बुधवार, अप्रैल 30, 2008

मैं एक एलोपैथिक प्रेक्टिशनर हूं.......

डॉ.रूपेश जी, नमस्कार; मैं पिछले कुछ दिनों से आयुषवेद लगातार देख रहा हूं। ये एक बहुत सराहनीय प्रयोग है। मैंने आयुर्वेद की एक सम्मानित मासिक पत्रिका में आपका एक अत्यंत ही मौलिकता से परिपूर्ण शोधपत्र "एड्स में ज्वर की लाक्षणिकता पर अनुभव" पढ़ा। मैं एक एलोपैथिक प्रेक्टिशनर हूं। मुझे आपके आयुर्वेद के ज्ञान से एक बात जाननी है जो कि हर एलोपैथी के चिकित्सक के लिये समस्या होती है लेकिन शायद ये उनकी मजबूरी रहती है कि वे आपसे सलाह नहीं ले सकते क्योंकि भारत में अभी भी एलोपैथी को बाकी दूसरी चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबले में श्रेष्ठ समझा जाता है। मैंने पाया है कि अल्सर से लेकर तपेदिक(टी.बी.) तक में और एड्स से लेकर ब्लड कैंसर तक या अन्यान्य रोगों में ज्वर यानि बुखार(fever) एक गम्भीर लक्षण के तौर पर रहता है और एलोपैथी में इसे नियंत्रित करने के लिये हम जो दवाएं देते हैं उनके पर्याप्त दुष्प्रभाव होते हैं ये बात मैं और आप भली प्रकार जानते हैं इस लिये मेहरबानी करके मुझे ज्वर नियंत्रित करने के लिये कोई आयुर्वेद का रामबाण उपाय बताइये।
"एक चिकित्सक" नाम व पता निवेदन पर गुप्त रखा गया है....
आत्मन बंधुवर, सर्वप्रथम तो आयुर्वेद में आस्था दर्शाने के लिये मैं आपको समस्त आयुर्वेद अनुरागियों की तरफ से साधुवाद देता हूं। आपने सही कहा है कि ज्वर एक महाघोर लक्षण रहता है किसी भी रोग के दौरान और यदि ये नियंत्रित न रहे तो मरीज धीरे-धीरे उपचार के दौरान ही मौत के मुंह में चला चाता है। यदि आपकी तरह सब लोग निःसंकोच ऐसे ही आयुर्वेद को स्वीकारने लगें तो इस विश्व का उद्धार हो जाए और साथ ही साथ पर्यावरण आदि की समस्यों का स्वतः ही समाधान हो जाएगा। लीजिये आपके निवेदन पर आयुर्वेद के महासागर के मोती बिना मूल्य पर प्रस्तुत हैं आशा है कि आप सब इस जानकारी से लाभान्वित होंगे---
१ . सुदर्शन चूर्ण एक माशा + गोदन्ती भस्म चार रत्ती + सितोपलादि चूर्ण एक माशा + प्रवाल पिष्टी दो रत्ती का मिश्रण बना लें व इस मिश्रण की खुराक दिन में तीन बार शहद के साथ दें ।
२ . जयमंगल रस एक गोली + सुवर्णबसन्तमालती रस एक गोली दिन में तीन बार शहद के साथ दें ।(इन रसौषधियों को कुछ फार्मेसियां इंजेक्शन के रूप में भी बनाती हैं जिन्हें कि निर्भय होकर प्रयोग करा जा सकता है)
३ . अमृतारिष्ट दो चम्मच + अभयादि क्वाथ दो चम्मच के साथ संशमनी बटी एक-एक गोली दिन में दो बार दे सकते हैं।
वैसे आयुर्वेद में प्रत्येक औषधि यथाविधि निदान के बाद ही दी जाना उचित है किन्तु कई ऐसी दवाएं हैं जिन्हें कि आप लक्षणों के आधार पर सहज ही दे सकते हैं और लक्षणों का शमन होने पर आगे अपनी चिकित्सा क्रम को जारी रख सकते हैं।

आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस है.......

डॉक्टर साहब,मेरी उम्र ३० साल है। पिछले कुछ दिनों से पेट में समस्या है। चुभन जैसा दर्द होता रहता है ऐसा लगता है कि कोई ड्रिल मशीन चला रहा है शायद मैं बता नहीं पा रहा हूं पर cramping pain भी महसूस होता है, बार-बार लैट्रिन जाने का मन होता है किन्तु मल नहीं निकलता बल्कि वैसी अनुभूति ही होती है कि मल त्याग करने जाऊं,यदि थोड़ा मल होता भी है तो उसके साथ में बलगम की तरह से चिकना पदार्थ और रक्त मिला हुआ आता है,दिन भर में लगभग पांच बार तो लैट्रिन जाता ही हूं। मुझे एण्टीबायोटिक दवाएं लेने में डर लगता है क्योंकि उनसे मेरा पेट महीने भर तक गड़बड़ रहता है इसलिये कोई आयुर्वेदिक उपचार बताएं बहुत कष्ट है। फिलहाल तो एक पड़ोसी ने बताया है कि इस प्रकार की बीमारी में छाछ यानि कि मट्ठा फायदा करता है तो बस दिन में दो बार भोजन के बाद एक गिलास वही पी ले रहा हूं। मल एवं रक्त की रिपोर्ट भेज रहा हूं।
जीवन सिंह,अल्मोड़ा
सिंह साहब, हो सकता है कि आपके पड़ोसी ने आपको प्रेमवश यह उपचार सुझाया है किन्तु यह आपके लिये जानलेवा सिद्ध होगा इसलिये तत्काल इसे बंद कर दीजिये। आपकी रिपोर्ट्स देखी हैं आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस है जिसमें कि आपके लिये दही या मट्ठे जैसी चीज अत्यंत घातक होती है। आप अनार, सेब, लौकी, मूंग, मूंग की खिचड़ी, मुनक्का, खजूर, नारियल का पानी और बकरी का दूध लीजिये शेष भारी भोजन आपको नुक्सान करेगा। आप निम्न औषधियां नियम से लें--
१ . कामदुधा रस(मुक्ता युक्त) एक-एक गोली सुबह शाम वत्सकादि काढ़े के दो चम्मच के साथ लें जल से भी ले सकते हैं।
२ . प्रवाल पंचामृत रस की एक-एक गोली सुबह शाम जल से भी ले।
३ . कर्पूर रस की एक-एक गोली बकरी के दूध को उबाल कर ठंडा करके दें(ध्यान रखिये कि दूध बकरी का ही हो गाय अथवा भैंस का न लें प्रयास करने से बकरी का दूध मिल जाएगा )।
इन दवाओं को लगातार एक माह तक लें आराम तो चार दिन में ही हो जाएगा किन्तु सावधानी हेतु एक माह लें। इन दवाओं का कोई बुरा प्रभाव नहीं होगा आपके स्वास्थ्य पर।

मंगलवार, अप्रैल 29, 2008

मेरी पत्नी को छह माह का गर्भ है.......

