सोमवार, दिसंबर 29, 2008

पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ

डॉक्टर साहब को चरण स्पर्श,
आपका ब्लॉग देखकर साहब मुझे लगता है कि आप मेरे लिए मसीहा बनकर आए हैं। क्योंकि मैं पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ मेरी परेशानी ही कुछ ऐसी है कि जिसे ना तो किसी को बता सकता मेरी उम्र ३४ साल है और मैं अपनी याददाश्त को लेकर बहुत परेशान हूं मैं हर चीज भूल जाता हूं। कभी कभी सिर भारी रहता है और थकान 24 घंटे थकान रहती है जलन और आखें लाल भी हो जाती हैं। बहुत कोशिश के बाद काम में जी लगता है, बस २४ घंटे लेटे रहने का मन करता है देखने में सेहत ठीक लगती है पर थोड़ा सा काम करते थकावट हो जाती है . कोई भी काम बोझ की तरह पड़ा रहता है ऐसा लगता है किसी ने छाती पर पत्थर रख दिया हो , तात्कालिक याददाश्त बिल्कुल कम है। आजकल यह होने लगा है कि कोई मेरे से बात कर रहा होता है पर मैं अपने ही विचारों में खोया रहता हूं पूछ दे तो दिमाग ब्लैंक हो जाता अचानक ऐसा हो गया कि मूल बात कहीं छूट गयी, बच्चों से ही पूछना होता है कि हम क्या बात कर रहे थे। मेरी शादी १४ साल पहले हुई थी. शादी के बाद तीन दिनों तक मैं पत्नी से सहवास करने में असफल रहा. काफी कोशिशों के बाद चोथे दिन जैसे तैसे मैं पत्नी की साथ सम्भोग करने में सफल रहा. परन्तु तब से लेकर आज तक मैं अपनी पत्नी से संतोषदायक सहवास कभी नही कर पाया. मेरे लिंग में पर्याप्त कठोरता नही आ पाती . कभी शीघ्रपतन हो जाता है. कभी कठोरता आ भी जाती है तो वीर्य स्खलन से पहले लिंग ढीला हो जाता है. बहुत से डाक्टर को दिखाया पर कोई नतीजा नहीं निकला।. एक एम.डी. ने मेरे रोग का नाम CFS (Fibromyalgia) बताया है जिसका कोई कारगर इलाज नहीं होता है एक न्यूरोलाजिस्ट ने इसे (ANEXITY NEUROSIS ) बताया है हरिद्वार के रामदेव जी के आश्रम के एक चिकित्सक ने इसे उन्माद बताया, मैं प्रतिदिन दस सिगरेट पी जाता हूं लेकिन आदत हो गयी है जो छूट नहीं रही है जरूरी प्रीकॉशन(सावधानियां) और परहेज भी बतावें और समुचित मार्गदर्शन दें. मेल कुछ ज्‍यादा ही लंबा हो गया है. इसके लिए क्षमा चाहता हूं.
सधन्यवाद
अनाम
भाईसाहब आपकी सारी समस्या को विस्तार से पढ़ने समझने के बाद मैं जान पा रहा हूं कि आप वाकई बहुत परेशान हैं। सबसे पहले तो मैं आयुर्वेद के उन छद्मचिकित्सकों की भरपूर भर्त्सना करना चाहता हूं जो अपनी बेवकूफ़ी के कारण रोगी के प्राण ले लेते हैं और अंधेरे में तीर चलाते हुए आयुर्वेद को बदनाम करते हैं ,बाबा रामदेव महाराज का नाम बिक रहा है आयुर्वेद की मिट्टी पलीद हो रही है उनके नाम पर।
आपकी समस्या को देखते ही आयुर्वेद कॊ जरा सा भी समझने वाला जान जाएगा कि आपकी समस्या का मूल कारण कफ़ विकार है, मुझे हलका सा आक्रोश है उन मूढ़ चिकित्सकों पर जो आयुर्वेद के त्रिदोष के सिद्धांत को छोड़ कर पेटेंट दवाओं के तीर चलाते रहते हैं। आपकी देह में कफ़ विकार के चलते अवलम्बक कफ़(आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एसिटिल कोलीन?) व साधक पित्त (आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एड्रीनलीन?) दूषित हो चला है। आप निम्न आहार-विहार से परहेज करें--
दिन में सोना, व्यायाम न करना, मीठे, ठंडे व बासी भोजन न करें, केक-पेस्ट्री बिस्किट, चायनीज व्यंजन, बाजारू साफ़्टड्रिंक्स, घी, तैलीय पदार्थ, मछली(सभी जलीय जंतु) न खाएं, सिंघाड़ा, नारियल, कद्दू, लौकी(बेलों पर लगने वाली सब्जियां फलादि), उड़द, लोबिया, जौ, गेंहू, दूध-दही, चावल से बने खाद्य पदार्थ यानि कि आपको कुछ भी ऐसा नहीं खाना-पीना है या आचरण करना है जिससे कि कफ़ कुपित हो।
आप नियमित रूप से कठोर व्यायाम, सूखी मालिश, प्यास व नींद के वेग को रोकना, उपवास करना अपने अभ्यास में लाएं। शहद का अधिकतासे सेवन करिये। किसी आयुर्वेदिक पंचकर्म करने वाले चिकित्सक से मिल कर वमन करिये ।
निम्न औषधि लीजिये-
१. ताम्र भस्म एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम)+ शतपुटी अभ्रक भस्म एक रत्ती + शंख भस्म एक रत्ती मिला कर सुबह दोपहर शाम को एक एक खुराक वासादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ सेवन करें।
२. हरिद्रादि चूर्ण आधा चम्मच दिन में दो बार शहद के साथ चाटिए।
३ . श्रंगाराभ्र रस एक-एक गोली शहद के साथ दिन में तीन बार लीजिये व ऊपर से गर्म फीका दूध दो घूंट पी लीजिये(दो घूंट से ज्यादा न लें)। एक माह के बाद आप इसी औषधि को मलाई के साथ एक माह तक लीजिये और फिर आयुषवेद को सूचित करिये।
कोई भी दवा खाली पेट न लें।

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