Adarniya Doctor Saheb,
Aapke blog http://aayushved.blogspot.com/ par main apne bete ki ek samasya ke baare mein aapki salah lene chahta hoon. Uski umra 20 maheene ki hai aur usse ab tak 2 baar fracture ho chka ho, doctors ka kehna hai ki usse calcium ki kami hai. Unhone kucch test bhi karane ke liye kaha hai taaki sahi-sahi pata lagaya ja sake ki kami kahan hai? In tests ko bhi hum sheeghra karayenge.
Aapka bahut abhar hoga yadi aap is sthiti mein kuchh samadhan sujhayen.
Dhanyawad, Pankaj
पंकज जी, आपकी बेटे की उम्र मात्र २० माह है और दो बार फ़्रैक्चर हो चुका है तथा डाक्टर्स ने आपको बच्ची के कुछ टैस्ट कराने के लिये कहा है ताकि समस्या समझ आ सके यानि कि इस तरह के डाक्टर्स पूरी तरह से पैथोलाजिकल रिपोर्ट्स के आधार पर ही रोग निश्चय करते हैं और यदि मानवीय भूल या मशीनी गड़बड़ी के कारण रिपोर्ट गलत आ गयी तो गलत दिशा में उपचार के कारण मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। इन डाक्टर्स में क्या इतनी अक्ल नहीं रहती कि ये अपने विवेक के आधार पर रोग-विनिश्चय कर सकें? यदि आप मेरी सलाह को गम्भीरता से लेते हैं तो व्यर्थ में फालतू टैस्ट करवा कर परेशान होने के स्थान पर बच्चे को निम्न दवाएं लगभग तीन माह तक दें, दरअसल अनेक कारणों से बच्चों की अस्थियों में कुछ हद तक भंगुरता आ जाती है किन्तु इनके पीछे मुख्यतः कुपित होने वाला दोष वात ही रहता है--
१. कुक्कुटाण्डत्वक भस्म आधी-आधी रत्ती दिन में दो बार एक चम्मच शहद के साथ चटाएं।
२. आभा गुग्गुल आधी-आधी गोली दिन में दो बार इसी प्रकार पीस कर शहद में चटाएं।
इन दवाओं के सेवन से बच्चे की हड्डियां तो मजबूत होंगी ही साथ ही वह पुष्ट भी होगा।
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कुछ सुझाव
गुरुवार, जुलाई 24, 2008
बच्चे की दो बार हड्डी टूट चुकी है....
Published :
7/24/2008 11:06:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
मोटापे की समस्या....
Published :
7/24/2008 12:06:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
Namaskar Sir,
Main 26 saal ki hoon.Main ek house wife hoon.Mere height 5'4''hai aur weight 70kg hai.Mujhe do samasyain hain.Pehle to Sir main apane Motape ko le kar pareshan hoon.Mera khana niyamit aur santulit hai.Niyamit 10-15 minute vyam bhi karti hoon.Per samajh mein nahi aata ki main moti kyon hoti ja rahi hoon.main ise lekar bahoot pareshan hoon.Doosri samasya yeh hai ki main aur mere pati 7 mahine se bachhe ke liye try kar rahe hain per hame safalta nahi mil pa rahi hai,doctors ke report bhi sabhi normal hain bas thoda iron ki kami hai isliye doctor ke kehane per jyada vyam nahi kar sakti.Humne doctor se bhi pucha ki kahin ye motape ki wajah se to nahi,per unhone BMI(Body mass index test) bhi kiya sab normal hai.Kya bachhe ke liye try karte samay kisi baton ka dhyan rakhna padhta hai?Kripya karke in dono samasyein ka kuch upaye batein.
Dhanyawad.
श्रीमती लकी
समस्या के हल हेतु आप नियमित रूप से न्यूनतम छह माह से साल भर तक इन दवाओं का सेवन करें --
१ . मेदोहर विडंगादि लौह १ गोली + मेदोहर गुग्गुल २० गोली + त्रिमूर्ति रस १ गोली को दिन में तीन बार मेदारि पेय के दो चम्मच के साथ लें।
२. आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म जल से लें।
दवाएं खाली पेट न लें। अन्य किसी औषधि की आवश्यकता नहीं है।
Main 26 saal ki hoon.Main ek house wife hoon.Mere height 5'4''hai aur weight 70kg hai.Mujhe do samasyain hain.Pehle to Sir main apane Motape ko le kar pareshan hoon.Mera khana niyamit aur santulit hai.Niyamit 10-15 minute vyam bhi karti hoon.Per samajh mein nahi aata ki main moti kyon hoti ja rahi hoon.main ise lekar bahoot pareshan hoon.Doosri samasya yeh hai ki main aur mere pati 7 mahine se bachhe ke liye try kar rahe hain per hame safalta nahi mil pa rahi hai,doctors ke report bhi sabhi normal hain bas thoda iron ki kami hai isliye doctor ke kehane per jyada vyam nahi kar sakti.Humne doctor se bhi pucha ki kahin ye motape ki wajah se to nahi,per unhone BMI(Body mass index test) bhi kiya sab normal hai.Kya bachhe ke liye try karte samay kisi baton ka dhyan rakhna padhta hai?Kripya karke in dono samasyein ka kuch upaye batein.
Dhanyawad.
