसे महाराष्ट्र में लोग रुई(कपास या काटन नही यह अलग पेड़ होता है) कहते हैं जिसके पत्तों की माला बना कर लोग हनुमान जी को चढ़ाते हैं और इसमे पत्ते के तोड़ने पर सफ़ेद रंग का दूध निकलता है।
२. सुबह स्नान करने के बाद कुंकुमादि तेल को प्रभावित स्थान पर लगाएं।
यदि लाग बहुत गहरे नहीं होंगे तो तीन चार माह में समाप्त हो जाएंगे व वापस नहीं होंगे।


गुरुवार, जुलाई 24, 2008

बच्चे की दो बार हड्डी टूट चुकी है....

Adarniya Doctor Saheb,
Aapke blog http://aayushved.blogspot.com/ par main apne bete ki ek samasya ke baare mein aapki salah lene chahta hoon. Uski umra 20 maheene ki hai aur usse ab tak 2 baar fracture ho chka ho, doctors ka kehna hai ki usse calcium ki kami hai. Unhone kucch test bhi karane ke liye kaha hai taaki sahi-sahi pata lagaya ja sake ki kami kahan hai? In tests ko bhi hum sheeghra karayenge.
Aapka bahut abhar hoga yadi aap is sthiti mein kuchh samadhan sujhayen.
Dhanyawad, Pankaj
पंकज जी, आपकी बेटे की उम्र मात्र २० माह है और दो बार फ़्रैक्चर हो चुका है तथा डाक्टर्स ने आपको बच्ची के कुछ टैस्ट कराने के लिये कहा है ताकि समस्या समझ आ सके यानि कि इस तरह के डाक्टर्स पूरी तरह से पैथोलाजिकल रिपोर्ट्स के आधार पर ही रोग निश्चय करते हैं और यदि मानवीय भूल या मशीनी गड़बड़ी के कारण रिपोर्ट गलत आ गयी तो गलत दिशा में उपचार के कारण मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। इन डाक्टर्स में क्या इतनी अक्ल नहीं रहती कि ये अपने विवेक के आधार पर रोग-विनिश्चय कर सकें? यदि आप मेरी सलाह को गम्भीरता से लेते हैं तो व्यर्थ में फालतू टैस्ट करवा कर परेशान होने के स्थान पर बच्चे को निम्न दवाएं लगभग तीन माह तक दें, दरअसल अनेक कारणों से बच्चों की अस्थियों में कुछ हद तक भंगुरता आ जाती है किन्तु इनके पीछे मुख्यतः कुपित होने वाला दोष वात ही रहता है--
१. कुक्कुटाण्डत्वक भस्म आधी-आधी रत्ती दिन में दो बार एक चम्मच शहद के साथ चटाएं।
२. आभा गुग्गुल आधी-आधी गोली दिन में दो बार इसी प्रकार पीस कर शहद में चटाएं।
इन दवाओं के सेवन से बच्चे की हड्डियां तो मजबूत होंगी ही साथ ही वह पुष्ट भी होगा।

मोटापे की समस्या....

Namaskar Sir,
Main 26 saal ki hoon.Main ek house wife hoon.Mere height 5'4''hai aur weight 70kg hai.Mujhe do samasyain hain.Pehle to Sir main apane Motape ko le kar pareshan hoon.Mera khana niyamit aur santulit hai.Niyamit 10-15 minute vyam bhi karti hoon.Per samajh mein nahi aata ki main moti kyon hoti ja rahi hoon.main ise lekar bahoot pareshan hoon.Doosri samasya yeh hai ki main aur mere pati 7 mahine se bachhe ke liye try kar rahe hain per hame safalta nahi mil pa rahi hai,doctors ke report bhi sabhi normal hain bas thoda iron ki kami hai isliye doctor ke kehane per jyada vyam nahi kar sakti.Humne doctor se bhi pucha ki kahin ye motape ki wajah se to nahi,per unhone BMI(Body mass index test) bhi kiya sab normal hai.Kya bachhe ke liye try karte samay kisi baton ka dhyan rakhna padhta hai?Kripya karke in dono samasyein ka kuch upaye batein.
Dhanyawad.
श्रीमती लकी
समस्या के हल हेतु आप नियमित रूप से न्यूनतम छह माह से साल भर तक इन दवाओं का सेवन करें --
१ . मेदोहर विडंगादि लौह १ गोली + मेदोहर गुग्गुल २० गोली + त्रिमूर्ति रस १ गोली को दिन में तीन बार मेदारि पेय के दो चम्मच के साथ लें।
२. आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म जल से लें।
दवाएं खाली पेट न लें। अन्य किसी औषधि की आवश्यकता नहीं है।

