रविवार, नवंबर 30, 2008

छह-सात साल से जुका़म है साइनुसायटिस नामक बीमारी बताई है

आदरणीय डा.साहब
नमस्ते
मुझे लगभग छह सात सालों से हमेशा जुका़म बना रहता है, नाक बहती रहती है, ऐसा लगता है कि अंदर कुछ फंसा हुआ है, अक्सर खांसी भी आती है और कम मात्रा में बलगम भी छूटता है। सिर हमेशा भारी बना रहता है। जब पढ़ने के लिये सिर नीचे को झुकाता हूं तो लगता है कि अंदर कुछ भरा है जो बाहर आना चाहता है लेकिन ऐसा होता नहीं। मैं बौत परेशान हूं मेरी मदद करिये सुना है कि आयुर्वेद में मौत के अलावा हर बीमारी का इलाज है।
संतराम कोरी,झांसी
संतराम जी आपने बिलकुल सही सुना है। ठंडी चीजों का सेवन बिलकुल बंद करके इन दवाओं को लीजिये-
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + त्रिभुवन कीर्ति रस एक गोली + लक्ष्मी विलास रस(नारदीय)एक गोली + श्रंग भस्म दो रत्ती(यानि २५० मिग्रा.) + रस सिंदूर एक रत्ती + गोदन्ती भस्म दो रत्ती : इन सभी को मिला कर एक खुराक बना लीजिये व दिन में शहद के साथ मिला कर तीन बार सुबह-दोपहर-शाम चाटिये।
२ . षड्बिन्दु तेल की छह बूंदें नाक के दोनो छेदों में डालिये सुबह - शाम।
३ . हरिद्रा खण्ड आधा चम्मच दिन में दो बार सेवन करें। ऊपर से गुनगुना गर्म जल पी लीजिये।
इस औषध को तीन माह तक लीजिये फिर जीवन भर कभी आपको इस तरह की समस्या न होगी।

शनिवार, नवंबर 29, 2008

ये "घनसत्व" क्या हैं?

आदरणीय सर
नमस्ते
आपने पिछले एक सवाल के उत्तर में जो कि बालों के झड़ने की समस्या के बारे में था बताया है कि कुछ जड़ी-बूटियों के घनसत्व लेना हैं। मैने अपने शहर के आयुर्वेदिक दवाओं के विक्रेताओं से बात करी तो उन्हॊने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है वो कुछ अलग ही दवाएं बेचने की कोशिश करते हैं। आप बताइये कि ये "घनसत्व" क्या हैं? क्या इन्हें घर पर बनाया जाता है या अगर कहीं से खरीद सकते हैं तो दुकान का पता दीजिये। धन्यवाद
अजेय वाचस्पति,प्रतापगढ़(यू.पी.)
अजेय जी घनसत्व का अर्थ है उस वनस्पति के सत्व को निकाल कर उसे गाढ़ा करते-करते सुखा कर चूर्ण रूप में बना लेना। असल में कई बार नाजुक तबियत के आधुनिक लोग आयुर्वेद में बताए गये चूर्ण आदि की ज्यादा मात्रा जैसे एक चम्मच लेना पसंद नहीं करते अतः ऐसे लोगों के लिये घनसत्व एक बेहतर विकल्प होते हैं जो चूर्ण के स्थान पर लिये जा सकते हैं। एक चम्मच चूर्ण के स्थान पर एक चुटकी घनसत्व लेने से भी वही प्रभाव मिल जाता है क्योंकि ये उस वनस्पति के सत्व रूप में होता है। ये अत्यधिक "पोटेन्टाइज्ड" होते हैं। कुछ बड़ी कम्पनियां इन घनसत्वों को कैप्सूल के रूप में बना कर भारी मुनाफ़ा कमा कर मरीजो की जेबें काट रही हैं, आप साधारणतया इन्हें घर पर नहीं बना सकते जैसे कोई आपसे कहें कि चाय को इतना उबालिये कि वह चूर्ण रूप में आपको मिल जाए तो वह चाय का घनसत्व होगा इसलिये ये एक श्रमसाध्य कठिन कार्य है जिसके लिये अनुभवी लोगों की जरूरत होती है। आयुषवेद परिवार ने अपने आत्मीयजनों की इस समस्या को दूर करने के लिये आपके आवश्यकता के लिये वनस्पतियों के घनसत्व बनाने की व्यवस्था भी जुटा ली है अतः यदि आप किन्हीं घनसत्वों को चाहें तो आयुषवेद परिवार उन्हें अपनी देखरेख में आपके लिये बनवा देगा।

बुधवार, नवंबर 26, 2008

जांच करवाने पर मुझे दिल का मरीज बताया गया.....

डाक्टर साहब, नमस्ते
मेरी उम्र ४२ साल है। मुझे बहुत घबराहट होती है। चक्कर आते रहते हैं। दिल बहुत तेजी से धड़कता रहता है। भूख एकदम कम लगती है। आंखों में कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि गर्म धुंआ सा निकल रहा है। जांच करवाने पर मुझे दिल का मरीज बताया गया है। कोई आयुर्वेदिक उपचार बतायें। धन्यवाद
विनम्र के.जैन,राठ
विनम्र जी आप चिंतित न हों जल्द ही आप अपने आपको स्वस्थ महसूस करेंगे बस ये दवा की कुछ खुराक लेने भर की देर है। आप इस दवा को इस तरह से बनाकर लें..
१ . अर्जुन की छाल का चूर्ण ६० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १० ग्राम + अकीक पिष्टी १० ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी १० ग्राम + शुद्ध सूखा शिलाजीत १० ग्राम + जहरमोहरा खताई पिष्टी १० ग्राम + लोह भस्म १० ग्राम इन सब को मिला कर कस कर घोंट लीजिये और ५०० मिलीग्राम की पुड़ियां बना लें जो कि आपके लिये एक खुराक होगी। इस दवा को एक-एक पुड़िया दिन में तीन बार अर्जुनारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये। दवा खाली पेट न लें।
२ . अर्जुन घृत एक-चौथाई चाय का चम्मच दिन में दो बार सुबह-शाम लीजिये।
आप मात्र दो माह लगातार औषधियां ले लीजिये आजीवन आपको दिल की कोई तकलीफ़ उम्मीद है कि होगी ही नहीं।

