गुरुवार, फ़रवरी 26, 2009

खांसी/दमा की समस्या के साथ ही त्वचा पर लाल चकत्ते भी आ जाते हैं

om sai ram,
Thanks for giving us, your support/solution to the problem of my daughter RIDDHI ,iam also facing some problem & already taking the ayurvedic medicins ,but not getting the satifactory results,Iam facing the regular problem of coughing/allergic asthama from last 2 years,irritation in the throat,due to that excessive coughing & breathing problem in the nights ,specially in the winters,then i have to take the Asthalin inhaler,but some times , due to asthama, i always feels the tiring(iam working),if i take any cold thing(like water//drink/curd)then problem starts.earlier i was facing the skin problem after that this allergic asthama develops to me,In summers red-red spots(chakkte type) will start to come on the skin,then i have to take the avil medicin on the regular basis.The list of ayurvedic medicin, iam taking
1.MALL SINDOR 5 GM
2.ABRAK BHASAM 10GM
3.HARTAL GONDHATI BHASAM 10GM
4.RIG BHASAM10GM
5.LOH BHASAM 10GM
6.SITOPILADI CHURANA10GM
ALL ABOVE MIXED & TAKING 1/4 TEA SPOON WITH HONEY 2 TIMES A DAY.
7.KAFESHWARI+CRUX+SEPTILIN(ALL MIXED 2 SPOONS 2TIMES A DAY.pls give me the solution from the asthama & skin problem.thanks for your all time cooperation
om sai ram
Divya uppal
दिव्या बहन, आशा है कि रिद्धी बिटिया को लाभ हो रहा होगा व शीघ्र ही वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगी। आपकी समस्या को गहराई से देखने पर समझ में आता है कि आपकी समस्या का मूल कारण कुछ अलग है जिसका शमन ही नहीं हो रहा है लक्षणों के उपचार से बीमारी पूरी तरह से जड़ से दूर नहीं होती है। अतः आवश्यक है कि पहले देह में दोषों की स्थिति समझा जाए। आपकी स्थिति के अनुसार मैं आपको जो दवा बता रहा हूं वह अस्थेलिन, सालबूटामोल, स्टेराइड व इन्हेलर आदि का प्रयोग करके तंग आ गये रोगियों पर सफ़ल रहा है और आपको भी अनुकूल आयेगा-
१ . वासा(अडूसा या अडुलसा) की पत्तियों का चूर्ण १० ग्राम + छोटी पिप्पली का चूर्ण २.५ ग्राम + धतूरा(यह विषैला माना जाने वाला एक पौधा है जिसके कांटेदार गेंद जैसे फ़ल भगवान शिव को पूजा में चढ़ाए जाते हैं) की पत्ती का चूर्ण १.२५ ग्राम + तालीस पत्र १.२५ ग्राम इन सभी औषधियों को आप आसानी से आयुर्वेद की कच्ची औषधियां बेचने वालों से सरलता से प्राप्त कर सकते हैं; इन्हें कस कर साथ में मिला कर घोंट लीजिये व इसमें से छोटा चाय वाला पौना(३/४) चम्मच चूर्ण सुबह शाम शहद से लगातार तीन माह तक प्रयोग करें।
इसके बाद अगले तीन माह तक पौना चम्मच मात्रा को दिन भर में खाइये यानि कि पहले की एक खुराक को ही अब दिन में तीन बराबर हिस्सों में बांट कर खाना है, इसके बाद यदि मौसम बदलता है तो बारिश व सर्दी में मात्रा दो गुना करा जा सकता है।
२ . कनकासव + द्राक्षासव दिन में एक बार दोपहर में भोजन के बाद दो चम्मच लीजिये।
बकरी या गाय का दूध, गर्म भोजन, परवल, पपीता, आंवला, मुनक्का, हरी सब्जियां आदि पथ्य हैं लेकिन भारी गरिष्ठ देर से पचने वाला आहार, मांसाहार, बासी भोजन, उड़द की दाल, सरसों का साग, मटर की दाल, दही, खट्टॆ पदार्थ, मछली व अंडे न खाएं यदि खाते हों।

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