बुधवार, जुलाई 16, 2008

गले में मटर के दाने के आकार की दो गांठे हैं,खांसी बहुत रहती है।

डॉ साहब नमस्कारमेरी बेटी को खांसी बहुत रहती है। खांसी सूखी है। बहुत इलाज करा चुका हूं। एलोपैथी भी और होम्योपैथी भी। कुछ फायदा होता है बाद में मर्ज फिर वही हो जाता है। बेटी की उम्र साढ़े आठ साल है। बचपन से ही उसके गले में मटर के दाने के आकार की दो गांठे हैं। मैने मांटूर टेस्ट भी तीन बार करा लिया है। रिपोर्ट निगेटिव आती है। प्राइमरी कॉप्लेक्स की संभावना डॉक्टर बताते हैं मगर रिपोर्ट निगेटिव है। गले में टांसिल भी हैं। क्या इससे उसका विकास रुक सकता है। मैं काफी परेशान हूं। बेटी का किसी भी काम में मन नहीं लगता या यूं कहूं वह किसी भी काम में तल्लीनता से नहीं जुटती। कांफीडेंस की भी कमी है। आखिर मैं क्या करूं और क्या इन लक्षणों का बीमारी से कोई संबंध में मुझे दिशा दें।योगेश जादौन, बीहड़
योगेश जी,आपकी बेटी की समस्या को बहुत गम्भीरता से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आपकी बेटी की समस्या जीर्ण हो चुकी है किन्तु जिस तरह से डाक्टर संभावना के आधार पर अनुमान लगा कर चिकित्सा करते हैं उससे प्रतीत होता है कि ऐसे डाक्टर बच्चों को मात्र प्रायोगिक जंतु ही समझते हैं। बच्ची के दोष जीर्ण हो कर परस्पर क्लिष्ट आवरणॊं में पहुंच चुके होने के कारण ही ऐसा होता है कि यदि लाक्षणि उपचार दे दिया जाए तो कुछ समय के लिये लाभ हो जाता है किंतु फिर वही समस्या अधिक जोर से उभर आती है। आप बच्ची को आधुनिक परीक्षणों की कसौटी पर घिसवाना बंद करिये इन परीक्षणों की हकीकत मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। किसी भी कार्य में तल्लीनता न आने का कारण ही यह है कि बच्ची जब खांसी से परेशान है तो उस उम्र की बच्ची क्या बड़े से बड़ा हठयोगी भी परेशान हो जायेगा और उसकी तल्लीनता भंग हो जाएगी। टांसिल में सूजन होना तो सहज बात है कि इस परिस्थिति में वह हो ही जाएगी। आप बच्ची को निम्न उपचार न्यूनतम छह माह तक दें-
१ . रुदन्ती चूर्ण एक ग्राम + स्वर्णबसंत मालती रस १२५ मिग्रा + श्रंग भस्म १२५ मिग्रा. + सितोपलादि चूर्ण ५०० मिग्रा इन सबकी एक खुराक बना कर शहद के साथ दिन में इसी तरह तीन बार चटायें। दवा खाली पेट न दें।
२. शिला सिंदूर ६५ मिग्रा + कांचनार गुग्गुल एक गोली दिन में तीन बार वासारिष्ट के दो चम्मच के साथ दें।
सुपाच्य आहार दीजिये,बाजारू चीजों से परहेज कराएं। जल्दी-जल्दी उपचार बदलना भी घातक सिद्ध होता है यह ध्यान रखिये।

गुरुवार, जुलाई 10, 2008

पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं........

डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी उम्र इस समय 40 साल है। समस्या यह है कि मैं पिछले करीब पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं। शुरू के दिनों में कभी-कभार खून आने पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यो यों कहिए कि मुझे पता भी नहीं चला। घर-परिवार में पहले से किसी को भी यह बीमारी थी ही नहीं। जब पता चला तो मैंने एलोपैथी के डाक्टरों को दिखाया। उन्होंने कुछ दवाइयां दीं और बताया कि जब दिक्कत हो, इनका इस्तेमाल करें। उनका कहना था कि यह पहली स्टेज है। दवाइयां लेता रहा। कई बार नहीं भी ली। इसी दौरान शहर बदलते रहे। कभी कहीं, कभी कहीं। दूसरी ओर अनदेखी, आलस और अकड़ से परेशानी बढ़ती चली गई। अब तो सप्ताह में तीन-चार दिन लेट्रिन के साथ खून आता है। धार निकलती है। खून के कतरे भी आते हैं। एक-दो बार तो खून के रिसने से अंडरवियर और पेंट भी खराब हो गया। तब से डर बढ़ गया है। आपको यह भी बता दूं कि मैंने दिक्कत की जानकारी होने के बाद से मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाली सब्जियों का इस्तेमाल बंद कर दिया है। पहले भी बाजार में कम ही खाता था। अब न के बराबर है। खाने में कोई खास शौक नहीं। पत्नी जो बनाती है, खा लेते हैं। पानी खूब पीता हूं। दिनचर्या (मेरे ही हिसाब से) के मुताबिक सुबह 9-10 बजे उठता हूं। अखबार पढ़े, फ्रेश हुआ और एक गिलास दूध पीकर आफिस चला गया। दोपहर तीन बजे के आसपास घर पहुंचकर खाना खाता हूं। शाम को पांच बजे फिर आफिस के लिए। रात में 12-1 बजता है, लौटने तक। पहले खाना नहीं ले जाता था। अब ले जाता हूं। 11 बजे के आसपास खा लेता हूं। रात में लौटने पर एक गिलास दूध फिर पीता हूं। हां, यह बताना भी जरूरी है कि मैं गुटखा बहुत खाता हूं। सप्ताह में छुट्टी वाले दिन तीन-चार पैग शराब (मैजिक मोमेंट्स) पीता हूं। कभी-कभार दो दिन लगातार हो जाती है। इस समय मैं होम्योपैथी का इलाज करवा रहा हूं। अच्छे और नामी डाक्टर हैं। करीब तीन महीने होने को आए। कई बार लगता है कि अब ठीक हो रहा हूं, लेकिन यह विश्वास कुछ समय बाद खडिंत होने लगता है। उन्होंने हालचाल पूछ कई बार दवाइयां भी बदलीं। पिछले सप्ताह डाक्टर साहब ने हालचाल पूछ कर 15 दिन की दवाई दी। सकारात्मक नतीजा न आने से डाक्टर साहब भी थोड़ी हैरत में लगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह इस समस्या को ठीक करने के बाद ही पैसे लेंगे। डाक्टर साहब की सलाह पर कुछ दिन पहले ही मैंने गुटखा कुछ कम किया है। अच्छा होने केलिए (बाद में पीने की पाबंदी खुद ही हटाने की इच्छा से भी ) शराब नहीं पी। मेरी सेहत पहले भी खास अच्छी नहीं थी। हां, कोई समस्या नहीं थी। लेकिन, इधर लगातार कमजोरी महसूस होती है। पेंट भी ढीली हो गई हैं। कमर पिचक गई है। चेहरे पर बुढ़ापा नजर आने लगा हैं। बाल गिर चुके हैं। अधगंजे जैसी स्थित है। सप्ताह भर से खून की धार तो नहीं निकल रही। खून आ रहा है। कतरे भी आ रहे हैं। इलाज से भरोसा टूट रहा है। आपरेशन कराने की भी सोची। कई लोगों ने बताया कि यह कारगर नहीं रहता है। मैंने पूरी कहानी लिख दी है। मौजूदा परिस्थितियों में मुझे क्या करना चाहिए? दिनचर्या और दिक्कत के लिहाज से सलाह और औषधि के लिए आप के भरोसे हूं।
प्रदीप मिश्र
प्रदीप भाई,बड़ा आश्चर्य है कि आप खुद मुझे बताते जा रहे हैं कि गुटखा बहुत खाता हूं ,कभी-कभी शराब भी पीता हूं और आपकी दिनचर्या भी कुछ खास स्वास्थ्यकर नहीं है। डाक्टर आपका मन रखने के लिये आपको जो भी दे रहे होंगे वह अस्थायी प्रभाव ही दिखाएगा क्योंकि आप खुद ही अपनी जान के दुश्मन बने बैठे हैं। आप स्वयं पत्रकार है तो भली प्रकार जानते हैं कि अच्छे से अच्छा गुटखा भी स्वास्थ्य के लिये कितना हानिकर है तो अपने ऊपर दया करें और इसे कम नहीं बल्कि सख्ती से बंद कर दें(अगर संभव न हो तो दवाएं व्यर्थ होंगी)। गनीमत है कि बस बुढ़ापा ही दिख रहा है कैंसर के यमदूत नहीं दिख रहे। आपको होम्योपैथी या एलोपैथी नहीं बल्कि आयुर्वेद के साथ सिम्पैथी की जरूरत है। आप खुद जहर खाते रहें और फिर इलाज कराते रहें तो तीन माह क्या जीवन भर भी चाहें तो लाभ न होगा। आप निम्न उपचार लेना प्रारंभ करें,इस बार आपका भरोसा नहीं टूटेगा--
१ . नीम का तेल १०० मिली + १० ग्राम कपूर + १० ग्राम पिपरमिंट(यह पान में ठंडक के लिये मिलाया जाता है)। इस मिश्रण के दो बराबर भाग अलग-अलग शीशियों में भर लें। एक भाग को स्थानिक लेप के लिये प्रयोग करें यानि मलद्वार में अंदर तक आहिस्ते से उंगली से लगाएं और दूसरे भाग में से रो्ज सुबह शौच से निपटने के बाद चार बूंद के बताशे में भर कर निगल लें व आधे घंटे तक पानी न पियें।
२ . शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा किशमिश में भर कर नाश्ते के बाद व शाम को छह बजे(या आसपास सुविधानुसार) पानी से निगल लें।
३ . रात्रि भोजन के बाद दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण एक कप गर्म जल में घोल कर पी लें।
४ . अश्वगंधारिष्ट + अंगूरासव मिला कर दो दो चम्मच दिन में तीन बार सेवन करें।
इस उपचार को पंद्रह दिन तक लेने के बाद शुभ्रा भस्म का सेवन यदि रक्त आना बंद हो गया हो तो बंद कर दीजियेगा अन्यथा पंद्रह दिन आगे जारी रखियेगा।

