शुक्रवार, मार्च 21, 2008

क्या मुझे भी थायराईड की समस्या है ???


प्रिय श्री रूपेश जी नमस्कार भड़ास से आपका पता मिला। आयुषवेद को देखकर अच्छा लगा। मेरा भारतीय चिकित्सा पद्धति में विश्वास है।लेकिन विश्वास की धारा में चलते हुए व्यावसायिकता के फरेब में उलझने का जो खतरा रहता है उसे आप जानते होंगे। वैसी तमाम दूकानें हैं। बहरहाल, थायराइड के एक केस के लक्षण देखते हुए मुझे भी कुछ शेयर करने की इच्छा है। हो सकता है मैं भी उस कैटेगरी के मरीजों में दिखूं जिन्हें लक्षण पढ़कर खुद को वह रोग होने का भय सताने लगता है। लेकिन मैं आपकी मदद चाहता हूं। योगाभ्यासी हूं। कमोबेश नियमितता का पालन करता हूं। फिर भी कुछ लक्षणों का जिक्र करना चाहता हूं 1. बैठे बैठै नींद में चले जाना 2. हमेशा थकान महसूस होना 3. खासकर गोधुलि बेला के आसपास बहुत थकान लगती है, कभी कभी सिर भारी रहता है और कभी कभार थकान के साथ साथ आखों में जलन और आखें लाल भी हो जाती हैं। 4. बहुत कोशिश के बाद काम में जी लगता है, भाग जाने की इच्छा हमेशा बनी रहती है5. कोई भी काम बोझ की तरह पड़ा रहता है ऐसा लगता है किसी ने छाती पर पत्थर रख दिया हो 5. तात्कालिक याददाश्त बिल्कुल कम है। आजकल यह होने लगा है कि अचानक किसी बहुत करीबी का नाम पूछ दे तो दिमाग ब्लैंक हो जाता है 6; हालांकि समांतर रूप से दिमाग ढूंढ निकालने में सक्रिय रहता है और कई बार तत्काल वह स्म़ति का गोता लगाकर ढूंढ भी लाता है, लेकिन तब तक गाड़ी स्टेशन से गुजर चुकी होती है 7; पेशे से शिक्षक हूं, कभी ' कभार ऐसा भी होता है कि जिस मुददे पर बात कर रहा हूं अचानक ऐसा हो गया कि मूल बात कहीं छूट गयी, बच्चों से ही पूछना होता है कि हम क्या बात कर रहे थे। 8. वजन पिछले कई वषों से 90 के आस पास रहा है। उंचाई और वजन के अनुपात को देखें तो 20 किलो अतिरिक्त वजन रहा है। 9. बहुत तकलीफ के बाद योग की शरण में गया। लगातार भारीपन की अनुभूति से तो मुक्ति मिल गयी है लेकिन उपरोक्त समस्याएं बरकरार हैं। 10. कई दफे बाएं हाथ और ह़दय के आस पास हल्का दर्द महसूस होता है ऐसी स्थिति में किसी काम में बिल्कुल ही मन नहीं लगता। ऐसा मानकर चलता हूं कि सर्वांगासन के गलत पोस्चर लग जाने के कारण भी ऐसा होता हो। जिनसे योग के कुछ आसन सीखे थे दूसरे शहर में हैं। इसलिए उपचार संभव नहीं है। इस बीच आप मिले हैं तो आपसे शेयर किया है। कुछ सुझाव देंगे तो बड़ी कृपा होगी। इंतजार करूंगा सादर निशांत

आत्मन बंधु निशांत जी,सर्वप्रथम होली की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारिये । आयुषवेद में विश्वास जताने के लिये धन्यवाद । आपने जितने लक्षण बताए हैं उनके आधार पर तो सहज ही कहा जा सकता है कि आप थायराईड की अल्प क्रियाशीलता से पीड़ित हैं । एक बात बताना चाहता हूं कि आपने जिस तरह बताया है कि गोधूलि बेला में बहुत थकान लगती है तो यह बात स्पष्टतः संकेत करती है कि आपकी देह में संध्याकाल में कफ का प्रकोप हो जाता है जिस कारण थकान विशेष लगती है आप ऐसा मत सोचियेगा कि कफ की समस्या है को खांसी या जुकाम ही होगी ,कफ के कारण बीस प्रकार रोग लक्षण उपजते हैं जिनका कि उल्लेख चरक सूत्र -२०/१७ तथा शारंगधर पू. ७।१२२/१३५ में सविस्तार है । सत्यतः तो थायराईड की समस्या का मुख्य कारण मेरी चिकित्साभ्यास काल में श्लेष्मवृद्धि ही देखा गया है और मैं इसी आधार पर चिकित्सा भी करता हूं जो कि शत-प्रतिशत सफल रहती है । आप व्यर्थ ही टैस्ट करवाने में धन खर्च न करें अपितु उसी पैसे से औषधि खरीद कर सेवन करें और लाभान्वित हों । संभव है कि आप्को उसमें से एकाध औषधि न मिल पाए तो उसे न लें ध्यान रहे कि उस चिकित्सा पत्र की मुख्य औषधि कांचनार गुग्गुल है । इस उपचार के दो माह बाद आप स्म्रतिसागर रस + ब्राम्ही बटी(साधारण,यह दवा स्वर्ण मिश्रित भी आती है जिसका आपके लिये उपयोग नहीं है किन्तु कई बार दुकानदार आपको अधिक लाभकारी बता कर बेंचने की कोशिश करते हैं) की एक -एक गोली लें और एक माह इस उपचार को जारी रख कर बंद कर दें आशा है कि आपको पूरे तीन माह में पूर्ण आरोग्य प्राप्त होगा । आयुर्वेद को धन्यवाद करिये ,आयुषवेद व्यवसायिक सोच का समर्थन न करके सेवाभाव पर विश्वास रखता है । रही बात कि आपको संदेह है कि कदाचित सर्वांगासन गलत लग जाता है तो न ही करना बेहतर है । इस विषय पर बाद में फिर कभी लिखूंगा ।

मंगलवार, मार्च 18, 2008

बीमारी का नाम "सोरायसिस " है ....


