शुक्रवार, जून 27, 2008

छह साल से हाथ के कांपने से परेशान हैं ...

सर,मेरे बड़ी बहन के पति जिनकी उम्र ४५ वर्ष है पिछले छह साल से हाथ के कांपने से परेशान हैं जिसके कारण वे अपना लेखन कार्य तो त्याग ही चुके हैं और साथ ही अन्य कार्य भी बड़ी कठिनाई से कर पाते हैं।साथ ही उन्हें हल्का सिरदर्द भी लगातार बना रहता है जो कि कभी इतना तेज हो जाता है कि लगता है कि सिर में धमाका हो कर सिर फट जाएगा,,बेचैनी के साथ कभी उल्टी ही हो जाती है। सिरदर्द के लिये उन्हें रोज ही एलोपैथिक का दर्द निवारक ब्रूफेन लेना पड़ता है, हाथ के कांपने के बारे में तो तमाम डाक्टरों को उन्होंने दिखाया लेकिन निराशा ही हाथ आयी है। ये स्थिति उनके छोटे भाई के एक्सीडेन्ट में मौत के समाचार के मिलने के बाद से है। भोजन हजम नही होता है, बेमन से ही खाते हैं। कभी-कभी सीने में जलन और खट्टी डकारें आती हैं। अतिसंवेदनशील स्वभाव हो गया है बच्चों पर बहुत गुस्सा कर बैठते हैं। हमारी मदद करिये और कोई सटीक इलाज बताइये हम जीवन भर आभारी रहेंगे।
गोपीनाथ,झुंझनू
गोपीनाथ जी आपके बहनोई जी की बीमारी पुरानी है अतः पंचकर्म से शोधन करना आवश्यक है अन्यथा लाभ की संभावना न्य़ून ही रहती है। अतः सबसे पहले उनके सारे शरीर को महानारायण तेल से स्वेदन करें और इसके लिये नाड़ी स्वेदन विधि अपनाना उचित होगा। जिसके लिये महानारायण तेल को बराबर जल के साथ मिला लें किन्तु तेल तो जल में मिलता नहीं है फिर भी इस मिश्रण को प्रेशर कुकर में डाल कर हल्की आंच पर रख दें जिससे कि उस पानि के गर्म होने पर उसके साथ में तेल की भी भाप निकले जिसे आप कुकर के ऊपर की सीटी हटा कर एक पाइप कस लें और इस पाइप के द्वारा सारे शरीर पर भाप से सेंक दीजिये। ऐसा दस दिन तक सुबह स्नान करने के बाद करें व फिर बदन को कपड़े से ढंक दें ताकि हवा न लगे। उसके बाद में बस्ति देना है जिसके लिये गौ मूत्र ३२ तोला + इमली का गूदा ८ तोला + पुराना गुड़ ८ तोला + सेंधा नमक एक तोला + सोया(सोवा) के बीजों का बारीक चूर्ण एक तोला लेकर भली प्रकार से मथ कर मिला लें व हल्का गुनगुना सुहाता सा गर्म इसको गुदा द्वार से एक सिरिंज के माध्यम से अन्दर पहुंचाइये(एनिमा देना इसी क्रिया की भांति है)। इस क्रिया को दस दिन तक सुबह नित्यकर्म से फ़ारिग होने के बाद करें। इसके बाद पुनः ऐसी ही क्रिया करनी है पर औषधि अलग रहेगी जिसके लिये वातहर तेल २० मिली + सोआ व मदन फ़ल का चूर्ण मिला कर पूर्ववत बस्ति क्रिया करें। रोगी को सीधा लिटा कर गुदा में औषधि प्रवेश करवा कर नितम्बों को चार-पांच बार थपथपाएं तथा रोगी को बताएं कि वह अपनी एड़ियों को नितम्बों पर पटके। यह बस्ति द्वारा दी औषधि एक से चार घन्टे में बाहर आती है। इसे छह दिन तक दें। महानारायण तेल की पतली धार बना कर शिरोधारा दे यह दो दिन तक करें।
निम्न औषधियां मौखिक सेवन के लिये दें--
१ अभ्रक भस्म १२५ मिग्रा + सूतशेखर रस २५० मिग्रा + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा + गिलोय सत्व ५०० मिग्रा + स्वर्णमाक्षिक भस्म २५० मिग्रा इन सब की एक खुराक बनाएं व दिन में दो बार दूध के साथ दीजिये।
२ . भोजन के बाद चित्रकादि बटी एक गोली + अविपत्तिकर चूर्ण २ ग्राम + चंदनादि लौह २५० मिग्रा एक मात्रा दो बार दूध में अश्वगंधा पका कर खीर जैसा बना कर उससे लें।
३ . महावात विध्वंसन रस एक एक गोली + शिरशूलादिवज्र रस दो दो गोली पानी से दें।
इस पूरे उपचार को न्यूनतम दो माह तक दें।

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