आदरणीय डाक्टर साहब
प्रणाम
मैं एक एलोपैथी चिकित्सक हूं और आपसे जानना चाहता हूं कि जिस तरह से किसी भी बीमारी के बाद आयी हुई कमजोरी के बाद आधुनिक चिकित्सा में हम लोग मल्टीविटामिन्स और खनिजों के बने कैप्सूल आदि देते हैं ताकि मरीज अशक्त न महसूस करे तो क्या आयुर्वेद में भी इसका कोई विकल्प है?
Dr.Ajay singh,Jhunsi
प्रिय डा.अजय जी, आयुर्वेद में सामान्य अथवा बीमारी के बाद आयी हुई भीषण कमजोरी को दूर करने के लिये जो योग दे कर सैकड़ों बार परीक्षण करा गया है वह आपकी सेवा में प्रस्तुत है--
सितोपलादि चूर्ण १०० ग्राम + आमलकी रसायन ५० ग्राम + शतावरी चूर्ण ५० ग्राम + मुलहठी का चूर्ण ५० ग्राम इस सबको मिला कर इसमें २५० ग्राम शहद मिला लें तो यह चटनी जैसा बन जाएगा अब आप इसे अपने मरीजों को निर्भय हो कर दे सकते हैं। इसे दिन में तीन बार एक-एक चम्मच दूध के साथ दीजिये। आप स्वयं देख लेंगे कि यह योग सिंथेटिक विटामिन्स व खनिजों के कैप्सूल से कहीं लाख गुना बेहतर परिणाम देता है। कम से कम दो माह सेवन कराने से आश्चर्यजनक लाभ होता है।
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दिसंबर
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- आयुर्वेद में मल्टीविटामिन्स का विकल्प
- पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ
- पत्नी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचा रहता है सैक्स की भी...
- कामशक्तिवर्धक दवाऒ के सेवन से स्वप्नदोष की समस्या ...
- स्तनों में बहुत ढीलापन आ गया है
- मुझे ब्रेन-हैमरेज तक होने की संभावना है........
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Namaskar Doctor Shahab. Me aapse apni samasya ka samadan chahta ho. sabse pahle me aapko apne bare me batana chahta ho meri aayo 21 year he ...
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प्रणाम डॉक्टर साहब, सर्वप्रथम तो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी समस्या पर इतनी तत्परता से प्रतिक्रिया दी. आपको मैं थोड़े से विस्ता...
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डॉ साहब ,आपको सादर नमस्कार . मैंने आपके बहुत सारे ब्लोग्स पढ़े हैं । वहाँ से प्रेरित होकर मई भी आप को मेल कर रहा हू आशा रख...
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यह सभी वर्गों के पुरुषों के लिये अत्यंत उत्तम स्वास्थ्यवर्धक वटी ( टैबलेट) है जो कि बेहद प्रभावी तथा बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का बेहतरीन मिश्रण ...
कुछ सुझाव
मंगलवार, दिसंबर 30, 2008
आयुर्वेद में मल्टीविटामिन्स का विकल्प
Published :
12/30/2008 07:51:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सोमवार, दिसंबर 29, 2008
पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ
Published :
12/29/2008 05:44:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डॉक्टर साहब को चरण स्पर्श,
आपका ब्लॉग देखकर साहब मुझे लगता है कि आप मेरे लिए मसीहा बनकर आए हैं। क्योंकि मैं पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ मेरी परेशानी ही कुछ ऐसी है कि जिसे ना तो किसी को बता सकता मेरी उम्र ३४ साल है और मैं अपनी याददाश्त को लेकर बहुत परेशान हूं मैं हर चीज भूल जाता हूं। कभी कभी सिर भारी रहता है और थकान 24 घंटे थकान रहती है जलन और आखें लाल भी हो जाती हैं। बहुत कोशिश के बाद काम में जी लगता है, बस २४ घंटे लेटे रहने का मन करता है देखने में सेहत ठीक लगती है पर थोड़ा सा काम करते थकावट हो जाती है . कोई भी काम बोझ की तरह पड़ा रहता है ऐसा लगता है किसी ने छाती पर पत्थर रख दिया हो , तात्कालिक याददाश्त बिल्कुल कम है। आजकल यह होने लगा है कि कोई मेरे से बात कर रहा होता है पर मैं अपने ही विचारों में खोया रहता हूं पूछ दे तो दिमाग ब्लैंक हो जाता अचानक ऐसा हो गया कि मूल बात कहीं छूट गयी, बच्चों से ही पूछना होता है कि हम क्या बात कर रहे थे। मेरी शादी १४ साल पहले हुई थी. शादी के बाद तीन दिनों तक मैं पत्नी से सहवास करने में असफल रहा. काफी कोशिशों के बाद चोथे दिन जैसे तैसे मैं पत्नी की साथ सम्भोग करने में सफल रहा. परन्तु तब से लेकर आज तक मैं अपनी पत्नी से संतोषदायक सहवास कभी नही कर पाया. मेरे लिंग में पर्याप्त कठोरता नही आ पाती . कभी शीघ्रपतन हो जाता है. कभी कठोरता आ भी जाती है तो वीर्य स्खलन से पहले लिंग ढीला हो जाता है. बहुत से डाक्टर को दिखाया पर कोई नतीजा नहीं निकला।. एक एम.डी. ने मेरे रोग का नाम CFS (Fibromyalgia) बताया है जिसका कोई कारगर इलाज नहीं होता है एक न्यूरोलाजिस्ट ने इसे (ANEXITY NEUROSIS ) बताया है हरिद्वार के रामदेव जी के आश्रम के एक चिकित्सक ने इसे उन्माद बताया, मैं प्रतिदिन दस सिगरेट पी जाता हूं लेकिन आदत हो गयी है जो छूट नहीं रही है जरूरी प्रीकॉशन(सावधानियां) और परहेज भी बतावें और समुचित मार्गदर्शन दें. मेल कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है. इसके लिए क्षमा चाहता हूं.
सधन्यवाद
अनाम
भाईसाहब आपकी सारी समस्या को विस्तार से पढ़ने समझने के बाद मैं जान पा रहा हूं कि आप वाकई बहुत परेशान हैं। सबसे पहले तो मैं आयुर्वेद के उन छद्मचिकित्सकों की भरपूर भर्त्सना करना चाहता हूं जो अपनी बेवकूफ़ी के कारण रोगी के प्राण ले लेते हैं और अंधेरे में तीर चलाते हुए आयुर्वेद को बदनाम करते हैं ,बाबा रामदेव महाराज का नाम बिक रहा है आयुर्वेद की मिट्टी पलीद हो रही है उनके नाम पर।
आपकी समस्या को देखते ही आयुर्वेद कॊ जरा सा भी समझने वाला जान जाएगा कि आपकी समस्या का मूल कारण कफ़ विकार है, मुझे हलका सा आक्रोश है उन मूढ़ चिकित्सकों पर जो आयुर्वेद के त्रिदोष के सिद्धांत को छोड़ कर पेटेंट दवाओं के तीर चलाते रहते हैं। आपकी देह में कफ़ विकार के चलते अवलम्बक कफ़(आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एसिटिल कोलीन?) व साधक पित्त (आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एड्रीनलीन?) दूषित हो चला है। आप निम्न आहार-विहार से परहेज करें--
दिन में सोना, व्यायाम न करना, मीठे, ठंडे व बासी भोजन न करें, केक-पेस्ट्री बिस्किट, चायनीज व्यंजन, बाजारू साफ़्टड्रिंक्स, घी, तैलीय पदार्थ, मछली(सभी जलीय जंतु) न खाएं, सिंघाड़ा, नारियल, कद्दू, लौकी(बेलों पर लगने वाली सब्जियां फलादि), उड़द, लोबिया, जौ, गेंहू, दूध-दही, चावल से बने खाद्य पदार्थ यानि कि आपको कुछ भी ऐसा नहीं खाना-पीना है या आचरण करना है जिससे कि कफ़ कुपित हो।
आप नियमित रूप से कठोर व्यायाम, सूखी मालिश, प्यास व नींद के वेग को रोकना, उपवास करना अपने अभ्यास में लाएं। शहद का अधिकतासे सेवन करिये। किसी आयुर्वेदिक पंचकर्म करने वाले चिकित्सक से मिल कर वमन करिये ।
निम्न औषधि लीजिये-
१. ताम्र भस्म एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम)+ शतपुटी अभ्रक भस्म एक रत्ती + शंख भस्म एक रत्ती मिला कर सुबह दोपहर शाम को एक एक खुराक वासादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ सेवन करें।
२. हरिद्रादि चूर्ण आधा चम्मच दिन में दो बार शहद के साथ चाटिए।
३ . श्रंगाराभ्र रस एक-एक गोली शहद के साथ दिन में तीन बार लीजिये व ऊपर से गर्म फीका दूध दो घूंट पी लीजिये(दो घूंट से ज्यादा न लें)। एक माह के बाद आप इसी औषधि को मलाई के साथ एक माह तक लीजिये और फिर आयुषवेद को सूचित करिये।
कोई भी दवा खाली पेट न लें।
आपका ब्लॉग देखकर साहब मुझे लगता है कि आप मेरे लिए मसीहा बनकर आए हैं। क्योंकि मैं पिछले १५ सालों अनजान व्याधियों से परेशान हूँ मेरी परेशानी ही कुछ ऐसी है कि जिसे ना तो किसी को बता सकता मेरी उम्र ३४ साल है और मैं अपनी याददाश्त को लेकर बहुत परेशान हूं मैं हर चीज भूल जाता हूं। कभी कभी सिर भारी रहता है और थकान 24 घंटे थकान रहती है जलन और आखें लाल भी हो जाती हैं। बहुत कोशिश के बाद काम में जी लगता है, बस २४ घंटे लेटे रहने का मन करता है देखने में सेहत ठीक लगती है पर थोड़ा सा काम करते थकावट हो जाती है . कोई भी काम बोझ की तरह पड़ा रहता है ऐसा लगता है किसी ने छाती पर पत्थर रख दिया हो , तात्कालिक याददाश्त बिल्कुल कम है। आजकल यह होने लगा है कि कोई मेरे से बात कर रहा होता है पर मैं अपने ही विचारों में खोया रहता हूं पूछ दे तो दिमाग ब्लैंक हो जाता अचानक ऐसा हो गया कि मूल बात कहीं छूट गयी, बच्चों से ही पूछना होता है कि हम क्या बात कर रहे थे। मेरी शादी १४ साल पहले हुई थी. शादी के बाद तीन दिनों तक मैं पत्नी से सहवास करने में असफल रहा. काफी कोशिशों के बाद चोथे दिन जैसे तैसे मैं पत्नी की साथ सम्भोग करने में सफल रहा. परन्तु तब से लेकर आज तक मैं अपनी पत्नी से संतोषदायक सहवास कभी नही कर पाया. मेरे लिंग में पर्याप्त कठोरता नही आ पाती . कभी शीघ्रपतन हो जाता है. कभी कठोरता आ भी जाती है तो वीर्य स्खलन से पहले लिंग ढीला हो जाता है. बहुत से डाक्टर को दिखाया पर कोई नतीजा नहीं निकला।. एक एम.डी. ने मेरे रोग का नाम CFS (Fibromyalgia) बताया है जिसका कोई कारगर इलाज नहीं होता है एक न्यूरोलाजिस्ट ने इसे (ANEXITY NEUROSIS ) बताया है हरिद्वार के रामदेव जी के आश्रम के एक चिकित्सक ने इसे उन्माद बताया, मैं प्रतिदिन दस सिगरेट पी जाता हूं लेकिन आदत हो गयी है जो छूट नहीं रही है जरूरी प्रीकॉशन(सावधानियां) और परहेज भी बतावें और समुचित मार्गदर्शन दें. मेल कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है. इसके लिए क्षमा चाहता हूं.