डॉक्टर साहब,मैं बड़े जिद्दी किस्म के त्वचा रोग से पीड़ित हूं बीमारी का नाम "सोरायसिस " है और इसका इलाज ऐलोपैथी में है ही नहीं हमारे तरफ इसे भैंसहवा दाद कहते हैं । अंग्रेजी दवा वाले डॉक्टर को दिखाया तो उसने ही कहा कि जब तक आप दवा लेंगे तब तक ठीक रहेगा फिर उसके बाद कुछ दिनों में दोबारा उभर आयेगा इसलिये आप आयुर्वेद का इलाज करवाइये । लोग कहते हैं कि यह बीमारी मरते दम तक ठीक नहीं होती है क्या सचमुच आयुर्वेद में इसका इलाज है ?
परशुराम सिंह,सतना
सिंह साहब, जिसने भी आपको आयुर्वेद का मार्ग बताया है वह निःसंदेह ही धन्यवाद का पात्र है क्योंकि वह व्यक्ति खुद ऐलोपैथी का चिकित्सक है और उसकी सीमाएं जानता है कि वह क्या ठीक कर सकता है और क्या नहीं । ये सत्य है कि सोरायसिस एक अत्यंत जिद्दी रोग है किन्तु अब आप भी शुद्ध आयुर्वेद का चमत्कार देखिये कि यह रोग कितनी सरलता से अच्छा होता है । लीजिये प्रस्तुत है समस्या का हल----
१ . गंधक रसायन १० ग्राम + कैशोर गुग्गुलु १० ग्राम + रसमाणिक्य ढ़ाई ग्राम को घोंट कर रख लें व खाली कैप्सूल अथवा मुनक्के में आधा ग्राम मात्रा दवा भर कर सुबह-दोपहर-शाम को शहद और पानी की बराबर मात्रा के मिश्रण के एक चम्मच के साथ दें ।
२ . पंचतिक्त घृत गुग्गुलु ५०० ग्राम लेकर इसमें २५ ग्राम रसमाणिक्य मिला कर बारीक घोंट लें और आधा ग्राम की मात्रा सुबह शाम खदिरारिष्ट + सारिवाद्यारिष्ट + महामंजिष्ठादि क्वाथ के मिश्रण के दो दो चम्मच के साथ सुबह शाम दीजिये ।
३ . महामरिच्यादि तेल १०० मिली. + करंज तेल २० मिली + नीम तेल २० मिली + तुबरक तेल या चालमोगरा तेल २० मिली मिला कर रखें और सुबह शाम प्रभावित स्थानों पर लगाया करें ।
४ . रोज़ रात को पानी में दो साबुत हरड़ भिगो दिया करें और सुबह उनकी गुठली निकाल कर फेंक दें व हरड़ों को चबा कर खाएं ।
स्नान में कोई भी साबुन प्रयोग न करे और स्नान के लिये रोज पानी में नीम के पत्ते डाल कर उबाल कर तैयार करे गये पानी का प्रयोग करें । ईश्वर को धन्यवाद करिये और स्वस्थ जीवन बिताइए । तीन माह तक कम से कम उपचार अवश्य लीजिये ।

रविवार, मार्च 16, 2008

गायनेकोलाजिस्ट्स को बताने पर भी कुछ लाभ नहीं,गुप्तांग में हमेशा सूजन

डॉक्टर साहब ,मेरी समस्या इतनी परेशानी भरी है कि क्या बताऊं क्योंकि कई गायनेकोलाजिस्ट्स को बताने पर भी कुछ लाभ नहीं होता है दो या चार दिन जब दवा खाती हूं तब ठीक रहता है लेकिन फिर वैसा ही हो जाता है । आपको बताने में काफी शर्म भी आ रही थी पर मेरी माताजी के दबाव डालने पर बता रही हूं । मेरे गुप्तांग में हमेशा सूजन बनी रहती है सामान्यतः बहुत कष्ट होता है तो आप जान सकते हैं कि पारिवारिक जीवन का क्या हाल होगा । मेरी उम्र चालीस साल है ,मासिक धर्म नियमित है,कभी-कभी कब्जियत रहती है,वजन सामान्य से शायद थोड़ा ज्यादा है । कृपा करके कोई स्थायी और कारगर आयुर्वेदिक इलाज बताइये ।
आपकी एक बहन,भावनगर
बहन,आपने अपनी समस्या को न बताने लायक मान कर छिपाने और सहन करने का प्रयास करा जो कि उचित नहीं है ,लज्जा स्वाभाविक है पर यह तो बीमारी है यदि आप इसे छिपायेंगी तो यह और बढ़कर ज्यादा कष्ट्कारी होगी । इसलिये लज्जा एक सीमा तक सार्थक और उचित है । आप अपनी अन्य परिचित बहनों को भी बताएं कि यदि वे अपनी समस्याओं को दबाने या छिपाने की कोशिश करेंगी तो कष्ट तो उनको ही सहना होता है । आपके पति को इससे कोई पीड़ा नहीं होती तो जबतक आप खुद होकर उन्हें नहीं बताएंगी उन्हें पता ही नहीं चलेगा । उपचार लिख रहा हूं ,नियमित रूप से दो माह तक लीजिये,पंद्रह दिनों में लाभ स्थायी दिखने लगेगा फिर भी आगे तक दवाएं जारी रखिए और पति संसर्ग से परहेज के लिये उन्हें समझाइए कि आप बीमार हैं और आपको तकलीफ़ हो रही है जल्द ही सब ठीक हो जाएगा और पारिवारिक जीवन सामान्य हो जाएगा ,तेज मिर्च-मसालेदार और मांसाहारी भोजन से भी परहेज करें ---
१ . चन्द्रप्रभा वटी एक गोली + आरोग्यवर्धिनी वटी एक गोली + गंधक रसायन एक गोली ,इन दवाओं को सुबह शाम साधारण पानी से लीजिए ।
२ . पुष्यानुग चूर्ण (ये न मिल पाने पर खदिरत्वक चूर्ण) तीन ग्राम दोपहर व रात्रि को पानी से लीजिए ,भोजन के बाद ।
३ . त्रिफला गुग्गुलु की दो-दो गोली सुबह दोपहर शाम को गुनगुने गरम पानी के साथ लीजिये ,ध्यान रखें कि कोई भी दवा खाली पेट नहीं लें जब तक चिकित्सक न कहे ।
४. पंचवल्कल क्वाथ या त्रिफला क्वाथ से प्रभावित अंग को धोया करिये दिन में दो बार जैसी सुविधा हो ।
५. कल्पतरु तेल में रुई का टुकड़ा भिगो कर अंग में धारण करिये जैसी सुविधा जान पड़े ।
आप परहेज का पालन करिये और फिर देखिये कि आयुर्वेद में कैसा चमत्कार है ।

