मंगलवार, मार्च 31, 2009

ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत है

आदरणीय सर जी नमस्ते, मेरी माताजी की उम्र ५९ साल है और उन्हें तमाम जांच करने के बाद बताया गया है कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत है। पहले पहल तो हमारे शहर के डाक्टर समझ ही न पाए फिर लखनऊ जाने पर पता चला कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर के कारण सिर में दर्द होता है। न तो मेरी आपरेशन कराने की हैसियत है और न ही माताजी इस बात के लिये राजी हैं कि अब उनकी इस उम्र में चीरफाड़ करी जाए उनका कहना है कि अब जिंदगी बची ही कितनी है बुढ़ापा तो आ गया है पता नहीं कि आपरेशन के बाद भी क्या होगा कौन जाने क्योंकि डाक्टर भी कुछ स्पष्ट बात तो करते ही नहीं है। अब आप ही बताइये कि क्या करा जाए? जीवन के बारे में तो भगवान ही जानता है पर मैं अपनी माताजी की तकलीफ़ कम करना चाहता हूं क्या आप आयुर्वेद से कुछ सहायता कर सकते हैं? आपका जीवन भर आभारी रहूंगा।
अजय सिंह,उरई
अजय जी मैं आपकी भावना का सम्मान करता हूं और जानता हूं कि जीवन और मौत की चाभी तो ईश्वर के हाथ में ही रहने वाली है चिकित्सक तो बस एक माध्यम रहता है ईश्वर की इच्छा के लिये कि यदि जीवन शेष रखा है उसने तो दवाएं भी असर करती हैं अन्यथा कोई कितना भी दवाएं खिला दे मरीज चिकित्सकों की आंखों के सामने दम तोड़ देता है और चिकित्सक असहाय से खड़े रहते हैं, सत्य यही है कि अगर मौत को दवाओं से रोका जा सकता तो कभी कोई चिकित्सक बीमारियों से मरता ही नहीं। आपने अपनी माताजी की जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मैंने उन्हें गहराई से देखा-समझा है। आप उनका नमक का सेवन पूरी तरह बंद करा दीजिये और उन्हें निम्न औषधियां दीजिये-
१. रसकर्पूर बटी एक गोली + एक रत्ती(१२५मिलीग्राम) गोदन्ती हरताल भस्म हलुवे(ये रवा या सूजी का बनाया जाने वाला एक मीठा व्यंजन है) के साथ दिन में दो बार दीजिये।

रसकर्पूर बटी बनाने का तरीका जान लीजिए :- रसकपूर ४० ग्राम + लौंग का एकदम बारीक कपड़े से छाना हुआ चूर्ण १०० ग्राम + इंद्रायण के कच्चे फल १०० नग ले लीजिये और रसकपूर व लौंग के चूर्ण को खरल में डाल कर घोंटते हुए इंद्रायण के फलों का रस डालते जाइये सारा रस समाप्त होने पर एक-एक रत्ती यानि १२५ मिग्रा वजन की गोलियां बना कर छाया में सुखा लीजिए ये रसकर्पूर बटी बन कर तैयार है।
२. सिर पर बांधने के लिये रोटी जैसा आकार बनाना होगा जिसकी विधि इस तरह है- कूठ + कलौंजी + सींगी मोहरा + बच + अजमोद + अजवाइन + पुष्कर मूल(इसे पोहकर मूल भी कहते हैं) इन सभी औषधियों को तीन-तीन ग्राम ले लीजिये और एकदम बारीक पीस लीजिए। कुल पिसे हुए चूर्ण की बराबर तीन पुड़िया बना लीजिये और उड़द के आटे से सिर के ऊपर आ जाए इतने बड़े आकार का रोटी बनाइये जो कि एक तरफ़ से कच्चा रखिये, कच्ची तरफ़ बनाए हुए चूर्ण की एक पुड़िया बुरक दीजिये और मरीज के बाल कटवा कर यह रोटी हलकी सी गर्म ही बांध दीजिये, ध्यान रखिये कि बाल पूरी तरह से मुंड़वा देना चाहिये अन्यथा दवा का प्रभाव सिर के अंदर नहीं जा पाता है। इस रोटी को लगातार तीन दिन तक कम से कम चार-चार घंटे बंधा रहने दीजिए।
३. कपूर १० ग्राम + सौंफ का तेल १ ग्राम + दालचीनी का तेल १० ग्राम + अजवायन सत्व यानि थायमोल ५ ग्राम + नीलगिरी का तेल १ ग्राम + कार्बोलिक एसिड ५ बूंद; इन सबको मिला कर एकदम कसे ढक्कन की शीशी में रख कर थोड़ी देर धूप में रख दें और फिर दिन में तीन-चार बार सिर पर लगाएं।
इन औषधियों को तीन माह तक लगातार प्रयोग करिए तथा उसके बाद पुनः परीक्षण करवा लीजिये यकीनन चमत्कारिक लाभ होगा और दर्द तो दो तीन दिनों में ही गायब हो जाएगा। ईश्वर पर विश्वास सबसे बड़ी औषधि है।

