डा. साहब आपके बारे में भड़ास से पता चला था। मै भड़ास का नियमित पाठक और कभी कभी लिख भी लेता हूँ। आपसे कुछ अपनी पत्नी (आयु 39 साल) के बारे चिकित्सीय राय लेना चाहता हूँ। मेरी पत्नी को निम्न परेशानियाँ रहती हैः-1. सुबह तथा रात लेटते ही पिण्डिलियों में दर्द रहता है।2. सुबह तलुओं में दर्द होता है।3. घुटने में अक्सर दर्द रहता है।4. पेड़ू (lower abdomen) आगे की तरफ काफी निकल रहा है।5. सिर के पिछले भाग में अक्सर दर्द रहता है।6. गले में खराश रहती है परन्तु कफ नहीं निकलता है।7. खाँसी रहती है।8. कमर में दर्द रहता है।9. माहवारी लगभग 24-25 दिन पर होती है तथा 2-3 दिन तक रहती है वहाव भी काफी कम होता है।10. सुबह-सुबह काफी डकार आती है।11. सोते-सोते अक्सर हथेलियाँ अकड़ जाती हैं।12. सोने मे अक्सर ऐसा महसूस होता जैसे किसी ने दाब लिया हो।13. भीड़-भाड़ वाली जगह पर एकदम बहुत तेज हाजत महसूस होती तथा उस समय गुदा मार्ग में काफी जलन होती है।14. पैरो में दवाने पर गड्डे पड़ जाते है।आशा है आप उचित मार्गदर्शन करेगें।प्रतीक्षा में(अजीत कुमार मिश्रा)
अजीत भाईसाहब,आपने जो लक्षण लिखें हैं उनसे स्पष्ट पता चलता है कि ये लक्षण अचानक नहीं उपजे हैं और न ही ऐसा होगा कि आपने इनका उपचार न कराया हो क्योंकि जितने कुछ आप लिख रहे हैं वह दर्शाता है कि देह में वात का विकार है जिसमें कि अपान वायु के दोष की प्रबलता है और साथ ही कफ का आवरण भी है। इन लक्षणों के साथ ही उनकी भोजन के प्रति रुचि तथा पाचन भी सही न होगा जिसके बारे में आप कदाचित बताना भूल गए। इन सभी लक्षणों को मिला कर आप आधुनिक चिकित्सा के अनुसार किसी एक रोग का नाम नहीं दे सकते अतः एलोपैथी में उपचार संभव भी नहीं है। आप उन्हें पहले एक दिन सुबह नित्यकर्म से फ़ारिग होने के बाद नारियल का तेल तीन चाय के चम्मच यानि अनुमानतः तीस मिली. नाश्ते के स्थान पर दें और दिन में कुछ भी खाने को न दें यानि एक दिन मात्र इसी पर गुजारा करना है। अगले दिन सुबह इसी प्रकार मंजन से पहले हल्के गर्म जल में नमक मिला कर जितना अधिक पी सकें रख लीजिये व पिला दीजिये ताकि आसानी से मुंह में उंगली डालते ही उल्टी हो जाए व जो दोष पेट में संचित हों वे निकल जाएं। इसके बाद नाश्ते में दलिया अथवा साबूदाना दें और दोपहर में यधि भोजन करें तो इसी तरह से हल्का आहार लें। ध्यान रखिये कि चाय, काफ़ी,डबलरोटी, बिस्किट, बासी भोजन, दूसरे टाइम का रखा हुआ चावल,दही, मटर,गोभी,सभी प्रकार की खटाई, घुईंया(अरबी),भिण्डी, केला,सारे शीतल पेय तथा बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स आदि से सख्त परहेज रखिये। अब उन्हें अगले दिन से सामान्य आहार देना प्रारंभ करें तथा निम्न उपचार दें--
१ . नई इमली का गूदा व भिलावा(इसे मराठी में बिबवा और कई स्थानों पर भल्लातक कहते हैं) शुद्ध बराबर मात्रा में लेकर कूट लें ब २५० मिग्रा. वजन की गोलियां बना कर सुखा लें। एक-एक गोली दिन में तीन बार मट्ठे से दीजिये मट्ठा उपलब्ध न होने पर जल से दें। यदि इस औषदि को एक सप्ताह तक लगातार लेते हैं तो फिर तीन दिन के लिये बंद कर दें व ध्यान रखें कि जिस दिन दवा देने में विराम दे रहे हों उस दिन उन्हें नारियल की कच्ची गरी का लगभग १०० ग्राम सेवन अवश्य कराएं यह आप दिन में थोड़ा-थोड़ा करके करा सकते हैं,दूसरे व तीसरे दिन कोई आवश्यक नहीं है।
२ . कच्ची हरी हल्दी एक किलो छील कर कद्दूकस में घिस लें व ५०० ग्राम शुद्ध गाय के घी में भून लें + घी में भुना आधा किलो गेहूं का आटा जैसे कि हलुआ बनाने से पहले भूनते हैं + तगर ५०० ग्राम + बादाम की मींगी ५० ग्राम + चिरोंजी ५० ग्राम + अश्वगंध ५० ग्राम + सोंठ घी में भुनी ५० ग्राम; इन सबको घी से मिला कर लगभग एक छटांक वजन के लड्डू बना लें व एक-एक लड्डू सुबह शाम गर्म दूध से दें।
३ . सुबह निहारे मुंह एक चम्मच एलोवेरा का गूदा खिलाएं, पंद्रह दिन तक देने के बाद एक सप्ताह तक बंद कर दें।
४ . दशमूल क्वाथ एक-एक चम्मच दिन में तीन बार दें।
इस उपचार को दो माह तक लगातार दें, आशातीत लाभ होगा।
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सोमवार, जून 23, 2008
ढेर सारी बीमारियां एक साथ हैं ऐसा लगता है.......
Published :
6/23/2008 06:24:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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