बुधवार, जुलाई 09, 2008

बचपन से ही जुखाम की काफ़ी शिकायत रही है

नमस्ते डाक्टर साहब,मेरी उम्र चालीस साल है। मुझे बचपन से ही जुखाम की काफ़ी शिकायत रही है। काफ़ी इलाज करा लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। बचपन में DNS का आपरेशन भी हुआ था। पहले सर्दी के साथ खांसी भी आती थी और नाक से पानी बहता था। अब नाक से पानी नहीं बहता लेकिन नाक जाम रहती है और सिर भारी रहता है। अब कभी खांसी नही होती। कुछ साल पहले मुझे जांडिस हुआ था जिसके बाद थोड़ा हाजमा बिगड़ गया। खासकर दूध नहीं पचा पाता। गैस और एसिडिटी रहती है। आफिस में बैठे-बैठे काम करने से वजन बढ़कर ७५ किग्रा. हो गया है। कमजोरी और दिन भर थकान महसूस होती है। थोड़ा चलने पर सांस भारी हो जाती है। अक्सर सर्दी और गैस की वजह से सिरदर्द होता है जिसे दूर करने के लिये combiflam की गोली खा लेता हूं। आभारी रहूंगा अगर कोई इलाज बता सकें। हो सके तो ये भी बताएं कि क्या दवाएं बनी-बनायी मेडिकल स्टोर पर मिलती हैं?
सुभाष डी., मुम्बई
सुभाष जी,मुझे आप जैसे लोगों के साथ बहुत आसानी होती है जो कि अपनी समस्या को विस्तार से लिखते हैं। आपने जो भी लिखा वह आपकी समस्या को अच्छे तरीके से स्पष्ट करता है। आपके दोष को मैं इस तरह से बता सकता हूं कि कफ़ के ऊपर पित्त का आवरण है जिसके कारण आप इस तरह परेशान हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि ये पित्त की समस्या का कारण आपको पूर्वकाल में हुआ पीलिया रोग रहा है, जोकि उपचार से ठीक तो हो गया किन्तु अपना प्रभाव जाते जाते आपकी देह पर छोड़ गया। चिन्ता की बात नहीं है आप निम्न उपचार लें और यकीन मानें कि आप शतप्रतिशत स्वस्थ हो जाएंगे किंतु बढ़े हुए वजन के लिये आपको नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। आप यदि चाय-काफ़ी का सेवन करते हों तो बंद कर देना आपके लिये हितकर रहेगा साथ ही धूम्रपान भी आपके लिये अपथ्य है।
१ . त्रिफला चूर्ण रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच हल्के गर्म जल से सेवन करें।
२ . कामदुधा रस(साधारण) एक-एक गोली दिन में तीन बार सुबह दोपहर व रात्रि को साधारण जल के साथ सेवन करें।
३ . सितोपलादि चूर्ण दो ग्राम को शहद(मध या honey) के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।
COMBIFLAM का सेवन तत्काल बंद कर दीजिये, दवा के नाम पर आप जो खा रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य का सत्यानाश कर रहा है। इस दवा(?) का अक्सर सेवन आपकी किडनी का भयंकर नुकसान करता है। आप इस उपचार को एक माह तक लें फिर आप देखिये कि आप स्वस्थ महसूस करेंगे। यदि आप दूध पीना चाहते हैं तो एक गिलास दूध में तीन छुहारे(खारिक) की गुठली निकाल कर उबालें फिर छुहारे चबा लें और दूध पी लीजिये। आप इस तरह दूध की थोड़ी मात्रा से शुरू कर सकते हैं। ये दवाएं आपको आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर सरलता से मिल जाएंगी।