श्रीमती लकी
समस्या के हल हेतु आप नियमित रूप से न्यूनतम छह माह से साल भर तक इन दवाओं का सेवन करें --
१ . मेदोहर विडंगादि लौह १ गोली + मेदोहर गुग्गुल २० गोली + त्रिमूर्ति रस १ गोली को दिन में तीन बार मेदारि पेय के दो चम्मच के साथ लें।
२. आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म जल से लें।
दवाएं खाली पेट न लें। अन्य किसी औषधि की आवश्यकता नहीं है।
बुधवार, जुलाई 16, 2008
गले में मटर के दाने के आकार की दो गांठे हैं,खांसी बहुत रहती है।
Published :
7/16/2008 10:52:00 pm
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डॉ साहब नमस्कारमेरी बेटी को खांसी बहुत रहती है। खांसी सूखी है। बहुत इलाज करा चुका हूं। एलोपैथी भी और होम्योपैथी भी। कुछ फायदा होता है बाद में मर्ज फिर वही हो जाता है। बेटी की उम्र साढ़े आठ साल है। बचपन से ही उसके गले में मटर के दाने के आकार की दो गांठे हैं। मैने मांटूर टेस्ट भी तीन बार करा लिया है। रिपोर्ट निगेटिव आती है। प्राइमरी कॉप्लेक्स की संभावना डॉक्टर बताते हैं मगर रिपोर्ट निगेटिव है। गले में टांसिल भी हैं। क्या इससे उसका विकास रुक सकता है। मैं काफी परेशान हूं। बेटी का किसी भी काम में मन नहीं लगता या यूं कहूं वह किसी भी काम में तल्लीनता से नहीं जुटती। कांफीडेंस की भी कमी है। आखिर मैं क्या करूं और क्या इन लक्षणों का बीमारी से कोई संबंध में मुझे दिशा दें।योगेश जादौन, बीहड़
योगेश जी,आपकी बेटी की समस्या को बहुत गम्भीरता से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आपकी बेटी की समस्या जीर्ण हो चुकी है किन्तु जिस तरह से डाक्टर संभावना के आधार पर अनुमान लगा कर चिकित्सा करते हैं उससे प्रतीत होता है कि ऐसे डाक्टर बच्चों को मात्र प्रायोगिक जंतु ही समझते हैं। बच्ची के दोष जीर्ण हो कर परस्पर क्लिष्ट आवरणॊं में पहुंच चुके होने के कारण ही ऐसा होता है कि यदि लाक्षणि उपचार दे दिया जाए तो कुछ समय के लिये लाभ हो जाता है किंतु फिर वही समस्या अधिक जोर से उभर आती है। आप बच्ची को आधुनिक परीक्षणों की कसौटी पर घिसवाना बंद करिये इन परीक्षणों की हकीकत मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। किसी भी कार्य में तल्लीनता न आने का कारण ही यह है कि बच्ची जब खांसी से परेशान है तो उस उम्र की बच्ची क्या बड़े से बड़ा हठयोगी भी परेशान हो जायेगा और उसकी तल्लीनता भंग हो जाएगी। टांसिल में सूजन होना तो सहज बात है कि इस परिस्थिति में वह हो ही जाएगी। आप बच्ची को निम्न उपचार न्यूनतम छह माह तक दें-
१ . रुदन्ती चूर्ण एक ग्राम + स्वर्णबसंत मालती रस १२५ मिग्रा + श्रंग भस्म १२५ मिग्रा. + सितोपलादि चूर्ण ५०० मिग्रा इन सबकी एक खुराक बना कर शहद के साथ दिन में इसी तरह तीन बार चटायें। दवा खाली पेट न दें।
२. शिला सिंदूर ६५ मिग्रा + कांचनार गुग्गुल एक गोली दिन में तीन बार वासारिष्ट के दो चम्मच के साथ दें।
सुपाच्य आहार दीजिये,बाजारू चीजों से परहेज कराएं। जल्दी-जल्दी उपचार बदलना भी घातक सिद्ध होता है यह ध्यान रखिये।
योगेश जी,आपकी बेटी की समस्या को बहुत गम्भीरता से समझने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आपकी बेटी की समस्या जीर्ण हो चुकी है किन्तु जिस तरह से डाक्टर संभावना के आधार पर अनुमान लगा कर चिकित्सा करते हैं उससे प्रतीत होता है कि ऐसे डाक्टर बच्चों को मात्र प्रायोगिक जंतु ही समझते हैं। बच्ची के दोष जीर्ण हो कर परस्पर क्लिष्ट आवरणॊं में पहुंच चुके होने के कारण ही ऐसा होता है कि यदि लाक्षणि उपचार दे दिया जाए तो कुछ समय के लिये लाभ हो जाता है किंतु फिर वही समस्या अधिक जोर से उभर आती है। आप बच्ची को आधुनिक परीक्षणों की कसौटी पर घिसवाना बंद करिये इन परीक्षणों की हकीकत मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। किसी भी कार्य में तल्लीनता न आने का कारण ही यह है कि बच्ची जब खांसी से परेशान है तो उस उम्र की बच्ची क्या बड़े से बड़ा हठयोगी भी परेशान हो जायेगा और उसकी तल्लीनता भंग हो जाएगी। टांसिल में सूजन होना तो सहज बात है कि इस परिस्थिति में वह हो ही जाएगी। आप बच्ची को निम्न उपचार न्यूनतम छह माह तक दें-
१ . रुदन्ती चूर्ण एक ग्राम + स्वर्णबसंत मालती रस १२५ मिग्रा + श्रंग भस्म १२५ मिग्रा. + सितोपलादि चूर्ण ५०० मिग्रा इन सबकी एक खुराक बना कर शहद के साथ दिन में इसी तरह तीन बार चटायें। दवा खाली पेट न दें।
२. शिला सिंदूर ६५ मिग्रा + कांचनार गुग्गुल एक गोली दिन में तीन बार वासारिष्ट के दो चम्मच के साथ दें।
सुपाच्य आहार दीजिये,बाजारू चीजों से परहेज कराएं। जल्दी-जल्दी उपचार बदलना भी घातक सिद्ध होता है यह ध्यान रखिये।
गुरुवार, जुलाई 10, 2008
पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं........
