रविवार, जून 29, 2008

पखाना नही होता है सप्ताह में एक बार ही बस.......

डाक्टर साहब नमस्कारमेरी बेटी २२ साल की है. उसकी खुराक सामान्य है. एक समय में ३ रोटी खाती है. उसे पखाना नही होता है. सप्ताह में एक बार. उसकी यह दिक्कत पिछले ५ साल से हैं. ज्यादा मसाला हमलोग नही खाते हैं. घर से बाहर का खाना कम ही खाती है. कुछ दिनों के लिए एलोपथिक दवाई ली. पहले पहल दवाई ने काम किया. अब वो भी नही काम कर रहा. आप कुछ निदान बताये?अग्रिम धन्यवादराजेश रोशन -- Rajesh Roshanhttp://rajeshroshan.com
राजेश साहब,आपने बताया कि बिटिया की उम्र २२ वर्ष है किन्तु मलत्याग हेतु उचित वेग नही आता और जबकि वह भोजन सामान्य रुप से ले ही रही है तो स्वस्थ शरीर में भोजन ग्रहण करने के बाद पाचन की क्रिया पूर्ण होने के दौरान विभिन्न आवश्यक तत्त्वॊं का आंतो द्वारा चूषण कर लिया जाता है और शेष रहे पदार्थ को मल के रूप में आकुंचन-प्रकुंचन गति द्वारा आगे बढ़ा कर मलाशय तक पहुंचा दिया जाता है। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो स्वाभाविक है कि यह दर्शाता है कि कुछ ऐसा है जोकि असामान्य व रुग्ण है। आपने समस्या को तनिक संक्षिप्त में लिखा है और कुछ आवश्यक बातों का जिक्र नहीं कर पाए हैं जैसे कि क्या बच्ची का मासिक धर्म का चक्र सामान्य है? एलोपैथी की कौन सी दवा दी गयी थी जो कि अब कारगर नहीं है? क्या पेट में दर्द या ऐसी कोई अनुभूति होती है? खैर इन बातों को जाने दीजिये मैं इस बीमारी को आयुर्वेद के निदान के अनुसार चिरस्थायी मलावरोध मानता हूं जो कि आंतो की मांसपेशियों की दुर्बलता के कारण होता है और इस समस्या में सबसे बड़ा नुकसान मरीज को तब होता है जब उसे तेज से तेज जुलाब या रेचक पदार्थ और औषधियां दी जाती हैं। इस तरह से मरीज का मर्ज और बढ़ कर बदतर हालत में आ जाता है। निम्न औषधियों को नियम से दें --
१ . नाराच रस एक गोली + विश्वतापहरण रस एक गोली दिन में तीन बार हलके गर्म जल से लें।
२ . अग्नितुण्डी बटी एक गोली + विजयपर्पटी २५० मिग्रा. + दशमूलषटफल घृत १० ग्राम को मिला कर एक पाव दूध से दिन में भोजन के बाद दो बार दें।
३ . कुमार्यासव २५ मिली + द्राक्षारिष्ट २५ मिली दिन में दो आर भोजन के बाद दें।
चोकर की रोटियां खाने में प्रयोग करें तथा चना भिगो कर उसमें नमक व अदरख मिला कर नाश्ते के लिये सुबह दें। इस उपचार को न्यूनतम एक माह तक धैर्यपूर्वक प्रयोग करें उसके बाद मेहरबानी करके मुझे सूचित करें यदि अधीर होंगे तो लाभ की संभावना न्यून होगी।

शुक्रवार, जून 27, 2008

छह साल से हाथ के कांपने से परेशान हैं ...

सर,मेरे बड़ी बहन के पति जिनकी उम्र ४५ वर्ष है पिछले छह साल से हाथ के कांपने से परेशान हैं जिसके कारण वे अपना लेखन कार्य तो त्याग ही चुके हैं और साथ ही अन्य कार्य भी बड़ी कठिनाई से कर पाते हैं।साथ ही उन्हें हल्का सिरदर्द भी लगातार बना रहता है जो कि कभी इतना तेज हो जाता है कि लगता है कि सिर में धमाका हो कर सिर फट जाएगा,,बेचैनी के साथ कभी उल्टी ही हो जाती है। सिरदर्द के लिये उन्हें रोज ही एलोपैथिक का दर्द निवारक ब्रूफेन लेना पड़ता है, हाथ के कांपने के बारे में तो तमाम डाक्टरों को उन्होंने दिखाया लेकिन निराशा ही हाथ आयी है। ये स्थिति उनके छोटे भाई के एक्सीडेन्ट में मौत के समाचार के मिलने के बाद से है। भोजन हजम नही होता है, बेमन से ही खाते हैं। कभी-कभी सीने में जलन और खट्टी डकारें आती हैं। अतिसंवेदनशील स्वभाव हो गया है बच्चों पर बहुत गुस्सा कर बैठते हैं। हमारी मदद करिये और कोई सटीक इलाज बताइये हम जीवन भर आभारी रहेंगे।
गोपीनाथ,झुंझनू
गोपीनाथ जी आपके बहनोई जी की बीमारी पुरानी है अतः पंचकर्म से शोधन करना आवश्यक है अन्यथा लाभ की संभावना न्य़ून ही रहती है। अतः सबसे पहले उनके सारे शरीर को महानारायण तेल से स्वेदन करें और इसके लिये नाड़ी स्वेदन विधि अपनाना उचित होगा। जिसके लिये महानारायण तेल को बराबर जल के साथ मिला लें किन्तु तेल तो जल में मिलता नहीं है फिर भी इस मिश्रण को प्रेशर कुकर में डाल कर हल्की आंच पर रख दें जिससे कि उस पानि के गर्म होने पर उसके साथ में तेल की भी भाप निकले जिसे आप कुकर के ऊपर की सीटी हटा कर एक पाइप कस लें और इस पाइप के द्वारा सारे शरीर पर भाप से सेंक दीजिये। ऐसा दस दिन तक सुबह स्नान करने के बाद करें व फिर बदन को कपड़े से ढंक दें ताकि हवा न लगे। उसके बाद में बस्ति देना है जिसके लिये गौ मूत्र ३२ तोला + इमली का गूदा ८ तोला + पुराना गुड़ ८ तोला + सेंधा नमक एक तोला + सोया(सोवा) के बीजों का बारीक चूर्ण एक तोला लेकर भली प्रकार से मथ कर मिला लें व हल्का गुनगुना सुहाता सा गर्म इसको गुदा द्वार से एक सिरिंज के माध्यम से अन्दर पहुंचाइये(एनिमा देना इसी क्रिया की भांति है)। इस क्रिया को दस दिन तक सुबह नित्यकर्म से फ़ारिग होने के बाद करें। इसके बाद पुनः ऐसी ही क्रिया करनी है पर औषधि अलग रहेगी जिसके लिये वातहर तेल २० मिली + सोआ व मदन फ़ल का चूर्ण मिला कर पूर्ववत बस्ति क्रिया करें। रोगी को सीधा लिटा कर गुदा में औषधि प्रवेश करवा कर नितम्बों को चार-पांच बार थपथपाएं तथा रोगी को बताएं कि वह अपनी एड़ियों को नितम्बों पर पटके। यह बस्ति द्वारा दी औषधि एक से चार घन्टे में बाहर आती है। इसे छह दिन तक दें। महानारायण तेल की पतली धार बना कर शिरोधारा दे यह दो दिन तक करें।
निम्न औषधियां मौखिक सेवन के लिये दें--
१ अभ्रक भस्म १२५ मिग्रा + सूतशेखर रस २५० मिग्रा + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा + गिलोय सत्व ५०० मिग्रा + स्वर्णमाक्षिक भस्म २५० मिग्रा इन सब की एक खुराक बनाएं व दिन में दो बार दूध के साथ दीजिये।
२ . भोजन के बाद चित्रकादि बटी एक गोली + अविपत्तिकर चूर्ण २ ग्राम + चंदनादि लौह २५० मिग्रा एक मात्रा दो बार दूध में अश्वगंधा पका कर खीर जैसा बना कर उससे लें।
३ . महावात विध्वंसन रस एक एक गोली + शिरशूलादिवज्र रस दो दो गोली पानी से दें।
इस पूरे उपचार को न्यूनतम दो माह तक दें।

सोमवार, जून 23, 2008

ढेर सारी बीमारियां एक साथ हैं ऐसा लगता है.......

