शनिवार, मई 31, 2008

मुझे बताया कि स्टमक में घाव हैं,आपरेशन न करवाना पड़े.....

डाक्टर साहब,मेरी उम्र पैंतालीस साल है, पिछले एक माह से मुझे epigastrium के पास तीखा सा दर्द होता है जो कि कभी तो रहता है और कभी गायब हो जाता है। यह दर्द एक ही जगह पर रहता है, विशेष तौर पर भोजन के बाद १५ मिनट से २ घंटे तक दर्द बढ़ता रहता है अगर कुछ कठोर सा खाना जैसे कि रोटी आदि खाया तो ज्यादा दर्द हो जाता है और यदि सत्तू या जूस वगैरह लिया तो कम रहता है। कभी कभी उलटी हो जाने पर दर खत्म हो जाता है, दर्द के साथ जलन सी भी महसूस होती है। भूख तो लगती है लेकिन ज्यादा खाने की हिम्मत नहीं होती है। कमजोरी आती जा रही है। पेट के बीचोबीच में यदि डाक्टर ने दबा कर देखा तो बहुत तेज दर्द होता है, यहां के डाक्टर ने टैस्ट के बाद मुझे बताया कि स्टमक में घाव हैं। आप कोई ऐसी दवा बताईये कि मुझे आपरेशन न करवाना पड़े, मुझे आपरेशन के बारे में सोच कर ही भय लगता है और वो भी पेट का आपरेशन तो और भी भयंकर होगा। मेरी मदद करिये।
राज अवस्थी, बरुआसागर
राज भाईसाहब आपको आपरेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी इस लिये भयभीत न हों। यदि आपके आमाशय में घव है तो ये कोई जानलेवा या लाइलाज बीमारी नहीं है बस होता ये है कि आप पेट के असहनीय दर्द से घबरा जाते हैं। अब आप निम्न औषधियों को नियम से लीजिये और चिंतामुक्त हो जाइये साथ ही दर्द से भी मुक्ति मिल जाएगी, इस उपचार से किसी भी कारण हुआ आमाशय घाव या व्रण भर जाएगा और उसके बनने का कार्ण भी समाप्त हो जाएगा। बस ध्यान रखिये कि आपका भोजन कम से कम पंद्रह दिन तक तरल हो ठोस आहार न लें बस पंद्रह दिन की ही तो बात है फिर उसके बाद धीरे-धीरे हल्का भोजन लेना शुरू करियेगा। दूध और घी ले सकते हैं,शहद लीजिये,अण्डे यदि खाते हों तो ले सकते हैं पर एक से ज्यादा नहीं वो भी दूध में घोल कर लें। गर्म दूध न लें हानिकारक है इस लिये ठण्डा किया हुआ दूध लेना हितकर है। बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स हर्गिज़ न लें।
१ . पहले चार दिन तक सुबह-दोपहर-शाम-रात को ये दवा लें -- सर्वांगसुन्दर रस ४ रत्ती + मण्डूर भस्म ४ रत्ती + शुक्ति भस्म ४ रत्ती मिला लें व ये हो गई आपकी एक दिन की खुराक जिसे चार बराबर हिस्सों में करके एक माशा सौंफ़ के चूर्ण+ भुना जीरा का चूर्ण ४ रत्ती के साथ मिला कर आपको शहद के साथ चाटना है। भोजन के बाद कुमार्यासव नं. १ दो चम्मच पियें ।
२ . चार दिन बाद पांचवे दिन से दवा परिवर्तित करिये व ये दवा लेना शुरू करें -- सूतशेखर रस(साधारण) २५० मिग्रा. + कामदुधा रस(साधारण) ५०० मिग्रा. + यशद भस्म १०० मिग्रा. + जहरमोहरा पिष्टी २५० मिग्रा. + आमलकी रसायन ५०० मिग्रा. + शंख भस्म २५० मिग्रा. + मुक्ताशुक्ति पिष्टी २५० मिग्रा. + प्रवाल पंचामृत(मुक्ता युक्त) ५० मिग्रा. ; इस पूरी दवा की एक खुराक करें व इसे सुबह दोपहर शाम को तीन बार शहद के साथ लीजिये और इसके दस मिनट बाद जीरा जल पी लीजिये। जीरा जल बनाने के लिये तीन ग्राम जीरा लेकर बारीक पीसिये और लगभग १०० मिली जल में डाल कर दस मिनट के लिये रख दीजिये तथा फिर पतले कपड़े से छान लीजिये बस हो गया आपका जीरा जल तैयार, अब आप इसका सेवन कर सकते हैं परंतु हर बार ताजा ही बनाएं।
इस औषधि व्यवस्था को दो माह तक प्रयोग और यकीन करिये कि आपकी बीमारी ठीक हो जाएगी अगर प्रतीत हो तो दो माह और इस्तेमाल कर लीजिये लम्बे समय तक भी यदि आप दवाएं लें नुकसान नहीं होगा

शुक्रवार, मई 30, 2008

हल्का सा बुखार बना रहता है, हर रोज एक नया टैस्ट और नई दवा......

डाक्टर साहब,मेरी उम्र पैंतीस साल है और मैं पेशे से वकील हूं। पिछले दो माह से मुझे एकदम हल्का सा बुखार बना रहता है, थर्मामीटर से मापने पर ९९ से १०० के बीच ही रहता है न तो घटता है न ही बढ़ता है। डाक्टर हैं कि दुनिया भर के टैस्ट करा रहे हैं लेकिन समझ कुछ नहीं पाते बस हर रोज एक नया टैस्ट और नई दवा दे दिया जाता है। मैं तंग आ गया हूं साथ ही उपचार मंहगा होता जा रहा है। इन भले आदमियों ने तो मेरा एड्स का तक टैस्ट करा डाला। आप ही कुछ उपाय बताएं अब तो कमजोरी आने लगी है,घबराहट और बेचैनी बनी रहती है और कभी-कभी चक्कर भी आ जाता है। मैं मांसाहार भी करता हूं और कभी-कभी पान खाता हूं।
शैलेन्द्र सिंह, आगरा
सिंह साहब,आप जीर्ण ज्वर से पीड़ित हैं, आपके आसपास के चिकित्सक दोषों के कोप को समझ ही नहीं पा रहे हैं। मैं आपको जो दवाएं लिख रहा हूं उसे आप नियम से लीजिये और यकीन करिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी। इस तरह हल्का बुखार बहुत लम्बे समय तक बना रहना अत्यंत घातक हो सकता है। निम्न उपचार लीजिये--
१ . स्वर्णबसंतमालती रस १२५ मिग्रा. + प्रवाल भस्म १२५ मिग्रा. + चौंसठ प्रहरी पीपल १२५ मिग्रा. + गिलोय सत्त्व २५० मिग्रा. + सितोपलादि चूर्ण १ ग्राम ; इन सब को मिला कर एक खुराक बनाइये तथा शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन कराइये।
२ . जल में मिश्री मिला कर शर्बत बनाएं और दिन में कई बार प्यास लगने पर सेवन करें।
मांसाहार बंद कर दीजिये,पान कभी-कभी खा लेने में कोई हर्ज़ नहीं है। इस उपचार को लेने के तीन दिन के अंदर ही आपका बुखार गायब हो जाएगा किन्तु दोषों के पूरी तरह से शांत होने के लिये इक्कीस दिन तक लीजिये।

बुधवार, मई 28, 2008

मुझे तीन बार गर्भपात हो गया वो भी मात्र दो-ढाई माह में......

डाक्टर साहब,मेरी उम्र तीस साल है और मेरा विवाह हुए पांच साल हो चुके हैं। विवाह के तीन साल बाद जब हम दोनो ने बच्चे के बारे में विचार किया तो मुझे तीन बार गर्भपात हो गया वो भी मात्र दो-ढाई माह में मुझे समझ नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हो रहा है जबकि हम दोनो तो अत्यंत सावधानी बरतते हैं। एक वैद्य को दिखाया तो उन्होंने कहा कि ये एक प्रकार की बन्ध्यत्व जैसी समस्या ही है। मैंने घबरा कर जबलपुर आकर अपने मायके में सारे टैस्ट कराए जो कि डाक्टर ने कहे लेकिन वो कहती हैं कि मुझे कोई समस्या नही है लेकिन क्या इतनी बार मिसकैरिज होना सामान्य हो सकता है? शहर की डाक्टर ने बहुत सारी दवाएं दी जिन्हें मैंने दीन माह तक खाया और वो सारे पथ्य पाले जो उसने कहे लेकिन पिछले ही माह मुझे फिर मात्र डेढ़ माह में ही मिसकैरिज हो गया, मैं क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा और परिवार के लोगों का भी मुंह टेढ़ा होना शुरू हो गया है क्योंकि सब उस वैद्य की बात को पकड़ कर बैठ गये हैं। आप ही रास्ता बताइये।
रंजना तिवारी,गाडरवारा
रंजना बहन,कई बार ऐसा होता है कि व्यवसायिक नजरिया रखने वाले लोग चाहे वो चिकित्सक हों या किसी अन्य पेशे में आपको डरा देने में ही अपने धंधे की भलाई समझते हैं। मैं कहता हूं कि जिस वैद्य ने आपको कह दिया कि ये बन्ध्यत्व जैसी समस्या ही है उसे मेरी तरफ से कह दीजिये कि वैद्यकी छोड़ कर बागवानी वगैरह जैसा कोई काम अपना लें जिसमें घास काटने का मौका मिले, ऐसे धूर्तों से सावधान रहना चाहिये; ये शहर गांव हर जगह पाए जाते हैं। आप बिलकुल भी चिन्ता न करें आपकी समस्या कोई बहुत बड़ी नहीं है ये आश्वासन मैं आपको देता हूं आप नीचे बताई गई औषधियों का सेवन नियम पूर्वक कम से कम तीन माह तक करिये और जब गर्भ धारणा हो उसके बाद एक माह तक बंद कर दें व पुनः तीन माह तक जारी रखिये। ईश्वर आपके गर्भस्थ की रक्षा करेंगे-
१ . कामिनी कुलमण्डन रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली को सुबह शाम शहद के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद लीजिये।
२ . अशोकारिष्ट + दशमूलारिष्ट बराबर मात्रा में मिला कर दिन में दो बार बराबर मात्रा में जल मिला कर पीजिये।
३ . पुष्यानुग चूर्ण एक चम्मच श्हद के साथ दिन में दो बार खाएं और अगर संभव हो तो ऊपर से चावल का धोवन पिएं।
४ . फलघृत एक चौथाई चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद लें।
मांसाहार यदि करती हों तो त्याग दीजिये और तेज मिर्च-मसालेवाले आहार से परहेज रखिये शेष तो जितनी सावधानियां आप रखती हैं बहुत हैं।

My wife has back pain...

My wife has back pain, which also extends to ribs for 5 years. She is 43 years old. She has pain in knees too,she has heavy head and suddenly feels nervous and difficulty in breathing. sometimes. pl. suggest.
subhash sharma
सुभाष जी,आपने अपनी पत्नी की समस्या बताई किन्तु स्त्रियों के विषय में यदि इस अवस्था में कोई उपचार बताना है तो आवश्यक हो जाता है कि हर पहलू को बड़ी ही गहराई से समझा जाए। आप स्वयं विचार करिये कि मात्र इतना बता देना क्या काफ़ी है, उनका वजन कितना है और माहवारी वगैरह की कोई समस्या तो नहीं है,मेनोपाज तो नहीं हो रहा है, शुगर की क्या स्थिति है, प्रदर रोग तो नहीं है इत्यादि..... लेकिन फ़िर भी मैं ये मान कर कि आपकी पत्नी को एक सामान्य उपचार बता रहा हूं कि उन्हें ये समस्याएं वात के प्रकोप के कारण हुई होंगी चाहे उसके कोप का कारण कुछ भी क्यों न हो....
१ . रास्नादि गुग्गुलु दो गोली + विषतिन्दुक बटी एक गोली दिन में तीन बार महारास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दीजिये।
वात वर्धक आहार, दिन में सोना, अधिक समय तक रात्रि में जागरण करना तत्काल बंद कर दें। शेष विस्तार से सूचित करें ताकि यदि कोई अन्य व्याधि हो तो उचित निदान करके उसका सही उपचार किया जा सके।

मंगलवार, मई 27, 2008

कुछ याद ही नहीं रहता, हर चीज भूल जाता हूं....

sir ,namaskar meri umra 34 saal ki hai aur main apni memory loss ko lekar bahut pareshan hun,main her cheez bhul jata hun ,chabi pen ghadi itna gumta hai ki rakhna chhod diya koi agar kuchh kaam kahe to yaad nahi rahata.
Hemprakash
हेमप्रकाश भाई,आपकी समस्या परेशान कर देने वाली है लेकिन अब आप बेफ़िक्र हो जाइए, जरा सा वक्त मेडिटेशन के लिये निकालिये और नीचे लिखा उपचार कुछ दिनों में ही आपकी समस्या को हल कर देगा--
१ . स्म्रति सागर रस(साधारण)एक गोली + ब्राह्मी वटी(बुद्धिवर्धक/साधारण) एक गोली दिन में तीन बार सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच दवा से साथ लीजिये।
२ . रोगन बादाम शीरीन की एक-एक बूंद सुबह -शाम दोनो नासिका छिद्र में डाल कर दस मिनट तक सिर पीछे झुका कर लेटे रहिये।
रात्रि जागरण से बचिये, ज्यादा तेज मसालेदार आहार तथा औषधि लेने के समय मांसाहार बंद कर दीजिये।

मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और छह-सात दिन तक रहता है.....

डाक्टर साहब, नमस्कार
मेरी उम्र तीस साल है तथा मेरे दो बच्चे हैं। मेरी समस्या मैं काफ़ी समय तक तो झेलती सहती रही किन्तु अब मुझे बहुत परेशानी होने लगी है। धीरे-धीरे कमजोरी आती जा रही है, चक्कर आते हैं, अचानक मूर्च्छा भी कभी-कभी आ जाती है, नींद नहीं आती है, कमर और पेट में दर्द बना रहता है, कानों में ऐसा लगता है कि जैसे भॊंपू बज रहा है, मुझे मासिक धर्म(एम.सी.) माह में दो बार तक हो जाता है और छह-सात दिन तक रहता है जिसमें काफ़ी रक्त आता है, हाथ-पैरों के तलवों में जलन सी भी बनी रहती है; मेरे पति कहते हैं कि इतनी सारी बीमारियों का किसी चिकित्सक के पास इलाज न होगा तुम तो रोगों का खजाना हो अगर कोई डाक्टर चाहे तो तुम्हें रिसर्च के लिये इस्तेमाल कर सकता है। मैं बहुत तंग आ चुकी हूं मेहरबानी करके यदि आयुर्वेद में कोई इलाज हो तो बताइये मैं जीवन भर आपकी आभारी रहूंगी।
ममता गिरी,गया(बिहार)
ममता बहन, सबसे पहले तो मैं आपके पति महोदय से कहना चहता हूं कि बीमारियां तो किसी को भी और कभी भी हो सकती हैं ये हालत उनकी भी हो सकती थी इसलिये इस तरह का व्यवहार अपनी जीवनसंगिनी के साथ सर्वथा अनुचित है। आप बिलकुल निश्चिंत हो जाइये आपको बहुत सारी बीमारियां नहीं बल्कि बीमारी तो एक ही है बाकी सब तो उसके लक्षण मात्र हैं। आप निम्न उपचार दो माह तक लगातार लीजिये और आयुर्वेद का चमत्कार देखिये कि कैसे आपकी बीमारी गायब होती है--
१ . बोलबद्ध रस १० ग्राम + नागकेशर १५ ग्राम + गूलर(उदुम्बर या उम्बर) के पत्तों का रस १०० मिली + अशोक घन बटी २५ ग्राम + गेरु २५ ग्राम + माजूफ़ल २५ ग्राम + मोचरस २५ ग्राम + सफ़ेद राल २५ ग्राम + लोध(लोध्र) १५ ग्राम + लौह भस्म १० ग्राम + मुक्ताशुक्ति भस्म १५ ग्राम + स्फटिक(शुभ्रा) भस्म २५ ग्राम + प्रवाल पिष्टी २५ ग्राम + जहरमोहरा भस्म २५ ग्राम + सहजन का गोंद २५ ग्राम + गिलोय(गुड़वेळ या गुडुचि) सत्व १५ ग्राम + अश्वगंध ७५ ग्राम + आयापान १५ ग्राम ; इन सभी को भली प्रकार से घोंट कर मिला लें और फिर ५०० मिग्रा. की गोलियां बना लें व दिन में तीन बार अशोकारिष्ट के दो चम्मच के साथ दो-दो गोलियां लीजिये।
२ . शतावरी का चूर्ण एक चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म दूध से लें।
पूर्ण विश्राम करें, पुराना चावल, गेहूं की रोटी, साबुदाना, चौलाई, लौकी, आंवला, सिंघाड़ा, अंगूर, परवल, कद्दू, अनार, बकरी और गाय का दूध पथ्य हैं तथा सरसों का तेल, अधिक मिर्च-मसालेदार आहार, खट्टे पदार्थ, भैंस का दूध, बैंगन, उड़द, बासी आहार आदि ना लें।

सोमवार, मई 26, 2008

हर आधे-पौने घण्टे में पेशाब करने जाना पड़ता है.....