शुक्रवार, मार्च 14, 2008

अनचाहे बालों को हटाने के बारे में......

अनचाहे बालों को हटाने के बारे में दिये गये उपाय के बारे में कई लोगों ने यह सवाल किया है क्या ये उपाय सिर्फ़ कुछ खास लोगों के लिये हैं या कोई भी लड़की इसे इस्तेमाल कर सकती है ? हर व्यक्ति की त्वचा की बनावट भी अलग - अलग होती है ऐसे में क्या करा जाए ?
अनेक भाई व बहनें
कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो कि भले ही कठिनाई से बनतीहैं पर सभी के लिये समान रूप सेएक बात तो आप सब लोग जानते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है लेकिन उपयोगी होती हैं और बताई गयी दवाएं वैसी ही हैं जिन्हें कोई भी निर्भय होकर इस्तेमाल कर सकता है चाहे वह लड़का हो या लड़की । यदि कोई भी शारीरिक या मानसिक परेशानी हो तो बिना संकोच बताइए अगर आप चाहते हैं कि आपका नाम गोपनीय रखा जाए तो हम आपका नाम जाहिर किये बिना ही आपकी समस्या का हल बता देंगे ,विश्वास से बड़ी दवा इस दुनिया में नहीं है ।

गुरुवार, मार्च 13, 2008

नींद गायब है इस कारण पागल न हो जाऊं ......

डाक्टर साहब मैं पेशे से वकील हूं । आप अंदाज लगा सकते हैं कि मैं किस कदर मानसिक श्रम करता हूं और चौबीसो घंटे मानसिक दबाव बना रहता है । इस मानसिक उद्वेग और उत्तेजना के चलते नींद गायब है और अब लगता है कि कहीं इस कारण पागल न हो जाऊं । एलोपैथी की दवा "डायजेपाम" के दुष्प्रभावों से वाकिफ़ हूं इसलिये हिम्मत नहीं होती लेने की । कोई नशा नहीं करता हूं । कोई कारगर इलाज बताइये ताकि डायजेपाम ए बच सकूं क्योंकि एलोपैथी वाले डाक्टर को दिखाया तो उसने यही दवा लिख दी है । मेरी उम्र ५९ वर्ष है ।
एडवोकेट नरेन्द्र सिंह,आगरा
सिंह साहब आपकी तकलीफ़ भली प्रकार से समझ रहा हूं । चलिये सीधे आपका उपचार बताता हूं..
१ . चिन्तामणि चतुर्मुख रस आधी गोली(१२५ मिलीग्राम की गोली को तोड़ कर आधा कर लें यानि लगभग ६१ मिलीग्राम ) + वातकुलान्तक रस १ गोली + माहेश्वर रसायन १ ग्राम ,इन सबको मिला कर एक चम्मच शहद से दिन में दो बार चाटें ।
२ . संभव है कि यह दवा मंहगी लगे तो एकदम सरल और सस्ता उपाय बताता हूं ,तीन ग्राम भांग को गाय के घी में डाल कर पका लीजिए और उस घी को छान लीजिए । इस घी की दोनो पैरों के तलवों में हलके हाथ से मालिश करिये ।
३ . दिन में दो बार चंद्रासव + अश्वगंधारिष्ट को मिला कर दो दो चम्मच लें (अगर चंद्रासव नहीं मिलता है तो अश्वगंधारिष्ट ही लिया जा सकता है )
४ . सर्पगन्धा चूर्ण ५० ग्राम + रस सिन्दूर ३ ग्राम ,इस कुल ५३ ग्राम दवा को रस सिन्दूर की चमक समाप्त होने तक घुटवा लें अधिकतम दस मिनट लगेंगे । एक-एक रत्ती दवा दिन में तीन बार गाय के दूध से लें (ध्यान रहे दवा खाली पेट न लें)
५ . यदि अनिद्रा के साथ रक्तचाप भी बढ़ा हो तो ऊपर लिखी दवा में थोड़ा बदलाव करेंगे ,सर्पगन्धा चूर्ण ५० ग्राम + जहरमोहरा पिष्टी ६ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ६ ग्राम + गिलोय सत्व ६ ग्राम ,इन सबको लेकर कस कर खरल करा लें । आधा-आधा ग्राम मात्रा दिन में तीन बार गुलकंद के साथ लीजिए । (सर्पगन्धा को स्थानीय भाषा में सफ़ेद चांद,छोटी चांदड़,धवल बरुआ नामों से भी जाना जाता है)
६ . सोंठ + छोटी पीपर + काली मिर्च + पीपरामूल इन सबको समभाग लेकर बारीक पीस लीजिए । चूर्ण में शहद मिला कर २५० मिलीग्राम की गोलियां बना लें और ऊपर से इन गोलियों को सोंठ के बारीक चूर्ण में लपेट लें ताकि ये आपस में चिपकें नहीं । दिन में तीन बार २-२ गोलियां लीजिए ।
इनके नियमित प्रयोग से आपको अच्छी नींद तो आयेगी ही और साथ में मस्तिष्क भी पित्त की शान्ति के कारण ठंडा रहेगा । जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाइए और ईश्वर को धन्यवाद करिए ।

