डॉ साहब नमस्कारमेरी बेटी को खांसी बहुत रहती है। खांसी सूखी है। बहुत इलाज करा चुका हूं। एलोपैथी भी और होम्योपैथी भी। कुछ फायदा होता है बाद में मर्ज फिर वही हो जाता है। बेटी की उम्र साढ़े आठ साल है। बचपन से ही उसके गले में मटर के दाने के आकार की दो गांठे हैं। मैने मांटूर टेस्ट भी तीन बार करा लिया है। रिपोर्ट निगेटिव आती है। प्राइमरी कॉप्लेक्स की संभावना डॉक्टर बताते हैं मगर रिपोर्ट निगेटिव है। गले में टांसिल भी हैं। क्या इससे उसका विकास रुक सकता है। मैं काफी परेशान हूं। बेटी का किसी भी काम में मन नहीं लगता या यूं कहूं वह किसी भी काम में तल्लीनता से नहीं जुटती। कांफीडेंस की भी कमी है। आखिर मैं क्या करूं और क्या इन लक्षणों का बीमारी से कोई संबंध में मुझे दिशा दें।योगेश जादौन, बीहड़
योगेश जी,आपकी बेटी की समस्या को बहुत गम्भीरता से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आपकी बेटी की समस्या जीर्ण हो चुकी है किन्तु जिस तरह से डाक्टर संभावना के आधार पर अनुमान लगा कर चिकित्सा करते हैं उससे प्रतीत होता है कि ऐसे डाक्टर बच्चों को मात्र प्रायोगिक जंतु ही समझते हैं। बच्ची के दोष जीर्ण हो कर परस्पर क्लिष्ट आवरणॊं में पहुंच चुके होने के कारण ही ऐसा होता है कि यदि लाक्षणि उपचार दे दिया जाए तो कुछ समय के लिये लाभ हो जाता है किंतु फिर वही समस्या अधिक जोर से उभर आती है। आप बच्ची को आधुनिक परीक्षणों की कसौटी पर घिसवाना बंद करिये इन परीक्षणों की हकीकत मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। किसी भी कार्य में तल्लीनता न आने का कारण ही यह है कि बच्ची जब खांसी से परेशान है तो उस उम्र की बच्ची क्या बड़े से बड़ा हठयोगी भी परेशान हो जायेगा और उसकी तल्लीनता भंग हो जाएगी। टांसिल में सूजन होना तो सहज बात है कि इस परिस्थिति में वह हो ही जाएगी। आप बच्ची को निम्न उपचार न्यूनतम छह माह तक दें-
१ . रुदन्ती चूर्ण एक ग्राम + स्वर्णबसंत मालती रस १२५ मिग्रा + श्रंग भस्म १२५ मिग्रा. + सितोपलादि चूर्ण ५०० मिग्रा इन सबकी एक खुराक बना कर शहद के साथ दिन में इसी तरह तीन बार चटायें। दवा खाली पेट न दें।
२. शिला सिंदूर ६५ मिग्रा + कांचनार गुग्गुल एक गोली दिन में तीन बार वासारिष्ट के दो चम्मच के साथ दें।
सुपाच्य आहार दीजिये,बाजारू चीजों से परहेज कराएं। जल्दी-जल्दी उपचार बदलना भी घातक सिद्ध होता है यह ध्यान रखिये।
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कुछ सुझाव
बुधवार, जुलाई 16, 2008
गले में मटर के दाने के आकार की दो गांठे हैं,खांसी बहुत रहती है।
Published :
7/16/2008 10:52:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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