सधन्यवाद
अनाम
भाईसाहब आपकी सारी समस्या को विस्तार से पढ़ने समझने के बाद मैं जान पा रहा हूं कि आप वाकई बहुत परेशान हैं। सबसे पहले तो मैं आयुर्वेद के उन छद्मचिकित्सकों की भरपूर भर्त्सना करना चाहता हूं जो अपनी बेवकूफ़ी के कारण रोगी के प्राण ले लेते हैं और अंधेरे में तीर चलाते हुए आयुर्वेद को बदनाम करते हैं ,बाबा रामदेव महाराज का नाम बिक रहा है आयुर्वेद की मिट्टी पलीद हो रही है उनके नाम पर।
आपकी समस्या को देखते ही आयुर्वेद कॊ जरा सा भी समझने वाला जान जाएगा कि आपकी समस्या का मूल कारण कफ़ विकार है, मुझे हलका सा आक्रोश है उन मूढ़ चिकित्सकों पर जो आयुर्वेद के त्रिदोष के सिद्धांत को छोड़ कर पेटेंट दवाओं के तीर चलाते रहते हैं। आपकी देह में कफ़ विकार के चलते अवलम्बक कफ़(आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एसिटिल कोलीन?) व साधक पित्त (आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का एड्रीनलीन?) दूषित हो चला है। आप निम्न आहार-विहार से परहेज करें--
दिन में सोना, व्यायाम न करना, मीठे, ठंडे व बासी भोजन न करें, केक-पेस्ट्री बिस्किट, चायनीज व्यंजन, बाजारू साफ़्टड्रिंक्स, घी, तैलीय पदार्थ, मछली(सभी जलीय जंतु) न खाएं, सिंघाड़ा, नारियल, कद्दू, लौकी(बेलों पर लगने वाली सब्जियां फलादि), उड़द, लोबिया, जौ, गेंहू, दूध-दही, चावल से बने खाद्य पदार्थ यानि कि आपको कुछ भी ऐसा नहीं खाना-पीना है या आचरण करना है जिससे कि कफ़ कुपित हो।
आप नियमित रूप से कठोर व्यायाम, सूखी मालिश, प्यास व नींद के वेग को रोकना, उपवास करना अपने अभ्यास में लाएं। शहद का अधिकतासे सेवन करिये। किसी आयुर्वेदिक पंचकर्म करने वाले चिकित्सक से मिल कर वमन करिये ।
निम्न औषधि लीजिये-
१. ताम्र भस्म एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम)+ शतपुटी अभ्रक भस्म एक रत्ती + शंख भस्म एक रत्ती मिला कर सुबह दोपहर शाम को एक एक खुराक वासादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ सेवन करें।
२. हरिद्रादि चूर्ण आधा चम्मच दिन में दो बार शहद के साथ चाटिए।
३ . श्रंगाराभ्र रस एक-एक गोली शहद के साथ दिन में तीन बार लीजिये व ऊपर से गर्म फीका दूध दो घूंट पी लीजिये(दो घूंट से ज्यादा न लें)। एक माह के बाद आप इसी औषधि को मलाई के साथ एक माह तक लीजिये और फिर आयुषवेद को सूचित करिये।
कोई भी दवा खाली पेट न लें।
बुधवार, दिसंबर 24, 2008
पत्नी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचा रहता है सैक्स की भी इच्छा नहीं होती है
Published :
12/24/2008 08:41:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी पत्नी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचा रहता है जिससे उसे बहुत परेशानी होती है। वह इकहरे बदन की है उसका वजन भी काफ़ी कम है। उसकी उम्र अड़तीस साल है। उसको सैक्स की भी इच्छा बिलकुल नहीं होती है। खून में हीमोग्लोबिन भी बहुत कम है। कुछ आयुर्वेदिक दवा बताइये।
अविनाश राजाध्यक्ष,कोच्चि
अविनाश जी,आपने अपनी पत्नी की समस्या को बहुत विस्तार से लिखा है व कई रिपोर्ट्स भेजी हैं उन सब रिपोर्ट्स को देख कर गहराई से समझने के बाद आपकी पत्नी के लिये निम्न दवा लिख रहा हूं।
१ . रससिंदूर १० ग्राम + लौह भस्म १० ग्राम + बंग भस्म १० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + शुद्ध कुचला २० ग्राम + त्रिकटु २० ग्राम + अश्वगंधा २० ग्राम; इन सबको बहुत मजबूत हाथों से कसकर घोंट लीजिए जिससे कि रस सिंदूर की चमक समाप्त हो जाए। अब इस औषधि में से २५० मिलीग्राम की मात्रा की एक खुराक बनाएं। सुबह-शाम शहद के साथ एक-एक मात्रा चटाएं। इससे कुछ ही दिनों में उनकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। इस उपचार को कम से कम चालीस दिन तक अवश्य दीजिये।
मेरी पत्नी का ब्लड प्रेशर एकदम नीचा रहता है जिससे उसे बहुत परेशानी होती है। वह इकहरे बदन की है उसका वजन भी काफ़ी कम है। उसकी उम्र अड़तीस साल है। उसको सैक्स की भी इच्छा बिलकुल नहीं होती है। खून में हीमोग्लोबिन भी बहुत कम है। कुछ आयुर्वेदिक दवा बताइये।
अविनाश राजाध्यक्ष,कोच्चि
अविनाश जी,आपने अपनी पत्नी की समस्या को बहुत विस्तार से लिखा है व कई रिपोर्ट्स भेजी हैं उन सब रिपोर्ट्स को देख कर गहराई से समझने के बाद आपकी पत्नी के लिये निम्न दवा लिख रहा हूं।
१ . रससिंदूर १० ग्राम + लौह भस्म १० ग्राम + बंग भस्म १० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + शुद्ध कुचला २० ग्राम + त्रिकटु २० ग्राम + अश्वगंधा २० ग्राम; इन सबको बहुत मजबूत हाथों से कसकर घोंट लीजिए जिससे कि रस सिंदूर की चमक समाप्त हो जाए। अब इस औषधि में से २५० मिलीग्राम की मात्रा की एक खुराक बनाएं। सुबह-शाम शहद के साथ एक-एक मात्रा चटाएं। इससे कुछ ही दिनों में उनकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। इस उपचार को कम से कम चालीस दिन तक अवश्य दीजिये।
सोमवार, दिसंबर 22, 2008
कामशक्तिवर्धक दवाऒ के सेवन से स्वप्नदोष की समस्या होने लगी है
Published :
12/22/2008 02:27:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
आदरणीय डाक्टर साहब
नमस्ते
मैंने चिकित्सक के सुझाव से कुछ कामशक्तिवर्धक दवाएं लेना शुरू करा क्योंकि मैंने बताया था कि मुझे शुक्राणुओं की गतिशीलता से संबंधित समस्या थी। अब दवाओं के सेवन से मुझे स्वप्नदोष की समस्या होने लगी है। सप्ताह में दो तीन बार मैं इस समस्या से दो-चार हो रहा हूं मेहरबानी करके मेरी सहायता करिये।
अनाम
भाई,आपने जिन भी कामशक्तिवर्धक दवाओं का सेवन करा है उन्हीं का परिणाम है कि आप स्वप्न दोष से परेशान हो रहे हैं क्योंकि धारण क्षमता है नहीं और आप हैं कि वजन उठाए जा रहे हैं आप उन दवाओं को एक सप्ताह तक बंद करें और इस औषधि का सेवन करें फिर उसके बाद पुनः उन दवाओं का सेवन प्रारंभ करें-
१ . त्रिफला चूर्ण १०० ग्राम + हल्दी चूर्ण(बाजारू न ले कर स्वयं खड़ी हल्दी पिसवाएं) १५ ग्राम + धनिया चूर्ण १५ ग्राम + कपूर २ ग्राम इन सबको अच्छी तरह से मिला लें और उसमें इतना शहद मिलाएं कि वह च्यवनप्राश जैसा अवलेह बन जाए। इसमें चांदी के चार वर्क मिला लीजिए और सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध के साथ चाट लिया करें।
नमस्ते
मैंने चिकित्सक के सुझाव से कुछ कामशक्तिवर्धक दवाएं लेना शुरू करा क्योंकि मैंने बताया था कि मुझे शुक्राणुओं की गतिशीलता से संबंधित समस्या थी। अब दवाओं के सेवन से मुझे स्वप्नदोष की समस्या होने लगी है। सप्ताह में दो तीन बार मैं इस समस्या से दो-चार हो रहा हूं मेहरबानी करके मेरी सहायता करिये।
अनाम
भाई,आपने जिन भी कामशक्तिवर्धक दवाओं का सेवन करा है उन्हीं का परिणाम है कि आप स्वप्न दोष से परेशान हो रहे हैं क्योंकि धारण क्षमता है नहीं और आप हैं कि वजन उठाए जा रहे हैं आप उन दवाओं को एक सप्ताह तक बंद करें और इस औषधि का सेवन करें फिर उसके बाद पुनः उन दवाओं का सेवन प्रारंभ करें-
१ . त्रिफला चूर्ण १०० ग्राम + हल्दी चूर्ण(बाजारू न ले कर स्वयं खड़ी हल्दी पिसवाएं) १५ ग्राम + धनिया चूर्ण १५ ग्राम + कपूर २ ग्राम इन सबको अच्छी तरह से मिला लें और उसमें इतना शहद मिलाएं कि वह च्यवनप्राश जैसा अवलेह बन जाए। इसमें चांदी के चार वर्क मिला लीजिए और सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध के साथ चाट लिया करें।
शनिवार, दिसंबर 20, 2008
स्तनों में बहुत ढीलापन आ गया है
Published :
12/20/2008 08:56:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
आदरणीय डाक्टर साहब, मेरी उम्र ३८ साल है, मेरे दो बच्चे हैं। मेरे स्तनों में बहुत ढीलापन आ गया है। इससे मेरा सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है आपसे मैं कुछ आयुर्वेद की औषधि जानना चाहती हूं जिससे कि मैं अपने खोए हुये शारीरिक सौन्दर्य को दोबारा पा सकूं। धन्यवाद
रश्मि अरोरा,सागर(म.प्र.)
रश्मि बहन, स्तनों में ढीलापन आ जाने के कारण आपका शारीरिक सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है मैं आपको जो उपचार बता रहा हूं उससे बहुत सारी अन्य बहनें भी लाभान्वित होंगी
१ . मालिश के लिए तेल बनाने के लिये बनाने के लिये ये तरीका अपनाएं
जायफ़ल ५ ग्राम + कुटकी ३ ग्राम + असगंध १० ग्राम + लज्जालु ४ ग्राम + हल्दी ५ ग्राम + दारुहल्दी ५ ग्राम + चम्पापुष्प २० ग्राम + घी १० ग्राम + तिल तैल २० ग्राम + पानी १००० ग्राम ; इस पूरे मिश्रण को अच्छे तरीके से पका लें ताकि सारा पानी जल जाए और बस तेल ही बचे कुल ७०-८० ग्राम तेल बचेगा इस तेल की दिन में तीन बार हल्के हाथ से मालिश करी जाए.
२ . खाने के लिये इस प्रकार लड्डू बनाएं
त्रिफला ५० ग्राम + त्रिकुट ५० ग्राम + कालाजीरा २५ ग्राम + सफ़ेद जीरा २५ ग्राम + धनिया ५० ग्राम + अजवायन ५० ग्राम + सेंधा नमक २५ ग्राम + काला नमक २५ ग्राम + नागरमोथा ५० ग्राम + कायफल ४० ग्राम + पुष्करमूल ५० ग्राम + काकड़ासिंगी ५० ग्राम + तालीसपत्र ५० ग्राम + तेजपत्र ५० ग्राम + दालचीनी ५० ग्राम + छोटी इलायची २५ ग्राम + केशर २० ग्राम + गुड़ ५०० ग्राम + मेंथी १००० ग्राम;
इस मिश्रण से २०-२५ ग्राम वजन के लड्डू बना लीजिये और प्रतिदिन दो लड्डू सुबह शाम खाकर दूध से लें
रश्मि अरोरा,सागर(म.प्र.)
रश्मि बहन, स्तनों में ढीलापन आ जाने के कारण आपका शारीरिक सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है मैं आपको जो उपचार बता रहा हूं उससे बहुत सारी अन्य बहनें भी लाभान्वित होंगी
१ . मालिश के लिए तेल बनाने के लिये बनाने के लिये ये तरीका अपनाएं
जायफ़ल ५ ग्राम + कुटकी ३ ग्राम + असगंध १० ग्राम + लज्जालु ४ ग्राम + हल्दी ५ ग्राम + दारुहल्दी ५ ग्राम + चम्पापुष्प २० ग्राम + घी १० ग्राम + तिल तैल २० ग्राम + पानी १००० ग्राम ; इस पूरे मिश्रण को अच्छे तरीके से पका लें ताकि सारा पानी जल जाए और बस तेल ही बचे कुल ७०-८० ग्राम तेल बचेगा इस तेल की दिन में तीन बार हल्के हाथ से मालिश करी जाए.