बेटे को मुंबई में आने पर छींक-सर्दी-ज़ुकाम चालू हो जाता है

sir mera ladka 17 sal ka hai use lagbhag 3 sal pahle garmi me chink aur jukam chalu hua thi tab maine kuch dactaro ko bataya tha dr. davai deta tha thik ho jata tha lekin 1 ya 2 din ke bad vapis chalu ho jata tha fir garmi jaise khatam hui chink aur jukam bina davai ke thik ho gaye fir dusare sal vapis garmi aate hi vapis chalu jo abhi tak thik nahi hua sal bhar pahle mai faimily ke sath kashmir gaya tha thandi me ham log sara din barf par khelte the vo time mai ladke ko bilkul chink ya jukam nahi hua fir 5 - 6 mahine pahale mai rajasthan gaya tha 15 din ruka tha use bilkul jukam nahi hua fir jaise mumbai aaya to chalu . matlab ladka mumbai se bahar koi bhi sijan me rahata hai chahe sardi garmi barish ya barf girti ho use jukam bilkul nahi ya nahi ke barabar rahta hai par jaise mumbai aaya ki vapis jukam chalu . abhi use chik to nahi ke barabar aa rahi hai par jukam sara din aur rat ko bhi rahata hai kabhi kabhi to rat ko jagkar bhi rumal lekar nak se chu chu karta hai maine 1 sal pahale elarji ke dr. ko dikhaya tha usane sab test karvaye the to bataya tha ki ladke ko jami hui mitti jise parpadi kahte hai aur pollution ke elargi hai so ladke ka room jaha sota hai roj pura dhone ka, daily chadar aur bistar dhone ka, room me roj davai chantane ka, room me 1 bhi kakroch ya machchar nahi hona chahiye, udad dal nahi khane ka,baki keval ghar ka khana khane ka, bahar se nimn chij bhi nahi khane ka jaise juce, sandvich, khana matlab bahar ka kuch bhi khana nahi khane ka aur usne kaha ki mai 3 sal ka couse deta hu usase thik ho jayega varna dhire-dhire ladke ko shvas ki problem ho sakti hai fir uske kahane par mai vo davai dehli se aashtreliyan company dvara taiyar karvai jo alag alag color me thi week me 3 bar jibh ke niche 1 bund dalne ko kaha tha maine 1 sal vo dr.se ilaj karvaya par koi fayda nahi hua please bataye kya karana chahiye kyoki ladka ghar me hi rahta hai bahar bhi nahi jata college bhi bahut kam jata hai puchane par bataya ki papa sabke samne nak se aavaj hone par mere ko bahut kharab lagata hai so mai college nahi jaunga . please aap pura read kare aur advise de kya karna chahiye from surendra daga mumbai
आत्मन भाई सुरेन्द्र जी
आपके बच्चे की समस्या को पूरी गम्भीरता से समझा है। मैं मानता हूं कि ये समस्या इतनी गहरी नहीं है जितनी कि परिस्थितियों के कारण आपको प्रतीत हो रही है उसका कारण है कि आप "स्पेश्लिस्ट डाक्टर्स" के चंगुल में फंस गये। वैसे मैंने ये देखा है कि मुंबई के लोगों की जीवन शैली ऐसी है कि वे कुछ भी होने पर पहले फैमिली डाक्टर फिर उससे न सम्हलने पर स्पेश्लिस्ट के पास भागते हैं और जिंदगी भर के लिये उनके ग्राहक बन जाते हैं। आप परेशान न हों। आपके बेटे को मुंबई के आर्द्र(humid) वातावरण के कारण कफ़ विकार हो जाता है आप इन औषधियों को उसे लगभग तीन माह तक दीजिए ताकि उसके शरीर में इस विकार के प्रति प्रतिरोध बन सके कि यदि स्थान और वातावरण बदले तो भी उसके स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े.......
१ . शुद्ध वत्सनाभ १ ग्राम + समीरपन्नग रस २ ग्राम + वज्राभ्रक भस्म शतपुटी ३ ग्राम + टंकण भस्म ४ ग्राम + श्रंग भस्म ५ ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी १० ग्राम; इन सब को मिला कर इसमें आगे लिखी औषधियों का रस या काढ़ा डाल कर सुखा लें
....... सोमलता, स्वर्णक्षीरी, आक(मदार) के पत्तों का रस
इस औषधि की २५० मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लें व सुबह शाम एक-एक गोली हलके गर्म फीके दूध से दीजिये।
यह दवा यदि आप तैयार न कर सकें किसी वैद्य से तैयार करवा लें अन्यथा आयुषवेद परिवार को aayushved@gmail.com पर सूचित करें क्योंकि आपके बेटे का कैरियर शर्मिंदगी के कारण कालेज न जा पाने से खराब हो सकता है, इस बात का अवश्य ध्यान दें। आयुषवेद दल एक सेवाभावी लोगों का परिवार है जो न मिल पाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों को अत्यंत शुद्धता व शास्त्रोक्त पद्धति से बना कर मात्र उत्पादन मूल्य पर स्पीड पोस्ट से उनके घर पर उपलब्ध करा देता है। बाजारू औषधियों जो यदि मूल्यवान हैं तो शुद्ध होंगी इस बात का भरोसा कर पाना बहुत मुश्किल होता है। यदि आपको ये औषधियां नहीं मिलती हैं या अधिक मंहगी प्रतीत होती हैं तो हमें अवश्य बताइये। इस उपचार के बाद आपका बेटा जो चाहे खा सकता है क्योंकि शरीर में रोग के प्रति प्रतिकार शक्ति विकसित हो चुकी होगी, जिंदगी भर किसी परहेज की आवश्यकता नहीं होगी कि ये खाओ ये मत खाओ वैसे स्वस्थ रहना है तो जुबान पर नियंत्रण आवश्यक है।