डा. साहब आपके बारे में भड़ास से पता चला था। मै भड़ास का नियमित पाठक और कभी कभी लिख भी लेता हूँ। आपसे कुछ अपनी पत्नी (आयु 39 साल) के बारे चिकित्सीय राय लेना चाहता हूँ। मेरी पत्नी को निम्न परेशानियाँ रहती हैः-1. सुबह तथा रात लेटते ही पिण्डिलियों में दर्द रहता है।2. सुबह तलुओं में दर्द होता है।3. घुटने में अक्सर दर्द रहता है।4. पेड़ू (lower abdomen) आगे की तरफ काफी निकल रहा है।5. सिर के पिछले भाग में अक्सर दर्द रहता है।6. गले में खराश रहती है परन्तु कफ नहीं निकलता है।7. खाँसी रहती है।8. कमर में दर्द रहता है।9. माहवारी लगभग 24-25 दिन पर होती है तथा 2-3 दिन तक रहती है वहाव भी काफी कम होता है।10. सुबह-सुबह काफी डकार आती है।11. सोते-सोते अक्सर हथेलियाँ अकड़ जाती हैं।12. सोने मे अक्सर ऐसा महसूस होता जैसे किसी ने दाब लिया हो।13. भीड़-भाड़ वाली जगह पर एकदम बहुत तेज हाजत महसूस होती तथा उस समय गुदा मार्ग में काफी जलन होती है।14. पैरो में दवाने पर गड्डे पड़ जाते है।आशा है आप उचित मार्गदर्शन करेगें।प्रतीक्षा में(अजीत कुमार मिश्रा)
अजीत भाईसाहब,आपने जो लक्षण लिखें हैं उनसे स्पष्ट पता चलता है कि ये लक्षण अचानक नहीं उपजे हैं और न ही ऐसा होगा कि आपने इनका उपचार न कराया हो क्योंकि जितने कुछ आप लिख रहे हैं वह दर्शाता है कि देह में वात का विकार है जिसमें कि अपान वायु के दोष की प्रबलता है और साथ ही कफ का आवरण भी है। इन लक्षणों के साथ ही उनकी भोजन के प्रति रुचि तथा पाचन भी सही न होगा जिसके बारे में आप कदाचित बताना भूल गए। इन सभी लक्षणों को मिला कर आप आधुनिक चिकित्सा के अनुसार किसी एक रोग का नाम नहीं दे सकते अतः एलोपैथी में उपचार संभव भी नहीं है। आप उन्हें पहले एक दिन सुबह नित्यकर्म से फ़ारिग होने के बाद नारियल का तेल तीन चाय के चम्मच यानि अनुमानतः तीस मिली. नाश्ते के स्थान पर दें और दिन में कुछ भी खाने को न दें यानि एक दिन मात्र इसी पर गुजारा करना है। अगले दिन सुबह इसी प्रकार मंजन से पहले हल्के गर्म जल में नमक मिला कर जितना अधिक पी सकें रख लीजिये व पिला दीजिये ताकि आसानी से मुंह में उंगली डालते ही उल्टी हो जाए व जो दोष पेट में संचित हों वे निकल जाएं। इसके बाद नाश्ते में दलिया अथवा साबूदाना दें और दोपहर में यधि भोजन करें तो इसी तरह से हल्का आहार लें। ध्यान रखिये कि चाय, काफ़ी,डबलरोटी, बिस्किट, बासी भोजन, दूसरे टाइम का रखा हुआ चावल,दही, मटर,गोभी,सभी प्रकार की खटाई, घुईंया(अरबी),भिण्डी, केला,सारे शीतल पेय तथा बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स आदि से सख्त परहेज रखिये। अब उन्हें अगले दिन से सामान्य आहार देना प्रारंभ करें तथा निम्न उपचार दें--
१ . नई इमली का गूदा व भिलावा(इसे मराठी में बिबवा और कई स्थानों पर भल्लातक कहते हैं) शुद्ध बराबर मात्रा में लेकर कूट लें ब २५० मिग्रा. वजन की गोलियां बना कर सुखा लें। एक-एक गोली दिन में तीन बार मट्ठे से दीजिये मट्ठा उपलब्ध न होने पर जल से दें। यदि इस औषदि को एक सप्ताह तक लगातार लेते हैं तो फिर तीन दिन के लिये बंद कर दें व ध्यान रखें कि जिस दिन दवा देने में विराम दे रहे हों उस दिन उन्हें नारियल की कच्ची गरी का लगभग १०० ग्राम सेवन अवश्य कराएं यह आप दिन में थोड़ा-थोड़ा करके करा सकते हैं,दूसरे व तीसरे दिन कोई आवश्यक नहीं है।
२ . कच्ची हरी हल्दी एक किलो छील कर कद्दूकस में घिस लें व ५०० ग्राम शुद्ध गाय के घी में भून लें + घी में भुना आधा किलो गेहूं का आटा जैसे कि हलुआ बनाने से पहले भूनते हैं + तगर ५०० ग्राम + बादाम की मींगी ५० ग्राम + चिरोंजी ५० ग्राम + अश्वगंध ५० ग्राम + सोंठ घी में भुनी ५० ग्राम; इन सबको घी से मिला कर लगभग एक छटांक वजन के लड्डू बना लें व एक-एक लड्डू सुबह शाम गर्म दूध से दें।
३ . सुबह निहारे मुंह एक चम्मच एलोवेरा का गूदा खिलाएं, पंद्रह दिन तक देने के बाद एक सप्ताह तक बंद कर दें।
४ . दशमूल क्वाथ एक-एक चम्मच दिन में तीन बार दें।
इस उपचार को दो माह तक लगातार दें, आशातीत लाभ होगा।

शनिवार, जून 21, 2008

बाल झड़ रहे हैं.........

मेरी उम्र २४ साल है और मेरे बाल बहुत तेजी से कम हो (झड़) रहे है और ७५ % से ज्यादा बाल सफ़ेद भी हो गए है. मुझे इसके निवारण का कोई उपाए बताइये. नवीन, मद्रास
नवीन जी,बालों के झड़ने के अनेक कारण होते हैं। कभी ये पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण झड़ते हैं और कभी किसी बीमारी के लक्षण के रूप में तो कभी आपकी दिनचर्या की गड़बड़ी या ऊटपटांग सौन्दर्य प्रसाधनो का प्रयोग इनके झड़ने का कारण बनते है या इन्हें सफेद कर देते है। इसलिये पहले तो यह जान लेना जरूरी होता है कि क्या कारण मुख्य है जो इसके पीछे है। लेकिन फिर भी मैं आपको एक सामान्य उपचार बता देता हूं जो कि आपको लाभ देगा किन्तु आवश्यक है कि मूल कारण को दूर किया जाए, संतुलित आहार लिया जाए और दिनचर्या को नियमित करा जाए। आप निम्न उपचार लें --
१ . आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली + सप्तामृत लौह २५० मिग्रा + भ्रंगराज चूर्ण एक ग्राम इन सबको मिला कर शहद के साथ सेवन करें दिन में तीन बार।
२ . सुबह नित्य कर्म से फ़ारिग होने के बाद आधा चम्मच घीग्वार(ग्वारपाठा) जिसे एलोवेरा भी कहते हैं ,इसका गूदा खाएं व आधा घंटे तक पानी न पिएं।

गुरुवार, जून 19, 2008

माताजी को लाभ हुआ....


