शुक्रवार, अक्टूबर 24, 2008

दिल की धड़कन बढ़ी रहती है बी.पी. के कारण.....

sir mujhe dilke jor jor se dhadkne ki sikayat pichle 8 salo se hai.mai 34 ki hu mera wajan 67 kg hai mera bp 130/90 rahta haior dil ki dhadkan kabhi 90 to kabhi 120 30 ki raftar se chalne lagti hai jisse badi bechaini hoti hai,mai BP ki dwa le rahi hu kuch mahino se koi fayada nahi hai.kabhi bhi suru ho jati hai dhadkan.doc ne eco me paya ki dil ki ek nali fail gayi hai jisse jyada blood body me jane ye ho rha hai...pls sir aap meri shayta kare
अनाम बहन
बहन जी आप परेशान न हों बी.पी. की दवा को बंद कर दीजिये और निम्न उपचार लगभग छह माह तक लगातार यदि ले लेती हैं तो आप यकीन मानिये कि आपको जीवन भर इस तरह की कोई समस्या न होगी।
१ . अर्जुन घन बटी एक गोली + अकीक पिष्टी एक रत्ती(१२५ मि.ग्रा.) + जहरमोहरा खताई भस्म एक रत्ती + मुक्ता पिष्टी आधी रत्ती मिला कर एक खुराक बनाएं और दिन में तीन बार अर्जुनारिष्ट के एक चम्मच के साथ सेवन करें।
२. सुबह नाश्ते में संभव हो तो एक या आधा मुट्ठी भीगे चने कच्चे ही चबा कर खाएं।

5 आप लोग बोले:

Gyan Darpan ने कहा…

रुपेश जी अर्जुन की छाल को सुखा कर पीस कर उसकी उकाली बनाकर सेवन करने से भी दिल की धड़कन की गति को नियमित करने में बहुत फायदा होता है यह मेने कई बार प्रयोग करके देखा है |

कृपया वार्ड वेरिफिकेशन हटा ले तो टिप्पणीकारों के लिए थोडी आसानी हो जाएगी

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

सुझाव के लिये दिल से शुक्रिया,अभी कर देता हूं; बस ऐसे ही आते जाते अगर सलाह दे देंगे तो भला हो जाएगा।

P.N. Subramanian ने कहा…

इस ब्लॉग के मध्यम से आप जो सेवा दे रहे हैं, सराहनीय है. आभार.
दीपावली की शुभकामनाएँ.

http://mallar.wordpress.com

BrijmohanShrivastava ने कहा…

मैं तो एक जगह कमेन्ट देख कर लेख पढने आया था यहाँ दवाएं मिली /यह भी परोपकार है /लेख पढ़ कर तो आदमी दूसरा लेख पढने लगता है किंतु आप तो उसे इस काविल बना देते हैं की वह लेख पढने और लिखने लायक हो जाए /बहुत धन्यवाद

admin ने कहा…

उपयोगी जानकारी दी है, शुक्रिया।

दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।