डाक्टर साहब, नमस्कार
मेरी उम्र ४६ साल है। मुझे पिछले माह से मैंने महसूस करा कि लगभग हर आधे-पौने घण्टे में पेशाब करने जाना पड़ता है। स्थानीय चिकित्सक को दिखाने पर उसने डायबिटीज का टैस्ट करा डाला लेकिन उसमें सब सामान्य है। उसने आशंका जताई कि अंडकोष में सूजन होने पर भी ऐसा होता है लेकिन मुझे तो ऐसी कोई समस्या भी नहीं है। मैं बार बार पेशाब जा-जाकर अब हल्की सी कमजोरी महसूस करने लगा हूं। मेहरबानी करके कोई सटीक उपचार बताएं ताकि इस विचित्र समस्या से छुटकारा मिल सके। अग्रिम धन्यवाद।
महेश गुप्ता,बिजनौर
महेश भाई,आपकी समस्या को आयुर्वेद में बहुमूत्र के नाम से जाना जाता है। साधारण शब्दों में ऐसा कहा जा सकता है कि ये आगे चल कर डायबिटीज का रूप धारण कर सकता है। इसके तमाम कारण हो सकते हैं। लेकिन आप कारणों की गहराई में न जाकर बस इतना करिये कि दिन में सोना बंद कर दीजिये और चावल के आटे की रोटियां फिलहाल जो आपको विशेष पसंद हैं छोड़ दीजिये और निम्न उपचार एक माह तक लें,आपको आराम तो मात्र तीन चार दिन में ही आ जाएगा किंतु फिर भी स्थायी लाभ के लिये एक माह तक लें।
काले तिल भुने हुए आधा किलो + आंवला १५० ग्राम इन दोनो में आवश्यकतानुसार देसी गुड(गन्ने का) मिला कर १५ या २० ग्राम के लड्डू बना लें। सुबह-शाम सेवन करें और इसे खाने के आधे घंटे तक पानी न पियें। बस आपकी समस्या जादू की तरह से गायब हो जाएगी।

रविवार, मई 25, 2008

डायाफ्राम के नीचे दाहिने हिस्से में कुछ फूला सा महसूस होता है.....

सर,नमस्ते
मेरी उम्र २७ साल है लगभग नौ दस साल पहले मैं पीलिया से पीड़ित हुआ था। उपचार लेने के बाद पीलिया तो ठीक हो गया लेकिन एक नई समस्या तब से पीछा नहीं छोड़ रही है। मेरे पेट में नाभि के ऊपर डायाफ्राम के नीचे दाहिने हिस्से में कुछ फूला सा महसूस होता है। खाने के बाद लगता है कि खाना वहां पर ही अटक गया है, झुकने या उस स्थान को दबाने पर मुंह में अनपचा भोजन आ जाता है, ऐसा लगता है कि डकार आ जाए तो कदाचित राहत मिल जाएगी किन्तु डकार आती ही नहीं,ये उभरा हिस्सा दबाने पर दर्द नहीं करता है,कब्जियत बनी रहती है, गले में कफ़ रहता है जो कि खखारने पर पारदर्शी से बलगम के रूप में निकल आता है और ये कदाचित मीठा सा प्रतीत होता है बाकी तमाम उपद्रव आपको मैं फोन पर बता चुका हूं। परीक्षा नजदीक है इसलिये जरा त्वरित उपचार बताएं ताकि स्वस्थ होकर परीक्षा दे सकूं। धन्यवाद..
सौरभ,वाराणसी
सौरभ भाई, आपकी समस्या के बारे में समझा कि किस तरह से तमाम व्यवसायिक लोग आपके ऊपर आयुर्वेद से लेकर एलोपैथी के अनेक प्रयोग कर चुके हैं। सच तो ये है कि जब हम अपने ऊपर अनेक परीक्षण करवा चुके होते हैं तब हमारा ध्यान हमारे आसपास मौजूद ईश्वर की दी अनमोल चीजों से हट जाता है। बिना किसी भूमिका के आपको उपचार बता रहा हूं जिसे आपको वर्धमान क्रम में लेना है लेकिन उससे पहले आप पहले पंद्रह दिन सितोपलादि चूर्ण दो-दो ग्राम सुबह शाम शहद के साथ लीजिये फिर उसके बाद आप आधा ग्राम से शुरू ग्वारपाठा(एलोवेरा,घीग्वार) रोज आधा ग्राम बढ़ाते जाइये। इस प्रकार से आप जब रोज दोपहर के भोजन के बाद एलोवेरा का सेवन करें तो इस क्रम में यह मात्रा बढ़ कर दस ग्राम तक आ जाए तो इसके उलटे क्रम में मात्रा घटाना शुरू कर दीजिये और फिर आधा ग्राम पर आने के बाद पंद्रह दिन के लिये बंद कर दीजिये और फिर इसी क्रम में लीजिये ऐसी पूरी प्रक्रिया तीन बार दोहराइये आपकी बीमारी जड़ से गायब हो जाएगी।

माताजी को होने वाली ऐंठन की समस्या शीघ्र ही दूर हो जाएगी...



सतीश जी आपकी माता जी की समस्या को देखा, मैं आपका कष्ट समझ सकता हूं। माताजी को पिछले उपचार के साथ ही निम्न दवाएं दें और आप यकीन मानिये कि मैंने इस छोटी सी दवा की दम पर खाट पर पड़े मरीजों को चला-फिरा ही नहीं बल्ल्कि दौड़ने लायक बना पाया है--
अश्वगंधा का चूर्ण एक छोटा चम्मच + एक छोटा चम्मच खांड(देसी शक्कर) मिला कर गर्म दूध से दें।
माताजी को होने वाली ऐंठन की समस्या शीघ्र ही दूर हो जाएगी। लहसुन और लाल सूखी मिर्च को सरसों के तेल में पका कर मालिश करें तो शीघ्र आराम आयेगा।

शनिवार, मई 24, 2008

हस्तमैथुन छोड़ना चाहता हूं.....

sir,bahut sarminda hoon. maine apne shareer ko khokhla kar liya hai. sabse chhipaya, lekin aap se chhipakar narak mein bhi vaas nahin hoga. aapne daroo-sharab, ganza, cigrette chudane ke nuskhe batayee. main ek insan hoon, jo roti-chabal, dal, sabji, fal, chhodkar dunia ka koi cheej nahee khata hoo. koi vyasan nahi hai, sivay, maasturbation ke. isne meri dunia ko tanha, akela, vyavan bana ke chod diya hai. kab se lagi ye aadat, theek theek yad nahi, itna yad hai kii kaksha saat mein main ye dushkarma karta tha. isko bhala bataane vale ko kahoonga kii bhagwan sadbuddhi de par main ise har bar chhodna chaha lekin chahkar bhi nahi chhod paya yadi apke pas koi yukti hai to please, mera uddhar karen aur mujhe maut ke moonh mein jane se bacha le.अनाम
भाईसाहब,आपका मेरे ऊपर तो विश्वास है लेकिन खुद के ऊपर विश्वास क्या बिलकुल समाप्त हो चुका है कि यदि मैंने कहा कि ये करो और ये मत करो तो वो ब्रह्मवाक्य हो जाएगा। सच तो ये है कि आपकी बुरी आदत शरीर से न जुड़ी हो कर मन से जुड़ी है। लेकिन यदि आपकी स्थिति ऐसी है कि आप इतने गहरे अपराधबोध से ग्रस्त हैं तो मैं जरुर आपका साथ दूंगा। आप पहले तो इस बात को सोचना बिलकुल बंद करिये कि आप जो कर रहे हैं वह आपके शरीर के लिये इतना भयंकर है कि आप मौत के मुंह में चले जाएंगे। लीजिये आपकी देह में उपजती झूठी कामचेतना को समाप्त करते हैं और आप निम औषधियों का सेवन करें - -
१ . धनिया पाउडर जो कि सब्जी-भाजी में डाला जाता है जिसे कि तमाम कम्पनियां बना कर पैकेट बंद कर के बेचती हैं, इस धनिया पाउडर को सौ ग्राम लेकर उसमें दस ग्राम कपुर और सौ ग्राम ही मिश्री मिला दीजिये और दिन में तीन बार आधा-आधा चम्मच पानी से सेवन करें।
२ . त्रिबंग भस्म एक रत्ती एक चम्मच मलाई के साथ दिन में दो बार सेवन करें।
पूजा-पाठ तथा व्यायाम पर ध्यान लगाएं, एकांत से बचें,अश्लील चिन्तन व ऐसे घासलेटी साहित्यादि से परहेज करें ये आपके लिये मीठे जहर से कम नहीं हैं। आप अगर मन में पक्का इरादा कर लें तो फिर आपको कोई भी उस ओर नहीं ले जा सकता क्योंकि शरीर आपका है और इसका नुकसान तो आपको ही भुगतना होगा। संगीत आदि में रुचि लीजिये। विवाह के लिए प्रयत्न करिये। ईश्वर आपके साथ है। आप जिस किसी भी व्यक्ति जैसे आपकी माताजी या गुरूजी को आदरणीय मानते हों बस मन में ये भावना रखिये कि वे चौबीसों घंटे आपको देख रहे हैं।

आंखो के सामने जाल और कीड़े जैसे चित्र बनने का आभास होता है...

sir, tin char sal pahle mere banyee ankh ke samne til ke akar ka aabhasi chitra banta tha. us samay maine ek allopathy ankh ke doctor se dikhaya tha. unhone us samay kaha kuch nahi hai.dr. saheb ab char sal ke bad mere dono ankhon ke samne ye chitra banne lage hain, sath hi kuch jali aur kide jaise chitra bhi. meri umar 30 sal ke karib hai. peshe se patrakar hoon. isliye aath-das gante computer ke samne baithana mazboori hai. idhar kuch dino se dekh raha hoon ki aankhon ki roshni bhi kuch kam ho gayee hai aur ankh jalta hai aur unse paani girta hai.agar aap kripa karen to doosri samasya bataunga.pranammanoj kumar
मनोज भाई,आपकी आंखों की समस्या को चिकित्सक ने ऐसे कैसे कह दिया कि कुछ नहीं है। ये एक भयंकर लापरवाही की निशानी है। आप की समस्या को आपसे निवेदन है कि जरा विस्तार से बताइये ताकि समझा जा सके कि वास्तव में आपको भ्रम हो रहा है या नजरों में दोष उत्पन्न हो रहा है क्योंकि जितना कम्प्यूटर के सामने आप बैठते हैं उससे कहीं बहुत ज्यादा तो बहुत से लोग बैठते हैं किन्तु ऐसे कीड़े आदि का अहसास होना नहीं होता लेकिन आपकी इस समस्या पर तत्काल ही अवरोध लगाने के लिये आप निम्न औषधि का प्रयोग करें--
१ . षड्बिन्दु तेल दोनो नासिका छिद्रों में तीन-तीन बूंद तथा तीन-तीन बूंद दोनो कानो में डालिये और दवा डालने के बाद कम से कम आधा घंटा विश्राम करिये।
इस उपचार को लगातार जारी रखिये और विश्वास रखिये कि आपकी समस्या थम जाएगी और आगे मुझे जरा स्पष्ट करके सूचित करें ताकि आपको अविलंब ही उपचार सुझाया जा सके। धन्यवाद

दोनो अंडकोषों में तीन या चार गुना अंतर है...

mera baanya andkosh danye kee apeksha teen se char guna bada hai. pichle kareeb pandrah sal se. haan dard nahi karta hai. kabhi jyada phool jata hai. kai ayurvedic aur homeopathic dava le chuka hoo. chandraprabhavati aur vridhivadhikavati se kam to ho jata hai. par usi avastha mein rahta hahin hai. kripa karke ilaz batayen, operation se dar lagta hai. meri umar 30 sal ke karib hai. shaadi nahee hui hai.
manoj kumar
मनोज भाई,आपकी समस्या पुरानी है किन्तु निराश न हों। जैसा कि आपने बताया कि आप चंद्रप्रभा वटी और वृद्धिबाधिका बटी ले लेने से आपको आराम आ जाता है किन्तु उसी अवस्था में रह जाता है। दोनो अंडकोषों में तीन या चार गुना अंतर परेशानी पैदा करता है स्वाभाविक सी बात है कि यदि दर्द न भी हो तब भी ये एक परेशानी वाली बात है। आप के लिये जो उपचार लिख रहा हूं वह आप नियमित रूप से न्यूनतम छह माह तक लें और विश्वास रखिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी--
१ . वृद्धिबाधिका बटी एक गोली + वृद्धिहर रस एक गोली सुबह शाम शहद के साथ लीजिये।
२ . छोटी हरड़ को एक दिन गोमूत्र में भिगो कर रखिये बाद में सुखा कर एरण्ड(रेंडी) के तेल में भून लीजिये व पीस कर चूर्ण बना कर चौथाई भाग सेंधा नमक मिला लीजिये। इस योग को पांच ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार भोजन के बाद गर्म जल से लीजिये।
३ . रात को सोते समय १०० ग्राम ताजे इमली के पत्ते लेकर किसी मिट्टी के बर्तन में रखें और इसमें इतना गोमूत्र डालें कि सारी पत्तियां डूब जाएं। फिर इसे आग पर पकाएं जब गोमूत्र कम हो जाएफिर उतना ही गोमूत्र डालें व पकाएं ऐसा चार बार करें। ध्यान दीजिये कि यदि अंडकोष कद्दू की तरह से भी भारी हों तो इस योग से समस्या समाप्त हो जाती है ऐसी स्थिति में बर्तन से उठती भाप से सेंक लीजिये। जब योग पूरा हो जाए तो उसे हलका सा गर्म ही अंडकोष पर बांधें। इस योग में कदाचित आप को अड़चन हो सकती है किन्तु यदि आप आपरेशन से बचना चाहते हैं तो ये बेहतरीन उपाय है।

मूत्र के साथ PUS CELLS आ रहे हैं....