रविवार, मार्च 29, 2009

डायबिटीज(मधुमेह) के नियंत्रण के लिये कोई शक्तिवर्धक उपाय बताइये

डाक्टर साहब डायबिटीज(मधुमेह) के नियंत्रण के लिये कोई शक्तिवर्धक उपाय बताइये क्योंकि मैं जो दवाएं लेता हूं उनसे शुगर का स्तर तो कन्ट्रोल में रहता है लेकिन कमजोरी बराबर बनी रहती है। मेरी उम्र बावन साल है सुस्ती सी बनी रहती है। मेथी, करेला और नीम आदि का एक चूर्ण है जो खाता हूं लेकिन उसकी मात्रा दो चम्मच दिन में तीन बार लेने से मुंह का स्वाद कड़वा सा बना रहता है और पेट लगता है उसी चूर्ण से भर गया है। कोई आयुर्वेदिक तरीका बताइये ताकि मैं फिट महसूस कर सकूं। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।
श्यामल रंजन तिवारी,बैतूल
श्यामल जी आपने अपनी जो रिपोर्ट्स भेजी हैं मैंने देख ली हैं आप परेशान न हों बस मात्र तीन-चार दिन में ही आप महसूस कर लेंगे कि लोग आयुर्वेदिक दवाओं की जो प्रशंसा करते हैं उसका क्या कारण है। आप अपने लिये इस औषधि को प्रयोग करें-
१. विजयसार + गुड़मार + नीम की छाल + जामुन की गुठली + गूलर(जिसे उदुम्बर या ऊमर भी कहते हैं इस फल के भीतर से छोटे-छोटे मच्छर जैसे कीड़े निकलते हैं) की छाल + सूखे हुए बेल पत्र + मेथी दाना ; इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर मोटा-मोटा कूट लीजिये। अब इस मिश्रण के वजन से आठगुना पानी मिला कर इसे हलकी आग पर पकने के लिये रख दीजिये जब यह पानी जल कर एक चौथाई रह जाए तो इसे आग से उतार लीजिये और सारे मिश्रण को मजबूत हाथों से कसकर मसल लीजिये फिर किसी मोटे कपड़े से पानी छान लीजिए यह काफ़ी गाढ़ा सा हो जाएगा और जो चूर्ण आदि मिलाए थे उसे फेंक दीजिए आपके इस्तेमाल यह पानी आने वाला है। अब इस पानी को किसी चौड़ी थाली में रख कर धूप में सुखा लीजिये। यह काम झंझट भरा लगता है लेकिन स्वास्थ्य भी तो आपका ही है करना तो पड़ेगा और लाभ भी आप ही को होने वाला है। ये उबालना सुखाना आदि क्रिया को घनसत्व बनाना कहते हैं जो कठिन और मेहनत भरा तो है लेकिन जब इसका लाभ मिलना शुरू होता है तो सारा कष्ट भूल जाते हैं।
ऊपर बताया गया घनसत्व ७० ग्राम + शुद्ध शिलाजीत १५ ग्राम + त्रिबंग भस्म १० ग्राम + रस सिंदूर ५ ग्राम इन सब को कस कर मजबूत हाथों से खरल में घोंट लीजिये।
इस औषधि की एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार पानी से भोजन के बाद लीजिए। आप चंद ही दिनो में महसूस करेंगे कि आपकी डायबिटीज तो गायब हो ही रही है और साथ ही शरीर में नयी शक्ति का संचार हो रहा है। इसे निरंतर कुछ महीने तक लीजिये ताकि आपकी समस्या स्थायी तौर पर हल हो जाए।