Published :
7/10/2008 07:33:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्कार
मेरी उम्र इस समय 40 साल है। समस्या यह है कि मैं पिछले करीब पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं। शुरू के दिनों में कभी-कभार खून आने पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यो यों कहिए कि मुझे पता भी नहीं चला। घर-परिवार में पहले से किसी को भी यह बीमारी थी ही नहीं। जब पता चला तो मैंने एलोपैथी के डाक्टरों को दिखाया। उन्होंने कुछ दवाइयां दीं और बताया कि जब दिक्कत हो, इनका इस्तेमाल करें। उनका कहना था कि यह पहली स्टेज है। दवाइयां लेता रहा। कई बार नहीं भी ली। इसी दौरान शहर बदलते रहे। कभी कहीं, कभी कहीं। दूसरी ओर अनदेखी, आलस और अकड़ से परेशानी बढ़ती चली गई। अब तो सप्ताह में तीन-चार दिन लेट्रिन के साथ खून आता है। धार निकलती है। खून के कतरे भी आते हैं। एक-दो बार तो खून के रिसने से अंडरवियर और पेंट भी खराब हो गया। तब से डर बढ़ गया है। आपको यह भी बता दूं कि मैंने दिक्कत की जानकारी होने के बाद से मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाली सब्जियों का इस्तेमाल बंद कर दिया है। पहले भी बाजार में कम ही खाता था। अब न के बराबर है। खाने में कोई खास शौक नहीं। पत्नी जो बनाती है, खा लेते हैं। पानी खूब पीता हूं। दिनचर्या (मेरे ही हिसाब से) के मुताबिक सुबह 9-10 बजे उठता हूं। अखबार पढ़े, फ्रेश हुआ और एक गिलास दूध पीकर आफिस चला गया। दोपहर तीन बजे के आसपास घर पहुंचकर खाना खाता हूं। शाम को पांच बजे फिर आफिस के लिए। रात में 12-1 बजता है, लौटने तक। पहले खाना नहीं ले जाता था। अब ले जाता हूं। 11 बजे के आसपास खा लेता हूं। रात में लौटने पर एक गिलास दूध फिर पीता हूं। हां, यह बताना भी जरूरी है कि मैं गुटखा बहुत खाता हूं। सप्ताह में छुट्टी वाले दिन तीन-चार पैग शराब (मैजिक मोमेंट्स) पीता हूं। कभी-कभार दो दिन लगातार हो जाती है। इस समय मैं होम्योपैथी का इलाज करवा रहा हूं। अच्छे और नामी डाक्टर हैं। करीब तीन महीने होने को आए। कई बार लगता है कि अब ठीक हो रहा हूं, लेकिन यह विश्वास कुछ समय बाद खडिंत होने लगता है। उन्होंने हालचाल पूछ कई बार दवाइयां भी बदलीं। पिछले सप्ताह डाक्टर साहब ने हालचाल पूछ कर 15 दिन की दवाई दी। सकारात्मक नतीजा न आने से डाक्टर साहब भी थोड़ी हैरत में लगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह इस समस्या को ठीक करने के बाद ही पैसे लेंगे। डाक्टर साहब की सलाह पर कुछ दिन पहले ही मैंने गुटखा कुछ कम किया है। अच्छा होने केलिए (बाद में पीने की पाबंदी खुद ही हटाने की इच्छा से भी ) शराब नहीं पी। मेरी सेहत पहले भी खास अच्छी नहीं थी। हां, कोई समस्या नहीं थी। लेकिन, इधर लगातार कमजोरी महसूस होती है। पेंट भी ढीली हो गई हैं। कमर पिचक गई है। चेहरे पर बुढ़ापा नजर आने लगा हैं। बाल गिर चुके हैं। अधगंजे जैसी स्थित है। सप्ताह भर से खून की धार तो नहीं निकल रही। खून आ रहा है। कतरे भी आ रहे हैं। इलाज से भरोसा टूट रहा है। आपरेशन कराने की भी सोची। कई लोगों ने बताया कि यह कारगर नहीं रहता है। मैंने पूरी कहानी लिख दी है। मौजूदा परिस्थितियों में मुझे क्या करना चाहिए? दिनचर्या और दिक्कत के लिहाज से सलाह और औषधि के लिए आप के भरोसे हूं।
प्रदीप मिश्र
प्रदीप भाई,बड़ा आश्चर्य है कि आप खुद मुझे बताते जा रहे हैं कि गुटखा बहुत खाता हूं ,कभी-कभी शराब भी पीता हूं और आपकी दिनचर्या भी कुछ खास स्वास्थ्यकर नहीं है। डाक्टर आपका मन रखने के लिये आपको जो भी दे रहे होंगे वह अस्थायी प्रभाव ही दिखाएगा क्योंकि आप खुद ही अपनी जान के दुश्मन बने बैठे हैं। आप स्वयं पत्रकार है तो भली प्रकार जानते हैं कि अच्छे से अच्छा गुटखा भी स्वास्थ्य के लिये कितना हानिकर है तो अपने ऊपर दया करें और इसे कम नहीं बल्कि सख्ती से बंद कर दें(अगर संभव न हो तो दवाएं व्यर्थ होंगी)। गनीमत है कि बस बुढ़ापा ही दिख रहा है कैंसर के यमदूत नहीं दिख रहे। आपको होम्योपैथी या एलोपैथी नहीं बल्कि आयुर्वेद के साथ सिम्पैथी की जरूरत है। आप खुद जहर खाते रहें और फिर इलाज कराते रहें तो तीन माह क्या जीवन भर भी चाहें तो लाभ न होगा। आप निम्न उपचार लेना प्रारंभ करें,इस बार आपका भरोसा नहीं टूटेगा--
१ . नीम का तेल १०० मिली + १० ग्राम कपूर + १० ग्राम पिपरमिंट(यह पान में ठंडक के लिये मिलाया जाता है)। इस मिश्रण के दो बराबर भाग अलग-अलग शीशियों में भर लें। एक भाग को स्थानिक लेप के लिये प्रयोग करें यानि मलद्वार में अंदर तक आहिस्ते से उंगली से लगाएं और दूसरे भाग में से रो्ज सुबह शौच से निपटने के बाद चार बूंद के बताशे में भर कर निगल लें व आधे घंटे तक पानी न पियें।
२ . शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा किशमिश में भर कर नाश्ते के बाद व शाम को छह बजे(या आसपास सुविधानुसार) पानी से निगल लें।
३ . रात्रि भोजन के बाद दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण एक कप गर्म जल में घोल कर पी लें।
४ . अश्वगंधारिष्ट + अंगूरासव मिला कर दो दो चम्मच दिन में तीन बार सेवन करें।
इस उपचार को पंद्रह दिन तक लेने के बाद शुभ्रा भस्म का सेवन यदि रक्त आना बंद हो गया हो तो बंद कर दीजियेगा अन्यथा पंद्रह दिन आगे जारी रखियेगा।
मेरी उम्र इस समय 40 साल है। समस्या यह है कि मैं पिछले करीब पांच-छह साल से पाइल्स से पीड़ित हूं। शुरू के दिनों में कभी-कभार खून आने पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यो यों कहिए कि मुझे पता भी नहीं चला। घर-परिवार में पहले से किसी को भी यह बीमारी थी ही नहीं। जब पता चला तो मैंने एलोपैथी के डाक्टरों को दिखाया। उन्होंने कुछ दवाइयां दीं और बताया कि जब दिक्कत हो, इनका इस्तेमाल करें। उनका कहना था कि यह पहली स्टेज है। दवाइयां लेता रहा। कई बार नहीं भी ली। इसी दौरान शहर बदलते रहे। कभी कहीं, कभी कहीं। दूसरी ओर अनदेखी, आलस और अकड़ से परेशानी बढ़ती चली गई। अब तो सप्ताह में तीन-चार दिन लेट्रिन के साथ खून आता है। धार निकलती है। खून के कतरे भी आते हैं। एक-दो बार तो खून के रिसने से अंडरवियर और पेंट भी खराब हो गया। तब से डर बढ़ गया है। आपको यह भी बता दूं कि मैंने दिक्कत की जानकारी होने के बाद से मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाली सब्जियों का इस्तेमाल बंद कर दिया है। पहले भी बाजार में कम ही खाता था। अब न के बराबर है। खाने में कोई खास शौक नहीं। पत्नी जो बनाती है, खा लेते हैं। पानी खूब पीता हूं। दिनचर्या (मेरे ही हिसाब से) के मुताबिक सुबह 9-10 बजे उठता हूं। अखबार पढ़े, फ्रेश हुआ और एक गिलास दूध पीकर आफिस चला गया। दोपहर तीन बजे के आसपास घर पहुंचकर खाना खाता हूं। शाम को पांच बजे फिर आफिस के लिए। रात में 12-1 बजता है, लौटने तक। पहले खाना नहीं ले जाता था। अब ले जाता हूं। 11 बजे के आसपास खा लेता हूं। रात में लौटने पर एक गिलास दूध फिर पीता हूं। हां, यह बताना भी जरूरी है कि मैं गुटखा बहुत खाता हूं। सप्ताह में छुट्टी वाले दिन तीन-चार पैग शराब (मैजिक मोमेंट्स) पीता हूं। कभी-कभार दो दिन लगातार हो जाती है। इस समय मैं होम्योपैथी का इलाज करवा रहा हूं। अच्छे और नामी डाक्टर हैं। करीब तीन महीने होने को आए। कई बार लगता है कि अब ठीक हो रहा हूं, लेकिन यह विश्वास कुछ समय बाद खडिंत होने लगता है। उन्होंने हालचाल पूछ कई बार दवाइयां भी बदलीं। पिछले सप्ताह डाक्टर साहब ने हालचाल पूछ कर 15 दिन की दवाई दी। सकारात्मक नतीजा न आने से डाक्टर साहब भी थोड़ी हैरत में लगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब वह इस समस्या को ठीक करने के बाद ही पैसे लेंगे। डाक्टर साहब की सलाह पर कुछ दिन पहले ही मैंने गुटखा कुछ कम किया है। अच्छा होने केलिए (बाद में पीने की पाबंदी खुद ही हटाने की इच्छा से भी ) शराब नहीं पी। मेरी सेहत पहले भी खास अच्छी नहीं थी। हां, कोई समस्या नहीं थी। लेकिन, इधर लगातार कमजोरी महसूस होती है। पेंट भी ढीली हो गई हैं। कमर पिचक गई है। चेहरे पर बुढ़ापा नजर आने लगा हैं। बाल गिर चुके हैं। अधगंजे जैसी स्थित है। सप्ताह भर से खून की धार तो नहीं निकल रही। खून आ रहा है। कतरे भी आ रहे हैं। इलाज से भरोसा टूट रहा है। आपरेशन कराने की भी सोची। कई लोगों ने बताया कि यह कारगर नहीं रहता है। मैंने पूरी कहानी लिख दी है। मौजूदा परिस्थितियों में मुझे क्या करना चाहिए? दिनचर्या और दिक्कत के लिहाज से सलाह और औषधि के लिए आप के भरोसे हूं।
प्रदीप मिश्र
प्रदीप भाई,बड़ा आश्चर्य है कि आप खुद मुझे बताते जा रहे हैं कि गुटखा बहुत खाता हूं ,कभी-कभी शराब भी पीता हूं और आपकी दिनचर्या भी कुछ खास स्वास्थ्यकर नहीं है। डाक्टर आपका मन रखने के लिये आपको जो भी दे रहे होंगे वह अस्थायी प्रभाव ही दिखाएगा क्योंकि आप खुद ही अपनी जान के दुश्मन बने बैठे हैं। आप स्वयं पत्रकार है तो भली प्रकार जानते हैं कि अच्छे से अच्छा गुटखा भी स्वास्थ्य के लिये कितना हानिकर है तो अपने ऊपर दया करें और इसे कम नहीं बल्कि सख्ती से बंद कर दें(अगर संभव न हो तो दवाएं व्यर्थ होंगी)। गनीमत है कि बस बुढ़ापा ही दिख रहा है कैंसर के यमदूत नहीं दिख रहे। आपको होम्योपैथी या एलोपैथी नहीं बल्कि आयुर्वेद के साथ सिम्पैथी की जरूरत है। आप खुद जहर खाते रहें और फिर इलाज कराते रहें तो तीन माह क्या जीवन भर भी चाहें तो लाभ न होगा। आप निम्न उपचार लेना प्रारंभ करें,इस बार आपका भरोसा नहीं टूटेगा--