डाक्टर साहब,मेरी उम्र पैंतालीस साल है। मुझे कुछ दिनो से मूत्र मार्ग में तकलीफ़ थी। जलन और रुकावट के साथ मूत्र त्याग हुआ करता था। जांच करवाने पर इनफ़ेक्शन पाया गया मूत्र में मवाद के कण( pus cells) आ रहे हैं। मैं भारी भरकम एण्टीबायोटिक दवाएं महीनों खाने के स्थान पर आपसे कोई आयुर्वेदिक औषधि चाहता हूं। मेहरबानी करके उपचार बताएं।
ओमप्रकाश उपाध्ये,संगमनेर
ओमप्रकाश जी, आपकी समस्या देखने पर लगता है कि आप एंण्टीबायोटिक दवाओं का पूर्व में कोई बुरा अनुभव रखते हैं। इस कारण एंण्टीबायोटिक दवाओं से बचना चाहते हैं। ठीक है आपके अनुसार आपको आयुर्वेदिक औषधि बता रहा हूं जो कि न सिर्फ़ आपकी तकलीफ़ को समाप्त करेगी अपितु मूत्र से पस-सेल्स आने के कारण का भी निर्मूलन करेगी--
१ . कबाब चीनी + रेवन्दचीनी + मुलहठी + सफेद जीरा + कलमी शोरा ये सब अलग-अलग दस-दस ग्राम तथा इस में पिसी हुई मिश्री ३० ग्राम मिला लीजिये। इस पूरे मिश्रण को कस कर मिला लीजिये और पांच ग्राम की मात्रा का सेवन गाय के कच्चे दूध की लस्सी साथ सुबह खाली पेट सेवन कराएं। आपकी समस्या आश्चर्यजनक रूप से सप्ताह भर में निर्मूल हो जाएगी लेकिन सावधानी के तौर पर न्यूनतम पंद्रह दिन दवा लीजिये।

शुक्रवार, मई 23, 2008

लोग मुझे अजीब सी हिकारत भरी नजरो से देखने लगते हैं

नमस्कार डा. साहब, मेरी उम्र २४ वर्ष है और मुझे पिछले करीब ६ वर्ष से एक समस्या ने परेशान किया हुआ है. मेरे पूरे शरीर की त्वचा बेहद नाजुक है. एक मामूली सी खरोंच, किसी चीज के छू जाने या तौलिये से चेहरा पोंछ लेने भर से शरीर के उस हिस्से में लालामी भरे चकत्ते हो जाते हैं. चकत्ता ठीक उसी आकर का बनता है जितनी जगह पर खरोंच हुई हो या किसी का हाथ छू गया हो. और ये निशान और लालामी मात्र ५ से १० मिनट में अपने आप गायब हो जाती है जैसे कुछ हुआ ही न हो. बिना खरोंच आदि के मैं एकदम सामान्य रहता हूँ और मुझे देखकर कोई जान भी नही सकता की मुझे ऐसी कोई बीमारी है. मैंने ४ वर्ष पहले एलर्जी टेस्ट करवाया था, जिसके अनुसार बाद मे एक वर्ष तक वैक्सीनेशन भी नियमित करवाया, पर कोई लाभ नहीं हुआ. फ़िर होम्योपैथ से भी महीनों तक इलाज करवाया पर मामूली लाभ तक नहीं दिखा. मैं आजकल कोई भी नियमित एलोपैथिक दवा नही ले रहा हूँ. हाँ, अधिक तकलीफ होने पर मैं कभी कभी CETRIZINE दवा एक खा लेता हूँ तो फ़िर करीब एक हफ्ते तक ये चकत्ते बनना काफी कम हो जाता है, बाद में दवा का असर खत्म होने पर फ़िर पहले जैसा. कृपा करके मुझे कोई स्थाई समाधान बताये. घर पर रहता हूँ तो चल जाता है, पर किसी और के घर जाने पर तो मैं खाना खाने और हाथ मुंह धोने से भी कतराता हूँ क्योंकि मेरे चेहरे पर आए इस असामान्य परिवर्तन से लोग मुझे अजीब सी हिकारत भरी नजरो से देखने लगते हैं और मेरे पास आने से कतराते हैं जैसे कि मेरे पास आने से उनको भी ये बीमार न लग जाए. मैं थक चुका हूँ लोगों को अपनी इस बीमारी के बारे में बता बता कर. मेरी मदद करें.
Thanks and Regards
Punit Omar, Pune
Email: pomar@techmahindra.com
पुनीत जी, आपकी समस्या को देखा और समझा। आप यकीन करिये कि आप किसी गम्भीर समस्या से तो हरगिज़ ग्रस्त नहीं हैं बस आपको अब तक दुर्भाग्यवश सही उपचार और सलाह नहीं मिले। आपकी समस्या त्वचान्तर्गत पित्त से संबद्ध है। इस तरह से होने वाले लक्षणों का कारण पित्त का कोप ही होता है। आप एलर्जी वगैरह के भ्रम में अगर पड़ गये तो सारी जिंदगी उसी में उलझे रहेंगे। आपकी समस्या कोई ऐसी नहीं है कि जो अन्य किसी को संक्रमित कर सके ,क्या आप एकदम ही जाहिल किस्म के लोगों की संगति में हैं? जो लोग आप से कतराते हैं उन्हें आप खुद ही छोड़ दीजिये क्योंकि ऐसे लोग जो आपका मुसीबत में साथ छोड़ दें उनसे दूर हो जाना ही हितकर होता है। लीजिये आपकी समस्या का समाधान प्रस्तुत है --
१ . सूतशेखर रस एक गोली + कामदुधा रस एक गोली दिन में दो बार भोजन करने के बाद शीतल जल से लीजिये।
२ . गिलोय सत्त्व दस ग्राम + प्रवाल पिष्टी दस ग्राम मिला लीजिये और इस मिश्रण में से २५० मिग्रा. औषधि दिन में दो बार खस के शर्बत या शर्बत रूह अफ़जाह(डाबर) के साथ लीजिये।
इस उपचार को दो माह तक लीजिये और आप अपने भोजन में मिर्च-मसाले का प्रयोग बंद कर दीजिये यही चीजें आपको नुकसान कर रही हैं। चायनीज व्यंजनों और बाजारू सौफ़्ट ड्रिंक्स से भी सख्त परहेज रखिये वरना दवा करने का कोई लाभ न होगा और बीमारी फिर लौट आयेगी। मांसाहार जब तक औषधि सेवन करें बंद कर दीजिये, सिगरेट आदि धूम्रपान से भी बचें।

गुरुवार, मई 22, 2008

ऐसे चकत्ते उभर आते हैं जैसे कि चींटी ने काट लिया हो....

डा.साहब नमस्कार, पिछले एक माह से मुझे कलाइयों,चेहरे,कमर और पेट पर ऐसे चकत्ते उभर आते हैं जैसे कि चींटी ने काट लिया हो ,इन ददोरों में जलन और खुजली भी बहुत देज होती रहती है। आठ-दस घंटों में ये अपने आप ठीक हो जाते हैं मेरी पत्नी इन पर नारियल के तेल में कपूर मिला कर लगा देती है इससे थोड़ी राहत मिलती है लेकिन पूरी तरह से ठीक नही होता है। हमारे घर आये एक मित्र ने बताया कि इसे शीतपित्त कहते हैं लेकिन आजकल तो गर्मी है फिर ये रोग तो सर्दियों में होना चाहिये। लेकिन अगर किसी भी कारण से हो ही गया है तो इसका इलाज क्या है क्योंकि अपने पड़ोस में जो डाक्टर हैं उनकी दवा पंद्रह दिन से खा रहा हूं लेकिन कोई फायदा नहीं है । आप ही कुछ उपाय बताएं। धन्यवाद
मोहर सिंह,दादरी
सिंह साहब,आपकी समस्या को देखा और अच्छी तरह से समझा। आपको स्पष्ट करना था कि शीतपित्त नामक बीमारी का सर्दी के मौसम से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि ये शरीर में खान-पान या विहार की गड़बड़ी के कारण धातुतिक्ति(HISTAMINE) नामक तत्त्व उत्पंन हो जाता है जिसके कारण त्वचा पर इस तरह के खुजली और जलन लिये चकत्ते उत्पंन हो जाते हैं लीजिये आपके लिये उपचार प्रस्तुत है-
१ . सर्पगन्धा का बारीक कपड़े से छना हुआ चूर्ण ५ ग्राम + मुक्ताशुक्ति भस्म ५ ग्राम इन दोनो को मिला कर घोंट लीजिये एवं एकसार हो जाने पर २५० मिग्रा. की मात्रा दिन में तीन बार जल से दीजिये।
२ . हरिद्राखण्ड नामक औषधि एक चम्मच दिन में दो बार चटाइये और जल पिला दीजिये।
आप यकीन मानिये एक सप्ताह तक दवा सेवन कर लेने के बाद आपको इस बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा और फिर शायद ही कभी जीवन में दुबारा हो।

मंगलवार, मई 20, 2008

Left Ovarian Tumor, enlarged polycystic right ovary and.......

My wife, Smt. Ritu, 30, consulted the Doctor for her regular severe pain and other connected problems, irregular MC, weight loss etc. We've one male child, whose is now 5 years old.Results of Sonography conducted by a MD (Radiology) are as under : 1. Bulky uterus with large subserous leiomyoma in left anterior wall.2. Enlarged polycystic right ovary. Clinical crrelation is suggested.Another sonography reveals : 1. A solitary mass observed on left side of uterus 9.4cmx8.5cm.2. Right Ovary not seen.Impression : Left Ovarian Tumor.Several medicines and other treatments were received after these reports. Again after two-three months (after suggested medicines etc. course completion), we visited the Doctor for the same problem (pain, etc.)The Doctor has strongly advised to undergo for Hysterectomy, i.e. Uterus & Ovary removal.Sir, though, we do not want any child in future, we are not in a mood about Uterus Removal. Sir, I only want to know that whether the uterus removal is necessary or not ? She has also taken Ayurvedic Treatment, but the problem is not ready to go.Sir, I will be highly obliged, if your kind opinion is received, in this regard. I've also attached a PDF file, containing the above request in Hindi, kindly download the same.Thanking you, Sir.Yours faithfully,Ashok Kumar Verma
आत्मन बंधु वर्मा जी, सर्वप्रथम तो आपका धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने मुझे इस योग्य माना कि सलाह ले सकें। किन्तु एक बात का क्षोभ भी मन में होता है कि आयुर्वेद और हिन्दी को अभी भी आप जैसे विद्वान लोग दोयम दर्जे का मानते हैं किन्तु जब एलोपैथी से मन भर जाता है या व्यर्थ धन व्यय करके भी लाभ नहीं होता तब लोग हार कर आयुर्वेद या होम्योपैथी की शरण में आते हैं। बात बस इतनी है कि जो लोग व्यवसायिक बुद्धि रखते हैं चाहे वो एलोपैथ हों या आयुर्वेद अथवा किसी अन्य चिकित्सा पद्धति से उपचार करने वाले, आप जैसे दुखी और परेशान लोग उनके लिये मात्र ग्राहक से अधिक कुछ नहीं होते उन्हें आपका दर्द अपने लाभ का केन्द्र नजर आता है। मैं आपके सामने आयुर्वेद की महिमा का बखान करके कुछ सिद्ध नहीं करना चाहता लेकिन इतना स्पष्ट करना चाहता हूं कि आधुनिक तरीकों से आयुर्वेद को समझ पाना बचकाना प्रयास है। संभव है कि आपको इस बात का बुरा लग रहा हो कि उपचार के स्थान पर उपदेश दे रहा हूं। लीजिये आपकी पत्नी की समस्या का हल प्रस्तुत है।
१ . सर्वेश्वर पर्पटी ६ ग्राम + शुद्ध बर्किया हरताल ६ ग्राम + स्वर्ण भस्म ६ ग्राम + अभ्रक भस्म(सहस्त्रपुटी) ६ ग्राम + मुक्ता पिष्टी ६ ग्राम + हीरा भस्म २५० मिली ग्राम + पन्ना पिष्टी ३ ग्राम + गिलोय सत्व ६० ग्राम इन सभी औषधियों को भली प्रकासे से घोंट लीजिये व सहजन(Drumstick) की छाल के रस को इसमें मिला कर २५० मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इस गोली को एक-एक गोली दिन में दो बार शहद के साथ दें व ऊपर से तीन चम्मच सहजन की छाल का रस पिला दिया करें।
२ . रस माणिक्य १२० मिग्रा. + आरोग्यवर्धिनी बटी १२० मिग्रा + पंचामृत रस १२० मिग्रा मिला कर शहद के साथ दिन में दो बार दें।
३. पंचतिक्त घृत गुग्गुलु दो दो गोली दिन में तीन बार गर्म दूध से दें।
४ . विषतिन्दुक बटी दो गोली + रस पर्पटी ५०० मिग्रा. + सोंठ ५०० मिग्रा. + कालीमिर्च ५०० मिग्रा. + मीठा विष(इसे बछनाग या वत्सनाभ नाम से भी जाना जाता है)५०० मिग्रा. + अजवाइन ५०० मिग्रा. + छोटी(लेंडी) पीपर ५०० मिग्रा. बारीक पीस कर पोस्त डोडा के काढे को मिला कर २५० मिग्रा. की गोलियां बना लें व एक-एक गोली दिन में दो बार गुनगुने जल से दें।
इस उपचार को छह माह तक जारी रखिये व अपने संतुष्टि व लाभ की पुष्टि के लिये पुनः टैस्ट करवा लें। ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी पत्नी शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो जाएं। खट्टे व चटपटे आहार से परहेज़ कराएं।

अस्थमा का अटैक आया था अब डेढ़ साल बाद खून की उल्टी हुई है...

