शनिवार, जनवरी 17, 2009

एक साल से दर्द के कारण हिलना-डुलना ही बंद है तो काम धंदा बिल्कुल ही चौपट हो चुका है

डाक्टर साहब !नमस्कारकाफी दिनों के सोच विचार के बाद आपको अपनी व्याधि लिखने की हिम्मत जुटा पा रहा हूँ। वस्तुत: जब भी लिखने की सोचता हूँ तो समस्या विस्तार मांगती है...शायद इस बार मैं कुछ संक्षिप्त करके बताने में सफल हो सकूं।डॉक्टर साब ! मेरी आयु 49 वर्ष की है ! मुझे लगभग एक वर्ष से एक ऐसी व्याधि से गुजरना पड़ रहा है की जिसके चलते सम्पूर्ण जीवन ही अस्त व्यस्त होकर रह गया है ! मैं पूरे बदन में दर्द से ग्रसित हूँ ! शुरुआत कमर के निचले हिस्से से हुई थी , काफी तकलीफ थी अतः ओर्थोपेडिक सर्जन को दिखाया ... उन्होंने दो तीन एक्स रे किए और चंद पेन किल्लर दे कर उसने अपनी भूमिका का निर्वाह कर लिया ! दर्द गयी नही हालांकी फिसियो थेरेपी भी की 15-16 दिन ! इसके चंद महीनो बाद पैर की एडियों में भयंकर दर्द होना शुरू हो गया ! अबकी बार एक जानने वाले सज्जन मुझे आर्मी हॉस्पिटल के एक न्यूरो सर्जन के पास ले गए ...उन्होंने कहा- कुछ नही बस ज़रा वज़न कम करो...( 90 किलो वज़न ज्यादा तो है ही...लेकिन कम करने के लिए चलना बहुत ज़रूरी है जो मैं दर्द के कारण फिलहाल कर नही कर पा रहा था ) खैर फिर पेन किल्लर दी गयी...लेकिन समस्या मूलभूत तौर पर ना केवल बनी रही बल्की बढ गयी ! दर्द शरीर में दायीं ओर नीचे की सबसे आखिरी पसली में आ गया ! फिर कन्धों के जोडों में, पीठ में, और अभी सितंबर के महीने से जघन संधी में ( दोनों तरफ़ ) । होस्पिटल में डॉक्टर साहब को दिखाया तो उन्होंने कई टेस्ट लिख दिए ( मसलन थाईरेड, लिपिड प्रोफाइल, कोलेस्ट्रोल, शुगर , एंटी नयूक्लेअर एंटी बॉडी, Rheumatoid Factor Serum , IFA, ASKA , यूरिक एसिड , ANA /ANF और Rheumatoid Factor Serum आदि) लेकिन इनकी रिपोर्ट्स से उन्हें कोई दिशा नही सूझी ! लगभग सभी टेस्ट औने पौने रूप से सामान्य ही हैं ! ( वैसे अपनी दिशा हीनता को ढांपते हुए उन्होंने मुझे रयुमोटोलोजिस्ट को दिखाने कि सलाह दी है )दर्द इतना है की पेंट पहनने के लिए पैर उठाने में दिक्कत है और दोनों बाजू भी ठीक से उठ नहीं पाते ! दर्द कि प्रकृति कुछ ऐसी है जैसे कभी कभी जाडों के मौसम में गर्दन या पीठ अकड़ जाती है ...ज़रा सा हिलना भी दूभर हो जाता है ! सबसे ज़्यादा पसली के दर्द ने परेशान कर रखा है....लेटने में, लेट कर उठने में , सीड़ी चड़ने उतरने में खासी मुश्किल आती है...सोते सोते करवट बदलते हुए दर्द से नींद खुल जाती है। अब जबकि एलोपैथी daignose ही नही कर पा रही तो इलाज क्या होगा! सिर्फ़ वोवरोन जैसी गोलियों का सहारा है...जो मैं समझता हूँ कि अनुचित भी है और खतरनाक भी !