१ . नीम का तेल १०० मिली + १० ग्राम कपूर + १० ग्राम पिपरमिंट(यह पान में ठंडक के लिये मिलाया जाता है)। इस मिश्रण के दो बराबर भाग अलग-अलग शीशियों में भर लें। एक भाग को स्थानिक लेप के लिये प्रयोग करें यानि मलद्वार में अंदर तक आहिस्ते से उंगली से लगाएं और दूसरे भाग में से रो्ज सुबह शौच से निपटने के बाद चार बूंद के बताशे में भर कर निगल लें व आधे घंटे तक पानी न पियें।
२ . शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा किशमिश में भर कर नाश्ते के बाद व शाम को छह बजे(या आसपास सुविधानुसार) पानी से निगल लें।
३ . रात्रि भोजन के बाद दो चम्मच त्रिफ़ला चूर्ण एक कप गर्म जल में घोल कर पी लें।
४ . अश्वगंधारिष्ट + अंगूरासव मिला कर दो दो चम्मच दिन में तीन बार सेवन करें।
इस उपचार को पंद्रह दिन तक लेने के बाद शुभ्रा भस्म का सेवन यदि रक्त आना बंद हो गया हो तो बंद कर दीजियेगा अन्यथा पंद्रह दिन आगे जारी रखियेगा।
बुधवार, जुलाई 09, 2008
बचपन से ही जुखाम की काफ़ी शिकायत रही है
Published :
7/09/2008 09:42:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
नमस्ते डाक्टर साहब,मेरी उम्र चालीस साल है। मुझे बचपन से ही जुखाम की काफ़ी शिकायत रही है। काफ़ी इलाज करा लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। बचपन में DNS का आपरेशन भी हुआ था। पहले सर्दी के साथ खांसी भी आती थी और नाक से पानी बहता था। अब नाक से पानी नहीं बहता लेकिन नाक जाम रहती है और सिर भारी रहता है। अब कभी खांसी नही होती। कुछ साल पहले मुझे जांडिस हुआ था जिसके बाद थोड़ा हाजमा बिगड़ गया। खासकर दूध नहीं पचा पाता। गैस और एसिडिटी रहती है। आफिस में बैठे-बैठे काम करने से वजन बढ़कर ७५ किग्रा. हो गया है। कमजोरी और दिन भर थकान महसूस होती है। थोड़ा चलने पर सांस भारी हो जाती है। अक्सर सर्दी और गैस की वजह से सिरदर्द होता है जिसे दूर करने के लिये combiflam की गोली खा लेता हूं। आभारी रहूंगा अगर कोई इलाज बता सकें। हो सके तो ये भी बताएं कि क्या दवाएं बनी-बनायी मेडिकल स्टोर पर मिलती हैं?
सुभाष डी., मुम्बई
सुभाष जी,मुझे आप जैसे लोगों के साथ बहुत आसानी होती है जो कि अपनी समस्या को विस्तार से लिखते हैं। आपने जो भी लिखा वह आपकी समस्या को अच्छे तरीके से स्पष्ट करता है। आपके दोष को मैं इस तरह से बता सकता हूं कि कफ़ के ऊपर पित्त का आवरण है जिसके कारण आप इस तरह परेशान हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि ये पित्त की समस्या का कारण आपको पूर्वकाल में हुआ पीलिया रोग रहा है, जोकि उपचार से ठीक तो हो गया किन्तु अपना प्रभाव जाते जाते आपकी देह पर छोड़ गया। चिन्ता की बात नहीं है आप निम्न उपचार लें और यकीन मानें कि आप शतप्रतिशत स्वस्थ हो जाएंगे किंतु बढ़े हुए वजन के लिये आपको नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। आप यदि चाय-काफ़ी का सेवन करते हों तो बंद कर देना आपके लिये हितकर रहेगा साथ ही धूम्रपान भी आपके लिये अपथ्य है।
१ . त्रिफला चूर्ण रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच हल्के गर्म जल से सेवन करें।
२ . कामदुधा रस(साधारण) एक-एक गोली दिन में तीन बार सुबह दोपहर व रात्रि को साधारण जल के साथ सेवन करें।
३ . सितोपलादि चूर्ण दो ग्राम को शहद(मध या honey) के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।
COMBIFLAM का सेवन तत्काल बंद कर दीजिये, दवा के नाम पर आप जो खा रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य का सत्यानाश कर रहा है। इस दवा(?) का अक्सर सेवन आपकी किडनी का भयंकर नुकसान करता है। आप इस उपचार को एक माह तक लें फिर आप देखिये कि आप स्वस्थ महसूस करेंगे। यदि आप दूध पीना चाहते हैं तो एक गिलास दूध में तीन छुहारे(खारिक) की गुठली निकाल कर उबालें फिर छुहारे चबा लें और दूध पी लीजिये। आप इस तरह दूध की थोड़ी मात्रा से शुरू कर सकते हैं। ये दवाएं आपको आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर सरलता से मिल जाएंगी।
सुभाष डी., मुम्बई