डॉक्टर जी,मेरी पत्नी को छह माह का गर्भ है। सबकुछ सामान्य था किन्तु पिछले एक सप्ताह से मैंने देखा कि उसके पैरों में हल्की सी सूजन है और आंखें भी कुछ पीली से नजर आ रही हैं, आंखों के पीलेपन का पता तुरंत ही चल गया क्योंकि उसकी आंखे बाकी लोगों से अलग नीले रंग की हैं। उसने बताया कि मूत्र का रंग भी एकदम पीला आ रहा है। मैंने उसे कई बार मना करा परंतु फिर भी मेरी नजर बचा कर वह मुल्तानी मिट्टी खाया करती थी कहीं उसके कारण तो नुक्सान नहीं हो गया? मेरा बच्चा तो इससे प्रभावित नहीं होगा न?जांच में रक्त की कमी बताई गयी थी, कोई आयुर्वेदिक तरीका बताइये कि सब सामान्य हो जाए। आपको धन्यवाद।
चरवा ओरांव,छत्तीसगढ़
भाईसाहब,आप परेशान न हों आपके बच्चे को कोई परेशानी नहीं होगी, उसकी रक्षा तो भगवान करते हैं। आप बस अपनी पत्नी की तरफ ध्यान दीजिये। मिट्टी खाने से कई लोगों को पाण्डुरोग हो जाता है लेकिन अक्सर महिलाएं ऐसी अवस्था में मना करने के बाद भी मिट्टी खा ही लेती हैं। इस विषय को छोड़ कर हम आपकी पत्नी का उपचार लिखते हैं ध्यानपूर्वक दवाएं दीजिये ताकि वे जल्द ही स्वस्थ होकर स्वस्थ शिशु को जन्म दें....
१ . मण्डूर माक्षिक भस्म दो-दो रत्ती(२५० मिग्रा.) लेकर उसे शहद से सुबह-शाम चटाएं।
२ . ताप्यादि लौह एक-एक गोली(१२५ मिग्रा.) शहद से सुबह-शाम दीजिये।
३ . भोजन के बाद दोनो समय द्राक्षारिष्ट दो-दो चम्मच बराबर जल मिला कर पिलाइये।
यह उपचार कम से कम चालीस दिन तक दीजिये और अपनी पत्नी को समझाने का प्रयास करिये कि मिट्टी न खाएं इससे बच्चे की सेहत पर प्रभावित हो सकती है।

सोमवार, अप्रैल 28, 2008

दूध की मात्रा कम हो रही है बच्ची के लिये....



डॉक्टर साहब,मेरी बहन की उम्र २५ साल है और उसे एक सप्ताह पहले पुत्री पैदा हुई है, ये उनकी पहली संतान है। बहन जी दुबली-पतली हैं, कोई बीमारी नहीं है पूरी तरह से स्वस्थ हैं और प्रसव भी सामान्य रहा लेकिन अब उन्हे एक समस्या हो गयी है कि दूध कम आता है जो कि बच्ची के लिये पूरा नहीं हो रहा है जैसे-जैसे बच्ची बड़ी होगी उसे दूध की अधिक जरूरत होगी। मेहरबानी करके कोई ऐसा उपाय बताइये कि दूध की मात्रा बढ़ जाए।
शीतल शर्मा,गाजियाबाद
शीतल बहन,अनेक महिलाओं को प्रसव के समय ऐसा हो जाता है किन्तु आप परेशान न हों मैं जो नुस्खा आपकी दीदी के लिये बता रहा हूं वह गुरू परंपरा से कई सौ साल से इस्तेमाल किया जाता रहा है। इससे बड़ी बहन जी के दुग्ध की मात्रा तो बढ़ेगी ही और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा।
१ . कमल गट्टे की गिरी १०० ग्राम + असगंध चूर्ण १०० ग्राम + सफ़ेद जीरा १०० ग्राम + मुलहठी(जेष्ठमध) का चूर्ण १०० ग्राम + घी में भूना हुआ सिघाड़े का आटा १०० ग्राम + शतावर चूर्ण ४०० ग्राम ; इन सबको मिला कर कसकर घोंट लें ध्यान रहे कि जितना महीन घोंटा जाएगा उतना ही लाभप्रद है।
इस चूर्ण की ५ ग्राम मात्रा दिन में तीन बार दूध के साथ दें और दूध को इस तरह तैयार करें कि २५० ग्राम दूध में ४ पिण्डखजूर डाल कर उबालें और इसी उबले हुए दूध से ऊपर बताए चूर्ण का सेवन कराएं।
२ . रात्रि भोजन के बाद एक चम्मच त्रिफला चूर्ण हलके गुनगुने पानी से लें।
मात्र एक सप्ताह में बहन जी को बेटी के लिये पर्याप्त दूध आने लगेगा। इस चूर्ण का सेवन तीन माह तक अवश्य कराइये।

रविवार, अप्रैल 27, 2008

कृपया मेरी समस्याओ का निदान सुझाएं.....

डॉ. साहब मेरी आयु ३८ वर्ष है तथा मैं विवाहिता व दो बच्चो की माँ हूं। पिछले कुछ समय से मेरे बांये घुटने की दाहिनी तरफ की हड्डी में दर्द रहता है जो की पालथी मारकर बैठकर उठने के समय ज्यादा होता है चलते समय कड़क-कड़क की आवाज़ आती है मेरी माहवारी भी अनियमित ही गई है किसी किसी माह तो होती ही नही या बहुत ही कम होती है। मुझे सफेद पानी भी ज्यादा आता है व इस पानी के साथ गाढ़ा-गाढ़ा सा चिपचिपा सफेद पास जैसा पदार्थ निकलता है बाकि भूख-प्यास निद्रा पाखाना ठीक है। कृपया मेरी समस्याओ का निदान सुझाएं।
आपकी बहन सत्यवती
बहन जी,आपने जिस तरह के लक्षणों का वर्णन करा है उससे स्पष्ट होता है कि आप इन समस्याओं को काफी समय से झेल रही हैं। बिल्कुल निश्चिंत हो जाएं आपकी समस्या का हल लिख रहा हूं लेकिन ध्यान रहे कि आपके भीतर जो तमाम लक्षणों का एक समुच्चय बन गया है उसके उपचार के लिये आपको धैर्य रखना होगा तथा आप तत्काल ही तेल मसालेदार भोजन से परहेज़ रखना प्रारंभ कर दें, चाय व काफ़ी भी एकदम कम कर दें क्योंकि ये आपको नुकसान कर रहे हैं। बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स से सख्त परहेज करें, फ़्रिज का ठंडा पानी भी पीना आपके लिये हानिकारक हो सकता है। भोजन में हल्का यानि कि आसानी से हज़म होने वाला आहार लें, पुराना साठी का चावल, जौ, मूंग, परवल, लौकी, जीरा, धनिया, मिश्री तथा घी पथ्य है इन्हें भोजन में शामिल करके विविध व्यंजन बना कर सेवन करिये तो शीघ्र लाभ होगा। इन दवाओं का प्रयोग दिये निर्देशानुसार करिये--
१ . त्रिफला गुग्गुलु एक-एक गोली सुबह-दोपहर-शाम को गर्म जल से लीजिये।
२ . प्रदरान्तक रस १२५ मिग्रा + प्रदरान्तक लौह १२५ मिग्रा + कुक्कुटाण्डत्वक भस्म १२५ मिग्रा मिला कर शहद के साथ सुबह शाम लीजिये।
३ . चंद्रप्रभा वटी २ गोली + पुष्यानुग चूर्ण ५ ग्राम मिला कर अशोकारिष्ट के दो चम्मच के साथ दिन में दो बार लीजिये।
४ . घुटने में स्थानिक मालिश के लिये केरोसीन का तेल(जिसे घासलेट या मिट्टी का तेल भी कहते हैं) १०० मिली. + सैंधव नमक(जो उपवास में खाया जाता है) २० ग्राम बारीक पीस कर मिला कर एक सप्ताह कसकर शीशी का ढक्कन बंद करके तेज़ धूप में रख दें फिर प्रभावित स्थान पर हलके हाथ से मालिश करके घुटने को किसी कपड़े से लपेट लें ताकि हवा न लगे। मालिश सुबह स्नान के बाद व शाम को सूर्यास्त से पहले करें।
इस पूरे उपचार को कम से कम दो माह तक लीजिये अवश्य ही आराम होगा और फिर कभी समस्या वापिस न होगी।

मेरी बेटी को बचाइये, क्या वो पागल हो गयी है?