पित्त संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं

आदरणीय सर जी नमस्ते, मेरा स्वभाव बहुत गर्म है हमेशा पित्त संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं, गुस्सा बहुत आता है, पसीना आता रहता है जिस मौसम में लोग कांपते रहते हैं मुझे सर्दी नहीं लगती है, छाती में जलन हुआ करती है कभी कभी लगता है कि पेट में तेज़ाब सा भर गया हो। तमाम जेलुसिल टाइप की दवाएं पीता रहता हूं लेकिन थोड़ी ही देर तक जलन शान्त होती है फिर शुरू हो जाती है। डर है कि कहीं अल्सर न हो जाए। कोई आयुर्वेदिक उपचार बताइये जो सस्ता भी हो। धन्यवाद
संजय पचौरी, जबलपुर
संजय जी आपने अपनी समस्याओं को लेकर बहुत लम्बा सा मेल भेजा था जिसमें से मुख्य बातें यहां सवाल के रूप में ली जा रही हैं। आप की समस्या का हल प्रस्तुत है जो कि मंहगा नहीं है क्योंकि स्वास्थ्य से बढ़कर भला इस दुनिया में क्या है, लीजिये आप निम्न औषधि लें-
१ . बाजार में मिलने वाला सादा गुलकंद जो कि आपको पान-तंबाकू का होलसेल सामान बेचने वालों के पास से मिल जाएगा वह चार सौ ग्राम ले लीजिये + शुद्ध शहद २०० ग्राम + बीज निकाला हुआ मुनक्का २०० ग्राम + बादाम की गिरी १५० ग्राम,इसे रात को पानी में भिगो लीजिये ताकि नर्म हो जाए + सौंफ का चूर्ण ५० ग्राम + वंशलोचन(इसे तवाशीर भी कहते हैं) २० ग्राम + गिलोय सत्व १० ग्राम +लौह भस्म ५ ग्राम + सतपुटी अभ्रक भस्म ५ ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म ५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ५ ग्राम
इन सबको मिक्सर में डाल कर एक जान कर लीजिये। एक-एक चम्मच दिन में दो बार गाय के ठंडे दूध से लीजिये। विश्वास रखिये कि आपकी तमाम समस्याएं छूमंतर हो जाएंगी। इसका सेवन आप एक सप्ताह करके ही चमत्कार देख सकते हैं ज्यादा समय तक लेने से कोई हानि नहीं बल्कि लाभ ही होता है।

गुरुवार, मार्च 26, 2009

मेरी पत्नी को भूख ही नहीं लगती है।

आदरणीय सर
नमस्ते
मेरी पत्नी की उम्र २४ साल है अभी कोई बच्चा नहीं है। उसकी समस्या है कि वह कहती है कि पेट साफ़ रहता है फिर भी उसे भूख नहीं लगती वो बस मेरे आग्रह करने पर खाना खाने मेरे साथ बैठ जाती है, दुबली पतली सी है मैं चाहता हूं कि उसे भूख की अनुभूति हो और वह खुद ही कुछ खाया करे क्योंकि यदि मैं काम के सिलसिले में दो एक दिन बाहर रहता हूं तो वह खाना ही नहीं खाती ऐसा मेरी मां ने बताया है और वह खुद कहती है कि उसे भूख ही नहीं लगती। कोई उपाय बताइये कि उसे भूख लगे। धन्यवाद
संजय नेहरा,गाजियाबाद
संजय जी, आपकी पत्नी को कोई बड़ी बीमारी नहीं है जैसा कि आपने तमाम रिपोर्ट्स व टैस्ट्स करा डाले हैं मैंने सारे देख लिये हैं उन्हें बस अग्निमांद्य है यानि कि पाचक अग्नि का धीमा हो जाना। आप उन्हें निम्न उपचार दीजिये-
१. अग्नितुण्डी बटी एक-एक गोली सुबह शाम भोजन से आधा घंटा पहले पानी से दीजिये।
२. लवण भास्कर चूर्ण दो ग्राम सुबह शाम भोजन के तुरंत बाद मट्ठे से दीजिये।
३. चित्रकादि बटी एक-एक गोली सुबह दोपहर शाम को भोजन के बाद चूसने को दीजिये।
भले ही भोजन के लिये आग्रह करके बैठायें पर दो-चार निवाले तो खाना खिला ही दें चार-पांच दिन में दवा का असर आपको सामने दिखने लगेगा।
बाजारू चटपटे आहार और साफ़्ट ड्रिंक आदि से परहेज कराइये। इस दवा से उनके वजन में भी कुछ बढ़ोत्तरी होगी एक माह तक ये दवा दें फिर उसके बाद ये दवा बंद करके द्राक्षासव दिन में दो-दो चम्मच दिया करें।

