सर मैं रेलवे में सहायक चालक के पद पर कार्यरत हूं । मेरा ड्यूटी पर आने जाने का कोई समय नहीं रहता कभी सुबह,कभी दोपहर और कभी मध्य रात्रि में जाना होता है । ड्यूटी के घंटे भी निश्चित नहीं रह्ते कि कितने समय बाद घर वापिस आना होगा । ड्यूटी के दौरान खाने पीने का कोई समय निश्चित नहीं होता है । कभी-कभी टट्टी-पेशाब को घंटो रोकना पड़ जाता है ।
कब्जियत रहती है । ड्यूटी के समय इंजन से पच्चीसों बार ऊपर-नीचे चढ़ना उतरना पड़ता है । पिछ्ले एक माह से बांए पैर में कमर से लेकर एड़ी तक एक नस में बहुत ही तेज दर्द की
लहर सी उठती है जैसे बिजली सी चमकी हो । कभी-कभी एसिडिटी भी महसूस होती है । सोने का कोई निर्धारित समय नहीं होता है । रेलवे अस्पताल में दिखाने पर डाक्टर ने "ब्रूफ़ेन"
नामक दवा दे दी है जिसे खाने पर कुछ घंटो तक आराम रहता है लेकिन फिर वैसा ही हो जाता है और इस दवा के लगातार प्रयोग से पेट ज्यादा गड़्बड़ रहने लगा है । उपचार बताइए क्योंकि डाक्टर ने कहा कि शायद नर्व की प्राब्लम है तो आपरेशन करना होगा और मैं आपरेशन नहीं करवाना चाहता ।
** आपके द्वारा बताए गए लक्षणों के आधार पर आप ग्रधसी यानि कि सायटिका से पीड़ित हैं । आपको आपरेशन करवाने की कोई आवश्यकता है ही नहीं । आपका रोग दरअसल आपकी अनियमित दिनचर्या की उपज है लेकिन नौकरी तो छोड़ नही सकते तो कुछ दवाएं लीजिए और स्वस्थ हो जाइए हां एक बात का ध्यान रखिए कि बासी आहार से बचें । कुछ दिन तक छुट्टी लेकर विश्राम करें तो बेहतर रहेगा ।
१ . सुबह शाम भोजन से पहले दो-दो गोली आमपाचक बटी गुनगुने पानी से लें ।
२. महायोगराज गुग्गुलु की दो-दो गोली पीस कर महारास्नादि क्वाथ(काढ़े या कषाय) के दो चम्मच के साथ निगल लें, दो बार । भोजन के आधे घंटे बाद लीजिए ।
३. विषतिन्दुक वटी दिन में दो बार लें भोजन के बाद महायोगराज गुग्गुलु के संग ही ले लें ।
४. रात्रि को सोते समय एक चम्मच गन्धर्व हरीतकी को गुनगुने पानी के साथ ले लें ।
५. सुबह-शाम नारायण तेल से हल्के हाथ से मालिश करें ।
इस उपचार को कम से कम चालीस दिन तक जारी रखिए और ध्यान रखिए कि एलोपैथी में आपकी बीमारी का कोई स्पष्ट उपचार नहीं है । अतः शरीर को कीमती जानिए कहा है कि काया राखे धरम है यानि शरीर स्वस्थ है तो सब अच्छा है ।
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सोमवार, फ़रवरी 18, 2008
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