सोमवार, मार्च 10, 2008

स्किन एलर्जी का क्या उपाय है.......?

डॉक्टर साहब,आपने एलर्जी के बारे में जो दवा बताई है वो तो श्वांस के लिये है पर मुझे भी एलर्जी की शिकायत है लेकिन मुझे इससे त्वचा पर खुजली और चकत्ते पड़ते हैं तो क्या मैं भी यही दवा खा सकता हूं ?
सज्जन सिंह,जामनगर
सज्जन साहब, आप उस दवा को न लेकर नीचे लिखी दवा लीजिये और ध्यान रखिये कि ऐसी कोई चीज न खाएं जो ज्यादा मसालेदार हो ।
१ . रस माणिक्य ५ ग्राम + लौहभस्म ५ ग्राम + गेरू १५ ग्राम + गंधक रसायन २५ ग्राम लीजिये ,इसमें सबसे पहले रसमाणिक्य को एकदम महीन घोंट लीजिए ताकि उसकी चमक खत्म हो जाए ;यह एक क्रिस्टलों के रूप में आने वाली आयुर्वेदिक औषधि है । रसमाणिक्य को एकदम महीन घोंट लेने के बाद उसमें बाकी दवायें मिला कर घोंट लें । दवा की आधा ग्राम मात्रा को खाली मुनक्के में भर कर सुबह शाम खाली पेट सारिवाद्यासव + महामंजिष्ठादि काढ़े के मिश्रण से निगलवाएं ।
२ . चालमोगरा तेल(तुबरक तेल) ५० मिली. + महामरिच्यादि तेल ३० मिली. + नीम तेल ३० मिली. मिला कर रखें व प्रभावित स्थान पर दिन भर में दो-तीन बार लगा लिया करें ।
आपकी समस्या में पहले दिन से ही लाभ दिखाई देना शुरू हो जाएगा ।

रविवार, मार्च 09, 2008

एयर कंडिशनर में रहने से एलर्जी है साँस फूलने लगती है ....

डॉक्टर साहब,मुझे बताया है कि मुझे एयर कंडिशनर में रहने से एलर्जी है जिसके कारण मुझे गर्मियों के मौसम में ए.सी. का लाभ नहीं मिला करता है । गरमी तो सहन करा जा सकता है किन्तु जो तकलीफ़ है वह है दम फूलना ; मेरी साँस फूलने लगती है लगता है कि मर ही जाऊंगा लेकिन घर में तो ए.सी.बंद करा जा सकता है ऑफिस में दो सौ लोगॊ के लिये चलने वाला ए.सी. मेरे कारण तो बंद नहीं करा जा सकता है इसलिये कैसे मर मर के जी रहा हूं आप समझ सकते हैं कि नौकरी मैं नहीं छोड़ सकता और बीमारी मुझे नहीं छोड़ रही है । कृपा करके कोई उपचार बताएं ।
श्याम मोहन,वाशी(नवी मुंबई)
श्याम मोहन जी ,आपकी समस्या वाकई दुःख देने वाली है पर अब ज्यादा समय तक यह समस्या नहीं रहने वाली है । आप इन दवाओं का सेवन करिए और देखिए कि आपकी बरसों से सहेली बनी हुई बीमारी कैसे चंद रोज़ में भाग जाएगी --
१ . गुड़ १ किलो + अदरख १०० ग्राम + हल्दी ५० ग्राम + कालीमिर्च २० दाने ले लीजिए । सबसे पहले हल्दी और कालीमिर्च को अलग-अलग बारीक बीस लीजिए अब अदरख को महीन चटनी की तरह से पीस लीजिए फिर इन तीनों चीजों को गुड़ में मिला कर आग पर लेई की तरह से पका लीजिए । इस दवा को किसी एयरटाइट बर्तन में रखिए और सुबह-दोपहर-रात में एक-एक चाय वाला चम्मच लेकर चाटें और ध्यान रखिए कि दवा सेवन के आधे घंटे बाद तक पानी न पिएं यदि पीना एकदम अनिवार्य लगे तो हलका गुनगुना सा गर्म पानी पिएं ।
२ . असगंध(अश्वगंधा) २ ग्राम + सोंठ आधा ग्राम + पिप्पली(छोटी पीपर) आधा + पीपरामूल आधा ग्राम ,इन सब औषधियों को महीन पीस लें तथा २५० ग्राम यानि एक पाव दूध में जैसे खीर पकाते हैं उस तरह से पका लें । सुबह शाम जितना दूध इसमें से आसानी से पचा सकते हों हल्का गर्म ही इसमें से लेकर पिया करें ।
यदि दम का वेग अत्यधिक कष्ट दे रहा हो और तीव्र हो तो लक्ष्मीविलास रस की एक-एक गोली भी इस दूध के साथ ही निगल लें ।
इसे चमत्कार मत मानिये कि आप कु्छ दिनों में खुद ही ए.सी. चलाकर घर में बैठा करेंगे ; यह तो शुद्ध आयुर्वेद है । दवा कम से कम दो माह तक लीजिए किन्तु लाभकारी प्रभाव तो आपको एक सप्ताह में ही दिखने लगेगा ।

कोई एलर्जी-वेलर्जी नहीं है.....

