डाक्टर साहब, मेरा एक सवाल है। शराब छोड़ना चाहता हूं पर छोड़ नहीं पाता। सुबह कसम खा लेता हूं रोज कि नहीं पीनी। शाम होते ही सिर भारी होने लगता है और तलब महसूस होने लगती है। कोई ऐसी दवा या तरकीब बतायें ताकि शराब की तलब महसूस न हो।दूसरा सवाल है कि अगर मैं पिछले 15 साल से लगभग रोजाना पांच पैग दारू पी रहा हूं तो मेरा लीवर इस वक्त किस स्थिति में होगा। इसे ठीक रखने के क्या क्या देसी उपाय हो सकते हैं। मैं बहुत झिझकते हुए ये सवाल पूछ रहा हूं। कृपया उत्तर विस्तार से देने की कृपा करें। आपका आभारी रहूंगा। विनय, नई दिल्ली
**आत्मन मित्र,आपने अपनी जो स्थिति बताई उससे दुःख हुआ कि आपको दुर्भाग्य से शराब जैसी गन्दी चीज का व्यसन है लेकिन अब एक आशा की किरण दिख रही है क्योंकि आपने स्वयं ही अपने स्वास्थ्य के विषय में चिन्ता प्रकट करी है । आपकी अपने स्वास्थ्य के प्रति यही चिन्ता एक दिन आप्को अपने भीतर छिपे एक नये इंसान से मिलवाएगी जो पूर्णतः निर्व्यसनी होने के साथ बलिष्ठ एमं दूसरे शराब के लती लोगों को राह दिखाने वाला होगा । आपने लिखा है कि बहुत झिझकते हुए सवाल पूंछ रहा हूं ,अरे मेरे भाई जब शराब पीने में नहीं झिझकते हो तो उसे छोड़ने का विचार तो बहुत स्वागत योग्य है उसमें कैसा हिचकिचाना या झिझकना ।
पहली बात कि यदि आप यह मानते हैं कि आप जो कर रहे हैं वह गलत और नुक्सानदेह है तो फिर जान लीजिए कि आपने पहली परीक्षा तो सौ प्रतिशत अंको से उत्तीर्ण कर ली है । आप शराब छोड़ने के लिए कसम मत खाइए क्योंकि आपने स्वयं लिखा है कि आप रोज सुबह कसम खाते हैं और शाम को फिर कसम टूट जाती है इससे शराब तो नहीं छूटती बल्कि मन में खुद के कमजोर इच्छाशक्ति का होने का बोध जरूर आ जाता है । इसलिए आज से शराब छोड़ने की कसम खाना बिलकुल बंद कर दीजिये । अब हम मुद्दे की बात करते हैं कि जिससे आप जान सकें कि आपके शरीर में ऐसा क्या होता है कि जानते हुए भी कि ऐसा करना नुक्सानदेह है आप सब भूल कर शराब पी लेते हैं जिसे आपने तलब का नाम दिया है । इसके लिए पहले मैं आपको शराब से होने वालए नुक्सान बताउंगा जिससे कि आप को यह समझ आएगा कि आप अपना सर्वनाश अपने ही हाथों से कर रहे हैं ,तब तलब को भी जीतना आसान होगा क्योंकि आप एक समझदार इंसान हैं जो भला बुरा समझता है । हो सकता है कि आपको ऐसे भी लोग मिले हों जिनमें कुछ डाक्टर भी हों जो कि कम मात्रा में ली गयी शराब को बुरा नहीं बल्कि लाभदायक मानते हैं ऐसे लोग आपको दुनिया भर के उदाहरण दे डालते हैं कि अमुक औषधि में एल्कोहाल है और वह फ़लां रोग में फ़ायदा करती है जबकि उसमें तो एल्कोहाल का अनुपात तुम्हारी शराब से कहीं बहुत ज्यादा है या फिर अरे होम्योपैथी की अधिकतर दवाओं का आधार ही एल्कोहाल है या आयुर्वेद की कितनी दवाओं मे एल्कोहाल कंटेंट है वगैरह-वगैरह....... । यकीन मानिए कि ऐसे दोस्तों से बड़ा आपके परिवार और आपका कोई शत्रु नहीं है ।
शराब के लम्बे समय तक सेवन करने से आपको लीवर यानि कि यकृत में जो परेशानियां होती हैं पहले उन्हें जान लीजिए फिर आगे उपचार आदि सब बताता चलता हूं । आपका लीवर और किडनी शरीर के ऐसे अंग हैं जो कि आपके शरीर के इनपुट और आउटपुट को नियंत्रित रखते हैं । शुरूआती दौर में में शराब पीने से लीवर में दाह जैसी अनुभूति होती है लेकिन आप इसे शराब के साथ लिये गये नमकीन या काजू आदि के पाचन में उलझा कर नजरअंदाज कर जाते हैं और धीरे-धीरे जब कुछ माह बीत जाते