मंगलवार, जुलाई 08, 2008

पत्नी मात्र २८ साल की उम्र में बीमारियों का गोदाम बन गयी है

डाक्टर साहब,नमस्ते
मेरी पत्नी को पिछले चार माह से बहुत कमजोरी महसूस होती है, आंखो से सामने अंधेरा छा जाता है, हाथ पैरों के तलवों में जलन होती रहती है, आंखो के नीचे काले घेरे बन गये हैं, चक्कर आते हैं, पेड़ू में भारीपन महसूस होता है,भूख कम हो गयी है, प्यास ज्यादा लगती है, किसी काम में मन नहीं लगता, स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया है, कमर में दर्द होता रहता है, योनि से सफेद पानी जैसा पतला दूधिया सा स्राव बहता रहता है; कुल मिला कर मेरी पत्नी मात्र २८ साल की उम्र में बीमारियों का गोदाम बन गयी है। मेहरबानी करके यदि उसकी इन सारी तकलीफ़ों का आयुर्वेद में कोई इलाज हो तो बताइये।
उमेश तोमर,ग्वालियर(म.प्र.)
उमेश जी, आप अपनी पत्नी की बीमारी के ढेर सारे लक्षणों से क्षुब्ध हो गये हैं। आपको प्रतीत हो रहा है कि ये सारी अलग-अलग बीमारियां हैं। इस बारे में स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये सब मात्र एक बीमारी "श्वेत प्रदर" के लक्षण हैं। यदि आपने इसका इलाज कराया है और कुछ दिन बाद फिर वही लक्षण उभर आये तो मैं बताता हूं कि वे दवाएं मात्र लक्षणों काउपचार कर रहीं थीं मूल कारण को समझा ही नहीं गया था। सबसे पहले आप अपनी पत्नी को नीम के पत्तों के काढ़े से एक सप्ताह तक योनि में डूश(पिचकारी नुमा यंत्र से योनि के अंदर तक धुलाई करने को डूश लेना कहते हैं) लेने को कहें। खान-पान पर विशेष ध्यान दीजिये तेज मिर्च मसाले, गरिष्ठ भोजन, चायनीज व्यंजनों तथा बाजारू साफ़्टड्रिंक्स से सख्त परहेज करें, यदि इन पदार्थों का सेवन करा तो औषधियों का कोई लाभ न होगा। अब निम्न दवाएं दें-
१ . प्रदरान्तक रस १० ग्राम + मधुमालिनी बसन्त रस ५ ग्राम + कुक्कुटाण्ड्त्वक भस्म ५ ग्राम + स्वर्ण बंग ५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ५ ग्राम इन सभी को मिला कर इतना घोंटिये कि स्वर्ण बंग की चमक दिखना बंद हो जाए। इसके बाद इस पूरे मिश्रण की चालीस बराबर पुड़िया बना लीजिये व एक-एक पुड़िया शहद के साथ सुबह-रात को चटवाएं तथा ऊपर से दूध पिला दें।
२ . सफेद मूसली १० ग्राम + माजू १० ग्राम + माई १० ग्राम + मोचरस १० ग्राम + अशोक छाल १० ग्राम + चिनिया गोंद १० ग्राम + इलायची १० ग्राम + संगजराहत २० ग्राम + तालमखाना २० ग्राम + चिकनी सुपारी ३० ग्राम + मंजीठ ३० ग्राम + सिंघाड़े का आटा ५०० ग्राम + खरेटी २५० ग्राम + गाय का घी एक किलो तथा इन सबके बराबर वजन में खांड ले लीजिये। पहले गोंद को घी में भून लीजिये व बारीक पीस लीजिये। सिंघाड़े के आटे को भी हल्का सा भून लीजिये। अब सबको मिला कर छोटे-छोटे लड्डू बना लीजिये। एक-एक लड्डू का सेवन सुबह शाम दूध के साथ करवाइये।
इस पूरे उपचार को दो माह तक चारी रखिये पहले ही सप्ताह में आश्चर्यजनक लाभ दिखाई देगा किन्तु स्थायी लाभ के लिये दो माह तक प्रयोग करवाएं।

सोमवार, जुलाई 07, 2008

बाल काफ़ी तेजी से सफ़ेद होना शुरू हो गए हैं

डाक्टर साहब नमस्कारमेरी उम्र २३ साल है. उसकी खुराक सामान्य है. दिनचर्या साधारण है मैं एक काल सेंटर में काम करती हूं । वहां कभी कभी नाइट शिफ़्ट भी करना होता है। मैं अक्सर भूख लगने पर वहां उपलब्ध कराए जाने वाला फ़ास्ट फ़ूड खा लिया करती हूं, जो कि मुझे पसंद भी है। मेरी समस्या है कि पिछले छह माह से मेरे बाल काफ़ी तेजी से सफ़ेद होना शुरू हो गए हैं। बाकी एम.सी. वगैरह की कोई समस्या नही है सब सामान्य है। कोई उपचार बताएं क्योंकि मैं बालों में रंग रोगन लगाना नहीं चाहती ,सुना है उससे बचे-खुचे बाल भी सफेद हो जाते हैं और फिर जीवन भर उस खिजाब को लगाना पड़ता है।
सुवर्णा माली,जळगांव
सुवर्णा बहन,आपकी समस्या का कारण आपकी फ़ास्ट फ़ूड की पसंद है। आप चिन्ता न करें आपको कोई खिजाब या बालों को रंग नहीं लगाना पड़ेगा। सबसे पहले आप अपनी खाने की आदत पर प्रतिबन्ध लगाएं और फिर निम्न उपचार को लगातार कम से कम तीन माह तक लीजिये और अपेक्षित परिणाम आने पर आगे जारी रखिये --
१ . अमलतास का गूदा १५ ग्राम दो कप पानी में उबालें व उसे सुबह सुबह नित्य कर्म से निपटने के बाद पी लें।
२ . नाश्ते के बाद आरोग्यवर्धिनी बटी २-२ गोली सुबह शाम दूध के साथ लें।
३ . गुडूची(गिलोय या गुळवेल नाम से भी जानी जाती है) का चूर्ण + नीम के पत्तों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें व भोजन के बाद दोनो समय आधा-आधा चम्मच जल से लिया करें।
४ . सुबह शाम नाक के दोनो छिद्रों में भ्रंगराज तेल की चार-चार बूंदें डालिये।
आपको आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेगा बस नियम से उपचार जारी रखिये।

रविवार, जून 29, 2008

पखाना नही होता है सप्ताह में एक बार ही बस.......

