गुरुवार, जुलाई 10, 2008

पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं........

डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी उम्र इस समय 40 साल है। समस्या यह है कि मैं पिछले करीब पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं। शुरू के दिनों में कभी-कभार खून आने पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यो यों कहिए कि मुझे पता भी नहीं चला। घर-परिवार में पहले से किसी को भी यह बीमारी थी ही नहीं। जब पता चला तो मैंने एलोपैथी के डाक्टरों को दिखाया। उन्होंने कुछ दवाइयां दीं और बताया कि जब दिक्कत हो, इनका इस्तेमाल करें। उनका कहना था कि यह पहली स्टेज है। दवाइयां लेता रहा। कई बार नहीं भी ली। इसी दौरान शहर बदलते रहे। कभी कहीं, कभी कहीं। दूसरी ओर अनदेखी, आलस और अकड़ से परेशानी बढ़ती चली गई। अब तो सप्ताह में तीन-चार दिन लेट्रिन के साथ खून आता है। धार निकलती है। खून के कतरे भी आते हैं। एक-दो बार तो खून के रिसने से अंडरवियर और पेंट भी खराब हो गया। तब से डर बढ़ गया है। आपको यह भी बता दूं कि मैंने दिक्कत की जानकारी होने के बाद से मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाली सब्जियों का इस्तेमाल बंद कर दिया है। पहले भी बाजार में कम ही खाता था। अब न के बराबर है। खाने में कोई खास शौक नहीं। पत्नी जो बनाती है, खा लेते हैं। पानी खूब पीता हूं। दिनचर्या (मेरे ही हिसाब से) के मुताबिक सुबह 9-10 बजे उठता हूं। अखबार पढ़े, फ्रेश हुआ और एक गिलास दूध पीकर आफिस चला गया। दोपहर तीन बजे के आसपास घर पहुंचकर खाना खाता हूं। शाम को पांच बजे फिर आफिस के लिए। रात में 12-1 बजता है, लौटने तक। पहले खाना नहीं ले जाता था। अब ले जाता हूं। 11 बजे के आसपास खा लेता हूं। रात में लौटने पर एक गिलास दूध फिर पीता हूं। हां, यह बताना भी जरूरी है कि मैं गुटखा बहुत खाता हूं। सप्ताह में छुट्टी वाले दिन तीन-चार पैग शराब (मैजिक मोमेंट्स) पीता हूं। कभी-कभार दो दिन लगातार हो जाती है। इस समय मैं होम्योपैथी का इलाज करवा रहा हूं। अच्छे और नामी डाक्टर हैं। करीब तीन महीने होने को आए। कई बार लगता है कि अब ठीक हो रहा हूं, लेकिन यह विश्वास कुछ समय बाद खडिंत होने लगता है। उन्होंने हालचाल पूछ कई बार दवाइयां भी बदलीं। पिछले सप्ताह डाक्टर साहब ने हालचाल पूछ कर 15 दिन की दवाई दी। सकारात्मक नतीजा न आने से डाक्टर साहब भी थोड़ी हैरत में लगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह इस समस्या को ठीक करने के बाद ही पैसे लेंगे। डाक्टर साहब की सलाह पर कुछ दिन पहले ही मैंने गुटखा कुछ कम किया है। अच्छा होने केलिए (बाद में पीने की पाबंदी खुद ही हटाने की इच्छा से भी ) शराब नहीं पी। मेरी सेहत पहले भी खास अच्छी नहीं थी। हां, कोई समस्या नहीं थी। लेकिन, इधर लगातार कमजोरी महसूस होती है। पेंट भी ढीली हो गई हैं। कमर पिचक गई है। चेहरे पर बुढ़ापा नजर आने लगा हैं। बाल गिर चुके हैं। अधगंजे जैसी स्थित है। सप्ताह भर से खून की धार तो नहीं निकल रही। खून आ रहा है। कतरे भी आ रहे हैं। इलाज से भरोसा टूट रहा है। आपरेशन कराने की भी सोची। कई लोगों ने बताया कि यह कारगर नहीं रहता है। मैंने पूरी कहानी लिख दी है। मौजूदा परिस्थितियों में मुझे क्या करना चाहिए? दिनचर्या और दिक्कत के लिहाज से सलाह और औषधि के लिए आप के भरोसे हूं।
प्रदीप मिश्र
प्रदीप भाई,बड़ा आश्चर्य है कि आप खुद मुझे बताते जा रहे हैं कि गुटखा बहुत खाता हूं ,कभी-कभी शराब भी पीता हूं और आपकी दिनचर्या भी कुछ खास स्वास्थ्यकर नहीं है। डाक्टर आपका मन रखने के लिये आपको जो भी दे रहे होंगे वह अस्थायी प्रभाव ही दिखाएगा क्योंकि आप खुद ही अपनी जान के दुश्मन बने बैठे हैं। आप स्वयं पत्रकार है तो भली प्रकार जानते हैं कि अच्छे से अच्छा गुटखा भी स्वास्थ्य के लिये कितना हानिकर है तो अपने ऊपर दया करें और इसे कम नहीं बल्कि सख्ती से बंद कर दें(अगर संभव न हो तो दवाएं व्यर्थ होंगी)। गनीमत है कि बस बुढ़ापा ही दिख रहा है कैंसर के यमदूत नहीं दिख रहे। आपको होम्योपैथी या एलोपैथी नहीं बल्कि आयुर्वेद के साथ सिम्पैथी की जरूरत है। आप खुद जहर खाते रहें और फिर इलाज कराते रहें तो तीन माह क्या जीवन भर भी चाहें तो लाभ न होगा। आप निम्न उपचार लेना प्रारंभ करें,इस बार आपका भरोसा नहीं टूटेगा--
१ . नीम का तेल १०० मिली + १० ग्राम कपूर + १० ग्राम पिपरमिंट(यह पान में ठंडक के लिये मिलाया जाता है)। इस मिश्रण के दो बराबर भाग अलग-अलग शीशियों में भर लें। एक भाग को स्थानिक लेप के लिये प्रयोग करें यानि मलद्वार में अंदर तक आहिस्ते से उंगली से लगाएं और दूसरे भाग में से रो्ज सुबह शौच से निपटने के बाद चार बूंद के बताशे में भर कर निगल लें व आधे घंटे तक पानी न पियें।
२ . शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा किशमिश में भर कर नाश्ते के बाद व शाम को छह बजे(या आसपास सुविधानुसार) पानी से निगल लें।
३ . रात्रि भोजन के बाद दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण एक कप गर्म जल में घोल कर पी लें।
४ . अश्वगंधारिष्ट + अंगूरासव मिला कर दो दो चम्मच दिन में तीन बार सेवन करें।
इस उपचार को पंद्रह दिन तक लेने के बाद शुभ्रा भस्म का सेवन यदि रक्त आना बंद हो गया हो तो बंद कर दीजियेगा अन्यथा पंद्रह दिन आगे जारी रखियेगा।

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