भाई साहब,प्रसन्नता की बात है कि माताजी को लाभ हुआ है और उत्तरोत्तर स्वास्थ्य अच्छा हो रहा है। आपने उनके खाने-पीने के विषय में लिखा है कि वे मात्र पपीता खा कर रहती हैं तो बड़ा दुःख हुआ। आप उन्हें खाने में निम्न पदार्थ दे सकते हैं--
दूध,घी,दही,फटा हुआ दूध, नये तिल,नये गेहूं, बाजरा, मूंग, प्याज, मूली,जौ,करेला, तोरई, उड़द,सहजन,लहसुन,परवल,अनार का फल, आम, अंगूर,नारंगी,संतरा,नींबू,बेर,महुआ,इमली जैसे सभी मीठे पल जो कदाचित कच्चे में खट्टॆ रहते हैं।
निम्न पदार्थ मत खाने को दें--
मटर,चना,जामुन,पत्तियों वाले साग,सुपारी,राजमा, चावल,डबल रोटी,बिस्कुट, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ।
जोड़ो की अकड़न के लिये अब आप माता जी को महानारायण तेल की ५ मिली मात्रा का एनिमा रोज लेने को बताइये। इसका तरीका ऊपर की पोस्ट MYELITIS वाले उत्तर में दिया गया है साथ ही महानारायण तेल से प्रभावित अंग की मालिश करिये व स्नान के लिये गर्म जल का ही प्रयोग करें।

नींद में लार आती है......

नींद के दौरान मुंह में लार भर जाता है, इससे बार-बार नींद खुल जाती है। कुल्ला करना पड़ता है।
पवन
पवन जी,आपने अपनी समस्या को अत्यंत संक्षेप में लिखा है लेकिन कोई बात नही हल एकदम सटीक और उतना ही छोटा है आप ये उपचार लें--
देशी पान का हरा पत्ता रात में सोते समय चबाइये ,ध्यान रहे कि ये पान लगाया हुआ न हो बस पान का पत्ता ही हो। उसके बाद पानी न पिएं और सो जाएं। इस उपचार को लगातार लाभ होने तक कई दिन तक लीजिये उम्मीद है कि एक सप्ताह में पर्याप्त लाभ दिखेगा और आपको संतुष्टि होगी।

मेरा जीवन बर्बाद होने से बचा लीजिए..........

डॉक्टर साहब को चरण स्पर्श, आपका ब्लॉग देखकर मैं आपके प्रति नतमस्तक हूँ क्योंकि आप निस्वार्थ लोगों की मदद कर रहे हैं। डॉक्टर साहब मुझे लगता है कि आप मेरे लिए मसीहा बनकर आए हैं। क्योंकि मेरी परेशानी ही कुछ ऐसी है कि जिसे ना तो किसी को बता सकते हैं और ना ही अंदर_ही_अंदर घुटकर जी सकते हैं। काफी प्रयासों (गुगल पर सर्च करके) मुझे आपका ब्लॉग प्राप्त हुआ। मुझे लगता है कि आप ही एकमात्र ऐसे इंसान है जो दूसरे इंसानों का दुख-दर्द समझते हैं। डॉक्टर साहब मेरी उम्र ३० वर्ष है, मेरी सेकंड मैरिज हुई है। पहली पत्नी के साथ मैंने २ साल सुखी वैवाहिक जीवन बिताया (इस समय कोई समस्या नहीं थी, फिर भी कोई संतान उत्पन्न नही हुई) लेकिन भगवान की मर्जी के आगे किसका बस चलता है, पहली बीवी नहीं रही। फिर २ साल इंतजार करने के बाद अब (फरवरी २००८) में मेरी दूसरी शादी मेरे से १० साल छोटी उम्र की लड़की से हुई है (मेरी बीवी की उम्र है २० साल और मेरी ३० साल) लेकिन अब मेरी पहले जैसी सेक्स की इच्छा नहीं रही। अब मेरी सेक्स में रुचि खत्म हो गई है। और सेक्स करने की कोशिश करता हूँ तो लिंग में पर्याप्त कठोरता नहीं आ पाती और बहुत जल्द ही शीघ्र पतन हो जाता है, जिससे मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पा रहा हूँ। मुझे दुख इस बात का है कि अभी तो शुरुआत है, अभी तो बच्चे भी पैदा करना होंगे, यह सब सोचकर मेरा मन घबराता है। अगर ३० साल की उम्र में यह हाल है तो ४० तक भगवान जाने क्या होगा, और वह (मेरी बीवी) ने तो अभी जवानी में कदम ही रखा है। उसे तो कम से कम १०-१५ साल तक संतुष्ट करना ही होगा नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। आप जानते होंगे डॉक्टर साहब की क्या अनर्थ हो जाएगा? (मेरा जीवन, और इज्जत बर्बाद हो जाएगी)। प्लीज डॉक्टर साहब मुझे इस मनुष्य जीवन का आनंद लेने का मार्ग बताएँ। वरना मुझे आत्महत्या के लिए और कोई रास्ता नहीं दिखाई देता। मैं क्या करू? एक बात और बताना चाहता हूँ कि पहली शादी के पहले मैंने ५-७ साल तक हस्तमैथुन भी किया था, और मुझे लगता है कि इसी के कारण मेरी आज यह हालत हुई है। प्लीज डॉक्टर साहब मेरा जीवन बर्बाद होने से बचा लीजिए। कोई अच्छी-सी दवाई बताएँ मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा। प्लीज आपसे मेरा बार-बार निवेदन है। आपकी सलाह के इंतजार में....
धन्यवाद
दिनेश कर्मा
दिनेश जी,विश्वास प्रदर्शित करने के लिये आपका आभारी हूं। आपकी समस्या जितनी बड़ी आपको महसूस हो रही है सच में वह आपकी मानसिक स्थिति के कारण है अन्यथा सब कुछ सामान्य है बस छोटी सी समस्या है। पहले तो एक बात विशेष ध्यान दीजिये कि आप रोज रात को भोजन के बाद एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल में घोल कर पी लिया करें ताकि कब्जियत न रहे और पेट बराबर साफ होता रहे। अब लीजिये कि क्या उपचार लेना होगा --
१ . शतावर ४० ग्राम + गोखरू ४० ग्राम + कुलंजन ४० ग्राम + विदारीकंद ४० ग्राम + कौंच(केवांच) के बीज ४ ग्राम + उटंगन के बीज ४ ग्राम + छोटी पीपल ४ ग्राम + छोटी इलायची के बीज ४ ग्राम + नागकेशर ४ ग्राम + सफेद मूसली ४ ग्राम + लाल चंदन ४ ग्राम + छरीला ४ ग्राम + गिलोय(गुळवेल)सत्व ४ ग्राम + वंशलोचन ४ ग्राम + मोचरस १० ग्राम ; इन सबको आप किसी भी आयुर्वेद के दवा विक्रेता से सरलता से ले सकते हैं इन्हें पीस कर सुबह शाम गाय के दूध से दो-दो चम्मच सेवन करें तथा उसके बाद १० ग्राम नारियल की गरी चबा लें।
२ . अश्वगंधा चूर्ण,चीनिया कपूर, खुरासानी अजवायन, जायफ़ल, जावित्री, अकरकरा,बच, शुद्ध भांग, रस सिंदूर ; इन सबको सात-सात ग्राम की मात्रा में लेकर कसकर घोंट लें। इन्हें पचास ग्राम मिश्री पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को चार-चार ग्राम की मात्रा में रात में भोजन के बाद मलाई मिला कर चाट लीजिये और अगर मिल सके तो ऊपर से एक मूली खा लीजिये।
३ . पुष्पधन्वा रस एक-एक गोली सुबह शाम दूध से लीजिये।
४ . वानरी गुटिका एक गोली + स्वर्णबंग एक रत्ती(१२५ मिग्रा)+ कौंचा पाक एक चम्मच मिला कर दिन में दो बार चाट लें ऊपर से दूध पी लीजिये।
यकीन मानिये कि चार दिन बाद आप खुद ही मुझे मेल करके धन्यवाद कर रहे होंगे कि चमत्कार हो गया। औषधि सेवन तीन माह तक करें व सेवन काल में मिर्च-मसाले व खटाई का सेवन न करें,मांसाहार बंद कर दें।

The doctors called this diseases "MYELITIES".

