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शनिवार, फ़रवरी 23, 2008
शराब
Published :
2/23/2008 03:32:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
कल की बात को आगे बढ़ाते हुए आज आपको बताउंगा कि चारों प्रकार के सिरोसिस में क्या-क्या लक्षण होते हैं और आपको किन-किन कष्टों का सामना करना पड़ता है । जिन्हें जान कर आप खुद ही निर्णय लीजिएगा कि आज मन का तनाव या थकान दूर करने के लिए क्या कल आप ये सब भुगतने के लिए तैयार हैं या नहीं ?
एट्रोफिक सिरोसिस(Atrophic cirrhosis) :- इसमें लीवर का आकार बहुत छोटा हो जाता है । वजन भी इसी अनुपात में घट जाता है । लीवर के नीचे के भाग में हाथ लगा कर देखने से यह टेढ़ा-मेढ़ा सा प्रतीत होता है । आपके पेट में जलन का एहसास होता रहता है । अपच की डकारें आती रहती हैं । अजीर्ण की अवस्था में खाए गए भोजन का ही वमन(उल्टी) होती है कभी-कभी श्लेष्मा यानि बलगम जैसी चिकनाई या रक्त का भी वमन हो
सकता है । साधारणतः प्लीहा(spleen) बढ़ जाती है। पेट में वायु भरके फूल जाता है । कब्ज बनी रहती है । पखाना तारकोल या अलकतरे की तरह काला सा आता है तथा दाहिनी ओर पेट में नसें उभर आती हैं । शरीर पीला पड़ कर कामला रोग हो जाता है । मूत्र का रंग गहरा लाल सा आता है ।
मस्तिष्क विकार होने लगते हैं । कामला रोग चरम पर आ जाने पर मूत्र का रंग गाढ़ा पीला हो जाता है और बदन पर सूजन आने लगती है यह सूजन दोनों पैरों से शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ती है तथा मुंह तक आ जाती है । अण्डकोष तथा जननेन्द्रिय फूल जाते हैं । हल्का सा बुखार बना रहता है जोकि तीसरे पहर बढ़ जाया करता है और कोमाटोज़ सिम्प्टम्स यानि बड़बड़ाना और चीखना चिल्लाना शुरू हो जाता है । जलोदर के भी लक्षण आने लगते हैं और धीरे-धीरे आप मौत के मुंह में समा जाते हैं ।
हाइपरट्रोफिक सिरोसिस(Hypertrophic cirrhosis):- इस स्थिति में आपका लीवर इतना बड़ा हो जाता है कि नाभि के पास तक का भाग लटक आता है । अचानक भयंकर तेज कामला के लक्षण उभर आते हैं मल का रंग पित्त की तरह हो जाता है । प्रायः १०२ से १०४ डिग्री फारेन्हाइट तक बुखार आ जाया करता है । आप प्रलाप करने लगते हैं । इस पीड़ा को आप छह सात बरस तक भुगतते रहते हैं लेकिन यदि इसमें एक्यूट एट्रोफिक
लक्षण भी मिल जाएं तो एकाएक मौत हो जाती है और जिसके लिये कोई भी सहसा तैयार नहीं रहता है ।
फैटी सिरोसिस(Fatty cirrhosis):- इसमें लीवर में अत्यधिक मात्रा में चरबी एकत्र हो जाती है । एट्रोफिक में भी चरबी रहती है पर कम रहती है । इस स्थिति में लीवर छोटा और संकुचित हो जाता है । जो लोग ये मानते हैं कि बीयर तो फायदा करती है उन्हें चेत जाना चाहिये कि यह रोग बीयर या ताड़ी जैसे कम एल्कोहाल कंटेंट वाली चीजों का परिणाम है और बाकी होने वाले लक्षण तो एट्रोफिक सिरोसिस जैसे ही होते हैं यानि कि उतना ही कष्ट होने वाला है ।
ग्लाइसोनिअन सिरोसिस(Glysonian cirrhosis):- यह रोग आपको बिना पानी मिलाए शराब पीने से होता है । इसमें लीवर का आकार छोटा हो जाता है और साथ ही बुरी तरह से क्षत-विक्षत भी हो जाता है । प्रायः सभी संयोजक तंतु मोटे पड़ जाते हैं और बढ़ जाते हैं बाकी लक्षण एट्रोफिक सिरोसिस के जैसे ही होते हैं ।
लगातार शराब पीते रहने से आप सिर्फ़ सिरोसिस ही नहीं कमाते बल्कि मदात्यय(Delirium Tremens ) नामक रोग भी हो जाता है । इस रोग में आपको भूत-प्रेत से लेकर मकड़ी,छिपकली,चुहे या सांप आदि जैसे जंतु दिखने लगते हैं । नींद आना बंद हो जाती है ,व्याकुलता रहने लगती है । अब आप यह सोचिए कि आप गिलास सजा कर कितनी सारी मुसीबतों को खुद ही निमंत्रण पत्र भेज रहे हैं ।