सुभाष जी,मुझे आप जैसे लोगों के साथ बहुत आसानी होती है जो कि अपनी समस्या को विस्तार से लिखते हैं। आपने जो भी लिखा वह आपकी समस्या को अच्छे तरीके से स्पष्ट करता है। आपके दोष को मैं इस तरह से बता सकता हूं कि कफ़ के ऊपर पित्त का आवरण है जिसके कारण आप इस तरह परेशान हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि ये पित्त की समस्या का कारण आपको पूर्वकाल में हुआ पीलिया रोग रहा है, जोकि उपचार से ठीक तो हो गया किन्तु अपना प्रभाव जाते जाते आपकी देह पर छोड़ गया। चिन्ता की बात नहीं है आप निम्न उपचार लें और यकीन मानें कि आप शतप्रतिशत स्वस्थ हो जाएंगे किंतु बढ़े हुए वजन के लिये आपको नियमित व्यायाम करना आवश्यक है। आप यदि चाय-काफ़ी का सेवन करते हों तो बंद कर देना आपके लिये हितकर रहेगा साथ ही धूम्रपान भी आपके लिये अपथ्य है।
१ . त्रिफला चूर्ण रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच हल्के गर्म जल से सेवन करें।
२ . कामदुधा रस(साधारण) एक-एक गोली दिन में तीन बार सुबह दोपहर व रात्रि को साधारण जल के साथ सेवन करें।
३ . सितोपलादि चूर्ण दो ग्राम को शहद(मध या honey) के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।
COMBIFLAM का सेवन तत्काल बंद कर दीजिये, दवा के नाम पर आप जो खा रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य का सत्यानाश कर रहा है। इस दवा(?) का अक्सर सेवन आपकी किडनी का भयंकर नुकसान करता है। आप इस उपचार को एक माह तक लें फिर आप देखिये कि आप स्वस्थ महसूस करेंगे। यदि आप दूध पीना चाहते हैं तो एक गिलास दूध में तीन छुहारे(खारिक) की गुठली निकाल कर उबालें फिर छुहारे चबा लें और दूध पी लीजिये। आप इस तरह दूध की थोड़ी मात्रा से शुरू कर सकते हैं। ये दवाएं आपको आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर सरलता से मिल जाएंगी।
मंगलवार, जुलाई 08, 2008
पत्नी मात्र २८ साल की उम्र में बीमारियों का गोदाम बन गयी है
Published :
7/08/2008 05:46:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब,नमस्ते
मेरी पत्नी को पिछले चार माह से बहुत कमजोरी महसूस होती है, आंखो से सामने अंधेरा छा जाता है, हाथ पैरों के तलवों में जलन होती रहती है, आंखो के नीचे काले घेरे बन गये हैं, चक्कर आते हैं, पेड़ू में भारीपन महसूस होता है,भूख कम हो गयी है, प्यास ज्यादा लगती है, किसी काम में मन नहीं लगता, स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया है, कमर में दर्द होता रहता है, योनि से सफेद पानी जैसा पतला दूधिया सा स्राव बहता रहता है; कुल मिला कर मेरी पत्नी मात्र २८ साल की उम्र में बीमारियों का गोदाम बन गयी है। मेहरबानी करके यदि उसकी इन सारी तकलीफ़ों का आयुर्वेद में कोई इलाज हो तो बताइये।
उमेश तोमर,ग्वालियर(म.प्र.)
उमेश जी, आप अपनी पत्नी की बीमारी के ढेर सारे लक्षणों से क्षुब्ध हो गये हैं। आपको प्रतीत हो रहा है कि ये सारी अलग-अलग बीमारियां हैं। इस बारे में स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये सब मात्र एक बीमारी "श्वेत प्रदर" के लक्षण हैं। यदि आपने इसका इलाज कराया है और कुछ दिन बाद फिर वही लक्षण उभर आये तो मैं बताता हूं कि वे दवाएं मात्र लक्षणों काउपचार कर रहीं थीं मूल कारण को समझा ही नहीं गया था। सबसे पहले आप अपनी पत्नी को नीम के पत्तों के काढ़े से एक सप्ताह तक योनि में डूश(पिचकारी नुमा यंत्र से योनि के अंदर तक धुलाई करने को डूश लेना कहते हैं) लेने को कहें। खान-पान पर विशेष ध्यान दीजिये तेज मिर्च मसाले, गरिष्ठ भोजन, चायनीज व्यंजनों तथा बाजारू साफ़्टड्रिंक्स से सख्त परहेज करें, यदि इन पदार्थों का सेवन करा तो औषधियों का कोई लाभ न होगा। अब निम्न दवाएं दें-
१ . प्रदरान्तक रस १० ग्राम + मधुमालिनी बसन्त रस ५ ग्राम + कुक्कुटाण्ड्त्वक भस्म ५ ग्राम + स्वर्ण बंग ५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ५ ग्राम इन सभी को मिला कर इतना घोंटिये कि स्वर्ण बंग की चमक दिखना बंद हो जाए। इसके बाद इस पूरे मिश्रण की चालीस बराबर पुड़िया बना लीजिये व एक-एक पुड़िया शहद के साथ सुबह-रात को चटवाएं तथा ऊपर से दूध पिला दें।
२ . सफेद मूसली १० ग्राम + माजू १० ग्राम + माई १० ग्राम + मोचरस १० ग्राम + अशोक छाल १० ग्राम + चिनिया गोंद १० ग्राम + इलायची १० ग्राम + संगजराहत २० ग्राम + तालमखाना २० ग्राम + चिकनी सुपारी ३० ग्राम + मंजीठ ३० ग्राम + सिंघाड़े का आटा ५०० ग्राम + खरेटी २५० ग्राम + गाय का घी एक किलो तथा इन सबके बराबर वजन में खांड ले लीजिये। पहले गोंद को घी में भून लीजिये व बारीक पीस लीजिये। सिंघाड़े के आटे को भी हल्का सा भून लीजिये। अब सबको मिला कर छोटे-छोटे लड्डू बना लीजिये। एक-एक लड्डू का सेवन सुबह शाम दूध के साथ करवाइये।