डॉक्टर साहब,मेरे पति के सारे टैस्ट्स रिपोर्ट्स आपको भेज रही हूं । इधर के डॉक्टर ने तो हमें बस मार ही डाला है मेरे पति को बीमारी तो जानलेवा हरगिज नहीं है पर डॉक्टर का बिल जानलेवा है ,हर रोज़ ही एक इंजेक्शन दिया जाता है जिसकी कीमत १३०० रु. है । दस दिन हो गये हैं और कोई लाभ नहीं है ,हम उस इलाज से ऊब गये हैं क्योंकि रत्ती भर अंतर आता है और फिर वही समस्या शुरू हो जाती है । डॉक्टर कहते हैं कि लगातार यह उपचार तीन साल तक लेना पड़ेगा क्योंकि यह एलर्जी है आसानी से दूर नहीं होती । मेरे पति का हमेशा सिर भारी बना रहता है ,सिर में दर्द भी रहता है ,चेहरे पर विशेष तौर पर नाक के दोनो तरफ और होंठो के आसपास खुजली होती रहती है और जुकाम सा बना रहता है और छींके भी आती हैं । हम लोगों से पहले तो हजारों रुपए के टैस्ट्स करवा डाले और अब इतना मँहगा इलाज कि जान ही निकली जा रही है लेकिन लाभ हो तो दिल को सुकून हो तो वो भी नहीं हो रहा है । मेहरबानी करके कॊई अच्छा सा इलाज बताएं ।
मोनिका डैनियल,पणजी(गोवा)

मोनिका बहन मैंने आपके पति की सारी टैस्ट्स रिपोर्ट्स का गहराई से अध्ययन किया है और इस नतीजे पर पहुंचा कि उन्हें कोई एलर्जी-वेलर्जी नहीं है बस हो यह रहा है कि डॉक्टर के रूप में आपको एक शुद्ध लुटेरा मिल गया है जो आप लोगों के भोलेपन का लाभ उठा रहा है । आप उन दवाओं को अभी घर से बाहर फेंक दीजिए और बेफिक्र हो जाइए क्योंकि आपके पति बड़ी आसानी से और जल्द ही ठीक होने वाले हैं । उन्हें ये दवाएं दें --
१ . आरोग्यवर्धिनी वटी ३ भाग + संजीवनी वटी २ भाग + गंधक रसायन ५ भाग ,यानि कि अगर इन सब दवाओं को ग्राम में लें तो कुल दवा १० ग्राम बन जाएगी ; यही अनुपात रखिए । इस दवा के मिश्रण को एक ग्राम मुनक्के में भर कर सुबह-दोपहर-शाम यानि तीन बार एक कप हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच अदरख का मिला लें व इससे पिला कर मुनक्के को निगलवा दें और ध्यान रखिए कि मुनक्के में से बीज निकाल कर फेंक दीजिए वरना वह नुकसान करेगा ।
२ . मुलहठी(जेष्ठमध या यष्टिमधु) का चूर्ण १०० ग्राम + गेरू (जो लाल रंगत लिये मिट्टी के ढ़ेले जैसा होता है और पंसारी के पास से सरलता से सस्ता ही मिल जाता है) २०० ग्राम + गाय के घी में भुनी हुई हल्दी का चूर्ण ३०० ग्राम , इन सबको भली प्रकार से मिला लें और दिन में तीन बार ऊपर कही दवा से १५ मिनट बाद ५ ग्राम मिश्रण को पानी या दूध जो मिले उससे दें ।

फाइलेरिया(हाथीपाँव) के साथ-साथ अण्डकोश भी बहुत बढ़ गये हैं...

डॉक्टर साहब, मुझे करीब दो माह से हाथीपाँव की समस्या है ,अण्डकोश भी इतने बढ़ गये हैं कि चलना दूभर है तीन ऐलोपैथ्स को दिखा चुका हूँ पर कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि अण्डकोशों का आकार मुझे दिनप्रतिदिन बढ़ता सा प्रतीत हो रहा है । मेरा वजन ८५ किग्रा. और कद पाँच फुट है । पाचन भी ठीक नहीं रहता है । आपसे निवेदन है कि कोई तत्काल लाभ देने वाला आयुर्वेदिक उपचार बताइये ,खर्च कितना भी हो दवा मँहगी भी हो तो चलेगा मैं खरीद सकता हूँ ।
शम्स उल रहमान ,गोरखपुर
शम्स साहब, आपने अपनी समस्या काफ़ी विस्तार से लिखी है लेकिन मैं उसे स्थानाभाव के कारण संक्षिप्त में लिख कर इलाज बता रहा हूँ । पहली बात ये ध्यान रखिये कि जैसा आपने लिखा है कि आपको फाइलेरिया(हाथीपाँव) की समस्या है और उसके ही चलते अण्डकोशों का आकार बढ़ा है तो जनाब परेशान न हों आपका इलाज एकदम ही जल्द असर दिखाने वाला है बस परहेज रखिए कि खाने में घी-तेल का कम से कम प्रयोग करें जब तक दवा खाएं और साथ ही माँसाहार से सख्ती से परहेज़ करें तो दवा जल्दी से जल्दी आपको स्वस्थ कर देगी । आप नीचे लिखी दवाएं लीजिए..
१ . नित्यानन्द रस १ गोली + श्लीपदगजकेसरी वटी १ गोली + आरोग्यवर्धिनी १ गोली ,इन तीनों गोलियों को सुबह नाश्ते के बाद तथा रात में भोजन के आधे घंटे बाद ले लें । इस दवा को लाभ हो जाने के बाद भी लगातार तीन माह पूरे हो जाने तक जारी रखियेगा ।
२ . रात को सोने से पहले मेदोहर विडंगादि लौह की दो गोलियां गुनगुने जल से लें तथा यह भी तीन माह जारी रखियेगा ।
३ . सोंठ + छोटी पीपर(लेंडी पीपर या पिप्पली) + त्रिफला चूर्ण को बराबर वजन में सरसों के तेल में मिला कर लेप बना लें और प्रभावित अंगों पर लगाएं तथा लंगोट कसकर सोएं ।
४ . वृद्धिबाधिका बटी १-१ गोली सुबह शाम खाली पेट लिया करें ।
अल्लाह तआला जल्ले जलालहू, इन छोटी -छोटी चीजों में कैसा शिफ़ा भर रखा है उसका करिश्मा आप खुद देखियेगा । इंशा अल्लाह एक सप्ताह में ही खुद को तंदुरुस्त महसूस करने लगेंगे ।

