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कुछ सुझाव
मंगलवार, मार्च 18, 2008
बीमारी का नाम "सोरायसिस " है ....
Published :
3/18/2008 10:56:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डॉक्टर साहब,मैं बड़े जिद्दी किस्म के त्वचा रोग से पीड़ित हूं बीमारी का नाम "सोरायसिस " है और इसका इलाज ऐलोपैथी में है ही नहीं हमारे तरफ इसे भैंसहवा दाद कहते हैं । अंग्रेजी दवा वाले डॉक्टर को दिखाया तो उसने ही कहा कि जब तक आप दवा लेंगे तब तक ठीक रहेगा फिर उसके बाद कुछ दिनों में दोबारा उभर आयेगा इसलिये आप आयुर्वेद का इलाज करवाइये । लोग कहते हैं कि यह बीमारी मरते दम तक ठीक नहीं होती है क्या सचमुच आयुर्वेद में इसका इलाज है ?
परशुराम सिंह,सतना
सिंह साहब, जिसने भी आपको आयुर्वेद का मार्ग बताया है वह निःसंदेह ही धन्यवाद का पात्र है क्योंकि वह व्यक्ति खुद ऐलोपैथी का चिकित्सक है और उसकी सीमाएं जानता है कि वह क्या ठीक कर सकता है और क्या नहीं । ये सत्य है कि सोरायसिस एक अत्यंत जिद्दी रोग है किन्तु अब आप भी शुद्ध आयुर्वेद का चमत्कार देखिये कि यह रोग कितनी सरलता से अच्छा होता है । लीजिये प्रस्तुत है समस्या का हल----
१ . गंधक रसायन १० ग्राम + कैशोर गुग्गुलु १० ग्राम + रसमाणिक्य ढ़ाई ग्राम को घोंट कर रख लें व खाली कैप्सूल अथवा मुनक्के में आधा ग्राम मात्रा दवा भर कर सुबह-दोपहर-शाम को शहद और पानी की बराबर मात्रा के मिश्रण के एक चम्मच के साथ दें ।
२ . पंचतिक्त घृत गुग्गुलु ५०० ग्राम लेकर इसमें २५ ग्राम रसमाणिक्य मिला कर बारीक घोंट लें और आधा ग्राम की मात्रा सुबह शाम खदिरारिष्ट + सारिवाद्यारिष्ट + महामंजिष्ठादि क्वाथ के मिश्रण के दो दो चम्मच के साथ सुबह शाम दीजिये ।
३ . महामरिच्यादि तेल १०० मिली. + करंज तेल २० मिली + नीम तेल २० मिली + तुबरक तेल या चालमोगरा तेल २० मिली मिला कर रखें और सुबह शाम प्रभावित स्थानों पर लगाया करें ।
४ . रोज़ रात को पानी में दो साबुत हरड़ भिगो दिया करें और सुबह उनकी गुठली निकाल कर फेंक दें व हरड़ों को चबा कर खाएं ।
स्नान में कोई भी साबुन प्रयोग न करे और स्नान के लिये रोज पानी में नीम के पत्ते डाल कर उबाल कर तैयार करे गये पानी का प्रयोग करें । ईश्वर को धन्यवाद करिये और स्वस्थ जीवन बिताइए । तीन माह तक कम से कम उपचार अवश्य लीजिये ।
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hello sir,
mai is bimari se pidit hu kiya aap ke daara bati gai baat se mujhe benifit ho sakta hai.
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