रविवार, मार्च 22, 2009

दाँत से ख़ून आता है

सर नमस्कार, हमें आपका ई- मेल अड्रेस आपके आयुष ब्‍लॉग से मिली हम भी रोग निदान की उम्मीद से कुछ समस्या लिख रहें हैं
मेरे माताजी के मुँह से ख़ून आता है, जिसे डॉक्टर ने बताया कि ये दाँत से ख़ून आता है डॉक्टर ने एक के बाद तीन चार दाँत निकाल दिया कई बार अन्दर से मुँह साफ किया और दवाई तो अलग लेकिन कोई सुधार नही है
डॉक्टर के पास जाने पर डॉक्टर हरेक बार दाँत निकालने के लिए कहता है
दाँत से ख़ून करीब-करीब हमेसा आता है और कभी-कभी मुँह सुज भी जाता है
काफि दिनों से इस समस्या से परेसान हैं कृपया कोई सामाधान/उपाय बताने की कृपा करें
मैं बहुत आभारी होऊंगा, अगर हमे भी कुछ सलाह/ चिकित्सा संबंधी परामर्श देने की कृपा करेंगे धन्यवाद और नमस्कार

संतोष
संतोष जी, आपने जैसा कि बताया है कि माता जी के दांतों से खून आता है और हर बार डॉक्टर दाँत निकाल देता है यानि कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी लेकिन उस डॉक्टर को आप ये क्यों नहीं समझाते कि पहले भी दाँत निकाले गये लेकिन लाभ नहीं हुआ तो इस उपचार से क्या फ़ायदा...। आप दांत निकलवाना बंद करिये और निम्न उपचार लीजिए
१ . तूतिया(जिसे मराठी में मोरतूत कहते हैं यह एक हरे-नीले रंग का नमक जैसा क्रिस्टलीय पदार्थ होता है जिसे कि रसायन की भाषा में कापर सल्फ़ेट कहते हैं, यह लेई आदि में मिलाने के काम भी आता है और पंसारियों के पास सरलता से मिल जाता है) तवे पर रख कर भून लीजिये। भुना हुआ तूतिया ५ ग्राम + फिटकरी(शुभ्रा) भस्म ५ ग्राम + सोंठ पिसी हुई १० ग्राम + जलाई हुई सुपारी १० ग्राम + लाहौरी नमक १० ग्राम + कत्था १० ग्राम + हल्दी पिसी हुई १० ग्राम + काली मिर्च १० ग्राम; इन सभी को एकदम बारीक पीस लीजिये और इसके बाद इसमें बराबर मात्रा में पीसी हुई आरोग्यवर्धिनी बटी मिला लीजिये। इस मिश्रण को माता जी के मुंह में दांतों पर लगा दीजिये, रगड़ने या मलने की आवश्यकता नहीं है दस से पंद्रह मिनट तक लगा रहने दीजिये काफ़ी मात्रा में लार आएगी जिसे थूकते जाना है। इसके बाद कुल्ला करा दीजिये, ऐसा दिन में तीन बार कराइए, खाना खाने के बाद।
इस उपचार को लगातार चालीस दिन तक प्रयोग कराइये और कोई भी उपचार लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी विश्वास रखिये।