Adardiy Doctor ji
mera dost ko aj se kareeb 5 sall pahle achanak asthama ka attk aya ta doctor ne kha ki tumko ellegry ho gai hi magar kabi kabi saas lene me dickat hoti thi lakin uske 1.5 sal bad achanak ak din usko khon ki palti suru ho gai doctor ne kha ki uska ek walw kharab ho gya hi laki usne apration nai karaya magar vo aj bhi sahi hi kawal usko mausam badale per hi dikkat hoti hi aur body me improve ment nai ho raha hi wah apration nai karana chahta hi so please ko ayurvadic tarika batay jisse me usko bata saku thank u krapya kar ke mujhi ese mail i.d. per nivard mail kar de.
thank u
vikash
विकास जी,आपके मित्र की समस्या को समझने का प्रयत्न किया और इस नतीजे पर आया हूं कि उनको कॊई विशेष चिन्ता की बात नहीं है। व्यवसायिक चिकित्सकों द्वारा "हार्ट वाल्व" खराब कह दिया जाना अक्सर उनके धंधे का टोटका होता है ताकि इसी बहाने से आपके हजारों रुपए के टैस्ट कराए जा सकें क्योंकि उनका पैथोलाजिस्ट से भी कमीशन रहता है। आप बेफ़िक्र हो कर अपने मित्र को निम्न औषधियां दें और यकीन रखिये कि आपका मित्र शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएगा---
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + श्वांसकुठार रस एक गोली वासारिष्ट के दो ढक्कन के साथ सुबह-शाम दीजिये, दवा खाली पेट न दें कुछ नाश्ता या भोजन के बाद ही दें।
२ .शुद्ध शिलाजीत आधा ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ दीजिये।
३ . अर्जुनारिष्ट दो ढक्कन दिन में दो बार बराबर जल के साथ दीजिये।
ये उपचार दो माह तक दीजिये। मांसाहार दो माह के लिये बंद कर दें। अंडे भी न खाएं तो हितकर होगा।

दायें अंडकोष में सूजन और दर्द

प्रणाम डॉक्‍टर साहब, सर्वप्रथम तो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी समस्‍या पर इतनी तत्‍परता से प्रतिक्रिया दी. आपको मैं थोड़े से विस्‍तार से पूरी बात बता देता हूं. सबसे पहले तो मेरी उम्र 24 वर्ष है और मैं अविवाहित हूं. सन् 2005 मार्च महीने में मैं जिम जाया करता था कसरत करने के लिए तभी से एक दिन मेरे दायें अंडकोष में सूजन और दर्द शुरू हुआ. मतलब तब मेरी उम्र 21 होगी. हफ्ते भर मैंने कोई उपचार नहीं लिया और दर्द असहनीय होता गया. जहां तक चोट लगने की बात है ऐसा कुछ नहीं हुआ था. मैं सुबह जिम जाने से पहले बहुत सारा पानी पीता था फ्रेश होने के लिए और जिम के दौरान पेशाब का प्रेशर बनने और उसे रोके रखना भी कारण हो सकता है. हालांकि कारण क्‍या है मैं स्‍पष्‍ट रूप से नहीं कह सकता. खैर एक-दो हफ्ते बाद मैं एक फिजीशियन और उसके बाद सर्जन के यहां गया. दोनों ने कहा कि कुछ नहीं है और दवाएं देकर टरका दिया. कोई लाभ नहीं. मैं मुरैना मध्‍यप्रदेश में रहता हूं उसके बाद ग्‍वालियर के सर्जन को दिखाया उन्‍होंने अल्‍ट्रासाउंड कराया. जिसमें दायें अंडकोष का आकार बढ़ा होने के अलावा कोई समस्‍या नहीं थी. सब नॉर्मल था. उन्‍होंने भी दवाएं देकर टरकाया. कुछ खास फायदा नहीं. उसके बाद काफी महीनों तक वहीं के एक आयुर्वेदाचार्य से उपचार लेता रहा. बहुत लाभ हुआ. दर्द लगभग खतम सा हो गया. सूजन भी कुछ खास नहीं दिखी. फिर 2006 में मेरे बायी तरफ के लोअर अब्‍डोमेन में दर्द रहने लगा. दरअसल उनकी सलाह पर मैंने लंगोट पहनना शुरू किया था और एक मौके पर मैंने कमर पर लंगोट बहुत ही ज्‍यादा कस लिया था. उस दिन के बाद मेरे बायीं लोअर अब्‍डोमेन में दर्द रहने लगा. मामूली बहुत ज्‍यादा नहीं. बस टाइट पैंट पहनने या बेल्‍ट लगाने पर वो बढ़ जाता है और शरीर के पूरी बायें हिस्‍से में होने लगता है मतलब बायें तलवे से लेकर और ऊपर सिर तक हाथ तक. मैंने उन्‍हें बताया तो वे टहलाते रहे. सो मैंने उनके यहां जाना बंद कर दिया. एक सर्जन के यहां गया तो उन्‍होंने अल्‍ट्रासाउंड कराकर सब कुछ नॉर्मल बताकर कह दिया कि यह सब तो तुम्‍हारा वहम है. उसके बाद 6 महीने तक कोई दवा नहीं ली और काफी डिप्रेशन में चला गया. फिर 2007 की शुरूआत में मेडिकल कॉलेज ग्‍वालियर के एक जूनियर डॉक्‍टर मित्र के कहने पर कुछ सर्जन और फिजीशियन को दिखाया और उन्‍होंने कहा तुम्‍हें कोई बीमारी ही नहीं है. बस अंडकोष का आकार थोड़ा बड़ा है तो कभी कभार कुछ लोगों का होता ही है. उसके बाद काफी समय तक कोई दवा नहीं. फिर एक होम्‍योपैथी के चिकित्‍सक को दिखाया. तब से अब तक उनकी दवाएं ले रहा था. 15 दिन पहले तक. पर आठ महीने दवा लेने के बावजूद फर्क तो दिखा पर अपेक्षित फर्क नहीं दिखा ऊपर से चिकित्‍सक महोदय का कहना था कि मैं कह नहीं सकता कि इलाज कब तक चलेगा. मतलब इलाज सालों भी चल सकता है उनके अनुसार. होम्‍योपैथी लेने से पहले मैं न तो मोटरसायकल, स्‍कूटर में किक मार सकता था क्‍योंकि इससे असहनीय दर्द होता था. ना वजन उठा सकता था, दौड़ने से भी बेहद कष्‍ट होता था, थोड़ा भी पेशाब रोकने से दर्द शुरू हो जाता था, सर्दियों के दौरान तकलीफ बढ़ जाती थी अंडकोष की. मतलब ठंडे पानी को छू लेने या शौच के लिए जाने के बाद अंडकोष में असहनीय दर्द होता था. डिस्‍चार्ज के बाद भी दर्द होता था. हालांकि अब इतने समय होम्‍योपैथी लेने के बाद इन सब कार्यों को करने के बावजूद दर्द उतना भयंकर नहीं होता. उन चिकित्‍सक ने मुझे सब कुछ करने की छूट दे रखी थी चो बाइक चलाओ चाहे वजन उठाओ, चाहे masturbation करो. हालांकि अभी मैं यदि masturbation करूं तो स्थिति ये है कि उसके बाद दर्द शुरू हो जाता है और कुछ दिन तक होता रहता है. इस बार होम्‍योपैथी लेने के कारण सर्दियों में भी काफी कम तकलीफ हुई. मोटरसायकल चलाऊं तो दर्द होता है. पर मैं होम्‍योपैथ की अत्‍यधिक धीमी गति से उपचार से परेशान हो गया था और यह बहुत महंगा भी था. फिलहाल मेरे दायें अंडकोष में दर्द, सूजन दोनों है. दर्द ना तो असहनीय है ना ही बहुत कम है. दर्द पूरे दाहिने पैर में होता है और भारीपन महसूस होता है. दर्द जब कम रहता है तो केवल अंडकोष तक ही होता है टांग में नहीं महसूस होता. और बायें लोअर अब्‍डोमेन की समस्‍या यथावत है. हालांकि बहुत से लोगों ने इसे नर्वस सिस्‍टम की समस्‍या बताया. पर वहां दर्द नहीं है वो तो कभी कभार तंग पैंट पहनने या गलती से दौड़ने पर होता है. वहां भी ऐसा है कि दर्द यदि ज्‍यादा हुआ तो शरीर के पूरे बायें हिस्‍से में होता है सिर तक. हालांकि दर्द ज्‍यादा, या फिर होता ही नहीं है. समस्‍या तो मुख्‍यतया अंडकोष की ही है. पिछले महीने अप्रैल में जो अल्‍ट्रासाउंड कराया उसकी रिपोर्ट ये है- बाकी सब तो नॉर्मल है. both testis shows normal echo pattern.Rt testis is larger in size measRt testis 37*20mm Lt testis 27*14mmRt testis shows increased vascul;arity on color flow.ये तो रही रिपोर्ट हालांकि जब रिपोर्ट कराई थी उसके बाद अब लगता है कि थोड़ी सूजन ज्‍यादा है क्‍योंकि हर समय दौड़-भाग करने, बाइक चलाने और अनियमित दिनचर्या के कारण हो सकता है. अब मैंने स्‍वामी रामदेव का प्राणायाम शुरू किया है उसको करने के बाद दर्द में राहत महसूस करता हूं. हालांकि ग्‍वालियर में हफ्तेभर पहले स्‍वामी रामदेव के पतंजलि योग चिकित्‍सालय भी गया था पर उन्‍होंने कहा कि आप तो बिल्‍कुल ठीक हैं. डॉक्‍टसाहब अब आपसे विनती है कि मेरी समस्‍या को दृष्टिगत रखते हुए समुचित उपचार बतायें. क्‍या इस समस्‍या का समाधान संभव है और यदि हां तो ये कितना समय लेगा. चूंकि मेरा विवाह भी आगामी साल-छ: महीनों में हो सकता है. जरूरी प्रीकॉशन(सावधानियां) और परहेज भी बतावें और समुचित मार्गदर्शन दें. मेल कुछ ज्‍यादा ही लंबा हो गया है. इसके लिए क्षमा चाहता हूं. आभार, अनिल,मध्यप्रदेश
अनिल भाई,आपकी समस्या को गौर से देखा विस्तार से लिखा इसके लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूं। आपकी समस्या कोई बहुत बड़ी या लाइलाज तो है नहीं बस होता यह है कि अनियमित दिनचर्या और आचरण के कारण रुग्ण्ता उपजती है। आपको एक बात बहुत ही स्पष्टता से बता देना चाहता हूं कि चाहे आपने कितने भी तथ्यों और तर्कों से अपने आपको हस्थमैथुन के पक्ष में समझा रखा हो और मन को ये बता-जता कर कि ये तो एक सहज साधारण क्रिया है किन्तु आपके लिये ये बेहद हानिकारक है। शेष निर्णय आपको लेना है। आप उस इत्र का व्यवसाय करने वाले को क्या कहेंगे जो कि लाखों फूलों का इत्र खींच कर नाली में बहा दे? मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं क्योंकि सबके पास तर्क हैं पक्ष और विपक्ष में। जैसी इस समय आपकी स्थिति है ये ठीक वैसी ही है जैसा कि घायल घोड़ा हो और आप उसे चाबुक मार मार कर दौड़ाएं, आप हस्थमैथुन से उस समय तो अपनी कामेच्छा पूर्ण कर लेते हैं लेकिन भविष्य के बारे में क्या फिर जीवन भर डाक्टरों के भरोसे ही रहने का इरादा बनाया हुआ है। इससे अधिक समझाना व्यर्थ है आप अपना भला बुरा स्वयं समझते हैं। इन औषधियों को न्यूनतम चार माह तक नियमित सेवन करें आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी---
१ . वृद्धिबाधिका बटी दो -दो गोली + शूल वर्जिणी बटी एक गोली दिन में दो बार नाश्ते और रात्रि के भोजन के बाद जल से लीजिये।
२ . गोक्षुरादि गुग्गुलु दो गोली + लोकनाथ रस एक गोली + त्रिबंग भस्म २५० मिग्रा. + शुभ्रा भस्म २५० मिग्रा. + पुनर्नवा मण्डूर २५० मिग्रा. इन सबको इसी अनुपात में मिला कर एक खुराक बनाएं। इस खुराक को दिन में तीन बार हलके गर्म जल से लीजिये।
३ . शोथहर गुटिका को पत्थर पर दिन एक बार घिस कर लेप करे और लंगोट को कस न बांधें। रात्रि को सोते समय महानारायण तेल लगा कर सोएं व यदि संभव हो तो हल्का सा सेंक लिया करें इससे शीघ्र लाभ होगा किन्तु ध्यान रहे कि सेंक हलकी आंच की हो तेज आंच आपको भयंकर हानि पहुंचाएगी।
तेज़ मिर्च-मसालेदार भोजन तथा खट्टे पदार्थों से परहेज़ करना हितकर है। आप शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हो जाएं व सुखपूर्वक विवाहित जीवन के दायित्त्वों का निर्वाह करें ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।

सोमवार, मई 19, 2008

नाक से कभी भी रक्त आने लगता है व लैट्रिन करते समय भी खून दिखा...

डाक्टर साहब नमस्ते, मैं एक छोटे से कस्बे निकल कर महानगर दिल्ली आया क्योंकि जिस कंपनी में नौकरी मिली उसने पहली पोस्टिंग दिल्ली में ही कर दी। चुंकि गरीब परिवार से रहा तो जब देखा कि कंपनी की ओर से अच्छे से अच्छा भोजन मुफ़्त में ही मिलता है तो मेरी ही गलती है कि मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पाया और तेज चटपटे भोजन जैसे चिकन, मटन, मछली, अंडा आदि रोज ही भोजन में लगातार तीन माह से खाये चला जा रहा हूं। शाकाहारी भोजन को हाथ तक नहीं लगाया अब पिछले एक सप्ताह से मुझे नाक से कभी भी अचानक रक्त आने लगता है जैसे कि नक्सीर फूट जाती है। मुझे धूप में भी काफी घूमना पड़ जाता है सर्वे के सिलसिले में। हल्की सी सूखी खांसी है जिसमें कि कभी-कभी थूक के साथ रक्त की लालिमा दिखती है, भोजन के बाद देह में जलन सी होती है, सिर एकदम गर्म बना रहता है, प्यास बहुत लगती है, भोजन के बाद काफ़ी देर तक बेचैनी सी बनी रहती है, बदन एकदम ढीला सा हो जाता है, ऐसा लगता है कि गले में धुंआ भरा हो, कल तो मुझे लैट्रिन करते समय भी खून दिखा। मैं डर गया हूं और मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मुझे क्या ये सब खाने के कारण हो रहा है या कोई अन्य कारण है। मुझे प्लीज तत्काल दवा बताइये। मैं कोई नशा नहीं करता हूं।
जय सिंह राजपूत,ओरछा
जयसिंह जी, आप इस बात से परेशान न हों आपको हुई बीमारी वाकई कोई गम्भीर बीमारी नहीं है पर गम्भीरता तब बढ़ सकती थी जब आप इसे अनदेखा कर देते। आपकी बीमारी को आयुर्वेद की भाषा में "रक्तपित्त" कहते हैं। आप अपने भोजन में सुधार करिये और मांसाहार बंद कर के शाकाहार अपनाइये वरना उपचार व्यर्थ हो जाएगा। मिर्च-मसालेदार भोजन से सख्त परहेज़ रखें। निम्न उपचार लीजिये--
१ . सितोपलादि चूर्ण २ ग्राम + प्रवाल पिष्टी २ रत्ती + रक्तपित्तांतक रस २ रत्ती + शुभ्रा भस्म २ रत्ती; इन सब को मिला कर एक खुराक बनाएं और दिन में तीन बार शहद और मिश्री के मिश्रण के संग सेवन करें।
२ . खस का शर्बत लाकर रखिये और दिन में जब ज्यादा प्यास लगे तो आधा-आधा गिलास इस शर्बत को हल्का-हल्का घूंट भर कर पीजिये।
३ . कामदुधा रस एक गोली दिन में दो बार वासारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
इस उपचार को एक माह तक जारी रखिये। आप पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे घबराइये मत।

रविवार, मई 18, 2008

बच्चा नींद में दांतो को रगड़ कर अजीब सी किचकिच की आवाज निकालता रहता है

डाक्टर साहब नमस्ते, मेरे बेटे की उम्र ९ वर्ष है। वह दुबला-पतला है लेकिन हमेशा खेलता-कूदता है ,पढ़ाई में भी तेज़ है कोई बीमारी प्रतीत नहीं होती लेकिन मैंने एक बात पिछले एक माह से देखा है कि वह जब गहरी नींद में होता है तब कुछ बड़बडाता है या फिर दांतो को रगड़ कर अजीब सी किचकिच की आवाज निकालता रहता है। उसे जगा देने पर इस बात का एहसास नहीं होता। मैंने अपने पति को बताया तो उन्होंने बोला कि शायद पेट में कीड़े हैं क्योंकि वो अक्सर अपने लैट्रिन के स्थान को खुजाता रहता है। बच्चे की इस समस्या के लिये कोई आयुर्वेदिक उपाय बताइये मैं बच्चों को अंग्रेजी दवा देने से डरती हूं।
सलोनी रंगनायकी,इलाहाबाद
सलोनी बहन, आपके पति का अनुमान सही है। आपका बच्चा पेट के कीड़ो के कारण ही दांतो को किटकिटाता है और साथ ही मलद्वार को खुजाना भी क्रिमिरोग का ही एक बड़ा लक्षण है। आप परेशान न हों ये कोई गम्भीर बीमारी नहीं है। बच्चे को मधुर आहार जब तक दवा दें बंद करना ही बेहतर रहेगा। बच्चे को निम्न दवाएं दें--
१ . क्रिमिकुठार रस १ गोली दिन में दो बार धतूरे के पत्तों के दो बूंद रस के साथ दो चाय के चम्मच शहद मिला कर दें। याद रखिये धतूरा यदि अधिक मात्रा में पेट में चला जाए तो विषाक्तता के लक्षण दिखाता है अतः इसमें मात्रा का विशेष ध्यान रखिये कि यदि बच्चा पांच साल से नीचे है तो उसे धतूरे के रस के साथ न दे कर बस मात्र शहद से ही दें और पांच से आठ साल तक के बच्चों को एक बूंद रस तथा आठ साल से चौदह साल तक के बच्चों को दो बूंद रस दें। ये दवा मात्र तीन दिन ही देना है फिर बंद कर दीजिये।
२ . पहली दवा देने के तीन दिन के बाद रात को सोते समय एक चम्मच पंचसकार चूर्ण गर्म जल से दें।
३ . विडंगादि चूर्ण एक एक चम्मच दिन में एक बार दोपहर में भोजन के पहले गर्म जल से सेवन करायें।
४ . क्रिमिघातिनी गुटिका एक-एक गोली सुबह-शाम पानी से दिया करें। इस दवा को एक सप्ताह तक दें और फिर बंद कर दें।
बच्चे की भोजन की स्वच्छता आदि पर ध्यान दीजिये बस आपका बच्चा पंद्रह दिनो में सामान्य हो जाएगा।

शनिवार, मई 17, 2008

यह ब्रेन ट्यूमर की समस्या तो नहीं है ????