डॉ.साहब हमारी बेटी जिसकी उम्र बाइस साल है तीन माह पहले एक दिन अचानक ही घर से गायब हो गयी। हमनें पुलिस में रपट लिखायी और समाज के ताने भी दबी आवाज में सुने कि किसी के साथ भाग गयी होगी लेकिन हमारी बेटी को हम अच्छी तरह जानते हैं उसका यदि किसी से कोई मेल-मिलाप होता तो वह हमें तुरंत ही बताती थी इसलिये उसे बिना बताये भाग जाने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि हमारा परिवार एक खुले विचारों वाला परिवार है। एक सप्ताह लापता रहने के बाद पुलिस को हमारी बेटी मैले-कुचैले कपड़ों में दूसरे जिले के एक मंदिर के पास मिली जिसे कि उसे उसके मामा ने पहचाना। उस समय वह गुमसुम थी, हमने मौके की नज़ाकत को समझ कर उससे कुछ नहीं पूछा वह बिना किसी प्रतिवाद के घर आ गयी लेकिन अब तो हमारी शिक्षित बेटी का व्यवहार एकदम बदल गया है जैसे कि कोई बुरी आत्मा का साया हो उसपर; कपड़ों में ही मल-मूत्र त्याग कर देती है उसे एहसास ही नहीं होता कि यह गलत है, हममें से किसी से भी कोई बात नहीं करती और अकेली बैठ कर घंटों न जाने क्या-क्या अनर्गल प्रलाप करती रहती है यहां तक कि वो किस भाषा में बड़बड़ा रही है ये तक समझ में नहीं आता है। आंख, भौंहे, हाथ-पैरों, कंधा, कमर आदि को नचाती रहती है, कभी-कभी अचानक आंखे फाड़ कर देखने लगती है, अपने आपको कूड़े-कचड़े से सजाने का प्रयास करती है, खाना पसंद नही करती यदि बहला-फुसला कर हम लोग खिला भी दें तो भोजन के बाद घर में तेजी से इधर-उधर भागना शुरू कर देती है जो कि करीब एक घंटे तक जारी रहता है फिर खुद ही थक कर सो जाती है। स्नान नहीं करती, शरीर दुर्बल हो गया है, कभी हंसने लगती है कभी रोने लगती हैऔर कभी न जाने किन भाषाओं के गाने गाना शुरू कर देती है। हम लोगों से मारपीट या बुरा बर्ताव नहीं करती बल्कि खुद में ही मग्न रहती है। हमें एक पुलिस अफसर ने कहा था कि शायद इसके साथ बलात्कार जैसी कोई दुर्घटना हुई होगी जिससे इसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया होगा लेकिन मेडिकल जांच में बलात्कार या किसी शारीरिक जबरदस्ती की कोई पुष्टि नहीं हुई। लोग कहते हैं कि भूत-प्रेत का साया है हम सब कर रहे हैं इस लिये आप भी यदि संभव हो तो सहायता करें हो सकता है कि यह कोई बीमारी मात्र हो। हमें गुजरे बुरे समय को नहीं कुरेदना बस हमारी बेटी अच्छी हो जाए हम आपका जीवन भर एहसान मानेंगे। मेहरबानी करके उसे मेंटल हास्पिटल ले जाने की सलाह न दीजियेगा।
अनुरोध पर नाम व पता नहीं दिया जा रहा है
भाईसाहब, मैं आपके कष्ट को समझ रहा हूं कि एक ही बेटी और ये हालत हो जाए तो कितना घोर दुःख होता है किन्तु ईश्वर पर विश्वास रख कर लक्षणों के आधार पर औषधि व्यवस्था लिख रहा हूं। इन दवाओं को लगातार दो माह तक दें तथा जो परिवर्तन आये उसकी तत्काल फोन पर सूचना देते रहे----
१ . चतुर्भुज रस १२५ मिग्रा. + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा. + शंखपुष्पी चूर्ण १ ग्राम मिला कर मात्रा बना लें व सुबह-शाम शहद के साथ इसे चटाएं (दवा खाली पेट दे सकते हैं)।
२ . स्मृति सागर रस २५० मिग्रा. + नागार्जुनाभ्र रस १२५ मिग्रा. + खमीरा गावजुबां ३ ग्राम + शुक्ति पिष्टी २५० मिग्रा. को मिला कर एक खुराक बना कर ऊपर वाली दवा के आधे घंटे बाद जल से दें।
३ . रजत भस्म ८० मिग्रा. + चन्द्रावलेह १० ग्राम सुबह व रात को गाय के दूध के साथ दें।
४ . भोजन में लशुनाद्यघृत १२ ग्राम मिला कर खिलाएं।
५ . देह पर शतधौत घृत की मालिश करवाएं।
एक माह तक लगातार यह उपचार दीजिये फिर उसके बाद सुबह की २ नंबर व ४ नंबर वाली दवाओं में परिवर्तन करें व उसके स्थान पर निम्न दवा देना शुरू करें--
२ . (अ) उन्मादगज केशरी रस २५० मिग्रा. + प्रवाल पिष्टी २५० मिग्रा. को दिन में दो बार मक्खन व मिश्री के मिश्रण के साथ दें।
४ .(अ) महाचैतस घृत १० ग्राम रात को सोते समय गुनगुने गर्म मीठे दूध में मिला कर दें।
ईश्वर पर भरोसा रखिये भाईसाहब आपकी बेटी अवश्य ही स्वस्थ हो कर अपने पुराने व्यवहार पर आ जाएगी। सूचना देना मत भूलिये।


शनिवार, अप्रैल 26, 2008

भाईसाहब को किसी प्रेतबाधा ने जकड़ लिया है.....


