गुरुवार, फ़रवरी 19, 2009

भयंकर पेटदर्द का तत्काल उपचार

आदरणीय गुरूजी
चरणस्पर्श

मैं आयुर्वेद का एक चिकित्सक हूं मैंने पिछले वर्ष ही B.A.M.S. करा है और अब प्रैक्टिस कर रहा हूं। मेरी समस्या है कि हमारा जो भी सिलेबस रहता है वह मिश्रित रहता है यानि कि एलोपैथी भी पढ़ायी जाती है जिस कारण विद्यार्थियों में पशोपेश की स्थिति रहती है कि आयुर्वेदिक दवाएं प्रयोग करें या एलोपैथिक? एलोपैथिक दवाओं की पैकिंग व नाम आदि से मरीज प्रभावित रहते हैं और प्रैक्टिस थोड़ी ठीक रहती है। पेट दर्द की के कई मरीज मेरे पास आए जिन्हें देख कर सचमुच मैं अन्दर से डर गया था उनमें से कई तो दर्द से मछली की तरह से तड़पते देखे हैं ऐसे में एण्टी स्पास्मोडिक इंजेक्शन के अलावा दिमाग में कुछ नहीं आता है। आप बताएं कि क्या करना उचित रहेगा यदि मैं सिर्फ़ आयुर्वेदिक दवा ही देना चाहूं?
नाम प्रकाशित न करें
प्रिय भाई पहली बात तो गुरू पद बहुत बड़ा है जिसके योग्य मैं हरगिज नहीं हूं इसलिये ये संबोधन वापस ले लीजिये। दूसरी बात कि खुशी है कि आप आयुर्वेद पर ही टिके रहने की इच्छा प्रबलता से रखते हैं। आप इसलिए साधुवाद के पात्र हैं कि आप अपने मरीजों के स्वास्थ्य के साथ मात्र अपने फ़ायदे के लिये खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं। आप ऐसी स्थिति में निम्न योग दिया करिये बाद में व्यक्ति देश व काल के अनुसार औषधि का निर्धारण करें ये मात्र आशुकारी चिकित्सा के तौर पर ही प्रयोग करें-
१ . शूलवज्रिणी वटी १ गोली + महाशूलहर रस १ गोली शहद से चटा दीजिये और ऊपर से कनकासव+अहिफ़ेनासव दो चम्मच पिला दीजिये यदि अहिफ़ेनासव न मिले तो कनकासव ही दे दीजिये; इस प्रयोग से आपके देखते ही देखते पेट में होने वाला ऐंठन और शूल जैसा दर्द मिनटों में समाप्त होने लगेगा और रोता छट्पटाता आया रोगी कुछ देर में हंसता हुआ आपको धन्यवाद दे कर जाएगा।

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