Dear Sir,
My name is Naveen Gupta and I live in Kharar (Punjab) Near Chandigarh, I read your website Aayushved.
On Oct. 28, 2007 , suddenly I felt pain in my back(spinal cord i.e. lumber area). then after few hours , the full area below stomach(i.e. both legs, urine and stool passing) stopped working means legs were not taking the weight and I was enable to move and urine and stools passing was not in control. Then I got the allopathic treatment from Chandigarh( Neuron Surgeon). The doctors called this diseases "MYELITIES". At that time only, I came to know that I am diabetic patient also. Earlier I was completely on wheel chair, Then I have taken some ayurvedic medicines(Vatchintamani Ras, Yoginder Ras with Honey and two time Massage with Dabur Lal Tail mixed with Ajvain, Affim, Mushak Kapur) due to which I started walking with the help of Stick. No doubt, There is a great improvement but, still I cannot walk properly like a normal man. There is a major problem in my left leg ( I feel as if there is a strain and sprain in left thigh).
Please tell me the best treatment for my problem.
Thanks
Naveen Kumar Gupta
H.No 3323, W.No-9,
Kharar(Punjab)-140301
Naveenkhoney@hotmail.com
Akshitnaveen@yahoo.co.in
Mobile 9888169656
नवीन जी आपकी समस्या को समझा और इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि अब आपको योगेन्द्र रस का सेवन बंद कर देना चाहिये तथा वृहत वात चिन्तामणि रस एक-एक गोली दिन में तीन बार दूध के साथ लें। महानारायण तेल की पांच मिली तेल का दिन में एक बार (बस्ति)एनिमा लें,यह काम करने के लिये आप नित्य कर्म से फारिग हो कर नाश्ता करने के बाद एक 10 ML वाली डिस्पोजेबल सिरिंज ले लीजिये व उसमें निडिल न लगाएं तथा ५ मिली तेल इसमें भर कर मलद्वार में लगभग आधी सिरिंज डाल कर वह तेल गुदा के अंदर पिचकारी की तरह हल्के हाथ से छोड़ दें। इसके बाद पैरों को ऊपर करके आधा घंटा लेटे रहें जिससे कि तेल बाहर की तरफ़ न बह आए। यह क्रिया एक माह तक नियमित रोज करिये। प्रभावित अंग पर महानारायण तेल से ही मालिश करवाइये। साथ ही साठी कि चावलों को पका कर कपड़े में बांध कर प्रभावित अंग की सिकाई करिये। लगातार तीन माह सिकाई व औषधि सेवन से आप पहले की तरह दौड़ने लगेंगे यह आश्वासन मैं आपको आयुर्वेद के प्रति निष्ठा के साथ दे रहा हूं। ईश्वर करे कि आप उक्त अवधि से पहले ही स्वस्थ हो जाएं।

बुधवार, जून 18, 2008

जुखाम बना ही रहता है और........

सर में अपनी जुखाम से बहुत परेशान हूँ आज से लगभग 6 साल पहले मुझे typhoide हुआ था उस समय साथ साथ मुझे जुखाम भी हो गया था. जुखाम इतना हुआ की मेरे नाक से गंदगी के साथ साथ बहुत गन्दी बदबू आने लगी थी / एक कई दोक्टारो से दिखाया पर आराम नही मिला उन दवानिओं से बदबू तो बंद हो गई पर मुझे उसके बाद मै जुखाम बना ही रहा / कई इलाज करवा चुका हूँ अब तो गर्दन के पीछे की तरफ़ दर्द भी रहने लगा है/ आंखे भारी भारी रहती है / सिर भी भारी रहता है सारा शरीर भी परफेक्ट नही रहेता है शरीर भी भारी भारी रहता है / काम मै दिल नही लगता है / कई दोक्टोर्स से इलाज करवा चुका हूँ पर कही भी कुछ आराम नही दिखाई देता है एईलोपथिक और आयुर्वेदिक दवा भी खा चुका हूँ पर कुछ आराम नही है. आपसे अनुरोध है की किर्प्या करके कुछ मेरे लिए कारगर इलाज बताने की क्रीपा करे. आपकी महान किरपा होगी. रमेश मैथानी जोसीमाथ चमोली (उत्तराखंड)
रमेश जी आपने अपनी समस्या के बारे में आपने जो भी लिखा है वह ये बताने के लिये पर्याप्त है कि आपको कितनी परेशानी हो रही है। अब आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी। लीजिये समाधान प्रस्तुत है -
१ . आप १०० ग्राम खड़ी हल्दी की गांठे ले लीजिये और एक मिट्टी का छोटा सा मटका या घड़ा और अब इस घड़े में चूना लेकर ऐसी तह लगा दीजिये कि उसके ऊपर आप हल्दी की गांठें रख सकें तथा शेष रहा चूना इसके ऊपर तह लगा कर रख दीजिये और ऊपर से इतना पानी ऐसे डाल दीजिये कि ये सब डूब जाए लेकिन वो तहें न हिल पाएं। अब इसे ढंक कर किसी स्थान पर सुरक्षित रख दें चार पांच दिन में जब पानी सूख जाए तो हल्दी की गांठो को निकाल कर हाथ से रगड़ कर साफ़ कर लें फिर इसका बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को आधा चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद शहद से चाट लिया करें।
२ . नाक के दोनो छेदों में षड्बिन्दु तेल की छह-छह बूंदें दिन में दो बार डालिये।
३ . कपूर १० ग्राम + पिपरमिंट(जो पान में ठंडक के लिये पानवाले डालते हैं) १० ग्राम मिला कर एक बहुत टाइट ढक्कन की शीशी में रख दें ये मिल कर तेल बन जाएगें। इसे दिन में दो बार सिर के तालू में लगाइये।
बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स से परहेज़ करिये आपको तुरंत लाभ होगा।

सफेद दाग हैं, माताजी व बहन को भी हैं यानि कि आनुवांशिक......