डा.साहब,पिछले कुछ माह से जब से शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव हुए मेरे भाईसाहब का उसमें काफ़ी पैसा फंस गया है। पता नहीं उनके शेयर्स की स्थिति सामान्य होगी? शायद इसी कारण से वे पिछले दो माह से बहुत चिड़चिड़े हो गये हैं, जल्दी ही क्रोधित हो जाते हैं जबकि वे काफी हंसमुख हुआ करते थे, उद्विग्न रहा करते हैं, कोई भी कार्य करते हैं तो वह अव्यवस्थित सा रहता है, भूलने भी लगे हैं, नींद एकदम कम हो गयी है, रक्तचाप काफ़ी बढ़ा रहता है लेकिन वे अपनी बी.पी. की दवा लेना तक अक्सर भूल जाते हैं, सिर में दर्द बताते हैं, बातचीत में अचानक असम्बद्ध वाक्य बोल जाते हैं तथा शीघ्रता से भी कभी-कभी बोलना प्रारम्भ कर देते हैं, वजन भी गिर रहा है, नजरें भी कमजोर सी हो गयी हैं। ऐसा लग रहा है कि भाईसाहब को किसी प्रेतबाधा ने जकड़ लिया है लेकिन मैं जानती हूं कि ऐसा कुछ नहीं बल्कि ये महज मनोशारीरिक विकार है, मेहरबानी करके कोई उपचार बताएं मुझसे भाईसाहब की हालत देखते नहीं बनती।
नाज़नीन बानो,जबलपुर

नाज़नीन जी, आप फ़िक्र ना करें आपके भाईसाहब शीघ्र ही इस परेशानी से मुक्त हो जाएंगे। दरअसल आर्थिक परेशानी के चलते उन्हें ऐसी परेशानी हुई है। बाकी सारे लक्षण तो उसी से संबद्ध हैं। मैंने आपके द्वारा ई-मेल करी हुई रिपोर्ट देख लीं हैं लीजिये समस्या का समाधान प्रस्तुत है--
१ . नागार्जुनाभ्र रस २५० मिग्रा. + सूतशेखर रस(साधारण) २५० मिग्रा. + ब्राह्म रसायन २५ ग्राम को मिला कर एक खुराक बनाएं व सुबह शाम एक-एक खुराक ठंडे मीठे दूध से दें।
२ . भोजन के बाद दो गोली हिंग्वादि बटी की चूसने को दें तथा भोजन के आधे घंटे बाद दो चम्मच अश्वगंधारिष्ट पिलाएं।
३ . दिन में तीन बजे के आसपास प्रवालपिष्टी २५० मिग्रा. + मुक्ताशुक्ति पिष्टी २५० मिग्रा. को एक मुनक्के में भर कर दें और यदि मुनक्के में बीज हो तो उसे निकाल कर फेंक दें।
४ . रात्रि में सोने से पहले दस ग्राम ब्राम्हीघृत दूध में मिला कर पिलाएं।
मांसाहार का सर्वथा परहेज करवाएं, अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन से दूर रखें, घर का वातावरण खुशनुमा बनाएं रखने का प्रयत्न करें। इस औषधि व्यवस्था को दो माह तक जारी रखिये विश्वास रखिये कि आपके भाईसाहब अवश्य स्वस्थ हो जाएंगे।

शुक्रवार, अप्रैल 25, 2008

परेशानी के चलते बेटी की शादी नहीं कर पा रहे हैं........

डा.साहब,प्रणाम मेरी पुत्री बबली जिसकी उम्र बाइस साल है, अस्थमा की बीमार है। बहुत वर्षों से तमाम चिकित्सक बदल-बदल कर हम लोग थक गये हैं। आयुर्वेदिक उपचार भी एक वर्ष तक जारी रखा गया किन्तु पता नहीं क्यों लाभ नहीं हुआ। वैद्य जी ने जो दवाएं दी थीं उनमे से मुझे दो नाम याद हैं एक था "श्वास कुठार रस" और दूसरा था "वृहत श्वास चिन्तामणि रस" । उसे श्वास का दौरा होने से पहले हृदय और पूरी छाती में दर्द का आभास सा होने लगता है। पेट में चुभने जैसी पीड़ा होने लगती है, अफ़ारा भी महसूस होता है। मुंह का स्वाद बदल जाता है ओर कनपटियों में भयंकर तोड़ने जैसा दर्द होता है। स्वभाव एकदम चिड़चिड़ा हो चला है जबकि पहले वह एक खुशमिजाज लड़की थी। गरमी की शिकायत बहुत करती है जबकि सामान्य मौसम हो तब भी। जवान लड़की की इस तरह की परेशानी के चलते हम लोग उसकी शादी नहीं कर पा रहे हैं कि अगर ससुराल में ऐसी समस्या हुई तो भगवान ही जाने क्या होगा? मेहरबानी करके हमारी बच्ची के लिये कोई कारगर इलाज बताइये, उसकी रिपोर्ट्स की जेराक्स प्रतियां आपको पोस्ट से भेज दी हैं।
रामसिंह,भारापुर(सहारनपुर)
रामसिंह जी,आपकी बच्ची की समस्या वाकई गम्भीर है लेकिन निराश होने से तो समस्या हल नहीं होगी और सत्य तो ये है कि आपने बबली के लिये जो आयुर्वेदिक उपचार लिया था वो मात्र पेटेंट दवाएं देने वाले किन्हीं व्यवसायी किस्म के वैद्य जी का रहा जिन्हें कि सही निदान करने की आवश्यकता न्यून जान पड़ती है। आपके वैद्य जी को आयुर्वेद के ऊपर विश्वास तो है लेकिन व्यवसायिक तौर पर जिसके कारण उन्हें सफलता नहीं मिली। आयुर्वेद ऐसे ही लोगों के कारण बदनाम हो चला है। खैर इस बात को जाने दीजिये और बबली का उपचार लिखता हूं।
१ . खानेवाला मीठा सोडा यानि कि सोडा बाई कार्ब १६ रत्ती में शोधन करा हुआ संखिया ०२(दो) रत्ती मिला कर एक दिन तक घुटाई करवा लें और इसकी १८ पुड़िया बना लें तथा सुबह-शाम एक-एक पुड़िया ठंडे पानी से दें। ध्यान रखिये कि संखिया(आर्सेनिक) एक अत्यंत तेज जहर माना जाता है जिसकी अत्यंत अल्प मात्रा ही जानलेवा होती है इसलिये इसके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिये। किसी अच्छी आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी से आपको संखिया शोधित सोमल या शोधित मल्ल नाम से मिल जायेगा। घुटाई में भी कमी न करें। मात्र सात दिनों में जहां बड़े योग असफल हो जाते हैं ये साधारण सा योग काम कर जाता है। अगर कुछ विशेष लाभ न हो तो इसी तरह से दो सप्ताह और दे सकते हैं।
२ . सेवन काल में घी में भुना दलिया दें,कब्जियत न रहने दें। एक चम्मच अमलताश के गूदे को एक कप गरम जल में एक चम्मच शहद मिला कर रोज दोपहर को पिलाएं।
दिन में पुराने चावलों का भात, मूंग, मसूर, परवल, करेले, पेठा, पके कद्दू का साग, बकरी का दूध, खजूर, अनार, आमला, मिश्री, पुराना घी, शहद, मुर्गा, तीतर का मांस, बथुआ, चौलाई, पोई का साग, बैंगन, लहसुन, नीबू, रत्रि भोजन में गेंहू की रोटियां, छॊटी इलायची दें। वेगों को जैसे मलमूत्र को न रोकें, कब्ज निवारण के लिये एनिमा न दें, धूल-धूंए से बचे, तली-भुनी तेज मिर्च मसाले, उड़द की दाल, कफ़ वर्धक पदार्थ, दही, अधिक पानी पीना, शोक,चिन्ता, रात्रि को अधिक खाना, मेहनत का काम, भेड़ का दूध को वर्जित करें। ये सब अपथ्य हैं जिनके सेवन से रोग दूर नहीं होता है और जटिलता बढ़ती जाती है।
आयुर्वेद पर विश्वास बनाए रखिये आपकी बच्ची शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएगी।

