शुक्रवार, मार्च 21, 2008

क्या मुझे भी थायराईड की समस्या है ???


प्रिय श्री रूपेश जी नमस्कार भड़ास से आपका पता मिला। आयुषवेद को देखकर अच्छा लगा। मेरा भारतीय चिकित्सा पद्धति में विश्वास है।लेकिन विश्वास की धारा में चलते हुए व्यावसायिकता के फरेब में उलझने का जो खतरा रहता है उसे आप जानते होंगे। वैसी तमाम दूकानें हैं। बहरहाल, थायराइड के एक केस के लक्षण देखते हुए मुझे भी कुछ शेयर करने की इच्छा है। हो सकता है मैं भी उस कैटेगरी के मरीजों में दिखूं जिन्हें लक्षण पढ़कर खुद को वह रोग होने का भय सताने लगता है। लेकिन मैं आपकी मदद चाहता हूं। योगाभ्यासी हूं। कमोबेश नियमितता का पालन करता हूं। फिर भी कुछ लक्षणों का जिक्र करना चाहता हूं 1. बैठे बैठै नींद में चले जाना 2. हमेशा थकान महसूस होना 3. खासकर गोधुलि बेला के आसपास बहुत थकान लगती है, कभी कभी सिर भारी रहता है और कभी कभार थकान के साथ साथ आखों में जलन और आखें लाल भी हो जाती हैं। 4. बहुत कोशिश के बाद काम में जी लगता है, भाग जाने की इच्छा हमेशा बनी रहती है5. कोई भी काम बोझ की तरह पड़ा रहता है ऐसा लगता है किसी ने छाती पर पत्थर रख दिया हो 5. तात्कालिक याददाश्त बिल्कुल कम है। आजकल यह होने लगा है कि अचानक किसी बहुत करीबी का नाम पूछ दे तो दिमाग ब्लैंक हो जाता है 6; हालांकि समांतर रूप से दिमाग ढूंढ निकालने में सक्रिय रहता है और कई बार तत्काल वह स्म़ति का गोता लगाकर ढूंढ भी लाता है, लेकिन तब तक गाड़ी स्टेशन से गुजर चुकी होती है 7; पेशे से शिक्षक हूं, कभी ' कभार ऐसा भी होता है कि जिस मुददे पर बात कर रहा हूं अचानक ऐसा हो गया कि मूल बात कहीं छूट गयी, बच्चों से ही पूछना होता है कि हम क्या बात कर रहे थे। 8. वजन पिछले कई वषों से 90 के आस पास रहा है। उंचाई और वजन के अनुपात को देखें तो 20 किलो अतिरिक्त वजन रहा है। 9. बहुत तकलीफ के बाद योग की शरण में गया। लगातार भारीपन की अनुभूति से तो मुक्ति मिल गयी है लेकिन उपरोक्त समस्याएं बरकरार हैं। 10. कई दफे बाएं हाथ और ह़दय के आस पास हल्का दर्द महसूस होता है ऐसी स्थिति में किसी काम में बिल्कुल ही मन नहीं लगता। ऐसा मानकर चलता हूं कि सर्वांगासन के गलत पोस्चर लग जाने के कारण भी ऐसा होता हो। जिनसे योग के कुछ आसन सीखे थे दूसरे शहर में हैं। इसलिए उपचार संभव नहीं है। इस बीच आप मिले हैं तो आपसे शेयर किया है। कुछ सुझाव देंगे तो बड़ी कृपा होगी। इंतजार करूंगा सादर निशांत

आत्मन बंधु निशांत जी,सर्वप्रथम होली की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारिये । आयुषवेद में विश्वास जताने के लिये धन्यवाद । आपने जितने लक्षण बताए हैं उनके आधार पर तो सहज ही कहा जा सकता है कि आप थायराईड की अल्प क्रियाशीलता से पीड़ित हैं । एक बात बताना चाहता हूं कि आपने जिस तरह बताया है कि गोधूलि बेला में बहुत थकान लगती है तो यह बात स्पष्टतः संकेत करती है कि आपकी देह में संध्याकाल में कफ का प्रकोप हो जाता है जिस कारण थकान विशेष लगती है आप ऐसा मत सोचियेगा कि कफ की समस्या है को खांसी या जुकाम ही होगी ,कफ के कारण बीस प्रकार रोग लक्षण उपजते हैं जिनका कि उल्लेख चरक सूत्र -२०/१७ तथा शारंगधर पू. ७।१२२/१३५ में सविस्तार है । सत्यतः तो थायराईड की समस्या का मुख्य कारण मेरी चिकित्साभ्यास काल में श्लेष्मवृद्धि ही देखा गया है और मैं इसी आधार पर चिकित्सा भी करता हूं जो कि शत-प्रतिशत सफल रहती है । आप व्यर्थ ही टैस्ट करवाने में धन खर्च न करें अपितु उसी पैसे से औषधि खरीद कर सेवन करें और लाभान्वित हों । संभव है कि आप्को उसमें से एकाध औषधि न मिल पाए तो उसे न लें ध्यान रहे कि उस चिकित्सा पत्र की मुख्य औषधि कांचनार गुग्गुल है । इस उपचार के दो माह बाद आप स्म्रतिसागर रस + ब्राम्ही बटी(साधारण,यह दवा स्वर्ण मिश्रित भी आती है जिसका आपके लिये उपयोग नहीं है किन्तु कई बार दुकानदार आपको अधिक लाभकारी बता कर बेंचने की कोशिश करते हैं) की एक -एक गोली लें और एक माह इस उपचार को जारी रख कर बंद कर दें आशा है कि आपको पूरे तीन माह में पूर्ण आरोग्य प्राप्त होगा । आयुर्वेद को धन्यवाद करिये ,आयुषवेद व्यवसायिक सोच का समर्थन न करके सेवाभाव पर विश्वास रखता है । रही बात कि आपको संदेह है कि कदाचित सर्वांगासन गलत लग जाता है तो न ही करना बेहतर है । इस विषय पर बाद में फिर कभी लिखूंगा ।

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