२ . खाने के लिये इस प्रकार लड्डू बनाएं
त्रिफला ५० ग्राम + त्रिकुट ५० ग्राम + कालाजीरा २५ ग्राम + सफ़ेद जीरा २५ ग्राम + धनिया ५० ग्राम + अजवायन ५० ग्राम + सेंधा नमक २५ ग्राम + काला नमक २५ ग्राम + नागरमोथा ५० ग्राम + कायफल ४० ग्राम + पुष्करमूल ५० ग्राम + काकड़ासिंगी ५० ग्राम + तालीसपत्र ५० ग्राम + तेजपत्र ५० ग्राम + दालचीनी ५० ग्राम + छोटी इलायची २५ ग्राम + केशर २० ग्राम + गुड़ ५०० ग्राम + मेंथी १००० ग्राम;
इस मिश्रण से २०-२५ ग्राम वजन के लड्डू बना लीजिये और प्रतिदिन दो लड्डू सुबह शाम खाकर दूध से लें
शुक्रवार, दिसंबर 19, 2008
मुझे ब्रेन-हैमरेज तक होने की संभावना है........
Published :
12/19/2008 09:35:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्ते
मेरा ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ा रहता है नींद भी नहीं आती है बेचैनी बनी रहती है, मेरी उम्र छियालीस साल है और मैं पेशे से वकील हूं। निजी डाक्टर ने जो दवा दी है तो उनका कहना है कि वह दवा आजीवन लेना होगी अन्यथा मेरी स्थिति ऐसी भयानक है कि मुझे ब्रेन-हैमरेज तक होने की संभावना से भी इंकार नहीं करा जा सकता है। मैं आजीवन अंग्रेजी दवा नहीं खाना चाहता हूं अतः मेरी मदद करिये और कोई कारगर आयुर्वेदिक दवा बताएं जिससे कि रोग ही समाप्त हो जाए न कि जिन्दगी भर के लिये व्यसन की तरह से दवा खानी पड़े। धन्यवाद
एड.राजाराम आचार्य,सागर
वकील साहब,आपने अपनी जो रिपोर्ट्स भेजी हैं वो वाकई देख कर मुझे यह आश्चर्य है कि आप अपने आप को इतने समय तक कैसे संतुलित रख पाए किंतु अब इन लक्षणों को आप सरलता से न लें और न ही नजरअंदाज करे। आप अपनी अंग्रेजी दवा का प्रयोग बंद कर दीजिये क्योंकि वह दवा वाकई में उपचार न होकर मात्र एक छलावा है जो कि लक्षण का शमन कर देती है कारण का निवारण नहीं करती हैं। आप निम्न आयुर्वेदिक उपचार लीजिये जिससे आपके दिल और दिमाग दोनो को पुष्टि मिलेगी-
१ . सर्पगन्धामूल का सूक्ष्म चूर्ण ६० ग्राम + खरल करा हुआ रससिंदूर २४ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ४० ग्राम + अकीक पिष्टी ४० ग्राम इन सभी द्रव्यों को एक साथ कस कर खरल करवा लीजिये। सुबह-शाम एक ग्राम की मात्रा औषधि ले कर सारस्वतारिष्ट चार चम्मच में शहद मिला कर लीजिये। दवा खाली पेट न लें।
२ . रस सिंदूर १० ग्राम + जहरमोहरा पिष्टी १० ग्राम + वंशलोचन १० ग्राम + शुद्ध करी गाय के घी में भूंनी हुई भांग १० ग्राम + सर्पगन्धा १० ग्राम + ज्योतिषमती(मालकांगनी) १० ग्राम + बचा १० ग्राम + जटामांसी १० ग्राम + अश्वगंधा १० ग्राम + पीपरामूल १० ग्राम + छोटी इलायची के बीज १० ग्राम ; इन सभी द्रव्यों को मजबूत हाथों से कस कर घोंट लें व २५० मिलीग्राम की मात्रा बना लीजिये।
यह दवा एक मात्रा + रसराज रस एक गोली + एक चम्मच ब्राह्म रसायन को खमीरा गावजबां अम्बरी के साथ सुबह-शाम पहली दवा के आधे घंटे बाद लें।
यकीन मानिये कि न सिर्फ़ यह दवा आपकी ब्लड-प्रेशर की बीमारी को कुछ माह में छूमंतर कर देगी बल्कि आपकी याददाश्त पर भी अनुकूल प्रभाव दर्शाएगी इस लिहाज से यह दवा आपके साथ ही तमाम अन्य पत्रकार,वकील,अध्यापक,विद्यार्थियों के लिए भी समान रूप से लाभदायक है। इस दवा का सेवन तीन माह तक करें।
मंगलवार, दिसंबर 16, 2008
मोटापा कम होने के बाद त्वचा ढीली हो गयी है
Published :
12/16/2008 09:51:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
How to tighten up loose skin after weight loss.
(वजन कम करने के बाद त्वचा में आया ढीलेपन में कसाव किस तरह से लाया जा सकता है?)
कपिलदेव शर्मा
कपिल जी, शायद आपके द्वारा करा गया प्रश्न बहुत सारे लोगों का सवाल होगा जो कि वजन कम करने के लिये अनर्गल तरीके अपना कर जैसे कि ऐसी औषधियों का सेवन करना जो कि भूख मार देती हैं या फिर खुद ही डायटिंग के नाम पर भूखा रहना। इस विषय में स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आपमें से कई एक का अनुभव होगा कि खाना एकदम कम खाने के बाद भी शरीर स्थूल,थुलथुला सा होता जाता है क्योंकि भोजन का आपके मोटापे से कोई सीधा संबंध नहीं है। आप निम्न उपचार लीजिये-
१ . रजत भस्म आधी रत्ती + सिद्ध चंद्रोदय आधी रत्ती दिन में दो बार सुबह-शाम एक चम्मच शहद व दो चम्मच घी के मिश्रण में मिला कर चाट लीजिये,औषधि खाली पेट न लें।
२ . मकरध्वज बटी एक-एक सुबह शाम मीठे गुनगुने दूध से लीजिये।
इस तरह देह पुनः कसाव में आ जाएगी साथ ही ध्यान रखिए कि सप्ताह में एक बार महानारायण तेल से हलके हाथ से मालिश करवाये।
सोमवार, दिसंबर 15, 2008
मायग्रेन का दर्द है
Published :
12/15/2008 10:57:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सर नमस्ते,मेरी उम्र २२ साल है और मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूं। करीब चार माह से मेरे आधे सिर में ऐसा दर्द होता है जो कुछ समय बाद असहनीय सा होने लगता है, महसूस होता है कि सिर के अंदर रोलर चल रहा है। पेन किलर ले लेने पर दर्द बंद हो जाता है लेकिन फिर कुछ समय बाद दो तीन दिन में शुरू हो जाता है। हमारे फ़ैमिली डाक्टर ने बताया कि यह मायग्रेन का दर्द है। वो पेन किलर्स दवाएं ब्रूफ़ेन आदि भी उन्होंने ही दी हैं क्या आयुर्वेद में स्थायी इलाज है?
राघव आचार्य,टीकमगढ़
राघव जी,आपके फैमिली डाक्टर ने सही बताया है कि यह मायग्रेन (migraine) का दर्द है। यदि यह रोग बढ़ जाए तो सबसे पहले इससे आंखे और फिर कान प्रभावित होते हैं। आप निम्न उपचार लीजिये, पेन किलर्स तात्कालिक लाभ देते हैं स्थायी नहीं अतः उन दवाओं को बंद कर दीजिये-
१ . चंद्रकान्त रस २-२ गोली सुबह-शाम शहद से चाट लीजिये और फिर इसके बाद ऊपर से करीब १५ मिली. पथ्यादि काढ़ा पी लीजिये। खाली पेट दवा न लीजिये।
२ . सुबह खाली पेट शौचादि से निपटने के बाद गर्म जलेबी को दही के साथ नाश्ता करिये।
इस उपचार को लगातार एक माह तक कम से कम लीजिये ताकि स्थायी हल प्राप्त हो सके। अनावश्यक रात्रि जागरण न करें, बासी भोजन न करें, बाजारू ड्रिंक्स से परहेज करें साथ ही अधिक मसालेदार आहार न लें।
राघव आचार्य,टीकमगढ़
राघव जी,आपके फैमिली डाक्टर ने सही बताया है कि यह मायग्रेन (migraine) का दर्द है। यदि यह रोग बढ़ जाए तो सबसे पहले इससे आंखे और फिर कान प्रभावित होते हैं। आप निम्न उपचार लीजिये, पेन किलर्स तात्कालिक लाभ देते हैं स्थायी नहीं अतः उन दवाओं को बंद कर दीजिये-
१ . चंद्रकान्त रस २-२ गोली सुबह-शाम शहद से चाट लीजिये और फिर इसके बाद ऊपर से करीब १५ मिली. पथ्यादि काढ़ा पी लीजिये। खाली पेट दवा न लीजिये।
२ . सुबह खाली पेट शौचादि से निपटने के बाद गर्म जलेबी को दही के साथ नाश्ता करिये।
इस उपचार को लगातार एक माह तक कम से कम लीजिये ताकि स्थायी हल प्राप्त हो सके। अनावश्यक रात्रि जागरण न करें, बासी भोजन न करें, बाजारू ड्रिंक्स से परहेज करें साथ ही अधिक मसालेदार आहार न लें।
मंगलवार, दिसंबर 09, 2008
बेटे की याददाश्त बढ़ाने के लिये क्या करें?
Published :
12/09/2008 10:53:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्ते, मेरे बेटे की उम्र अठारह साल है और वो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये प्रयास कर रहा है। पिछले महीने से मैं देख रही हूं कि वह बहुत चिड़चिड़ा सा हो गया है उसे अक्सर चक्कर आ जाते हैं, कल मैंने उसे अपने घर में ही मौजूद ब्लडप्रेशर नापने वाले यंत्र से देखा तो उसका ब्लड प्रेशर भी सामान्य से अधिक था। क्या यह प्रतियोगिता के तनाव के कारण है? क्या आप कोई ऐसी दवा बता सकते हैं जिससे कि उसे पढ़ा हुआ याद रह सके और वह शांत रहे?