शनिवार, अप्रैल 19, 2008

फफोले(छाले) निकल आते हैं, डायग्नोसिस में Impetigo Eczematidus Bulla रोग लिखा है

आदरणीय डा.साहब,नमस्कार, पिछले बीस दिनों से अजीब से रोग से परेशान हूं। शरीर के किसी भी भाग में त्वचा पर फफोले निकल आते हैं और कुछ दो या तीन दिन में अपने आप फूट जाते हैं इन छालों के फूटने से बहुत तेज जलन और दर्द होता है। जैसे कि जल जाने के बाद छाले बन जाते हैं ठीक वैसे ही छाले हैं। इन छालों का रंग कुछ काला-लाल है और छालों की त्वचा कुछ मोटी से जान पड़ती है अंदर कुछ पीला सा पानी जैसा तरल भरा रहता है। एलोपैथी के डाक्टर ने दस दिन तक दवाएं दी लेकिन मुझे कोई आराम नहीं महसूस हुआ बल्कि नए फफोले आते ही जा रहे हैं उस डाक्टर ने अपने डायग्नोसिस में Impetigo Eczematidus Bulla नामक रोग लिखा है। मेहरबानी करके तुरंत आराम देने वाला उपाय बताएं। मैं मांसाहार करता हूं लेकिन कोई व्यसन नहीं है,भूख कम ही लगती है।
संजय नारंगणे, नोयडा
संजय जी,आपकी बीमारी को आयुर्वेद की भाषा में "विस्फोट" कहते हैं। यह एक त्वचा रोग है जोकि भोजन में कफ-पित्त को दूषित करने वाले पदार्थों के सेवन करने से या कोई भी ऐसे कार्यों को अति तक करना जिससे कि ये दोष कुपित होकर रक्त को प्रभावित कर दें, होता है। आप सर्वप्रथम तो बाजारू साफ़्टड्रिंक्स का सेवन तत्काल बंद कर दीजिये जो शायद आपके मामले में रोग के मुख्य कारण सिद्ध हो रहे हैं इसके साथ नमक,मिर्च, खटाई, चाय, काफ़ी का प्रयोग भी बंद करना आपके लिये हितकर है। सबसे पहले आपकी कोष्ठशुद्धि अनिवार्य है जिसके लिये दो चम्मच एरण्ड का तेल(CASTOR OIL) एक कप हलके गर्म मीठे दूध के साथ मिला कर रात में सोने से पहले पी लें, लेकिन ध्यान रखिये कि जिस दिन रात में ये दवा लें उस दिन में बस खिचड़ी ही खायें और उसमें भी ज्यादा मात्रा में शुद्ध घी मिला कर(वनस्पति घी का प्रयोग न करें) । सुबह आपको इससे तीन चार बार दस्त होंगे जिससे घबराईये मत। जिस प्रकार गंदे कपड़े पर रंग नहीं चढ़ता उसी तरह यदि शरीर की भी शुद्धि न करी जाए तो दवाएं लाभ नहीं देतीं। तीन दिन तक आप इस जुलाब को लीजिये ताकि भलीभांति पेट साफ हो जाए। इसके बाद निम्न उपचार लीजिये --
१ . गंधक रसायन २० ग्राम + रस माणिक्य १० ग्राम + तालकेश्वर रस १० ग्राम को भली प्रकार घोंट कर मिला लें तथा कुल साठ बराबर मात्रा की पुड़िया बना लीजिये। सुबह- शाम को एक एक पुड़िया खदिरारिष्ट २ चम्मच+ महामंजिष्ठादि काढ़ा ४ चम्मच के साथ निगल लीजिये।
२ . नीम की सूखी पत्तियां १०० ग्राम + उसवा १०० ग्राम + मजीठ ५० ग्राम + सारिवा ५० ग्राम + चोपचीनी ५० ग्राम इन सबको गिलोय के रस के साथ घोंट कर मटर के दाने के बराबर की गोलियां बना लीजिये और एक एक गोली सुबह-दोपहर-शाम को जल के साथ लें लेकिन अगर ये सब कूटना पीसना संभव न हो सके तो इस पूरी औषधि के स्थान पर एक-एक गोली पंचतिक्त घृत गुग्गुलु सुबह-दोपहर-शाम को इसी प्रकार लीजिये।
३ . महामरिच्यादि तेल को छालों पर ऊपर से लगायें। ये दिन में कई बार लगाया जा सकता है।

शुक्रवार, अप्रैल 18, 2008

हर्पीज़(HERPES) नामक बीमारी है.....

डा.साहब,नमस्कार; पिछले दो दिनों से 100-101 तक बुखार है, दोनो बाहों के बगल में गांठें सी बन गईं हैं, सीने पर तेज जलन और दर्द के साथ छोटे-छोटे कुछ फफोले से उभर आये हैं जो कि एक कतार या मालानुमा दिख रहे हैं, ऐसा दर्द है जैसे कि कोई कैंची से काट रहा हो। घर के लोगों ने कहा कि मकड़ी के काटने से ऐसा हुआ होगा लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा हुआ है अतः डाक्टर को दिखाने से पहले ही मेरे एक मित्र ने बताया कि यह हर्पीज़(HERPES) नामक बीमारी है जिसका यदि सही इलाज न हुआ और फफोलों को घेरा पूरे सीने से होता हुआ पीठ तक जाकर पूरा हो गया तो मौत तक हो सकती है। मैं बहुत डर गया हूं मुझे अपने कई पुराने अनुभवों के कारण एलोपैथी पर विश्वास नहीं रहा है अतः तत्काल कोई कारगर इलाज बताइये।
जयंत कुलकर्णी,नासिक(महाराष्ट्र)
जयंत जी,आयुर्वेद पर विश्वास दिखाने के लिये धन्यवाद वरना तो लोग पहले एलोपैथी की शरण में ही जाते हैं और जब रोग लाइलाज अवस्था में आ जाता है तब आयुर्वेद के पास आते हैं। ये सत्य है कि आपकी बीमारी तकलीफ़ देने वाली है लेकिन डरिये मत आप शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगे। यह एक विषाणु का संक्रमण है जो कि असाध्य तो हरगिज नहीं है तो लीजिये प्रस्तुत है आपकी समस्या का समाधान--
१ . स्थानीय लेप(local application) के लिये गाय का घी २० ग्राम + सहजन(drum stick) या मुनगा के पत्तों की चटनी २० ग्राम + गंधक १० ग्राम + यशद भस्म ५ ग्राम मिला कर खूब घोंट कर मलहम जैसा बना लीजिये और दिन में कम से कम तीन बार लगाइये।
२ . गिलोय सत्त्व २५० मिग्रा. + चिरायता चूर्ण २५० मिग्रा. + अनंतमूल चूर्ण २५० मिग्रा. + गंधक रसायन २५० मिग्रा. रसमाणिक्य ५० मिग्रा.
इन सारी औषधियों को भली प्रकार घोंट कर एक मात्रा बनाएं व इसी अनुपात में अनुमानतः २० दिन की मात्रा बना लीजिये व सुबह- दोपहर व रात को एक-एक मात्रा को गाय के एक चम्मच घी में एक चम्मच मिश्री(खड़ी शक्कर) मिला कर लें।
मात्र तीन दिनों में आपको चमत्कारिक लाभ दिखने लगेगा किंतु बीस दिन तक दवा अवश्य लें ताकि रक्त शुद्धि हो जाये। आहार में सुपाच्य भोजन लीजिये और तेल मसाला तथा मांसाहार बंद कर दें जब तक औषधि लें।

गुरुवार, अप्रैल 17, 2008

I always feel constipation........