डाक्टर साहब नमस्ते, मेरी उम्र २८ वर्ष है। मैं विवाहित महिला हूं। मेरे सिर के समस्त दाहिने भाग की नसों में व गर्दन में बहुत तेज दर्द होता है जिससे मैं बहुत परेशान हूं। सर, मैंने कई डाक्टरों की दवाएं खा ली हैं लेकिन जब दर्द निवारक दवा खा लेती हुं तो कुछ दिन ठीक रहता है। यह कोन सा रोग है? सिर के बांए हिस्से में कोई परेशानी नहीं है। इस दर्द से मैं बहुत सहमी व डरी हुई हुं। यह ब्रेन ट्यूमर की समस्या तो नहीं है। आप इस समस्या का निदान बताने की कृपा करें। मैं सदा आपकी आभारी रहूंगी, सर कोई अच्छा सा उपचार बताना व रोग का नाम भी बताना।
प्रिया,नोएडा
प्रिया बहन, आपने ज्यादा बात अपने दर्द के बारे में नहीं बता पायी है कि किस समय बढ़्ता है या किस समय अपने आप कम हो जाता है अथवा क्या इस दर्द के साथ आपको उल्टी जैसा भी महसूस होता है, मासिक धर्म सामान्य है अथवा नहीं, क्या पूर्वकाल में भीषण जुकाम सर्दी हुई थी। आपको क्या किसी ने ब्रेन ट्यूमर के बारे में कहा है या ये मात्र आपका ही विचार है? क्या किसी कारणवश विशेष चिन्ता है या मानसिक श्रम करना पड़ता है या रात्रि जागरण करना पड़ता है? कितने समय से इस तरह का दर्द हो रहा है? कील ठोंकने जैसा दर्द होता है या कुछ विशेष अनुभूति होती है? आप परेशान न हों फिलहाल तो मुझे ऐसा नहीं प्रतीत हो रहा कि आपको ब्रेन ट्यूमर जैसी कोई समस्या है ये महज आपका भ्रम है, मेरे अनुसार आप "अर्धावभेदक" नामक शिरोरोग से पीड़ित हैं। आप निम्न उपचार लीजिये और दिन में सोना सर्वथा बंद कर दें तथा अत्यधिक पति संसर्ग से भी बचें --
१ . त्रिफला चूर्ण ३० ग्राम + चिरायता १० ग्राम + हल्दी १० ग्राम + नीम की छाल १० ग्राम + गिलोय(गुडूची या गुरिच) १० ग्राम लेकर गुड़ मिला कर काढ़ा बनाएं यानि चाय की तरह से पका लें और सुबह शाम इसका हलके गर्म-गर्म ही आधा कप सेवन करें।
२ . गूलर(ऊमर या उम्बर) के फलों को पीस कर सिर पर मोटा सा लेप दिन में कई बार करा करें
३ . महालक्ष्मीविलास रस एक-एक गोली सुबह शाम दूध के साथ दीजिये। खाली पेट न दें।
४ . गोदन्ती भस्म २५० मिग्रा. + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा. + छोटी इलायची के पीसे हुए बीज १२५ मिग्रा मिला कर एक मात्रा बनाएं तथा इस दवा को सुबह ही सूरज निकलने से पहले ही ६० ग्राम दही के साथ खा लें था ऐसा रोज सुबह तीन दिन तक लगातार करें फिर बंद कर दें।
५ . षड्बिन्दु तेल की छ्ह बूंदे दोनो नासिका छिद्रों में तथा कानों में तीन-तीन बूंदे सुबह शाम डाला करें।
इस उपचार को दो माह तक जारी रखें। मांसाहार त्याग दें। अवश्य लाभ होगा चिन्ता न करें।

skin specialist called it as vitiligo यानि कि त्वचा पर सफेद दाग.....


sir,my son is 6 yr old .for the last 4 months white round circles/patch/spot are found on his face,body.his lip has changed towhite.consulted skin specialist,called it as vitiligo,not much benefitis recd. few more spots are developing.please give the proper remedy.iam very much worried.
Beena Tompe

बीना बहन, आपके बच्चे की समस्या को गहराई से समझा और आपको भी बताना चाहता हूं जो कि आपके चिकित्सक ने बताया है कि इस बीमारी का नाम अमुक है। यह मात्र एक त्वचा रोग है जो कि पीड़ादायक तो नहीं होता किन्तु सोन्दर्यनाशक अवश्य होता है। इसलिये माता पिता तथा स्वयं रोगी भी अत्यंत चिंतित रहते हैं। Vitiligo नाम से बताई गयी बीमारी में त्वचा के पिगमेंट यानि रंगत देने वाली कोशिकाओं का नाश होने लगता है और इससे चेहरा,नासिका, गुप्तांग, नेत्रगोलक का अंदरूनी भाग तथा बाल प्रभावित हो सकते हैं। आपके बच्चे को होने वाली समस्या के अनेक कारण हो सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि ये बीमारी कोई असाध्य रोग हो, इसलिये आप चिन्ता न करते हुए धैर्य रखें बच्चा ठीक हो जाएगा। इस रोग के निवारण के लिए सर्वप्रथम रोगी का पेट साफ कराना तथा शोधन करना अनिवार्य होता है वरना कोई भी उपचार उचित लाभ नहीं देता है। अतः बच्चे को प्रारंभ में दस्त कराने की दवा बताउंगा इससे जुलाब होने पर आप घबराएं नहीं ये बस उपचार का हिस्सा है।
१ . इच्छाभेदी रस की आधी गोली रात को पानी दें लेकिन उससे पहले दिन में मूंग की दाल की खिचड़ी गाय का घी मिला कर खिलाएं। तीन दिन तक।
२ . गंधक रसायन २५० मिग्रा. + स्वर्णमाक्षिक भस्म १२५ मिग्रा. + गिलोय सत्व २५० मिग्रा. मिला कर शहद के साथ दो बार दीजिये। सुबह नाश्ते के बाद।
३ . आरोग्यवर्धिनी बटी दो गोली + तालकेश्वर रस एक गोली + प्रवाल पिष्टी १२५ मिग्रा. + रस माणिक्य बारीक घोंटा हुआ १२५ मिग्रा + बाकुची चूर्ण एक ग्राम + एक ग्राम त्रिफला चूर्ण मिला कर एक खुराक बनाएं तथा मंजिष्ठादि कषाय + खदिरारिष्ट के दो ढक्कन दवा से साथ में मिला कर पेस्ट जैसा बना लें व दिन में दो बार भोजन के बाद दें।
४ . सोने से आधे घंटे पहले महातिक्त घृत + सोमराजी घृत समान मात्रा में मिला कर एक चम्मच दूध के साथ दें।
५ . दिन में तीन बार चालमोगरा तेल + पंचतिक्त घृत + नीम का तेल + बाकुची का तेल बराबर मात्रा में मिला कर लगाएं।
एक बात का ध्यान रखिये कि यह एक जिद्दी किस्म का रोग है इसलिये अधीरता से लाभ नहीं होता है, न्यूनतम एक से दो साल तक औषधियां देना लाभप्रद होगा। तीखे भोजन से परहेज कराएं तथा चायनीज व्यंजन आदि बंद कर दें।







My son is suffering sweating in hand and feet & low weight ( under weight).

My son is suffering sweating in hand and feet & low weight ( under weight) who is 10 years old , his weight is 22 Kg, normal hight, taking normal diet, but he is under weight. I request you please advice me homeo and aurvedic medicine for weight gain and sweating . I want to increase his weight, he is very thin, Child Physician said he is normal. He take milk with bananas.
please advice me diet also.
reply in hindi
Thanks with regards,
नोएडा पावर,उत्तर प्रदेश
भाईसाहब, आपके बच्चे की समस्या को ध्यान से देखा। आपको बताना चाहता हूं कि हमारे डा.रूपेश श्रीवास्तव आपको मात्र आयुर्वेद का उपाय बताते हैं, होम्योपैथी उनका क्षेत्र नहीं है। आपने एक बात लिखा है कि बच्चे को पीडियाट्रिशियन ने देखा और नार्मल बताया है। क्या आपको उसकी बात पर विश्वास नहीं हो पा रहा है? एक बात स्पष्ट करना चाहता था कि हर व्यक्ति को उसका बच्चा कमजोर ही दिखता है, शरीर की काठी यदि दुबली पतली है तो ये बात चिन्ता का विषय तो हरगिज़ नहीं होना चाहिये बशर्ते कोई बीमारी या असामान्य लक्षण न दिखाई दे। यदि आपके बच्चे को पसीना आने की समस्या अधिक है व आपको वजन कम प्रतीत होता है तो सर्वप्रथम देख लीजिये कि आप उसे जो कुछ भी पौष्टिक से पौष्टिक पदार्थ खाने को दे रहे हैं चाहे वह केला और दूध हो या अन्य कुछ भी वह उसे पच रहा है या नहीं। लीजिये आपके कहे अनुसार समाधान प्रस्तुत है...
१ . आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली दोपहर भोजन के बाद पुनर्नवारिष्ट के एक चम्मच से साथ निगलवाएं।
२ . स्नान करने के लिये साबुन के स्थान पर मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग करवाएं।
३ . अश्वगंधादि चूर्ण आधा चम्मच अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार दें।
४ . अग्नितुण्डी बटी दिन में दो बार एक गोली गर्म जल से दें।
बच्चे की सारी समस्याएं समाप्त हो जाने के बाद भी आप उसे अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच दिन में दो बार सामान्य पुष्टिकारक पेय के तौर पर दे सकते हैं। भोजन में तेज मिर्च मसालेदार भोजन न दें, बाजारू खाद्य पदार्थों का परहेज़ कराएं तथा बाजार में बिकने वाले साफ़्टड्रिन्क व चाकलेट विशेष तौर पर न दें बाकी सामान्य आहार दीजिए।

शुक्रवार, मई 16, 2008

I am suffering from Gilberts syndrome ( hyper bilirubinemia) and LEFT VENTRICULAR HYPERTROPHY

Dear Sir,
my age is 33 y, male, weight 67 kg, hight 175 cm. I am suffering from gilberts syndrome ( hyper bilirubinemia) which is constant 2.4 mg from last 5 years. colour of urine, skin , eye is light yellow. i am feeling some pain and swelling at right side of liver portion AND I AM TAKING NORMAL DITE. Gastroentrologist doctor said you are ok but i request you, pl advise me for some medicine.
After ECG test doctor said you are suffering from LEFT VENTRICULAR HYPERTROPHY , my BP was 140/90 always from long time 5 years approx but this time i am taking Cardiopril 2.5 mg cap. one cap daily then my BP is normal. when stop cardiopril , I feel weakness, headache, pain left side solder, angryness, darkness fron of my eye ever time when passing urine and also feel chakkar at that time and problem in breathing after some hard work.
this time I am taking cardiopril but i want to stop alopathic medicine.
ERYTHROCYTE
5.7
4.5-5.5 ML/
C.MM
MCH ( MEAN CORPUSCULAR HAEMOGLOBIN
26.3
27-32 PG
TLC
4200
4000-11000/
C.MM
LYMPHOCYTES
42
20-40 %
PLATELET
173000
150000 - 400000/CMM
MPV ( MEAN PLATELET VOLUME)
11
6.5 - 10.5 fl
PDW ( PLATELET DISTRIBUTION WIDTH)
14
6 - 11 fl
SUGAR FASTING
102
70- 105 MG%
SUGAR PP
130
90-160 MG %
SERUM BILIRUBIN TOTAL
2.11
DIRECT
0.48
INDIRECT
1.63
SGPT
39
-- Thanking you,M.gupta