रविवार, नवंबर 23, 2008

क्या लेना ठीक है वसंत कुसुमाकर या मकरध्वज वटी?

सुभ प्रभात, बसंत कुसुमाकर व नव्रत्न क्ल्प के बारे मे लिखा दुबारा धन्यवाद, कृपया सलाह दे मै 47 का हू, मेरा touring job हैं, इसलिऐ पेट खराब रहता है, परेज नहि रह पाता है मुझे बसंत व मकरध्वज vati मे से क्या लेना चाहीये, ओर कैसे ? कृप्या बताये. नमस्कार
vishnu k. gupta ( vishnukgupta@webdunia.com)

विष्णु जी, वसंत कुसुमाकर रस व मकरध्वज वटी में से यदि आपके कार्य व दिनचर्या के अनुरूप लेना चाहें तो आपके लिये मकरध्वज वटी ही श्रेष्ठ है क्योंकि जब आप किसी ऐसे कार्य पर होते हैं कि आपको change of water तथा change of climate का लगातार सामना करना पड़ता है साथ ही यात्रा करने के कारण सोने जागने का समय आदि भी अनियमित हो जाता है तो ऐसे में मकध्वज वटी आपके शरीर में इन परिवर्तनों तथा विषमताओं के प्रति एक प्रतिरोध उपजा देती है कि आप इनसे संबद्ध विकारों से पीड़ित नहीं होते साथ ही आपका पाचन व स्वास्थ्य सबल बना रहता है। यह स्वर्ण, पारे व अभ्रक की शक्ति का मिश्रित एक अति उपयोगी प्रभावी योग है। इसकी एक माह की खुराक का उत्पादन मूल्य १४०० रु. पड़ता है। यदि आप इसे उपयोग के लिये मंगवाना चाहें तो इस मूल्य में डाकखर्च जोड़ कर जो रकम बने उसका आधा हमें भेज दें जैसे ही उक्त राशि आयुषवेद को प्राप्त होगी आपकी औषधि आपको वी.पी.पी. से तत्काल भेज दी जाएगी। चूंकि आयुषवेद व्यवसायिक संगठन न होकर एक सेवाभावी संगठन है जो कि आपको मात्र उत्पादन मूल्य पर दवाएं उपलब्ध बना कर भेजता है। इसलिये आयुषवेद दल के इस कार्य में सहयोग करें। एक विशेष बात और ध्यान मे रखिये कि आयुषवेद दल आपको जिस मूल्य पर दवा आपके घर पर भेज देता है वह बाजार में मिलने वाली मात्र प्रचार से प्रसिद्ध हुई दवाओं से लगभग आधा ही पड़ता है जिसमें कि आयुषवेद की शुद्धता व विश्वसनीयता का भरोसा भी शामिल रहता है।

शनिवार, नवंबर 22, 2008

दांयी किडनी में 5मिमी. व 6मिमी. आकार के स्टोन(पथरी)

सर नमस्ते,मेरी दांयी किडनी में 5मिमी. व 6मिमी.आकार के स्टोन(पथरी) है। कोई अच्छा इलाज बताएं या दवा भेजने की कृपा करें।
धन्यवाद
मोहन,दादरी(गौतमबुद्ध नगर)
मोहन जी, आप परेशान न हों बस इन दवाओं को दो माह तक सेवन कर के पुनः जांच एक्स रे या अन्य विधि से करवा लें पथरी जादू की तरह से घुल कर गायब हो जाएंगी। यदि आयुषवेद से औषधि मंगवाना चाहें तो हमें e-mail कर दीजिये। आयुषवेद दल द्वारा बनायी दवाएं बाजारू दवाओं से अधिक विश्वसनीय, शुद्ध व मूल्य में अपेक्षाकृत कम ही होती है।
१ . हजरुल यहूद भस्म एक रत्ती + कलमी शोरा एक रत्ती + जवाखार एक रत्ती + मूत्र कृच्छान्तक रस एक गोली + गोक्षुरादि गुग्गुल एक गोली + श्वेत पर्पटी एक रत्ती इन दवाओं की एक मात्रा बना लें और सुबह शाम ठंडे पानी से सेवन करें।
पथ्य पूर्वक रहें तो पथरी दोबारा बनेगी ही नहीं अन्यथा दोबारा बन जाती है। घिया लौकी, तोरई, टिण्डा, कद्दू, मूली, मूंग की दाल, अरहर तथा कुल्थी की दाल, दूध, संतरा, पपीता, अनार, तरबूज का अधिक सेवन दवा लेने के समय हितकर रहता है।