Respected Dr.Rupesh, I M working in a call centre(mumbai) as a team leader and nature of my work is very passive and shiftwise,I M always sitting and listening the calls made by my colleagues. I always feel constipation. Lunch time is very short and we are to finish our lunch in that given time. I use to smoke but do not drink. Should I use some market laxatives? Are these products harmless? What to do plz guide.
Siddhaant sharma,mumbai
Dear siddhaant, don't worry; it is a common problem. If you have only 15 minutes spare for your body you need no medicine at all. Just set a routine according to your shift duty for some physical exercises as- kapaalbhaati pranayam and if you do not feel comfortable with physical exercise then go for medicine. Use fiberous food,take juices and avoid eggs, junk food like vada-paav or chinese food, have sufficient water. You may take laxatives ones in a week as -
1 . GANDHARVA HARITAKI(गन्धर्व हरीतकी) one Tea spoon with luke warm water at bed time.
2 . NAARAACH RAS(नाराच रस) one tab with with luke warm water at bed time.{HEAVY LAXATIVE}
3. ICHCHAABHEDI RAS(इच्छाभेदी रस) one tab with with luke warm water at bed time.{HEAVY LAXATIVE}
4 . PANCH SAKAAR CHURNA(पंचसकार चूर्ण) one Tea spoon with luke warm water at bed time.

बुधवार, अप्रैल 16, 2008

जोडों में सूजन है व चुभन जैसा दर्द होता है....

डा.साहब प्रणाम,पिछले दो माह से मेरे शरीर के लगभग सभी जोडों में सूजन है व चुभन जैसा दर्द होता है, चलते-फिरते नहीं बनता, खड़े होने तथा बिस्तर पर लेटने की स्थिति में पीड़ा जारी रहती है,सूजे हुए स्थान पर ऐसा लगता है कि बिच्छू ने डंक मार दिया है, मुंह से बदबू आती रहती है चाहे कितना भी अच्छा टूथपेस्ट क्यों न इस्तेमाल करूं, भोजन करने का मन ही नहीं करता है, मुंह में हमेशा लार सी बनती रहती है, शुरू में करीब बीस दिन तक तो हलका स बुखार रहता था जो कि एलोपैथिक दवा से ठीक हो गया लेकिन ये समस्या खत्म नहीं हो रही है। मेरी कपड़े की दुकान है तो दिन भर बैठा रहना होता है, व्यायाम के लिये समय ही नहीं मिल पाता है, क्भी-कभी बदन पर खुजली भी होती है। मुझे समझ में ही नहीं आ रहा कि मुझे ये क्या हो रहा है? मेहरबानी करके कोई उपाय बताइये।
राजेन्द्र मेहता,राजकोट
मेहता जी, आपकी बीमारी का कारण है आपका ऐसा आहार-विहार जिसमें कि शारीरिक श्रम शामिल नहीं है और आप व्यायाम भी नहीं करते हैं। आपको हुई बीमारी का नाम है "आमवात"। सबसे पहले आपके शरीर की शुद्धि के लिये लंघन, स्वेदन एवं विरेचन कराना होगा। पहले आप एक या दो दिन क्षमतानुसार उपवास करिये,दिन में बस दो चार फल खाइये; कोष्ठबद्धता दूर करने के लिये आप रात को एक गिलास हल्के गुनगुने मीठे दूध में दो चम्मच एरण्ड का तेल(castor oil) मिला कर पी लें जिससे कि सुबह दो-चार दस्त आकर पेट साफ हो जाएगा। स्वेदन के लिये रेत या बालू, राई, एरण्ड बीज, सैंधा नमक, इनकी पोटली बना कर गरम तवे पर रखें व सुहाता-सुहाता सा सेंक करें ध्यान रखिये कि ज्यादा गर्म न हो; हाथ, पैर, उंगली, कंधे, कमर सब जगह सेंक करें। वातवर्धक आहार से बचें, अरबी(घुइयां),आलू, गोभी, भिण्डी का सेवन न करें। पुराने गेंहू की रोटियां, मूंग की दाल, करेला, परवल, लहसुन, मेथी, चौलाई, बथुआ खाएं व दूध में सोंठ का चूर्ण मिला कर पिया करें। निम्न औषधियां लें---
१ . अग्नितुण्डी बटी १ गोली + शंख भस्म दो चुटकी + साथ लेकर दो चम्मच दशमूलारिष्ट के साथ लीजिये दिन में दो बार भोजन के बाद।
२ . महायोगराज गुग्गुलु २ गोली दिन में दो बार महारास्नादि काढ़े के साथ लीजिये।
३ . आमवातारि रस १ + त्र्योदशांग गुग्गुलु १ गोली दिन में तीन बार अश्वगंधारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
इस पूरे औषधिक्रम को लगातार दो माह तक लीजिये तथा भले ही दुकान तक पैदल जाएं अपने स्वास्थ्य के लिये इतना तो व्यायाम के तौर पर करिये ही अन्यथा दवाएं बंद करने पर पुनः रोग के लक्षण वापस आ सकते हैं। यदि औषधियों के संबंध में संबंधी कोई जानकारी लेनी हो तो निःसंकोच मुझे ई-मेल करें।

रविवार, अप्रैल 13, 2008

एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड कराने से भी कुछ नहीं निकला......