अनीता शंकर,इलाहाबाद
अनीता बहन, आप ने सही अनुमान लगाया कि बच्चे के दिमाग पर प्रतियोगी परीक्षा का ही दबाव है। यह हाल आजकल लगभग हर बच्चे का है। आप बच्चे को निम्न औषधि योग सेवन कराएं और यकीन मानिये कि उसकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-
१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + गिलोय सत्व १० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १० ग्राम + बच घनसत्व १० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १० ग्राम
इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये। इसके बाद इसकी ५०० मिलीग्राम की मात्रा की पुड़िया बना लीजिये। एक-एक पुड़िया सुबह शाम सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दीजिये। इस दवा से मस्तिष्क का उत्तम पोषण होता है। इसका सेवन लम्बे समय तक भी करवाया जा सकता है अत्यंत उपयोगी औषधि है।
अनीता शंकर,इलाहाबाद
अनीता बहन, आप ने सही अनुमान लगाया कि बच्चे के दिमाग पर प्रतियोगी परीक्षा का ही दबाव है। यह हाल आजकल लगभग हर बच्चे का है। आप बच्चे को निम्न औषधि योग सेवन कराएं और यकीन मानिये कि उसकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है-
१. रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + गिलोय सत्व १० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १० ग्राम + बच घनसत्व १० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १० ग्राम
इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये। इसके बाद इसकी ५०० मिलीग्राम की मात्रा की पुड़िया बना लीजिये। एक-एक पुड़िया सुबह शाम सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दीजिये। इस दवा से मस्तिष्क का उत्तम पोषण होता है। इसका सेवन लम्बे समय तक भी करवाया जा सकता है अत्यंत उपयोगी औषधि है।
हस्तमैथुन किया उसके कारण मुझे शीघ्रपतन की समस्या हो गयी
Published :
12/09/2008 08:38:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
नमस्कार सर,
मेरी कुछ महीनों के बाद शादी होने वाली है बचपन से लेकर अब तक जो गलतियां करी यानि कि हस्तमैथुन किया उसके कारण मुझे शीघ्रपतन की समस्या हो गयी है। मात्र दो-तीन सेकेंड में ही वीर्य स्खलन हो जाता है। क्या इसका इलाज संभव है क्योंकि मैंने तमाम इश्तेहार देखे हैं लेकिन ऐसे लोगों से सम्पर्क करने में डर भी लगता है साथ ही सुना है कि ऐसे लोग ब्लैकमेल भी करते हैं। मैंने तो बहुत सारे सैक्सोलाजिस्ट के लेख अखबारों में पढ़े हैं कि हस्तमैथुन से कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मुझे तो अब भयंकर कमजोरी भी लगती है समझ नहीं आता कि क्या सच है? आप मेरी मदद करिए ताकि मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय रहे।
सुनील व बहुत सारे पीड़ित भाई
भाईसाहब आप सभी लोगों से एक निवेदन है कि मेरी बात को जरा गौर से समझिये कि क्या वो माली अक्लमंद है जो कि हजारों फूलों का इत्र खींच कर नाली में बहा दे ठीक वैसी ही बेवकूफ़ी हस्तमैथुन करना है। दुष्ट किस्म के लोग जो हस्तमैथुन की वकालत करते हैं कि इससे कुछ नुकसान नहीं होता मैं उनके लिये बस भगवान से सही बुद्धि की प्रार्थना ही कर सकता हूं भुगतना तो आप लोगों को पड़ रहा है। आप लोग तत्काल इस भयंकर हानिकारक आदत को छोड़ने के लिये प्रयास करिए और निम्न औषधि लीजिये।
१ . धनिया का चूर्ण (जो कि सब्जी तरकारी में मिलाया जाता है हरा धनिया न लें) २५ ग्राम + कपूर ५ ग्राम + मिश्री ५० ग्राम ; इन सबको बारीक घोंट लीजिये और एक टाइट ढक्कन की शीशी में रख लीजिये। सुबह-शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल लें। खाली पेट न लें।
२ . मकरध्वज बटी १ गोली सुबह-दोपहर-शाम शहद मिला कर मीठे करे गये दूध के साथ लीजिये।
पहली दवा का सेवन पंद्रह दिन तक करने के बाद पंद्रह दिन तक बंद कर दें लेकिन दूसरी दवा का सेवन लगातार करिये। कम से कम तीन माह तक यह उपचार लीजिये ताकि पुनः शक्ति हासिल हो सके। कब्जियत न रहने दें इसके लिये यदि जरूरत हो तो आवश्यतानुसार त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
मेरी कुछ महीनों के बाद शादी होने वाली है बचपन से लेकर अब तक जो गलतियां करी यानि कि हस्तमैथुन किया उसके कारण मुझे शीघ्रपतन की समस्या हो गयी है। मात्र दो-तीन सेकेंड में ही वीर्य स्खलन हो जाता है। क्या इसका इलाज संभव है क्योंकि मैंने तमाम इश्तेहार देखे हैं लेकिन ऐसे लोगों से सम्पर्क करने में डर भी लगता है साथ ही सुना है कि ऐसे लोग ब्लैकमेल भी करते हैं। मैंने तो बहुत सारे सैक्सोलाजिस्ट के लेख अखबारों में पढ़े हैं कि हस्तमैथुन से कोई नुकसान नहीं होता लेकिन मुझे तो अब भयंकर कमजोरी भी लगती है समझ नहीं आता कि क्या सच है? आप मेरी मदद करिए ताकि मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय रहे।
सुनील व बहुत सारे पीड़ित भाई
भाईसाहब आप सभी लोगों से एक निवेदन है कि मेरी बात को जरा गौर से समझिये कि क्या वो माली अक्लमंद है जो कि हजारों फूलों का इत्र खींच कर नाली में बहा दे ठीक वैसी ही बेवकूफ़ी हस्तमैथुन करना है। दुष्ट किस्म के लोग जो हस्तमैथुन की वकालत करते हैं कि इससे कुछ नुकसान नहीं होता मैं उनके लिये बस भगवान से सही बुद्धि की प्रार्थना ही कर सकता हूं भुगतना तो आप लोगों को पड़ रहा है। आप लोग तत्काल इस भयंकर हानिकारक आदत को छोड़ने के लिये प्रयास करिए और निम्न औषधि लीजिये।
१ . धनिया का चूर्ण (जो कि सब्जी तरकारी में मिलाया जाता है हरा धनिया न लें) २५ ग्राम + कपूर ५ ग्राम + मिश्री ५० ग्राम ; इन सबको बारीक घोंट लीजिये और एक टाइट ढक्कन की शीशी में रख लीजिये। सुबह-शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल लें। खाली पेट न लें।
२ . मकरध्वज बटी १ गोली सुबह-दोपहर-शाम शहद मिला कर मीठे करे गये दूध के साथ लीजिये।
पहली दवा का सेवन पंद्रह दिन तक करने के बाद पंद्रह दिन तक बंद कर दें लेकिन दूसरी दवा का सेवन लगातार करिये। कम से कम तीन माह तक यह उपचार लीजिये ताकि पुनः शक्ति हासिल हो सके। कब्जियत न रहने दें इसके लिये यदि जरूरत हो तो आवश्यतानुसार त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
सोमवार, दिसंबर 08, 2008
पिता जी को प्रोस्टेट ग्लैण्ड कैंसर है
Published :
12/08/2008 08:36:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
आदरणीय डाक्टर साहब
प्रणाम
मेरे पिता जी को प्रोस्टेट ग्लैण्ड कैंसर बताया गया है और इसलिये आपरेशन करके अंडकोश निकालने का डाक्टरों ने निर्णय लिया है। आपरेशन की तारीख ठीक एक माह बाद तय करी गयी है। उन्हें उठने बैठने में बहुत तकलीफ है, करवट लेने में भयंकर कष्ट होता है। बुखार रहता है, नींद नहीं आती, भूख भी न के बराबर है बहुत ही अधिक बेचैनी है। परिवार में किसी की भी सहमति नहीं बन पा रही है कि बाबूजी का आपरेशन कराया जाए और वो खुद भी आपरेशन के लिये तैयार नहीं हैं। अपनी पत्नी के सुझाव से मैंने तमाम सर्च करके आयुषवेद को ढूंढा और उम्मीद बनती नजर आ रही है। हम सब को आयुर्वेद पर पूरा भरोसा है। बाबा रामदेव के क्लिनिक पर जान पर वहां के डाक्टर ने दबी जबान में आपरेशन की सलाह दे डाली इससे उनके प्रति बहुत निराशा हुई। अल्कलाइन फ़ास्फेट्स 178 तक आ गया है और एसिड फ़ास्फेट्स 30 तक आ गया है। सारी रिपोर्ट्स आपको भेज रहा हूं देख लीजिये और कोई आयुर्वेदिक उपचार सुझाइये। अग्रिम धन्यवाद
द्वारकानाथ सोनी,मथुरा
द्वारकानाथ जी,आप आयुर्वेद के प्रति श्रद्धा रखते हैं इसके लिये आयुषवेद परिवार आपके प्रति आदर का भाव रखता है। किसी एक चिकित्सक के मना करने से सारा आयुर्वेद तो निष्क्रिय नहीं हो जाएगा। आपके बाबूजी की सारी रिपोर्ट्स गहराई से देख समझ ली हैं आप उन्हें निम्न औषधियां दें-
१ . कांचनार गुग्गुल १ गोली + आरोग्यवर्धिनी १ गोली + लाक्षा पंचामृत १ गोली इन सबकी एक मात्रा बनाएं और दिन में दो बार गाय के दूध से दीजिये।
२ . पुनर्नवाष्टक घन २ गोली + रसांजन घन २ गोली को पुनर्नवाष्टक क्वाथ के साथ दिन में दो बार निगलवाएं।
३ . वृहत वात चिंतामणि रस १ गोली + पंचरत्न रस आधा रत्ती(६५ मिलीग्राम) + श्रंगभस्म २ रत्ती + नागार्जुनाभ्र २ रत्ती + प्रवाल पंचामृत २ रत्ती + स्वर्णबंग १ रत्ती इन सबकी एक मात्रा बनाएं; दिन में दो बार शहद के साथ चटाएं।
ध्यान रखिये कि कोई भी दवा खाली पेट न दें। यदि अपेक्षित सुधार महसूस हो तो आपरेशन न करवा कर दोबारा रिपोर्ट्स निकलवाएं।
रविवार, दिसंबर 07, 2008
मेरी सहेली के सौन्दर्य का राज क्या है?
Published :
12/07/2008 10:15:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सर नमस्ते,मैं आपसे बड़ा अजीब सा सवाल करने जा रहीं हूं प्लीज हंसियेगा मत। मेरी उम्र उन्नीस साल है, मेरी एक सहेली है मै उसे बचपन से चिढ़ाती आयी हूं। वो एकदम सूखी मरियल काली सी, चूसे हुए आम जैसी लगती थी गाल पिचके हुए और होंठॊ पर पपड़िया उखड़ती हुई लेकिन मैं देख रही हूं कि पिछले दो माह से अचानक उसने पता नहीं कौन सी आयुर्वेदिक दवा खाना शुरू करी है उस पर बहार सी आ गई है, होंठ गुलाबी हो चले हैं बदन में भराव सा आ गया है और रंग सांवला होने के बाद भी बहुत सुंदर लगने लगी है बल्कि रंग भी काफ़ी साफ हो गया है। मैंने उससे लाख पूछा लेकिन वह दुष्ट बताती ही नहीं है क्या आप बता सकते हैं कि हमेशा बीमार सी लगने वाली मेरी सहेली अचानक फूल की तरह कैसे खिल उठी है? उसके सौन्दर्य का रहस्य क्या हो सकता है?