इस पूरे उपचार को दो माह तक चारी रखिये पहले ही सप्ताह में आश्चर्यजनक लाभ दिखाई देगा किन्तु स्थायी लाभ के लिये दो माह तक प्रयोग करवाएं।
मेरी पत्नी को पिछले चार माह से बहुत कमजोरी महसूस होती है, आंखो से सामने अंधेरा छा जाता है, हाथ पैरों के तलवों में जलन होती रहती है, आंखो के नीचे काले घेरे बन गये हैं, चक्कर आते हैं, पेड़ू में भारीपन महसूस होता है,भूख कम हो गयी है, प्यास ज्यादा लगती है, किसी काम में मन नहीं लगता, स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया है, कमर में दर्द होता रहता है, योनि से सफेद पानी जैसा पतला दूधिया सा स्राव बहता रहता है; कुल मिला कर मेरी पत्नी मात्र २८ साल की उम्र में बीमारियों का गोदाम बन गयी है। मेहरबानी करके यदि उसकी इन सारी तकलीफ़ों का आयुर्वेद में कोई इलाज हो तो बताइये।
उमेश तोमर,ग्वालियर(म.प्र.)
उमेश जी, आप अपनी पत्नी की बीमारी के ढेर सारे लक्षणों से क्षुब्ध हो गये हैं। आपको प्रतीत हो रहा है कि ये सारी अलग-अलग बीमारियां हैं। इस बारे में स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये सब मात्र एक बीमारी "श्वेत प्रदर" के लक्षण हैं। यदि आपने इसका इलाज कराया है और कुछ दिन बाद फिर वही लक्षण उभर आये तो मैं बताता हूं कि वे दवाएं मात्र लक्षणों काउपचार कर रहीं थीं मूल कारण को समझा ही नहीं गया था। सबसे पहले आप अपनी पत्नी को नीम के पत्तों के काढ़े से एक सप्ताह तक योनि में डूश(पिचकारी नुमा यंत्र से योनि के अंदर तक धुलाई करने को डूश लेना कहते हैं) लेने को कहें। खान-पान पर विशेष ध्यान दीजिये तेज मिर्च मसाले, गरिष्ठ भोजन, चायनीज व्यंजनों तथा बाजारू साफ़्टड्रिंक्स से सख्त परहेज करें, यदि इन पदार्थों का सेवन करा तो औषधियों का कोई लाभ न होगा। अब निम्न दवाएं दें-
१ . प्रदरान्तक रस १० ग्राम + मधुमालिनी बसन्त रस ५ ग्राम + कुक्कुटाण्ड्त्वक भस्म ५ ग्राम + स्वर्ण बंग ५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ५ ग्राम इन सभी को मिला कर इतना घोंटिये कि स्वर्ण बंग की चमक दिखना बंद हो जाए। इसके बाद इस पूरे मिश्रण की चालीस बराबर पुड़िया बना लीजिये व एक-एक पुड़िया शहद के साथ सुबह-रात को चटवाएं तथा ऊपर से दूध पिला दें।
२ . सफेद मूसली १० ग्राम + माजू १० ग्राम + माई १० ग्राम + मोचरस १० ग्राम + अशोक छाल १० ग्राम + चिनिया गोंद १० ग्राम + इलायची १० ग्राम + संगजराहत २० ग्राम + तालमखाना २० ग्राम + चिकनी सुपारी ३० ग्राम + मंजीठ ३० ग्राम + सिंघाड़े का आटा ५०० ग्राम + खरेटी २५० ग्राम + गाय का घी एक किलो तथा इन सबके बराबर वजन में खांड ले लीजिये। पहले गोंद को घी में भून लीजिये व बारीक पीस लीजिये। सिंघाड़े के आटे को भी हल्का सा भून लीजिये। अब सबको मिला कर छोटे-छोटे लड्डू बना लीजिये। एक-एक लड्डू का सेवन सुबह शाम दूध के साथ करवाइये।
इस पूरे उपचार को दो माह तक चारी रखिये पहले ही सप्ताह में आश्चर्यजनक लाभ दिखाई देगा किन्तु स्थायी लाभ के लिये दो माह तक प्रयोग करवाएं।
सोमवार, जुलाई 07, 2008
बाल काफ़ी तेजी से सफ़ेद होना शुरू हो गए हैं
Published :
7/07/2008 08:29:00 am
Author :
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
डाक्टर साहब नमस्कारमेरी उम्र २३ साल है. उसकी खुराक सामान्य है. दिनचर्या साधारण है मैं एक काल सेंटर में काम करती हूं । वहां कभी कभी नाइट शिफ़्ट भी करना होता है। मैं अक्सर भूख लगने पर वहां उपलब्ध कराए जाने वाला फ़ास्ट फ़ूड खा लिया करती हूं, जो कि मुझे पसंद भी है। मेरी समस्या है कि पिछले छह माह से मेरे बाल काफ़ी तेजी से सफ़ेद होना शुरू हो गए हैं। बाकी एम.सी. वगैरह की कोई समस्या नही है सब सामान्य है। कोई उपचार बताएं क्योंकि मैं बालों में रंग रोगन लगाना नहीं चाहती ,सुना है उससे बचे-खुचे बाल भी सफेद हो जाते हैं और फिर जीवन भर उस खिजाब को लगाना पड़ता है।
सुवर्णा माली,जळगांव
सुवर्णा बहन,आपकी समस्या का कारण आपकी फ़ास्ट फ़ूड की पसंद है। आप चिन्ता न करें आपको कोई खिजाब या बालों को रंग नहीं लगाना पड़ेगा। सबसे पहले आप अपनी खाने की आदत पर प्रतिबन्ध लगाएं और फिर निम्न उपचार को लगातार कम से कम तीन माह तक लीजिये और अपेक्षित परिणाम आने पर आगे जारी रखिये --
१ . अमलतास का गूदा १५ ग्राम दो कप पानी में उबालें व उसे सुबह सुबह नित्य कर्म से निपटने के बाद पी लें।
२ . नाश्ते के बाद आरोग्यवर्धिनी बटी २-२ गोली सुबह शाम दूध के साथ लें।
३ . गुडूची(गिलोय या गुळवेल नाम से भी जानी जाती है) का चूर्ण + नीम के पत्तों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें व भोजन के बाद दोनो समय आधा-आधा चम्मच जल से लिया करें।