एक महिला...उनकी उम्र २४ साल है और पिछले १२ सालोंसे सफ़ेद दाग नामकी बीमारी से पीड़ित हैं...उनकी माँ के पूरे शरीर में सफ़ेद दाग हैं... यानी बीमारी आनुवंशिक है..इनकी बहन भी देखते देखते पुरीतरह से सफ़ेद हो गई है...और इन मित्र के दोनों पैरों में लम्बाई में सफ़ेददाग हैं...खासकर उँगलियों की हड्डियाँ जहाँ से उंगलियाँ होती हैं....यानि उँगलियों के उभारों पर सफ़ेद दाग हैं..हाथ में लम्बे लम्बे चकत्ते हैं..इतना ही नही कई छोटे छोटे दाग पूरे शरीर में उभर रहे हैं...कुल मिलाकर शरीर का ३० फीसदी हिस्सा सफ़ेद दाग की चपेट में है....अभी आप ही की तरह एक मानवीय इंसान से मिलकर था जिसका मकसद भी जड़ीबूटियों के जरिये लोगों को ठीक करना है..वे बेहद काबिल भी लगे ...एक ख़ास बात जो उन्होंने बताई वो यह की अब ये दाग कभी ठीक नही हो सकते क्यूंकि ये बहुत पक्के हो चुके हैं... उन्होंने मेरी मित्र के हाथों में चिकोटीकाटी और उनको खूब दबाया पर अचरज की बात की उनमें न कोई निशाँ बना न कोई खून के दौरान का निशाँ था जैसा आम आदमी को अगर किया जाए तो वहाँ लाल हो जायेगा या निशाँ बन जायेगा...उन सज्जन ने बताया की त्वचा की जितनी परतें हैं वे सब प्रभावित हैं सफ़ेद दाग के रोग से...और नसों में खून का दौरानही नही हो रहा है...उन सज्जन ने कहा की जब खून का दौरान ही नही हो रहा त्वचा के उस स्थान में तो वहाँ कुछ होने के चांस बिल्कुल नहीहैं...उदाहरण देते हुए कहा की जैसे एक वायरस अपने आस पास की चीजों को प्रभावित करता है उसी तरह सफ़ेद दाग के चकत्ते भी बाकी बची त्वचा को प्रभावित कर सफ़ेद दाग फैला रहे हैं... वह इंसान अपनी समाजसेवा के लिए जाना जाता है और उसने कहा की डॉक्टर भले पैसा कमाने के लिए आपको टहलाते रहे पर इसका कोई इलाज नही है...अभी इनके चेहरे पर एक स्पॉट है जो इनके मुताबिक आगे सफ़ेद दाग में बदल जायेगा... मेरी मित्र जो दुनिया की बेहतरीन इंसानों में हैं कई बार रो चुकीहैं परेशान हो चुकी हैं.......(उन सज्जन ने कहा कि लयूकोदेर्मा नामक पौधे का रस देंगे वह लगाने के लिए जिससे थोड़ा बहुत फायदा होगा)... पत्र काफ़ी विस्तार से है अतः आवश्यक जानकारी को ही लिया जा रहा है।
उपाय बताइये। धन्यवाद
अनाम
आपकी मित्र की समस्या को गहराई से समझा,निस्संदेह वे बहुत मानसिक पीड़ा का सामना कर रही हैं। आपने विस्तार से बताया है कि इन्हें ये रोग आनुवांशिक कारणों से हुआ है और वे कई जगह उपचार भी ले चुकी हैं। आपने ये भी लिखा कि किन्ही सज्जन ने उन्हें ल्युकोडर्मा नामक पौधे का रस देंगे जो कि उन्हें आंशिक लाभ देगा। जहां तक मेरी वनस्पति शास्त्र की जानकारी है इस नाम के किसी पौधे,पेड़ या लता आदि से मैं परिचित नहीं हूं क्या ये कोई विदेशी पौधा है? मेहरबानी करके उन सज्जन से इस विषय पर स्पष्ट जानकारी लेकर मुझे सूचित अवश्य करें और उन्हें बताएं कि यदि वे सचमुच सेवा का भाव रखते हैं तो आयुषवेद के माध्यम से उक्त जानकारी अधिकतम लोगों को लाभान्वित कर पाएगी। एक बात बताना अनिवार्य मानता हूं कि जिस प्रकार गंदे वस्त्र पर यदि हम कोई रंग करना चाहें तो वह ठीक से न चढ़ सकेगा इसलिये उसे धो-सुखा कर ही रंग करना सही तरीका है इसी तरह यदि जीर्ण हो चुके रोगों में शरीर का सम्यक शोधन न करा जाए तो दी हुई मूल्यवान से मूल्यवान औषधि व्यर्थ हो जाती है। देह के शोधन की प्रक्रिया कदाचित थोड़ी बड़ी सी लगेगी किन्तु इतना तो आपकी मित्र को करना होगा और संभव है कि आपको भी इसमें सहयोग करना पड़े। आयुर्वेद में देह के शोधन के लिये शास्त्रोक्त पद्धति है "पंचकर्म"। ये हैं -- स्नेहन,स्वेदन,वमन,विरेचन तथा मर्दन ; आवश्यकतानुसार इनमें से कभी-कभी किसी एक-दो या सभी कर्मो का प्रयोग करा जाता है। पहले आप इनको पंचकर्म के लिये मानसिक तौर पर तैयार कर लें व बताएं कि रोने से समस्याओं का हल नहीं मिलता अतः डट कर बीमारी से लड़ पड़ें ताकि आरोग्य जय कर सकें। सर्वप्रथम स्नेहन के लिये इन्हें पहले दिन नाश्ता करने के बाद पंचतिक्त घृत २५ ग्राम की मात्रा में बाकुची के काढ़े के साथ पिलाएं। बाकुची के काढ़े को बनाने के लिये १० ग्राम बाकुची के चूर्ण को दो कप पानी में उबालें व आधा रह जाने पर छान लें बस बन गया काढ़ा प्रयोग के लिये। दूसरे दिन से चौथे दिन तक ५० ग्राम की मात्रा में पंचतिक्त घृत पिलाएं। स्नान करने के बाद सारे शरीर पर बाकुची के तेल से कम से कम आधा घंटे कसकर रगड़-रगड़ कर मालिश करी जाए। ये पक्रिया कुल मिलाकर चार दिन जारी रखिये और इस दौरान पंचतिक्त घृत पिलाने के बाद आधा घंटे घूमे फिरें ताकि उस स्नेह द्रव्य का देह में संचार हो जाए यदि विश्राम करा तो कार्य व्यर्थ हो जाएगा और फलीभूत न होगा। दोपहर में जोर से भूख लगने पर पुराना चावल और दूध मिला कर दें उपचार काल तक यदि कुछ और जीभ के स्वाद के चक्कर में खाया तो मूर्खता होगी और प्यास लगने पर सादे पानी के स्थान पर जौ को पानी में उबाल कर ’बार्लीवाटर" तैयार कर लें वह दें। इसके बाद स्वेदन करना होगा यानि कि जैसे आजकल आधुनिक लोग "सोना बाथ" लेते हैं यानि कि पसीना लाकर त्वचागत दोषों को बाहर आने को प्रेरित करना। इसके लिये इन्म चीजें प्रत्येक १०० ग्राम लें -- नीम के पत्ते + बेर के पत्ते + खैर(जिससे कत्था बनता है) की छाल + इन्द्रायण के फल + हल्दी + बाकुची + चित्रक + आक(इसे मदार या अकवन या अकउआ या अकौड़ा भी कहते हैं) के पत्ते + दशमूल का चूर्ण(ये बना हुआ आयुर्वेदिक दवा विक्रेताओं के पास मिल जाएगा) लेकर हलका मोटा सा कूट लें। इस मिश्रण को दस लीटर पानी में डालें(आप आवश्यकतानुसार दवा इसी अनुपात में कम कर सकते हैं) प्रेशर कुकर के ऊपर की सीटी को निकाल कर उसके स्थान पर एक ट्यूब फ़िट कर दें ताकि मिश्रण के उबलने पर निकलने वाली भाप को हम एक स्थान पर उपयोग कर सकें इस ट्यूब के द्वारा उस भाप को प्रभावित स्थान पर छोड़ें जैसे कि बच्चों को जुकाम होने पर या स्त्रियां सौंदर्योपचार लेते समय वेपर्स लेती हैं,ठीक उसी तरह करना है कि प्रभावित अंग पर वह औषधीय भाप अपना प्रभाव दिखा सके। यदि बतायी गयी औषधियों में से कोई न मिले तो जितनी मिलें उन्हें ही प्रयोग कर लें। बाद में आधे घंटे के स्वेदन के बाद कुकर में जो पदार्थ बचा है उसे एक कपड़े की पोटली में बांध कर शरीर पर सेंके। यह कार्य आप चार दिन तक करें। अब रोगी को वमन कराना है ताकि जो दोष आमाशय में आ गये हैं वमन से बाहर निकल सकें। इसके लिये अगले दिन सुबह सुबह नित्य कर्म से फ़ारिग होकर बिलकुल गले तक भर कर गन्ने का रस पिलाएं और इतना पिलाएं कि पेट तो भर जाए व अधिकता के कारण जी मिचलाने लगे कि अब उल्टी हो जाएगी ऐसे में गले में उंगली डाल कर उल्टी कर दें जिससे उत्क्लेष होकर सारा दोष वमन से बाहर आने को प्रेरित होगा। जब पेट के आहार के निकलने के बाद पीत औषधि व कुछ चिकनाई आदि निकल कर डकार आ जाए तो समझिये कि वमन पूर्ण हो गया। भूख लगने पर कोई भी फल का जूस दें तथा दोपहर में मूंग की एक दम पतली खिचड़ी दें व रात को भोजन में खिचड़ी,दलिया अथवा सत्तू दें। इस तरह से तीन दिन करें। अब आगे के चार दिन तक बस हल्का भोजन दें जिसमें साग आदि हो भारी भोजन वर्जित है यानि चार दिन तक देह को विश्राम देना है इसके बाद अब सुबह पहले की भांति पंचतिक्त घृत ५० ग्राम की मात्रा में बाकुची के काढ़े के साथ पिलाएं व दो घन्टे बाद दो चम्मच गन्धर्व हरीतकी नामक औषधि योग को एक कप हलके गर्म जल में घोल कर पिला दें इससे कुछ देर बाद तीन चार दस्त होंगे जब भूख लगे तो मूंग की दाल की खिचड़ी व दलिया साबूदाना आदि हल्का आहार दें। इस तरह अगले दिन भी करें यानि विरेचन कर्म दो दिन करना है फिर बंद कर दें। अगर पेट में दस्तों के कारण दर्द हो तो एक गोली हाजमोला दे सकते हैं।
इस क्रम को यानि पंचकर्म को करने के बाद अब बारी आती है औषधि उपचार की जिसके लिये उन्हें निम्न औषधियां नियमानुसार दें --
१ . पंचतिक्त घृत गुग्गुल एक गोली + आरोग्यवर्धिनी बटी दो गोली + उदयभास्कर रस एक गोली दिन में तीन बार चार चम्मच खदिरारिष्ट+महामंजिष्ठादि क्वाथ के मिश्रण से दें,खाली पेट न दें।
२ . बाकुची चूर्ण १०० ग्राम + रस माणिक्य ५० ग्राम मिला कर जोर से घॊंट लें व दिन में दो बार इसमें से एक-एक ग्राम मात्रा लेकर गोमूत्र के साथ दिन में दो बार सेवन कराएं।
३ . बाकुची २० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म ५ ग्राम + लौह भस्म ३ ग्राम + रसौत ४ ग्राम + काले तिल १० ग्राम + चित्रक ५ ग्राम; इन सबको घॊंट कर मिलालें व दो ग्राम मात्रा को गोमूत्र के साथ दिन में तीन बार सेवन करें, खाली पेट दवा न लें।
४ . अच्छी मेंहदी के ताजे पत्ते ४० ग्राम + अदरक का रस १० ग्राम + सोना गेरू(लाल गेरू) ४० ग्राम + बाकुची १० ग्राम मिला कर कस कर पीस कर गोला बनाकर सुखा लें व दिन में कम से कम दो बार प्रभावित अंग पर अदरक के रस में घिस कर लेप करें।
इस पूरे उपचार को पूर्ण लाभ होने तक जारी रखें,धैर्य रखें जल्दबाजी करके बार बार दवा और चिकित्सक बदलना लाभकारी नहीं होता। मूली,मछली, बैंगन, आलू,सरसों का तेल, गुड़, खटाई, मसूर, चायनीज व्यंजन, बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स का सर्वथा परहेज़ करें। यकीन करिये कि आरोग्य प्राप्त होगा व पुनः स्त्रियोचित सौन्दर्य की प्राप्ति होगी। मेरी तरफ़ से बहन को ये आयुर्वेद पर विश्वास के साथ आश्वासन है।