संजना परमार,ग्वालियर
संजना जी,पहली बात तो ये कि यदि आप अपनी ही सहेली से ईर्ष्या करेंगी तो आप स्वस्थ नहीं रह पाएंगी मन ही मन कुढ़ती रहेंगी। खुशमिजाज बनी रहिये और अपनी सहेली से प्यार करिये आखिरकार वो आपकी सहेली ही तो है। मैं ये तो नहीं जानता कि वो कौन सी आयुर्वेदिक औषधि ले रही है लेकिन लीजिये मैं आपको एक औषधि योग बता रहा हूं जिसका प्रभाव ठीक वैसा ही रहेगा। -
१ . रजत सिंदूर २.५ ग्राम + चांदी भस्म २.५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म २.५ ग्राम + शतपुटी लौह भस्म २.५ + स्वर्ण माक्षिक भस्म ५ ग्राम + प्रवाल भस्म १० ग्राम इन सबको मिला कर इस मिश्रण में शतावर का चूर्ण २५ ग्राम मिला कर एक बार फिर घॊंट लीजिये। कुल पचास ग्राम औषधि की १०० बराबर वजन की पुड़िया बना लीजिये और सुबह-शाम एक पुड़िया शहद के साथ मिला कर चाट लीजिये बस सौन्दर्य की उसी बहार का आनन्द आप भी महसूस करेंगी।
२ . भोजन के बाद दिन में दो बार अशोकारिष्ट दो चम्मच का सेवन करिये।
खट्टी और तली हुई चीजें मत खाइये और फिर देखिये आपका शरीर भी सुगठित और सेहतमंद हो जाएगा। यह योग एक उत्तम कोटि का रक्तवर्धक व रक्तशोधक है, आपके भी होंठ गुलाबी और गाल भरे दिखने लगेंगे।
संजना परमार,ग्वालियर
संजना जी,पहली बात तो ये कि यदि आप अपनी ही सहेली से ईर्ष्या करेंगी तो आप स्वस्थ नहीं रह पाएंगी मन ही मन कुढ़ती रहेंगी। खुशमिजाज बनी रहिये और अपनी सहेली से प्यार करिये आखिरकार वो आपकी सहेली ही तो है। मैं ये तो नहीं जानता कि वो कौन सी आयुर्वेदिक औषधि ले रही है लेकिन लीजिये मैं आपको एक औषधि योग बता रहा हूं जिसका प्रभाव ठीक वैसा ही रहेगा। -
१ . रजत सिंदूर २.५ ग्राम + चांदी भस्म २.५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म २.५ ग्राम + शतपुटी लौह भस्म २.५ + स्वर्ण माक्षिक भस्म ५ ग्राम + प्रवाल भस्म १० ग्राम इन सबको मिला कर इस मिश्रण में शतावर का चूर्ण २५ ग्राम मिला कर एक बार फिर घॊंट लीजिये। कुल पचास ग्राम औषधि की १०० बराबर वजन की पुड़िया बना लीजिये और सुबह-शाम एक पुड़िया शहद के साथ मिला कर चाट लीजिये बस सौन्दर्य की उसी बहार का आनन्द आप भी महसूस करेंगी।
२ . भोजन के बाद दिन में दो बार अशोकारिष्ट दो चम्मच का सेवन करिये।
खट्टी और तली हुई चीजें मत खाइये और फिर देखिये आपका शरीर भी सुगठित और सेहतमंद हो जाएगा। यह योग एक उत्तम कोटि का रक्तवर्धक व रक्तशोधक है, आपके भी होंठ गुलाबी और गाल भरे दिखने लगेंगे।
शनिवार, दिसंबर 06, 2008
सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस हुआ है
Published :
12/06/2008 08:40:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
आदरणीय डा.साहब,नमस्ते
मैं पिछले कुछ महीनों से गर्दन के पीछे के हिस्से में दर्द व अकड़न महसूस करती हूं। यदि गरदन हिलाने का या घुमाने का प्रयास करती हूं तो दर्द ज्यादा हो जाता है। आपको रिपोर्ट्स भेज रही हूं। बताया गया है कि मुझे सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस हुआ है जबकि एक वैद्य ने मुझे मुख अलग ही नाम बताया था बीमारी का "मनियास्तम्भ" या ऐसा ही कुछ; किंतु मेरे पति ने उनसे इलाज नहीं करवाया कि बिना किसी परीक्षण के क्या ये शक्ल देख कर बीमारी बताएगा,मेरे पति आधुनिक विचारों के हैं। सर्दी के मौसम के कारण शायद ज्यादा तकलीफ़ है। डाक्टर कहते हैं कि गले में पट्टा(कालर) बांधना पड़ेगा। मैं मर जाउंगी लेकिन पट्टा न बंधवाऊंगी। मेरी सहायता करें ताकि आयुर्वेदिक दवा से बीमारी जड़ से समाप्त हो जाए।
अलका रोहिल्ला,आगरा
अलका बहन,आपकी बीमारी को जिस वैद्य ने बताया था वह बिल्कुल सही है उसे आयुर्वेद में "मन्यास्तम्भ" और आधुनिक चिकित्सा में सर्वाइकल स्पोन्डिलायटिस ही कहते हैं,आधुनिकता में आकर अपनी पारंपरिक चिकित्सा का अनादर करना सही नहीं है। लीजिये मैं भी आपको वैसा ही इलाज बता रहा हूं जैसा कि शायद वो वैद्य जी बताते।
१ . धतूरे के बीज १२ ग्राम + रेवंदचीनी ८ ग्राम + सोंठ ७ ग्राम + गर्म तवे पर फ़ुलाई हुई सफ़ेद फिटकरी ६ ग्राम + इसी तरह फ़ुलाया हुआ सुहागा ६ ग्राम + बबूल का गोंद ६ ग्राम इन सब औषधियों को बारीक पीस लें और धतूरे के पत्तों के रस से गीला करके उड़द के दाने के (१२५ मिलीग्राम) बराबर गोलियां बना लीजिए। इस गोली को दिन में केवल एक बार गर्म जल से लीजिये दोपहर का भोजन करने के बाद ही लें काली पेट दवा हरगिज न लें।
२ वातगजांकुश रस १ गोली दिन में दो बार सुबह-शाम दशमूल क्वाथ के दो चम्मच के साथ लें।
३. आभादि गुग्गुलु १ गोली दिन में दो बार सुबह-शाम रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ लें।
४. महामाष तेल की तीन-तीन बूंदे दोनो कानों व नाक में सुबह-शाम डालिये।
तीखे भोजन से सख्त परहेज करिये। आपकी समस्या मात्र एक माह में किधर गायब हो जाएगी आपको आश्चर्य होगा और पहले ही दिन से लाभ प्रतीत होन लगेगा।
शुक्रवार, दिसंबर 05, 2008
इच्छा होते हुए भी लैंगिक उत्थान ही नहीं होता है क्या ये नपुंसकता है?
Published :
12/05/2008 02:26:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
आदरणीय डाक्टर जी नमस्ते
मेरी उम्र पैंतालीस साल है। नौकरीपेशा आदमी हूं। पिछले छह माह से मैंने पाया है कि मन में इच्छा होते हुए भी शरीर साथ नहीं देता यानि कि लैंगिक उत्थान ही नहीं होता है। जबकि सब कुछ सामान्य है लेकिन ये धीरे-धीरे उत्तेजना का स्तर कम होता चला गया और अब अंग में उत्तेजना ही नहीं होती तो सहवास तो संभव ही नहीं है। वियाग्रा जैसी दवाएं तो बहुत मंहगी हैं साथ ही अब उनके दुष्परिणाम भी पता चलने लगे हैं। मुझे अक्सर कफ़ की शिकायत रहती है। सारा शरीर शिथिल होता जा रहा है। कुछ उपाय बताइये। मैं कोई नशा नहीं करता हूं। घरेलू जीवन नीरस हो चला है स्त्रियोचित लज्जा के कारण पत्नी कुछ कहती नहीं पर उसे भी तो इच्छा होती होगी। मेरी मदद करिये।
अनाम
भाईसाहब,मैं आप की समस्या समझ रहा हूं। आपने काफ़ी विस्तार से पत्र लिखा है। उसका कुछ अंश ही प्रकाशित किया जा रहा है। पुरुषांग में उत्साह की कमी या एकदम न होना आपकी समस्या है। आप निम्न औषधि दो माह तक सर्दियों में ले लीजिये-
१ . मल्ल सिंदूर ५ ग्राम + अतुलशक्तिदाता योग ५ ग्राम + शुद्ध कुचला का चूर्ण ५ ग्राम + शुद्ध विषबीज ५ ग्राम + असली अकरकरा ५ ग्राम + जायफ़ल ५ ग्राम + जावित्री ५ ग्राम + लौंग ५ ग्राम + शुद्ध शिलाजीत २० ग्राम + त्रिबंग भस्म २० ग्राम + शुद्ध कौंच के बीज २० ग्राम; इन सभी दवाओं को मजबूत हाथों से कम से कम दो घंटे तक इतना घोंटियेकि मल्ल सिंदूर की सारी चमक समाप्त हो जाए। इसके बाद इसमें देसी पान के पत्तों का रस २५ मिली. + धतूरे के फूलों का रस २५ मिली. + सेमल मूसली का काढ़ा २५ मिली मिला कर एक बार फिर से कस कर रगड़िये और हल्का सा सूखने लगे तो २५० मिलीग्राम की गोलियां बना कर छाया में सुखा लीजिये। सुबह - शाम एक एक गोली गर्म दूध में शहद मिला कर लीजिये। ध्यान रखिये कि इस दौरान जब आप दवा का सेवन कर रहे हैं दूध, घी, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पेड़ा, बादाम, पिस्ता, ताजे फल, केला आदि का खूब सेवन करिये क्योंकि यह एक बहुत तीव्र प्रभाव वाली औषधि है। यदि खाने में लापरवाही करी तो हानि होगी।
२ . कब्जियत न रहे और पेट सही साफ बना रहे इसके लिये बादाम का एक चम्मच तेल रात को सोते समय मीठे दूध में मिला कर लीजिये।
आपकी कफ़ की समस्या भी एकदम समाप्त हो जाएगी।
एक विशेष बात कि पैंतीस साल से कम उम्र के लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिये साथ ही यदि ब्लड प्रेशर अधिक रहता हो या पित्त की शिकायत रहती हो तब भी इसका सेवन न करें।
मेरी उम्र पैंतालीस साल है। नौकरीपेशा आदमी हूं। पिछले छह माह से मैंने पाया है कि मन में इच्छा होते हुए भी शरीर साथ नहीं देता यानि कि लैंगिक उत्थान ही नहीं होता है। जबकि सब कुछ सामान्य है लेकिन ये धीरे-धीरे उत्तेजना का स्तर कम होता चला गया और अब अंग में उत्तेजना ही नहीं होती तो सहवास तो संभव ही नहीं है। वियाग्रा जैसी दवाएं तो बहुत मंहगी हैं साथ ही अब उनके दुष्परिणाम भी पता चलने लगे हैं। मुझे अक्सर कफ़ की शिकायत रहती है। सारा शरीर शिथिल होता जा रहा है। कुछ उपाय बताइये। मैं कोई नशा नहीं करता हूं। घरेलू जीवन नीरस हो चला है स्त्रियोचित लज्जा के कारण पत्नी कुछ कहती नहीं पर उसे भी तो इच्छा होती होगी। मेरी मदद करिये।
अनाम
भाईसाहब,मैं आप की समस्या समझ रहा हूं। आपने काफ़ी विस्तार से पत्र लिखा है। उसका कुछ अंश ही प्रकाशित किया जा रहा है। पुरुषांग में उत्साह की कमी या एकदम न होना आपकी समस्या है। आप निम्न औषधि दो माह तक सर्दियों में ले लीजिये-
१ . मल्ल सिंदूर ५ ग्राम + अतुलशक्तिदाता योग ५ ग्राम + शुद्ध कुचला का चूर्ण ५ ग्राम + शुद्ध विषबीज ५ ग्राम + असली अकरकरा ५ ग्राम + जायफ़ल ५ ग्राम + जावित्री ५ ग्राम + लौंग ५ ग्राम + शुद्ध शिलाजीत २० ग्राम + त्रिबंग भस्म २० ग्राम + शुद्ध कौंच के बीज २० ग्राम; इन सभी दवाओं को मजबूत हाथों से कम से कम दो घंटे तक इतना घोंटियेकि मल्ल सिंदूर की सारी चमक समाप्त हो जाए। इसके बाद इसमें देसी पान के पत्तों का रस २५ मिली. + धतूरे के फूलों का रस २५ मिली. + सेमल मूसली का काढ़ा २५ मिली मिला कर एक बार फिर से कस कर रगड़िये और हल्का सा सूखने लगे तो २५० मिलीग्राम की गोलियां बना कर छाया में सुखा लीजिये। सुबह - शाम एक एक गोली गर्म दूध में शहद मिला कर लीजिये। ध्यान रखिये कि इस दौरान जब आप दवा का सेवन कर रहे हैं दूध, घी, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पेड़ा, बादाम, पिस्ता, ताजे फल, केला आदि का खूब सेवन करिये क्योंकि यह एक बहुत तीव्र प्रभाव वाली औषधि है। यदि खाने में लापरवाही करी तो हानि होगी।
२ . कब्जियत न रहे और पेट सही साफ बना रहे इसके लिये बादाम का एक चम्मच तेल रात को सोते समय मीठे दूध में मिला कर लीजिये।
आपकी कफ़ की समस्या भी एकदम समाप्त हो जाएगी।
एक विशेष बात कि पैंतीस साल से कम उम्र के लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिये साथ ही यदि ब्लड प्रेशर अधिक रहता हो या पित्त की शिकायत रहती हो तब भी इसका सेवन न करें।
मेरा भी वैवाहिक जीवन बर्बाद है शीघ्रपतन के कारण....
