रविवार, अगस्त 23, 2009

दोनो पैरोँ मेँ भयंकर दर्द रहता है,दर्द एड़ी से शुरु होता है फिर सूजन आ जाता है

सर नमस्कार।मेरी मम्मी की उम्र लगभग ४५ साल है।उन्हेँ लगभग ५ साल से दोनो पैरोँ मेँ भयंकर दर्द रहता है,दर्द एड़ी से शुरु होता है फिर सूजन आ जाता है जो पूरे शरीर मेँ घुटने तक हो जाता है। जिस वजह से न चल पाती हैँ न ही उठ पाती हैँ।फिर बुखार आ जाता है।पैरोँ के उँगलियोँ मेँ तथा जोड़ोँ मेँ कोई गाँठ नही है।दर्द के वजह से सूजन जरुर हो जाता है। इलाज मेँ हर प्रकार से जड़ी-बूटी, एलोपैथी, आयुर्वेदिक, एक्युपंचर सभी किए गए हैँ,कोई कहते हैँ गठिया हैँ कोई आर्थराइटिस कोई वात हैँ।समझ मेँ नहीँ आता है क्या है।हम लोग हार चुके हैँ ,क्या मम्मीजी कभी पूरी तरह से ठीक हो पाएंगी ?हम सभी इस बीमारी से अपना आपा खो चुके हैँ क्या करेँ?क्या मम्मीजी पूरी तरह से पहले जैसी ठीक हो जाएँगी ? इसका ईलाज जरुर बताएँ डाँक्टर साहब मैँ आपका जिँदगी भर आभारी रहूँगा।
आशू सिंह
आशू सिंह जी,आपकी माता जी के ऊपर अब तक चिकित्सकों ने ढेर सारे प्रयोग कर डाले हैं यानि कि आपकी माताजी एक प्रायोगिक जन्तु की भांति कष्ट भोगती रही हैं मुझे उनसे हार्दिक सहानुभूति है। आपने जो लक्षण लिखे हैं उनके आधार पर ये शत-प्रतिशत वात का ही विकार है। आप उन्हें निम्न औषधियां दीजिये-
१. रास्ना घनसत्व ५ ग्राम + एकांगवीर रस १० ग्राम + योगराज गुग्गुलु १० ग्राम+ शुद्ध कुचला चूर्ण २.५ ग्राम + आमवातेश्वर रस १० ग्राम + विषमुष्टिका वटी १० ग्राम इन सबको मिला कर कस कर घोंट लीजिये व एक ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार गर्म जल या चाय के साथ दीजिये।
२. रास्ना घनसत्व १० ग्राम + महायोगराज गुग्गुलु १० ग्राम + शुद्ध कुचला १० ग्राम लेकर कस कर घोंट लीजिये व इसमें से एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार गर्म जल से लीजिये।
३. सप्ताह में एक बार रात में कब्ज न रहे इसलिये मीठे दूध में कैस्टर आयल(एरण्ड का तेल) एक चम्मच डाल कर पिलाएं।
दही, चावल, मिथाई, तैलीय पदार्थ, ठंडे खाद्य पदार्थ( जैसे फ्रोजन फ़ूड) व गरिष्ठ भोजन खाने में न दें। हल्का व सुपाच्य भोजन लाभ अधिक देगा इस बात का विशेष ध्यान रखें। इस उपचार को न्यूनतम तीन माह दें।