सोमवार, जून 16, 2008

नाक से बहुत भयंकर बदबू आती रहती है........

डा.साहब,मेरी उम्र ४२ साल है। पिछले एक साल से लगातार मुझे हल्का-हल्का सा सिरदर्द बना रहता है। और अक्सर सर्दी-जुकाम हो जाया करता है। मामूली से चक्कर भी कभी-कभी आ जाते हैं। अब पिछले दो माह से मेरी हालत ऐसी हो गयी है कि मुझे कहीं भी आने-जाने में शर्म महसूस होती है क्योंकि मेरी नाक से बहुत भयंकर बदबू आती रहती है जो कि मुझे भी खुद एहसास होता है ऐसा लगता है कि गाल और नाक की हड्डी के अंदर कुछ सड़ रहा हो। तमाम डाक्टरों को दिखा चुका हूं हर डाक्टर अलग-अलग रंग की दवाएं दे देते हैं लेकिन मुसीबत है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही। मेरी मदद करिये।
राजेन्द्र मदान,झांसी
राजेन्द्र भाई,आपका रोग कोई बहुत बड़ा रोग नहीं है परेशान न हों ,आपको सही उपचार मिल जाता तो यह नौबत ही न आती। आपको "पीनस" नामक रोग हुआ है जो कि सरलता से ठीक हो जाता है। आप निम्न उपचार लीजिये और खुद को उपचार के एक माह बाद तक धूल, धुंए, छौंक-बघार आदि से बचा कर रखिये--
१ . शिरशूलादिवज्ररस एक गोली गर्म जल से रात्रि भोजन के बाद दे कर सो जाएं। यह दवा मात्र एक सप्ताह तक ही लें फिर बंद कर दें इससे आपको होने वाला हमेशा का सिरदर्द समाप्त हो जाएगा।
२ . कहरवा पिष्टी २ रत्ती(२५० मिग्रा) + लक्ष्मीविलास रस(अभ्रक वाला) २ रत्ती मिला कर शहद से दिन में दो बार भोजन के बाद चाटें। इस दवा को भी एक सप्ताह ही लें।
३ . षडबिन्दु तैल दोनो नाक के छिद्रों में दिन में दो बार छह-छह बूंद डालें। इस उपचार को समस्या समाप्त होने तक प्रयोग करें।
४ . अजमोदादि बटी एक-एक दिन में दो बार भोजन के बीच में निगल जाएं। इस उपचार को भी समस्या समाप्त होने तक प्रयोग करें।
अधिकतम एक माह में आपकी साल भर की समस्या हमेशा के लिये गायब हो जाएगी।

शनिवार, जून 14, 2008

गर्भाशय के अंदर antricrial side पर एक fibroid है.....

डा.साहब,मेरी मम्मी की उम्र ४४ साल है। उन्हें पिछले चार माह से लगातार मासिक धर्म के समय बहुत कष्ट हुआ करता है कभी मासिक स्राव एकदम ज्यादा होता है और कभी आता ही नहीं है,भयंकर दर्द हुआ करता है,पेट और कमर में भी बहुत दर्द हुआ करता है। सोनोग्राफ़ी की रिपोर्ट में गर्भाशय का आकार ११.१-५.२-७.६ सेमी है और गर्भाशय के अंदर antricrial side पर एक fibroid है जिसका आकार २.९-२.४-३.६ सेमी है। यहां के डाक्टर ने कहा है कि यदि गर्भाशय नहीं निकाला आपरेशन से तो कैंसर हो जाएगा। हमारी स्थिति अभी ऐसी नहीं है कि आपरेशन का खर्च उठा सकें। क्या आपरेशन के बिना दवाओं से मम्मी स्वस्थ हो सकती हैं और दवाओं पर कितना खर्च आएगा? हमारी सहायता करिये।
अन्नपूर्णा,रींवा
अन्नपूर्णा बहन,आपकी माताजी की समस्या का हल दवाओं से ही हो जाएगा, आपरेशन करवाने की हरगिज़ कोई आवश्यकता नहीं है। पेशेवर चिकित्सक तो आपरेशन की सलाह इसलिये झट से दे देते हैं क्योंकि उसमें उन्हें भरपूर धन मिलता है और यदि वे स्वयं सर्जन हैं तो सारा धन उनका होता है। आप माताजी को नीचे बताई दवाएं धैर्यपूर्वक सेवन कराएं विश्वास करें कि उन्हें दो-तीन दिन में ही लाभ महसूस होने लगेगा।
१ . वरादि कषायम ५ मिली + व्रणादि कषायम ५ मिली + सुकुमार कषायम ५ मिली, इन तीनों को मिला कर एक खुराक बनाएं व दिन में दो बार पिलाइये था इस दवा के पीने के तुरंत बाद ही वस्तिमयांतक घृतम १० मिली चटा दें और ऊपर से लगभग एक कप गर्म जल पिला दीजिये। ये दवाएं खाली पेट दें।
२ . मुस्तारिष्ट १० मिली + अशोकारिष्ट १० मिली + लोध्रासव १० मिली मिलाकर भोजन से दस मिनट पहले बराबर मात्रा यानि ३० मिली जल मिला कर पिलाइये। ये दवा दिन में दो बार दें।
३ . सुकुमार लेहम १० ग्राम की मात्रा में भोजन करने के बाद दिन में दो बार दूध से दें।
४ . अविपत्तिकर चूर्ण ५ ग्राम रात में एक बार भोजन के आधे घंटे बाद गर्म जल से दें।
५ . सप्ताह में एक बार पिण्ड तेल से हल्के हाथ से प्रभावित स्थान पर मालिश करें व फिर गुनगुने जल से स्नान करवाएं।
इनमें से कुछ दवाएं "आर्य वैद्यशाला कोट्टकल,केरल" द्वारा बनाई जाती हैं। अन्य फार्मेसियां भी संभव है कि बनाती हों किन्तु मुझे जानकारी नहीं किन्तु यदि आप को प्राप्त हो तो सहूलियत के अनुअसार आप किसी भी अच्छी कंपनी की दवा ले सकती हैं मैं किसी विशेष कंपनी का नाम प्रोत्साहित नहीं करता हूं। इन दवाओं की एक माह की कीमत मेरे अनुमान से पांच सौ रुपए के अंदर ही होगी और आप यदि छह माह लगातार भी दवा लेती हैं तो मात्र तीन हजार रुपए खर्च होते हैं और आपकी माताजी को आपरेशन की पीड़ा से व बहुत मंहगे इलाज से बचाया जा सकेगा।