एक साल से जबकि मोमेंट ही बंद हो गयी है तो काम धंदा बिल्कुल ही चौपट हो चुका है। पेशे से मैंफ्री लांस मिडिया प्रोफेशनल हूँ ....लेकिन अब लगता है कि हूँ नहीं - कभी था !आपके ब्लॉग पर आपको लोगों की समस्याएं सुलझाते देख कुछ आशा जगी है...शायद आयुर्वेद से ही कुछ निदानमिल सके। यदि ऐसा हो सका तो मानो मुझे नया जीवन ही मिल जाएगा ! मुझे विश्वास है कि आप जैसे स्हर्दये मेरी अवश्य ही मदद करेंगे !संक्षिप्त करते करते भी पत्र काफी लंबा हो गया है...क्षमा प्रार्थी हूँ।जल्द ही आपके उत्तर कि प्रतीक्षा में
सागर
आत्मन भाई, आपकी सारी समस्या को बहुत गहराई से जाना-समझा और जैसा कि आपने स्वयं ही बताया कि एलोपैथी कैसे अंधेरे में तीर चला कर आपको बस उपचार के नाम पर एक भरोसा ही दे पा रही है जो कि अब कारगर नहीं प्रतीत हो रहा क्योंकि न तो आधुनिकता के हिमायतियों की न एलोपैथी काम आती है न ही उनकी सिम्पैथी(सहानुभूति)....। आपकी समस्या बिना किसी संदेह के बता रहा हूं कि यह वात की ही परेशानी है अधिक विस्तार में न जाते हुए सर्वप्रथम आपको एक बात कहना चाहता हूं कि जिस भरोसे से आपने आयुषवेद के समक्ष समस्या रखी है हम आपके उस भरोसे को आयुर्वेद के बल पर कायम रखेंगे और आप पुनः पूरी ऊर्जा के साथ पत्रकारिता में जुट जाएंगे, आप निम्न उपचार लें-
१ . सर्वप्रथम इच्छाभेदी रस की एक गोली गर्म जल से रात में ले लें इससे आपकोहो सकता है कि सुबह कुछ पतले दस्त होंगे उससे तनिक भी न घबराएं बल्कि यदि दस्त न हों तो अगले दिन एक के स्थान पर दो गोलियां लीजिये जब एक सप्ताह तक पर्याप्त दस्त आकर देह हल्की महसूस होने लगे तब इसे बंद कर दीजिये व अगले दिन से गंधर्व हरीतकी दो चम्मच रात को सोते समय गर्म जल से लीजिये ताकि कब्जियत न रहा करे व जठराग्नि ऐसी बनी रहे कि आप जो दवाएं लें उनका सम्यक पाचन होकर आपको लाभ मिले। इस दौरान हल्का भोजन करें यदि गरिष्ठ आहार लेंगे तो लाभ न हो पाएगा।
२ . महावात विध्वंसन रस एक गोली + विषतिंदुक बटी एक गोली + रास्नादि गुग्गुल दो गोली ; इन सबकी एक मात्रा बनाएं व दिन में तीन बार महारास्नादि काढ़े के दो चम्मच के साथ सेवन करें।
३ . त्रिमूर्ति रस एक गोली + समीरपन्नग रस(साधारण) एक गोली + योगराज गुग्गुल एक गोली ; इन सबकी एक मात्रा बनाएं व दिन में तीन बार गर्म जल से लें। पहले वाली दवा के आधे घंटे बाद ले सकते हैं।
इस उपचार को न्यूनतम चालीस दिन तक लगातार लीजिये आप आश्चर्यजनक तरीके से अपने स्वास्थ्य में सुधार पाएंगे। इस पूरे उपचार को आप स्थायी लाभ हेतु तीन माह तक लीजिये। बाजारू खाने से परहेज करें साथ ही उपचार काल में नशे व मांसाहार वर्जित करें।

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