Published :
12/05/2008 01:20:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
आदरणीय सर नमस्ते
पिछली पोस्ट पढ़ कर साहस कर रहा हूं वरना सोचता था कि शायद आप उत्तर नहीं देंगे। मुझे उत्तेजना होती और इन्द्री में कड़ापन भी होता है लेकिन परेशानी ये है कि दो या दीन स्ट्रोक्स में ही वीर्य निकल जाता है। मैं एक नामचीन न्यूजपेपर में सलाह देने वाले सैक्सोलाजिस्ट के पास से तीन महीने से दवाएं ले रहा हूं जो कि बहुत मंहगी हैं लेकिन कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा बल्कि वीर्य निकलने के बाद बहुत कमजोरी सी महसूस होने लगी है। कभी-कभी आंखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है। मैं खाने पीने में कोई कसर नहीं रखता पौष्टिक आहार लेता हूं। कोई नशा नहीं करता हूं।
अनाम
भाईसाहब,मैं आप की समस्या को समझ रहा हूं इसलिये अधिक विस्तार में न जाकर सीधे आपकी समस्या के लिये दवा सुझा रहा हूं-
१ . चन्द्रोदय १० ग्राम + बंग भस्म १० ग्राम + असली केसर १० ग्राम + जायफ़ल १० ग्राम + असली अकरकरा १० ग्राम + जावित्री १० ग्राम + लौंग का चूर्ण १० ग्राम + दालचीनी १० ग्राम + खुरासानी अजवायन १० ग्राम + गाय के घी में भून कर शुद्ध करी हुई भांग १०० ग्राम; इन सबको खूब घुटाई करें जब तक कि चंद्रोदय की चमक समाप्त न हो जाए फिर इस मिश्रण में धतूरे के ताजे फूलों की पंखड़ियां २० ग्राम मिला कर घॊंट कर २५० मिलीग्राम वजन की गोलियां बना लें। सहवास से ढाई-तीन घंटे पहले एक गोली शहद से मीठे करे दूध के साथ लीजिये। ध्यान रहे कि दवा खाली पेट न लें और साथ ही अत्यंत पौष्टिक आहार लें।
२ . कब्जियत न रहे और पेट सही साफ बना रहे इसके लिये बादाम का एक चम्मच तेल रात को सोते समय मीठे दूध में मिला कर लीजिये।
पिछली पोस्ट पढ़ कर साहस कर रहा हूं वरना सोचता था कि शायद आप उत्तर नहीं देंगे। मुझे उत्तेजना होती और इन्द्री में कड़ापन भी होता है लेकिन परेशानी ये है कि दो या दीन स्ट्रोक्स में ही वीर्य निकल जाता है। मैं एक नामचीन न्यूजपेपर में सलाह देने वाले सैक्सोलाजिस्ट के पास से तीन महीने से दवाएं ले रहा हूं जो कि बहुत मंहगी हैं लेकिन कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा बल्कि वीर्य निकलने के बाद बहुत कमजोरी सी महसूस होने लगी है। कभी-कभी आंखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है। मैं खाने पीने में कोई कसर नहीं रखता पौष्टिक आहार लेता हूं। कोई नशा नहीं करता हूं।
अनाम
भाईसाहब,मैं आप की समस्या को समझ रहा हूं इसलिये अधिक विस्तार में न जाकर सीधे आपकी समस्या के लिये दवा सुझा रहा हूं-
१ . चन्द्रोदय १० ग्राम + बंग भस्म १० ग्राम + असली केसर १० ग्राम + जायफ़ल १० ग्राम + असली अकरकरा १० ग्राम + जावित्री १० ग्राम + लौंग का चूर्ण १० ग्राम + दालचीनी १० ग्राम + खुरासानी अजवायन १० ग्राम + गाय के घी में भून कर शुद्ध करी हुई भांग १०० ग्राम; इन सबको खूब घुटाई करें जब तक कि चंद्रोदय की चमक समाप्त न हो जाए फिर इस मिश्रण में धतूरे के ताजे फूलों की पंखड़ियां २० ग्राम मिला कर घॊंट कर २५० मिलीग्राम वजन की गोलियां बना लें। सहवास से ढाई-तीन घंटे पहले एक गोली शहद से मीठे करे दूध के साथ लीजिये। ध्यान रहे कि दवा खाली पेट न लें और साथ ही अत्यंत पौष्टिक आहार लें।
२ . कब्जियत न रहे और पेट सही साफ बना रहे इसके लिये बादाम का एक चम्मच तेल रात को सोते समय मीठे दूध में मिला कर लीजिये।
गुरुवार, दिसंबर 04, 2008
दांतो में हमेशा टीस मारता हुआ दर्द होता रहता है,पायरिया है
Published :
12/04/2008 10:00:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्ते
मेरे दांतो में हमेशा टीस मारता हुआ दर्द होता रहता है,मसूढ़ों से मवाद(pus) और खून आता है, मसूढ़े एकदम पिलपिले से हो गये हैं, मुंह से बदबू भी बहुत आती है। लोग कहते हैं कि पायरिया हो गया है। मैंने नीम की दातुन करने की कोशिश करी तो ज्यादा खून आने लगा तब मैंने घबरा कर दातुन करना छोड़ दिया। आयुर्वेदिक इलाज बताइये। धन्यवाद
रंजन निगम,कानपुर
रंजन जी,बेफिक्र हो जाइये और धैर्य से इस दवा का सेवन करें। जब तक सही स्थिति न हो जाए नीम की दातुन आपको नुक्सान ही करेगी और मसूढ़े छील देगी जिससे अधिक खून आएगा ।
१ . गंधक रसायन ५ ग्राम + आरोग्यवर्धिनी बटी ५ ग्राम + कसीस भस्म ५ ग्राम + शुभ्रा(फिटकरी) भस्म ५ ग्राम + सोना गेरू १० ग्राम + त्रिफला चूर्ण २० ग्राम; इन सबको घोंट करके मिला लीजिये। इस पूरी दवा की बराबर वजन की कुल इक्कीस पुड़िया बना लीजिये। सुबह - दोपहर - शाम को एक-एक पुड़िया एक कप पानी में घोल कर मुंह में भर कर जितनी देर रख सकें रखिये फिर उसे निगल लीजिये। मात्र सात दिनों में ही आपकी सारी समस्या छूमंतर हो जाएगी।
मेरे दांतो में हमेशा टीस मारता हुआ दर्द होता रहता है,मसूढ़ों से मवाद(pus) और खून आता है, मसूढ़े एकदम पिलपिले से हो गये हैं, मुंह से बदबू भी बहुत आती है। लोग कहते हैं कि पायरिया हो गया है। मैंने नीम की दातुन करने की कोशिश करी तो ज्यादा खून आने लगा तब मैंने घबरा कर दातुन करना छोड़ दिया। आयुर्वेदिक इलाज बताइये। धन्यवाद
रंजन निगम,कानपुर
रंजन जी,बेफिक्र हो जाइये और धैर्य से इस दवा का सेवन करें। जब तक सही स्थिति न हो जाए नीम की दातुन आपको नुक्सान ही करेगी और मसूढ़े छील देगी जिससे अधिक खून आएगा ।
१ . गंधक रसायन ५ ग्राम + आरोग्यवर्धिनी बटी ५ ग्राम + कसीस भस्म ५ ग्राम + शुभ्रा(फिटकरी) भस्म ५ ग्राम + सोना गेरू १० ग्राम + त्रिफला चूर्ण २० ग्राम; इन सबको घोंट करके मिला लीजिये। इस पूरी दवा की बराबर वजन की कुल इक्कीस पुड़िया बना लीजिये। सुबह - दोपहर - शाम को एक-एक पुड़िया एक कप पानी में घोल कर मुंह में भर कर जितनी देर रख सकें रखिये फिर उसे निगल लीजिये। मात्र सात दिनों में ही आपकी सारी समस्या छूमंतर हो जाएगी।
लिंग में उत्तेजना नहीं वैवाहिक जीवन सत्यानाश हो रहा है।
Published :
12/04/2008 09:20:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सर, ऐसी परिस्थिति में हूं कि रहा भी नहीं जा रहा है और कहा भी नहीं जा रहा है। बहुत हिम्मत जुटा कर लिख रहा हूं मेरी नयी-नयी शादी हुई है लेकिन मैंने ये पाया कि मेरे लिंग में पर्याप्त कठोरता नहीं आती कि मैं सफल सहवास कर सकूं। इस प्रश्न को अश्लील मान कर ऐसा न हो कि आप उत्तर न दें। अगर किसी सैक्सोलाजिस्ट के पास जाता हूं तो ये लोग किसी ब्लैकमेलर से कम नहीं होते। मेहरबानी करके यदि दवा सुझाएं तो उसकी कीमत का भी ध्यान रखें कि ज्यादा कीमती न हो। मुझे कोई और बीमारी नहीं है और न ही कोई व्यसन है मैं शराब आदि नहीं पीता हूं न ही मांसाहारी हूं।
अनाम
भाई,आपकी समस्या गम्भीर है न कि अश्लील इसलिये उत्तर देना आवश्यक है। सांसारिक संबंधों के वैवाहिक जीवन का निर्वाह करने की आधार ऊर्जा काम ही है। आप निराश न हों इन दवाओं का लगातार कम से कम एक माह तक तो सेवन करें ही। मात्र पहले ही दिन से आपको प्रभाव दिखने लगेगा-
१. सिद्ध मकरध्वज ५ ग्राम + वैक्रान्त भस्म ५ ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १० ग्राम + अश्वगंधा का चूर्ण ४० ग्राम; इस पूरी साठ ग्राम औषधि में पहले मकरध्वज और भस्मों को बहुत कस कर घोंट लीजिये ताकि उनकी चमक समाप्त हो जाए फिर अश्वगंधा मिला कर घुटाई करें। इस मिश्रण की कुल चालीस बराबर खुराकें बना लीजिये। हलके गर्म दूध में शहद मिला कर एक-एक पुड़िया सुबह शाम लीजिये। जब दवा की पुड़िया मुंह में डालें तब थोड़ी सी मिश्री मुंह में रख लें ताकि दवा आसानी से घुल कर अंदर चली जाए मुंह में चिपके नहीं।
२ . कब्जियत न रहे इस लिये रात में सोने से एक घंटे पहले दो चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल में घोल कर सेवन करें।
अनाम
भाई,आपकी समस्या गम्भीर है न कि अश्लील इसलिये उत्तर देना आवश्यक है। सांसारिक संबंधों के वैवाहिक जीवन का निर्वाह करने की आधार ऊर्जा काम ही है। आप निराश न हों इन दवाओं का लगातार कम से कम एक माह तक तो सेवन करें ही। मात्र पहले ही दिन से आपको प्रभाव दिखने लगेगा-
१. सिद्ध मकरध्वज ५ ग्राम + वैक्रान्त भस्म ५ ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १० ग्राम + अश्वगंधा का चूर्ण ४० ग्राम; इस पूरी साठ ग्राम औषधि में पहले मकरध्वज और भस्मों को बहुत कस कर घोंट लीजिये ताकि उनकी चमक समाप्त हो जाए फिर अश्वगंधा मिला कर घुटाई करें। इस मिश्रण की कुल चालीस बराबर खुराकें बना लीजिये। हलके गर्म दूध में शहद मिला कर एक-एक पुड़िया सुबह शाम लीजिये। जब दवा की पुड़िया मुंह में डालें तब थोड़ी सी मिश्री मुंह में रख लें ताकि दवा आसानी से घुल कर अंदर चली जाए मुंह में चिपके नहीं।
२ . कब्जियत न रहे इस लिये रात में सोने से एक घंटे पहले दो चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल में घोल कर सेवन करें।
बुधवार, दिसंबर 03, 2008
मेरा दोस्त पागल हो गया है उसे बचा लीजिये
Published :
