आदरणीय डा.साहब
नमस्ते
मुझे लगभग छह सात सालों से हमेशा जुका़म बना रहता है, नाक बहती रहती है, ऐसा लगता है कि अंदर कुछ फंसा हुआ है, अक्सर खांसी भी आती है और कम मात्रा में बलगम भी छूटता है। सिर हमेशा भारी बना रहता है। जब पढ़ने के लिये सिर नीचे को झुकाता हूं तो लगता है कि अंदर कुछ भरा है जो बाहर आना चाहता है लेकिन ऐसा होता नहीं। मैं बौत परेशान हूं मेरी मदद करिये सुना है कि आयुर्वेद में मौत के अलावा हर बीमारी का इलाज है।
संतराम कोरी,झांसी
संतराम जी आपने बिलकुल सही सुना है। ठंडी चीजों का सेवन बिलकुल बंद करके इन दवाओं को लीजिये-
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + त्रिभुवन कीर्ति रस एक गोली + लक्ष्मी विलास रस(नारदीय)एक गोली + श्रंग भस्म दो रत्ती(यानि २५० मिग्रा.) + रस सिंदूर एक रत्ती + गोदन्ती भस्म दो रत्ती : इन सभी को मिला कर एक खुराक बना लीजिये व दिन में शहद के साथ मिला कर तीन बार सुबह-दोपहर-शाम चाटिये।
२ . षड्बिन्दु तेल की छह बूंदें नाक के दोनो छेदों में डालिये सुबह - शाम।
३ . हरिद्रा खण्ड आधा चम्मच दिन में दो बार सेवन करें। ऊपर से गुनगुना गर्म जल पी लीजिये।
इस औषध को तीन माह तक लीजिये फिर जीवन भर कभी आपको इस तरह की समस्या न होगी।
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कुछ सुझाव
रविवार, नवंबर 30, 2008
छह-सात साल से जुका़म है साइनुसायटिस नामक बीमारी बताई है
Published :
11/30/2008 05:41:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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