बुखार की भयंकर स्थिति बार-बार आ जाती है

मेरी पत्नी को इन समस्याओं के चलते मैंने अस्पताल में दिखाया वहां एडमिट भी रखा गया पर जब कुछ दिन बाद घर आयी तो फिर सब वैसा ही होने लगा है। उपाय बताएं -
मुख्य लक्षण
(1) बुखार-107/105 (2) पेट में जलन के साथ दांयी तरफ़ दर्द (3) सिर व आंख में दर्द (4) हड्डियों में दर्द (5)उल्टी आती है (6) मासिक धर्म की गड़बड़ी
BLOOD REPORT
NE EPI CELL--2/3
FC--5700
HB--9.5
ESR--18
PCV--31
PLATELET COUNT--19
P-68 L-30 E-2
HIV--NEG.
MP--NEG.
FBS--93
URER--20
CRERT--0.9
SR BILL--1.3
SUPT--18
SUOT--30

दी गई दवाएं
(A)--CHOLOROQUINE PHOSPHATE 250mg
(B)--PROCHLORPERAZINE MALEATE I.P. 5mg
(C)RANITIDINE
(D)--PHENIRAMINE MALEATE I.P.25mg
(E)--ANEMIDOX( capsule of vitamins with iron)
(F)--MALA--N

सौरभ अस्थाना,मुंबई
प्रिय सौरभ, आपने जो रिपोर्ट साथ में भेजी है व टेलीफोन पर बात करी है उस आधार पर बहू को निम्न उपचार दें औषधियां लिख रहा हूं, यह वात पैत्तिक विकार की उपस्थिति है -
१ . सर्वज्वर हर लौह ( यह सामान्य व स्वर्णमिश्रित दो प्रकार का आता है किंतु स्वर्ण मिश्रित योग मंहगे होते है व आपातकालीन स्थिति में प्रयोग करे जाते हैं अतः अभी सामान्य ही योग लें) एक गोली + गिलोय सत्त्व दो रत्ती(२५० मिग्रा.) को अमृतारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दें।
२ . मकरध्वज बटी एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद मिश्री मिले दूध के साथ दें ताकि रोग के कारण आयी व विटामिनों की कमी से आयी कमजोरी दूर हो जाए।

मकरध्वज बटी के विशिष्ट उपयोग व गुणधर्म



बहुत सारे पाठकों के पत्र इस विषय में आए कि इस महौषधि के बारे में विस्तार से बताया जाए। अतः इस पर जो जानकारियां पहले दी जा चुकी हैं उनसे आगे बढ़ते हैं।
विभिन्न पुरुष व स्त्री रोगों पर :
अ . सामान्य कमजोरी व ठंड के मौसम में शक्ति संचय करने के लिये
ब . सर्दी, खांसी, जुकाम की अवस्था में
स . मधुमेह(डायबिटीज) के कारण आयी कमजोरी में
द . कैल्शियम व विभिन्न विटामिनों की कमी की अवस्था में
च . रक्त की कमी के कारण आयी कमजोरी में
छ . स्मरण शक्ति की कमी(अत्यधिक वीर्यनाश के कारण) की अवस्था में
मात्र पुरुष रोगों पर :
अ . स्वप्नदोष की अवस्था में
ब . प्रमेह की अवस्था में
स . शीघ्रपतन की अवस्था में
द . हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता की अवस्था में
च . स्तम्भन(रुकावट) की कमी की अवस्था में
छ . धातुस्राव की अवस्था में
मात्र स्त्री रोगों पर :
अ . प्रदर(लिकोरिया) के कारण आयी भीषण कमजोरी की अवस्था में
ब . कामशीतलता(सेक्स में दिलचस्पी न होना) की अवस्था में
स . कमर दर्द की अवस्था में

बुढ़ापे के रोगों पर :
अ . बुढ़ापे के कारण आयी शारीरिक कमजोरी की अवस्था में
ब . बढ़ती उम्र के कारण आयी सेक्स दुर्बलता की अवस्था में
स . सेक्स की इच्छा होने पर भी लिंग में कड़ापन न आने की अवस्था में
द . भूख न लगना, अनियमित पाचन की अवस्था में
च . बुढ़ापे के कारण आयी याददाश्त की कमजोरी की अवस्था में
इस महौषधि को अनेक रोगों की स्थितियों में अलग-अलग अनुपानों यानि दूध, शहद, मक्खन, घी अथवा अन्य औषधियों के साथ लेने से बहुत ही विशेष प्रभाव देखने में आते हैं जिसका निर्णय वैद्य द्वारा दी सलाह से ही करना चाहिये।

गुरुवार, नवंबर 20, 2008

गंजापन व अवांछित बालों की समस्या

आदरणीय डाक्टर साहिब
नमस्ते
आशा करता हूँ कि आप प्रभु कृपा से सकुशल होंगे । आगे समाचार है कि आपके द्वारा भेजी गई दवा मुझे कल (19-11-2008) मिल गई है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद । मैंने अपने दोस्त के बारे में आपसे पूछा था । परन्तु आपने अभी प्रकाशित नहीं किया (एक मेरे दोस्त जिसकी उम्र लगभग 36 वर्ष है उनको गंजेपन की शिकायत है और उनके बालों में बहुत सिकरी है और ऐसे चमकती है जैसे कि सफेद पाऊडर लगा हो बाल भी बहुत झड़ गये हैं वह किया करें जिससे उनकी सिकरी चली जाये और नये बालों से सिर का गंजापन खत्म हो जाये । एक बात और मेरी पत्नी वैक्सिंग कर के बालो को हटाती है क्या कोई आयुर्वेदिक इलाज है?