जो बाल कई बरसों में गिर गये हैं

Dear Dr.
I would like to thank you for giving me time on Sunday to discuss my health problems with you.
As suggested by you, I am mentioning my health problems as under:
I am 35 yers of age. I suffer from hyperacidity, heat flushes, high serum uric acid (gout). Apart from this, I suffer from constipation and gas problem. As soon as I eat even a little, my stomach gets distended and it gives me a lot of discomfort. I have observed that over the past 2 years, my semen has become thinner. I think it is because of pitta and body heat. I also suffer from pre mature ejaculation.
Alopecia: I suffer from male pattern baldness for the last 12 years. However, over the last 2-3 years, my hair has been falling at an alarming pace.
I take the following medicines daily:
A sustained release acid inhibitor, PAN 40 a day for hyperacidity
3 Zylorics (morning, noon and night) to control my uric acid levels
4 tablets of Medohar Guggulu thrice a day (12 tablets)
You have rightly diagnosed that my problems are because of Pitta imbalance. My pulse is very strong and gallops prominently. I suffer from body heat, anger, sweating and hyperacidity. Kindly suggest me remedies that correct this imbalance and correct the other problems like alopecia .
Awaiting your response on the medicines. I would like to consume the medicines prepared by your establishment as I have total faith in you. Please suggest further
Respectfully,
Abhiram Mishra
प्रिय अभिराम जी, आपकी समस्या की जड़ तो मात्र एक ही है किन्तु उसके लक्षण अनेक दिखने के कारण आपको प्रतीत हो रहा है कि ढेर सारी समस्याएं है। आपने फोन पर जो बातें बताई थीं और जो लक्षण लिखे हैं उनके आधार पर स्पष्ट दिखायी देता है कि आप पित्तविकार से ग्रस्त हैं जो कि समय के साथ गहराता चला गया और जटिल लक्षण प्रस्तुत करता गया है। आप परेशान हों और धैर्यपूर्वक निम्न औषधियां लीजिये
. आंवला घनसत्व + हरड़ घनसत्व + मुलैहठी घनसत्व + भृंगराज घनसत्व २०-२० ग्राम ले कर इस मिश्रण में २० ग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला कर इसकी एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये(इस दवा को बीज निकाले हुए खाली मुनक्के या खाली कैप्सूल में भर कर लिया जा सकता है)
. भृंगराज + आंवला + मिश्री + साबुत काले तिल २५-२५ ग्राम मिला कर रख लें इस योग को भी एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये।
. बालों में तेल इस समय लगाने का कोई उपयोग नहीं होता बल्कि समस्या उलझती ही जाती है अतः रात में (अथवा यदि शिफ़्ट ड्यूटी करते हों तो जब सोने का समय हो) बालों की जड़ों में उंगली के पोरों से हल्के तरीके से पंचतिक्त घृत लगायें(इतना अधिक नहीं कि चूने-टपकने लगे)और सुबह मुल्तानी मिट्टी या एलोवेरा शैम्पू से धो लें।
इस उपचार को नियमित रूप से न्यूनतम छह माह तक करा जाए तब आप देखेंगे कि नए काले छोटे-छोटे बाल खल्वाट त्वचा पर उग रहे हैं। चूंकि यह एक जिद्दी रोग है अतः बिना हताश हुए इलाज करना पड़ता है, यदि हम औषधियों से यह अपेक्षा रखें कि जो बाल कई बरसों में गिर गये हैं वे दवा लेते ही चमत्कारिक रूप से पुनः उग आएंगे तो यह बचपना ही होगा। घैर्य रखना ही इस उपचार का सबसे बड़ा धनात्मक पक्ष है।

बुधवार, अगस्त 05, 2009

३-४ बजे शाम से सर में बहुत तेज़ दर्द होने लगता है

डॉक्टर साहेब,मेरी माँ को ८-१० दिनों से ३-४ बजे शाम से सर में बहुत तेज़ दर्द होने लगता है, और उनका गला जैसे लगता है की कोई दाब रहा है और चक्कर भी आता है , कुछ दर्द की दवाएं खा रही है पर कोई फायदा नहीं हो रहा है, कृपया इस बीमारी के बारे में बताएं ये किस तरह की बीमारी है, इसे क्या कहते है और इसका क्या इलाज है कहीं इन्हें कोई बड़ी बीमारी तो नहीं हो गयी है मुझे बहुत घबराहट लगने लग रहा है उनकी उमर लगभग ४० साल की होगी, डॉक्टर साहेब कृपया कर मेरी माँ कौन सी बीमारी है और इसका क्या इलाज़ है वो भी कृपया कर बताएं
धन्यवाद
shyam kumar
प्रिय श्याम जी आपकी माता जी के बारे में आपने जो लक्षण बताए हैं उनसे कुछ विशेष स्पष्ट नहीं हो रहा है किंतु जैसा कि आपने बताया कि जो लक्षण हैं वे हैं - शाम को निश्चित समय पर सिर में तेज दर्द, गला दबाने जैसी अनुभूति और चक्कर आना। अपने अनुभव के आधार पर विचार करने पर समझा कि स्पष्ट सी बात है कि इतने समय तक सामान्यतः लोग दोपहर का भोजन कर चुके होते हैं और यह पेट में भोजन के पाचन का समय होता है। इस समय पित्त प्रबल रहता है किन्तु आपकी माता जी की समस्या के साथ में दर्द का होना वायु के प्रकोप को भी बताता है किन्तु वह उतना प्रबल नहीं है जब तक उस पर पित्त का आवरण नहीं आ जाता समस्या शुरू नहीं होती है। आपने ये नहीं बताया कि क्या ये लक्षण कुछ समय बाद स्वयं ही शांत हो जाते हैं या आप कोई उपाय करते हैं, उनका हाजमा कैसा है, क्या कब्जियत रहती है,मासिक धर्म आदि में कोई समस्या तो नहीं है आदि; यदि विस्तार से लिखें तो कोई दिक्कत न होगी और तत्काल सही व सटीक उपचार मिल जाएगा। फिलहाल आप निम्न उपचार माताजी को दें--
१. कपूर + मेन्थाल(पिपरमिंट, जिसे पान में ठंडक के लिये डाला जाता है) बराबर मात्रा में मिला लीजिये और टाइट ढक्कन की कांच की शीशी में रख लीजिये तथा दोपहर का भोजन करने के आधा घंटे बाद एक बूंद उंगली पर लेकर माताजी की नाभि पर लगा दीजिये।
२. दूब(दूर्वा) ये साधारणतया पायी जाने वाली हरी घास है इसे लाकर मिट्टी साफ़ करके इतनी मात्रा में पीसिये कि एक चम्मच रस निकल आए। इस तरह से ताजा निकाला हुआ रस माता जी को सुबह नाश्ते के बाद तथा रात्रि को भोजन के आधा घंटे बाद दीजिए और उसके बाद एक घंटे तक पानी न पिएं।
इस उपचार को एक सप्ताह तक दीजिये और आयुषवेद के संपर्क में रहिए, तेज मिर्च-मसालेदार भोजन, मांसाहार से परहेज कराइये।