बुधवार, मार्च 18, 2009

गर्भाशय अपने स्थान से खिसक कर नीचे आ गया है

hamari wife ki age 40 saal hai. ultrasound karane per malum huaa ki garbhsya (uteras) apni jagahse khiskkar neeche aa gaya hai aour mutrasya bhi neche aa gaya hai .sir koi aurvedic upchar batye.
dinesh dubey
दिनेश भाईसाहब जैसा कि आपने लिखा है कि गर्भाशय अपने स्थान से खिसक कर नीचे आ गया है और मूत्राशय भी नीचे आ गया है तो आपको बताउं कि अभी हाल ही में मेरे पास आयी एक बहन की हालत तो इसी बीमारी में इतनी भयंकर थी कि गर्भाशय का काफ़ी अंग योनि से बाहर आ गया था जिसे वह हाथ से अंदर धकेल लिया करती थी लेकिन बहुत कष्ट था। आप परेशान न हों आयुर्वेद में इसे गर्भाशय भ्रंश कहते हैं आप उन्हें निम्न उपचार दें-
१ . अशोक घनसत्व २० ग्राम + संगजराहत भस्म २० ग्राम + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १० ग्राम + लौह भस्म ५ ग्राम + बंग भस्म ५ ग्राम ; इन सबको मिला कर इनकी कुल साठ पुडि़या बना लीजिये। सुबह शाम एक - एक पुड़िया शहद के साथ चटा दीजिये।
२ . माजूफल १०० ग्राम + अश्वगंधा ५० ग्राम + आंवला ५० ग्राम + भुनी हुई फिटकरी २५ ग्राम + बबूल का गोंद २५ ग्राम मिला कर पीस लीजिये व सुबह-शाम तीन ग्राम की मात्रा भोजन के बाद पानी से दीजिये।
३ . पत्रांगासव २ चम्मच + अशोकारिष्ट २ चम्मच + अश्वगंधारिष्ट २ चम्मच को मिला कर बराबर पानी मिला कर दिन में दो बार भोजन के बाद दीजिये।
४ . योनि व मूत्र स्थान को फिटकरी के पानी से धो कर काशीशादि तेल दिन में दो-तीन बार लगा लिया करें ।

सोमवार, मार्च 09, 2009

हाइपोथायरॉइड की समस्या है......

mujhai hypothyroid hai mai tyairox 100mg lata hu par ab mai nai homoeopathy drugs lai raha hoo
upya batayai
subh joshi
जोशी जी, सबसे पहली बात जो मैं आपको बताना चाहता हूं कि आप कदाचित अपनी बीमारी के लक्षणों से इतना तंग आ गये हैं कि जल्दी जल्दी उपचार की पद्धति बदल देते हैं जो कि सही नहीं है। होम्योपैथी व ऐलोपैथी के निदान का तरीका तो सर्वथा अलग है ही बल्कि उपचार का रास्ता भी अतः आप लग कर एक तरीका अपनाएं। आयुर्वेद में आपकी बीमारी का मूल कारण जान कर उसे दूर करा जाता है ताकि पुनः बीमारी न हो। आप जब होम्योपैथी ले रहे हैं तब ये उपचार न लें यदि कोई लाभ न हो तब उसे बंद करके एक सप्ताह बाद से निम्न उपचार लें-
१ . स्वर्ण सूतशेखर रस एक गोली + कामदुधा रस साधारण + प्रवाल पंचामृत एक गोली दिन में तीन बार एक चम्मच शतावरी घृत में शक्कर या मिश्री मिला कर इसके साथ चटाएं।
२ . अविपत्तिकर चूर्ण एक चम्मच भोजन से आधा घंटे पहले लीजिये।
३ . त्रिफला चूर्ण एक चम्मच + भुनी हुई कुटकी का चूर्ण आधा चम्मच द्राक्षासव के दो चम्मच के साथ रात में सोने से आधा घंटे पहले लीजिये।

भाई को पोलियो है और वज़न अस्सी किलोग्राम है...

Respected Sir,
Mera Naam Sunil Kumar Verma hai. Mere chhote bhai ko Pichhle 25 Saal se POLIO hai. Doctor kehte hai kee use Kamar se Neeche tak POLIO hai. Use POLIO tab hua jab woh 9 Mahine ka tha. Woh apne pairon per bilkul bhi khada nahin ho pata hai bas hathon ke sahare ghisatta hai.
HISTORY-- Jab mera bhai 9 mahine ka tha tab use 1-2 din se fever aa raha tha aur who fever ki dabai bhi le raha tha jab uska thoda fever utar gaya tab meri Mummy ne use thande pani se nehla diya jisse use phir se fever aa gaya aur thodi der ke baad jab mera bhai apne pairon per ladkhadane laga tab Mere father use Doctor ke pass le gaye doctor ne use Injection laga diya tabhi se mera bhai apne pairon per khada nahin ho pata hai. Starting main POLIO whole Body (Hands, Legs, Stomach, Chest) main tha, lekin treatment ke baad ab Kamar aur kamar se neeche tak POLIO hai.
Mere father use treatment ke liye Pehle Jhansi le gaye, Phir Delhi (Kalawati Hospital for 1 Month), Mumbai main Pairon kee malish ke liye, Chandigarh, Jhansi, Raath, Kurra etc. le gaye lekin mera bhai apne Pairon per khada nahin ho paya. Use sabse jyada improvement Delhi-kalawati hospital main hua.
December-2008 main. Khada na ho pane kee wajah se uska weight abhi 80 kg hai, doctor ne operation se pehle weight kam karne ke liye bhi kaha hai.
Warm Regards:

