आदरणीय सर,नमस्ते
मेरे आठ साल के बेटे को लगभग एक साल से अस्थमा जैसी समस्या हो गयी है ,सांस फूलने लगती है। घबराहट के कारण बच्चा एकदम व्याकुल हो जाता है। उसकी पढ़ाई का सत्यानाश हो रहा है। यदि जरा सा भी खेल कूद कर लेता है तो बुरी तरह से सांस चलने लगती है इसलिये घर पर ही रहता है। हमारे शहर में डाक्टर के पास गये तो उसने तो साफ़ कह दिया कि यह बीमारी जीवन भर ठीक ही नहीं होती जब तक जिंदगी है दवाएं लेनी पड़ेंगी। मुझे यह सुन कर बड़ी निराशा हुई है लेकिन मेरे मित्र ने बताया कि आयुर्वेद में अस्थमा का उपचार है। हमारी सहायता करिये।
पीयूष नागर,झांसी
पीयूष भाईसाहब,पहली बात तो ये कि आप जिस भी चिकित्सक के पास गये होंगे उसने अपनी चिकित्सा प्रणाली के अंतर्गत उसे जो जानकारियां है उसके आधार पर आपको जीवन भर दवाएं लेने की बात कह दी। आयुर्वेद के अनुसार कफ़-वातादि दोषों की स्थिति के अनुसार अभी यह समस्या कष्टसाध्य हो सकती है किंतु असाध्य नहीं। असल में अपने देश में आयुर्वेद का स्वरूप ही बिगड़ गया है आयुर्वेद जैसी "यूनिफ़ाइड साइंस" को मात्र चटनी चूरन वाले झोलाछाप चिकित्सकों की पद्धति समझा कर प्रस्तुत करा गया है और ऐलोपैथी यानि कि बस मौत को छोड़ कर हर बीमारी का इलाज है। आप खुद ही विचार करिये कि क्या आप खुद जब तमाम जगहों से परेशान हो गये तब आयुर्वेद के पास आए न? होता यही है कि सही राज्याश्रय न होने की दशा में अच्छे से अच्छा विचार धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है। आप परेशान न हों बच्चे को आजीवन दवाएं लेने की आवश्यकता हरगिज नहीं है। आप बच्चे को निम्न उपचार दीजिये-
१ . श्वासचिंतामणि रस ६० मिलीग्राम + रस सिंदूर ६० मिलीग्राम + छोटी(लेंडी) पीपर का चूर्ण २५० मिलीग्राम + बहेड़े की गुठली के अंदर की मींगी २५० मिलीग्राम; इन सबको मिला कर एक मात्रा बनाएं व सुबह शाम शहद के साथ चटाएं।
२ . लवणभास्कर चूर्ण २ ग्राम + कपर्द भस्म २५० मिलीग्राम दोनो समय भोजन के आधे घंटे बाद जल से दीजिये।
३ . द्राक्षासव दो चम्मच(छोटा, चाय वाला) + कनकासव एक चम्मच (छोटा, चाय वाला) छह चम्मच जल में मिला कर भोजन के पंद्रह मिनट बाद दोनो समय दीजिये।
४ . गाय के घी में सेंधा नमक बारीक पीस कर मिला दीजिये तथा दिन में दो-तीन बार हलके हाथ से छाती व पसलियों पर मालिश करके सिकाई कर दें।
सुपाच्य भोजन दीजिये। रात का खाना सोने से दो घंटे पहले दीजिये।। प्रातःकाल नाश्ते में फलों का रस, ताजे मौसमी फल, अंकुरित चने, गेंहू की रोटी व सब्जी दे सकते हैं। सूप, सलाद, हरी पत्तेदार सब्जियां दी जा सकती हैं। मिर्च-मसाला, अचार, चटनी, तली हुई चीजें, आइसक्रीम, मिठाई, फ़्रीज का पानी, ठण्डे बाजारू पेय जैसे कफ़वर्धक पदार्थों से सख्त परहेज कराएं।
एक माह के बाद श्वासचिंतामणि रस तथा कनकासव बंद कर दीजिये तथा सारी दवाएं तीन माह तक ऐसे ही जारी रखिये। सुबह नाश्ते के बाद च्यवनप्राश एक चम्मच देना शुरू करियेगा।
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मंगलवार, फ़रवरी 03, 2009
आठ साल के बेटे को लगभग एक साल से अस्थमा
Published :
2/03/2009 12:36:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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