नवीन गुप्ता, मोहाली
आत्मन नवीन जी
प्रणाम
ईश्वर की दया से हम सब कुशलता से हैं। आपके मित्र के बारे में समस्या का हल प्रकाशित न कर पाने के लिये क्षमा चाहता हूं। सिकरी(रूसी) अथवा डैन्ड्रफ़ के कारण बालों का झड़ना आजकल एक आम समस्या बन गयी है जाहिर है कि वे तमाम उपचार ले भी चुके होंगे। उनके लिये समाधन लिख रहा हूं।
१. आंवला घनसत्व + हरड़ घनसत्व + मुलैहठी घनसत्व + भृंगराज घनसत्व २०-२० ग्राम ले कर इस मिश्रण में २० ग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला कर इसकी एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये(इस दवा को बीज निकाले हुए खाली मुनक्के या खाली कैप्सूल में भर कर लिया जा सकता है)
२. भृंगराज + आंवला + मिश्री + साबुत काले तिल २५-२५ ग्राम मिला कर रख लें व इस योग को भी एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये।
३. बालों में तेल इस समय लगाने का कोई उपयोग नहीं होता बल्कि समस्या उलझती ही जाती है अतः रात में (अथवा यदि शिफ़्ट ड्यूटी करते हों तो जब सोने का समय हो) बालों की जड़ों में उंगली के पोरों से हल्के तरीके से पंचतिक्त घृत लगायें(इतना अधिक नहीं कि चूने-टपकने लगे)और सुबह मुल्तानी मिट्टी या एलोवेरा शैम्पू से धो लें।
इस उपचार को नियमित रूप से न्यूनतम छह माह तक करा जाए तब आप देखेंगे कि नए काले छोटे-छोटे बाल खल्वाट त्वचा पर उग रहे हैं। चूंकि यह एक जिद्दी रोग है अतः बिना हताश हुए इलाज करना पड़ता है, यदि हम औषधियों से यह अपेक्षा रखें कि जो बाल कई बरसों में गिर गये हैं वे दवा लेते ही चमत्कारिक रूप से पुनः उग आएंगे तो यह बचपना ही होगा। घैर्य रखना ही इस उपचार का सबसे बड़ा धनात्मक पक्ष है।
शेष आपने बहन जी के बारे में लिखा है कि वे अवांछित बालों को वैक्सिंग से हटाती हैं तो इसका उपचार आप पेज के दांयी तरफ दिये लेबलों में "अवांछित बाल" पर क्लिक करके देख सकते हैं। एक बार वैक्सिंग करने के बाद यदि ये उपचार ले लिये जाए तो तीन-चार बार ऐसा कर लेने पर वहां के बाल स्थायी रूप से उगना ही खत्म हो जाते हैं। यदि कोई समस्या विशेष हो तो अवश्य सूचित करें।


मंगलवार, नवंबर 18, 2008

वसंतकुसुमाकर रस व नवरत्न कल्पामृत रस

we want information for 'BASANT KUSUMAKER and NAVRATNA KALPAMIRUT'
pl. send me what is the use,benefit in HINDI
thanks in advance
vishnu k. gupta

