शुक्रवार, अप्रैल 25, 2008

परेशानी के चलते बेटी की शादी नहीं कर पा रहे हैं........

डा.साहब,प्रणाम मेरी पुत्री बबली जिसकी उम्र बाइस साल है, अस्थमा की बीमार है। बहुत वर्षों से तमाम चिकित्सक बदल-बदल कर हम लोग थक गये हैं। आयुर्वेदिक उपचार भी एक वर्ष तक जारी रखा गया किन्तु पता नहीं क्यों लाभ नहीं हुआ। वैद्य जी ने जो दवाएं दी थीं उनमे से मुझे दो नाम याद हैं एक था "श्वास कुठार रस" और दूसरा था "वृहत श्वास चिन्तामणि रस" । उसे श्वास का दौरा होने से पहले हृदय और पूरी छाती में दर्द का आभास सा होने लगता है। पेट में चुभने जैसी पीड़ा होने लगती है, अफ़ारा भी महसूस होता है। मुंह का स्वाद बदल जाता है ओर कनपटियों में भयंकर तोड़ने जैसा दर्द होता है। स्वभाव एकदम चिड़चिड़ा हो चला है जबकि पहले वह एक खुशमिजाज लड़की थी। गरमी की शिकायत बहुत करती है जबकि सामान्य मौसम हो तब भी। जवान लड़की की इस तरह की परेशानी के चलते हम लोग उसकी शादी नहीं कर पा रहे हैं कि अगर ससुराल में ऐसी समस्या हुई तो भगवान ही जाने क्या होगा? मेहरबानी करके हमारी बच्ची के लिये कोई कारगर इलाज बताइये, उसकी रिपोर्ट्स की जेराक्स प्रतियां आपको पोस्ट से भेज दी हैं।
रामसिंह,भारापुर(सहारनपुर)
रामसिंह जी,आपकी बच्ची की समस्या वाकई गम्भीर है लेकिन निराश होने से तो समस्या हल नहीं होगी और सत्य तो ये है कि आपने बबली के लिये जो आयुर्वेदिक उपचार लिया था वो मात्र पेटेंट दवाएं देने वाले किन्हीं व्यवसायी किस्म के वैद्य जी का रहा जिन्हें कि सही निदान करने की आवश्यकता न्यून जान पड़ती है। आपके वैद्य जी को आयुर्वेद के ऊपर विश्वास तो है लेकिन व्यवसायिक तौर पर जिसके कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। आयुर्वेद ऐसे ही लोगों के कारण बदनाम हो चला है। खैर इस बात को जाने दीजिये और बबली का उपचार लिखता हूं।
१ . खानेवाला मीठा सोडा यानि कि सोडा बाई कार्ब १६ रत्ती में शोधन करा हुआ संखिया ०२(दो) रत्ती मिला कर एक दिन तक घुटाई करवा लें और इसकी १८ पुड़िया बना लें तथा सुबह-शाम एक-एक पुड़िया ठंडे पानी से दें। ध्यान रखिये कि संखिया(आर्सेनिक) एक अत्यंत तेज जहर माना जाता है जिसकी अत्यंत अल्प मात्रा ही जानलेवा होती है इसलिये इसके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिये। किसी अच्छी आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी से आपको संखिया शोधित सोमल या शोधित मल्ल नाम से मिल जायेगा। घुटाई में भी कमी न करें। मात्र सात दिनों में जहां बड़े योग असफल हो जाते हैं ये साधारण सा योग काम कर जाता है। अगर कुछ विशेष लाभ न हो तो इसी तरह से दो सप्ताह और दे सकते हैं।
२ . सेवन काल में घी में भुना दलिया दें,कब्जियत न रहने दें। एक चम्मच अमलताश के गूदे को एक कप गरम जल में एक चम्मच शहद मिला कर रोज दोपहर को पिलाएं।
दिन में पुराने चावलों का भात, मूंग, मसूर, परवल, करेले, पेठा, पके कद्दू का साग, बकरी का दूध, खजूर, अनार, आमला, मिश्री, पुराना घी, शहद, मुर्गा, तीतर का मांस, बथुआ, चौलाई, पोई का साग, बैंगन, लहसुन, नीबू, रत्रि भोजन में गेंहू की रोटियां, छॊटी इलायची दें। वेगों को जैसे मलमूत्र को न रोकें, कब्ज निवारण के लिये एनिमा न दें, धूल-धूंए से बचे, तली-भुनी तेज मिर्च मसाले, उड़द की दाल, कफ़ वर्धक पदार्थ, दही, अधिक पानी पीना, शोक,चिन्ता, रात्रि को अधिक खाना, मेहनत का काम, भेड़ का दूध को वर्जित करें। ये सब अपथ्य हैं जिनके सेवन से रोग दूर नहीं होता है और जटिलता बढ़ती जाती है।
आयुर्वेद पर विश्वास बनाए रखिये आपकी बच्ची शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएगी।

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