डॉक्टर साहब, मेरे पेट के दाहिने हिस्से में ठीक बीचोंबीच में हमेशा दर्द रहता है। एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और अल्ट्रासाउंड कराने से भी कुछ नहीं निकला। दवा भी खूब कराई-लेकिन दर्द ठीक नहीं हो रहा है। पेट हमेशा भारी रहता है। आंव जैसा भी आता है और एसिडिटी भी खूब रहती है। कमजोरी तो खैर रहती ही है। बताईए क्या करूं ताकि स्वास्थ्य ठीक हो।
पंडित जी
आत्मन बंधु पंडित जी,आपने जैसी समस्या बतायी है तो स्पष्ट है कि आपके ऊपर ऐलोपैथी के भरपूर प्रयोग करे जा चुके हैं,तमाम टैस्ट आदि भी करा चुके हैं किन्तु अब तक जब बीमारी ही समझ में नहीं आयी है तो उपचार तो स्वाभाविक है कि अंधेरे में तीर की भांति ही रहेंगे। माडर्न पैथोलाजी की निश्चित सीमाएं हैं उन्हें अंतिम निदान नहीं मान लेना चाहिये क्योंकि अगर आप डायग्नोसिस के अनुसार स्वस्थ हैं फिर भी अगर आप दर्द की शिकायत करते हैं तो जो आपसे संबंधित लोग हैं उन्हें या तो लगेगा कि आप बहाना करते हैं या फिर आपको दिमागी खलल है। सर्वप्रथम आप दो दिनों का मात्र जल पर उपवास करिये इसके बाद धीरे-धीरे फल व सब्जियों का रस प्रारंभ करें। फलों में अनार, बेल, पपीता, आंवला, नाशपाती, केला आदि उपयोगी हैं। सब्जियों में लौकी, कद्दू, खीरा, तोरई, नेनुआ, टिण्डा, परवल, बथुआ, पालक, हरी मेथी, चौलाई, गाजर, पत्तागोभी, मूली के हरे पत्ते आदि रुचि अनुसार लें। चार दिन इस तरह से ठोस आहार बंद रखिये तदुपरांत ठोस आहार शुरू करिये। चोकर युक्त गेहूं की दो रोटी उबली सब्जी जिसमें कि बस स्वादानुसार नमक ही हो कोई मसाला मत डालियेगा, सूप, पतला दलिया, छाछ, सलाद, अंकुरित अनाज आदि जठराग्नि के अनुसार लीजिये यानि कि जो आसानी से पच जाए। धीरे-धीरे पंद्रह दिनों में सामान्य आहार पर आइये। मांस, मछली, अण्डा, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, चाकलेट, तले भुने पदार्थ,चायनीज व्यंजन, गरिष्ठ भोजन, अत्यधिक वसायुक्त भोजन बिलकुल बंद रखें। और निम्नलिखित उपचार को लेना शुरू करिये: -
१ . प्रवाल पंचामृत रस ३ ग्राम + अम्लपित्तान्तक रस ५ ग्राम + सूतशेखर रस(साधारण) ५ ग्राम + लीला विलास रस ५ ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी ५ ग्राम + सितोपलादि चूर्ण ३० ग्राम ; यानि कि कुल मिश्रण बनेगा ५३ ग्राम और अब इस मिश्रण की समान मात्रा की तीस पुड़ियां बना लीजिये और एक-एक पुड़िया में सुबह दोपहर शाम को एक ग्राम आंवला चूर्ण मिला कर शहद के साथ चाट लीजिये व ऊपर से दो चम्मच भूनिम्बादि काढ़ा पी लीजिये दवा लेने के आधे घन्टे तक पानी न पियें। दवाएं नाश्ता करने के बाद ही लें।
२ . दिन में सुबह आठ बजे के आसपास और शाम को चार बजे के आसपास कच्चे नारियल(गरी) २० ग्राम को मिश्री मिला कर दूध के साथ दीजिये। ये दवा खाली पेट ले सकते हैं इसके आधा घंटे बाद नाश्ता करिए यदि चाहिए तो।
३ . भोजन से दस मिनट पहले यवानी खाण्डव चूर्ण ३ ग्राम मुंह में रख कर चाटें व भोजन करने के दस मिनट बाद अविपत्तिकर चूर्ण ३ ग्राम जल से लीजिये।
लगातार दो माह तक उपचार लीजिये और विश्वास करें कि आप स्वस्थ हो जाएंगे बल्कि पहले ही सप्ताह से आप स्वयं कहेंगे कि आयुर्वेद वाकई चमत्कारिक है।

शनिवार, अप्रैल 12, 2008

किडनी में पथरी है....



आदरणीय डा.रूपेश, नमस्कार; मेरे भाई की उम्र बीस साल है आज उसे बैडमिंटन खेलते-खेलते अचानक कमर में दर्द शुरू हुआ जो कि नीचे अण्डकोशों तक फैल गया है। कभी कभी वो दर्द से कराह उठता है, एक बार उल्टी भी हो चुकी है किन्तु इससे कोई अंतर नहीं पड़ा। नाभि के पास के क्षेत्र में कुछ भारीपन की शिकायत कर रहा है। चलने-फिरने की कोशिश से दर्द की लहर सी उठ जाती है लेकिन अगर एक ही स्थिति में रहा जाए तो कुछ देर में दर्द कम होते-होते बंद हो जाता है। कोई तत्काल आराम देने वाला उपचार बताएं बड़ा कष्ट है और ऐसा क्यों हुआ है। हम लोग मांसाहारी भोजन भी करते हैं, भाई को कोई व्यसन नहीं है।
रविकांत रायकवार,झांसी(उ.प्र.)
रविकांत जी,आपने जो पिछले माह करवाई मूत्र की रिपोर्ट भेजी है उसमें मूत्र में रेड सेल्स, पस सेल्स व प्रोटीन की उपस्थिति है। आपके भाई को दरअसल किडनी में पथरी है जो कि खेलने के फ़ौरान अपने मूल स्थान से च्युत हो गयी है जिस कारण इतना तेज दर्द शुरू हो गया है। चिंतित न हों कल सुबह ही नीचे लिखी दवाएं उन्हें दीजिये और तत्काल दर्द निवारण के लिये उन्हें जामुन के दो चम्मच सिरके में दो चुटकी खाने वाला सोडा डाल कर दे दीजिये और फिर आधे घंटे तक पानी न दें दर्द समाप्त हो जाएगा। ज्यादा हिले-डुलें न ताकि तकलीफ़ न हो।
१ . हजरुलयहूद भस्म १५ ग्राम + कलमी शोरा १५ ग्राम लेकर मिला लें व इस मिश्रण की तीस पुड़िया बना लें और सुबह शाम नारियल पानी या सादे पानी के साथ एक-एक पुड़िया लें।
२ . तारकेश्वर रस एक-एक गोली सुबह शाम वरुणादि कषाय के चार ढक्कन दवा के साथ दीजिये।
३ . गोक्षुरादि गुग्गुलु और त्रिफला गुग्गुलु दो-दो गोली सुबह-दोपहर-शाम को पानी के साथ दीजिये।
मात्र पंद्रह दिनों के भीतर अगर ईश्वर ने चाहा तो यदि ज्यादा बड़े आकार की पथरी नहीं है तो घुल कर मूत्रमार्ग से कब निकल जायेगी पता ही नहीं चलेगा। एक बात का ध्यान रखिये कि इन पंद्रह दिनों में रोगी को मांसाहार से परहेज करवाएं।

शुक्रवार, अप्रैल 11, 2008

पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहता है....

डाक्टर साहब,मेरी उम्र अड़तीस साल है। मैं पिछले तीन माह से पेट की समस्या से बहुत परेशान हूं। पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहता है, भूख भी कम लगती है, शौच जाने के बाद भी लगता है कि पेट अभी साफ नहीं हुआ है, कमजोरी बनी रहती है, मुंह में पानी सा घुलता रहता है। एक वैद्यजी ने मुझे बताया कि ये आंव की समस्या है दो सप्ताह उपचार लेने पर ठीक रहा पर फिर से समस्या वैसी ही है। उपचार बताइये बड़ी मेहरबानी होगी मैं बहुत त्रस्त हो गया हुं।
आर.के.शर्मा, गाजियाबाद
शर्मा जी,धैर्य रखिये अब आप पूर्णतया स्वस्थ हो जाएंगे। सबसे पहले तो पंचसकार चूर्ण एक चम्मच रात्रि में सोते समय आधा कप गुनगुने जल में घोल कर पी लें। गरिष्ठ व तले हुये पदार्थ बिलकुल बंद कर दें। मीठा, चिकनाई, चाय, दूध का सेवन न करें ये आपको नुकसान करते हैं। हल्का व सुपाच्य भोजन ही करें। प्रातःकाल टहलना और हल्का व्यायाम करें। सुबह की शुरुआत मक्खन निकाले हुये मट्ठे में नमक, हींग, भुना हुआ ज़ीरा डालकर पियें। दोपहर में चित्रकादि बटी एक गोली मुंह में डाल कर चूसिये और निम्न उपचार लीजिये...
१ . अग्निकुमार रस ५ ग्राम + यकृत हर लौह ५ ग्राम + शंख भस्म ५ ग्राम लेकर कुल तीस पुड़िया बना लीजिये और एक-एक पुड़िया सुबह-शाम शहद के साथ लीजिये।
२ . नवायस लौह ५ ग्राम + शुक्ति भस्म ५ ग्राम लेकर कुल तीस पुड़िया बना लीजिये और एक-एक पुड़िया दोपहर और रात्रि में शहद के साथ लीजिये।
तीन दिन में एक बार रात को सोने से पहले पंचसकार चूर्ण एक चम्मच ले लिया करें।

जल्दी-जल्दी सर्दी हो जाती है.......