Vishnuk Gupta
वसंतकुसुमाकर रस : - यह रस दिल को बल देने वाला, बलवर्धक, उत्तेजक,बाजीकरण,रसायन,मांसधातु बढ़ाने वाला है। स्त्री-पुरुष के जननएन्द्रिय सम्बन्धी विकारों पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। मधुमेह, बहुमूत्र और हर तरह के प्रमेह, नामर्दी, सोमरोग,श्वेतप्रदर,योनि तथा गर्भाशय की खराबी, वीर्य का पतला होना, शुक्राणु संबंधी विकार, वीर्य संबंधी सभी शिकायतों को जल्दी दूर कर शरीर में नयी स्फूर्ति पैदा करता है। वीर्य की कमी से होने वाले क्षयरोग की यह बहुत उत्तम दवा है। दिल और फेफड़ों को इससे बल मिलता है। दिल की कमजोरी, शूल तथा मस्तिष्क की कमजोरी, भ्रम,याददाश्त की कमी, नींद न आना आदि विकारों को यह रस तत्काल दूर करता है। पुराने रक्तपित्त,कफ़ खांसी, श्वास,संग्रहणी,क्षय, रक्तप्रदर,श्वेतप्रदर,रक्त की कमी, बुढ़ापे के विकार तथा रोग छूटने के बाद आयी कमजोरी में इस रस का प्रयोग बहुत मुफ़ीद है। मधुमेह की यह प्रसिद्ध औषधि है। छोटी आयु में हस्तमैथुन,गुदामैथुन आदि से यदि वीर्यनाश करा हो या अधिक स्त्री प्रसंग से वीर्य पतला हो चला हो तो ऐसे में स्त्री विषयक चिंतन मात्र से ही वीर्यपात हो जाता है ,इस स्थिति में यह रस जादू की तरह से असर दिखाता है। इसके सेवन से वीर्य वाहिनी शिरा में वीर्य धारण करने की क्षमता बढ़ती है। पुराने नकसीर(नाक से रक्त आना) में यह बहुत प्रभावी तरीके से असर दिखाता है। जिस स्त्री को अधिक मात्रा रजःस्राव और अधिक दिन तक होता है उसके लिये भी यह औषधि अत्यंत उपयोगी है। ऐसी स्त्रियों को यदि जरा सा भी कट-छिल जाए तो रक्त का प्रवाह बंद होने में दिक्कत होती है। बुढ़ापे जब सारी इन्द्रियां शिथिल हो जाती हैं और सबसे ज्यादा शरीर के अन्दरूनी अवयव में ढीलापन आ जाता है,आंते कार्य करने में शिथिलता दर्शाने लगती हैं तब पाचन ठीक तरीके से नहीं हो पाता है। इस स्थिति का प्रभाव दिल एवं फेफड़ॊ पर विशेषतः पड़ता है। इन्द्रियों की शक्ति बढ़ाने के लिये,रस-रक्तादि धातुओं को बढ़ाने ,दिल,फेफड़ो व मस्तिष्क को सबल बनाने,शारीरिक कान्ति बढ़ाने,शुक्र व ओज को बढ़ाकर स्वास्थ्य को स्थिरता प्रदान करने के लिये यह परम उत्तम रसायन है। इस रस का लेने के तरीके में भेद से अनेक प्रकार से उपयोग करा जाता है।
नवरत्न कल्पामृत रस: - यह रस एक उत्तम रसायन महौषधि है। इसका एक वर्ष तक कल्प के रूप में भी प्रयोग करा जाता है। यह रस वातहर, वातानुलोमक,पित्तशामक,विषनाशक,रक्तप्रसादक,मस्तिष्क पुष्टिकर व दिल को बल देने वाला है। यह रस-रक्तादि धातुओं को पुष्ट व सबल करता है। ओज की बढ़ोत्तरी करता है। मुखमंडल की कान्ति बढ़ाता है। बवासीर, प्रमेह, मधुमेह, क्षय, जीर्णज्वर, श्वास-कास, मूत्राघात, मूत्र में मवाद(पूय) आना, जीर्णवात रोग, आमवात, उदावर्त, गैस बनना, अंदरूनी घाव, अर्बुद(कैंसर), कण्ठमाला, मदात्यय, दिल के रोग, विसूचिकादि की जीर्णावस्था में शक्ति प्रदान करने के लिये व विजातीय धातुकणों को बाहर निकालने के लिये यह मुख्य औषधि माना जाता है। यह समस्त इन्द्रियों, शारीरिक अवयवों, नाड़ियों मे भीतर मल, आम, मेद, विष, कीटाणु या अन्यान्य विजातीय द्रव्यों के संचय को रोक कर उन्हें बाहर निकाल देता है। चयापचय(मेटाबालिक) क्रिया को नियमित कर देता है। वात नाड़ियों, दिल, मस्तिष्क, किडनी एवं लीवर आदि इन्द्रियों को बहुत सबल बना देता है। तन्द्रा, आलस्य, शान्त नींद न आना, किसी कार्य में मन न लगना, मष्तिष्क में घड़ी के समान ठक-ठक सा महसूस होना, चक्कर आना, थोड़े से परिश्रम से बहुत थकान आ जाना जैसी स्थितियों में यह रस बहुत प्रभावी है। यह रस जीर्णवात रोग, आमवात, सन्धिवात, जीर्णसुजाक, फिरंगरोग, कण्ठमाला, अन्तर्विद्रधि अदि रोगों में बेहद प्रभावशाली है। यह सप्त धातुपोषक व वर्धक है। विभिन्न रोगों से जर्जर हो जाने वाले रोगियों पर जब मैंने इसका प्रभाव देखा तो वह चमत्कारिक था एकदम दुबले व बलहीन हुए मरीज पुनः भले चंगे होकर जीवन यापन करने लगे किन्तु यह एक अत्यंत मंहगी औषधि है क्योंकि इसमें माणिक्य, नीलम, पन्ना, पुखराज, वैदूर्य, गोमेद, मोती जैसे कीमती द्रव्यों की पिष्टियां मिलायी जाती हैं साथ ही स्वर्ण भस्म तथा शिलाजीत का भी समावेश होता है अतः बेहद आवश्यक है कि यह किसी विश्वस्नीय स्थान या व्यक्ति से ही लिया जाए अन्यथा नकली मिल जाने पर लाभ नहीं होता व व्यर्थ ही आयुर्वेद का नाम बदनाम होता है।

