आदरणीय डॉक्टर साहब,
प्रणाम
मैं अपनी पत्नी की समस्या को लेकर बहुत चिंतित हूं। उसकी उम्र २४ साल व बदन इकहरा है। उसे मासिक पाली(M.C.) में बहुत दर्द होता है। मासिक धर्म शुरू होने से एक दिन पहले से वह दर्द से तड़पने लगती है नाभि के निचले हिस्से में भयंकर कुचलने-मसलने जैसा दर्द बताती है। दूसरे दिन तक पेनकिलर्स लेने से कम होता जाता है लेकिन तब तक वह अधमरी सी हालत में आ जाती है। मेरे विवाह को चार माह हुए हैं लेकिन सच बताऊं तो मुझे उससे बहुत प्यार है और मैं उसे किसी भी पीड़ा में नहीं देख सकता इसलिये मुझे लगता है कि शायद उसे सहवास में भी अगर ऐसा ही कष्ट हुआ तो मै अपने आपको जीवन भर अपराधी मानता रहूंगा। आप मेरी स्थिति समझ रहे होंगे मेरी सहायता करें जिंदगी भर आपका उपकार नहीं भूलूंगा। यहां एक लेडी डॉक्टर ने उसकी बीमारी का नाम SPASMODIC DYSMENORRHOEA बताया है।
राजन सिंह, सतना
राजन जी,मैं आपकी पत्नी की स्थिति को समझ रहा हूं कि उन्हें इतनी पीड़ा सहन करनी पड़ रही है और निःसंदेह यह समस्या उन्हें मासिक धर्म की शुरूआत से ही होगी लेकिन हमारे परिवारों में अक्सर बहन बेटियां इन तकलीफ़ों को सहन करती जाती हैं और किसी से बताती नहीं हैं खास तौर पर उन परिवारों में जहां मां या बड़ी बहन न हों तब ज्यादा परेशानी होती है। आप भी अब परेशान न हों और उन्हें नियमित रूप से मासिक पाली आने से चार दिन पूर्व इन औषधियों का सेवन कराएं फिर मासिक पाली शुरू हो जाने पर बंद कर दें, इसी प्रकार फिर अगले माह पुनः ऐसा ही करें व इस प्रक्रिया को छह माह तक जारी रखें आप यकीन मानिये कि आपकी पत्नी की सारी समस्या स्थायी तौर पर हल हो जाएगी और आपका वैवाहिक जीवन आप सामान्य तरीके से बिता सकते हैं बस दवाएं शुरू तो करें-
१ . भोजन से आधा घंटा पहले हिंग्वादि चूर्ण दो ग्राम गर्म जल से दें।
२ . नष्टपुष्पान्तक रस एक गोली + रजोदोषहरी बटी दो गोली + योगराज गुग्गुलु दो गोली की एक मात्रा बनाएं और इसे महारास्नादि काढ़े के साथ निगलवा दें। ये मात्रा दिन में तीन बार सुबह-दोपहर-शाम को दें। खाली पेट दवा न दें।
३ . भोजन के आधा घंटा बाद दशमूलारिष्ट + कुमार्यासव को १०-१० मिली. लेकर समान भाग जल मिला कर पिलाएं।
४ . रात में सोने से पहले अजमोदादि चूर्ण दो ग्राम गर्म जल से दें।
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मंगलवार, जनवरी 06, 2009
बीमारी का नाम SPASMODIC DYSMENORRHOEA.......मेरी पत्नी दर्द से तड़प जाती है
Published :
1/06/2009 06:57:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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पंचतिक्तघृत
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