शुक्रवार, मार्च 07, 2008

मेरे चेहरे पर पुरुषों की तरह बाल हैं .....

डॉक्टर साहब,मेरी उम्र चौबीस साल है और मैं लैंगिक विकलांग (हिजड़ा) हूं मेरे चेहरे पर पुरुषों की तरह बाल हैं जो मेरे लिये परेशानी का कारण बने रहते हैं । मैं कोई मंहगा ब्यूटी ट्रीटमेंट नहीं ले सकती इसलिये आप कृपा करके कोई ऐसा इलाज बताइये कि मैं इन अनचाहे बालों से हमेशा के लिये छुटकारा पा सकूं ।
भूमिका,गोवंडी(मुम्बई)

भूमिका बहन,मैं आपकी परेशानी समझ सकता हुं ,आप निश्चिंत हो जाइए और इन उपचारों में से किसी को भी आजमाएं तो आपके चेहरे और जिन अंगों पर आपको बाल पसंद न हों वहां इन्हें निर्भय होकर लगाइए त्वचा पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होगा और बालों से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाएगा । इन नुस्खों में प्रयोग करी जाने वाली चीजें आपको पंसारी के पास से आसानी से मिल जाएंगी ।
१ . साधारण शंख का चूरा २० ग्राम + बर्किया हरताल १० ग्राम + मैंसिल १० ग्राम इन तीनों को पानी में पीस कर लेप बना लीजिए और चमत्कार देखिए कि जिस अंग पर सात दिन लगातार नियमित कुछ घंटे लगा लिया तो उस स्थान पर जीवन भर बाल नहीं उगेंगे ।
२ . छोंकर (इसे शमी या श्योनाक भी कहते हैं यह बड़ा पेड़ होता है) के फलों को जो कि लम्बी फलियों के रूप में होते हैं ,इन्हें बारीक पीस कर जिस जगह बाल नहीं चाहिये वहां एक बार हजामत करके लेप कर दें ; तीन दिनों में आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी ।
३ . खुरासानी अजवायन और अफ़ीम दोनो आधा-आधा ग्राम लें और असली सिरके में घोंट कर लेप बना लें । इस के पांच-सात बार लेप कर लेने से भी जीवन भर बाल नहीं उगते हैं । अगर अफ़ीम मिलने में दिक्कत हो तो इसे न प्रयोग करें ।
यदि फिर भी कोई समस्या हो तो आप मुझसे सीधे ही सम्पर्क कर सकती हैं ।

बुधवार, मार्च 05, 2008

समस्या बड़ी विचित्र सी है जैसे ही मासिक पाली आने का समय होता है.........

डाक्टर साहब मेरी बेटी की उम्र अठारह साल है । उसकी समस्या बड़ी विचित्र सी है उसे जैसे ही मासिक पाली आने का समय होता है वह चार-पांच दिन पहले से ही एकदम अस्वस्थ सी हो जाती है ,अन्यमनस्क सी और उदास रहने लगती है । सिर में दर्द रहने लगता है ,नींद आना बंद हो जाती है ,कब्जियत रहने लगती है,डरी हुई सी रहने लगती है,कभी-कभी अतिसार भी होने लगते हैं,लगभग दो किलो तक वजन भी बढ़ जाता है,पैरों में सूजन आ जाती है,स्तनों में सूजन और पीड़ा रहने लगती है ,सबसे बुरी बात तो यह है कि कभी-कभी तो आक्षेप सा आता है और मूर्च्छित तक हो जाती है । तमाम जगह दिखा लिया पर कोई आराम नहीं है समझ नहीं आता कि क्या करूं ? मेहरबानी करके कारगर आयुर्वेदिक उपचार बताइये ।
संगीता सूर्यवंशी,ठाणे
बहन आप बिलकुल परेशान न हों । आयुर्वेद के अनुसार इसे हम ऋतुपूर्वग्लानि (PREMENSTRUAL MALAISE) कहते हैं । सत्य तो यह है कि आपको आज तक कोई सही उपचारक ही नहीं मिला है अन्यथा यह कोई जटिल समस्या तो नहीं है । बच्ची को निम्न उपचार दें---
१ . सुबह-दोपहर-शाम को एक-एक गोली आरोग्यवर्धिनी बटी जल के साथ दीजिये ,बस ध्यान रहे कि खाली पेट दवा न दें ।
२. शुद्ध नौसादर(मराठी में इसे नवसागर कहते हैं ,यह अमोनियम क्लोराइड नामक रसायन है ओ कि साधारणतः तमाम घरेलू कामों में आता है और सरलता से आपको पंसारी के पास से मिल जाएगा) दिन में दो बार आधा-आधा ग्राम गर्म जल से दीजिए ।
मात्र दो माह का इन दवाओं का प्रयोग आपकी बिटिया को फिर से प्रफुल्लित करने में सहयोगी होगा । बच्ची को प्रसन्न रखें ।