बुधवार, नवंबर 12, 2008

बिजली जैसी ताकत प्रदान करने वाला महाशक्तिशाली योग



यह सभी वर्गों के पुरुषों के लिये अत्यंत उत्तम स्वास्थ्यवर्धक वटी ( टैबलेट) है जो कि बेहद प्रभावी तथा बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का बेहतरीन मिश्रण करके बनाई गयी है। इसमें शुद्ध शिलाजीत, मकरध्वज, बंग भस्म, अभ्रक भस्म २०० पुटी, जायफल, लवंग, कर्पूर, इलायची, अश्वगंधा, शुद्ध व उच्च कोटि के काश्मीरी केसर(ज़ाफ़रान) का योग दुर्लभ व बिजली जैसी ताकत प्रदान करने वाला महाशक्तिशाली योग है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को जिन चमत्कारिक औषधियों के कारण संसार भर में जाना व सम्मान करा जाता है उनमें से शिलाजीत तथा मकरध्वज प्रमुख हैं। इन्हीं अनुपम रसायनों के मिश्रण से इस महौषधि को तैयार करा गया है। इनके अतिरिक्त जिन औषधियों का व्यवहार इसमें करा गया है वे भी अत्यंत प्रभावशाली व असरकारक हैं। इस योग के प्रभाव से वीर्य संबंधी सारे विकारों एवं रोगों में आश्चर्यजनक लाभ होता है। ये जादुई असर समेटे गोलियां भोजन को पचाकर रस आदि शरीर की सप्त धातुओं को क्रमशः सुधारती हुई देह की अंतिम धातु "वीर्य" का शुद्ध स्थिति में निर्माण करती हैं जिससे कि शरीर में नवजीवन व स्फूर्ति का संचार होता है। जो व्यक्ति शिलाजीत और मकरध्वज के गुणों के बारे में जानते हैं वे इस औषधि के प्रभाव के बारे में जरा भी संदेह नहीं कर सकते हैं। ये अनुपान भेद(दवा लेने के तरीके से यानि दूध, शहद, पानी, मलाई, मक्खन आदि) से अनेक रोगों को तत्काल दूर करने में सहायक हैं। प्रमेह के साथ होने वाली खांसी, सर्दी, जुकाम, कमर दर्द, भूख की एकदम कमी, स्मरण शक्ति यानि याददाश्त की कमी जैसी व्याधियां इस महौषधि के सेवन से दूर हो जाती हैं। इसके सेवन से शरीर पुष्ट हो जाता है साथ ही भूख लगने लगती है व पाचन सही तरीके से होने लगता है। इस प्रकार जो व्यक्ति अनेक औषधियां लगातार सेवन कर करके दवाओं का गोदाम बन गये हैं वे सभी बाजारू दवाएं छोड़ कर यदि मात्र इसी दवा का सर्दियों से मौसम में नियमित रूप से सेवन कर लें तो किसी दूसरी दवा की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। चढ़ती जवानी में जब शरीर में हारमोनल परिवर्तन होते हैं यानि कि बचपन से जवानी में इन्सान कदम रखता है तो जब शरीर में वीर्य का प्रत्यक्ष प्रादुर्भाव होता है तो मानव देह में वह ताकत है जो कि शरीर में एक नए निर्माण की क्षमता पैदा करती है तो उसे सम्हाल पाना एक कठिन कार्य होता है जो कि सभी के वश में नहीं होता इसी कारण यह महाशक्ति हस्तमैथुन आदि के द्वारा देह से बाहर निकल जाती है। जब पारिवारिक जीवन को सही ढंग से चलाने के लिये उस वीर्य रूपी महाशक्ति की आवश्यकता पड़ती है तब तक खजाना खाली हो चुका होता है यानि जवानी आते-आते ही अच्छे-खासे जवान के चेहरे की रौनक और चमक गायब हो जाती है, संभोग के समय वीर्य संबंधी परेशानियां मुंह फाड़ कर सुरसा की भांति खड़ी हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन का सत्यानाश हो जाता है। उम्र बढ़ने पर देह में निर्बलता का आना एक सहज सी प्रक्रिया है जो कि मेटाबालिक क्रियाओं के फलस्वरूप होता है और रोग प्रतिरोध क्षमता कम होने लगती है किन्तु यह महौषधि उस लुप्त होती शक्ति को पुनः उत्तेजित कर मनुष्य को सबल और निरोगी बनाए रखती है।
इस महौषधि को अनेक समस्याओं में प्रयोग करा जा सकता है जैसे कि स्वप्न दोष(Night fall)या रात्रि में सोते समय अपने आप ही अंडकोश के स्राव का निकल जाने पर इसे सुबह-शाम दो गोली गुनगुने गर्म दूध में मिश्री(खड़ी साखर) मिला कर लेने से कुछ समय में यह रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। शीघ्रपतन(Premature ejaculation) यानि संभोग काल में बहुत जल्दी ही बिना संतुष्टि हुए वीर्य का निकल जाने पर इस महौषधि की दो गोली को रूमी मस्तंगी एक रत्ती(१२५ मिलीग्राम) + छह रत्ती सफेद मूसली के साथ गुठली निकाले छुहारे के बीच रख कर चबा लें और ऊपर से मिश्री मिला गुनगुना गर्म दूध पिएं तो मात्र कुछ ही समय में चमत्कार हो जाता है और निर्बल सा महसूस करने वाला रोगी बलिष्ठ बन जाता है।
इसी प्रकार इस महान औषधि को अपने वैद्यजी या डाक्टर की सलाह से तमाम रोगों में प्रयोग करके एक नया ऊर्जा से भरा जीवन जी सकते हैं। यदि स्वस्थ व्यक्ति भी एक-एक गोली दूध के साथ रोजाना ले तो एक अत्युत्तम सर्वश्रेष्ठ अनुपम टानिक की तरह से यह औषधि कार्य करती है।