गुरुवार, जून 12, 2008

श्रवण शक्ति कमजोर हो गयी है....

डा.साहब मुझे लगता है कि मेरी श्रवण शक्ति कमजोर हो गयी है। एक ही बात को कई बार पूंछना पड़ता है। कोई उपचार बताएं। धन्यवाद
पंकज
पंकज जी आपने अपनी समस्या कि अत्यंत संक्षिप्त में लिखा है। श्रवण शक्ति कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से एक बहुत ही सामन्य सा प्रतीत होने वाला कारण है पूर्वकाल में बहुत ही तेज़ जुकाम और जो कि एंटीबायोटिक दवाओं से दबा दिया गया हो। अतः समस्या विस्तार से लिखें तो समझना आसान होता है। आप निम्न औषधियों का प्रयोग करें यदि पंद्रह दिन तक प्रयोग करने पर लाभ प्रतीत हो तो जारी रखें अन्यथा बंद कर दें-
१ . इन्दु बटी एक-एक गोली सुबह-शाम शहद के साथ लें।
२ . कड़वे बादाम के तेल में ल्हसुन पका लें जब धीरे-धीरे आंच पर पक कर लहसुन काले हो जाएं तो निकाल कर तेल छान लें व दोनो कानों में दो दो बूंद सुबह शाम डाला करें।

पक्षाघात(लकवा) की समस्या है पूरा बांया अंग प्रभावित है।

डा.साहब नमस्ते, मेरे ससुर जी को पक्षाघात की समस्या हो गयी है और पूरा बांया अंग प्रभावित है। वे बोल तो रहे हैं किन्तु अस्पष्ट सा जोकि हम लोग समझ नहीं पाते हैं। हमें ये भी नहीं पता कि वे हम लोगों को पहचान पा रहे हैं कि नहीं? तत्काल कोई प्रभावी उपाय बताइये ताकि वे शीघ्र स्वस्थ हो सकें। धन्यवाद
छत्तीसगढ़ से एक पाठक
आत्मन बंधु,आप ससुर जी के उपचार के लिये तत्काल निम्न औषधियां शुरू कर दें -
१ . रास्ना ३ ग्राम + वातगजांकुश रस ५०० मिग्रा. + विडपिष्टी(यानि कि कबूतर का मल/टट्टी/बीट) २५० मिग्रा + लहसुन २ ग्राम + मल्ल सिन्दूर २५० मिग्रा.
इन सबको लेकर भली प्रकार घोंट लें व सुबह - दोपहर - शाम को महारास्नादि काढ़े के दो चम्मच दवा के साथ दें ,बताई गई मात्रा एक खुराक की है।
२ . एकांगवीर रस सुबह-दोपहर-शाम को एक एक गोली दशमूल क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दीजिये।
३ . रस सिन्दूर २० ग्राम + विषतिन्दुक बटी १० ग्राम + लौह भस्म २० ग्राम + त्रिकटु चूर्ण २० ग्राम इन सबको खरल में घॊंट कर मिला लें व अदरक का रस मिला कर २५० मिग्रा. की गोलियां बना लें। सुबह दोपहर शाम को दो -दो गोली तीन ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण के साथ मिला कर गर्म जल से दें।
४ . महाविषगर्भ तेल से प्रभावित अंगो पर मालिश करिए व उन अंगों को हवा न लगने दें।
यदि विश्वास हो तो "बजरंग बाण" का सस्वर जाप उनके सामने कम से कम सात बार करें तो शीघ्र लाभ संभाव्य है।

मंगलवार, जून 10, 2008

सैरिब्रो स्पाइनल फ़्लुइड(cerebro spinal fluid) बढ़ा हुआ है।

डा.साहब नमस्ते, मेरे पापा की उम्र ४५ साल है। उन्हें पिछले दो माह से भयंकर चक्कर आया करते थे तो स्थानीय एम.डी. के पास ले जाने पर उसने तमाम जांच करीं और बताया कि सैरिब्रो स्पाइनल फ़्लुइड(cerebro spinal fluid) बढ़ा हुआ है। सलाह दी है कि इसके लिये पापा की रीढ़ की हड्डी में छेद कर पानी निकाला जाएगा जिसे सुन कर ही मेरी माता जी को बहुत कष्ट हो रहा है कि पता नहीं कैसी होगी ये प्रक्रिया और पापा को कितनी तकलीफ़ होगी। क्या आयुर्वेद में इसका कोई ऐसा इलाज है कि ये छेद करने के झंझट से बचा जा सके सिर्फ़ दवा खाकर ही बीमारी ठीक हो जाए। धन्यवाद
मोहित राज,फरीदाबाद
मोहित जी आपके पापा की समस्या के संबंध में आप अपनी माता जी को सर्वप्रथम आश्वस्त कर दीजिये कि आपके पापा को रीढ़ की हड्डी में छेद करके पानी निकलवाने के कष्टप्रद और खर्चीले आपरेशन से गुजरना नही पड़ेगा बल्कि वे मात्र मुंह से खाई जाने वाली औषधि से ही ठीक हो जाएंगे। आप नीचे लिखी दवाओं को एकत्र करके औषधि योग बना लें और उसका लगातार दो माह तक सेवन कराएं फिर उसके बाद जांच करवा लें यदि आवश्यकता हो तो औषधि एक माह और जारी रखें अन्यथा बंद कर दें--
१ . रस सिन्दूर २ ग्राम + जवाखार(यवक्षार) २ ग्राम + रेवतचीनी २ ग्राम + छोटी इलायची के दाने २ ग्राम + भारंगी २ ग्राम + तेजपत्र २ ग्राम + हरड़ २ ग्राम + इंद्रायण मूल २ ग्राम ; इन सब को लेकर जोर से खरल करें और मिश्रण तैयार हो जाने पर इसमें १५ ग्राम ताम्र भस्म तथा १५ ग्राम अभ्रक भस्म(साधारण) मिला लें। इस चूर्ण की एक-एक रत्ती मात्रा दिन में तीन बार दूध के साथ दें किन्तु ध्यान रहे कि खाली पेट दवा न दें। इस चूर्ण को अम्बुशोषण चूर्ण नाम से जाना जाता है। यह देह में पसीने की ग्रन्थियों, किडनी व आतों की क्रिया को बढ़ा कर मस्तिष्कगत बढ़े हुए जल को मल-मूत्र व पसीने से बाहर निकाल देता है।
आप अपने पिताजी को तेज मिर्च-मसालेदार आहार से परहेज करवाएं व औषधि सेवन काल में कोई नशा न करने दें साथ ही मांसाहार(अंडे भी) बंद करा दें।

बुधवार, जून 04, 2008

मेरी समस्या है मेरा मोटापा..........