डाक्टर साहब नमस्कारमेरी बेटी २२ साल की है. उसकी खुराक सामान्य है. एक समय में ३ रोटी खाती है. उसे पखाना नही होता है. सप्ताह में एक बार. उसकी यह दिक्कत पिछले ५ साल से हैं. ज्यादा मसाला हमलोग नही खाते हैं. घर से बाहर का खाना कम ही खाती है. कुछ दिनों के लिए एलोपथिक दवाई ली. पहले पहल दवाई ने काम किया. अब वो भी नही काम कर रहा. आप कुछ निदान बताये?अग्रिम धन्यवादराजेश रोशन -- Rajesh Roshanhttp://rajeshroshan.com
राजेश साहब,आपने बताया कि बिटिया की उम्र २२ वर्ष है किन्तु मलत्याग हेतु उचित वेग नही आता और जबकि वह भोजन सामान्य रुप से ले ही रही है तो स्वस्थ शरीर में भोजन ग्रहण करने के बाद पाचन की क्रिया पूर्ण होने के दौरान विभिन्न आवश्यक तत्त्वॊं का आंतो द्वारा चूषण कर लिया जाता है और शेष रहे पदार्थ को मल के रूप में आकुंचन-प्रकुंचन गति द्वारा आगे बढ़ा कर मलाशय तक पहुंचा दिया जाता है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो स्वाभाविक है कि यह दर्शाता है कि कुछ ऐसा है जोकि असामान्य व रुग्ण है। आपने समस्या को तनिक संक्षिप्त में लिखा है और कुछ आवश्यक बातों का जिक्र नहीं कर पाए हैं जैसे कि क्या बच्ची का मासिक धर्म का चक्र सामान्य है? एलोपैथी की कौन सी दवा दी गयी थी जो कि अब कारगर नहीं है? क्या पेट में दर्द या ऐसी कोई अनुभूति होती है? खैर इन बातों को जाने दीजिये मैं इस बीमारी को आयुर्वेद के निदान के अनुसार चिरस्थायी मलावरोध मानता हूं जो कि आंतो की मांसपेशियों की दुर्बलता के कारण होता है और इस समस्या में सबसे बड़ा नुकसान मरीज को तब होता है जब उसे तेज से तेज जुलाब या रेचक पदार्थ और औषधियां दी जाती हैं। इस तरह से मरीज का मर्ज और बढ़ कर बदतर हालत में आ जाता है। निम्न औषधियों को नियम से दें --
१ . नाराच रस एक गोली + विश्वतापहरण रस एक गोली दिन में तीन बार हलके गर्म जल से लें।
२ . अग्नितुण्डी बटी एक गोली + विजयपर्पटी २५० मिग्रा. + दशमूलषटफल घृत १० ग्राम को मिला कर एक पाव दूध से दिन में भोजन के बाद दो बार दें।
३ . कुमार्यासव २५ मिली + द्राक्षारिष्ट २५ मिली दिन में दो आर भोजन के बाद दें।
चोकर की रोटियां खाने में प्रयोग करें तथा चना भिगो कर उसमें नमक व अदरख मिला कर नाश्ते के लिये सुबह दें। इस उपचार को न्यूनतम एक माह तक धैर्यपूर्वक प्रयोग करें उसके बाद मेहरबानी करके मुझे सूचित करें यदि अधीर होंगे तो लाभ की संभावना न्यून होगी।

शुक्रवार, जून 27, 2008

छह साल से हाथ के कांपने से परेशान हैं ...