नाममात्र को ही मासिक स्राव होता है

डाक्टर साहब मेरी शादी तय हो गयी है दो माह बाद विवाह है किन्तु मेरी समस्या है कि मुझे गये एक साल से नाममात्र को ही मासिक स्राव होता है जबकि पहले सब सामान्य था । मेरी सहेलियों को तीन-चार दिनों तक स्राव होता है और उन्हें कई बार पैड बदलने पड़ते हैं लेकिन मुझे ऐसा नहीं होता पहले मेरे साथ भी ऐसा ही होता था । हर माह नियत समय पर मासिक पाली तो आती है किन्तु बस दो-चार धब्बे से ही दिखाई देते हैं । मुझे भय है कि कहीं मुझे गर्भधारण में कोई समस्या तो नहीं होगी ? एलोपैथ ने बीमारी का नाम OLIGOMENORRHOEA
बताया है ।
एक रुग्णा
बहन आप बिलकुल परेशान न हों । सर्वप्रथम तो मन से यह भ्रम निकाल दीजिए कि आपको गर्भधारण में कोई परेशानी होगी । आपको कोई गम्भीर समस्या है ही नहीं बस किन्हीं दोषों के कारण ऐसा हुआ है तो बिना तनाव लिये नीचे लिखे उपचार को लीजिये और खुशी-खुशी विवाह की तैयारियां करिये----
१ . सुबह नाश्ते के बाद तथा रात्रि भोजन के बाद कुमार्यासव + लोहासव + दशमूलारिष्ट इन तीनों दवाओं को मिला लें और उस मिश्रण में से एक-एक चम्मच लें ।
२ . लक्ष्मणा लौह २ गोली + रजःप्रवर्तिनी वटी २ गोली सुबह-शाम जल से लीजिए ।
तेज़ मिर्च मसाले वाले आहार का परित्याग करें साथ ही उपचार चलने तक मांसाहार यदि करती हों तो छोड़ दीजिए । दो माह में तो आप पूर्णतया स्वस्थ हो जाएंगी फिर दवाएं मायके में ही छोड़ कर प्रसन्न मन से ससुराल जाएं । विवाह की अग्रिम शुभकामनाएं स्वीकारिए ।

सोमवार, मार्च 03, 2008

पारस पीपल का चूर्ण मुफ़्त प्राप्त कीजिए

hum apne bete ke lie yah dava chahte hain. kya use bina bataye di jae to koi dikkat hai? banane ki bajay bani hui mil sakegi?Sandhya
संध्या जी, कोई दिक्कत नहीं है पर क्या आप अपने बेटे को एक काढ़ा जैसी दवा बिना उसकी जानकारी के दे सकती हैं ,वैसे यह दवा कोई विशॆष स्वाद लिये हुए नहीं होती कि यदि आप इसे खाने पीने की चीजों में थोड़ी मात्रा में मिला कर दें तो पता चल जाए । आपने विज्ञापन करके दवाएं बेंचने वाले लोगों को देखा होगा कि वे ऐसा विज्ञापन करते हैं कि रोगी को बिना बताए नशे की आदत छुड़्वाइए । क्षमा चाहूंगा कि यह दवा यदि खुले बाजार में मिलने लगे तो संसार भर में जाल फैलाए हुए "तम्बाकू-माफ़िया" इस पेड़ का समूल नाश करवा दे,मैंने बहुत प्रयत्न करा कि मैं इसे बाजार में बिकवा सकूं किन्तु देश के पेंचीदा कानूनी उलझाव के कारण संभव नहीं है । मैंने पहले ही कहा कि यह बनी-बनाई हुई बाजार में नहीं मिलती है क्योंकि यदि इसे काढ़े के रूप में बना कर परिरक्षित(preserve) करा जाए तो औषधीय गुण उतने प्रभावी नहीं रहते हैं किंतु यदि आप इसे एक बार बना कर लम्बे समय तक प्रयोग करवाना चाहती हैं तो घरेलू शक्कर की जैसे मिठाइयां बनाते समय गाढ़ी चाशनी बनाते हैं उसके साथ मिला कर परिरक्षित करा जा सकता है किंतु ताजा बना कर प्रयोग करवाना श्रेयस्कर होता है । आप यदि अपना पता भेज दें तो जैसे अनेक लोगों को मैं यह दवा मुफ़्त ही भेज देता हूं कुरियर से वैसे आपको भी भेज दूंगा । वचन देता हूं कि पता गोपनीय रखा जाएगा और दवा भेजने के तुरंत बाद जैसे ही आपकी तरफ से दवा प्राप्ति की सूचना मिलेगी आपका पता हमेशा के लिए मेरे रिकार्ड से हटा दूंगा ।

रविवार, मार्च 02, 2008

योनि की तरफ तेज चुभता हुआ सा दर्द यानि "मक्कल शूल"