नमस्कार डॉक्टर साहब मेरी समस्या यह है की मेरा मोटापा. मैंने खाने पर नियंत्रण रखा, वयाम भी किया पर कोई नतीजा नही निकला. मैं बहुत परेशां हूँ . मैं एक कॉल सेंटर मैं काम करती हूँ और आपको पता है की हमारा सारा काम बैठे बैठे ही होता है. आपसे विनती है की कोई आयुर्वेदिक दवा बताएं जिससे मेरा मोटापा कम हो सके और मैं अपने purane jeans पहन सकूं. मोटापे की वजह से मेरा आत्मविश्वास धीरे धीरे कम हो रहा है. आपके उत्तर का बेसब्री से इंतज़ार है. - पिंकी दास
पिंकी जी आपकी समस्या को समझा और इस नतीजे पर आया हूं कि आपकी स्थूलता का संबंध आपके भोजन से न हो कर आपके कार्य एवं जीवन शैली से संबंधित है। साधारणतया मैं आपको कुछ व्यायाम भी बता सकता हूं कि आप अमुक आसन या प्राणायाम करें किंतु मैं इस बात को भली प्रकार से जानता ही हूं कि आपके पास समय का सर्वथा अभाव होगा कि आप नियमित रूप से एक या डेढ़ घंटे व्यायाम कर सकें। अतः आपको बस इतना कहना चाहता हूं कि आप कोई सा भी फ़ास्ट फ़ूड खाने से परहेज़ करें, जब तक तेज भूख न लगे तब तक भोजन न करिये वरना नौकरी करने वाले लोगों को मैंने पाया है कि लंच टाइम हुआ तो भूख हो या न हो उसके बाद समय न रहेगा और सहकर्मी खाने के लिये बैठ गये है इसलिये आप भी खाने न बैठ जाएं। नीचे बताई गयी औषधियों का नियम से न्यूनतम छह माह तक सेवन करें ताकि स्थायी प्रभाव मिल सके--
१ . मेदोहर विडंगादि लौह २५० मिग्रा. + मेदोहर गुग्गुल २५० मिग्रा. + आरोग्यवर्धिनी बटी १ गोली इन सबका दिन में तीन बार एक चम्मच अभयारिष्ट में एक चम्मच शहद मिला कर एक कप गर्म जल से सेवन करें।
२ . त्रिफला गुग्गुल २५० मिग्रा. दिन में तीन बार मेदारि के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार लीजिये।
विश्वास रखिये कि आपका वजन और स्थूलता समाप्त होकर आप दिन ब दिन आकर्षक होती जा रही हैं,विश्वास महौषधि है इस सिद्धांत का चमत्कार आप सहज ही देख सकेंगी।

रविवार, जून 01, 2008

आंख में नाखूना रोग है जिसका इलाज सिर्फ़ आपरेशन है......

डाक्टर साहब नमस्ते,मेरी उम्र २५ साल है। सर मेरी प्राब्लम यह है कि मेरी दांयी आंख की काली पुतली के पास एक सफ़ेद रंग का निशान है। मैंने डा० को चैक कराया तो उसने बताया कि आंख में नाखूना रोग है जिसका इलाज सिर्फ़ आपरेशन है और जब भी आपरेशन किया जाएगा यह पूरी तरह रेटिना(काली पुतली) पर फैल जाएगा। इसके कारण मेरे सिर व आंख में काफ़ी दर्द रहता है। सर क्या इसका एकमात्र निवारण आपरेशन ही है? आपसे निवेदन है कि कोई अच्छी सी दवाई बताने की कृपा करें। मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।
जया, ग्रेटर नोएडा
जया जी,आपकी समस्या का एकमात्र हल यदि किसी चिकित्सक ने बताया कि आपरेशन ही है तो वो निस्संदेह ही आपकॊ मूर्ख बनाने का प्रयत्न कर रहा है। आपरेशन तो ऐसी स्थिति में करने की सलाह दी जाती है कि जब अन्य कोई विकल्प न हो किंतु आजकल के दुकानदार किस्म के चिकित्सक फ़टाक से पहले आपरेशन की ही सलाह दे देते हैं क्योंकि उसमें आपका बिल ज्यादा से ज्यादा बनाया जा सकता है। आप निम्न औषधियों को नियम से छह माह तक लीजिये आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी साथ ही नजर तेज भी हो जाएगी।
१ . त्रिफ़ला चूर्ण १५ ग्राम + परवल ५ ग्राम + नीम की छाल ५ ग्राम + अड़ूसा( इसे रूस या रूसा भी कहा जाता है) ५ ग्राम ; इन सबको लेकर तीन गिलास पानी में उबालिये व डेढ़ गिलास रह जाने पर इसमें शोधित गुग्गुल एक चम्मच मिला कर घोल लें, इसके दो भाग कर लीजिये व एक भाग सुबह नाश्ते के बाद तथा दूसरा भाग शाम को पी लीजिये।
२ . महात्रिफलादि घृत आधा-आधा चम्मच दिन में तीन बार सेवन करें व ऊपर से एक कप ठंडा(फ्रिज का नहीं बल्कि सामान्य तापमान का) दूध यदि हो सके तो पी लीजिये।
३ . आंखो में शहद को काजल की तरह से लगाया करिये,दिन में कम से कम दो बार।
इस उपचार को न्यूनतम तीन माह तक लीजिये ताकि दुबारा जीवन में कभी समस्या न हो और आंखो में शहद लगाना तो आप आजीवन प्रयोग कर सकती हैं।

आंखो की पलकों में रूसी, खुजली व पानी भी आता है।

सर, नमस्ते मेरी आंखो की पलकों में रूसी सी रहती है जिसके कारण आखों में खुजली होती रहती है तथा आखों में दर्द भी रहता है। सर मैं कम्प्यूटर पर काम ज्यादा करता हूं इसलिये आंखों से पानी भी आता है। अतः आपसे निवेदन है कि मेरे लिये अच्छी सी दवा बताएं।
सतीश, दादरी
सतीश जी, आपने अपनी जो समस्या लिखी है वो प्रतीत होता है कि काफ़ी समय से है लेकिन चिन्ता न करें। कम्प्यूटर पर काम करना ज्यादा समय तक जाहिर है कि नुकसान करता ही है किन्तु फिर भी अगर आपकी रोजी-रोटी ही इससे चल रही है तो आप इस काम को बदल तो नहीं सकते हैं। लीजिये समाधान प्रस्तुत है और इस उपचार को नियमित रूप से प्रयोग करिये-
१ . आंवला १५ ग्राम + बहेड़ा १० ग्राम + हरड़ ५ ग्राम को लेकर दो गिलास जल में उबालिये फिर आधा रह जाने पर इसे छान कर ठंडा होने पर पीजिये। इस औषधि को दिन में दो बार सुबह शाम प्रयोग करिये। ध्यान रहे कि रोज ताजा बनाएं फ्रिज में बना कर न रखें वरना वह प्रभाव नहीं मिलेगा।
२. शुद्ध शहद को दिन में तीन आर उंगली से काजल की तरह से लगाइये यदि आपको शुद्ध शद न मिल सके तो बाजार में उपलब्ध किसी भी औषधि विक्रेता से "जीवदया नेत्रप्रभा" नामक रेडीमेड दवा ले लीजिये यह भी अत्यंत प्रभावकारी औषधि है।
इस उपचार को आप लगातार यदि आजीवन लेते रहें तो यकीन मानिये कि जब तक जीवन है आपको आंखो की कोई परेशानी न होगी और नजर गिद्ध की तरह तेज बनी रहेगी यदि चश्मा लगता होगा तो वह भी कुछ समय बाद उतर जाएगा। ध्यान रखिये कि मिर्च-मसाले का आहार न करें तथा मांसाहार व शराब-तम्बाकू का सेवन त्याग दें।