12/03/2008 05:19:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सर,मैंने सर्च इंजनों से तलाश कर-करके आयुषवेद का पता निकाला और मुझे उम्मीद है कि समस्या का समुचित हल मिल जाएगा। मैं अपने बचपन के दोस्त के घर लगभग बारह साल बाद उस जगह पोस्टिंग पर आया तो देखा कि मेरा दोस्त पागलों जैसी हालत में है। उसके माता-पिता ने बताया कि उसकी नवविवाहिता पत्नी के साथ किन्ही अपराधियों ने बलात्कार करा व उसकी हत्या कर दी। उस घटना के बाद मेरे मित्र ने अठारह दिन तक शोक की हालत में खाना नहीं खाया और फिर उसके बाद से आज तक कई साल से यही हाल है कि वह अकेले बैठ कर चिल्लाता रोता और गालियां देता रहता है। नींद न के बराबर है। मेरे सुंदर से दोस्त की हालत पर मुझे रोना आ गया, उसकी त्वचा एकदम रूखी सी झुर्रीदार हो गयी है रंग सांवला हो गया है एकदम दुबला हो गया है। मुझे लगता है कि यदि कुछ समय यही हाल रहा तो मेरा दोस्त मर जाएगा। सरकारी अस्पताल से उपचार कराया लेकिन कोई लाभ न हुआ बल्कि उन दवाओं से भूख एकदम मर गयी है अब तो बड़ा आग्रह करके खिलाना पड़ता है। मुझे पहचान कर उसने सारी कहानी बड़े आक्रोश में बतायी रह-रह कार दांत पीसता है। मेहरबानी करें कोई उपचार बताएं मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जाती।
अंजन श्रीवास्तव,बलराम पुर
अंजन जी,आयुषवेद परिवार को आपके मित्र की दुखद परिस्थितियों के चलते उससे सहानुभूति है। विश्वास रखिये कि आपके मित्र की हालत सुधर जाएगी और वह सामान्य जीवन जी सकेगा। घटना के बाद जो शोक उपजा और उस हालत में इतने दिनों तक उपवास ने देह में वात को कुपित कर दिया जिसका दुष्परिणाम सामने है। आप उन्हें प्यार से मना कर निम्न दवाएं दें-
१ . उन्माद गजकेशरी रस एक-एक गोली सुबह-दोपहर-शाम एक चम्मच गाय के घी तथा दो चम्मच शहद के साथ मिला कर चटा दें।
२. सुबह-दोपहर-शाम इस दवा को देने के आधे घंटे बाद महारास्नादि काढ़े के दो-दो चम्मच पिलाइये।
इस उपचार को न्यूनतम छह माह तक दें वैसे तो सप्ताह भर में ही सुधार दिखने लगेगा। एक माह बाद पुनः सम्पर्क करिये ताकि आगे के सुधार के अनुसार उपचार बताया जा सके।
अंजन श्रीवास्तव,बलराम पुर
अंजन जी,आयुषवेद परिवार को आपके मित्र की दुखद परिस्थितियों के चलते उससे सहानुभूति है। विश्वास रखिये कि आपके मित्र की हालत सुधर जाएगी और वह सामान्य जीवन जी सकेगा। घटना के बाद जो शोक उपजा और उस हालत में इतने दिनों तक उपवास ने देह में वात को कुपित कर दिया जिसका दुष्परिणाम सामने है। आप उन्हें प्यार से मना कर निम्न दवाएं दें-
१ . उन्माद गजकेशरी रस एक-एक गोली सुबह-दोपहर-शाम एक चम्मच गाय के घी तथा दो चम्मच शहद के साथ मिला कर चटा दें।
२. सुबह-दोपहर-शाम इस दवा को देने के आधे घंटे बाद महारास्नादि काढ़े के दो-दो चम्मच पिलाइये।
इस उपचार को न्यूनतम छह माह तक दें वैसे तो सप्ताह भर में ही सुधार दिखने लगेगा। एक माह बाद पुनः सम्पर्क करिये ताकि आगे के सुधार के अनुसार उपचार बताया जा सके।
मेनोपाज़(menopause) की स्थिति से गुजर रही हूं
Published :
12/03/2008 01:37:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डियर डाक्टर रूपेश
मैं इस समय मेनोपाज़(menopause) की स्थिति से गुजर रही हूं। मासिक धर्म अनियमित हो चला है और धीरे-धीरे करके कुछ समय में बंद हो जाएगा। मैं मानसिक तौर पर तो जरा भी डिस्टर्ब नहीं हूं पर कमर, घुटनों में बहुत तेज़ दर्द होता रहता है मैं एलोपैथी की दवाएं नहीं खाना चाहती हूं। मैं इकहरे शरीर की हूं। कुछ कमजोरी भी प्रतीत होती है। क्या इस उमर में कुछ वजन बढ़ाया जा सकता है? आयुर्वेद से कुछ बताइये।
रजनी चंद्रा,बिजनौर
रजनी बहन,आप परेशान न हों, आपको ऐलोपैथी की दवाएं नहीं खाना पडे़गी। आप इस योग को लीजिये-
अश्वगंधा चूर्ण १०० ग्राम + मेथीदाना पीसा हुआ १०० ग्राम + सोंठ २५ ग्राम + विधारा चूर्ण १०० ग्राम ; इन सबको बारीक करके शीशी में भर कर रख लें और सुबह नाश्ते के बाद व शाम को चाय के बाद एक चम्मच इस मिश्रण को हलके गर्म पानी से लीजिये। यकीन मानिये कि यदि आप इसका सेवन तीन माह तक कर लेती हैं तो आपके रजोसमाप्ति से संबंधित परेशानियां से खत्म हो ही जाएंगी साथ ही जो दर्द है वह गायब हो जाएगा और आपका वजन भी बढ़ेगा। यह अत्यंत लाभदायक योग है आप अपने जैसी अन्य महिलाओं को भी इसका लाभ लेने के लिये सुझा सकती हैं।
मैं इस समय मेनोपाज़(menopause) की स्थिति से गुजर रही हूं। मासिक धर्म अनियमित हो चला है और धीरे-धीरे करके कुछ समय में बंद हो जाएगा। मैं मानसिक तौर पर तो जरा भी डिस्टर्ब नहीं हूं पर कमर, घुटनों में बहुत तेज़ दर्द होता रहता है मैं एलोपैथी की दवाएं नहीं खाना चाहती हूं। मैं इकहरे शरीर की हूं। कुछ कमजोरी भी प्रतीत होती है। क्या इस उमर में कुछ वजन बढ़ाया जा सकता है? आयुर्वेद से कुछ बताइये।
रजनी चंद्रा,बिजनौर
रजनी बहन,आप परेशान न हों, आपको ऐलोपैथी की दवाएं नहीं खाना पडे़गी। आप इस योग को लीजिये-
अश्वगंधा चूर्ण १०० ग्राम + मेथीदाना पीसा हुआ १०० ग्राम + सोंठ २५ ग्राम + विधारा चूर्ण १०० ग्राम ; इन सबको बारीक करके शीशी में भर कर रख लें और सुबह नाश्ते के बाद व शाम को चाय के बाद एक चम्मच इस मिश्रण को हलके गर्म पानी से लीजिये। यकीन मानिये कि यदि आप इसका सेवन तीन माह तक कर लेती हैं तो आपके रजोसमाप्ति से संबंधित परेशानियां से खत्म हो ही जाएंगी साथ ही जो दर्द है वह गायब हो जाएगा और आपका वजन भी बढ़ेगा। यह अत्यंत लाभदायक योग है आप अपने जैसी अन्य महिलाओं को भी इसका लाभ लेने के लिये सुझा सकती हैं।
गर्भाशय की दुर्बलता के कारण गर्भ धारण नहीं हो रहा,prolapse of uterus है
Published :
12/03/2008 01:11:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी पत्नी को गर्भाशय की दुर्बलता के कारण गर्भ धारण नहीं हो रहा है। लेडी डाक्टर ने उसे prolapse of uterus नामक बीमारी बताई है और कहा है कि आपरेशन करवाना पडेगा। योनि एकदम ढीली है मेरी पत्नी ने बताया कि ऐसा महसूस होता है कि योनि की अंदरूनी दोनो दीवारें एक दूसरे पर फिसल रही हों। तेज चुभन जैसा दर्द होता है जो कि सीढी चढ़ने-उतरने पर ज्यादा हो जाता है। सफेद पानी(लिकोरिया) की भी शिकायत है। मैं आपरेशन नहीं करवा सकता पैसे की समस्या है पत्नी की हालत दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है। कुछ उपाय बताइए ताकि आपरेशन न करवाना पड़े। धन्यवाद
अनाम
भाईसाहब,पहली बात तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि आपरेशन की कोई जरूरत नहीं है आप उसकी चिंता बिलकुल न करें। इन दवाओं को प्रयोग बताई जा रही विधि से करवाएं, सब ठीक हो जाएगा।
माजूफल + मुलायम सुपारी + सुपारी के फूल + बड़ी इलायची + कचूर + धाय के फूल + तज + छोटी हरड़ + फिटकरी + गुलाब के फूल + बड़ी हरड़ का बक्कल + गुड़मार; इन सभी चीजों को बराबर वजन से लेकर (अनुमानतः २५ ग्राम प्रत्येक लीजिये) बारीक चूर्ण कर लें , सभी फूल सूखे लें वरना पीसने में दिक्कत होगी। इस मिश्रित चूर्ण में से २० ग्राम लेकर स्वच्छ मलमल के कपड़े में बांध कर इतनी बड़ी पोटली जैसी बनाएं कि उसे योनि के मार्ग से गर्भाशय के मुख पर रखा जा सके। पोटलॊ पर बांधा हुआ धागा योनि से बाहर रखें ताकि निकालने में कोई परेशानी न हो। ये पोटली ऐसे समय पर रखें कि कम से कम तीन घंटे तो वह अंदर रह सके। प्रत्येक बार नया कपड़ा प्रयोग करें। इस उपचार को कम से कम एक माह तक दीजिये इस दौरान सीढी पर चढ़ना-उतरना और सहवास से बचाव करें। आश्चर्यजनक परिणाम सामने आयेंगे, किसी अन्य औषधि की कोई आवश्यकता नहीं है। मिर्च-मसालेदार भोजन से परहेज करें।
मेरी पत्नी को गर्भाशय की दुर्बलता के कारण गर्भ धारण नहीं हो रहा है। लेडी डाक्टर ने उसे prolapse of uterus नामक बीमारी बताई है और कहा है कि आपरेशन करवाना पडेगा। योनि एकदम ढीली है मेरी पत्नी ने बताया कि ऐसा महसूस होता है कि योनि की अंदरूनी दोनो दीवारें एक दूसरे पर फिसल रही हों। तेज चुभन जैसा दर्द होता है जो कि सीढी चढ़ने-उतरने पर ज्यादा हो जाता है। सफेद पानी(लिकोरिया) की भी शिकायत है। मैं आपरेशन नहीं करवा सकता पैसे की समस्या है पत्नी की हालत दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है। कुछ उपाय बताइए ताकि आपरेशन न करवाना पड़े। धन्यवाद
अनाम
भाईसाहब,पहली बात तो मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि आपरेशन की कोई जरूरत नहीं है आप उसकी चिंता बिलकुल न करें। इन दवाओं को प्रयोग बताई जा रही विधि से करवाएं, सब ठीक हो जाएगा।
माजूफल + मुलायम सुपारी + सुपारी के फूल + बड़ी इलायची + कचूर + धाय के फूल + तज + छोटी हरड़ + फिटकरी + गुलाब के फूल + बड़ी हरड़ का बक्कल + गुड़मार; इन सभी चीजों को बराबर वजन से लेकर (अनुमानतः २५ ग्राम प्रत्येक लीजिये) बारीक चूर्ण कर लें , सभी फूल सूखे लें वरना पीसने में दिक्कत होगी। इस मिश्रित चूर्ण में से २० ग्राम लेकर स्वच्छ मलमल के कपड़े में बांध कर इतनी बड़ी पोटली जैसी बनाएं कि उसे योनि के मार्ग से गर्भाशय के मुख पर रखा जा सके। पोटलॊ पर बांधा हुआ धागा योनि से बाहर रखें ताकि निकालने में कोई परेशानी न हो। ये पोटली ऐसे समय पर रखें कि कम से कम तीन घंटे तो वह अंदर रह सके। प्रत्येक बार नया कपड़ा प्रयोग करें। इस उपचार को कम से कम एक माह तक दीजिये इस दौरान सीढी पर चढ़ना-उतरना और सहवास से बचाव करें। आश्चर्यजनक परिणाम सामने आयेंगे, किसी अन्य औषधि की कोई आवश्यकता नहीं है। मिर्च-मसालेदार भोजन से परहेज करें।
मल से खून और पस(मवाद) आता है,बीमारी का नाम ulcerative colitis है।
Published :
12/03/2008 12:12:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सर नमस्ते
मेरी उम्र ४६ साल है। मुझे आंतो में जख्म हैं जिसके कारण मल से खून और पस(मवाद) आता है और बहुत दर्द होता है पहले मुझे पेट में जलन रहा करती थी लेकिन अब जलन के साथ में भयंकर दर्द भी रहता है। कुछ लोगों ने बताया कि इसे ग्रहणी रोग कहते हैं। हास्पिटल में मुझे बीमारी का नाम ulcerative colitis (अल्सरेटिव कोलायटिस) बताया है। तकलीफ़ करीब दो माह से है उर दवाएं खाते रहने के बाद भी रत्ती भर अंतर महसूस नहीं होते दिख रहा है। क्या मैं जीवित बचूंगा? क्या आयुर्वेद में इसका इलाज है?