आदरणीय डाक्टर साहब,मेरी उम्र पैंतीस साल है। सात साल पहले मेरी छाती में कफ़ बनने की शिकायत थी जो कि काफ़ी खखारने पर एकदम गाढ़ी चाकलेटी रंग के बलगम के रूप में बाहर आता था। मैंने एन्टीबायोटिक दवाएं एक सप्ताह का कोर्स डाक्टर के बताने पर लिया क्योंकि उस समय रक्त में इओसिनोफ़िल काफ़ी बढ़ा हुआ था। कुछ दिन तक इससे आराम रहा लेकिन फिर कफ़ बनने की शिकायत हो गयी जिसे मैंने साधारण समझ कर ध्यान नहीं दिया किन्तु अब मुझे जल्दी-जल्दी सर्दी हो जाती है एक तरह से कहूं तो जीना हराम हो गया है, हरदम ही आवाज घरघराना, नाक बहना ,छींके आना चालू रहता है। आप कोई स्थायी हल बताइये बड़ी मेहरबानी होगी।
देवचरण साहू,दुर्ग(छत्तीसगढ़)
देवचरण जी, आप आयुर्वेद पर विश्वास करके आयुषवेद पर आए हैं तो आपको निराशा न होगी। आप पहले अपने आहार-विहार में तनिक परिवर्तन करें जिससे आप तुरंत लाभ प्राप्त कर सकें। सुबह-शाम हल्का व्यायाम करिये, गर्मी शुरू हओने जारही है तो ध्यान रखिये कि गर्मी से आकर तुरंत कोई भी शीतल पेय न लें। दूध, चाय, काफ़ी, चिकनाई और गुड़, तेल, दही, मट्ठा, उड़द, अरहर की दाल, मूली, चावल भोजन में प्रयोग न करें। गेंहू का दलिया, गेंहू की रोटी, मूंग, मसूर की दाल का प्रयोग भोजन में करें और निम्न औषधियां नियम से लीजिये फिर देखिये आयुर्वेद का चमत्कार......
१ . श्रंगाराभ्रक रस १० ग्राम + स्वर्ण बसंतमालती रस ०५ ग्राम + सितोपलादि चूर्ण १० ग्राम + श्रंग भस्म १० ग्राम; इन सब औषधियों को मिला कर पूरे मिश्रण की कुल ६० पुड़ियां बना लीजिये व सुबह शाम एक-एक पुड़िया शहद से लें।
२ . कफ़केतु रस १० ग्राम + प्रवाल भस्म १० ग्राम + टंकण भस्म १० ग्राम ; इन सबको मिला कर ऊपर लिखी दवा की तरह ही ६० पुड़ियां बना लीजिये व दोपहर व रात्रि को एक चम्मच मलाई में आधा चम्मच शक्कर मिला कर एक-एक पुड़िया लें।

मंगलवार, अप्रैल 08, 2008

कहीं मुझे पीलिया तो नहीं हो गया ?

डा.साहब,शायद change of water या ऐसे ही किसी संभावित कारण से मुझे ऐसा लग रहा है कि कहीं मुझे पीलिया तो नहीं हो गया है क्योंकि मूत्र का रंग एकदम पीला आ रहा है। मैं कभी-कभी शराब का सेवन कर लेता हूं और मांसाहार भी करता हूं। मेरी नौकरी के कारण मुझे अकसर टूर पर रहना पड़ता है। उपाय बताएं।
यशवंत सिंह,दिल्ली
भाईसाहब, आपने जो संभावना बतायी है उस आधार पर और आपसे फोन पर जो बाते हुईं है बहुत संभव है कि आपको पीलिया की शुरूआत है। इसे अगर नजरअंदाज करा तो संभव है कि बीमारी गंभीर रूप ले ले। कुछ उपचार लिख रहा हूं अविलंब ले लीजिये---
१ . नवायस लौह ३-३ रत्ती दिन में दो बार मट्ठे या शहद के साथ लें।
२ . पुनर्नवादि मंडूर की १-१ गोली दिन में तीन बार मट्ठे या गो मूत्र के साथ लें।
३ . लोहासव २-२ चम्मच सुबह शाम बराबर मात्रा जल के साथ लें।
अगर ये शास्त्रोक्त औषधियां न मिल सकें तो एक सफेद फिटकरी को तवे पर भून लीजिये ध्यान रहे कि जलने न पाए, फिर दो ग्राम भुनी हुई फिटकरी को २० ग्राम दही के साथ लीजिये अथवा कलमी शोरा १० ग्राम और ५० ग्राम मिश्री(खड़ी शक्कर) बारीक पीस लें ये मिश्रण ३-३ ग्राम जल से लीजिये। अगर ये कुछ भी न मिले तो मूली के हरे पत्तों शक्कर मिला कर मीठा कर लें और दिन में इसी तरह बनाया रस २-२ कप तीन बार पियें। आपकी बीमारी गायब हो गयी आपको दो-चार दिनों में ही समझ आ जाएगा।

गुरुवार, अप्रैल 03, 2008

माथे पर चिपकाने वाली बिन्दी से सफेद दाग

आदरणीय डाक्टर साहब,मैं काफ़ी दिनो तक माथे पर चिपकाने वाली बिन्दी का प्रयोग करती रही लेकिन पिछले दो माह से मैने देखा कि बिन्दी चिपकाने वाले स्थान पर सफेद सा दाग़ हो गया है जिसमें कि कभी-कभी खुजली सी भी प्रतीत होती है। डर्मेटोलाजिस्ट को दिखाने पर उसने बताया कि यह बिन्दी चिपकाने के कारण ही हुआ है। उन्होंने कुछ दवाएं दी हैं किन्तु दो माह में कोई अन्तर नहीं दिखा। हारकर आयुर्वेद की शरण में आयी हूं मुझे पता है कि निराशा न होगी।
नैना शाह,पोरबंदर(गुजरात)
नैना बहन,आपके डर्मेटोलाजिस्ट ने जो बताया मैं भी उससे सहमत हूं क्योंकि बिन्दी निर्माता कई बार चिपकाने वाले पदार्थ के स्थान पर राल जैसे वनस्पति उत्पाद लेने की जगह केमिकल्स इस्तेमाल करते हैं जो कि किसी किसी की संवेदनशील त्वचा को नुक्सान कर जाते हैं। आपके लिये जो सरलतम उपाय है वह प्रस्तुत है लेकिन इस विश्वास के साथ कि आपको गोमूत्र के प्रयोग से कोई अड़चन न होगी, हिन्दू गोमूत्र को तो एक पवित्र पदार्थ मानते हैं और यदि औषधि के तौर पर हमें कभी कोई ऐसी वस्तु प्रयोग करनी भी पड़े तो उसे धार्मिक मान्यताओं से अलग रख कर मात्र औषधि की तरह इस्तेमाल कर लेना चाहिये। आप बाकुची(बावची) के बीजों को बारीक पीस कर गोमूत्र के संग मिला लें और प्रभावित स्थान पर लेप करें यकीन मानिये शीघ्र ही आप आशातीत लाभ महसूस करेंगी । सुबह शाम एक-एक गोली आरोग्यवर्धिनी की भोजन के बाद ले लिया करें।