आपने लिखा है कि शाम होते ही सिर भारी होने लगता है और तलब महसूस होने लगती है । स्प्ष्ट सी बात है कि शाम होते ही आप अपने आप को तमाम कामों से अलग करके ऐसे कामॊं से जोड़ लेते हैं जो कि या तो महज मानसिक श्रम के होंगे या फिर आप खाली हो जाते हैं कि कोई काम नहीं रहता है । इसके लिए एक मात्र उपाय जो कभी भी असफल नहीं हुआ है वह है रोज शाम को स्नान करके संध्या-पूजा करने का ,इसमें आप चाहें तो गायत्री मंत्र से लेकर अपने गुरूमंत्र की १०८ जप करें यानि कि कम से कम एक माला यदि आप मुस्लिम हैं तो आयतल कुर्सी या दरुद शरीफ़ का जाप करिए ,ध्यान रहे कि शराब आपको नुक्सान पहुंचाने में आपका मज़हब नही देखती है । इसके बाद भोजन करके पत्नी बच्चों के साथ बातें करिए या बच्चों का होमवर्क करवाइए । अब जब पत्नी बच्चे सो चुके होंगे लेकिन आपके भीतर का शराब का आदी व्याकुल सा जाग रहा होगा कि नींद नहीं आ रही है । अब आपको मैं वह उपचार बताने जा रहा हूं जिससे हजारों शराब के आदी अब शराब को देखना तक पसंद नहीं करते ौर स्वस्थ व सुखी जीवन बिता रहे हैं । किसी अच्छी कंपनी का शहद या किसी से निकलवाया शुद्ध शहद एक किलो लाकर अपने पास रख लें ,चूंकि रोज की आदत है तो उसके अनुसार मन तलब पैदा करके आपको बाध्य करेगा कि एक पैग पी लेने में क्या हर्ज़ है ;जैसे ही यह विचार मन में आए कि चलो बिल्कुल थोड़ी सी पी लेता हूं उपचार कल से शुरू कर दूंगा उसी समय तुरंत मौका गंवाए बिना छह चाय के चम्मच भर कर शहद चाट जाइए फिर बीस मिनट बाद इसी तरह से छह चाय के चम्मच भर कर शहद चाट जाइए और शान्ति से बैठिए ,मन को देखिए कि वह कैसे आपसे चालबाजियां करता है शायद इस बीच फिर मन आपको शराब के लिए उकसाएगा पर जी कड़ा करके तीसरी बार फिरसे छह चाय के चम्मच भर कर शहद चाट जाइए । इस तरह एक घंटे में आप अठारह चम्मच शहद चाट लेंगे और अब देखिए कि शराब पीने की इच्छा समाप्त हो गयी है और न तो सिर भारी है और तनाव भी समाप्त हो गया है । वस्तुतः आप अपने शरीर में हो गयी पोटाशियम की कमी पूरा करने के लिये शराब पी रहे होते हैं और इसके लिए मस्तिष्क पूरे शरीर को न्यूरोलाजिकल संकेत भेजता है जिसे आप तलब कहते हैं और उसे पूरा करने के लिए आप शराब पी लेते हैं । एक बात जान लीजिए कि यदि शराब ही क्या कोई भी आदत आप छोड़ना चाहते हैं तो उसके लिए मात्र इच्छा का होना ही कारगर उपाय है और अगर दोस्तों की आदत छुड़वाना है तो अपनी शराब में यह होम्योपैथिक दवा प्रति लीटर में बारह बूंद मिला कर रख लें और यकीन मानिए कि जो लोग आपके साथ शराब पीते हैं वे दो महीने में खुद ही शराब पीना बंद कर देंगे,दवा का नाम है SPIRTAS GLANDIUM QUERCUS . यह वही दवा है जिसका प्रचार कर-करके तमाम दवाखानों ने करॊड़ो रुपए कमा लिए हैं । हम किस दवा कए बाद जब शराबी की आदत छूट जाती है तो उसे दो माह तक सुबह शाम दो-दो चम्मच गुलकन्द(प्रवाल मिश्रित) खिलाते हैं और इसके बीस मिनट बा्द दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट बराबर पानी के साथ देते हैं । इससे उसका खोया स्वास्थ्य वापस आ जाता है । आप भी इसी तरह से अपनी टूटती हुई कसमों से बच सकते हैं और यदि नियमित रूप से प्राणायाम करते हैं तो फिर तो सोने में सुगंध जैसी बात है ।
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