जयेश हडकर,ठाणे(महाराष्ट्र)
जयेश जी, जैसा कि आपने अपनी मल,रक्त व मूत्र की रिपोर्ट की स्कैन करी हुई प्रति भेजी है। देख कर मैं आपके रोग की गम्भीरता व आपकी तकलीफ़ को समझ रहा हूं। यदि आयु शेष है तो फिर दवाएं अवश्य असर करती हैं पर आप हौसला रखें और निम्न दवाएं लीजिये -
कुटज छाल का चूर्ण(यदि घनसत्व मिले तो दवा तेजी से असर करती है) ४ ग्राम(घनसत्त्व २ ग्राम) + शुद्ध वंशलोचन १ ग्राम + लौह भस्म १ ग्राम + शीतल(कबाब)चीनी १ ग्राम + छोटी इलायची १ ग्राम इन सब को बारीक पीस कर रखें
इसमें से एक ग्राम दवा की मात्रा मट्ठे या जल के साथ दिन में दो बार सुबह शाम दें यदि हो सके तो तुलसी के पत्ते के काढ़े को दिन में दो बार दो-दो चम्मच पिलाएं।
आप यह दवा तीन माह तक लगातार लें इस औषधि से आपको पहले ही दिन से आराम महसूस होने लगेगा।
मेरी उम्र ४६ साल है। मुझे आंतो में जख्म हैं जिसके कारण मल से खून और पस(मवाद) आता है और बहुत दर्द होता है पहले मुझे पेट में जलन रहा करती थी लेकिन अब जलन के साथ में भयंकर दर्द भी रहता है। कुछ लोगों ने बताया कि इसे ग्रहणी रोग कहते हैं। हास्पिटल में मुझे बीमारी का नाम ulcerative colitis (अल्सरेटिव कोलायटिस) बताया है। तकलीफ़ करीब दो माह से है उर दवाएं खाते रहने के बाद भी रत्ती भर अंतर महसूस नहीं होते दिख रहा है। क्या मैं जीवित बचूंगा? क्या आयुर्वेद में इसका इलाज है?
जयेश हडकर,ठाणे(महाराष्ट्र)
जयेश जी, जैसा कि आपने अपनी मल,रक्त व मूत्र की रिपोर्ट की स्कैन करी हुई प्रति भेजी है। देख कर मैं आपके रोग की गम्भीरता व आपकी तकलीफ़ को समझ रहा हूं। यदि आयु शेष है तो फिर दवाएं अवश्य असर करती हैं पर आप हौसला रखें और निम्न दवाएं लीजिये -
कुटज छाल का चूर्ण(यदि घनसत्व मिले तो दवा तेजी से असर करती है) ४ ग्राम(घनसत्त्व २ ग्राम) + शुद्ध वंशलोचन १ ग्राम + लौह भस्म १ ग्राम + शीतल(कबाब)चीनी १ ग्राम + छोटी इलायची १ ग्राम इन सब को बारीक पीस कर रखें
इसमें से एक ग्राम दवा की मात्रा मट्ठे या जल के साथ दिन में दो बार सुबह शाम दें यदि हो सके तो तुलसी के पत्ते के काढ़े को दिन में दो बार दो-दो चम्मच पिलाएं।
आप यह दवा तीन माह तक लगातार लें इस औषधि से आपको पहले ही दिन से आराम महसूस होने लगेगा।
सोमवार, दिसंबर 01, 2008
हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन व तेज चुभने जैसा दर्द …….
Published :
12/01/2008 06:31:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
सर नमस्कार
मेरी माता जी की उम्र ५२ साल है उन्हें हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन व तेज चुभने जैसा दर्द होता रहता है। इस बीमारी के कारण उन्हें चलने तक में बहुत दिक्कत होती है। ये बीमारी लगभग सात-आठ साल से उन्हें परेशान कर रही है। कोई आयुर्वेदिक इलाज बताइये
समीर पंडा,भुवनेश्वर
समीर जी, आपने अपनी माता जी की तमाम रिपोर्ट्स भेजी हैं उन्हें देख कर बीमारी को अच्छे तरीके से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर हूं कि आप उन्हें निम्न दवाएं दीजिये-
१ . कैशोर गुग्गुलु २ गोली + पुनर्नवा गुग्गुलु २ गोली + गोक्षुरादि गुग्गुलु २ गोली ; इन सब गोलियों को पीस लें व ऐसी एक खुराक बनाएं। इस तरह की मिश्रित दवा की खुराक को दिन में तीन बार शहद के साथ चटाइये। माताजी को यह दवा कम से कम तीन माह तक लेना होगा।
मेरी माता जी की उम्र ५२ साल है उन्हें हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन व तेज चुभने जैसा दर्द होता रहता है। इस बीमारी के कारण उन्हें चलने तक में बहुत दिक्कत होती है। ये बीमारी लगभग सात-आठ साल से उन्हें परेशान कर रही है। कोई आयुर्वेदिक इलाज बताइये
समीर पंडा,भुवनेश्वर
समीर जी, आपने अपनी माता जी की तमाम रिपोर्ट्स भेजी हैं उन्हें देख कर बीमारी को अच्छे तरीके से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर हूं कि आप उन्हें निम्न दवाएं दीजिये-
१ . कैशोर गुग्गुलु २ गोली + पुनर्नवा गुग्गुलु २ गोली + गोक्षुरादि गुग्गुलु २ गोली ; इन सब गोलियों को पीस लें व ऐसी एक खुराक बनाएं। इस तरह की मिश्रित दवा की खुराक को दिन में तीन बार शहद के साथ चटाइये। माताजी को यह दवा कम से कम तीन माह तक लेना होगा।
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कल्पतरू रस
कामधेनु रस
कृमिकुठार रस
कृमिमुग्दर रस
कफ़चिंतामणि रस
कांकायन बटी
कन्यालोहादि बटी
खैरसार बटी
खदिरादि बटी
गंधक बटी
गंधक रसायन
गर्भपाल रस
गुड़मार बटी
गुल्मकुठार रस
ग्रहणीकपाट रस
ग्रहणी गजेन्द्र
रस
चंद्रप्रभा बटी
चतुर्भुज रस
चंद्रामृत रस
चंदनादि बटी
चंद्रान्शु रस
चतुर्मुख रस
चित्रकादि बटी
चिंतामणि
चतुर्मुख रस
चंद्रकला रस
चिंतामणि रस
चौंसठ प्रहरी
पीपल
जवाहरमोहरा
दंतोद्भेदगदान्तक
रस
हिंगुलेश्वर रस
हृदयार्णव रस
हिंग्वादि बटी,
ज्वरांकुश रस
जयमंगल रस
लघुमालिनी बसंत
रस
लहशुनादि बटी
लवंगादि बटी
लक्ष्मीनारायण रस
लक्ष्मीविलास रस
लक्ष्मीनारायण
रस(नारदीय)
लाई रस
लीलाविलास रस
लोकनाथ रस
मधुमेहनाशिनी बटी
महाज्वरांकुश रस
महाशंख बटी
महामृत्युंजय रस
महावात विध्वंसन
रस
महालक्ष्मी विलास
रस
मकरध्वज बटी
मन्मथाभ्र रस
मूत्रकृच्छान्तक
रस
मरिच्यादि बटी
मृत्युन्जय रस
नृपतिवल्लभ रस
नागार्जुनाभ्र रस
नष्टपुष्पान्तक
रस
नित्यानंद रस
पीयूषवल्ली रस
पूर्ण चंद्र रस
प्रदररिपु रस,
प्रवाल पंचाम्रत
रस
प्रतापलंकेश्वर
रस
प्रमेहगज केशरी
रस
पुष्पधन्वा रस
प्रदरारि रस
प्रदरान्तक रस
रसपीपरी रस
रसराज रस
रामबाण रस
रजःप्रवर्तिनी
बटी,
रसादि रस
रक्तपित्तान्तक
रस
संजीवनी बटी
संशमनी बटी
समीरपन्नग रस
सारिवादि बटी
सर्पगंधाघन बटी
सूतशेखर रस
श्रंगाराभ्र रस
स्मृतिसागर रस
सिद्धप्राणेश्वर
रस
सोमनाथ रस
शिलाजीत बटी,
शिलाजित्वादि बटी
शिलासिंदूर बटी,
शिरःशूलादिवज्र
रस
शिरोवज्र रस
शूलवज्रिणी बटी
शंख बटी
शंकर बटी
शूलगजकेशरी रस
श्वास कुठार रस,
श्वासकास
चिंतामणि रस
शीतांशु रस
शुक्रमात्रिका
बटी
त्रिभुवन कीर्ति
रस
त्रिमूर्ति रस,
त्रैलोक्य
चिंतामणि रस
तारकेश्वर रस
बोलबद्ध रस
ब्राह्मी बटी
वात गजांकुश रस
वातकुलान्तक रस
बसंत कुसुमाकर रस
वृहत वातगजांकुश
रस
वृहत बंगेश्वर रस
विरेचन बटी
वृहत वातचिंतामणि
रस
वृहत
गर्भचिंतामणि रस
वीर्यशोधन बटी
वृद्धिबाधिका बटी
व्योषादि बटी
विषतिंदुक बटी
व्याधिहरण रसायन,
वृहत कामचूड़ामणि
रस
योगेन्द्र रस
अभ्रक भस्म
(साधारण,शतपुटी,सहस्त्रपुटी)
अकीक पिष्टी/भस्म
हजरुलयहूद
भस्म/पिष्टी
गोदन्ती भस्म
जहरमोहरा खताई
भस्म/पिष्टी,
कुक्कुटाण्डत्वक
भस्म
कहरवा पिष्टी
कान्तसार लौह
भस्म
कपर्द(वराटिका)भस्म
कासीस भस्म
लौह भस्में
(तीन
प्रकार)
मण्डूर भस्म
श्रंग भस्म
मुक्ताशुक्ति
भस्म/पिष्टी,
नाग भस्म
प्रवाल
पिष्टी/भस्म
शंख भस्म
शुभ्रा(स्फटिका)
भस्म
स्वर्णमाक्षिक
भस्म
ताम्र भस्म
टंकण भस्म
त्रिबंग भस्म
बंग भस्म
यशद भस्म
कासीस गोदन्ती
भस्म
संगेजराहत भस्म
संगेयेशव
भस्म/पिष्टी
गोमेदमणि
भस्म/पिष्टी
माणिक्य
भस्म/पिष्टी
मुक्ता(मोती)भस्म/पिष्टी
नीलम भस्म/पिष्टी
पुखराज
भस्म/पिष्टी
चांदी(रजत)भस्म
पन्ना(तार्क्ष्य)भस्म/पिष्टी
लाजावर्त
भस्म/पिष्टी
अम्लपित्तान्तक
लौह
चंदनादि लौह
(ज्वर
व प्रमेह)
ताप्यादि लौह
(रजत/बिना
रजत)
धात्री लौह
नवायस लौह
प्रदरारि लौह
प्रदरान्तक लौह
पुनर्नवादि
मण्डूर
विषमज्वरान्तक
लौह
सर्वज्वरहर लौह
सप्तामृत लौह
शिलाजित्वादि लौह
यक्रदप्लीहारि
लौह
रक्तपित्तान्तक
लौह
शोथारि लौह
मेदोहर विडंगादि
लौह
अमृतादि गुग्गुल
आभा गुग्गुल
कांचनार गुग्गुल
कैशोर गुग्गुल,
गोक्षुरादि
गुग्गुल
पुनर्नवादि
गुग्गुल
लाक्षादि गुग्गुल
पंचतिक्तघृत
गुग्गुल
रास्नादि गुग्गुल
सप्तविंशतिको
गुग्गुल
सिंहनाद गुग्गुल,
त्रयोदशांग
गुग्गुल
त्रिफला गुग्गुल
योगराज गुग्गुल
महायोगराज
गुग्गुल
वातारि गुग्गुल,
मेदोहर(नवक)
गुग्गुल
अभ्रक पर्पटी
स्वर्ण पर्पटी
बोल पर्पटी
लौह पर्पटी
प्राणदा पर्पटी
ताम्र पर्पटी
पंचामृत पर्पटी
विजय पर्पटी
रस पर्पटी
शीतल पर्पटी
श्वेत पर्पटी
मकरध्वज
चंद्रोदय
मल्ल सिंदूर
मल्ल चंद्रोदय
रस सिंदूर
शिला सिंदूर
स्वर्णबंग
ताल सिंदूर
रसमाणिक्य,
शिलाजीत(गीला/सूखा)
स्वर्णबंग क्षार