शनिवार, फ़रवरी 14, 2009

बेटी को होम्योपैथ ने atopic dermatitis बताया है,अस्थमा बुरी स्थिति में है

Respected sir,
namaskar
I am the regular reader of your blog,thanks for the valueble information given to us,My daughter is 5 yrs old & suffering from the atopic dermatitis as per the homeopathic docter,earlier we had tried the alopathic medicine,but no satisfactory results came out,after that we started the homeopathic course from last 1.5 year,but now she develops the asthma related problems,we have to do the nebulisors & some times prednisolone like steroids also,our doctor told us that ,skin & chest problems are parallel to each other,if we supress the asthma related problems then skin problems comes,now she becomes is very sensitive to dust & allerges,weather change,in dec i had give her the kafeswari & crux,she shown some results ,then we had consulted with our vaid jee,he had given some ayudvedic medicin& also told us this is some hot medicins,so give her in small qty for the asthama related problem,after taking only 2 doses she was fine,but skin becomes too much itching & rashes,she was conitiously itching the skin ,then again he told us to apply the kele ka tail & jattdii oil mixed with the coconut oil,but no result came,now her skin & asthama is in poor condition,we have to use the nebuliseres also on the regular basis,she is having too much problem(itching problem) in the nights alsoour homeopathic doctor says first he will cure her chest problems then skin,pls help us
॥ ॐ सांई राम ॥... ॥ अनंत कोटी ब्रम्हांड नायक राजाधिराज योगीराज परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरू श्री साईनाथ महाराज की जय ॥... ॥ ॐ सांई राम ॥
warm regards

Gitesh uppal
भाईसाहब मैं मानता हूं कि होम्योपैथी हो या कोई सी भी चिकित्सा प्रणाली जब तक वह शरीर की रचना के विषय में एनाटामी की आधुनिकता को लेकर उलझी रहेगी वह चिकित्सा में दिग्भ्रमित ही रहेगी। इसका कारण आपको बता दूं कि आधुनिक फिजिक्स व केमिस्ट्री जैसे विषय अभी तक होम्योपैथी के सिद्धांतों को लेकर अटकलें लगाते रहते हैं क्योंकि 12X की पोटेन्सी के बाद तो जिस मूल दवा को लेकर वह दवा आपके सामने अधिक पोटेन्सी पर लायी गयी है उसके तो अणु माइक्रोस्कोप से देखने पर दिखते ही नहीं है फिर दवा उच्च शक्ति पर कैसे जाती रहती है ये तो एक ऊर्जा सिद्धांत है जो भौतिकी नहीं जान सकती तो फिर आयुर्वेद का त्रिदोष सिद्धांत कैसे समझ सकते हैं। आप बच्ची को निम्न दवाएं दीजिये और देखिये कि बेटी कैसे स्वस्थ होकर सबको आश्चर्य में डाल देगी-
१. आयुर्वेद में इसे हरिद्रा क्षीरपाक रसायन कहते हैं मैं आपको इसको बनाने का तरीका बताता हूं। अच्छी साफ़ हल्दी की गांठों को थोड़ा सा कूट लें फिर गाय के घी में भून लीजिये इस भुनी हुई हल्दी को बारीक पीस लीजिये।
गाय का सौ ग्राम दूध ले लीजिये और गर्म करें, गर्म होने पर उसमें सवा ग्राम(यानि अंदाज से लगभग तीन चुटकी भर) ऊपर बताई गई हल्दी के चूर्ण को मिला दीजिये। इसी में दस ग्राम गुड़ डाल दीजिये व पकने दीजिये उबाल आने पर बिना छाने हल्का गर्म ही बच्ची को पिलाइये।
इसी के साथ एक चौथाई चाय का चम्मच हरिद्रा खण्ड(यह आयुर्वेद की एक बनी हुई औषधि है जो आपको आयुर्वेद के औषधि विक्रेता के पास मिल जाएगी यह एक किस्म का च्यवनप्राश जैसा पाक या अवलेह होता है) + आधी गोली श्वांस कुठार रस भी बच्ची को निगलवा दीजिये। यह खुराक दिन में दो बार दीजिये, खाली पेट न दें।
२ . त्वचा पर लगाने के लिये आप यह मिश्रण तैयार बना लीजिये- नीम का तेल ५० मिली. + करंज का तेल ५० मिली. + कपूर १० ग्राम + पिपरमिंट १० ग्राम(इसे मेन्थाल भी कहते हैं। इसे मिश्रण को दिन में तीन बार प्रभावित अंग पर लगाइये।
इस उपचार को तीन माह तक जारी रखें लेकिन एक माह देने के बाद द्स दिन के लिये बंद कर दें व पुनः शुरू करें, इस प्रकार तीन माह करें।

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