मैं पेशे से शिक्षिका हूं ,मानसिक श्रम काफी होता है मेरे काम में और क्लास में शोर मचाते बच्चे तो जान के दुश्मन प्रतीत होते हैं । सुबह उठने के साथ ही सिर में दर्द होना शुरू हो जाता है और दोपहर में लंच टाइम तक तो ऐसा लगने लगता है कि दीवार में सिर मार कर फोड़ दूं , ऐसा लगता है कि सिर में कील ठोंकी जा रही हो या सिर में बम फट रहे हों । कभी सिर के द्दंए हिस्से में और कभी बांए हिस्से में दर्द होता है दोपहर के बाद में दर्द कम होने लगता है लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं होता है ,रात में ठीक रहता है । डाक्टर को दिखाने पर उन्होंने सिरदर्द के लिए दवा दे दी लेकिन उसका असर बस दो घन्टे तक ही रहता है फिर से वैसा ही दर्द होने लगता है डाक्टर ने रोग का नाम माइग्रेन बताया है । अक्सर कब्ज़ रहती है और कभी-कभी जुकाम भी हो जाया करता है। क्या आयुर्वेद में कोई परमानेण्ट इलाज है ?
** बहन जी ,आपका रोग आयुर्वेद में आधाशीशी और सूर्यावर्त नाम से जाना जाता है । पहले आप यह जान लीजिए कि एलोपैथी में इसका कोई इलाज नही है जो भी दवा दी जाती है वह दर्द दूर कर देती है कुछ समय के लिए लेकिन मूल कारण दूर नहीं कर पाती जिस कारण फिर से दर्द होने लगता है । पहले आपकी कब्जियत दूर करनी होगी जो कि आपकी बीमारी की जड़ है जिसके लिये आप रात में सोते समय अपने कॊष्ठ के अनुसार कब्ज निवारण के लिये सवा लीजिए फिर तीन दिन तक यह दवा लेने के बाद बंद करदें और आगे ऐसा भोजन लिया करें जो कब्ज न किया करे इस लिए अंडे ,तैलीय भोजन और चाइनीज खाने से परहेज़ करें(जैसा कि आपने बताया था कि आपको रात के खाने में चाईनीज पसंद है)
१ . रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच पंचसकार चूर्ण गुनगुने पानी में चोल कर पी लीजिए ।
२ . सुबह उठकर नित्यकर्मों से निपट कर जिस ओर दर्द हो रहा है उस ओर के नथुने में इस घोल की दो बूंदे डाल लें । एक कप पानी में एक चम्मच सैंधव (सेंधा) नमक मिला कर घोल बना लें । सेंधा नमक वह नमक है जो लोग उपवास में खाया करते हैं ।
३ . किसी अच्छी निर्माणशाला का बना हुआ नारायण तेल लेकर सुबह माथे पर जहां कनपटी का क्षेत्र है वहां उंगली से हलके से ५-१० मिनट मालिश करें ।
आपको आश्चर्य होगा कि आपको जीवन भर कैसा भी सिरदर्द होगा पर आधाशीशी (माइग्रेन) नहीं होगा ।
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कुछ सुझाव
बुधवार, फ़रवरी 20, 2008
आधाशीशी(माइग्रेन)
Published :
2/20/2008 05:28:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
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मल्ल चंद्रोदय
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शिला सिंदूर
स्वर्णबंग
ताल सिंदूर
रसमाणिक्य,
शिलाजीत(गीला/सूखा)
स्वर्णबंग क्षार
1 आप लोग बोले:
डाक्टर साहब, मेरा एक सवाल है। शराब छोड़ना चाहता हूं पर छोड़ नहीं पाता। सुबह कसम खा लेता हूं रोज कि नहीं पीनी। शाम होते ही सिर भारी होने लगता है और तलब महसूस होने लगती है। कोई ऐसी दवा या तरकीब बतायें ताकि शराब की तलब महसूस न हो।
दूसरा सवाल है कि अगर मैं पिछले 15 साल से लगभग रोजाना पांच पैग दारू पी रहा हूं तो मेरा लीवर इस वक्त किस स्थिति में होगा। इसे ठीक रखने के क्या क्या देसी उपाय हो सकते हैं।
मैं बहुत झिझकते हुए ये सवाल पूछ रहा हूं। कृपया उत्तर विस्तार से देने की कृपा करें। आपका आभारी रहूंगा।
विनय, नई दिल्ली
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