Sunil Kumar Verma
सुनील जी आपने जो भी लिखा है वह सब पढ़ा समझा लेकिन आप क्या जानना चाहते हैं वह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि भाई का वज़न कम करने के विषय में सलाह चाहिये अथवा पोलियो के बारे में। पोलियो के बारे में तो बिना किसी हिचकिचाहट के कह सकता हूं कि ये विकार इतना पुराना हो गया है कि अस्थियों की बनावट में ही दोषपूर्ण स्थायित्त्व आ गया होगा तो आपरेशन करवा लेना ही उचित है किन्तु उसके बाद तीव्रता से स्वास्थ्य लाभ हो व आपके भाई के शरीर में आये स्थायी वात विकार के शान्त होने में सहायता मिलेगी। आप उन्हें निम्न उपचार दें-
१ . शुण्ठी गुग्गुलु एक गोली + महायोगराज गुग्गुलु एक गोली + एकांगवीर रस एक गोली की एक खुराक बनाएं व रास्ना सप्तक क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार निगलवा दें। इस उपचार को तीन माह तक जारी रखें।
ऐसी स्थिति में चर्बी या मेद विशेष अंगों पर एकत्र हो जाता है अतः वज़न कम करने के लिये निम्न उपचार दीजिये
२ . त्र्यूषणाद्य लौह एक ग्राम + त्रिमूर्ति रस एक गोली + मेदोहर गुग्गुलु एक गोली + बड़वानल चूर्ण एक ग्राम इन सबकी एक मात्रा बनाएं व दिन में दो बार गर्म जल से दीजिये। इस उपचार को भी न्यूनतम तीन माह तक जारी रखिये।

सोमवार, मार्च 02, 2009

अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित हैं

आदरणीय डाक्टर साहब
चरण स्पर्श
सर्च इंजन के द्वारा आपके ब्लाग तक पहुंचा। बड़ी प्रसन्नता हुई कि आयुषवेद दल निस्वार्थ भाव से बीमारों की सेवा में लगा है। मेरे पिता जिनकी उम्र बासठ साल है अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित हैं। उनकी याददाश्त संबंधी समस्या के चलते बहुत परेशानियां होती हैं। आशा है कि अल्ज़ाइमर का आयुर्वेद में कोई सटीक इलाज होगा। आपको रिपोर्ट्स स्कैन करके भेज रहा हूं। धन्यवाद
अजय गोयल,जगदलपुर
अजय जी आयुर्वेद पर विश्वास प्रदर्शित करने के लिये निजी तौर पर धन्यवाद देता हूं। आपके पिताजी की सारी रिपोर्ट्स को देखा समझा। आप उन्हें निम्न उपचार दीजिए-
१ . सोने का वर्क एक ग्राम + चांदी का वर्क एक ग्राम + मोती पिष्टी एक ग्राम + असली वंशलोचन(तवासीर) एक ग्राम + छोटी इलायची के बीज एक ग्राम लेकर सुरमें की तरह एकदम बारीक लगभग दो घंटे तक घोंट लीजिये। इस मात्रा की चालीस बराबर पुड़िया बना लीजिये। इस औषधि को नीचे बताए मिश्रण के साथ दीजिये--
बादाम सात दाने + खसखस(पोस्तदाना) तीन ग्राम + छोटी इलायची के बीज एक ग्राम इनमें थोड़ा सा जल मिला कर महीन चटनी की तरह से पीस लीजिये व इसमें मक्खन २५ ग्राम मिलाकर फेंट लीजिये व दवा की एक पुड़िया इस मिश्रण के साथ दिन में दो बार सुबह नाश्ते के बाद व रात में भोजन के आधे घंटे बाद दीजिये।
२ . सारस्वतारिष्ट दो - दो चम्मच दिन में तीन बार दीजिये। खाली पेट न दें।
इस उपचार को चालीस दिन तक जारी रखिये अपेक्षित लाभ होने पर इतने ही दिन आगे अवश्य जारी रखिये। मांसाहार व धूम्रपान आदि नशे से परहेज़ कराइये।