सर,मेरे बड़ी बहन के पति जिनकी उम्र ४५ वर्ष है पिछले छह साल से हाथ के कांपने से परेशान हैं जिसके कारण वे अपना लेखन कार्य तो त्याग ही चुके हैं और साथ ही अन्य कार्य भी बड़ी कठिनाई से कर पाते हैं।साथ ही उन्हें हल्का सिरदर्द भी लगातार बना रहता है जो कि कभी इतना तेज हो जाता है कि लगता है कि सिर में धमाका हो कर सिर फट जाएगा,,बेचैनी के साथ कभी उल्टी ही हो जाती है। सिरदर्द के लिये उन्हें रोज ही एलोपैथिक का दर्द निवारक ब्रूफेन लेना पड़ता है, हाथ के कांपने के बारे में तो तमाम डाक्टरों को उन्होंने दिखाया लेकिन निराशा ही हाथ आयी है। ये स्थिति उनके छोटे भाई के एक्सीडेन्ट में मौत के समाचार के मिलने के बाद से है। भोजन हजम नही होता है, बेमन से ही खाते हैं। कभी-कभी सीने में जलन और खट्टी डकारें आती हैं। अतिसंवेदनशील स्वभाव हो गया है बच्चों पर बहुत गुस्सा कर बैठते हैं। हमारी मदद करिये और कोई सटीक इलाज बताइये हम जीवन भर आभारी रहेंगे।
गोपीनाथ,झुंझनू
गोपीनाथ जी आपके बहनोई जी की बीमारी पुरानी है अतः पंचकर्म से शोधन करना आवश्यक है अन्यथा लाभ की संभावना न्य़ून ही रहती है। अतः सबसे पहले उनके सारे शरीर को महानारायण तेल से स्वेदन करें और इसके लिये नाड़ी स्वेदन विधि अपनाना उचित होगा। जिसके लिये महानारायण तेल को बराबर जल के साथ मिला लें किन्तु तेल तो जल में मिलता नहीं है फिर भी इस मिश्रण को प्रेशर कुकर में डाल कर हल्की आंच पर रख दें जिससे कि उस पानि के गर्म होने पर उसके साथ में तेल की भी भाप निकले जिसे आप कुकर के ऊपर की सीटी हटा कर एक पाइप कस लें और इस पाइप के द्वारा सारे शरीर पर भाप से सेंक दीजिये। ऐसा दस दिन तक सुबह स्नान करने के बाद करें व फिर बदन को कपड़े से ढंक दें ताकि हवा न लगे। उसके बाद में बस्ति देना है जिसके लिये गौ मूत्र ३२ तोला + इमली का गूदा ८ तोला + पुराना गुड़ ८ तोला + सेंधा नमक एक तोला + सोया(सोवा) के बीजों का बारीक चूर्ण एक तोला लेकर भली प्रकार से मथ कर मिला लें व हल्का गुनगुना सुहाता सा गर्म इसको गुदा द्वार से एक सिरिंज के माध्यम से अन्दर पहुंचाइये(एनिमा देना इसी क्रिया की भांति है)। इस क्रिया को दस दिन तक सुबह नित्यकर्म से फ़ारिग होने के बाद करें। इसके बाद पुनः ऐसी ही क्रिया करनी है पर औषधि अलग रहेगी जिसके लिये वातहर तेल २० मिली + सोआ व मदन फ़ल का चूर्ण मिला कर पूर्ववत बस्ति क्रिया करें। रोगी को सीधा लिटा कर गुदा में औषधि प्रवेश करवा कर नितम्बों को चार-पांच बार थपथपाएं तथा रोगी को बताएं कि वह अपनी एड़ियों को नितम्बों पर पटके। यह बस्ति द्वारा दी औषधि एक से चार घन्टे में बाहर आती है। इसे छह दिन तक दें। महानारायण तेल की पतली धार बना कर शिरोधारा दे यह दो दिन तक करें।
निम्न औषधियां मौखिक सेवन के लिये दें--
१ अभ्रक भस्म १२५ मिग्रा + सूतशेखर रस २५० मिग्रा + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा + गिलोय सत्व ५०० मिग्रा + स्वर्णमाक्षिक भस्म २५० मिग्रा इन सब की एक खुराक बनाएं व दिन में दो बार दूध के साथ दीजिये।
२ . भोजन के बाद चित्रकादि बटी एक गोली + अविपत्तिकर चूर्ण २ ग्राम + चंदनादि लौह २५० मिग्रा एक मात्रा दो बार दूध में अश्वगंधा पका कर खीर जैसा बना कर उससे लें।
३ . महावात विध्वंसन रस एक एक गोली + शिरशूलादिवज्र रस दो दो गोली पानी से दें।
इस पूरे उपचार को न्यूनतम दो माह तक दें।

सोमवार, जून 23, 2008

ढेर सारी बीमारियां एक साथ हैं ऐसा लगता है.......

