डॉक्टर साहब मैं एक प्राइवेट कोचिंग क्लास चलाता हूं । सुबह छह बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक और फिर दो बजे से लेकर रात नौ बजे तक लगातार ट्यूशन पढ़ाता हूं । करीब दो माह पहले मलेरिया हुआ था जो कि चार दिन में ठीक हो गया किंतु कमजोरी बनी रहती है । कुछ सप्ताह भर से ऐसा प्रतीत होता है मानो शरीर कांप रहा हो ,चारों ओर की चीजे घूम रही हैं ,एकाएक खड़े होने पर आंखो के सामने कुछ देर के लिये अंधेरा छा जाता है ,दो-तीन बार तो मैं संभल न सका और गिर भी पड़ा । दिल की धड़कने एकदम तेज हो जाती हैं ,कब्जियत बनी रहती है ,पेशाब कम और गर्म सा आता है ।
जय प्रकाश सिंह
कळंबोली(नई मुंबई)
भाईसाहब ,आयुर्वेद के अनुसार आपकी बीमारी को "भ्रमरोग" कहते हैं । इसके तमाम कारण होते हैं किन्तु आपको यह मलेरिया के दौरान जो आपने भरपूर क्लोरोक्विन की टैबलेट्स खाईं हैं उनका पश्चप्रभाव तथा अत्यधिक मानसिक श्रम के कारण मिलेजुले असर से है । रजोगुण युक्त पित्त एवं वायु से भ्रम की उत्पत्ति होती है,"पैत्तिके भ्रम एव च " ऐसा कहा गया है । सर्वप्रथम जरूरी है कि आपकी कोष्ठ शुद्धि कराई जाये जिसके लिये आप बड़ी हरड़ का चूर्ण छह ग्राम गर्म जल से रात को सोते समय लें ।
१ . जहरमोहरा ,मुक्ताशुक्ति भस्म,वंशलोचन,छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण सबको बराबर मात्रा में ले कर सूक्ष्म कर लीजिए और सुबह दोपहर शाम आधा-आधा ग्राम दवा को आंवले के मुरब्बे के साथ लें ।
२ . लघ्वानंद रस एक गोली + रसराज रस एक चौथाई गोली की मिश्रित मात्रा को जटामांसी के दो ढक्कन काढ़े के साथ दिन में दो बार दें ।
३ . चिन्तामणि चतुर्मुख रस एक गोली(१२५ मिग्रा) + प्रवालपिष्टी २५० मिग्रा + मुक्ताशुक्ति भस्म १२५ मिग्रा को शहद के साथ चाट कर ऊपर से मिश्री मिला हुआ दूध २५० मिली. पी लें ।
४ . दशमूलारिष्ट + अश्वगंधारिष्ट दोनों को मिला कर २-२ बड़े चम्मच समान मात्रा में मिला कर भोजनोपरान्त दिन में दो बार लें ।
इन सभी उपायों में से कोई भी एक उपाय जो सस्ता और सुलभ जान पड़े ,प्रयोग करिये और फिर से पूरी ऊर्जा के साथ बच्चों को पढ़ाने में जुट जाइए ।
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शनिवार, मार्च 01, 2008
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