हैं तब आपको पता चलता है कि पहले जिस शराब को आप बस थकान या मानसिक तनाव दू्र करने के लिये पी रहे थे उसकी मात्रा बढ़ती जा रही है । पहले तो एक ही पैग में काम चल जाता था अब दो पैग लेना पड़ रहा है ,इस तरह धीरे से यह आपके शरीर में पहले मेहमान बन कर आती है और फिर आपके मन और देह दोनो पर काबिज़ हो जाती है और कसमों का टूटना शुरू हो जाता है । आपके लीवर की पोर्टल वेन(portal vein) की छोटी-छोटी शाखाएं और आस-पास के संयोजक यानि जोड़ने वाले तंतु या ऊतक (tissues) रोगग्रस्त होकर नष्ट होना प्रारंभ हो जाते हैं । जानिए कि टिश्यूज़ क्या हैं ? किसी मकान में जैसे ईंट ,पत्थर ,मिट्टी ,चूना या सीमेंट व रंग का इस्तेमाल होता है वैसे ही आपके शरीर मे निर्माण में रस ,रक्त ,मांस ,अस्थि ,मेद ,मज्जा ,और शुक्र का उपयोग होता है ।इनकी कायनात या समष्टि ही यह आपका शरीर है । अक्सर आप जिस रोग से घेरे जा रहे होते हैं वह है "सिरोसिस ऒफ़ लीवर" (Cirrhosis of liver) । इस रोग में लीवर के ऊपरी ऊतक नष्ट हो जाते हैं व लीवर कड़ा और सिकुड़ा हुआ हो जाता है तथा आकार में छोटा पड़ जाता है । यह अवस्था इसलिये होती है कि लीवर में रक्त वाहिनी नलिकाओं में बाधा आने लगती है । फलतः जो लक्षण आपके शरीर पर दिखते हैं उनमें आपको बहुत कमजोरी महसूस होना ,आंख-मुंह बैठने लगते हैं ,पसलियां बाहर दिखने लगतीं हैं ,लीवर में तेज़ असहनीय दर्द होता है और चूंकि रक्तवाहिनियां अवरुद्ध हो चुकी होती हैं तो लीवर पर सूजन आने लगती है ,प्लीहा(spleen) भी बढ़ जाती है ,छाती और पेट के ऊपर की नसें फूलकर उभर आती हैं । इसी क्रम में आप दवा भी खा लेते हैं और शराब का सेवन भी जारी रखते हैं और धीरे-धीरे जब आप सुबह उठते हैं तो जी मचलाता रहता है या कभी तो उल्टी भी हो जाती है ,सारी-सारी रात नींद नहीं आती और करवटें बदलते रात बीत जाती है ,पेट में गड़बड़ी रहने लगती है ,पेट फूला हुआ सा प्रतीत होने लगता है साथ ही हल्का सा बुखार बना रहने लगता है । मूत्र की मात्रा कम होने लगती है ,पैर सूजने लगते हैं और पेट में पानी भरकर जलोदर रोग होने की स्थिति हो जाती है ।
मुंह और लैट्रिन से रक्त आ सकता है ,दिमाग़ी वहम होने लगते हैं जैसे कि आप बेहोश हो जाएं और अण्ट-शण्ट प्रलाप करने लगें जैसे कि आपकी पत्नी और बच्चे आपको मार डालना चाहते हैं वगैरह-वगैरह...,फिर मूर्च्छा गहराने लगती है और इसी हालत में मौत आपको घेर लेती है । इस तरह आपके भीतर की हजारों अच्छाइयां बस आपकी एक कमजोर आदत के कारण आपके साथ चली जाती हैं । आपको ऐसा बोलने वाले भी मिल जाते होंगे कि यार मौत तो एक दिन आनी ही है तो क्यों न मजे कर के मरें ,मन क्यों मारा जाए , मरते तो वो भी हैं जो शराब नहीं पीते हैं , लीवर सिरोसिस तो शराब न पीने वालों को भी हो सकता है इत्यादि....। सबसे पहले तो ऐसे लोगों से सम्पर्क सीमित कर दीजिए ताकि अनावश्यक बातों का जहर दिमाग में न आए । आपको होने वाल रोग सिरोसिस ऒफ़ लीवर प्रायः चार तरह का होता है :-
१. एट्रोफिक सिरोसिस(Atrophic cirrhosis) , २. हाइपरट्रोफिक सिरोसिस(Hypertrophic cirrhosis) , ३. फैटी सिरोसिस(Fatty cirrhosis) ,४. ग्लाइसोनिअन सिरोसिस(Glysonian cirrhosis) .
आज आपने जाना कि आपकी पसंदीदा शराब जो इस समय गिलास में है वह कितनी जानलेवा है ,कल आगे बताउंगा कि आप इस नामुराद से कैसे पीछा छुड़ा सकते हैं................
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