शुक्रवार, अप्रैल 11, 2008

जल्दी-जल्दी सर्दी हो जाती है.......

आदरणीय डाक्टर साहब,मेरी उम्र पैंतीस साल है। सात साल पहले मेरी छाती में कफ़ बनने की शिकायत थी जो कि काफ़ी खखारने पर एकदम गाढ़ी चाकलेटी रंग के बलगम के रूप में बाहर आता था। मैंने एन्टीबायोटिक दवाएं एक सप्ताह का कोर्स डाक्टर के बताने पर लिया क्योंकि उस समय रक्त में इओसिनोफ़िल काफ़ी बढ़ा हुआ था। कुछ दिन तक इससे आराम रहा लेकिन फिर कफ़ बनने की शिकायत हो गयी जिसे मैंने साधारण समझ कर ध्यान नहीं दिया किन्तु अब मुझे जल्दी-जल्दी सर्दी हो जाती है एक तरह से कहूं तो जीना हराम हो गया है, हरदम ही आवाज घरघराना, नाक बहना ,छींके आना चालू रहता है। आप कोई स्थायी हल बताइये बड़ी मेहरबानी होगी।
देवचरण साहू,दुर्ग(छत्तीसगढ़)
देवचरण जी, आप आयुर्वेद पर विश्वास करके आयुषवेद पर आए हैं तो आपको निराशा न होगी। आप पहले अपने आहार-विहार में तनिक परिवर्तन करें जिससे आप तुरंत लाभ प्राप्त कर सकें। सुबह-शाम हल्का व्यायाम करिये, गर्मी शुरू हओने जारही है तो ध्यान रखिये कि गर्मी से आकर तुरंत कोई भी शीतल पेय न लें। दूध, चाय, काफ़ी, चिकनाई और गुड़, तेल, दही, मट्ठा, उड़द, अरहर की दाल, मूली, चावल भोजन में प्रयोग न करें। गेंहू का दलिया, गेंहू की रोटी, मूंग, मसूर की दाल का प्रयोग भोजन में करें और निम्न औषधियां नियम से लीजिये फिर देखिये आयुर्वेद का चमत्कार......
१ . श्रंगाराभ्रक रस १० ग्राम + स्वर्ण बसंतमालती रस ०५ ग्राम + सितोपलादि चूर्ण १० ग्राम + श्रंग भस्म १० ग्राम; इन सब औषधियों को मिला कर पूरे मिश्रण की कुल ६० पुड़ियां बना लीजिये व सुबह शाम एक-एक पुड़िया शहद से लें।
२ . कफ़केतु रस १० ग्राम + प्रवाल भस्म १० ग्राम + टंकण भस्म १० ग्राम ; इन सबको मिला कर ऊपर लिखी दवा की तरह ही ६० पुड़ियां बना लीजिये व दोपहर व रात्रि को एक चम्मच मलाई में आधा चम्मच शक्कर मिला कर एक-एक पुड़िया लें।

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