गुप्ता साहब,आपने जिस तरह से अपनी बीमारी को बताया है उससे साफ पता चल रहा है कि आपके ऊपर एलोपैथी के तमामोतमाम प्रयोग करे जाते रहे हैं और आप पैथोलाजिस्ट्स और एलोपैथी के व्यवसायिक डाक्टरों के चंगुल में बुरी तरह से फंसे रहे हैं। आपके शरीर को इन लोगों ने दवाओं की प्रयोगशाला या ऐसा कहें कि गोदाम बना डाला है और आपकी मानसिक दशा ऐसी कर दी है कि कुछ भी हो तो आप विशेषज्ञ के पास भागते हैं। सच तो ये है कि आज जब मैंने चिकित्सा शास्त्र को इतना जान लिया है तो सीना ठोंक कर कह सकता हूं कि दवाएं तो मात्र आपके शरीर में आरोग्य के लिये दस प्रतिशत कार्य करती हैं बाकी कार्य आपका शरीर स्वयं करता है। अब मेहरबानी करके जो बता रहा हूं उन दवाओं को विश्वासपूर्वक लें और हर माह यकीन के लिये टैस्ट कराना बंद कर दें, देह में आरोग्य आप स्वयं महसूस कर सकते हैं उसके लिये किसी परीक्षण की जरूरत नहीं होती है।
मुझे आपको परहेज बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अनुमान लगा सकता हूं कि आपकी क्या हालत बना रखी है डाक्टरों ने मिलकर। अब जो औषधियां बता रहा हूं उन्हें नियम से लेना प्रारंभ करिये यकीन मानिये कि आप कुछ दिनों में खुद ही कह सकेंगे कि मैं स्वस्थ महसूस कर रहा हूं।
१ . कागजी नींबू का रस छह ग्राम + शहद छह ग्राम + छोटी पीपर का चूर्ण ५०० मिग्रा. + काली मिर्च का चूर्ण ५०० मिग्रा + सोंठ का चूर्ण ५०० मिग्रा ; इन सबको मिला कर दिन में तीन बार सेवन करें। खाली पेट न लें ,भोजन के आधे घंटे बाद ले सकते हैं।
२ . नवायस लौह दो गोली(५०० मिग्रा) + पुनर्नवा मंडूर ५०० मिग्रा + शंख भस्म २५० मिग्रा + आरोग्यवर्धिनी बटी एक गोली को एक साथ लेकर दो चम्मच पुनर्नवासव+ दो चम्मच कुमार्यासव मिला कर दिन में दो बार लें।
३ . भुनी हुई कुटकी का चूर्ण ५०० मिग्रा + ५०० मिग्रा मिश्री को गुनगुने जल से दिन में दो बार लें।
४ . हृदयार्णव रस एक गोली + प्रभाकर बटी एक गोली अर्जुनारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार लें।
५ . शुद्ध शिलाजीत आधा ग्राम दिन में दो बार दूध के साथ लीजिये।
इस उपचार को लगातार तीन माह तक जारी रखिये और मुझे सूचित करिए। मात्र पंद्रह दिनों में ही आप अनुकूल परिवर्तन का अनुभव करने लगेंगे। cardiopril को पहले एक-एक दिन के अंतर पर खाएं फिर एक सप्ताह बाद दो-दो दिन के अंतर पर और इसी प्रकार तीसरे सप्ताह तीन दिन के अंतर पर और चौथे सप्ताह चार दिन के अंतर पर फिर बंद कर दें।

मुझे खूनी बवासीर है तथा गुदा में एक मस्सा भी है।

डाक्टर साहब नमस्ते,मेरी आयु २८ वर्ष है। डा.साहब जी मेरी परेशानी यह है कि मुझे खूनी बवासीर है तथा गुदा में एक मस्सा भी है। पेट में ज्यादातर कब्ज रहती है और मेरा पेट भी भारी होता जा रहा है। जब कब्ज हो जाती है तो पाखाना के समय काफी खून जाता है। अतः आपसे निवेदन है कि कोई अच्छी सी दवाई देने की कृपा करें। जिससे कि मुझे इस रोग से मुक्ति मिल जाए। मैं आपका सदा आभारी रहूंगा।
विपिन, उत्तर प्रदेश
विपिन भाई, मैं आपकी तकलीफ़ को भली प्रकार से समझ रहा हूं कि आप कितनी तकलीफ़ से गुजर रहे हैं। सच तो ये है कि आपकी मुख्य समस्या खूनी बवासीर न हो कर कब्जियत है और इसी के कारण आपको खूनी बवासीर हुई है। अब बेफिक्र हो जाइए क्योंकि अब न तो कब्ज की समस्या रहेगी और न ही बवासीर रहने वाली है; दर्द, मस्सा, खून जादू की तरह से गायब हो जाएगा बस आप इन दवाओं को नियम से लीजिये और दवा के सेवन के दौरान मिर्च-मसालेदार आहार, मांसाहार बंद कर दें व बाजारू भोजन से परहेज करें।
१ . रात्रि भोजन के बाद में एक चम्मच गंधर्व हरीतकी चूर्ण को गर्म जल से लें। ये नित्य प्रति पंद्रह दिन तक लें।
२ . सोलहवें दिन से इस दवा से स्थान पर इसी प्रकार से इतनी ही मात्रा में त्रिफ़ला चूर्ण लेना प्रारंभ करें और ऊपर बताई दवा बंद कर दें।
३ . इन्ही दवाओं के साथ ही दिन में तीन बार अर्शकुठार रस एक गोली + अर्शोघ्नी बटी एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लें।
४. नीम के तेल १०० मिली+ १० ग्राम पिपरमिंट + २० ग्राम कपूर मिला कर रख लें मिश्रित होने के बाद दो भाग कर लें एक भाग से एक-एक बूंद बताशे में भर कर दिन में तीन बार जल से लें तथा दूसरा भाग मल त्याग करने के बाद गुदा के प्रभावित स्थान पर लगाएं यदि कदाचित जलन हो तो उसे एक दो दिन सहन कर लीजिये फिर जलन न होगी।
५ . शुभ्रा भस्म आधा-आधा ग्राम दिन में तीन बार ठंडे दूध से लें ।

६. मेदोहर गुग्गुलु दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लें।

मेरा शरीर बहुत दुबला-पतला है,हीनभावना से ग्रसित हूं।

मेरी आयु २५ वर्ष है। डा.साहब जी मेरी परेशानी यह है कि मेरा शरीर बहुत दुबला-पतला है। जिसके कारण मैं हीनभावना से ग्रसित हूं। मेरे शरीर को देखकर मेरी संग सहेलियां भी मेरा मजाक उड़ाती हैं जिसके कारण मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आता हैं तथा मुझे भूख भी खुल कर नहीं लगती हैं। एक या दो रोटी खाकर ही पूरा दिन गुजर जाता है। कुछ खाने का मन ही नहीं करता है। मैंने काफ़ी दवाएं खा ली हैं। किसी से कुछ फ़ायदा नहीं होता है। दो तीन साल पहले मैं काफ़ी स्वस्थ थी। अब मेरे साथ यह क्या हो रहा है ये मेरी समझ में नहीं आ रहा है। डा.साहब मेरे चेहरे पर झाईयां भी हो रही हैं तथा मुझे लिकोरिया की भी प्राब्लम है जिसके कारण मैं बहुत परेशान हूं। डा.साहब मैं चारों तरफ से निराश होकर अब आपसे आशा करती हूं कि अब आप ही मेरी इस समस्या का निदान आयुर्वेद में ढ़ूंढ कर मेरी सहायता जरूर करेंगे। डाक्टर साहब मुझे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा भी बहुत आता है। गुस्सा शान्त हो जाने के बाद मैं बहुत पश्चाताप भी करती हूं।
अतः आपसे नम्र निवेदन है कि आप जल्दी से जल्दी मेरा उपचार भेजने की कृपा करें। धन्यवाद
जयलता, ग्रेटर नोएडा(गौतम बुद्ध नगर)
जयलता बहन, मैंने आपकी समस्या को देखा किन्तु कुछ बातें यदि स्पष्ट हो जातीं तो मुझे आसानी होती जैसे कि क्या आप विवाहित हैं या अविवाहित? आप क्या करती हैं कुछ नौकरी या अध्ययन आदि? लिकोरिया की समस्या कितने समय से है? लिकोरिया में आने वाला स्राव किस तरह का है श्वेत या लाल,पतला स्राव है या गाढ़ा? शाकाहारी हैं या मांसाहारी? लेकिन कोई बात नहीं यदि आप इन बातों को बताने से रह भी गयी हैं तब भी आयुर्वेद के महासागर से आपके लिये औषधिरत्न लेकर आपको स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकता है। आप निम्न दवाएं नियमित रूप से लीजिये और तनिक भी चिन्ता न करिये बीमारिया यदि आती हैं तो ये बस आपके साथ हुई कुछ दैहिक या मानसिक अनियमितता का परिणाम होती हैं इनसे निराश न होकर बल्कि सुधार करके मुक्त हो जाना उचित है। आप यदि कोई कार्य कर लेती हैं तो उस पर पश्चाताप मत करिये। जिन बातों पर गुस्सा आया था उन पर विचार करिये कि हो सकता है आपका गुस्सा करना उचित रहा हो। इन औषधियों को कम से कम दो माह तक लीजिये और फिर हुए बदलाव मुझे सूचित अवश्य करें दवा के सेवन के दौरान मिर्च-मसालेदार आहार, मांसाहार बंद कर दें व बाजारू भोजन से परहेज करें।
१ . प्रदर हर लौह १ गोली + प्रदरान्तक रस १ गोली सुबह शाम दूध में शहद मिला कर लें।
२ . अशोकारिष्ट दो चम्मच दिन में दो बार भोजन करने के बाद लीजिये।
३ . अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार एक-एक चम्मच अश्वगंधादि चूर्ण भोजन के बाद लीजिये।
४ . सप्ताह में एक बार रात में खाने के बाद त्रिफला चूर्ण दो चम्मच गर्म जल से लीजिये ताकि कब्जियत न रहे और पेट साफ होता रहे।
इस प्रकार आप इस उपचार को दो माह लें और यदि आवश्यकता लगे तो आगे भी जारी रखिये कोई नुकसान नहीं होगा। आपकी चेहरे की झाईयां कहां गायब हो गयी लोगों को आश्चर्य होगा। विश्वास रखते हुये औषधि नियम से सेवन करें।

गुरुवार, मई 15, 2008

मेडिकल सांइस का इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है??????

my E.C.G. is diagnosed as complete heart block pl. advise desi treatment.
सुभाष शर्मा
सुभाष जी,मुझे आश्चर्य है कि आपका E.C.G. हार्ट में शत-प्रतिशत ब्लाकेज बता रहा है लेकिन आप न सिर्फ जीवित हैं बल्कि स्वयं मुझसे सलाह मांग कर इलाज भी चाहते हैं। आप क्या इस मेडिकल सांइस के धोखे को अब तक समझ नहीं पाए कि यदि आपका शत-प्रतिशत ब्लाकेज है तो आप कितनी देर तक जीवित रह सकते हैं। दरअसल होता ये है कि व्यवसायिक चिकित्सा से जुड़े लोगों के घर का चूल्हा तो आपके ही धन से जलता है, जीवन में धन से पूरी करी जाने वाली सारी जरूरतें आप ही अपने पैसे से पूरी करते हैं। एक बात ये लोग समझते हैं कि यदि मरीज को डराया नहीं जाए तो उससे पैसा आसानी से निकाला नहीं जा सकता। इसलिये यदि ब्लाकेज है और आपको तकलीफ़ है तो शत-प्रतिशत ब्लाकेज बता देने में हर्ज़ ही क्या है मरीज सुनते ही डर जाएगा फिर उसे बाईपास सर्जरी के लिए राजी कर लिया जाएगा, ऐसे में आप कर्ज़ लें या चोरी करें उन्हें इस बात से कोई लेना-देना नहीं होता। जैसे किराने की दुकान पर विक्रेता तराजू में हेराफेरी करके कम सामान तौल कर आपसे ज्यादा पैसा ले लेता है ठीक वैसी ही सोच इन व्यवसायिक चिकित्सकों की होती है। ये भी पैथोलाजिकल टैस्ट्स में हेराफेरी करवा के मनमाने रिजल्ट्स निकलवा लेते हैं क्योंकि पैथोलाजिस्ट, कैमिस्ट और डाक्टर सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे तो हैं। आप बिलकुल मत डरिये और नीचे लिखे उपचार को नियम से एक साल तक लीजिये और स्वस्थ होने के बाद जिस चिकित्सक नें आपको ऐसा बताया है उसे दिखाइये ----
१ . अर्जुन की छाल का जवकुट यानि मोटा-मोटा चूर्ण ३ ग्राम व २५ ग्राम मिश्री लेकर २५० ग्राम दूध में उबालें और इसी दूध का प्रतिदिन प्रातः व सांयकाल सेवन करें।२ . अर्जुनारिष्ट + अश्वगंधारिष्ट दोनो को मिला कर दो चम्मच बराबर जल मिला कर दिन में दो बार भोजन के बाद लें।३ . अकीक पिष्टी १०० मिग्रा. + मुक्तापिष्टी १२५ मिग्रा. + जहरमोहरा पिष्टी २०० मिग्रा + अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण २५० मिग्रा. + प्रभाकर बटी २५० मिग्रा की एक गोली + सितोपलादि चूर्ण एक ग्राम ; इन सबको मिला कर कुल मात्रा की तीन बराबर पुड़िया बनाएं व दिन में तीन बार शहद के साथ सेवन कराएं, दवा को इसी अनुपात में बना कर रख लें व नियमित रूप से न्यूनतम छह माह सेवन कराएं यदि अधिक दिन भी सेवन कराया तो कोई नुकसान नहीं होगा। ये एकदम निरापद एवं हानिरहित उपचार हैं।

मंगलवार, मई 13, 2008

मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में बहुत तेज दर्द रहता है।


डाक्टर साहब, नमस्ते
मेरी मम्मी बहुत परेशान हैं। मेरी मम्मी के हाथों पैरों की सभी हड्डियों की गाठों में बहुत तेज दर्द रहता है। हाथ व पैरों की उंगलियां भी टेढ़ी हो गयी हैं। जिसके कारण उठने बैठने में बहुत परेशानी होती है । हमने बहुत इलाज करा लिया है लेकिन कहीं से भी कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। कोई डाक्टर कहते हैं कि गांठों में यूरिया जमा है और कोई डाक्टर कहते हैं कि गठिया बाय हैं। मेरी मम्मी पिछले पंद्रह साल से परेशान हैं उन्हें अंग्रेजी दवा बिलकुल सूट नहीं करती हैं । अतः आपसे निवेदन है कि आप मेरी मम्मी को आयुर्वेद की अच्छी भले ही मंहगी हो कोई दवा देने की कृपा करें। जिससे मेरी मम्मी को इस बीमारी से आपके द्वारा जीवनदान मिल सके। आपके इस अहसान से हम सदा आपके ऋणी रहेंगे। आपसे आशा है कि आप इस परेशानी में मेरा साथ जरूर देंगे। अपना फोन नं. बताने की कृपा करें। आपका सदा आभारी रहूंगा।
सतीश कुमार,नोएडा
सतीश जी माताजी के प्रति आपका गहरा प्रेम आजकल के समय में बच्चों में जरा कम ही देखने में आता है। आपकी माताजी की बीमारी पर बहुत सारे चिकित्सक तमाम दवाओं के प्रैक्टिकल कर चुके हैं और रोग जीर्ण हो चुका है किन्तु निराशा की बात नहीं है। आपको धैर्य रखना होगा। जिस प्रकार गंदे कपड़े पर रंग नहीं चढ़ता उसी तरह से बिना शरीर का शोधन करे उत्तम से उत्तम दवा भी अपना असर नहीं दिखा पाती है। आयुर्वेद की भाषा में आपकी माताजी को हुई बीमारी "आमवात" कहलाती है। सर्वप्रथम आपकी माताजी के शरीर का विधिवत शोधन किया जाए तब जाकर ऐसी स्थिति बनेगी कि उन्हें दवाएं असर करेंगी। इस लिये इस क्रम में उन्हें निम्न उपचार दें----
१ . निशोथ + सेंधा नमक + सोंठ बराबर मात्रा में मिला कर एक माशा चूर्ण कांजी(एक खट्टा सा पेय) के साथ दिन में दो बार दें, खाली पेट न दें। इससे उन्हें दस्त होंगे और देह में संचित विषपदार्थ मल के द्वारा निकल जाएंगे। दस्तों से घबराने की आवश्यकता नहीं है किन्तु यदि अधिक हों तो मात्रा कम कर दें।
इस चूर्ण को एक सप्ताह तक लेकर बंद कर दें इसके बाद नीचे लिखी दवा का तीन दिन बाद सेवन कराएं।
२ . एरण्ड तेल दो चम्मच + रास्नासप्तक क्वाथ दो चम्मच मिला कर दिन में दो बार दें । इसे भी खाली पेट न दें और एक सप्ताह तक देने के बाद बंद कर दें जैसे कि ऊपर की दवा बंद करी हैं।
३ . सोंठ १ तोला + गोखरू १ तोला मिला कर ३२ तोला जल में पकाएं और आठ तोला जल यानि कि एक-चौथाई रह जाने के बाद छान कर प्रतिदिन दो बार चार-चार तोला करके पिलाएं । ये रोज ताजा बनाएं। नाश्ते के बाद ही दें यानि खाली पेट दवा नहीं देना है।
४ . चित्रकादि बटी एक-एक गोली दिन में तीन बार गर्म जल से दें।
५ . वातारि गुग्गुलु एक गोली + आमवातारि रस दो गोली + महायोगराज गुग्गुलु दो गोली + वातगजांकुश रस एक गोली को रास्नादि क्वाथ के दो चम्मच के साथ दिन में तीन बार दें।
६ . समीर गज केशरी रस एक गोली + अश्वगंधादि गुग्गुलु दो गोली दिन में तीन बार अदरख के रस तथा शहद को मिला कर निगलवाएं।
७ . विषगर्भ तेल से मालिश करवाएं और फिर ऊपर से कपड़ा लपेट दें ताकि हवा न लग पाए।
माताजी को गर्म जल, बाजरा, मूंग, जौ, करेला, परवल, तोरई, लहसुन,प्याज, हींग, सोंठ, गोमूत्र, मूली, एरण्ड का तेल, दूध का सेवन कराएं। गुड़ , अधिक जागना, बासी व गरिष्ठ भोजन, मांस, मछली,मल-मूत्र के वेग को रोकना, उड़द का सेवन न करें। दवाओं का सेवन कम से कम छह मास से साल भर तक कराएं जल्दबाजी न करें।
मेरा फोन नं. है 09224496555

सोमवार, मई 12, 2008

बच्चा बिस्तर में पेशाब कर लेता है...

