मंगलवार, मार्च 31, 2009

ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत है

आदरणीय सर जी नमस्ते, मेरी माताजी की उम्र ५९ साल है और उन्हें तमाम जांच करने के बाद बताया गया है कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत है। पहले पहल तो हमारे शहर के डाक्टर समझ ही न पाए फिर लखनऊ जाने पर पता चला कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर के कारण सिर में दर्द होता है। न तो मेरी आपरेशन कराने की हैसियत है और न ही माताजी इस बात के लिये राजी हैं कि अब उनकी इस उम्र में चीरफाड़ करी जाए उनका कहना है कि अब जिंदगी बची ही कितनी है बुढ़ापा तो आ गया है पता नहीं कि आपरेशन के बाद भी क्या होगा कौन जाने क्योंकि डाक्टर भी कुछ स्पष्ट बात तो करते ही नहीं है। अब आप ही बताइये कि क्या करा जाए? जीवन के बारे में तो भगवान ही जानता है पर मैं अपनी माताजी की तकलीफ़ कम करना चाहता हूं क्या आप आयुर्वेद से कुछ सहायता कर सकते हैं? आपका जीवन भर आभारी रहूंगा।
अजय सिंह,उरई
अजय जी मैं आपकी भावना का सम्मान करता हूं और जानता हूं कि जीवन और मौत की चाभी तो ईश्वर के हाथ में ही रहने वाली है चिकित्सक तो बस एक माध्यम रहता है ईश्वर की इच्छा के लिये कि यदि जीवन शेष रखा है उसने तो दवाएं भी असर करती हैं अन्यथा कोई कितना भी दवाएं खिला दे मरीज चिकित्सकों की आंखों के सामने दम तोड़ देता है और चिकित्सक असहाय से खड़े रहते हैं, सत्य यही है कि अगर मौत को दवाओं से रोका जा सकता तो कभी कोई चिकित्सक बीमारियों से मरता ही नहीं। आपने अपनी माताजी की जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मैंने उन्हें गहराई से देखा-समझा है। आप उनका नमक का सेवन पूरी तरह बंद करा दीजिये और उन्हें निम्न औषधियां दीजिये-
१. रसकर्पूर बटी एक गोली + एक रत्ती(१२५मिलीग्राम) गोदन्ती हरताल भस्म हलुवे(ये रवा या सूजी का बनाया जाने वाला एक मीठा व्यंजन है) के साथ दिन में दो बार दीजिये।

रसकर्पूर बटी बनाने का तरीका जान लीजिए :- रसकपूर ४० ग्राम + लौंग का एकदम बारीक कपड़े से छाना हुआ चूर्ण १०० ग्राम + इंद्रायण के कच्चे फल १०० नग ले लीजिये और रसकपूर व लौंग के चूर्ण को खरल में डाल कर घोंटते हुए इंद्रायण के फलों का रस डालते जाइये सारा रस समाप्त होने पर एक-एक रत्ती यानि १२५ मिग्रा वजन की गोलियां बना कर छाया में सुखा लीजिए ये रसकर्पूर बटी बन कर तैयार है।
२. सिर पर बांधने के लिये रोटी जैसा आकार बनाना होगा जिसकी विधि इस तरह है- कूठ + कलौंजी + सींगी मोहरा + बच + अजमोद + अजवाइन + पुष्कर मूल(इसे पोहकर मूल भी कहते हैं) इन सभी औषधियों को तीन-तीन ग्राम ले लीजिये और एकदम बारीक पीस लीजिए। कुल पिसे हुए चूर्ण की बराबर तीन पुड़िया बना लीजिये और उड़द के आटे से सिर के ऊपर आ जाए इतने बड़े आकार का रोटी बनाइये जो कि एक तरफ़ से कच्चा रखिये, कच्ची तरफ़ बनाए हुए चूर्ण की एक पुड़िया बुरक दीजिये और मरीज के बाल कटवा कर यह रोटी हलकी सी गर्म ही बांध दीजिये, ध्यान रखिये कि बाल पूरी तरह से मुंड़वा देना चाहिये अन्यथा दवा का प्रभाव सिर के अंदर नहीं जा पाता है। इस रोटी को लगातार तीन दिन तक कम से कम चार-चार घंटे बंधा रहने दीजिए।
३. कपूर १० ग्राम + सौंफ का तेल १ ग्राम + दालचीनी का तेल १० ग्राम + अजवायन सत्व यानि थायमोल ५ ग्राम + नीलगिरी का तेल १ ग्राम + कार्बोलिक एसिड ५ बूंद; इन सबको मिला कर एकदम कसे ढक्कन की शीशी में रख कर थोड़ी देर धूप में रख दें और फिर दिन में तीन-चार बार सिर पर लगाएं।
इन औषधियों को तीन माह तक लगातार प्रयोग करिए तथा उसके बाद पुनः परीक्षण करवा लीजिये यकीनन चमत्कारिक लाभ होगा और दर्द तो दो तीन दिनों में ही गायब हो जाएगा। ईश्वर पर विश्वास सबसे बड़ी औषधि है।

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