सर, पिछले साल गर्मियों में मुझे आपरेशन से बेटा हुआ लेकिन पता नहीं क्या बात है कि नाभि के निचले हिस्से और दोनो चूतड़ों से योनि की तरफ तेज चुभता हुआ सा दर्द होता है ऐसा लगता है कि जैसे ड्रिल मशीन से छेद करा जा रहा है । इस दर्द के समय अफारा सा महसूस होता है और पेशाब भी बंद हो जाता है । इतना समय गुजर जाने के बाद भी कोई आराम नही है डाक्टर बड़ा मंहगा सा इंजेक्शन देते आ रहे हैं अब तक पर कोई लाभ नहीं है ? लोग कहते हैं कि कुछ प्रेतबाधा है जो सता रही है पर मुझे यकीन नहीं है ,मैं मानती हूं कि यह कोई ऐसी बीमारी है जो डाक्टरों की समझ में नहीं आ रही है । रिपोर्ट्स की फाइल भेज रही हूं ।
भावना श्रीवास्तव जबलपुर
भावना बहन ,आपका बेटा पिछले गर्मियों के मौसम में पैदा हुआ है और वो भी आपरेशन से तो आपने जैसे लक्षण लिखे हैं उनके आधार पर मैं सहज ही इस निदान पर पहुंचा हूं कि आप "मक्कल शूल" से ग्रस्त हैं । यह बीमारी आपको सर्जरी के दौरान हुई लापरवाही,आपके खान-पान में फ्रिज का पानी होना ,शीतल आहार लेना तथा उष्ण और तीक्ष्ण वस्तुओं का सेवन न करना ; इन सबका दुष्परिणाम है । डाक्टर आपको जो मंहगा सा इंजेक्शन दे रहे हैं वह कुछ और नहीं बल्कि मानवीय अपरा(बच्चे से जुड़ी रहने वाली नाल) से बने औषधीय योग का है उससे कोई लाभ नहीं होने वाला व्यर्थ में धन नष्ट मत करिए ।
इन दवाओं को लगातार बस दो माह तक धैर्य से लें आप शर्तिया स्वस्थ हो जाएंगी ।
१ . दशमूल काढ़ा(क्वाथ) ६० मिली. में एक ग्राम यवक्षार(जवाखार) मिला कर सुबह शाम नाश्ते के बाद दें ।
२ .प्रतापलंकेश्वर रस एक-एक गोली को अदरख और शहद बराबर मिला कर सुबह शाम लें ।
३ . महानारायण तेल से पीड़ित स्थान पर लेप कर सुहाता-सुहाता सा सेंक लीजिए ।
गरिष्ठ भोजन,एयर कंडीशनर, बाजारू साफ़्ट ड्रिंक्स,चायनीज फ़ूड का सर्वथा त्याग कर दें ,यदि खट्टे और चटपटे भोजन से परहेज नहीं करा तो तकलीफ़ कभी समाप्त नहीं होगी । नाश्ते में यदि हो सके तो गेंहू का दलिया गुड़ मिला कर कुच दिन लीजिए । अतिशीघ्र लाभ होगा ।

शनिवार, मार्च 01, 2008

चक्कर आना

डॉक्टर साहब मैं एक प्राइवेट कोचिंग क्लास चलाता हूं । सुबह छह बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक और फिर दो बजे से लेकर रात नौ बजे तक लगातार ट्यूशन पढ़ाता हूं । करीब दो माह पहले मलेरिया हुआ था जो कि चार दिन में ठीक हो गया किंतु कमजोरी बनी रहती है । कुछ सप्ताह भर से ऐसा प्रतीत होता है मानो शरीर कांप रहा हो ,चारों ओर की चीजे घूम रही हैं ,एकाएक खड़े होने पर आंखो के सामने कुछ देर के लिये अंधेरा छा जाता है ,दो-तीन बार तो मैं संभल न सका और गिर भी पड़ा । दिल की धड़कने एकदम तेज हो जाती हैं ,कब्जियत बनी रहती है ,पेशाब कम और गर्म सा आता है ।
जय प्रकाश सिंह
कळंबोली(नई मुंबई)
भाईसाहब ,आयुर्वेद के अनुसार आपकी बीमारी को "भ्रमरोग" कहते हैं । इसके तमाम कारण होते हैं किन्तु आपको यह मलेरिया के दौरान जो आपने भरपूर क्लोरोक्विन की टैबलेट्स खाईं हैं उनका पश्चप्रभाव तथा अत्यधिक मानसिक श्रम के कारण मिलेजुले असर से है । रजोगुण युक्त पित्त एवं वायु से भ्रम की उत्पत्ति होती है,"पैत्तिके भ्रम एव च " ऐसा कहा गया है । सर्वप्रथम जरूरी है कि आपकी कोष्ठ शुद्धि कराई जाये जिसके लिये आप बड़ी हरड़ का चूर्ण छह ग्राम गर्म जल से रात को सोते समय लें ।
१ . जहरमोहरा ,मुक्ताशुक्ति भस्म,वंशलोचन,छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण सबको बराबर मात्रा में ले कर सूक्ष्म कर लीजिए और सुबह दोपहर शाम आधा-आधा ग्राम दवा को आंवले के मुरब्बे के साथ लें ।
२ . लघ्वानंद रस एक गोली + रसराज रस एक चौथाई गोली की मिश्रित मात्रा को जटामांसी के दो ढक्कन काढ़े के साथ दिन में दो बार दें ।
३ . चिन्तामणि चतुर्मुख रस एक गोली(१२५ मिग्रा) + प्रवालपिष्टी २५० मिग्रा + मुक्ताशुक्ति भस्म १२५ मिग्रा को शहद के साथ चाट कर ऊपर से मिश्री मिला हुआ दूध २५० मिली. पी लें ।
४ . दशमूलारिष्ट + अश्वगंधारिष्ट दोनों को मिला कर २-२ बड़े चम्मच समान मात्रा में मिला कर भोजनोपरान्त दिन में दो बार लें ।
इन सभी उपायों में से कोई भी एक उपाय जो सस्ता और सुलभ जान पड़े ,प्रयोग करिये और फिर से पूरी ऊर्जा के साथ बच्चों को पढ़ाने में जुट जाइए ।