डा. साहब आपके बारे में भड़ास से पता चला था। मै भड़ास का नियमित पाठक और कभी कभी लिख भी लेता हूँ। आपसे कुछ अपनी पत्नी (आयु 39 साल) के बारे चिकित्सीय राय लेना चाहता हूँ। मेरी पत्नी को निम्न परेशानियाँ रहती हैः-1. सुबह तथा रात लेटते ही पिण्डिलियों में दर्द रहता है।2. सुबह तलुओं में दर्द होता है।3. घुटने में अक्सर दर्द रहता है।4. पेड़ू (lower abdomen) आगे की तरफ काफी निकल रहा है।5. सिर के पिछले भाग में अक्सर दर्द रहता है।6. गले में खराश रहती है परन्तु कफ नहीं निकलता है।7. खाँसी रहती है।8. कमर में दर्द रहता है।9. माहवारी लगभग 24-25 दिन पर होती है तथा 2-3 दिन तक रहती है वहाव भी काफी कम होता है।10. सुबह-सुबह काफी डकार आती है।11. सोते-सोते अक्सर हथेलियाँ अकड़ जाती हैं।12. सोने मे अक्सर ऐसा महसूस होता जैसे किसी ने दाब लिया हो।13. भीड़-भाड़ वाली जगह पर एकदम बहुत तेज हाजत महसूस होती तथा उस समय गुदा मार्ग में काफी जलन होती है।14. पैरो में दवाने पर गड्डे पड़ जाते है।आशा है आप उचित मार्गदर्शन करेगें।प्रतीक्षा में(अजीत कुमार मिश्रा)
अजीत भाईसाहब,आपने जो लक्षण लिखें हैं उनसे स्पष्ट पता चलता है कि ये लक्षण अचानक नहीं उपजे हैं और न ही ऐसा होगा कि आपने इनका उपचार न कराया हो क्योंकि जितने कुछ आप लिख रहे हैं वह दर्शाता है कि देह में वात का विकार है जिसमें कि अपान वायु के दोष की प्रबलता है और साथ ही कफ का आवरण भी है। इन लक्षणों के साथ ही उनकी भोजन के प्रति रुचि तथा पाचन भी सही न होगा जिसके बारे में आप कदाचित बताना भूल गए। इन सभी लक्षणों को मिला कर आप आधुनिक चिकित्सा के अनुसार किसी एक रोग का नाम नहीं दे सकते अतः एलोपैथी में उपचार संभव भी नहीं है। आप उन्हें पहले एक दिन सुबह नित्यकर्म से फ़ारिग होने के बाद नारियल का तेल तीन चाय के चम्मच यानि अनुमानतः तीस मिली. नाश्ते के स्थान पर दें और दिन में कुछ भी खाने को न दें यानि एक दिन मात्र इसी पर गुजारा करना है। अगले दिन सुबह इसी प्रकार मंजन से पहले हल्के गर्म जल में नमक मिला कर जितना अधिक पी सकें रख लीजिये व पिला दीजिये ताकि आसानी से मुंह में उंगली डालते ही उल्टी हो जाए व जो दोष पेट में संचित हों वे निकल जाएं। इसके बाद नाश्ते में दलिया अथवा साबूदाना दें और दोपहर में यधि भोजन करें तो इसी तरह से हल्का आहार लें। ध्यान रखिये कि चाय, काफ़ी,डबलरोटी, बिस्किट, बासी भोजन, दूसरे टाइम का रखा हुआ चावल,दही, मटर,गोभी,सभी प्रकार की खटाई, घुईंया(अरबी),भिण्डी, केला,सारे शीतल पेय तथा बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स आदि से सख्त परहेज रखिये। अब उन्हें अगले दिन से सामान्य आहार देना प्रारंभ करें तथा निम्न उपचार दें--
१ . नई इमली का गूदा व भिलावा(इसे मराठी में बिबवा और कई स्थानों पर भल्लातक कहते हैं) शुद्ध बराबर मात्रा में लेकर कूट लें ब २५० मिग्रा. वजन की गोलियां बना कर सुखा लें। एक-एक गोली दिन में तीन बार मट्ठे से दीजिये मट्ठा उपलब्ध न होने पर जल से दें। यदि इस औषदि को एक सप्ताह तक लगातार लेते हैं तो फिर तीन दिन के लिये बंद कर दें व ध्यान रखें कि जिस दिन दवा देने में विराम दे रहे हों उस दिन उन्हें नारियल की कच्ची गरी का लगभग १०० ग्राम सेवन अवश्य कराएं यह आप दिन में थोड़ा-थोड़ा करके करा सकते हैं,दूसरे व तीसरे दिन कोई आवश्यक नहीं है।
२ . कच्ची हरी हल्दी एक किलो छील कर कद्दूकस में घिस लें व ५०० ग्राम शुद्ध गाय के घी में भून लें + घी में भुना आधा किलो गेहूं का आटा जैसे कि हलुआ बनाने से पहले भूनते हैं + तगर ५०० ग्राम + बादाम की मींगी ५० ग्राम + चिरोंजी ५० ग्राम + अश्वगंध ५० ग्राम + सोंठ घी में भुनी ५० ग्राम; इन सबको घी से मिला कर लगभग एक छटांक वजन के लड्डू बना लें व एक-एक लड्डू सुबह शाम गर्म दूध से दें।
३ . सुबह निहारे मुंह एक चम्मच एलोवेरा का गूदा खिलाएं, पंद्रह दिन तक देने के बाद एक सप्ताह तक बंद कर दें।
४ . दशमूल क्वाथ एक-एक चम्मच दिन में तीन बार दें।
इस उपचार को दो माह तक लगातार दें, आशातीत लाभ होगा।