डा.साहब नमस्ते
मेरे बच्चे की उम्र छह साल है। वो पूरी तरह से स्वस्थ है किन्तु समस्या ये है कि वह सोने पर बिस्तर में पेशाब कर लेता है, जबकि उसे रात को सोने से पहले पेशाब करवा कर सुलाती हूं। कई चिकित्सकों ने दवाएं दी है किन्तु बाद में वे ये ही कह कर दिलासा दे देते हैं कि बड़े होने पर ये समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। क्या वाकई कोई उपचार नहीं है और मुझे उसके कितने बड़े होने तक इंतजार करना होगा? यदि आयुर्वेद में कोई तरीका हो तो बताइये।
रचना भागवत,झांसी
रचना बहन,आपके बच्चे की समस्या कोई नयी समस्या नहीं है अक्सर बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं। इसे आयुर्वेद में कौमारचर्या के अंतर्गत एक रोग "शैय्यामूत्र" स्वीकारा गया है। ये सत्य है कि उम्र बढ़ने पर ये समस्या खत्म हो जाती है किन्तु कभी-कभी ये बच्चों में पंद्रह वर्ष तक देखा गया है। इसलिये आप प्रतीक्षा किये बिना धैर्यपूर्वक निम्न दवा को बना कर उसे सेवन कराएं और चमत्कार देखिये कि कैसे शीघ्र ही आपका बच्चा इस परेशानी से निकल आता है --
गूलर के पेड़ की भीतरी छाल ५० ग्राम + पीपल की छाल ५० ग्राम + अर्जुन की छाल ५० ग्राम + सोंठ ५० ग्राम + राई(मोहरी या काली सरसों) २५ ग्राम + काले तिल १०० ग्राम ; इन सबको मिला कर भली प्रकार से महीन कर लें। यदि संभव हो तो इसमें शिलाजीत ५० ग्राम मिला कर दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें। इससे बच्चे को दवा लेने में आसानी होगी साथ ही आपका बच्चा एकदम स्वस्थ और पुष्ट बना रहेगा।

रविवार, मई 11, 2008

गर्भाशय भ्रंश(Prolepse of Uterus)बताया गया है, मैं सर्जरी नहीं चाहती...

डा.साहब नमस्ते
मुझे टैस्ट करने के बाद गर्भाशय भ्रंश यानि Prolepse of Uterus बताया गया है और कहा गया है कि इस बीमारी का सर्जरी के अलावा कोई उपचार नहीं है। मुझे सर्जरी कराने में डर लग रहा है और साथ ही ये बहुत मंहगा उपचार है। इसलिये आपसे निवेदन है कि आयुर्वेद का कोई उपाय बताएं ताकि सर्जरी न करानी पड़े और मैं सहज ही गर्भ धारण कर सकूं। बड़ी मेहरबानी होगी मैं जो धन सर्जरी में खर्च होने जा रहा है उसका आधा तो खुशी से दे सकती हूं।
प्रार्थना मेहता,झालावाड़
प्रार्थना बहन, आप बिलकुल चिंतामुक्त हो जाइए आपको सर्जरी कराने की आवश्यकता हरगिज़ न्हीं होगी बस मुझे थोड़ा सा समय उपचार के लिये दे दीजिये; रही बात कि आप मुझे धन देना चाहती हैं तो स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये सेवाकार्य है मैं किसी प्रकार का शुल्क नहीं स्वीकारता, हां यदि आप मां बनने के बाद अपने बच्चे के नाम से मेरे इस सेवा अभियान को जारी रखने के लिये कुछ दान करना चहें तो उसे सहर्ष स्वीकार सकता हूं,अग्रिम धन्यवाद। अब आपके लिये जो औषधि लिख रहा हूं उसके सारे घटक आपको आयुर्वेदिक दवाओं का कच्चा माल बेंचने वाले पंसारियों के पास से आराम से प्राप्त हो जाएगा----
१ . माजूफल + मुलायम सुपारी + बड़ी इलायची + कचूर + धाय के फूल + तज + छोटी हरड़ + फिटकरी + गुलाब के फूल + सुपारी का फूल + बड़ी हरड़ का बक्कल + गुड़मार ; इन सभी बारह वस्तुओं को पचास-पचास ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। एक साफ धोए हुए पतले मलमल के कपड़े में इस मिश्रित चूर्ण की २५ ग्राम मात्रा लेकर पतले डोरे से बांध कर योनि में स्थापित करें तथा तीन घन्टे बाद निकाल लें। इस प्रकार आप तीन माह तक करें और पति संसर्ग से परहेज करें। यकीन मानिये कि आपकी समस्या कहां गायब हो गयी ये चिकित्सकों को भी आश्चर्य लगेगा।
२ . सुपारी पाक एक-एक चम्मच सुबह शाम सेवन करें।
३ . अशोकारिष्ट दो-दो चम्मच दिन में तीन बार बराबर जल मिला कर लिया करें।
तैलीय,मिर्च-मसालेदार आहार से बचें। कोई वजन उठाने का कार्य भी न किया करें। प्राणायाम करना चाहें तो किसी योग्य आचार्य से सीख कर ही करें।

शनिवार, मई 10, 2008

कब्ज़ियत,बवासीर और गॉल ब्लैडर में १४ मिमी. पथरी है

सर,मैं एक कम्प्यूटर आपरेटर हूं, मुझे कब्ज़ियत रहा करती है साथ ही मुझे बवासीर की भी समस्या है। मुझे गॉल ब्लैडर में १४ मिमी. पथरी है। कोई उपाय बताएं।
अमित कुमार
अमित जी,आपने ये नहीं बताया कि आपको बवासीर में रक्त आता है या नहीं मस्से बाहर हैं अथवा नहीं किन्तु मैं आपको ऐसा उपचार बताता हूं जो कि हर परिस्थिति में कारगर रहेगा। आप पहले दो दिन आधा-आधा दिन का उपवास रखें यानि कि बस रात्रि में भोजन करें व दोपहर में फलों का रस अथवा नींबू पानी पीकर रहें। दो दिन बाद आप निम्न उपचार लेना प्रारम्भ करें..
१ . गंधर्व हरीतकी एक चम्मच गुनगुने पानी में घोल कर रात्रि भोजन के आधे घंटे बाद लें। इस दवा को यदि आज लिया है तो बीच में एक दिन छ्ड़ दें व अगले दिन लें यानि कि एक दिन का अवकाश देकर दवा पंद्रह दिन तक लें।
२ . नीम का तेल १०० मिली. ले लीजिये व उसमें २० ग्राम कपूर(जो हिन्दू लोग पूजा आदि में प्रयोग करते हैं) तथा १० ग्राम पिपरमिन्ट(जिसे पान में ठन्डक के लिये बहुत थोडी सी मात्रा में डाला जाता है); इस मिश्रण को एक कांच की शीशी में भर कर टाइट ढक्कन लगा कर धूप में एक दिन के लिये रख दीजिये और फिर इस दवा के दो बराबर भाग कर अलग-अलग शीशियों में भर लीजिये एक भाग को मलहम की तरह लगाने के लिये प्रयोग कीजिये और दूसरे भाग में से एक-एक बूंद दवा दिन में तीन बार एक चम्मच शक्कर में मिला कर खा लीजिये और ऊपर से पानी पी लीजिये।
३ . गोक्षुरादि गुग्गुलु २ गोली + लघु सूतशेखर रस २ गोली सुबह शाम जल के साथ एक माह तक सेवन करिये।
आपकी तीनो समस्याएं- कब्जियत, बवासीर और गॉल ब्लैडर स्टोन सब समाप्त हो जाएंगे। खाने में ध्यान रखिये कि पत्तेदार साग सेवन न करें साथ ही मिर्च-मसालेदार तैलीय भोजन से परहेज करें। जल अधिक पिया करें।

My husbend’s penis-foreskin not move a bit back and he is diabetic.......

Dear Dr., namaste, My husbend is suffering from yeast problem. he is diabetic and sugar variate between 200 to 300. his penis forsikn not move a bit back and when he intercourse then forskin get many cuts. he feel too much itching on is penis and when he itch it then some thick white paste came out from under forskin i think its yeast. pls help me and tell me what is this diseases and what medicine he should take pls tell as early as possible.
thanks.
trisha_ash2001@yahoo.com
Dear sister Trisha, I think the term you are using "yeast" is for 'SMIGMA' .First of all he is a diabetic, it must be undercontrol and the next problem is foreskin of his organ is not moving back during intercourse; this is called "निरुद्ध प्रकश" in ayurved and a minor surgery like circumcision will solve this problem. This is not a big problem, please give him following medicines ----
1 . Aarogyavardhini bati (आरोग्यवर्धिनी बटी) three times a day after meals with luke warm water.
2 . Taalsindoor(ताल सिन्दूर) 5 graam + Gandhak rasaayan(गंधक रसायन) 15 graam + ras maanikya(रस माणिक्य) 10 gram ; make 60 equal doses of this mixture and give him with 2 tea spoonful of equal mixture of Saarivaadyaarishta + Mahamanjishthaadi kadha, two times a day after meals.
3. Basant kusumaakar ras one tab two times a day with water.
4 . Tribang bhasma 20 gram + powder of GUDMAAR LEAF 60 gram + powder of dried NEEM LEAF 60 gram + dried Shilajit 120 gram ; pond this mixture properly and make tabs of appx.500 Mg. take two tabs four times a day with two tea spoonful Aloe-Aamla juice.
These medicines must be taken at least for two months, avoid non-veg, oily and spicy foods.

शुक्रवार, मई 09, 2008

दांयी किडनी में ४-५ मिमी. की पथरी है

डॉक्टर साहब,मेरी दांयी किडनी में ४X५ मिमी. की पथरी है जिसके कारण बहुत दर्द होता रह्ता है दर्द कभी तेज और कही धीमा रहता है किन्तु बंद नहीं होता। कोई आयुर्वेदिक उपचार बताइये।
सतीश कुमार जी
सतीश भाई,पहले तो माफ़ी चाहता हूं कि आपको भाषा की समस्या में उलझा दिया लेकिन मेरी भी मजबूरी आप समझ सकते हैं कि मेरे पास समय का सर्वथा अभाव रहता है काम इतना अधिक हो जाता है। अब आपकी दवा आपको बताता हूं
१ . कलमी शोरा(ये आपको पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाने वाली चीज है जो देखने में दानेदार बारीक नमक जैसी दिखती है और स्वाद में नमकीन और ठंडी सी महसूस होती है)आधा- आधा ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेकर पुनर्नवादि कषाय के दो चम्मच के साथ ले लीजिये।
२ . यदि कलमी शोरा न मिले तो हजरुल यहूद भस्म को इसी तरह से सेवन करें, ये आपको आयुर्वेदिक दवा विक्रेता के पास से मिल जाएगी।
३ . एक वनस्पति जिसे लोग अजूबा,पानफुटी,पत्थर फोड़ी,दर्दमार या पर्णबीज नाम से जानते हैं अगर मिल जाती है तो उसके दो पत्ते पानी में उबाल कर सुबह शाम पीजिये आपकी पथरी कब घुल कर निकल गयी आपको पता ही नहीं चलेगा। इस पौधे के पत्तों में से किनारे से छोटे-छोटे नये पौधे निकल आते हैं इसे बगीचों में शोभा के लिये लगाया जाता है।
वैसे तो पहली दवा ही जादू कर देती है। मांस, मछली, अंडा, मिर्च-मसालेदार आहार से परहेज रखें, पानी ज्यादा पियें और हल्का भोजन किया करें,समय हो तो सुबह-शाम घूमा टहला करें। शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगें।

गुरुवार, मई 08, 2008

मेरा गुप्तांग बाहर निकल आता है........


डॉक्टर साहब, मैं बहुत दिनो तक इस समस्या को सहन करती रही कि मैं तो एक अकेली स्त्री हूं और पति का स्वर्गवास हुए चार वर्ष बीत चुके हैं और बच्चे बड़े हैं मेरी उम्र तैंतालीस साल है। मेरा गुप्तांग बाहर निकल आता है, गायनेकोलाजिस्ट को दिखाने पर उसने बताया कि ये एक प्रकार का योनि का पक्षाघात है। एलोपैथी में इसका कोई उपचार है भी नहीं और साथ ही मैं भी ये सोचती रही कि मुझे अब क्यों इस विषय में सोच कर परेशान होना चाहिये किन्तु अंग बाहर निकल आने से बड़ी तकलीफ़ होती है। कोई उपाय बताइये जो ज्यादा मंहगा न हो।
जयंती सलुजा,आगरा
जयंती बहन, आप परेशान न हों, सत्य है कि एलोपैथी में इस समस्या का कोई उपचार नहीं है। मैं आपकी समस्या को भली प्रकार समझ रहा हूं ये वाकई में एक प्रकार का पक्षाघात ही है। आपको एकदम सस्ता उपचार बता रहा हूं लेकिन मूल्य में सस्ता होने के बावजूद ये योग सोने से तौला जाने वाला है।
१ . काले तिल २० ग्राम + शोधित गंधक ४० ग्राम दोनो को बारीक पीस कर मिला लें और आवश्यकतानुसार शहद मिला कर चटनी जैसा अवलेह बना लें तथा एक-एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार सेवन करें(नाश्ते और रात्रि को भोजन के बाद) ।
२ . भूनी हुई फिटकरी ६० ग्राम + माजुफल १२० ग्राम + पोस्तडोडा १० ग्राम(यदि मिल सके तो इसके स्थान पर दो ग्राम अफीम ले सकते हैं किन्तु ये कई स्थानो पर कानूनी अड़चन दे सकता है इसलिये न लेना ही बेहतर रहेगा) । मजबूत हाथों से इस मिश्रण को एकदम बारीक पीस लें। मासिक धर्म होने के बाद उक्त चूर्ण की दो ग्राम की मात्रा को एक मलमल के साफ कपड़े में पोटली बना कर नित्य स्नान करने के बाद योनि में एक सप्ताह तक रोज रखा करें तथा संध्या को पोटली निकाल दिया करें फिर एक सप्ताह के लिये इस उपचार को रोक कर पुनः इसी प्रकार करें यानि कि एक सप्ताह तक उपचार लें व एक सप्ताह बंद रखें इसी प्रकार तीन माह त्क जारी रखें। आप विश्वास रखिये कि आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी और जीवन भर फिर कभी न होगी।
३ . कब्जियत न रहे इस लिये त्रिफला चूर्ण सेवन कर लिया करें जरूरत होने पर।

मंगलवार, मई 06, 2008

पक्षाघात(पैरालिसिस) के तीन अलग-अलग केस.....