४ . सुबह शाम नाक के दोनो छिद्रों में भ्रंगराज तेल की चार-चार बूंदें डालिये।
आपको आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेगा बस नियम से उपचार जारी रखिये।
सुवर्णा माली,जळगांव
सुवर्णा बहन,आपकी समस्या का कारण आपकी फ़ास्ट फ़ूड की पसंद है। आप चिन्ता न करें आपको कोई खिजाब या बालों को रंग नहीं लगाना पड़ेगा। सबसे पहले आप अपनी खाने की आदत पर प्रतिबन्ध लगाएं और फिर निम्न उपचार को लगातार कम से कम तीन माह तक लीजिये और अपेक्षित परिणाम आने पर आगे जारी रखिये --
१ . अमलतास का गूदा १५ ग्राम दो कप पानी में उबालें व उसे सुबह सुबह नित्य कर्म से निपटने के बाद पी लें।
२ . नाश्ते के बाद आरोग्यवर्धिनी बटी २-२ गोली सुबह शाम दूध के साथ लें।
३ . गुडूची(गिलोय या गुळवेल नाम से भी जानी जाती है) का चूर्ण + नीम के पत्तों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला लें व भोजन के बाद दोनो समय आधा-आधा चम्मच जल से लिया करें।
४ . सुबह शाम नाक के दोनो छिद्रों में भ्रंगराज तेल की चार-चार बूंदें डालिये।
आपको आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेगा बस नियम से उपचार जारी रखिये।
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अग्निकुमार रस
अर्शोघ्नी बटी
आनंद भैरव रस
अजीर्ण कंटक रस
अर्शकुठार रस
आमवातेश्वर रस
आमवातारि रस
अश्वकंचुकी(घोड़ाचोली)रस
अग्नितुंडी बटी
अमरसुंदरी बटी
आरोग्यवर्धिनी
बटी
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उन्माद गजकेशरी
रस
एकांगवीर रस
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कनकसुंदर रस
कफ़कुठार रस
कुष्ठकुठार रस
कफ़केतु रस
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कामदुधा रस
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कफ़कर्तरी रस
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कामधेनु रस
कृमिकुठार रस
कृमिमुग्दर रस
कफ़चिंतामणि रस
कांकायन बटी
कन्यालोहादि बटी
खैरसार बटी
खदिरादि बटी
गंधक बटी
गंधक रसायन
गर्भपाल रस
गुड़मार बटी
गुल्मकुठार रस
ग्रहणीकपाट रस
ग्रहणी गजेन्द्र
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चंद्रप्रभा बटी
चतुर्भुज रस
चंद्रामृत रस
चंदनादि बटी
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चतुर्मुख रस
चित्रकादि बटी
चिंतामणि
चतुर्मुख रस
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चिंतामणि रस
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पीपल
जवाहरमोहरा
दंतोद्भेदगदान्तक
रस
हिंगुलेश्वर रस
हृदयार्णव रस
हिंग्वादि बटी,
ज्वरांकुश रस
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लक्ष्मीनारायण
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महाज्वरांकुश रस
महाशंख बटी
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रस
वृहत
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वीर्यशोधन बटी
वृद्धिबाधिका बटी
व्योषादि बटी
विषतिंदुक बटी
व्याधिहरण रसायन,
वृहत कामचूड़ामणि
रस
योगेन्द्र रस
अभ्रक भस्म
(साधारण,शतपुटी,सहस्त्रपुटी)
अकीक पिष्टी/भस्म
हजरुलयहूद
भस्म/पिष्टी
गोदन्ती भस्म
जहरमोहरा खताई
भस्म/पिष्टी,
कुक्कुटाण्डत्वक
भस्म
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कान्तसार लौह
भस्म
कपर्द(वराटिका)भस्म
कासीस भस्म
लौह भस्में
(तीन
प्रकार)
मण्डूर भस्म
श्रंग भस्म
मुक्ताशुक्ति
भस्म/पिष्टी,
नाग भस्म
प्रवाल
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भस्म
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भस्म/पिष्टी
गोमेदमणि
भस्म/पिष्टी
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पन्ना(तार्क्ष्य)भस्म/पिष्टी
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लौह
चंदनादि लौह
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व प्रमेह)
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रजत)
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नवायस लौह
प्रदरारि लौह
प्रदरान्तक लौह
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मण्डूर
विषमज्वरान्तक
लौह
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लौह
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लौह
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गोक्षुरादि
गुग्गुल
पुनर्नवादि
गुग्गुल
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महायोगराज
गुग्गुल
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