मंगलवार, अगस्त 04, 2009

आप नपुंसक तो नहीं कहे जा सकते हैं

Mai, Rajkumar meri Samasya Hai ke mai Bahut Dubla-Patla hu, or
mughhe kabj ki sakayat rahti hai,mai 24 sal ka ho gaya hu kintu mary dadi-muchh
abi tak nahi aai hai mare dosht kahte hai ke mai namard hau, kyoki mai
7-8 sal tak hastmethun karta tha jho mane chhod diya aap mery samasya ka
samadhan batane ka kast kare taki mai mota or balawan, mard ban saku

Danywad
Rajkumar Chhavariya
राजकुमार जी,आपकी समस्या की गम्भीरता को समझ रहा हूं। इस उम्र तक यदि दाढ़ी-मूंछ न आएं तो सचमुच ये एक हार्मोनल समस्या है......
आगे पढ़े......शेष भाग पुरुषों के रोगों वाले खंड पर जाएं

सोमवार, अगस्त 03, 2009

Bilateral polycystic kidney की समस्या

Aadab bhai jan, bhai ki medical reports bhej raha hun ham sabhi ko apse bahut sari ashyen hain...

Present Condition:
Bilateral polysystic kidey with cholelithiasis
निम्न लक्षण हैं.......
१.दोनों पैर में सूजन है दाहिने पैर में ज्यादा व पंजे में अधिक है पैर की नसों व उँगलियों में दर्द,कुल्हे तक दर्द.
२.पेशाब रुक रुक कर होता है.कभी कभी पेशाब में जलन अधिक रहती है और जलन गले तक होती है.
३.पीठ में दोनों तरफ दर्द रहता है.बाएँ तरफ दर्द अधिक रहता है.
४.कभी कभी मतली होती है और कभी उलटी भी हो जाती है.
(करीब दस सालों से ये दिक्कत है. कमजोरी बहोत है और वज़न भी करीब ४७ किलो है.)
गुफ़रान सिद्दिकी,इलाहाबाद
प्रिय गुफ़रान भाई, आपके द्वारा भेजे गए पत्र में जो लक्षण और संलग्न रिपोर्ट्स थीं उन्हें जाना समझा। चूंकि जब रोग पुराना हो जाता है तो पुनः स्वास्थ्य आने में समय लगता है। इसलिये चिकित्सा काल में इच्छित परिणाम मे लिये धैर्य रखें। रोगी को निम्न उपचार दें-
१. शतावरी चूर्ण एक चम्मच + मुलैहठी चूर्ण एक चम्मच मिला कर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम दें ध्यान रखिए कि दूध गर्म न करें सामान्य ताप पर ही दें।
२. अविपत्तिकर चूर्ण आधा चम्मच भोजन के आधे घंटे पहले जल से दीजिए दिन में दो बार दें।
३. क्षार पर्पटी एक ग्राम + सज्जीखार एक ग्राम + पुननर्वादि गुग्गुलु एक गोली को नींबू शर्बत या शहद के साथ दिन में तीन बार सुबह दोपह शाम को दीजिये(खाली पेट न दें)
४. त्रिफला २ ग्राम + कुटकी एक ग्राम + मुनक्का ३ ग्राम मिला कर मुनक्के को मसल कर बनाए शर्बत के साथ दें(इस शर्बत के स्थान पर हरीतक्यादि क्वाथ दें तो बेहतर परिणाम मिलते हैं)
भोजन में अधिकतम दूध रोटी या दूध चावल का सेवन हितकर है। नमक, तेल, मिर्च, अचार, दही,कुल्थी की दाल,मसूर आदि जैसे गर्म और भारी भोजन का त्याग करें। मांसाहार(अंडे भी) पूरी तरह सख्ती से बंद कर दें यह रोगी के लिए विष के समान है। फलों में पके केले, अनार, नारियल, मोसम्बी, आंवला दे सकते हैं; लौकी, परवल, करेला, कद्दू की सब्जी दीजिये किन्तु ध्यान रहे कि ये सब मसालेदार न हो। सब्जी में देसी घी और जीरे का छौंक दे सकते हैं।