आदरणीय डॉक्टर साहब,मेरे पापा को पक्षाघात(पैरालिसिस) हो गया था ,एक सप्ताह अस्पताल में रहने के बाद अब वे घर आ गये हैं। तमाम दवाएं दे दी गयी हैं पर पापा की जिद है कि वे बस आयुर्वेद की दवा ही खाना चाहते हैं और उन्हें यकीन है कि उससे वे पूर्णतया स्वस्थ हो जाएंगे। अस्पताल में बताया गया कि पापा को ये समस्या हाई ब्लड प्रेशर के कारण हुई थी। मेहरबानी करके कोई सटीक दवा बताएं।
रजनी तिवारी,जयपुर
रजनी बहन,आपके पापा के संबंध में आपने जो जानकारी भेजी है वह अत्यंत संक्षिप्त है फिर भी जो औषधियां चल रही हैं यदि उनसे पर्याप्त लाभ दिखायी दे रहा है तो बस उन दवाओं के सेवन के बाद एक घंटे के अंतर पर वृहत वात चिंतामणि रस एक-एक रत्ती(१२५ मिग्रा.) दिन में दो बार शहद के साथ कम से कम पंद्रह दिन तक लगातार दीजिये, चमत्कारिक लाभ दिखाई देगा।
इसी तरह की समस्या भेजी है संगमनेर से निर्मल ने जो कहते हैं कि उनकॆ पिता जी को पक्षाघात(पैरालिसिस) हो गया एक माह पहले हुआ था किन्तु उसका कारण लो ब्लड प्रेशर बताया गया था तो क्या यही दवा देना उचित होगा या फिर कोई अलग उपचार देना होगा। पिताजी को अब एलोपैथी की कोई दवा नहीं दी जा रही है।
निर्मल, संगमनेर
निर्मल जी, आप अपने पिताजी को ऊपर बताई दवा न देकर वातकुलान्तक रस एक-एक रत्ती(१२५ मिग्रा.) को दिन में दो बार शहद के साथ कम से कम एक माह तक लगातार दीजिये, स्थायी लाभ दिखाई होगा।
अजय चंदेल,आगरा से लिखते हैं कि इनके मामा जी को भी हाई ब्लड प्रेशर के कारण पक्षाघात(पैरालिसिस) हो गया ,बीस दिन हुए लेकिन उन्हें मधुमेह(डायबिटीज) भी है तो क्या दवा में फेर बदल करना होगा या यही दवा दूं?
अजय जी,आप ऊपर बताई गयी दवा के साथ में दिन में दो बार साथ में त्रिबंग भस्म एक-एक रत्ती(१२५ मिग्रा.) दिन में दो दीजिये बाकी जो पथ्य मधुमेही को कराए जाते हैं वे जारी रखें। औषधियां कम से कम तीन माह तक लगातार दीजिये, स्थायी लाभ दिखाई होगा।


सोमवार, मई 05, 2008

ब्लड प्रेशर लो हो जाने की समस्या है....

आदरणीय डॉक्टर साहब, मेरी भाभी जी को हमेशा ब्लड प्रेशर लो हो जाने की समस्या है। इस कारण उन्हें बहुत दुर्बलता महसूस होती है। अक्सर चक्कर आते रहते हैं। मैंने देखा है कि उनका बी.पी. कम होकर ९०/६० से भी नीचे चला जाता है,क्या यह घातक हो सकता है? कोई स्थायी उपचार बताइये।
समीना पठान,अजमेर
समीना बहन, आपने जो विवरण दिया है उसके आधार पर मैं बताना चाहता हूं कि आप अपनी भाभी जी को चिंता मुक्त रखें और घर का माहौल खुशनुमा बनाए रखने का यत्न किया करें। पुष्टिकारक आहार लेने की सलाह दीजिये कि खाने-पीने पर विशेष ध्यान दें। रही बात घातक होने की तो बस इतना ही कहना सही सलाह रहेगी कि हां ये अत्यंत घातक हो सकता है इसलिये लापरवाही तो हरगिज़ न करें। ये औषधियां नियम पूर्वक दें----
१ . नवजीवन रस एक -एक गोली सुबह शाम दुग्ध के साथ दें।
२ . प्रभाकर वटी एक -एक गोली सुबह शाम शहद के साथ दें।
३ . मुक्ता पंचामृत दो-दो रत्ती की मात्रा दिन में दो बार शहद के साथ दें।
आहार-विहार की ओर उचित ध्यान दें,सुपाच्य,पौष्टिक भोजन दें, नमक का पर्याप्त प्रयोग करें,छुहारा, किशमिश, बादाम को दूध में उबाल कर दिया करें। यदि कोई मानसिक परेशानी हो तो उसे दूर करने का प्रयास करें। इस प्रकार चालीस दिन तक उपचार लें तो स्थायी लाभ मिलेगा।

SPUR के कारण पैर की एड़ी न कटवाएं....

आदरणीय डॉक्टर साहब, मेरे पैर की एड़ी में चुभता हुआ सा इतना तेज दर्द होता है कि पैर जमीन में रखना मुश्किल है। पैर यदि जमीन पर टिका दिया तो अत्यंत वेदना होने लगती है। अपने शहर के डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बताया कि मेरे रोग को अंग्रेजी में SPUR कहते हैं इसमें मेरी एड़ी की हड्डी की नोक बढ़ गई है जिसे वे काट कर निकाल देंगे। दूसरे डॉक्टर ने कहा कि वे उस जगह पर एक टीका लगा देंगे जिससे वेदना शांत होगी उस टीके का नाम है CARTISONE , मुझे तो एड़ी में टीका लगवाने या सर्जरी के नाम से ही भय लग रहा है। मेरे एक मित्र ने बताया कि जितनी पीड़ा रोग से हो रही है उससे ज्यादा दर्द तो टीके के कारण होती है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या करूं मेहरबानी करके कोई आयुर्वेदिक उपाय बताएं।
जयेन्द्र शुक्ल,मथुरा
जयेन्द्र जी, आपकी तकलीफ मैं समझ रहा हूं। एलोपैथी की मजबूरी है कि वो वही बता सकती है जो कि उसकी सीमा के अंदर आता है। आपको न तो एड़ी में टीका लगवाने की जरूरत है और न ही आपरेशन करवा के एड़ी कटवाने की आवश्यकता है। आप निम्न दवाएं नियम से दो माह तक लीजिये--
१ . सिहनाद गुग्गुल दो-दो गोली महारास्नादि क्वाथ के दो ढक्कन के साथ दिन में दो बार सुबह शाम लीजिये (दवा खाली पेट न लें और जो विशेष ध्यान देने वाली बात है वो ये कि सिंहनाद गुग्गुलु खरीदते समय उसकी पैकिंग के ऊपर देख लें वहां ग्रन्थाधिकार लिखा रहता है और आपको भैषज्य रत्नावली के आधार पर बनी औषधि लेना है यह संक्षिप्त में भै.र. लिखा रहता है)।
२ . रात्रि को भोजन के बाद एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल से लीजिये ताकि कब्जियत न रहे।
बाजारू साफ़्टड्रिंक्स का सेवन न करें, वात करने वाला आहार न लें।

रविवार, मई 04, 2008

गैस बनती रहती है दिनभर डकारें मारता रहता हूं........

डॉक्टर साहब,नमस्ते; मैं एक दुकानदार हूं और मेरी कपड़े की दुकान है। मेरी उम्र बावन साल है। सुबह साढ़े सात बजे सो कर उठता हूं। नित्यकर्म से फारिग होने के बाद पूजा पाठ करता हूं और नाश्ता करके दुकान पर नौ बजे तक आ जाता हूं फिर रात को नौ बजे दुकान बंद होने पर ही घर वापस आना हो पाता है। दोपहर का भोजन बच्चा घर से लेकर आ जाता है दिन भर दुकान पर बैठे-बैठे मेरे पाचन का सत्यानाश हो गया है। दोपहर में खाने का मन नहीं होता क्योंकि सुबह का नाश्ता ही पेट में हजम नहीं हो पाता है और चलना-फिरना बिलकुल होता ही नहीं है,दिन भर पेट में गुड़गुड़ाहट होती रहती है गैस बनती रहती है जिससे डकारें मारता रहता हूं। लगता है कि कहीं कोई बड़ी बीमारी न पकड़ ले किन्तु मेरी लाचारी है कि मैं अपना व्यवसाय बदल नहीं सकता और इस तरह दिन भर बैठने के कारण जो तकलीफ़ हो रही है उसे भुगतना मजबूरी बन गयी है। क्या आयुर्वेद में मेरी दिनचर्या की मजबूरी समझ कर आप पेट के लिये कोई दवा बता सकते हैं मैं घर पर अपनी पत्नी से बनवा लूंगा या बाजार से खरीद लूंगा। धन्यवाद
चोंथमल साजनानी,रींवा(म.प्र.)
साजनानी साहब आपकी मजबूरी मैं भली प्रकार से समझ रहा हूं। अगर मैं आपको कुछ ऐसी सलाह दूं जो आप पालन ही न कर सकें तो उसका कोई उपयोग न होगा। आप अपने सोने और जागने के समय में एक घन्टे का बदलाव करिये। रात में अधिक से अधिक साढ़े दस बजे तक सो जाइए और रात्रि भोजन के बाद कम से कम पंद्रह मिनट तक थोड़ा टहलिए फिर सोने जाइए और सुबह साढ़े सात के स्थान पर सात बजे उठिए और सुबह भी नित्य कर्म से फारिग होने के बाद थोड़ा हल्का सा व्यायाम करिये क्योंकि आपकी दिनचर्या में शारीरिक श्रम का स्थान ही नहीं है। निम्न औषधि का सेवन नियमित रूप से करिये कुछ दिनो में आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी किन्तु दवा को कम से कम एक मास तक खाएं----
योग : -- सेंधा नमक १५० ग्राम + अकरकरा २५ ग्राम + सोंठ २५ ग्राम + छोटी पीपर २५ ग्राम + काली मिर्च २५ ग्राम + सफेद जीरा २५ ग्राम + शोधित गंधक २५ ग्राम + काला जीरा २५ ग्राम + शुद्ध हींग ढाई ग्राम + रस सिन्दूर छह ग्राम + नींबू का सत्व(टाटरी) सौ ग्राम; इन सब पदार्थों को लेकर मजबूत हाथों से घुटाई करा के मिश्रित कर लें। इस में से दो चुटकी भर मात्रा दिन में चार बार सेवन करें और पानी दस मिनट बाद ही पिएं। आपकी गैस की समस्या समाप्त होने के साथ ही आप स्फूर्ति भी महसूस किया करेंगें ।

शुक्रवार, मई 02, 2008

बाईपास सर्जरी न करवानी पड़े,75% ब्लाकेज है.....

डॉक्टर साहब,पंद्रह दिन पहले मेरे पति के सीने में अचानक बहुत तेज दर्द हुआ जो कि छाती के बाएं बाजू से गर्दन के बाएं हिस्से तथा बाएं कंधे की ओर सरकता सा महसूस हो रहा था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, बेहद घबराहट हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया हो। मैंने निकट के डॉक्टर को बुलाया तो वे तत्काल ही अपनी कार से ही अस्पताल ले गये। आज ही मेरे पति अस्पताल से घर वापिस आए हैं। बताया गया कि उनकी दिल की नसों में 75% ब्लाकेज होने के कारण ये दर्द हुआ था इसे "एंजाइना पेक्टोरिस" कहते हैं। जल्द ही बाईपास सर्जरी के लिये बोला गया है। हम लोग बहुत डरे हुये हैं। मेहरबानी करके कुछ ऐसा आयुर्वेदिक इलाज हो तो बताइये कि हमें बाईपास सर्जरी न करवानी पड़े और ये ब्लाकेज बस दवाएं खाने से ही खुल जाएं।
सोनालिका सिंह,मथुरा
सोनालिका बहन, आप बिलकुल बेफिक्र हो जाइये क्योंकि आयुर्वेद में आपके पति की समस्या का कारगर हल मौजूद है। उन्हें बाईपास सर्जरी जैसा मंहगा और जोखिम भरा उपाय करने की आवश्यकता नहीं है। मैंने आपके द्वारा भेजी एंजियोग्राफी की रिपोर्ट देख ली है। अब ध्यान दें कि वे अनावश्यक चिन्ता न करें,उन्हें उपवास आदि करने से रोक दें, मांसाहार न करें(अंडे भी नहीं), शराब सेवन और धूम्रपान करते हों तो तत्काल ही बन्द करें, आहार-विहार का समय सुनिश्चित करें, न्यूनतम परिश्रम करें, एकदम हल्का व्यायाम करें, नमक और शक्कर का प्रयोग बन्द कर देना ही हितकर है, दही तथा लहसुन का भरपूर सेवन करें, रात्रि को तांबे के लोटे में पानी भर कर रख दें व सुबह निहारे मुंह उठते ही उस पानी को पी लें ताकि कब्ज न रहे, सुबह नाश्ते में अंकुरित चने व किशमिश मिला कर खूब चबा कर खाएं, तैलीय भोजन न करें ये बेहद नुकसानदेह सिद्ध होगा। निम्न दवाओं को नियम पूर्वक सेवन कराएं और देखिये कि आयुर्वेद क्या चमत्कार करता है ७५% क्या अगर ८०% भी ब्लाकेज हो तो कैसे बिना आपरेशन के ठीक करता है.......
१ . अर्जुन की छाल का जवकुट यानि मोटा-मोटा चूर्ण ३ ग्राम व २५ ग्राम मिश्री लेकर २५० ग्राम दूध में उबालें और इसी दूध का प्रतिदिन प्रातः व सांयकाल सेवन करें।
२ . अर्जुनारिष्ट + अश्वगंधारिष्ट दोनो को मिला कर दो चम्मच बराबर जल मिला कर दिन में दो बार भोजन के बाद लें।
३ . अकीक पिष्टी १०० मिग्रा. + मुक्तापिष्टी १२५ मिग्रा. + जहरमोहरा पिष्टी २०० मिग्रा + अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण २५० मिग्रा. + प्रभाकर बटी २५० मिग्रा की एक गोली + सितोपलादि चूर्ण एक ग्राम ; इन सबको मिला कर कुल मात्रा की तीन बराबर पुड़िया बनाएं व दिन में तीन बार शहद के साथ सेवन कराएं, दवा को इसी अनुपात में बना कर रख लें व नियमित रूप से न्यूनतम तीन माह सेवन कराएं यदि अधिक दिन भी सेवन कराया तो कोई नुकसान नहीं होगा। ये एकदम निरापद एवं हानिरहित उपचार हैं।