गुरुवार, नवंबर 06, 2008

पथरी के दो केस

आदरणीय डाक्टर साहब,
नमस्ते
मैं आपसे आज पथरी के दो रोगीयों के बारे में इलाज जानना चाहता हूँ एक तो मेरे मामा जी है जिनकी उम्र लगभग 40 वर्ष है उन्हे गुर्दे में पथरी रहती है वह तीन- चार बार पथरी के लिए आप्रेशन करवा चूके हैं परन्तु उनको अब फिर पथरी हो गई है ऐसे ही मेरी बहन की बेटी हैं (भांजी) इसकी उम्र 10 वर्ष के लगभग है उसे बलैडर में पथरी हो गई । तो उसके लिए ईलाज क्या करें । धन्यवाद सहित ।
आपका आभारी
नवीन गुप्ता, मोहाली
प्रिय नवीन भाईसाहब
पहले आपके मामाजी के बारे में लिखता हूं। जैसा कि आपने बताया कि वे तीन-चार बार शल्य चिकित्सा करवा चुके हैं किंतु फिर से पथरी हो जाती है। ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि जाना जाए कि मूल कारण क्या है, संभव है कि उनके खानपान की आदतें ऐसी हों जो कि बार-बार पथरी बन जाती है अथवा गुर्दे ही इस स्थिति में हों कि सम्यक कार्य न कर पा रहे हों। जो दवाएं लिख रहा हूं उन्हें लगातार छह माह तक सेवन कराइये।
१ . बहुत तेज दर्द होने पर ही ये दवाएं दीजिये किंतु घर पर अवश्य रखिये क्योंकि कब तेज दर्द होने लगेगा ये तो पता नहीं रहता है। शूलवज्रिणी वटी १ गोली + महाशूलहर रस १ गोली शहद से चटा दें और उसके ऊपर से तुरंत ही पच्चीस बूंद अहिफेनासव बराबर हल्के गर्म पानी में मिला कर पिला दें, दर्द में जल्दी ही राहत मिलेगी।
२ .हजरुलयहूद भस्म १० ग्राम + शुभ्रा भस्म १० ग्राम + जवाखार १० ग्राम + सुहागा १० ग्राम + कलमी शोरा १० ग्राम +नवसादर १० ग्राम + सफ़ेद जीरा १० ग्राम + बड़ी इलायची के बीज १० ग्राम + कबाब चीनी १० ग्राम इन सभी दवाओं को एकत्र कर बहुत कस कर घॊंट लीजिये और फिर इस मिश्रण में से दो ग्राम की मात्रा लेकर सुबह- शाम गोक्षुरादि क्वाथ के दो चम्मच से सेवन करें।
इन दवाओं के सेवन से उनकी समस्या हमेशा के लिये समाप्त हो जाएगी।
अब आपकी भांजी के बारे में बताता हूं।
बहुत तेज दर्द होने की स्थिति में उसे ये दवा दें।
१ . शूलवज्रिणी वटी आधी गोली + महाशूलहर रस आधी गोली + वृक्कशूलान्तक रस आधी गोली तीनों को मिला कर एक खुराक बनाएं व शहद से चटा दें और उसके ऊपर से तुरंत ही पंद्रह बूंद अहिफेनासव बराबर हल्के गर्म पानी में मिला कर पिला दें।
२ . बच्ची को सुबह नाश्ता तथा दोपहर का भोजन करा दें, इसके बाद उसे कुछ खाने को न दें बस प्यास लगने पर पानी दे सकते हैं। रात में सात बजे के आस पास उसे चार छोटे चम्मच शुद्ध जैतून का तेल पिलाएं फिर पंद्रह मिनट बाद एक चम्मच नींबू का रस पिलाएं। इसी तरह से बारी बारी से चार छोटे चम्मच शुद्ध जैतून का तेल पिलाएं फिर पंद्रह मिनट बाद एक चम्मच नींबू का रस पिलाएं जब लगभग सौ मिलीलीटर तक तेल पी ले तो बंद कर दें(कई बार रोगी ५० मिली. ही पी पाता है और उल्टी करने लगता है इस बात से परेशान न हों)। यही क्रम आप लगभग सात दिन तक चलाएं।
३ . कुटकी चार ग्राम + शंख भस्म १ ग्राम + मंडूर भस्म १ ग्राम में २० मिली गोमूत्र + २० मिली पुनर्नवासव + २० मिली मकोय का रस मिलाएं और कस कर घॊंट लें ताकि सूख कर गोली बनने लायक हो जाए इस की १२५ मिग्रा. की गोलियां बना कर धूप में सुखा लीजिये व एक एक गोली पानी के साथ सुबह नाश्ते के बाद रोज दीजिये।
यह उपचार मात्र पंद्रह दिन कर लेने से गाल-ब्लेडर की पथरी से मुक्ति मिल जाएगी। यदि पथरी यूरिन-ब्लैडर में है तो मामा जी को बतायी दवाएं बच्ची की उम्र के अनुसार आधी मात्रा में दीजिये। एक माह बाद एक्स-रे परीक्षण या सोनोग्राफ़ी करवा कर देख लीजिये, शत-प्रतिशत आराम आ जाएगा। यह दवाएं हजारों रोगियों को लाभ दे चुकी हैं अनुभूत हैं।


सोमवार, नवंबर 03, 2008

मेरी नाक से भयंकर दुर्गंध आती है

डाक्टर साहब,नमस्ते
मेरी उम्र बीस साल है। मैं एक छात्र हूं। पिछले तीन माह से मुझे नाक के दोनो तरफ़ अंदर कुछ रेंगता सा प्रतीत होता था। मैंने E.N.T. चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने बताया कि दर्द और ऐसे एहसास का कारण मेरी विचित्र बीमारी है। मुझे बताया गया कि मुझे पीनस नामक रोग है। मेरी नाक से भयंकर दुर्गंध आती है। मुझे बताया गया कि अंदर शायद कीड़े भी हैं इसलिये आपरेशन करना पड़ेगा। मेहरबानी करके कोई आयुर्वेदिक इलाज बताइये।
जैनेन्द्र सनोई,ओरछा
जैनेन्द्र जी, आपकी बीमारी से होने वाली परेशानी को हम समझते हैं। आप निम्न उपचार लीजिये और ईश्वर की दया से आप जल्दी ही स्वस्थ हो जाएंगे।
१ . आरोग्यवर्धिनी बटी १ टैबलेट सुबह-शाम जल से लें।
२ . कपूर और शुद्ध तारपीन का तेल बराबर मात्रा में लेकर एक कांच की शीशी में भर कर कस कर ढक्कन लगा दें और तेज धूप में इस शीशी को दो घंटे रख दें तो सारा कपूर तेल में मिश्रित हो जाएगा। आब इस दवा की चार-चार बूंदें दोनो नाक के छिद्रों में सुबह-शाम डालें।
पूरा विश्वास है कि मात्र चार या पांच दिन में आपको आराम हो जाएगा। पूर्ण लाभ के लिये कम से कम पंद्रह दिन तक अवश्य दवा लें।